लहसुन- GARLIC, ALLIUM SATIVUM, SHALLOT
परिचय : लहसुन का प्रयोग भारत में बहुत पहले से चला आ रहा है। इसके पत्ते प्याज की तरह चपटे, सीधे, लंबे और नोकदार होते हैं। प्राचीन काल से ही इसे अमृत के समान माना गया है। लहसुन की दो किस्में होती हैं। लाल और सफेद। दोनों ही के गुण लगभग एक होते हैं। इसके अलावा एक कली वाला भी लहसुन होता है। जिसे एकपुती लहसुन कहते हैं। एक पुती वाले लहसुन को अंग्रेजी में शैलोट कहते हैं। इस लहसुन में भी सारे गुण होते हैं तथा इस लहसुन का उपयोग भी दाल, साग और चटनी में किया जाता है। लहसुन का तेल लकवे और वात रोगों में उपयोगी होता है।
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लहसुन में पाए जाने वाले तत्त्व:
तत्त्व | मात्रा |
प्रोटीन | 6.3 प्रतिशत |
वसा | 0.1 प्रतिशत |
कार्बोहाइड्रेट | 29.0 प्रतिशत |
पानी | 62.8 प्रतिशत |
विटामिन-सी | 13 मिग्रा./100 ग्राम |
लौह | 1.3 मिग्रा./100 ग्राम |
फास्फोरस | 0.31 प्रतिशत |
कैल्शियम | 0.03 प्रतिशत |
विभिन्न भाषाओं में लहसुन के नाम:
संस्कृत | लशुन, रसोन। |
हिन्दी | लहसुन। |
अग्रेजी | गारलिक, शैलोट। |
बंगाली | लशुन। |
मराठी | लसूण। |
गुजराती | लसणा। |
फारसी | सीर। |
लैटिन | एलियम सैटाइवम। |
स्त्रोत :
जेके हेल्थ वर्ल्ड
दिल के लिए वरदान लहसुन
19-07-2011
आमतौर पर लहसुन को सिर्फ खाने का स्वाद बढ़ाने के लिए ही उपयोग में लिया जाता था और ऐसा माना भी जाता था कि यह सिर्फ खाने में स्वाद बढ़ाने वाली वस्तु हैं. लेकिन लहसुन में स्वाद बढ़ाने के अलावा भी कई ऐसी खूबियां होती हैं जो लहसुन को बेजोड़ और बहुत कीमती बनाती हैं.
लहसुन का उपयोग हृदय रोगों में अब वरदान सिद्ध हो रहा है। लहसुन को अंग्रेजी में गारलिक और लेटिन में ऎलियम सेटाइवम के नाम से जाना जाता है। आयुर्वेद ग्रंथों में लहसुन का काफी उल्लेख किया गया है। चरक और सुश्रुत जैसे आयुर्वेदाचार्य ने भी इसे उपयोगी बताया था। आजकल जापान में मैन ऑफ मिरकेल नाम से प्रसिद्ध एक व्यक्ति की धूम मची हुई है, वह रोगी को लहसुन के रस से भरे जार में गर्दन तक डुबो देता है, चाहे किसी भी प्रकार का रोग उसे क्यों न हो, पर रोगी इस विधि से ठीक भी हो जाता है।
हुए कई प्रयोग
ह्वदय रोग विशेषज्ञों और वैज्ञानिकों ने जानवरों तथा मनुष्य के हृदय पर प्रयोग कर पाया कि लहसुन न सिर्फ हृदय की धमनियों को संकरा होने से बचाता है, वरन रोगग्रस्त धमनियों में जमा कोलेस्ट्रॉल को निकाल कर पुन: स्वस्थ अवस्था में ला देता है। कोलेस्ट्रॉल हटाने का काम लहसुन में उपस्थित गंधक के यौगिकों से होता है। इन यौगिकों में डाइएलडी सल्फाइड, एलाइल, प्रोपाइल, सल्फाइड और पॉली सल्फाइड मुख्य हैं।
