(Neem Health Benefits in Hindi)
May 15, 2016 Piyush Rathor
http://www.gyanpanti.com/kadve-neem-ke-hazaro-fayde-hindi-neem-health-benefits/
कडवे नीम के लाभ
नीम के पत्ते भारत से बाहर 34 देशों को निर्यात किए जाते हैं। इसके पत्तों में मौजूद बैक्टीरिया से लड़ने वाले गुण मुंहासे, छाले, खाज-खुजली, एक्जिमा वगैरह को दूर करने में मदद करते हैं। इसका अर्क मधुमेह, कैंसर, हृदयरोग, हर्पीस, एलर्जी, अल्सर, हिपेटाइटिस (पीलिया) वगैरह के इलाज में भी मदद करता है
इस पृथ्वी पर जीवन सूर्य की शक्ति से ही चलता है…..सूर्य की ऊर्जा से जन्मे तमाम जीवों में नीम ने ही उस ऊर्जा को सबसे ज्यादा ग्रहण किया है। इसीलिए इसे रोग-निवारक समझा जाता है – किसी भी बीमारी के लिए नीम रामबाण दवा है। नीम के एक पत्ते में 150 से ज्यादा रासयानिक रूप या प्रबंध होते हैं। इस धरती पर मिलने वाले पत्तों में सबसे जटिल नीम का पत्ता ही है। नीम की केमिस्ट्री सूर्य से उसके लगाव का ही नतीजा है।
नीम के वृक्ष की ठंण्डी छाया गर्मी से राहत देती है तो पत्ते फल-फूल, छाल का उपयोग घरेलू रोगों में किया जाता है, नीम के औषधीय गुणों को घरेलू नुस्खों में उपयोग कर स्वस्थ व निरोगी बना जा सकता है। इसका स्वाद तो कड़वा होता है, लेकिन इसके फ़ायदे तो अनेक और बहुत प्रभावशाली हैं और उनमें से कुछ निम्नलिखित हैं :-
1. चर्म रोग : नीम के तेल से मालिश करने से विभिन्न प्रकार के चर्म रोग ठीक हो जाते हैं।
2. मच्छर भगाये : नीम के तेल का दिया जलाने से मच्छर भाग जाते है और डेंगू , मलेरिया जैसे रोगों से बचाव होता है
3. मुंह की दुर्गंध रोधक : नीम की दातुन करने से दांत व मसूढे मज़बूत होते है और दांतों में कीडा नहीं लगता है, तथा मुंह से दुर्गंध आना बंद हो जाता है।
4. मंजन : इसमें दोगुना पिसा सेंधा नमक मिलाकर मंजन करने से पायरिया, दांत-दाढ़ का दर्द आदि दूर हो जाता है।
5. दाँत दर्द : नीम की कोपलों को पानी में उबालकर कुल्ले करने से दाँतों का दर्द जाता रहता है।
6. रक्त शोधन : नीम की पत्तियां चबाने से रक्त शोधन होता है और त्वचा विकार रहित और चमकदार होती है।
7. चेचक : नीम की पत्तियों को पानी में उबालकर और पानी ठंडा करके उस पानी से नहाने से चर्म विकार दूर होते हैं, और ये ख़ासतौर से चेचक के उपचार में सहायक है और उसके विषाणु को फैलने न देने में सहायक है।
8. चेचक : चेचक होने पर रोगी को नीम की पत्तियों बिछाकर उस पर लिटाएं।
9. मलेरिया : नीम की छाल के काढे में धनिया और सौंठ का चूर्ण मिलाकर पीने से मलेरिया रोग में जल्दी लाभ होता है।
10. मच्छर नष्ट : नीम मलेरिया फैलाने वाले मच्छरों को दूर रखने में अत्यन्त सहायक है। जिस वातावरण में नीम के पेड़ रहते हैं, वहाँ मलेरिया नहीं फैलता है। नीम के पत्ते जलाकर रात को धुआं करने से मच्छर नष्ट हो जाते हैं और विषम ज्वर (मलेरिया) से बचाव होता है।
11. नीम तेल : नीम के फल (छोटा सा) और उसकी पत्तियों से निकाले गये तेल से मालिश की जाये तो शरीर के लिये अच्छा रहता है।
