Online Dr. P.L. Meena (डॉ. पुरुषोत्तम लाल मीणा)
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(स्वास्थ्य रक्षक सक्षा एवं दाम्पत्य विवाद सलाहकार)
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गर्मी की परेशानियों से बचाव के उपाय
गर्मी की परेशानियों से बचाव के उपाय
गर्मियां इन दिनों पूरे जोरों पर हैं। घर से बाहर निकलो तो शरीर झुलसने लगता है और कब हीट स्ट्रोक के लपेटे में आ जाएं , पता ही नहीं लगता। अंदर रहकर पसीना आए तो स्किन की प्रॉब्लम शुरू हो जाती हैं। कुछ उलटा - सीधा खा लिया तो डायरिया हो सकता है। दरअसल , कई ऐसी बीमारियां हैं , जो गर्मियों या बढ़ते तापमान से सीधे जुड़ी हैं। एक्सपर्ट्स से बात करके ऐसी ही बीमारियों , उनकी रोकथाम और इलाज के बारे में बता रही हैं प्रियंका सिंह :
घमौरियां और रैशेज
1. गर्मियों में पसीना निकलने से स्किन में ज्यादा मॉइस्चर रहता है , जिसमें कीटाणु ( माइक्रोब्स ) आसानी से पनपते हैं। इस दौरान ज्यादा काम करने से स्वेट ग्लैंड्स ( पसीने की ग्रंथियां ) ब्लॉक हो जाते हैं और पसीना स्किन की अंदरूनी परत के अंदर जमा रह जाता है। यह रैशेज और घमौरियों का रूप ले लेता है।
2. घमौरियां और रैशेज होने पर स्किन लाल पड़ जाती है और उसमें खुजली व जलन होती है। रैशेज से स्किन में दरारें - सी नजर आती हैं और स्किन सख्त हो जाती है , वहीं घमौरियों में लाल - लाल दाने निकल आते हैं। बच्चों में बुखार के दौरान आमतौर पर दानेवाली घमौरियां निकलती हैं। इसके लिए किसी दवा की जरूरत नहीं होती।
क्या करें : मोटे और सिंथेटिक कपड़ों की बजाय खुले , हल्के और हवादार कपड़े पहनें। ऐसे कपड़े न पहनें , जिनमें रंग निकलता हो। ध्यान रहे कि कपड़े धोते हुए उनमें साबुन न रहने पाए। खूब पानी पीएं। हवादार और ठंडी जगह में रहें। घमौरियों वाले हिस्से की दिन में एक - दो बार बर्फ से सिकाई करें और कैलेमाइन (Calamine) लोशन लगाएं। मॉइस्चराइजर वाला कैलेमाइन लोशन (Calosoft, Efatop-C आदि ) लगाना बेहतर है। ऐंटि - बैक्टीरियल पाउडर लगाएं। खुजली ज्यादा है तो डॉक्टर की सलाह पर खुजली की दवा ले सकते हैं।
सनबर्न और टैनिंग
1. गर्मियों में अक्सर लोगों को सनबर्न ( स्किन का झुलसना ) और टैनिंग ( स्किन का रंग गहरा होना ) हो जाती है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक टैनिंग खराब चीज नहीं है इसलिए उसके लिए किसी तरह का उपाय करने की जरूरत नहीं है। लेकिन सनबर्न और पिग्मेंटेशन ( जगह - जगह धब्बे पड़ना ) होने पर स्किन में जलन और खुजली होती है। जो लोग सनबर्न होने के बाद भी धूप में घूमते रहते हैं , अगर वे पानी न पिएं तो उन्हें हीट स्ट्रोक होने का खतरा बढ़ जाता है।
क्या करें : एसपीएफ 30 तक का नॉन - ऑइली सनस्क्रीन लगाएं। ढीले , पूरी बाजू के , हल्के रंग के कॉटन के कपड़े पहनें। बाहर जाते हुए छाते का इस्तेमाल जरूर करें। सुबह 10 बजे से शाम 3 बजे तक धूप में निकलने से बचें। बाहर निकलें तो काले रंग की छतरी लेकर जाएं। खूब पानी पिएं।
1. कैलेमाइन लोशन या ऐंटि - इन्फ्लेमेट्री यानी सूजन और जलन से राहत दिलाने वाले लोशन हाइड्रोकॉर्टिसोन (Hydrocortisone) लगा सकते हैं। यह जेनरिक नेम है और मार्केट में अलग - अलग ब्रैंड नेम से मिलता है।
2. ज्यादा खुजली हो तो डॉक्टर ऐंटि - अलर्जिक गोली सिट्रिजिन (Cetirizine) खाने की सलाह देते हैं। यह भी जेनरिक नाम है। जब तक सनबर्न ठीक न हो , धूप से बचें।
3. घरेलू उपाय भी आजमा सकते हैं। आधा कप दही में आधा नीबू निचोड़ कर अच्छी तरह मिला लें। फ्रिज में रख लें और रात को सोने से पहले क्रीम की तरह लगा लें। पांच मिनट बाद इसके ऊपर से हल्का मॉइस्चराइजर भी लगा सकते हैं। राहत मिलेगी। मुल्तानी मिट्टी में गुलाब जल मिलाकर भी लगा सकते हैं।
शरीर में बदबू
