लक्षणों का मिलान करें और लाइलाज बीमारियों से मुक्ति पायें। भाग-1
लेखक: डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश'
होम्योपैथी के मूल सिद्धान्त के अनुसार, होम्योपैथी में किसी भी रोग की कोई सुनिश्चित दवाई नहीं होती है। (There is no sure medication for any disease) केवल इतना ही नहीं, बल्कि-
1-दो बीमार लोगों की एक जैसी बीमारी के लिये, अलग-अलग दवाई दी जा सकती है। (For the same illness of two sick people, different medicines can be given)
2-एक ही दवाई से, एक या एकाधिक रोगियों के अनेक रोगों को ठीक किया जा सकता है। (With the same medication, many diseases of one or more patients can be cured)
3-इसकी मूल वजह यह है कि होम्योपैथी में हम रोग का नहीं, रोगी का इलाज करते हैं। (We treat the patient, not the disease)
4-रोगी के मानसिक एवं शारीरिक लक्षणों के अनुसार मेल खाने वाली दवाई का चयन/सिलेक्शन करके रोगी की सभी प्रकार की तकलीफों का इलाज किया जा सकता है। (All types of diseases of the patient can be cured)
5-होम्योपैथी की किसी भी दवाई के कोई साईड इफैक्ट/दुष्प्रभाव नहीं होते हैं। (There are no side effects of any medicine in Homeopathy)
होम्योपैथी के लाक्षणिक चिकित्सा सिद्धान्त को आम लोगों के लिये सरल, सुगम और रोचक बनाने के लिये मेरी ओर से छोटा सा प्रयास शुरू किया जा रहा है। जिसके तहत विश्व के महान होम्योपैथिक चिकित्सकों द्वारा अनुभवसिद्ध कुछ अति-महत्वूपर्ण लक्षणों को पाठकों के समक्ष सरल तरीके से पेश कर रहा हूं।
प्रस्तुत निम्न लक्षणों से यदि आप में से किसी के भी लक्षण मेल खाते हैं, तो आप इनके आधार पर अपनी किसी भी और कितनी भी पुरानी मानसिक या शारीरिक बीमारी या व्यसन (mental or physical illness or addiction) के इलाज की उम्मीद कर सकते हैं।
कृपया 50 फीसदी से अधिक लक्षण मेल खाने पर किसी अनुभवी होम्योपैथ चिकित्सक से सम्पर्क करें। हो सकता है कि अभी तक 'लाइलाज समझी जाने वाली' (incurable considered) आपकी तकलीफ/लत से आपको मुक्ति मिल जाये?
आपके इलाज के लिए आधारभूत लक्षण
Basic Symptoms for Your Cure
1. जैसे स्त्रियों के सिर के बाल उलझते हैं, वैसे ही रोगी की आँखों की पलकों के बाल उलझ कर पलकों के अन्दर की ओर मुड़ जाते हैं।
2. युवतियों की नाक नोक पर चमकीली लाली सी दिखती है।
3. बच्चों के बालों के अगले सिरे अर्थात बालों की नोक एक-दूसरे से उलझ कर लट बंध जाती है। यदि इनको काट दिया जाये, तो फिर जो नये बाल निकलते हैं वे भी इसी प्रकार उलझते रहते हैं।
4. मुँह के अन्दर, होठों में, जीभ में, गाल के आंतरिक भाग में छाले या छालों के घाव पड़ जाते हैं। अनेक रोगियों के ऐसे छालें गले के अंदर, आतों में, यहां तक कि मल-द्वार तक पहुँच जाते हैं।
5. रोगिणी की योनि से अंडे की सफेदी की तरह का गाढ़ा श्वेत प्रदर निकलता है। श्वेत प्रदर के दौरान रोगिणी को ऐसा अनुभव होता है, मानो गर्म पानी की धार बह रही है।
6. रोगी/रोगिणी का ऊपर से नीचे की ओर गति से डरना, घबराना है। वह झूला नहीं झूल सकता। इस कारण वह ऊपर से नीचे की ओर गति करने से बचने की कोशिश करता है।
7. स्त्रियों को माहवारी समय से पहले तथा अधिक मात्रा में आती है। माहवारी के दौरान पेट में मरोड़ जैसा दर्द होता है। रोगिणी का जी मिचलाता है। पेट दर्द जो धीरे-धीरे पेट से कमर तक फैल जाता है। माहवारी के दौरान योनि का मुंह फूला हुआ सा महसूस होता है। साथ ही योनि में कुछ गड़ने/चुभने जैसा दर्द भी होता रहता है।
8. माहवारी के दौरान योनि से श्लैष्मिक-झिल्ली के कुछ टुकड़े-थक्के से निकलते रहते हैं। क्योंकि यह श्लैष्मिक-झिल्ली रुधिर के प्रवाह को रोकती है। इसलिये इस झिल्ली को बाहर धकेलने के लिये स्त्री के भीतरी अंगों से प्रसव-पीड़ा के समान दर्द उठता रहता है। उसे ऐसा अनुभव होता है कि भग में से जरायु बाहर निकल पड़ेगी। माहवारी के दौरान जब तक झिल्ली के ये टुकड़े बाहर नहीं निकल जाते, तब-तक अन्दर से प्रसव-पीड़ा के समान दर्द उठता रहता है।
9. इसी झिल्ली के कारण अनेक स्त्रियों को बांझपन की समस्या भी हो सकता है।
10. विचित्र-लक्षण रोगी/रोगिणी को किसी भी रोग में घबराहट 11 बजे दोपहर तक रहती है, उसके बाद घबराहट समाप्त हो जाती है।
11. दूसरा विचित्र-लक्षण कि रोगी अपने मुँह पर मकड़ी का जाला-सा लिपटा हुआ अनुभव करता है, और बार-बार उसे हटाने के लिये चेहरे पर हाथ फेरा करता है, लेकिन चेहरे पर होता कुछ भी नहीं है।
12. तीसरा विचित्र-लक्षण रोगी जब कुछ देर तक मानसिक-कार्य करता है, जैसे-लिखना, पढ़ना आदि तो उसका जी मिचलाने लगता है।
13. चौथा विचित्र-लक्षण स्त्री के स्तनों में दूध अधिक होने के कारण दूध अपने आप स्तनों से निकलने लगता है। साथ ही बच्चे को स्तनपान कराते समय, दूसरे स्तन में दर्द होता है।
14. हाथ की अंगुलियों के जोड़ों के पिछले भाग में खुजली होती रहती है तथा त्वचा अधिक मैली सी दिखती है। जिसके पसीने से बदबू आती रहती है।
15. रोगी/रोगिणी को अधिक गर्मी लगना, विशेषकर सिर में अधिक गर्मी लगने के कारण रात को ठीक से नींद नहीं आना। नींद में डरावने या काम वासना वाले सपने आना। सोते-सोते अचानक चिल्लाकर उठ जाना तथा डर लगना।
16. नीचे की ओर गति करने, शोरगुल, धूम्रपान करने तथा गर्मी के मौसम या गर्म कमरे में रहने से रोगी/रोगिणी के सभी प्रकार के रोगों का बढना या रोगी का मिजाज बिगड़ जाना।
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डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश'
Dr. Purushottam Meena 'Nirankush'
आॅल लाईन स्वास्थ्य रक्षक सखा।
परामर्श समय: सुबह 10 से सायं 10 बजे के बीच।
दाम्पत्य विवाद सलाहकार
Marital Dispute Consultant
हेल्थ वाट्सएप: 8561955619
मोबाईन नम्बर: 9875066111
15 नवम्बर, 2017
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