TUESDAY, APRIL 14, 2009
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चमत्कारिक औषधि जो कई खतरनाक बीमारियों को खत्म कर सकती है। मकोय एक प्राकृतिक औषधि है, जिसे कामोनी भी कहा जाता है। यह अलग.अलग राज्यों में अलग-अलग नामों से जानी जाती है। जैसे काकमाची, मको, गुड़ कामाई, कचमच, पीलूड़ी, चरगोटी और गजचेट्टू आदि। इसका फल सफेद रंग का होता है और पकने के बाद यह काला हो जाता है। मकोय फल बाग-बगीचों, नदी नालो के किनारे आदि जगहों पर अपने आप उगता है। बहुत ही कम लोग जानते होगें आखिर यह फल हमें क्या फायदे दे सकता है। मकोय का फल एक चमत्कारिक औषधि है, जो कई खतरनाक बीमारियों को खत्म कर सकती है।
मकोय के गुण
मकोय भूख को बढ़ाने वाला होता है इसके अलावा यह फल …
लीवर की बीमारी,
चर्म रोग,
पीलिया,
गठिया,
बवासीर,
सूजन,
कोढ़,
दिल के रोग,
आंखों की बीमारी,
खांसी,
उल्टी
और
कफ
आदि रोगों को ठीक करता है।
जितनी भी भारत में स्वदेशी चिकित्सा हैं, उनमें सूजन की समस्या को दूर करने में मकोय का प्रयोग होता है। लीवर की बीमारी, चर्म रोग और दस्त में मकोय का प्रयोग होता है। आइये जानते हैं-आप कैसे मकोय का इस्तेमाल करके बच सकते हैं इन रोगों से ।
सूखी खुजली और चर्म रोग : त्वचा संबंधी रोग जैसे चर्म रोग और खुजली होने पर मकोय की पत्तियों को पीसकर इसके पेस्ट का लेप लगाने से फायदा मिलता है। साथ ही आप मकोय के डंठलों की सब्जी भी खा सकते हैं। चर्म रोग की समस्या होने पर मकोय के रस को निकालें और उसकी अपनी त्वचा में मालिश करें।
पीलिया : पीलिया में मकोय का क्वाथ रोज पीने से यह रोग ठीक हो जाता है।
मुंह में छाले : यदि मुंह में छाले हो गए हों तो आप परेशान न हों। मकोय के चार पत्ते लें और उन्हें मुंह में चबाएं। इससे जल्दी ही आपके छाले ठीक हो जाते हैं।
खूनी बवासीर : खूनी बवासीर में मकोय के पत्तों का एकदम ताजा रस कम से कम दस ग्राम की मात्रा में पीयें।
मूत्राशय और गुरदे की सूजन : रोज मकोय के पत्तों से बना रस दस मि.ली. पीने से गुरदे और मूत्राशय की सूजन ठीक होती है।
उल्टी : यदि उल्टी लगातार हो रही हो तो सुहागा को मकोय के रस में मिलाकर सेवन करें। उल्टी बंद हो जाएगी।
बुखार : बुखार होने पर आप मकोय का काड़ा बनाकर पीयें। इससे आपका बुखार जल्दी ठीक हो जाएगा।
चेचक : चेचक होने से चेहरे पर दाने निकल जाते हैं। यदि समय पर उपचार न मिलें तो यह चेहरे पर दाग छोड़ देते हैं। इसके उपचार के लिए मकोय से निकलने वाले क्वाथ को पीने से चेचक निकल जाती है।
