इसीलिये यहाँ अदरख के चिकित्सीय गुणों की जानकारी दी जा रही है:-
वैज्ञानिक नाम: वनस्पति शास्त्र की भाषा में इसे जिंजिबर अफिसिनेल (Zingiber Offisinel) नाम दिया गया है। अदरख को-
अंग्रेजी में जिंजर (Ginger),
संस्कृत में आद्रक,
मराठी में आदा के नाम से जाना जाता है।
गीले स्वरूप में इसे अदरख तथा सूखने पर इसे सौंठ (शुष्ठी) (Dry Ginger) कहते हैं।
अदरख का कोई बीज नहीं होता, इसके कंद के ही छोटे-छोटे टुकड़े जमीन में गाड़ दिए जाते हैं। यह एक पौधे की जड़ है।
सेवन का समय: अदरख , हल्दी आदि औषधियों के सेवन हेतु ठंड का समय स्वास्थ्य के लिए उत्तम होता है। कमज़ोर जीवन शक्ति वाले लोग जुकाम, गले और फेफड़े से सम्बंधित रोगों का शिकार हो जाते हैं। ऐसे में अदरख एक बेहतर दवा सिद्ध होती है।
- अदरख स्वाद को टेस्ट को बेहतर बनाने के साथ-साथ पाचन क्रिया को भी दुरुस्त रखता है।
- अदरख के टुकड़ों पर सेंधा (काला) नमक और नींबू डाल कर खाने से जीभ और गला साफ होता है और भोजन के प्रति अरूचि मिटती है।
- प्रतिदिन यदि भोजन से पहले अदरक का रस पीया जाए तो यह भोजन को पचा देता है और गले और जीभ के कैंसर से भी बचाता है।
- अदरक की चाय जुकाम, खांसी, कफ, सिरदर्द, कमर दर्द, पसली और छाती की पीड़ा दूर करती है ।
- अदरख में जीवाणुओं के मारने के ठोस और कफ अवरोधी गुण पाए गए हैं।
- अदरख बड़ी आँत में पाए जाने वाली बैक्टीरिया का बढ़ना रोक देता है, जिसके कारण गैस से राहत मिलती है।
- अदरख में किसी भी चीज को संरक्षित करने के गुण प्राकृतिक रूप से पाए जाते हैं।
- कच्चे अदरख के अलावा इसके सूखे हुए रूप ‘सोंठ’ को भी उपयोग में लिया जाता है। इसे शहद में मिला कर लेना श्रेष्ठतम है।
- स्वास्थ्य की दृष्टि से अदरख और सोंठ दोनों ही लाभदायक होते हैं, लेकिन सुखाने पर अदरख में मौजूद कई तैलीय तत्व नष्ट हो जाते हैं।
- जुकाम व सांस की समस्याओं में अदरख का प्रयोग: तीन ग्राम अदरख , पचास ग्राम काली मिर्च, छह ग्राम मिश्री को कूटकर एक कप पानी में ओटा लें व चौथाई कप रहने पर चाय की तरह गरम पीएं। ज्वर, वायरल फीवर, डेंगू व ऋतु परिवर्तन पर होने वाले बुखार, गले में खराश में अदरक का रस दो चम्मच और एक चम्मच शहद, सौंठ, काली मिर्च पीसकर मिलाएं और हल्का गरम कर चटाएं। शरीर दर्द, कफ, खांसी व इन्फ्लुएंजा में शीघ्र लाभ होगा।
- पेट के रोग: अदरख छीलकर छोटे-छोटे टुकड़ों में काटें। कुछ छुआरे के टुकड़े, किशमिश, धनिया, जीरा, इलायची, सेंधा नमक, पुदीना और काली मिर्च को थोड़े पानी मिलाकर पीस लें। हल्की आंच पर पकाएं, बाद में नीबू का रस डालें। इसे भोजन के साथ या वैसे ही चाटें, यह भूख को जागृत करेगा।
- अपच: बदहजमी, पेट का दर्द, ऐंठन, दस्त, पेट फूलना और अन्य पेट और आंत्र समस्याओं में अदरख का टुकड़ा मुंह में रखकर धीरे-धीरे चूसें |
- कैंसर प्रतिरोधी: इसमें एंटी-ओक्सिडेंट (Antioxidant-प्रतिउपचायक) गुण भी होते है, इसके सेवन से कैंसर बचाव में सहायक एंजायम सक्रिय हो जाते है। इस गुण के कारण कैंसर से भी बचा जा सकता है। अदरख के पाउडर का सेवन करने से महिलाओं के गर्भाशय के डिम्बग्रंथि (ओवेरियन) के कैंसर की कोशिकाओं में कैंसर कोशिका नष्ट हो जाती है।
- सौंदर्य वर्धक: अदरख त्वचा को आकर्षक व चमकदार बनाने में मदद करता है। सुबह ख़ाली पेट एक गिलास गुनगुने पानी के साथ अदरख का एक टुकड़ा खाएं। इससे न केवल आपकी त्वचा में निखार आएगा बल्कि बुढ़ापा भी जल्दी नहीं आएगा।
- खांसी: सर्दियों में अदरख को गुड़ में मिलाकर खाने से सर्दी कम लगती है तथा शरीर में गर्मी पैदा होती है। सर्दी लगकर होने वाली खांसी का कफ वाली खांसी की यह अचूक दवा है।
- उल्टी (वमन): अदरख और प्याज का रस समान मात्रा में पीने से उल्टी (वमन) होना बंद हो जाता है।
