ये कुछ रोगों की फुटकर दवाएं हैं. ये नुस्खे पूर्णिमा वर्मन जी की पत्रिका अभिव्यक्ति में भी प्रकाशित हैं ,पाठक बन्धु इनसे लाभ उठा सकते हैं कहीं पर कोई शंका हो तो फोन पर भी पूछ सकते हैं
-----------------------------------------------------------------------------------------------
[दाम्पत्य सुख को समझने और भोगने के इच्छुक हर एक स्त्री और पुरुष को पढने योग्य अति महत्वपूर्ण और उपयोगी जानकारी प्रदान करने वाला एक पढने योग्य आलेख!-"अतृप्त दाम्पत्य कारण एवं निवारण!" ]
-----------------------------------------------------------------------------------------------
1-स्तनों की वृद्धि के लिए और उनको सुडौल आकार प्रदान करने लिए आप घर में ही ये दवा बना सकते हैं.
इनका कोई साइड इफेक्ट भी नहीं होगा .न ही स्किन प्राब्लम
अश्वगंधा 5 ग्राम
गजपीपल 5 ग्राम
बच 5 ग्राम
तीनो पीसकर पावडर बना लीजिये। इस पावडर को घी में मिक्स करके दोनों ब्रेस्ट पर लेप दीजिये। कम से कम 4 घंटे के लिए
ये काम 35 दिनों तक कीजिये
2-आप चाहें तो अपनी किडनी को चुस्त दुरुस्त रख सकते हैं, क्योंकि ये किडनी ही है जो बीमार तो खुद होती है और डैमेज और अंगों को करती है. और नहीं तो ये बड़े चुपके से खराब होती है .बाक़ी बीमारियाँ और अंग तो बाकायदा एनाउंस करके अपने बीमार या खराब होने की घोषणा करते हैं पर किडनी बहुत धोखेबाज है .तो बेहतर है की हम हर महीने इसकी खोज खबर ले लें.
इसके लिए आपको बहुत छोटा सा काम करना है-अमलतास के गूदे को अंजीर के रस में पका कर हलुआ बना लीजिये और सुबह शाम इसे चाट कर खा लीजिये। 50 ग्राम अमलतास का गूदा काफी रहेगा.हर माह में 4-5 दिन ये काम कर लिया करें ताकि कभी किडनी आपको धोखा न देने पाए
3-नई धनिया आ गयी है, अब आप लोग मसाले पिसवा कर साल भर के प्रयोग के लिए संग्रह करेंगे, बस थोडा ध्यान दें तो ये मसाला दवा के रूप में बदल सकता है-आयुर्वेद के अनुसार इस मसाले में खुरासानी अजवाईन , भांग के बीज , दालचीनी , लौंग , तेजपात, जायफल, जावित्री, अश्वगंधा, मंगरैल, सेंधा नमक, काली मिर्च ,सोंठ, इलायची, अजवाईन,जीरा,कालाजीरा, सौंफ ,मेथी, कालातिल, सरसों, पडी हुई हो तो आप पथरी, सांस की बीमारी ,घुटनों के दर्द और मौसमी बुखारों से बचे रह सकते हैं.
4- अमलतास बहुत उपयोगी और जाना पहचाना पौधा है ,जिसे लोग अक्सर अपने घरों में लगाते हैं. इसके कुछ उपयोग मैं आपको बताती हूँ जिन्हें आप घरों में छोटी छोटी बीमारियों के लिए अपना सकते हैं-
1- अगर पेट में गैस बन गयी हो या गैस के कारण आपका शरीर फूल गया हो तो अमलतास के ताजे पत्तों का रस निकाल कर रोज ४-५ चम्मच पी लीजिये.
पेट की गैस तो तुरंत ख़त्म हो जायेगी और अनावश्यक फूल गये शरीर को ये सही कर देगा.
2- अगर नाक और मुंह से बलगम के साथ खून के कतरे भी गिर रहे हो तो अमलतास की फलियों का गूदा शहद मिला कर दे दीजिये .
3-छोटे बच्चों को अपच के कारण पेट दर्द कर रहा हो तो अमलतास की फलियों के गूदे को गर्म पानी में मिला कर पेट पर लेप कर दीजिये.
