अवसाद या लंबे समय तक बना रहने वाला तनाव मस्तिष्क को सिकोड़ देता है। अमेरिका के येल युनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने शोध अध्ययन में पाया है कि भावनात्मक परिवर्तनों से शरीर पर स्थाई एवं अस्थाई परिवर्तन होते हैं। मस्तिष्क का आकार भी इसी कारण घटता है। हारमोन्स का यह प्रवाह शरीर को तरोताजा रखता है। नींद भरपूर आती है और जीवन के प्रति रुचि जाग्रत होती है। व्याकुलता, अवसाद और अनिद्रा किसी भी इंसान को ध्वस्त करने की हद तक पहुँचा देने वाले मानसिक रोगों की अवस्थाएँ हैं। इनमें यदि वातावरणजन्य रोग और शामिल हो जाएँ तो जिंदगी ही व्यर्थ लगने लगती है। हमारी सोच पर वातावरण का भी प्रभाव पड़ता है।
यदि आपको अपने ऑफिस बिल्डिंग की कलर स्कीम अच्छी नहीं लग रही है तो आप बेहद थकान महसूस करेंगे, आपके शरीर में फ्लू जैसे क्षण उभरने लगेंगे। मस्तिष्क पर धुंधलका छा जाएगा। आमतौर पर वातावरणजन्य रोगों में व्याकुलता, अवसाद और अनिद्रा प्रमुखता से उभरते हैं। अवसादग्रस्त होना एक स्वाभाविक प्रक्रिया है। यह जीवनसाथी के विछोह से लेकर प्रिय कुत्ते के मर जाने तक किसी भी कारण से हो सकता है। यह अवस्था कुछ समय तक ही रहती है बाद में आप सामान्य हो जाते हैं। - -अवसाद से निपटने का सबसे सरल और कारगर तरीका यह है कि एक गिलास उबलते पानी में गुलाब के फूल की पत्तियाँ मिलाएं। ठंडा करें और शक्कर मिलाकर पी जाएं।
- -एक चुटकी जायफल का पावडर ताजे आंवले के रस में मिलाकर दिन में तीन बार पी लें।
- -ग्रीन टी भी अवसाद दूर भगाने में मदद करती है। दिन कम से कम तीन कप ग्रीन टी पिएं। अवसाद से छुटकारा पाने का एक और उपाय यह है कि एक कप दूध के साथ एक सेबफल और शहद का सेवन करें।
- -गुनगुने पानी के टब में लगभग आधे घंटे के लिए शरीर को ढीला छोड़ दें। यदि ग्रामीण क्षेत्रों में रहते हों तो नदी अथवा तालाब के पानी में तैरें। इससे अवसाद कम होगा।
- -सामान्य चाय के प्याले में एक-चौथाई चम्मच तुलसी की पत्तियां मिलाएं और दिन में दो कप लें।
- -एक कप उबलते पानी में दो हरी इलायची के दाने पीसकर मिला दें। शक्कर मिलाकर पी लें।
- -सूखे मेवे, पनीर, सेबफल का सिरका एक गिलास पानी के साथ लें।
- -कद्दू के बीज, गाजर का रस, सेबफल का रस, 5-6 सूखी खुबानी को राई के दानों के साथ मिलाकर पीस लें और इसे पी लें(सेहत, नई दुनिया,सितम्बर प्रथमांक 2012)।

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