12. बाल कम झड़ते हैं : नीम के द्वारा बनाया गया लेप वालों में लगाने से बाल स्वस्थ रहते हैं और कम झड़ते हैं।
13. बाल झड़ना : नीम और बेर के पत्तों को पानी में उबालें, ठंण्डा होने पर इससे बाल धोयें, स्नान करें कुछ दिनों तक प्रयोग करने से बाल झडने बन्द हो जायेगें व बाल काले व मज़बूत रहेंगें।
14. आंख आने की बीमारी : नीम की पत्तियों के रस को आंखों में डालने से आंख आने की बीमारी (कंजेक्टिवाइटिस) समाप्त हो जाती है।
15. पीलिया : नीम की पत्तियों के रस और शहद को 2:1 के अनुपात में पीने से पीलिया में फ़ायदा होता है, और इसको कान में डालने से कान के विकारों में भी फ़ायदा होता है।
16. पसीना और जलन : नीम के तेल की 5-10 बूंदों को सोते समय दूध में डालकर पीने से ज़्यादा पसीना आने और जलन होने सम्बन्धी विकारों में बहुत फ़ायदा होता है।
17. बवासीर : नीम के बीजों के चूर्ण को ख़ाली पेट गुनगुने पानी के साथ लेने से बवासीर में काफ़ी फ़ायदा होता है।
18. कब्ज : नीम की निम्बोली का चूर्ण बनाकर एक-दो ग्राम रात को गुनगुने पानी से लें कुछ दिनों तक नियमित प्रयोग करने से कब्ज रोग नहीं होता है एवं आंतें मज़बूत बनती है।
19. लू का प्रभाव शांत : गर्मियों में लू लग जाने पर नीम के बारीक पंचांग (फूल, फल, पत्तियां, छाल एवं जड) चूर्ण को पानी मे मिलाकर पीने से लू का प्रभाव शांत हो जाता है।
20. बिच्छू ज़हर : बिच्छू के काटने पर नीम के पत्ते मसल कर काटे गये स्थान पर लगाने से जलन नहीं होती है और ज़हर का असर कम हो जाता है।
21. फोडा-फुंसी, घाव : नीम के 25 ग्राम तेल में थोडा सा कपूर मिलाकर रखें यह तेल फोडा-फुंसी, घाव आदि में उपयोग रहता है।
22. गठिया की सूजन : गठिया की सूजन पर नीम के तेल की मालिश करें।
23. कीड़े नाशक : नीम के पत्ते कीढ़े मारते हैं, इसलिये पत्तों को अनाज, कपड़ों में रखते हैं।
24. हैजा़ : नीम की 20 पत्तियाँ पीसकर एक कप पानी में मिलाकर पिलाने से हैजा़ ठीक हो जाता है।
25. जलने का घाव : निबोरी नीम का फल होता है, इससे तेल निकला जाता है। आग से जले घाव में इसका तेल लगाने से घाव बहुत जल्दी भर जाता है।
26. पेट के रोग : नीम का फूल तथा निबोरियाँ खाने से पेट के रोग नहीं होते।
27. बुखार : नीम की जड़ को पानी में उबालकर पीने से बुखार दूर हो जाता है।
28. दाग़ तथा चर्म रोग : छाल को जलाकर उसकी राख में तुलसी के पत्तों का रस मिलाकर लगाने से दाग़ तथा अन्य चर्म रोग ठीक होते हैं।
29. मधुमेह, एड्स, कैंसर आदि नाशक : विदेशों में नीम को एक ऐसे पेड़ के रूप में पेश किया जा रहा है, जो मधुमेह से लेकर एड्स, कैंसर और न जाने किस-किस तरह की बीमारियों का इलाज कर सकता है।
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नीम का वृक्ष अनेक औषधीय गुणों की खान है। नीम, हमारे शरीर, त्वचा और बालों के लिये बहुत फायदेमंद है। नीम सर्व कीटनाशक, कीटमार नाशक और फफूंदनाशकों के रूप में प्रयोग किया जाता है।
नीम का संस्कृत नाम (Sanskrit Name of Neem): नीम को संस्कृत में अरिष्ट भी कहा जाता है, जिसका मतलब होता है, श्रेष्ठ, पूर्ण और कभी खराब न होने वाला।