कहा जाता है लहसुन का सेवन नियमित रूप से किया जाए, तो असमय बुढ़ापे के शिकार होने से बचा जा सकता है। यहां बुढ़ापे का अर्थ आयु की अधिकता से नहीं लगाना चाहिए वरन बुढ़ापे का अर्थ है शरीर की धमनियों को सिकुड़कर रोग ग्रस्त हो जाना है। लहसुन प्राचीनकाल से ही औषधि के रूप में विख्यात रहा है। चरक का तो यहां तक कहना था, "यदि लहसुन में गंध न होती, तो सोने से भी अधिक मूल्यवान होता।"
कैंसर रोधी भी: लहसुन और प्याज सफेद और रंगहीन वनस्पति हैं, जिसमें क्लोरोफिल का अभाव होता है। लहसुन में ऎलिसिन नामक पदार्थ होता है जो कैंसर रोधी होता है। अत: लहसुन खाने से शरीर में कैंसर की रसोलिया नहीं बनती है। अत: लहसुन कैंसर रोकने का भोज्य ही नहीं, वरन चिकित्सा विद्या भी अग्रणी है।
प्रश्न उठता है लहसुन का सेवन किस तरह किया जाए? वैसे लहसुन का प्रयोग कच्चा ही किया जाए, तो बेहतर है, पर सब्जी और अन्य खाद्य पदार्थो में मिलाकर इसका सेवन किया जा सकता है।
लहसुन का अधिक उपयोग करने से शरीर में गर्मी उत्पन्न होती है। अत: यह नितांत आवश्यक हो जाता है कि इसके साथ ठंडी खुराक ली जाए, जिसमें दूध, मक्खन, दही, छाछ आदि प्रमुख है।
लहसुन का तीक्ष्ण स्वाद होने से मुंह में नहीं चबाना चाहिए, सिलबट्टे पर पीसकर चटनी के रूप में दही आदि में मिलाकर उपयोग करना सुगम होगा। फास्ट लाइफ जीने वालों के लिए आजकल कई दवा कंपनियों ने लहसुन के कैप्सूल भी बनाए हैं। स्त्रोत : २४ duniadotcom
गुणों का भंडार है लहसुन
10 October 2011
लहसुन दैनिक प्रयोग में आने वाला एक मसाला है। यह अपनी औषधीय क्षमता के लिए विख्यात है। आयुर्वेद ने तो इसकी महिमा मुक्त कंठ से गाई है-
‘लंशति छिंनति रोगान लशुनम।’
अर्थात् जो रोगों का नाश करें, वह लहसुन है।
लहसुन का बोटेनिकल नाम ‘एलियम सैटाइवा गार्लिक (Eliim Sativa Garlic)’ है। कहीं-कहीं बोलचाल की भाषा में लोग इसे रोगन भी कहते हैं।
लहसुन देखने में कुछ-कुछ प्याज से मिलता जुलता है। इसके पौधे की ऊंचाई 30-60 सेमी. तक होती है। पत्तियां चपटी व पतली होती है। इसे मसलने पर एक उग्र तीखी गंध आती है। इसका कंद श्वेत या हल्का गुलाबी रहता है। आवरण को हटाने पर 12-15 छोटे-छोटे मटर आकार के कन्द निकलते हैं। इन्हें भी कुचलने या खाने पर तीखी गंध आती है।
सूखे एवं स्वच्छ स्थानों पर लहसुन को छ: माह तक सुरक्षित रखा जा सकता है। इसका बाह्य और आंतरिक दोनों प्रयोग होता है। आइए इनके उपयोग के बारे में कुछ हम भी जानें।
- - लहसुन के तेल लगाने से कड़ी से कड़ी गांठ भी गल जाती है। वात रोग व लकवे में तो इसका प्रयोग रामबाण के समान लाभदायक है। इस बीमारी में लहसुन के तेल की मालिश से जहां मांसपेशियों को पुनर्जीवित होने का मौका मिलता है, वहीं इसके एक-दो जौ के प्रतिदिन प्रात: सेवन से शरीर में आंतरिक गर्मी पैदा होती है।