1. पसीने में मॉइस्चर की वजह से गर्मियों में हमारे शरीर में बदबू आने लगती है। शरीर में मौजूद बैक्टीरिया हाइड्रोजन सल्फाइड बनाने लगते हैं , जिससे बदबू या पीलापन पैदा होता है।
क्या करें : लहसुन - प्याज आदि का इस्तेमाल कम करें। दिन में दो - तीन बार पानी में नीबू डालकर नहाएं। बॉडी पर बर्फ लगा सकते हैं , जिससे पसीना कम निकलेगा। रोजाना साफ अंडरगार्मेंट और जुराबें पहनें। डियो या परफ्यूम इस्तेमाल करें।
1. कूलिंग , ऐंटि - बैक्टीरियल पाउडर (Nysil आदि ) या ऐंटि - फंगल पाउडर यूज करें या कैलेमाइन लोशन लगाएं। ऐंटि - फंगल पाउडर मार्केट में माइकोडर्म (Mycoderm), अब्जॉर्ब (Abzorb), जिएजॉर्ब (Zeasorb) आदि ब्रैंड नेम से मिलता है।
2. दिन में दो बार फिटकरी को हल्का गीला कर बॉडी फोल्ड्स में लगा लें। इससे पसीना कम आता है , लेकिन इसे जोर से रगड़े नहीं , वरना स्किन कट जाएगी। ऐंटि - प्रॉस्पैरंट लोशन या पाउडर लगा सकते हैं। इसका जेनरिक नाम ऐल्युमिनियम हाइड्रॉक्साइड (Aluminium Hydroxide) है। इससे पसीना कम आएगा और बैक्टीरिया भी कम पनपेंगे।
नुकीले दाने
गर्मियों में आमतौर पर नुकीले या तीखे दाने निकलते हैं। वाइटहेड , ब्लैकहेड के अलावा पस वाले दाने भी हो सकते हैं। फोड़े - फुंसी और बाल तोड़ भी हो सकते हैं। बाल तोड़ शुगर के मरीजों में काफी होते हैं। असल में , जब कीटाणु स्किन के नीचे पहुंच जाते हैं और पस बनाना शुरू कर देते हैं तो यह समस्या हो जाती है। आम धारणा है कि ऐसा आम खाने से होता है , लेकिन यह सही नहीं है। यह मॉइस्चर में पनपने वाले बैक्टीरिया की वजह से होता है।
क्या करें : ऐंटि बैक्टीरियल साबुन से दिन में दो बार नहाएं। शरीर को जितना मुमकिन हो , सूखा और फ्रेश रखें। हवा में रहें।
1. सेलिसायलिक (Salicylic) बेस्ड क्लींजर या फेशवॉश इस्तेमाल करें। इससे ऑइल कम हो जाता है।
2. ऐंटि - बायॉटिक क्रीम लगाएं , जिनके जेनरिक नाम फ्यूसिडिक ऐसिड (Fusidic Acid) और म्यूपिरोसिन (Mupirocin) हैं।
3. गर्म तासीर वाली चीजें जैसे अदरक , लहसुन , अजवाइन , मेथी , चाय - कॉफी आदि कम खाएं - पिएं। इनसे ग्रंथियां सक्रिय हो जाती हैं , जिससे कीटाणु जल्दी आ जाते हैं।
4. ग्रंथियां ज्यादा काम कर रही हैं तो क्लिंडेमाइसिन (Clindamycin) लोशन लगा सकते हैं। यह मुहासों की भी रोकथाम करता है और मार्केट में कई ब्रैंड नेम से मिलता है। ऐंटि ऐक्ने साबुन ऐक्ने - एड (Acne-Aid), ऐक्नेक्स (Acnex), मेडसॉप (Medsop) आदि भी यूज कर सकते हैं। ये ब्रैंड नेम हैं।
फंगल इन्फेक्शन
रिंग वॉर्म यानी दाद - खाज की समस्या गर्मियों में बढ़ जाती है। यह शरीर के उन हिस्सों में होता है , जिनमें पसीना ज्यादा आता है। इसमें गोल - गोल टेढ़े - मेढ़े रैशेज जैसे नजर आते हैं , रिंग की तरह। ये अंदर से साफ होते जाते हैं और बाहर की तरफ फैलते जाते हैं। इनमें खुजली होती है और एक से दूसरे में फैल जाते हैं।
क्या करें : नहाने के बाद बॉडी को अच्छी तरह सुखाएं। कहीं पानी रहने से इन्फेक्शन हो सकता है। ऐंटि - फंगल क्रीम क्लोट्रिमाजोल (Clotrimazol) लगाएं। जरूरत पड़ने पर डॉक्टर की सलाह से ग्राइसोफुलविन (Griseofulvin) टैब्लेट ले सकते हैं। ये दोनों जेनरिक नेम हैं।
छपाकी
ज्यादा गरम चीजें ( नॉनवेज , नट्स , लहसुन आदि ) खाने से कई बार स्किन पर अचानक लाल - लाल चकत्ते पड़ जाते हैं। इनमें हल्की खुजली होती है। इस स्थिति को अर्टिकेरिया या हाइव्स भी कहा जाता है।
क्या करें : कैलेमाइन लोशन लगाएं। ऐंटि - अलजिर्क पाउडर या लोशन लगाएं।
ऐथलीट्स फुट
जो लोग लगातार जूते पहने रहते हैं , उनके पैरों की उंगलियों के बीच की स्किन गल जाती है। समस्या बढ़ जाए तो इन्फेक्शन नाखून तक फैल जाता है और वह मोटा और भद्दा हो जाता है।
क्या करें : जूते उतार कर रखें और पैरों को हवा लगाएं। जूते पहनना जरूरी हो तो पहले पैरों को साबुन से साफ करें। फिर फिटकरी लगा लें। पैरों पर पाउडर भी डाल सकते हैं। क्लोट्राइमाजोल क्रीम या पाउडर लगाएं।