नीम के फायदे (Benefits of Neem in Hindi): नीम का उपयोग कई तरीकों से किया जाता है। यह एक बेहतरीन प्राकृतिक प्रदार्थ है जो स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होता है। इसके उपयोग निम्न हैं:
बालझड़ (Baldness)- यदि किसी कारण सर झरने लगे, परन्तु अभी अवस्था बिगड़ी न हो तो नीम और बेरी के पत्तो को पानी में उबालकर बालो को धोना चाहिए। इससे झड़ना रुक जाता है, कालीमा कायम रहती है और थोड़े थोरे ही दिनों में बाल खूब लम्बे होने लगते है। इससे जुए भी मर जाती है।
नेत्र खुजली (Itching)- नीम के पत्ते छाया में सुखा ले और किसी बर्तन में डाल कर जलाये। ज्योही पत्ते जल जाये, बर्तन का मुँह ढक दे। बर्तन ठण्डा होने पर पत्ते निकाल कर सुरमे तरह पीस ले। अब इस रख में नीबू का ताजा रस डालकर छह घंटे तक खरल करे और खुश्क शीशी में रखे। रोजाना प्रातः व सायं सलाई द्धारा सुरमे के सामान उपयोग करे।
आँख का अंजन (Home Remedies for Itchy Eyes)- नीम के फूल छाँव में खुश्क कर बराबर वजन कलमी शोर मिलाकर बारीक़ पीस ले और कपरछन करे। अनजान के रूप में रात्रि को सोते समय सलाई द्धारा उपयोग करे, नेत्र-ज्योति बढ़ता है।
कान बहना (Neem in Ear Problems)- नीम का तेल गर्म कर इसमे सोलहवाँ भाग माँ डाले, जब पिघल जाये तो आच पर से उतार कर इसमें आठवाँ भाग चूर्ण फिटकरी (खील) मिलाकर सुरक्षित रखे। यदि कान बहना बन्द न होता हो तो इस दवा को आवश्य आजमाए।
कान में घाव (Neem in Ear Problems)- यदि कान में घाव हो जाये तो बड़ी कठिनाई से ठीक होता है। लिए निम्न नुस्ख अत्यंत लाभप्रद सिद्ध हुआ है - नीम का रस तीन माशे, शुद्ध मधु मशो। दोनों मिश्रित करे, तथा थोड़ा गरम कर के मधु के 2-4 बूंद टपकाये। कुछ ही दिन में घाव ठीक होकर स्वस्थ लाभ होगा।
नजला - जुखाम (Uses of Neem in Common Cold) - नीम के पत्ते एक टोला, काली मिर्च छह हसो- दोनों नीम के डंडे से कुटे और नीम के एक एक पत्ते से गोलिया बनाये। इस गोलिया को छाव में सुख कर सीसी में कर के रखना चाहिए। तीन-चार गोलिया प्रातः व सय कुनकुने पानी के साथ लेना चाहिए, नजला-जुखाम के लिए उत्तम है। नीम की निम्बैली एक तोला, लाहैरी नमक एक तोला, खिल फिटकरी एक तोला- तीनो बारीक़ से पीस कर मंजन रूप में दांत पर मलिये, दांत पीड़ा के लिए बिसेसकर लाभदायक है। दांत मोती के सामान चमक उठते है।
कै - दो तोले नीम के पत्ते आध पाव पानी में ठंडाई के समान घोट- छानकर रोगी को पिलाये। सभी प्रकार की कै रुक जाती है।
पुराने दस्त (Home Remedies of Diarrhea) - नीम के बीज की गिरी एक माशा में थोड़ी चीनी मिलकर उपयोग करने से पुराने दस्त बंद होते है। आहार केवल चावल ही रखे।