- - लहसुन पीसकर पुल्टिस बांधने से दमा, गठिया, सायटिका तथा अनेक प्रकार के चर्मरोग दूर हो जाते हैं। इसकी पुल्टिस जहां चोट लगे या सूजे भाग की सृजन व दर्द भगाती है, वहीं उसमें कुष्ठ रोग तक को दूर कर देने की क्षमता होती है।
- - आयुर्वेदाचार्यों के अनुसार पेशाब रूकने पर पेट के निचले भाग में लहसुन की पुल्टिस बांधने से मूत्राशय की निष्क्रियता दूर होती है। फलत: पेशाब खुलकर आता है।
- - ‘मेडिसिनल प्लान्ट्स आफ इण्डिया’ के अनुसार लहसुन में ‘एलीन’ नामक जैव-सक्रिय पदार्थ पाया जाता है, जो प्रचण्ड जीवाणुनाशक होता है। इसकी जीवाणुनाशक क्षमता कार्बोलिक एसिड से भी दुगुनी होती है।
- - लहसुन के लेप से जहां फोड़े-फुंसी शीघ्र पककर ठीक हो जाते हैं, वहां दाद-खुजली भी मिटती है।
- - प्रतिदिन प्रात: एक या दो जौ लहसुन खाने वाले को कभी भी कब्जियत नहीं होती।
- - जाड़े के मौसम में तो लहसुन का प्रयोग अंत: और बाह्य दोनों (खाने तथा तेल में पका कर मालिश करने) दृष्टि से अतीव उपयोगी है।
- लहसुन में अनेक औषधीय गुण भरे पड़े हैं किन्तु इसका अत्यधिक प्रयोग फिर भी वर्जित हैं। अधिक प्रयोग से आंत्रशोध तथा अन्य बीमारियां हो सकती है। तामसी प्रवृत्ति के होने के कारण साधनादि करने वालों के लिए भी इसका प्रयोग वर्जित है।
मोटापे से पाना है छुटकारा तो खाएं लहसुन और शतावरी
भाषा | लंदन, 23 अगस्त 2010 आपको अगर छरहरी काया से लगाव है या आप अपने मधुमेह के स्तर को काबू में रखना चाहते हों तो आपको अपने खान पान में शतावरी, वज्रांगी और लहसुन को शामिल करना होगा.
एक अध्ययन में पता चला है कि शतावरी, वज्रांगी (आर्टीचोक) और लहसुन के प्रयोग से मोटापे और मधुमेह को नियंत्रित किया जा सकता है. ‘द डेली टेलीग्राफ’ के अनुसार शोधकर्ताओं ने पाया है कि लहसुन, शतावरी और वज्रांगी में प्रचुर मात्रा में काबरेहाइड्रेट पाया जाता है, जिसका सेवन करने से भूख लगने की प्रवृत्ति कम हो जाती है और साथ ही इसके प्रयोग से मानव शरीर में मधुमेह के स्तर को नियंत्रित करने में सहायता मिलती है.
शोधकर्ताओं के अनुसार लहसुन, शतावरी और वज्रांगी आंत के हार्मोन के स्राव में क्रियाशील होते हैं जो भूख लगने की प्रवृत्ति को कम करता है. ये हार्मोन, इंसुलिन के प्रति संवेदनशीलता को बढ़ाते हैं. इंसुलिन संबंधी हारमोन का निर्माण पाचकग्रंथि द्वारा होता है, जो कि शरीर की कोशिकाओं में ग्लूकोज के प्रवेश को होने देता है. इस प्रक्रिया से ग्लूकोज को नियंत्रित करने में मदद मिलती है. स्त्रोत : आज तक
सेक्स पावर बढ़ानी है तो लहसुन, काले चने, सफेद मुसली खाओ
सेक्स पावर बढ़ानी है तो अपना वजन कम करें और अपने खाने पीने मे उन चीज़ों का सेवन अधिक करें जो सेक्स शक्ति बढ़ाने मे मदद करे.