4-अमलतास के ताजे पत्तों का रस निकाल कर शरीर पर लेप कर देंगे तो स्किन डीजीज से निजात हासिल हो जायेगी.
5- अमलतास के पत्तों की सब्जी बनाकर खा लेंगे तो कमर का अनावश्यक फैलाव भी ख़त्म हो जाएगा और कमर स्लिम हो जायेगी.
5-अगर यूरिक एसिड बढ़ा हो तो-
हरड का पावडर -100 ग्राम,
बड़ी हरड का पावडर -
100 ग्राम,
आवंला का पावडर -
100 ग्राम,
जीरा का पावडर -
100 ग्राम,
गिलोय का पावडर -
200 ग्राम
इन सभी को आपस में मिला दीजिये। प्रतिदिन 5 ग्राम सुबह और 5 ग्राम शाम को पानी से निगल लीजिये। यूरिक एसिड नार्मल होते देर नहीं लगेगी.
लेकिन सावधान आपको लाल मिर्च का पावडर और किसी भी अन्य खटाई ,अचार का सेवन बिल्कुल नहीं करना है.
6-ल्यूकोरिया नामक रोग पुरुषों और स्त्रियों दोनों को बहुत परेशान करता है| कमजोरी, चिडचिडापन, लगातार अजीब सी दुर्गन्ध की फीलिंग आदि चीजें मनुष्य के चेहरे की चमक उड़ा ले जाती हैं. इससे बचने का एक आसान सा उपाय-
एक- एक पका केला सुबह और शाम को पुरे एक चम्मच देशी घी के साथ खा जाइए
11-12 दिनों में आराम दिखाई देगा. इस प्रयोग को 21 दिनों तक जारी रखना चाहिए.
7-आपको श्वास से सम्बंधित कोई बीमारी है तो दो चुटकी बच की जड़ का पावडर शहद में मिला कर चाटें.
यह नुस्खा बच्चे से लेकर बूढ़े लोगों के लिए भी बहुत कारगर सिद्ध होता है.
8-सतौना के पेड़ की छाल बड़े काम की चीज है. ये वह पौधा है जिसे आप बड़ी आसानी से पहचान सकते हैं .एक ही वृंत पर सात पत्ते लगे रहते हैं ,इसका पेड़ आठ फिट ऊंचाई का भी मिलता है. जुकाम या बुखार में इसकी छाल उबाल कर पी लीजिये लगभग आधा कप कहीं कोई घाव न भर रहा हो तो इसकी छाल को दूध में महीन पीस कर उस घाव में लेप कर दीजिये बहुत जल्दी वह घाव भर जाएगा . बेड सोर में भी ये नुस्खा काम देता है.
9-अगर किडनी में पथरी हो गयी है तो गुल्खारो के बीज का पावडर रोजाना चार ग्राम पानी से निगल लीजिये.
10- चौलाई का साग तो आप जानते ही होंगे. अगर शरीर में दाद ,खाज ,खुजली जैसे चर्मरोग सिर उठा रहे हैं तो चौलाई के पत्तों को महीन पीस कर सारे शरीर में लेप कर दीजीये और सो जाएँ , सुबह सादे पानी से नहा लीजिये. 5 दिन ये काम कर लीजिये.