त्वचा पर लाल चकत्ते : त्वचा पर लाल चकते दूर करने के लिए मकोय के पत्तों का रस लगाना चाहिए।
खराब दांत बिना दर्द के निकालना : खराब दांतों को बिना दर्द के बाहर निकालने के लिए किसी भी तेल या घी में मकोय के पत्तों का रस मिलाकर मूसड़ों और दांतों पर लगाने से खराब दांत बाहर निकल जाता है।
कुत्ते के काटने पर : कुत्ते के काटने के विष को खत्म करने के लिए मकोय का रस पी लेना चाहिए। इससे कुत्ते का विष उतर जाता है और घाव भी जल्दी भर जाता है।
नींद न आने की समस्या : जिन लोगों को नींद न आने की समस्या हो वे गुड़ के साथ मकोय की जड़ का रस मिलाकर रात को सोने से पहले सेवन करें।
चूहे का विष : चूहे का विष बहुत खतरनाक होता है। इस विष को खत्म करने में मकोय एक मात्र आयुवेर्दिक उपचार है। मकोय का रस निकालकर मालिश करने से चूहे का विष उतर जाता है।
यौनशक्ति और कामशक्ति : यौन-संबध बनाने के लिए जितना ध्यान मानसिक तैयारी और कामात्तेजना को देना चाहिए उतना ही ध्यान अपनी यौन-शक्ति पर भी देना आवश्यक है। यौन-शक्ति के अभाव मे एक बेहतरीन रोमांटिक माहौल में भरपूर तैयारी के साथ बनाया गया संबंध कारगर साबित नही होता है और आप यौन-सुख से वंचित रह जाते है। जिन व्यक्तियों में यौन-शक्ति का अभाव होता है वह सेक्स के दौरान थो़डी देर मे ही खुद को कमजोर महसूस करने लगते है। इस अभाव के कारण अधिकतर लोगो में शर्मिंदगी का बोध बढ़ जाता है और वह अपने साथी के साथ यौन-संबंध बनाने मे झिझकने लगते है।
शराब का सेवन ना करें व अपने जीवनसाथी के साथ समय बिताएं (Do Not Drink Alcohol, Stay Close to Life Partner) : सबसे पहले तो अगर आप शराब का सेवन करने के आदि हैं तो ये आदत आपको छोड़ देनी चाहिए. दूसरा आपको अपने जीवनसाथी के साथ भरपूर वक्त बिताना चाहिए ताकि आप दोनों और करीब आ सकें.
अश्वगंधा : अश्वगंधा का चूर्ण, चूर्ण को आधा चम्मच मात्रा में दूध (Milk) के साथ सुबह और शाम लेना चाहिए। यह मिश्रण वीर्य को ताकतवर बनाकर शीघ्रपतन की समस्या से छुटकारा दिलाता है।
कौंच का बीज : कामशक्ति बढ़ाने के लिए के लिए रोज़ाना 1 चम्मच कौंच पाक 1 गिलास दूध के साथ 2 खजूर उबाल के पिए। इसको पीने से वीर्य गाढ़ा हो जाता है और नामर्दी दूर होती है।
सफेद मूसली : सफेद मूसली, कौंच के बीज, अश्वगंधा इन सबको समान मात्रा में मिलाकर बारीक चूर्ण बना लें। इस एक चम्मच चूर्ण में मिश्री मिलाकर सुबह-शाम दूध के साथ पीना चाहिए। यह वीर्य को ताकतवर बनाता है तथा सेक्स शक्ति (Sex Power) में अधिकता लाता है। कामशक्ति बढ़ाने के लिए के लिए रोज़ाना 1 चम्मच.