तनाव से होने वाले हार्मोनल परिवर्तन और पौष्टिक आहार की कमी ही सिर्फ सेक्स लाइफ को प्रभावित नहीं करते बल्कि कई बार मानसिक कमजोरी भी इसे प्रभावित करता है। बीमारी में तो आप डॉक्टर से संपर्क करते हैं, लेकिन इस तरह की समस्याओं में डॉक्टर के पास जाने से घबराते हैं। ऐसे में घरेलू उपाय को अपनाकर सेक्स लाइफ को बुस्टअप कर सकते हैं।
- . लहसुन की 2-3 कलियां और प्याज का प्रतिदिन सेवन से यौन-शाक्ति बढ़ती है।
- . काले-चने से बने खाद्य-पदार्थ का हफ्ते मे 2-3 बार प्रयोग करना लाभकारी है।
- . यूनानी चिकित्सा के अनुसार 15 ग्राम सफेद मूसली को एक कप दूध मे उबालकर दिन मे दो बार पीने से ज्यादा शक्तिशाली महसूस करेंगे।
- . कच्चा गाजर या इसका जूस भी यौन शक्ति को बढ़ाने में मददगार है।
- . हफ्ते में दो बार भिंडी और सहजन खाने से काफी फायदा होता है।
- . 15 ग्राम सहजन के फूलो को 250 मिली दूध मे उबालकर सूप बनाए। इसे यौन-टौनिक के रूप मे इस्तेमाल करें।
- . आधा चम्मच अदरक का रस, एक चम्मच शहद तथा एक उबले हुए अंडे का आधा हिस्सा, सभी को मिलकार मिश्रण बनाए प्रतिदिन रात को सोने से पहले एक महीने तक सेवन करें।
- . बादाम, पिस्ता खजूर तथा श्रीफल के बीजो को बराबर मात्रा मे लेकर मिश्रण बनाए। प्रतिदिन 100 ग्राम सेवन करें।
- . 30 ग्राम किशमिश को गुनगुने पानी मे धोए, 200 मिली दूध मे उबाले तथा दिन मे तीन बार सेवन लें।
- . ताजा फलों के रस भी तन और मन को ताजा करता है। स्त्रोत : दुनिया लाइव डोट कॉम
शहद और लहसुन का शर्तिया नुस्खा: हो जाएंगे सफेद बाल भी काले
आयुर्वेद में कहा गया है कि लहसुन के नियमित इस्तेमाल से आप बढ़ती उम्र में भी युवापन का एहसास कर सकते हैं। लहसुन आंत के कीड़ों को निकाल देता है। घावों को शीघ्र भरता है। लेकिन इन तमाम रोगों में कच्चा लहसुन ही विशेष फायदेमंद होता है। न कि व्यवसायिक रूप में लहसुन से बनाई गई दवाई।
शायद वनस्पति जात की यह इकलौती वनस्पति है, जिसमें सभी विटामिन और खनिज है। इसीलिए लहसुन बालों के लिए भी फायदेमंद है। केवल लहसुन का सेवन ही नहीं बल्कि इसके तेल से भी बालों से जुड़ी सारी समस्याओं से निजात पाई जा सकती है।
बाल झडऩा: 50 ग्राम सरसों का तेल, एक लहसुन की सब कलियां छीलकर डाल दें। मंदाग्रि में पकाएं। कलिया जल जाएं तो उतारकर, छानकर बोतल में भर दें। रोज रात को सोने से पहले मालिश करें।
बालों का पकना- उपरोक्त बनाए हुए तेल की मालिश आधा घंटा करना चाहिए।
बाल काले करना-5 कलियों को 50 मि.ग्राम जल में पीस लें फिर 10 ग्राम शहद मिलाकर सुबह सेवन करें।
लहसुन-प्याज का अचूक नुस्खा: दिल और कोलेस्ट्रोल हमेशा रहेंगे कंट्रोल में
वर्तमान समय में गलत खान-पान और टेन्शन भरी जिन्दगी के कारण, हर उम्र के लोगों में दिल की बीमारी और कोलेस्ट्रोल रोगी बढ़ते जा रहे हैं। कोलेस्ट्रोल जब सामान्य स्तर से अधिक हो जाता है तो वह रक्त वाहिनियों में जम जाता है। जिसके कारण हृदय रोग होने की संभावना भी बढ़ जाती है। अगर आपके साथ भी बढ़े हुए कोलेस्ट्रोल या दिल की बीमारी की समस्या है तो नीचे लिखे उपाय बहुत लाभदायक सिद्ध होंगे।