11-अगर आपको अपने स्तनों को बढ़ाना है तो चौलाई के साग को अरहर की डाल के साथ पकाकर खाइए 15 दिनों तक. -- स्त्रोत :
मेरा समस्त, THURSDAY 19 MAY 2011
---------------
मृत्वत्सा दोष
(HABITUAL DEATH OF EMBRY OR NEONATAL DEATH)
परिचयः बार-बार गर्भश्राव या गर्भपात होना अथवा जन्म के बाद ही कुछ ही दिनों में नवजात शिशु की मृत्यु हो जाये तो जन्म देने वाली माता को दोष दिया जाता है। स्त्रियों के गर्भ का यह दोष मृत्वत्सा दोष कहलाता है।
चिकित्सा:
पितौजिया (जियापोता): पितौजिया (जियापोता) की गुठली की माला पहननी चाहिए। इसके पहनने से संतान जीवित रहती है, इसलिए इसको जिया पोता के नाम से भी जाना जाता है।
चिरचिटा (अपामार्ग): चिरचिटा (अपामार्ग) की जड़ के साथ लक्ष्मण की जड़ ग्रहण कर एक रंग वाली गाय (जिस गाय के बछड़े न मरते हो) के दूध में पीसकर खाने से पुत्र की आयु बढ़ती है।
नींबू: नींबू के पुराने पेड़ की जड़ को पीसकर घी में मिलाकर खाने से भी संतान जीवित जन्म लेती है।
भांगरे: ऋतु स्नान (माहवारी समाप्ति) के बाद 7 दिनों तक भांगरे का रस 10 से 20 ग्राम सुबह-शाम खाने से लाभ मिलता है।
स्त्रोत :
जे के हेल्थ वर्ल्ड
देहाती नुस्खा: छ: महीने में ये लाइलाज बीमारी हो जाएगी जड़ से साफ
सफेद दाग एक ऐसी समस्या जिसे अधिकतर लोग लाइलाज ही मानते हैं। लेकिन कुछ देहाती नुस्खे ऐसे है जिनसे समस्या कैसी भी हो या कितनी भी लाइलाज क्यों न हो उपचार संभव है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं सफेद दाग के कुछ आजमाएं हुए देहाती नुस्खे जिनसे आपको निश्चित ही लाभ होगा।
1-आधा किलो चोपचीनी एक लीटर दूध में रात को भिगो दें। सुबह तक यदि चोपचीनी सब दूध को सोख ले तो थोड़ा और दूध डालकर आग पर पकाएं। जब चोपचीनी हाथ से छूने पर टूट जाए तो उतार कर के शीशी में भर लें। यह क्रम बनाएं रखें व रोज सुबह यह चूर्ण कर के शीशी भर लें। साथ ही रोज सुबह यह चूर्ण पांच ग्राम चाय वाले चम्मच से एक चम्मच मात्रा थोड़े शहद में मिलाकर खाली पेट चाट कर सेवन करें। चोपचीनी पंसारी की दुकार पर मिल जाती है। यह हल्के गुलाबी सफेद तथा कुछ ब्राउन रंग की वजनी और ठोस लकड़ी होती है। हल्की पोली याने खोखली लकड़ी उपयोगी नहीं होती। इसी के साथ एक प्रयोग और करना होगा। वर्षाकाल जोड़ीदार का एक पंवार, पमाड़ या चौकड़ी आदि नामों से पुकार जाता है। इसके पत्तों को उबाल कर रोटी में भरकर कचौड़ी या परांठे की तरह बनाकर या बेसन में मिलाकर भजिए बनाकर सेवन किया जा सकता है। इन पत्तों का किसी भी विधि से अधिक से अधिक मात्रा में सेवन किया जाना चाहिए। एक माह के अंदर ही त्वचा का रंग बदलने लगता है। छ: माह बाद यह रोग जड़ से गायब हो जाता है।
2-बाउची के बीज 50 ग्राम सांप की केंचुल को गौमूत्र के साथ मिट्टी के घड़े में डालकर सात दिन तक रखें। आठवें दिन सिल पर डालकर महीन पीसें और पीसते हुए गौमूत्र छिड़कते जाएं। इसे गाढ़ा रखें। पीसकर छोटी-छोटी टिक्की बनाकर छाया में सुखा लें। इस टिक्की को ताजे गौमूत्र में घिसकर दिन में दो बार सफेद दागों पर लेप कर दें। थोड़े दिन में दाग मिटने लगेंगे। गौमूत्र गाय की बछिया का मिल सके तो अति उत्तम अन्यथा गाय का ही मूत्र प्रयोग में लाना चाहिए। दवा के सेवन काल में तेल, गुड़ व खटाई का सेवन बंद कर दें। Source : दैनिक भास्कर, धर्मडेस्क. उज्जैन | Last Updated 10:31 AM [IST](15/12/2011)
आयुर्वेदिक नुस्खे शंखनाद।
0 जानकारी अच्छी लगे तो कृपया एक कमेंट अवश्य करें।:
Post a Comment