सोयाबीन घटाता है शुक्राणुओं की संख्या!
एक ताज़ा शोध से पता चला है कि रोज़ाना सोयाबीन से बनी चीज़ें खाने से शुक्राणुओं की संख्या घट कर आधी रह जाती है.
'ह्यूमन रिप्रोडक्शन' नाम के जर्नल में छपे इस शोध के अनुसार उन लोगों के वीर्य सैंपल में करीब चार करोड़ शुक्राणु कम पाए गए, जिन लोगों ने रोज़ाना या एक दिन छोड़कर सोया से बने उत्पाद खाए थे.
इस जर्नल में लिखा गया है कि सोया से बनी चीज़ों कुछ खास चीज़ों जैसे टोफ़ू, सोया मिन्स, या सोया दूध में पाया जाने वाला 'ओइस्ट्रोजेन' हार्मोनों में गड़बड़ी भी पैदा कर सकता है.
हालांकि, ब्रिटेन के वैज्ञानिकों की राय इससे कुछ अलग है. इन लोगों का कहना है कि एशिया में ज़्यादातर पुरुष सोया से बनी चीज़ें खाते हैं और उनमें 'फ़र्टिलिटी' यानी उर्वरापन की कोई कमी नहीं पाई गई.
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सोया उत्पाद के बारे में एशियाई लोगों को देखते हुए वैज्ञानिकों की राय इससे जुदा है |
सोया को लेकर जानवरों पर किए गए शोध में पता चला कि इनमें मौजूद सोया रसायनों की वजह से उर्वरापन या बच्चे पैदा करने की क्षमता में कमी पाई गई.
लेकिन, कुछ दूसरे शोध में पाया गया कि जब पुरुषों ने सोया से बनी चीज़ों का इस्तेमाल किया तो नतीजे जानवरों के मुकाबले बिल्कुल उलट थे.
विरोधाभास है शोध में
हार्वर्ड स्कूल के शोधकर्ताओं ने 99 पुरुषों के वीर्य सैंपल और उनके रोज़ाना के खान-पान का ब्यौरा लेकर शोध किया.
सोया से बनी चीज़ों के खाने की मात्रा के आधार पर इन लोगों को चार अलग-अलग समूहों में बांटा गया.
वैज्ञानिकों ने सबसे ज़्यादा और सबसे कम सोया खाने वाले पुरुषों के शुक्राणुओं की संख्या में भारी अंतर पाया.
सामान्य तौर पर एक पुरुष के वीर्य के एक मिलीमीटर सैंपल में शुक्राणुओं की संख्या 8 करोड़ से लेकर 12 करोड़ हुआ करती है.
हर दूसरे दिन सोया खाने वाले पुरुषों के वीर्य सैंपल में करीब 4 करोड़ शुक्राणु कम पाए गए.
रसायन डालता है प्रभाव
शोध करने वाली टीम के प्रमुख डॉक्टर जॉर्ज चवार्रो के अनुसार सोया में पाया जाने वाला रसायन 'इसोफ्लावोन्स' इन पुरुषों की शुक्राणु संख्याओं में कमी की वजह हो सकता है.
ये रसायन हार्मोन 'ओइट्रोजेन' पर भी यही प्रभाव डाल सकता है.
डॉक्टर चवार्रो के ने शोध में पाया कि अधिक वज़न वाले पुरुषों में इस प्रभाव का असर ज़्यादा होने की संभावना होती है, क्योंकि अधिक वज़न और थुलथुले पुरुषों में 'ओइट्रोजेन' की मात्रा अधिक हो जाती है.
इस शोध में ये भी बताया गया है कि एशिया के अधिकतर हिस्सों में सोया बड़ी तादाद में खाया जाता है और इन इलाकों में रहने वाले पुरुषों के वीर्य में शुक्राणुओं की संख्या इन 99 लोगों से अधिक पाई गई.
शेफ़ील्ड विश्वविद्यालय के 'एंड्रोलॉजी' विभाग के वरिष्ठ व्याख्याता डॉक्टर एलन पेसी का कहना है कि अगर सोया उत्पाद ने शुक्राणुओं की संख्या में कमी आती है, कम से कम एशिया के कुछ इलाकों को देखकर तो ये नहीं कहा जा सकता.
डॉक्टर पेसी के अनुसार, "हमें एक वयस्क के खानपान पर ध्यान देना होगा, क्योंकि, दुनिया के एक बड़े हिस्से में सोया उत्पाद से बनी चीज़ें रोज़ाना की ज़रूरत की चीज़ है. इससे उनके उर्वरापन (फ़र्टिलिटी) पर कोई फ़र्क नहीं पड़ा. जबकि, पश्चिमी इलाक़ों में सोया खाने से बहुत ज़्यादा प्रभाव नहीं डाला है."

दुनिया के एक बड़े हिस्से में सोया उत्पाद से बनी चीज़ें रोज़ाना की ज़रूरत की चीज़ है. इससे उनके उर्वरापन(फ़र्टिलिटी) पर कोई फ़र्क नहीं पड़ा

-डॉक्टर एलन पेसी
From : BBC Hindi
कुछ नही होता.....
ReplyDeletePuri jankari to dete. Ki paschmi.logo ko sawya khani chahiye ki nhi.
ReplyDeletePuri jankari to dete. Ki paschmi.logo ko sawya khani chahiye ki nhi.
ReplyDeleteBkwas
ReplyDeleteBkwas
ReplyDeleteसोयाबीन और बड़ी में प्रोटीन की उच्चमात्रा होती है । विदेशी कंपनी को डर है की उनके उत्पाद (वही जो जो दूध में मिला कर पिया जाते है ) उनका सैल कम न हो जाए । तो वे एसी अफवाहें फैलाते रहते है! भारतीय डोक्टर्स को चाहिए की वे ईनका साथ न दें ।
ReplyDeleteBhai ye baat Sach hai soyabean me female Harmon's hote hai Jo ki male ke liye nukshan Karta hai
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