कॉन्टैक्ट अलर्जी
आर्टिफिशल जूलरी , बेल्ट , जूते आदि के अलावा जिन कपड़ों से रंग निकलता है , उनसे कई बार अलर्जी हो जाती है , जिसे कॉन्टैक्ट अलर्जी कहा जाता है। जहां ये चीजें टच होती हैं , वहां एक लाल लाइन बन जाती है और दाने बन जाते हैं। इनमें काफी जलन होती है। अगर जूलरी आदि को लगातार पहनते रहेंगे तो बीमारी बढ़ जाएगी और उस जगह से पानी निकलना ( एक्जिमा ) शुरू हो जाएगा।
क्या करें : सबसे पहले उस चीज को हटा दें , जिससे अलर्जी है। गर्मियों में आर्टिफिशल जूलरी से बचें। उस पर हाइड्रोकोर्टिसोन लगाएं।
स्किन से जुड़ी समस्याएं
सनस्क्रीन और डिओ
1. सनस्क्रीन दो तरह के होते हैं : एक जो सूरज की किरणों को ब्लॉक करते हैं। ये तभी तक काम करते हैं , जब तक स्किन पर मौजूद रहते हैं। दूसरी तरह के सनस्क्रीन केमिकल आधारित होते हैं और स्किन में समाकर अंदर से सुरक्षा देते हैं। इन्हें बेहतर माना जाता है। हालांकि आजकल दोनों फैक्टरों को मिलाकर तैयार किए गए सनस्क्रीन मार्केट में ज्यादा मिलते हैं। सनस्क्रीन वॉटर बेस्ड लगाना चाहिए और सूरज में निकलने से कम - से - कम 10-15 मिनट पहले लगाना जरूरी है। अगर धूप में रहना है तो हर दो घंटे बाद फिर से लगाना चाहिए। यह झुर्रियां आने की रफ्तार कम करता है। घर में ही रहना है तो सनस्क्रीन लगाना जरूरी नहीं है।
2. एसपीएफ यानी सन प्रोटेक्शन फैक्टर को लेकर अक्सर लोगों को गलतफहमी होती है , मसलन ज्यादा - से - ज्यादा एसपीएफ का सनस्क्रीन लगना बेहतर है। असल में , हम भारतीयों की स्किन टाइप 3 और टाइप 4 कैटिगरी में आती है। बहुत गोरे लोगों की स्किन टाइप 1 व टाइप 2 होती है और बेहद काले ( नीग्रो आदि ) की टाइप 5 व 6 कैटिगरी में आती है। ऐसे में हम लोगों के लिए 30 एसपीएफ काफी है। सांवली स्किन वाले लोगों को भी 15-30 एसपीएफ का सनस्क्रीन यूज करना चाहिए। यह धारणा गलत है कि सांवले लोगों को सनस्क्रीन इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। बच्चों को पांच साल की उम्र के बाद ही सनस्क्रीन लगाएं।
3. डिओ लगाने से कोई नुकसान नहीं है। यह शरीर को ताजगी और खुशबू देते हैं। लेकिन डिओ को सीधे बॉडी पर लगाने की बजाय कपड़ों पर लगाना बेहतर है , ताकि उसके केमिकल शरीर में कम जाएं। जब भी पसीना आए , डिओ लगा सकते हैं। आमतौर पर डिओ अलर्जी नहीं करते लेकिन जिन्हें अलर्जी है , उन्हें डिओ नहीं लगाना चाहिए।
ध्यान दें
1. गर्मियों में अक्सर लोग बॉडी की मॉइस्चराइजिंग को लेकर लापरवाह हो जाते हैं , लेकिन गमिर्यों में भी शरीर को मॉइस्चर करना जरूरी है।
2. दिन में दो बार चेहरे और बॉडी को माइल्ड क्लींजर से साफ करें। फिर चेहरे पर अल्कोहल - फ्री टोनर लगाएं और इसके बाद 30 तक एसपीएफ वाला वॉटर बेस्ड मॉइस्चराइजर लगाएं। बॉडी पर भी अच्छी क्वॉलिटी का लोशन यूज करें।
3. जिनकी स्किन सेंसटिव हैं , वे सेलिसायलिक (Celisylic) बेस्ड फेशवॉश यूज करें।
लू लगना ( हीट स्ट्रोक )
1. गर्मी के मौसम में हवा के गर्म थपेड़ों और बढ़े हुए तापमान से शरीर में पानी और नमक की ज्यादा कमी होने पर लू लगने की आशंका होती है। धूप में घूमने वालों , बच्चों , बूढ़े और बीमारों को लू लगने का डर ज्यादा होता है।
बचाव है बेहतर
एक्सर्पट्स का मानना है कि लू के इलाज से बेहतर है बचाव। बचाव इस तरह कर सकते हैं :
1. तेज गर्म हवाओं में बाहर जाने से बचें। नंगे बदन और नंगे पैर धूप में न निकलें। धूप से बचने के लिए छाते का इस्तेमाल करें। इसके अलावा , सिर पर गीला या सादा कपड़ा रखकर चलें। चश्मा पहनकर बाहर जाएं। चेहरे को कपड़े से ढक लें।
2. घर से बाहर पूरे और ढीले कपड़े पहनकर निकलें , ताकि उनमें हवा लगती रहे। ज्यादा टाइट और गहरे रंग के कपड़े न पहनें। सूती कपड़े पहनें। सिंथेटिक , नायलॉन और पॉलिएस्टर के कपड़े न पहनें।