- हिचकी: अदरख के छोटे-छोटे टुकड़े मुंह में रखकर चूसने से हिचकियां आनी बंद हो जाती हैं।
- दर्द निवारण: ताजे अदरख को पीसकर दर्द वाले जोड़ों व पेशियों पर इसका लेप करके ऊपर से पट्टी बाँध दें। इससे उस जोड़ की सूजन व दर्द तथा माँसपेशियों का दर्द भी कम हो जाता है।
- जोड़ों का दर्द: 100 मिली अदरख का तेल व रस और 20 मिली तिल के तेल को स्टील के भगोने में मंदी आंच पर पकाएं। पानी के पूरे जल जाने पर तेल शेष रह जाएगा। इसे ठंडा होने दें और बोतल में भरकर रख लें। जोड़ो के दर्द में मालिश करते समय इसमें 10 ग्राम हींग और दस ग्राम नमक भी मिलाएं, दर्द में शीघ्र ही फ़ायदा होगा।
- बवासीर: सोंठ का चूर्ण छाछ में मिलाकर पीने से अर्श (बवासीर) मस्से में लाभ होता है।
- कफ निष्कासन: यदि खांसी के साथ कफ की भी शिकायत है तो रात को सोते समय दूध में अदरख डालकर उबालकर पिएं। यह प्रक्रिया क़रीब 15 दिनों तक अपनाएं। इससे सीने में जमा कफ आसानी से बाहर निकल आएगा।
- अदरख की चाय: पांच ग्राम अदरख कूटकर पाव भर पानी में पकाएं। आधा पाव पानी रहने पर चाय की पत्ती, दूध और चीनी मिलाकर पीएं। यह कफ, खांसी, जुकाम, सिरदर्द, कमर दर्द, मांसपेशियों में दर्द, गठिया, सिर दर्द, माइग्रेन पसली और छाती की पीड़ा दूर करती है और पसीना लाकर रोम छिद्रों को खोलती है।
- दिल की बीमारी: अदरख का रस और पानी बराबर मात्रा में पीने से हृदय रोग में लाभ होता है।
- कंठ व जीभ की शुध्दि: भोजन से पूर्व अदरख की कतरन में नमक डालकर खाने से खुलकर भूख लगती है, रुचि पैदा होती है, कफ व वायु के रोग नहीं होते एवं कंठ व जीभ की शुध्दि होती है।
- दांत व दाढ़ के दर्द: सर्दी के कारण होने वाले दांत व दाढ़ के दर्द में अदरख के टुकड़े दबाकर रस चूसने से लाभ होता है।
- मुंह की दुर्गंध: एक गिलास गरम पानी में एक चम्मच अदरख का रस मिलाकर कुल्ले करने से मुंह से दुर्गंध आनी बंद हो जाती है।
- सिरदर्द: सर्दी के कारण सिरदर्द हो तो सोंठ को घी या पानी में घिसकर सिर पर लेप करने से आराम मिलता है।
- माईग्रेन: जिन लोगों को आधीसीसी (माईग्रेन) का दर्द हो वह एक नीबू का रस और आधा चम्मच अदरख का रस ले आराम मिलेगा।
- पेट दर्द: एक ग्राम पिसी हुई सोंठ, थोड़ी सी हींग और सेंधा नमक की फंकी गरम पानी के साथ लेने से फ़ायदा होता है।
- पतले दस्त: आधा कप उबलते हुए गरम पानी में एक चम्मच अदरख का रस मिलाकर एक-एक घंटे के अंतराल पर पीने से पानी की तरह हो रहे पतले दस्त पूरी तरह बंद हो जाते हैं।
- वात: प्रतिदिन बनाई जाने वाली सब्जियों में अदरख का उपयोग अच्छा होता है। इससे शरीर के होने वाले वात रोगों से मुक्ति मिलती है।
- अदरख का शर्बत: एक पाव मिश्री को आधा किलो पानी में डालकर चाशनी बना लें। फिर पाव भर अदरख के रस में पकाएं। एक तार की चाशनी रह जाने पर उसमें दो ग्राम असली केसर डालकर बोतल में भर लें। इसे छोटे बच्चों को भी पिलाया जा सकता है। सुबह सेवन करने पर यह भूख जागृत करता है और सर्दी-जुकाम, खांसी और श्वास के रोगियों के लिए फ़ायदेमंद है। बच्चों में अपच, दस्त आदि में लाभदायक है।
- एक दिन में पांच से दस ग्राम, सोंठ का चूर्ण एक से तीन ग्राम, रस पांच से दस से मिलीलीटर रस और शर्बत दस से तीस मिलीलीटर तक ही सेवन करना चाहिए।
- जिन व्यक्तियों को ग्रीष्म ऋतु में गर्म प्रकृति का भोजन न पचता हो उन्हें कुष्ठ, रक्तपित्त, पीलिया, ज्वर, घाव, शरीर से रक्तस्राव की स्थिति, मूत्रकृच्छ, जलन जैसी बीमारियों में इसका सेवन नहीं करना चाहिए।
- खून की उल्टी होने पर अदरख का सेवन नहीं करना चाहिए और यदि आवश्यकता हो तो कम से कम मात्रा में प्रयोग करना चाहिए।
0 जानकारी अच्छी लगे तो कृपया एक कमेंट अवश्य करें।:
Post a Comment