सौंदर्य के लिए आयुर्वेद :
स्वस्थ और चमक त्वचा आपकेसमग्र स्वास्थ्य को दर्शाती है और आपकी बाहर की दौड़-भाग के विरुद्ध सुरक्षाकरती है। त्वचा आपके अंदरूनी स्वास्थ्य की स्थिति के बारे में बहुत कुछ बता सकती है। आयुर्वेद आपकी त्वचा की स्थिति के इलाज के लिए प्रभावीहोते है जैसे कि सोरियासिस,एक्जिमा और अर्टासेरिया। त्वचा की समस्याओं के उपचारके लिए आयुर्वेद जड़ी बूटी, आयुर्वेदिक आपूर्ति,योग, आहार और जीवन शैली में परिवतर्न को निर्धारित करता है।
जड़ी बूटी: नीम, चंदन, मजींस्थता, कुछ आम जड़ी बूटी है। जो कई सारी त्वचा की स्थितियों और स्वस्थ त्वचा कोबनाए रखने के लिएउपयोगी होते हैं।
आयुर्वेदिक सप्लीमेंट: नीम,सेंडलवुड,सुकारता,रक्तासोधक बटी,महामजींस्थता दयारिष्टी,आमतौर पर इस्तेमाल की गई हर्बल की आपूर्ति करता है।जो त्वचा के विकारों के उपचारऔर स्वस्थ त्वचा को बनाए रखने के लिए उपयोगी होते हैं।
आयुर्वेद में औषधीयतैयारी: त्वचा की समस्याओं के लिए नियमित रूप से उपयोग के लिएआयुर्वेदिकतैयारी पंचटिक गुगलु गृहत,हरिद्राखंड,त्रिफला चूर्ण या पाउडर, आंवला पाउडर(एंबलीक माइरोबैलेंस) हैं।
आहार:स्वस्थ त्वचा कोबनाए रखने के लिए आहार बदलाव के लिए पानी का खूब सेवन करें,कड़वा पदार्थ नियमितरूप से लें,प्रोटीन और वसा की मात्रा की अधिकता,खाना पचाने में कठिनाईं,और भोजन के प्रकार जो आपकी त्वचा में जलन पैदा करते हैं,से बचें।
जीवन शैली में बदलाव: स्वस्थ त्वचा को बनाए रखने के लिए जीवन शैली में परिवर्तन में अपने शरीरको अच्छे से साफ करे, नियमित व्यायाम करे,अतिरिक्त सूर्य की किरणों से बचें,रासायनिक आधारितक्रीम से बचें।अपने कमरे को प्रदूषण मुक्त रखना,ये सब जीवन शैली में शामिल होते है।
सावधानीः आयुर्वेदिक उपचार के साथस्व उपचारप्रभावी हो सकते है,लेकिन किसी भी लंबे समय के लिए या त्वचा की समस्याओं की आवर्ती के लिए एक उपयुक्त उपचार के लिए,एक पेशेवर आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श करें। ताकि आपकी त्वचा की समस्या को निर्धारित कर सके।
स्त्रोत : ओनली मई हेल्थ, सम्पादकीय विभाग, ओन्ली माई हैल्थ सम्पादकीय विभाग : ०१.०२. २०११
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