3. खाली पेट बाहर न जाएं और ज्यादा देर भूखे रहने से बचें। घर से पानी या कोई ठंडा शरबत पीकर निकलें , जैसे आम पना , शिकंजी , खस का शर्बत आदि। साथ में भी पानी लेकर चलें।
4. बहुत ज्यादा पसीना आया हो तो फौरन ठंडा पानी न पीएं। सादा पानी भी धीरे - धीरे करके पीएं।
5. रोजाना नहाएं और शरीर को ठंडा रखें। घर को ठंडा रखने की कोशिश करें। खस के पर्दे , कूलर आदि का इस्तेमाल करें।
क्या होता है लू लगने पर
1. लू लगने पर शरीर में गर्मी , खुश्की , सिरदर्द , कमजोरी , शरीर टूटना , बार - बार मुंह सूखना , उलटी , चक्कर , तेज बुखार , सांस लेने में तकलीफ , दस्त और कई बार निढाल या बेहोशी जैसे लक्षण नजर आते हैं। लू लगने पर पसीना नहीं आता।
2. शरीर में गर्मी , खुश्की और थकावट महसूस होती है , शरीर टूटने लगता है और शरीर का तापमान एकदम बढ़ जाता है। अक्सर बुखार बहुत ज्यादा मसलन 105 या 106 डिग्री फॉरनहाइट तक पहुंच जाता है। यह इमरजेंसी की हालत होती है , जिसमें ब्लडप्रेशर भी लो हो जाता है और लिवर - किडनी में सोडियम पोटैशियम का संतुलन बिगड़ जाता है। ऐसे में बेहोशी भी आ सकती है। इसके अलावा , लो बीपी , ब्रेन या हार्ट स्ट्रोक की स्थिति भी बन सकती है। ठीक वक्त पर इलाज न कराया जाए तो मौत भी हो सकती है।
क्या करें
1. बुखार 104 डिग्री से ज्यादा है तो रेक्टल ( गुदा से ) टेंपरेचर लें। इसके लिए अलग थर्मोमीटर आते हैं। इससे बॉडी के अंदरूनी तापमान का सही आकलन हो पाता है। लू लगने पर अक्सर बाहर के तापमान से ज्यादा होता है अंदरूनी तापमान।
2. इतने तेज बुखार में पैरासिटामोल ( क्रोसिन , कालपोल आदि ) टैब्लेट्स असरदार नहीं होतीं। सबसे पहले शरीर का तापमान कम करना जरूरी है। मरीज को बहते पानी के नीचे बिठा दें या उसके पूरे शरीर पर बर्फ के पानी की पट्टियां रखें। आसपास का माहौल ठंडा रखें। पंखा , कूलर और एसी चला दें। बॉडी की स्पॉन्जिंग करें , जब तक तापमान कम न जो जाए।
3. लगातार तरल और ठंडी चीजें दें , जैसे कि नीबू पानी , नारियल पानी , सत्तू का घोल , बेल का शर्बत , आम पना , राई का पानी आदि। शरीर में पानी की कमी न होने दें और ठंडी चीजें खिलाकर अंदरूनी तापमान को कम करें।
4. उसके हाथ - पैरों की हल्के हाथों से मालिश करें। तेल न लगाएं। गुलाब जल में रुई भिगोकर आंखों पर रखें। फिर भी आराम न आए तो फौरन मरीज को डॉक्टर के पास ले जाएं।
5. मरीज को बाहर का खाना न खिलाएं। घर में भी परांठा , पूड़ी - कचौड़ी आदि तला - भुना न खिलाएं। पतली खिचड़ी , दलिया जैसा हल्का खाना दे सकते हैं। जितना हो सके , ठंडी चीजें खिलाएं।
नोट : गर्मियों के बुखार को नजरअंदाज न करें। सामान्य बुखार के अलावा , हीट स्ट्रोक की आशंका तो होती है , साथ ही मच्छरों का सीजन होने की वजह से कई बार मलेरिया होने के भी चांस होते हैं।
पेट की बीमारियां
गर्मियों में दूषित खाने और पानी के इस्तेमाल से पेट में इन्फेक्शन हो जाता है। इसे गैस्ट्रोइंटराइटिस या समर फ्लू कहते हैं। ऐसा होने पर मरीज को बार - बार उलटी , दस्त , पेट दर्द , शरीर में दर्द या बुखार हो सकता है। अगर स्टमक में इन्फेक्शन हो तो उलटी और पेट दर्द होगा। इंटेस्टाइन ( आंत ) में इन्फेक्शन हो तो दस्त और पेट दर्द होगा। इन दोनों ही स्थिति में बुखार भी हो सकता है।
डायरिया गैस्ट्रोइंटराइटिस का ही रूप है। इसमें अक्सर उलटी और दस्त दोनों होते हैं , लेकिन ऐसा भी मुमकिन है कि उलटियां न हों , पर दस्त खूब हो रहे हों। यह स्थिति खतरनाक है। आम बोल-चाल में कहें तो एक बार दस्त का मतलब है करीब एक गिलास पानी की कमी। इस तरह डीहाइट्रेशन यानी शरीर में पानी की कमी हो सकती है।
कितनी तरह का
डायरिया आमतौर पर तीन तरह का होता है : वायरल , बैक्टीरियल और प्रोटोजोअल। पहला वायरस से होता है और ज्यादातर छोटे बच्चों में होता है। यह सबसे कम खतरनाक होता है , जबकि दूसरा बैक्टीरिया और तीसरा अमीबा से होता है। ये दोनों ज्यादा खतरनाक हैं और इनमें डॉक्टर की देखरेख के बिना इलाज नहीं करना चाहिए।