- प्याज कोलेस्ट्रोल के रोगियों के लिए बहुत अच्छा माना जाता है। रोज सुबह 5 मि. लि. प्याज का रस खाली पेट सेवन करना चाहिये। इससे खून में बढे हुए कोलेस्ट्रोल को नियंत्रित करने भी मदद मिलती है।
- दिल के रोगियों के लिए लहसुन बहुत फायदेमंद है। लहसुन में खून को पतला रखने का गुण होता है । इसके नियमित उपयोग से खून की नलियों में कोलेस्टरोल नहीं जमता है। लहसुन की 4 कली चाकू से बारीक काटें, इसे 75 ग्राम दूध में उबालें। मामूली गरम हालत में पी जाएं। भोजन पदार्थों में भी लहसुन प्रचुरता से इस्तेमाल करें।
- एक गिलास मामूली गरम जल में एक नींबू निचोडें, इसमें दो चम्मच शहद भी मिलाएं और पी जाएं। यह प्रयोग सुबह के वक्त करना चाहिये। यह प्रयोग कोलेस्ट्रोल व दिल के रोगियों के लिए बहुत लाभदायक है।
आपके दिल की रक्षा करेगा लहसुन
17 Nov 2011, 1843 hrs IST,भाषा
लंदन।। लहसुन को अभी तक ब्लडप्रेशर की समस्या से निबटने के लिए जाना जाता था, लेकिन अब एक रिसर्च में यह बात सामने आई है कि यह दिल की हिफाजत भी करती है।
अमेरिका के एमोरी यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन के रिसर्चर्स ने ऐसा तत्व खोजा है जो दिल की कोशिकाओं को खराब होने से बचा कर दिल की रक्षा करता है। डेली मेल की खबर के मुताबिक रिसर्चर्स ने लहसुन में एक ऐसा तत्व खोज निकाला है जो दिल की कोशिकाओं को खराब होने से बचा सकता है।
इसके लिए उस तत्व को इंजेक्शन से लेने की जरूरत नहीं है। यह सिर्फ लहसुन खाने से ही शरीर को मिल जाता है। स्त्रोत : नवभारत टाइम्स
कई बीमारियों में रामबाण है लहसुन
आइए जानते है इस लहसुन में छुपे हुए अनमोल गुण
-लहसुन का सेवन करने वालों को टीबी रोग नहीं होता. लहसुन एक शानदार कीटाणुनाशक है, यह एंटीबायोटिक दवाइयों का अच्छा विकल्प है. लहसुन से टीबी के कीटाणु नष्ट हो जाते हैं.
प्रयोग-1 बेजोड़ एंटीबायोटिक
सबसे पहले लहसुन के छिलके उतार दीजिए उसके बाद एक कली के तीन-चार टुकड़े कर लें. सुबह-शाम भोजन के आधा घंटे बाद काटे हुए दो टुकड़ों को मुंह में रखें और धीरे-धीरे चबाएं. जब अच्छी तरह से उस लहसुन का रस बन जाए तब थोड़ा स पानी पीकर सारी चबाई हुई लहसुन को निगल जाएं. अगर आप लहसुन का तीखापन सहन नहीं कर सकते तो एक-एक मनुक्का में दो-दो टुकड़े रखकर चबाएं.
प्रयोग-2 हर दर्द का रामबाण उपाय: लहसुन की चार कलियां छील ले और उन्हें तीस ग्राम सरसों के तेल में डाल दें. उसमें आधा चम्मच अजवाइन के दाने डालकर धीमी-धीमी आंच पर पकने दे. जब लहसुन और अजवाइन काली हो जाए तब तेल उतारकर ठंडा कर छान लें. अब इस गुनगुने गर्म तेल से मालिश करे. ऐसा करने से हर प्रकार का बदन दर्द दूर हो जाता है.
विशेष- अस्थमा का अचूक उपाय: लहसुन को दमा के इलाज में बहुत कारगर माना जाता है. इसके लिए 30 मिली दूध में लहसुन की पांच कलियां डालकर उबालें और इस मिश्रण का हर रोज सेवन करे. इससे दमे की शुरुआती अवस्था में काफी फायदा मिलता है. इसके अलावा अदरक की गरम चाय में लहसुन की दो कलियां मिलाकर पीने से भी अस्थमा पर नियंत्रण पा सकते है. स्त्रोत : ९९९ राजस्थान डोट कॉम
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