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मकोय एक दिव्य औषधि जो कर देती है हृदय एवं यकृत रोगों का सफाया
मकोय का पौधा इस पृथ्वी पर यकृत के रोगों व हृदय के रोगों की सबसे अच्छी औषधि कही जा सकती है। इस मकोय की पत्तियाँ पीलिया के रोग में आयुर्वेद के अनुसार अगर काड़ा बनाकर ले ली जाऐं तो पीलिया बिल्कुल ही नष्ट हो जाता है, यकृत के रोग आपके अनियमित खानपान, शराब आदि का ज्यादा सेवन, शहरी जीवन शैली, तनाव व काम की अधिकता, निराशा आदि के कारण रोग ग्रसित होता है। वैसे इसकी कार्य क्षमता इतनी है कि इसका 10 प्रतिशत भाग भी सही रहे तो यह काम करता रहेगा। ध्यान दें कि आपके शरीर के दो ही अंग हैं-जिन पर खानपान व जीवन शैली का गंभीर प्रभाव पड़ता है। जिनमें पहला है-यकृत और दूसरा हृदय जिसे दिल भी कहते हैं। इन दोनों अंगों में रोग हो जाने पर विशेष बात यह है कि हजार रुपये से कम में तो बात बनती नही और लाखों लग जाए इसकी संभावना भी कम नही सो भइया आयुर्वेद का कहना मानो उसका नीति श्लोक है कि 'चिकित्सा से परहैज बहेतर' अर्थात रोग का इलाज है उन कारणों का विनाश करो, जिनसे रोग की उत्पत्ति हुयी है। सो अपनी जीवन चर्या ऐसी बनाओ कि रोग पास ही न फटकें। लेकिन जब रोग हो ही गया है तो चिकित्सा तो करनी ही पड़ेगी। प्रकृति ने हमें अनेकों औषधियाँ प्रदान की हैं, ऐसी ही एक दिव्य औषधि है-मकोय जिसे संस्कृत में काकमाची के नाम से जाना जाता है। English में कामन नाइट शेड बोला जाता है।
यह मिर्च के पौधे जैसा पोधा होता है जिसकी अधिकतम ऊँचाई 3 फिट के लगभग हो सकती है।इस पर फूल भी लगभग मिर्च जैसा ही आता है और मिर्च जैसी डालियाँ भी होती हैं इसके फल छोटे छोटे तथा समूह में होते है ये गोल गोल होते हैं पकने पर लाल हो जाते हैं तथा बाद में काले हो जाते हैं। इसके पुष्प मिर्च जैसे तथा छोटे छोटे सफेद रंग के होते हैं।
मकोय के गुण व प्रभाव-
- मकोय या काकमाची त्रिदोषनाशक अर्थात वात,पित्त व कफ तीनो दोषों का शमन करने वाला है।
- यह तिक्त अर्थात कड़ुवा स्वाद रखने वाली तथा इसकी प्रकृति गर्म, स्निग्ध,
- स्वर शोधक,
- रसायन,
- वीर्य जनक,
- कोढ़,
- बबासीर,
- ज्वर,
- प्रमेह,
- हिचकी,
- वमन को दूर करने वाला तथा नेत्रों को हितकर औषधि है।
- यह यकृत व हृदय के रोगो को हरने वाली औषधि है।
- यकृत की क्रिया विधि जब विगड़ जाती है तो शरीर में अनेक उपद्रव यथा सूजन, पतले दस्त व पीलिया जैसे रोगो के अलाबा कई बार बवासीर जैसे रोग होने लगते हैं। इन रोगों में मकोय का सेवन बहुत ही लाभप्रद रहता है। यह औषधि यकृत की क्रियाविधि को धीरे-धीरे सुद्रढ़ करके रोग का विनाश कर देती है। इस औषधि के प्रयोग से यकृत संवंधी रोग धीमें-धीमें समाप्त हो जाते हैं। इस औषधि के पत्तों का रस आँतों में पहुँचकर वहाँ इकठ्ठे विषों का विनाश कर देता है तथा पेशाव द्वारा शरीर से बाहर कर दिया जाता है।
- शरीर में कहीं सूजन हो या फिर यकृत व हृदय में सूजन हो तो इस औषधि के पत्तों का रस पिलाना लाभकारी है। खूनी बबासीर में या मुँह के किसी भी हिस्से से रक्त स्त्राव में मकोय के पत्तों का रस लाभप्रद है।
- हृदय रोग में इसके फल देने से रोग मिट जाता है।
- जलोदर रोग में मकोय के फल देने से रोग मिटने लगता है।
- नेत्रों के रोगों में भी इस औषधि मकोय का प्रयोग बहुत ही हितकारी है।
- मकोय का रस तिल्ली की सूजन,यकृत या जिगर की सूजन,यकृत के पुराने से पुराने रोग को मिटाने की ताकत रखता है।
- यदि शरीर में खुजली की शिकायत हो तथा वह मिट नही रही हो। तो मकोय के रस की 25 से 50 ग्राम की मात्रा लेते रहने से यह मिट जाऐगी। इससे शरीर का रक्त शुद्ध हो जाता है और रक्त से जुड़े सभी रोग मिट जाते हैं।
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