1. अगर तेज बुखार हो , पेशाब कम हो रहा हो और मल के साथ खून या पस आ रहा है तो बैक्टीरियल या प्रोटोजोअल डायरिया हो सकता है। बैक्टीरियल इन्फेक्शन में ऐंटि - बायॉटिक और प्रोटोजोअल इन्फेक्शन में ऐंटि - अमेबिक दवा दी जाती है। अगर किसी बहुत ज्यादा ऐंटि - बायोटिक खाई हैं , तो उसे साथ में प्रोबायोटिक्स भी देते हैं। वैसे , दही प्रोबायोटिक्स का बेहतरीन सोर्स है।
2. वायरल डायरिया है तो आमतौर पर डरने की बात नहीं होती। मरीज को ओआरएस का घोल या नमक और चीनी की शिकंजी लगातार देते रहें। उलटी रोकने के लिए Domperidone टैब्लेट ले सकते हैं। ये मार्केट में Domstal, Dom DT आदि नाम से मिलती हैं। लूज मोशंस के लिए Racecadotril ले सकते हैं। ये Imodium, Loperamide आदि ब्रैंड नेम से मिलती हैं। पेट में मरोड़ हैं तो Maftal Spas ले सकते हैं। एक दिन में उलटी या दस्त न रुके तो डॉक्टर के पास ले जाएं। जरूरत पड़ने पर डॉक्टर आईवी ( इंट्रा - वीनस ) फ्लुइड भी देते हैं , क्योंकि पानी की ज्यादा कमी से किडनी पर भी असर पड़ सकता है।
3. लोगों में गलत धारणा है कि डायरिया के मरीज को खाना - पानी नहीं देना चाहिए क्योंकि उलटी - दस्त के जरिए सब कुछ निकल जाता है। लेकिन यह बिल्कुल गलत है। इससे खतरा बढ़ जाता है। मरीज को लगातार पतली और हल्की चीजें देते रहें , जैसे कि नारियल पानी , नींबू पानी ( हल्का नमक और चीनी मिला ), छाछ , लस्सी , दाल का पानी , ओआरएस का घोल , पतली खिचड़ी , दलिया आदि देते रहें। मरीज को सिर्फ तली - भुनी चीजों से परहेज करना चाहिए।
बरतें ये सावधानियां
1. पानी खूब पिएं लेकिन बाहर का पानी पीने से बचें। घर का साफ और उबला पानी पिएं। हैंडपंप का पानी न पिएं।
2. बासी खाने से परहेज करें। हमेशा घर की बनी ताजा खाने की चीजें इस्तेमाल करें।
3. खाने की चीजों को अच्छी तरह धोएं और अच्छी तरह पकाएं। सलाद आदि से परहेज करें या खूब अच्छी तरह धोकर खाएं।
4. खाने से पहले और बाद में साबुन से हाथ धोएं।
5. बाहर बिकने वाले कटे फल , दही भल्ले , गोल गप्पे व चटनी , सलाद , गन्ने का रस , शेक आदि पीने से बचें।
6. फ्रूट - जूस भी बाहर का तभी पिएं , जब सफाई की गारंटी हो।
7. खाने में दही का इस्तेमाल ज्यादा से ज्यादा करें , क्योंकि यह पेट को ठंडा रखने के साथ स्किन आदि के लिए भी फायदेमंद है।
8. गोभी , आलू जैसी सब्जियों के बजाय तोरी , भिंडी , लौकी आदि मौसमी सब्जियां खाएं।
9. संतरा , अंगूर , तरबूज , ककड़ी जैसे मौसमी फल खाएं।
10. नीबू पानी , आम पना , बेल या गुड़ का शरबत काफी फायदेमंद होता है।
11. गर्मी में कच्ची प्याज खाना भी लाभदायक होता है।
नोट : बड़ों के मुकाबले बच्चों में पानी की कमी तेजी से होती है। इसका सीधा - सा गणित शरीर का वजन और ऊंचाई है। जितना बड़ा शरीर होता है , उसमें उतना ही पानी आता है यानी बड़े लोगों में आमतौर पर पांच से छह लीटर और बच्चों में दो से ढाई लीटर पानी होता है। बच्चे बड़ों से ज्यादा सक्रिय होते हैं। इस वजह से उनके पानी की खपत ज्यादा होती है।
एक्सपर्ट्स पैनल
1. डॉ . अनूप मिश्रा, डायरेक्टर , फॉटिर्स सीडॉक सेंटर फॉर इंटरनल मेडिसिन
2. डॉ . के . के अग्रवाल, सीनियर जनरल फिजिशन, मूलचंद हॉस्पिटल
3. डॉ . गोविंद श्रीवास्तव, डेप्युटी डायरेक्टर, स्किन इंस्टिट्यूट ऐंड स्कूल ऑफ डर्मोटॉलजी
4. डॉ . मोनिका जैन, सीनियर कंसल्टेंट , गैस्ट्रोएंट्रॉलजी फोर्टिस हॉस्पिटल
5. डॉ . एम . भगत, सीनियर कंसल्टेंट , गैस्ट्रोएंट्रॉलजी , श्री बालाजी ऐक्शन मेडिकल इंस्टिट्यूट
6. डॉ . इंदु तोलानी, सीनियर कंसल्टेंट , डर्मोटॉलजी, बी . एल . कपूर हॉस्पिटल (नवभारत टाइम्स,दिल्ली,3.6.12)
स्त्रोत : स्वास्थ्य ब्लॉग, Kumar Radharaman रविवार, 10 जून 2012
--->--->श्रीमती जानकी पुरुषोत्तम मीणा जिनका 08 अप्रेल, 2012 को असमय निधन हो गया!