बारी का ज्वर - नीम की भीतरी नरम छाल छाव में खुश्क कर बारीक़ पीस ले और एक एक माशा पानी के साथ दिन में तीन बार उपयोग करे। तीन दिन में ही दवा जादू का काम करती है तथा बारी का ज्वर फिर नही होता। नीम के पंचांग जलाकर बत्तीस गुना पानी डालकर एक घड़े में रखे और नित्य हिलाते रहे। तीन दिन पशचात पानी निथार कर कपरछन करे और लोहे की कड़ाही में डालकर आँच पर रखे। जब सारा जल सुख जाये और नमक जैसा पदार्थ बाकि रह जाये (यह नीम का क्षर है ) तो इसे शीशी में सुरक्षित रख ले। मात्रा- आधी से एक रत्ती तक। सब प्रकार के ज्वर, विशेषकर मलेरिया की अचूक औषधि है दिन में तीन-चार बार उपयोग की जा सकती है।
ज्वर-तोड़- आधा छटांक नीम के हरे पत्ते और दो दाने काली मिर्च-दोनों आधा पाव पानी में घोटकर तथा चन कर पिने से बरी का ज्वर ठीक हो जाता है। यह एक अत्यंत भरोसे की दवा है। नीम के ताजा पत्ते एक तोला, शवेत ओहितकारी छह माशो - दोनों बारीक़ पीस कर पानी द्वारा चने के बराबर गोलियाँ बना ले। नित्य तथा बरी से चढ़ने वाले सब प्रकार के ज्वर ठीक करने में चमत्कारी है।
पुराना ज्वर - इक्कीस नीम के पत्ते और इक्कीस डेन काली मिर्च - दोनों की मलमल के कपड़े में पोटली बाँधकर आधा सेर पानी में उबले। जब पानी चौथाई भाग रह जाये तो उतार कर ठण्डा होने दे। फिर प्रातः व सांय पिलाने से निशचय ही लाभ होगा।
तपेदिक का बढ़िया इलाज (Home Remedies of TB in Hindi) - छिलका नीम दो सेर, आवले की जड़ दो सेर, पुराना गुड़ चार सेर, हरड़, आँवला बहेड़ा प्रत्येक आधा सेर, सौफ आधा सेर और सोए आधा सेर और सोए आधा सेर - समस्त सामग्री मजबूत बर्तन में बन्द कर ग्रीष्म ऋतु में पांच शरद ऋतु में बारह दिन तक किसी गर्म स्थान पर - गेहूँ या भूसे में रखे। तत्पशचात दो बोतल अर्क निकले। मात्रा - पहले दिन एक तोला, दूसरे दिन डेढ़ तोला तथा तत्पशचात दो तोला तक रोजाना गुलाब अर्क के साथ पिलाये। यह नुस्खा एक सन्यासी साधु से प्राप्त हुआ है।
गर्मी ज्वर - प्रायः ज्वरो में और विशेषकर गर्मी के ज्वर में प्यास बंद नही होती। ऐसी स्थिति में नीम की पतली टहनियाँ (पत्तो रहित) लेकर पानी में डाले और थोरे देर पसगचत यह पानी रोगी को पिलाये, तुरंत प्यास को आराम होगा, घबराहट दूर होगी और ज्वर में लाभ होगा।
पेट के कीड़े - दो तोले नीम की छाल एक सेर पानी में पकाये, चौथाई भाग पानी रहने पर मलकर छाने और प्रातः व सांय पि लिया करे। इससे पेट कीड़े जाते है और फिर नही होते। यदि पेट में कीड़े पड़ जाये तो नीम के पत्तो का रस दो-तीन दिन पिलाये, कीड़े मर कर निकल जायेगे। तत्पशचात दो-तीन दिन कलई का बुझा हुआ पानी पिलाये, दोबारा पेट में कीड़े नही पड़ेंगे।
बवासीर (Remedies of Bawasir)- नीम के बीज बीज गिरी तोला, धरेक के बीज की गिरी एक तोला, धरेक के बीज की गिरी एक तोला, रसौत एक तोला, हरड़ (गुठली रहित) तीन तोला - कूटकर कपरछन करे। छह-छह माशाप्रातः व सांय ठण्डे दूध या पानी के साथ सेवन करे, अवश्य लाभ होगा।
कब्जनाशक गोलियाँ (Home Remedies for Constipation) - पांच तोले विशुद्ध रसौत, काली मिर्च दो तोले और नीम के बीज की गिरी पांच तोले - समस्त सामग्री पीसकर नीम के पत्ते के रस में घोट ले अच्छी प्रकार बारीक़ हो जाने पर काबुली चने के बराबर गोलिया बना ले। एक गोली प्रातः ताजा जल से उपयोग करे तथा एक गोली पानी में धिसकर शौच-निवती पर मस्सो में लगाये। लगाते ही बवासीर से छुटकारा मिल जायेगा।