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आमला
आमवात
आमाशय
आयुर्वेद
आयुर्वेदिक
आयुर्वेदिक उपचार
आयुर्वेदिक औषधियां
आयुर्वेदिक सीरप-Ayurvedic Syrup
आयुर्वेदिक-Ayurvedic
आरोग्य
आँव
आंव
आंवला
आंवला जूस
आंवला रस
आशावादी-Optimistic
आसन
आसान प्रसव-Easy Delivery
आहार चार्ट
आहार-Food
आॅपरेशन
आॅर्गेनिक
आॅर्गेनिक कौंच
इच्छा-शक्ति
इन्द्रायण
इन्फ्लुएंजा
इमर्जेंसी में होम्योपैथी
इमली-Tamarind Tree
इम्युनिटी
इलाज
इलाज का कुल कितना खर्चा
इलायची
उच्च रक्तचाप
उच्च रक्तचाप-High Blood Pressure-Hypertension
उत्तेजक
उत्तेजना
उदर शूल-Abdominal Haul
उदासी
उन्माद-Mania
उपवास
उम्र
उल्टी
ऊर्जा
एक्जिमा
एक्यूप्रेशर
एग्जिमा
एजिंग-Aging
एंटी ऑक्सीडेंट्स
एंटी-ओक्सिडेंट
एंटीऑक्सीडेंट
एण्टी-आॅक्सीडेंट
एनजाइना
एनीमिया
एमिनो एसिड
एरंड
एलर्जी
एलर्जी-Allergy
एलोवेरा
एलोवेरा जूस
एल्यूमीनियम
ऐंठन
ऐलोपैथ
ऐसीडिटी
ऑर्गेनिक
ओमेगा 3 के स्रोत
ओमेगा-3
ओर्गेनिक
औषध-Drug
औषधि सूची-Drug List
औषधियों के नुकसान-Loss of drugs
कचनार
कचनार-Bauhinia Purpurea
कटुपर्णी
कड़वाहट
कंडोम
कद्दू
कनेर
कपास-COTTON
कपिकच्छू
कपूरीजड़ी
कफ
कब्ज
कब्ज़
कब्ज-कोष्ठबद्धता-Constipation
कब्ज. Cucumber
कब्जी
कमजोरी
कमर
कमर दर्द
कमेड़ा
करेला
कर्ण वेदना
कर्णरोग
कष्टार्तव-Dysmenorrhea
कांच निकलना
काजू
कान
कानून सम्मत
काम
काम शक्ति
कामवाण पाउडर
कामशक्ति
कामशक्ति-Sexual power
कामेच्छा
कामोत्तेजना
कायाकल्प
कार्बोहाइड्रेट
कार्बोहाइड्रेट-Carbohydrates
काला जीरा
काला नमक
काली जीरी
काली तुलसी
काली मिर्च
काले निशान
कास-खांसी-Cough
किडनी
किडनी संक्रमण
किडनी स्टोन
कीड़े
कीमोथेरेपी
कुकरौंधा
कुकुंदर
कुटकी-Black Hellebore
कुबडापन
कुमेड़ा
कुल्थी
कुल्ला
कुष्ट
कुष्ठ
कृमि
केला
केसर
कैफीन-Caffeine
कैलोरी
कैलोरी चार्ट
कैलोरी-Calories
कैवांच
कैविटी
कैंसर
कॉफी
कॉफ़ी
कॉलेस्ट्रॉल
कोंडी घास
कोढ़
कोबरा
कोलेस्ट्रॉल
कोलेस्ट्रॉल-Cholesterol
कोलेस्ट्रोल
कौंच
कौमार्य
क्रियाशीलता
क्रोध
क्षय रोग-Tuberculosis
क्षारीय तत्व
क्षुधानाश
खजूर
खजूर की चटनी
खनिज
खरबूजा-Musk melon
खरेंटी
खरैंटी शिलाजीत
खाज
खांसी
खिरेंटी
खिरैटी
खीप
खीरा
खुजली
खुशी-Joy
खुश्की
खुश्बू
खोया
गंजापन-Baldness
गठिया
गठिया-Arthritis
गठिया-Gout
गड़तुम्बा
गंडा-ताबीज
गंध
गन्ने का रस
गरमा गरम
गर्भ निरोधक
गर्भधारण
गर्भपात
गर्भवती
गर्भवती कैसे हों?
गर्भावस्था
गर्भावस्था की विकृतियां-Disorders of Pregnancy
गर्भावस्था के दौरान संभोग-Sex During Pregnancy
गर्भाशय
गर्भाशय भ्रंश
गर्भाशय-उच्छेदन के साइड इफेक्ट्स-Side Effects of Hysterectomy
गर्म पानी
गर्मी
गर्मी-Heat
गलगण्ड
गाजर
गाजवां
गांठ
गाँठ-Knot
गारंटी
गारण्टेड इलाज
गाल ब्लैडर
गिलोय
गिल्टी
गुड़हल
गुंदा
गुदाद्वार
गुदाभ्रंश
गुम्मा
गुर्दे
गुलज़ाफ़री
गुस्सा
गृध्रसी
गृह-स्वामिनी
गेदुआ की छाछ
गैस
गैस्ट्रिक
गैहूं का जवारा
गोक्षुरादि चूर्ण
गोखरू
गोखरू (LAND CALTROPS)
गोंद कतीरा-Hog-Gum
गोंदी
गोभी-Cabbage
गोरख मुंडी
गोरखगांजा
गोरखबूटी
गोरखमुंडी
ग्रीन-टी
घमोरी
घरेलु नुस्खे
घाघरा
घाव
चकवड़
चक्कर
चपाती
चमत्कारिक सब्जियां
चरित्र
चर्बी
चर्म
चर्म रोग
चर्मरोग
चाय
चाय-Tea
चालीस के पार-Forty Across
चिकनगुनिया
चिकित्सकीय
चिटकन
चिंतित
चिरायता-Absinth
चिरोटा
चुंबन
चोक
चौलाई
छपाकी
छरहरी काया
छाछ
छाजन बूटी
छाले
छींक
छीकें
छुअ
छुआरा
छुहारा
छोटा गोखरू
छोटा धतूरा
छोटी हरड़
जंक फूड
जकवड़
जख्म
जंगली तिल्ली
जंगली तुलसी
जंगली पेड़
जंगली मिर्ची
जंगली-कटीली चौलाई
जटामांसी-Spikenard
जलजमनी
जलन
जलोदर रोग-Ascites Disease
जवारा
जवारे
जवासा-Alhag
जहर
जामुन का जूस
जायफल
जिगर
जीरा
जीवन रक्षक
जीवनी शक्ति
जुएं
जुकाम
जुदाई
जुलाब
जूएं
जूस
जोड़ों के दर्द
जोड़ों में दर्द
जौ
ज्यूस
ज्योति
ज्वर
ज्वर-Fiver
झाइयाँ
झांईं
झाड़-फूंक
झुर्रियाँ
झुर्रियां
झुर्री
झूठे दर्द
टमाटर का रस
टमाटर-Tomatoes
टाइफाइड
टाटबडंगा
टायफायड
टूटी हड्डी
टॉन्सिल
टोटला
ट्यूमर
ठंड
ठंडापन
ठेकेदार डॉक्टर
डकार
डकारें
डायबिटीज
डायरिया
डिग्री फ़ारेनहाइट
डिग्री सेल्सियस
डिजिसेक्सुअल
डिटॉक्सीफाई
डिटॉक्सीफिकेशन
डिनर
डिप्रेशन
डिब्बाबंद भोजन
डिलेवरी
डीकामाली
डीगामाली
डेंगू
डेंगू-Dengue
डॉ. निरंकुश
डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश'
डॉ. मीणा
ढकार
ढीलापन
ढीली योनि
तकलीफ का सही इलाज
तंत्र-मंत्र
तम्बाकू
तरबूज-Watermelon
तलाक
ताकत
तिल
तिल्ली
तुंबा
तुंबी
तुम्बा
तुलसी
तेल
त्रिदोषनाशक
त्रिफला
त्वचा
त्वचा रोग
थकान
थाईरायड
थायरायड-Thyroid
थायरॉइड
दण्डनीय अपराध
दंत वेदना
दन्तकृमि
दन्तरोग
दमा
दर वेदना
दरार
दर्द
दर्द निवारक
दर्द निवारक दवा
दर्दनाक
दस्त
दही
दाग-धब्बे-Stains-Spots
दाढ़
दांत
दांतो में कैविटी-Teeth Cavity
दाद
दाम्पत्य
दाम्पत्य विवाद सलाहकार
दाम्पत्य-Conjugal
दाल
दालचीनी
दालें
दिमांग
दिल
दीर्घायु
दु:खी
दुर्गंध
दुर्बलता
दुष्प्रभाव
दुष्प्रभावरहित
दूध
दूध वृद्धि
दूधी
दूधी-Milk Hedge
दृष्टिदोष
दो मन
द्रोणपुष्पी
द्रोणपुष्पी-Leucas Cephalotes
धड़कन
धनिया बीज
धनिया-Coriander
धमासा
धात
धातु
धातु पतन
धार्मिक
धूम्रपान छोड़ना चाहते हैं?
धैर्यहीन
नज़ला
नपुंसक
नपुंसकता
नाइट्रिक एसिड
नाक
नाखून
नागबला
नागरमोथा
नाडी हिंगु
नाड़ी हिंगु (डिकामाली)
नामर्दी
नारकीय पीड़ा
नारियल
नाश्ता
निमोनिया
निम्न रक्तचाप
निम्बू
नियासिन
निराश
निरोगधाम
निर्गुण्डी
निर्गुन्डी
निष्कपट स्नेह
निष्ठा
निसोरा
नींद
नींबू
नींबू-Lemon
नीम-azadirachta indica
नुस्खे
नुस्खे-Tips
नेगड़
नेत्र रोग
नेुचरल
नैतिक
नॉर्मल डिलेवरी
नोनिया
नौसादर
न्युमोनिया-Pneumonia
न्यूरॉन्स
पक्षघात
पंचकर्म
पढ़ने में मन लगेगा
पंतजलि
पत्तागोभी-CABBAGE
पत्थर फोड़ी
पत्थरचट्टा
पत्नी
पथरी
पदार्थ
पनीर
पपीता
पपीता-CARICA PAPPYA
पमाड
परदेशी लांगड़ी
परम्परागत चिकित्सा
परहेज
पराठा
परामर्श
परिस्थिति
पवाड़
पवाँर
पाइल्स
पाक-कला
पाचक
पाचन
पाचनतंत्र
पाचनशक्ति
पाठक संख्या 16 लाख पार
पाठक संख्या पंद्रह लाख
पायरिया
पारदर्शिता
पारिजात
पालक
पालक-Spinach
पित्त
पित्ताशय
पित्ती
पिंपल-मुंहासे-Pimples-Acne
पिरामिड
पीलिया
पीलिया-Jaundice
पीलिया-कामला-Jaundice
पुआड़
पुदीना
पुनर्नवा-साटी-सौंटी-Punarnava
पुरुष
पुंसत्व
पेचिश
पेट के कीड़े
पेट दर्द
पेट में गैस
पेट रोग
पेड़
पेद दर्द
पेरिकिटो सेसिल
पेशाब
पेशाब में रुकावट
पेंसिल थेरेपी-Pencil Therapy
पोष्टिक लड्डू
पौधे
पौरुष
पौरुष ग्रंथि
पौष्टिक रागी रोटी
प्याज-Onion
प्यास
प्रजनन
प्रतिरक्षा
प्रतिरक्षा प्रणाली
प्रतिरोधक
प्रतिरोधक-Resistance
प्रदर
प्रमेह
प्रवाहिका (पेचिश)-Dysentery
प्रसव
प्रसव सुरक्षा चक्र
प्रसव-पीड़ा
प्रसूति
प्राणायाम
प्रेग्नेंसी-Pregnancy
प्रेम
प्रेमरस
प्रेमिका
प्रेमी
प्रोटीन
प्रोटीन का कार्य
प्रोटीन के स्रोत
प्रोस्टेट
प्रोस्टेट कैंसर
प्रोस्टेट ग्रंथि
प्रोस्टेट ग्रन्थि
प्लीहा
प्लूरिसी-Pleurisy
प्लेटलेट्स
फंगल
फटन
फफूंद-Fungi
फरास
फल
फाइबर
फिटकरी
फुंसी-Pimples
फूलगोभी-CAULIFLOWER
फेंफड़े
फेरम फॉस
फैट
फैटी लीवर
फोटोफोबिया
फोड़ा
फोड़े-Boils
फोरप्ले
फोलिक एसिड
फ्लू
फ्लू-Flu
फ्लेक्स सीड्स
बकायन
बकुल
बड़ी हरड़
बथुआ
बथुआ पाउडर
बथुआ-White Goose Foot
बदबू
बंध्यापन
बबूल-ACACIA
बरसाती बीमारियाँ
बरसाती बीमारियां
बलगम
बलवृद्धि
बला
बलात्कार
बवासीर
बहरापन
बहुनिया
बहुमूत्रता-
बांझपन
बादाम-Almonds
बादाम.