नीम की गिरी एक छटांक, शुद्ध रसौत एक चटक-दोंनों अच्छी प्रकार कूटकर मिलाये और जंगली बेर के बराबर गोलियाँ बना ले। एक गोली नित्य प्रातः पानी के साथ एक मास तक निरंतर उपयोग करे, बवसीर में आराम होगा।
पथरी (Remedies of Stone)- नीम के पत्ते जलाकर साधारण विधि से शर तैयार करे - दो-दो माशे ठण्ढे जल से दिन में तीन बार उपयोग करने से गुर्दे और मूत्राशय की पथरी ठीक हो जाती है।
खुजली (Uses of Neem in Hindi)- नीम की नरम कोपले, ढाई तोला नित्य ठंडाई के रूप में घोटकर पिने से खुजली दूर होती है।
बढ़िया मरहम- रक्त विकार के कारण प्रायः फोड़े-फुंसियाँ निकलती रहती है और कई बार ये इतनि बिगड़ घाव साफ करने के लिए नीम के पत्तो मरहम बनाई जाती है जो कभी असफल नही होती|
See : http://health.raftaar.in/healthcare/health-and-tips_miracles-of-neem
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नीम में इतने गुण हैं कि ये कई तरह के रोगों के इलाज में काम आता है
नीम में इतने गुण हैं कि ये कई तरह के रोगों के इलाज में काम आता है। आयुर्वेदमें इसे वैद्य भी कहा गया है। इसके औषधीय गुणों के कारण आयुर्वेदिक मेडिसिनमें पिछले चार हजार सालों से भी ज्यादा समय से इस्तेमाल हो रहा है। नीम कोसंस्कृत में अरिष्ट भी कहा जाता है, जिसका मतलब होता है, श्रेष्ठ, पूर्ण औरकभी खराब न होने वाला।
नीम का रस डायबिटीज, बैक्ट्रिया और वायरस खत्म करने के गुण पाए जाते हैं।नीम के तने, जड़, छाल और कच्चे फलों में मियादी रोगों से लड़ने का गुण भीपाया जाता है। इसकी छाल खासतौर पर मलेरिया और त्वचा संबंधी रोगों में बहुतउपयोगी होती है।
नीम की तासीर ठंडी होती है। इसीलिए गर्मी में इसकी पत्तियों का सेवन शरीर केलिए विशेष रूप से लाभदायक माना जाता है। चैत्र के महीने में रोज सुबह खालीपेट नीम के कोमल पत्ते चबाने से सालभर बीमारियां दूर रहती हैंं। चलिए आजजानते हैं नीम के ऐसे ही कुछ औषधीय गुणों के बारे में...
नीम एक आयुर्वेदिक दवाई है, जिसके कई सारे स्वास्थ्यवर्धक फायदे हैं। नीम, हमारे शरीर, त्वचा और बालों के लिये बहुत फायदेमंद है। इसका कडुआ स्वाद बहुत से लोगो को खराब लगता है इसलिये वे इसे चाह कर भी नहीं खा पाते। इसी कारण नीम का रस पीना ज्यादा आसान होता है। आइये जानते हैं इस गुणकारी नीम के रस का फायदा। नीम का जूस कैसे पिएं? 1. नीम का रस बहुत कडुआ होता है, जिसे पीना बहुत मुश्किल होता है। अगर आपको इसके फायदे चाहिये तो इसे एक ग्लास में डाल कर इसको दवा समझ कर पूरा एक साथ पी लें। इसके अलावा ये भी देखिये की नीम के रस को और किस-किसी प्रकार से पिया जा सकता है। नीम त्वचा के लिए अमृत होती है
2. नीम के रस में थोड़ा मसाला डाल दें जिससे उसमें स्वाद आ जाए। इसको पीने से पहले उसमें नमक या काली मिर्च और या फिर दोनों ही डाल दें। 3. कई लोगो को नीम की महक अच्छी नहीं लगती। इसलिये जब रस निकाल लें तब उसको फ्रिज में 15-20 मिनट के लिये रखें या फिर उसमें बर्फ के कुछ क्यूब डाल दें और फिर पिएं। लेकिन सबसे अच्छा होगा कि नीम के रस को निकाल कर तुरंत ही पी लिया जाए। इसको 30 मिनट से ज्यादा स्टोर कर के नहीं रखना चाहिये। 4. नीक का रस पीने से पहले अपनी नाक को दबा लें, इससे जूस को पीने में आसानी होगी। अगर आपको नीम जूस का पूरा फायदा उठाना है, तो इसमें चीनी बिल्कुल भी न मिलाएं। 5. नीम का रस हमेशा सुबह-सुबह पिएं। इसकी कडुआहट को कम करने के लिये इसमें नमक मिलाएं और हल्का सा पानी भी।
1. मुंहासों से मुक्ती नीम में एंटी इंफ्लेमेट्री तत्व पाए जाते हैं, नीम का अर्क पिंपल और एक्ने से मुक्ती दिलाने के लिये बहुत अच्छा माना जाता है। इसके अलावा नीम जूस शरीर की रंगत निखारने में भी असरदार है।
2. पीलिया में फायदा नीम की पत्तियों के रस और शहद को २:१ के अनुपात में पीने से पीलिया में फायदा होता है, और इसको कान में डालने से कान के विकारों में भी फायदा होता है।
3. शरीर की गंदगी साफ करे नीम जूस पीने से, शरीर की गंदगी निकल जाती है। जिससे बालों की क्वालिटी, त्वचा की कामुक्ता और डायजेशन अच्छा हो जाता है।
4. मधुमेह रोगियों के लिये भी फायदेमंद अगर आप रोजाना नीम जूस पिएंगे तो आपका ब्लड़ शुगर लेवल बिल्कुल कंट्रोल में हो जाएगा।
5. आंखों की रौशनी बढ़ाए नीम के रस की दो बूंदे आंखो में डालने से आंखो की रौशनी बढ़ती है और अगर कन्जंगक्टवाइटिस हो गया है, तो वह भी जल्द ठीक हो जाता है।
6. चिकन पॉक्स के निशान मिटाए शरीर पर चिकन पॉक्स के निशान को साफ करने के लिये, नीम के रस से मसाज करें। इसके अलावा त्वचा संबधि रोग, जैसे एक्जिमा और स्मॉल पॉक्स भी इसके रस पीने से दूर हो जाते हैं।
7. खून साफ करे नीम एक रक्त-शोधक औषधि है, यह बुरे कैलेस्ट्रोल को कम या नष्ट करता है। नीम का महीने में 10 दिन तक सेवन करते रहने से हार्ट अटैक की बीमारी दूर हो सकती है।
8. पायरिया में लाभदायक मसूड़ों से खून आने और पायरिया होने पर नीम के तने की भीतरी छाल या पत्तों को पानी में औंटकर कुल्ला करने से लाभ होता है। इससे मसूड़े और दाँत मजबूत होते हैं। नीम के फूलों का काढ़ा बनाकर पीने से भी इसमें लाभ होता है। नीम का दातुन नित्य करने से दांतों के अन्दर पाये जाने वाले कीटाणु नष्ट होते हैं। दाँत चमकीला एवं मसूड़े मजबूत व निरोग होते हैं। इससे चित्त प्रसन्न रहता है।
9. मलेरिया रोग में फायदेमंद नीम के रस का फायदा मलेरिया रोग में किया जाता है। नीम वाइरस के विकास को रोकता है और लीवर की कार्यक्षमता को मजबूत करता है।
10. प्रेगनेंसी में प्रेगनेंसी के दौरान नीम का रस योनि के दर्द को कम करता है। कई प्रेगनेंट औरते लेबर पेन से मुक्ती पाने के लिये नीम के रस से मसाज करती हैं। प्रसूता को बच्चा जनने के दिन से ही नीम के पत्तों का रस कुछ दिन तक नियमित पिलाने से गर्भाशय संकोचन एवं रक्त की सफाई होती है, गर्भाशय और उसके आस-पास के अंगों का सूजन उतर जाता है, भूख लगती है, दस्त साफ होता है, ज्वर नहीं आता, यदि आता भी है तो उसका वेग अधिक नहीं होता।
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