बाल
बाल झड़ना
बाल झडऩा-Hair Falling
बिना सिजेरियन मां बनें
बिवाई
बीजबंद
बीड़ी
बीमारियों के अनुसार औषधियां
बीमारी
बील
बुखार
बूंद-बूंद पेशाब
बेल
बेली
बैक्टीरिया
बॉयोकैमी
ब्रह्मदण्डी
ब्रेस्ट ग्रोथ
ब्लड प्रेशर
ब्लैक मेलिंग
ब्लॉकेज
भगंदर
भगंदर-Fistula-in-ano
भगनासा
भगन्दर
भगोष्ठ
भड़भांड़
भय
भविष्य
भस्मक रोग
भावनात्मक
भुई आंवला-Phyllanthus Niruri
भूई आमला
भूई आंवला
भूख
भूख बढ़ाने
भूत-प्रेत
भूमि
भूमि आंवला
भोजनलीवर
मकोय
मकोय-Soleanum nigrum
मक्का
मक्का के भुट्टे
मंजीठ
मटर-PEA
मंद दृष्टि
मंदाग्नि
मदार
मधुमेह
मधुमेह-Diabetes
मन्दाग्नि-Dyspepsia
मरुआ
मरोड़
मर्द
मर्दाना
मलाशय
मलेरिया
मलेरिया (Malaria)
मवाद
मसाले
मस्तिष्क
मस्से
मस्से-WARTS
महंगा इलाज
महत्वपूर्ण लेख
महाबला
माइग्रेन
माईग्रेन
माईंड सैट
माजूफल
मानवव्यवहार
मानसिक
मानसिक लक्षण
मानसिक-Mental
मानिसक तनाव-Mental Stress
मायोपिया
मासिक
मासिक-धर्म
मासिकधर्म
मासिकस्राव
माहवारी
मिनरल
मिर्गी
मिर्च-Chili
मीठा खाने की आदत
मुख मैथुन-ओरल सेक्स-Oral Sex
मुख्य लक्षण
मुधमेह
मुलहठी
मुलेठी
मुहाँसे
मूँगफली
मूड डिस्ऑर्डर-Mood Disorders
मूत्र
मूत्र असंयमितता
मूत्र में जलन-Burning in Urine
मूत्ररोग
मूत्राशय
मूत्रेन्द्रिय
मूर्च्छा (Unconsciousness)
मूली
मूली कर रस
मृत्यु
मृत्युदण्ड
मेथी
मेथी दाना
मेंहदी
मैथुन
मोगरा (Mogra)
मोटापा
मोटापा-Obesity
मोतियाबिंद
मौत
मौलसिरी
मौसमी बीमारियां
यकृत
यकृत प्लीहा
यकृत वृद्धि-Liver Growth
यकृत-लीवर-जिगर-Lever
यूपेटोरियम परफोलियेटम
यूरिक एसिड लेबल
योग विज्ञापन
योन
योन संतुष्टि
योनि
योनि ढीली
योनि शिथिल
योनि शूल-Vaginal Colic
योनि संकोचन
योनिद्वारा
योनिभ्रंश
योनी
योनी संकोचन
यौन
यौन आनंद
यौन उत्तेजक पिल्स (sexual stimulant pills)
यौन क्षमता
यौन दौर्बल्य
यौन शक्तिवर्धक
यौन शिक्षा
यौन समस्याएं
यौनतृप्ति
यौनशक्ति
यौनशिक्षा
यौनसुख
यौनानंद
यौनि
रक्त प्रदर (Blood Pradar)
रक्त रोहिड़ा-TECOMELLA UNDULATA
रक्तचाप
रक्तपित्त
रक्तशोधक
रक्ताल्पता
रक्ताल्पता (एनीमिया)-Anemia
रस-juices
रातरानी Night Blooming Jasmine/Cestrum nocturnum
रामबाण
रामबाण औषधियाँ-Panacea Medicines
रुक्षांश
रूढिवादी
रूसी
रूसी मोटापा
रेचक
रेठु
रोग प्रतिरोधक
रोबोट सेक्स
रोमांस
लकवा
लक्षण
लक्ष्मी
लंच
लसोड़ा
लस्सी
लहसुन
लहसुन-Garlic
लाइलाज
लाइलाज का इलाज
लाक्षणिक इलाज
लाक्षणिक जानकारी
लाभ
लिंग
लिंग प्रवेश
लिसोड़ा
लीकोरिया
लीवर
लीवर सिरोसिस
लीवर-Liver
लू-hot wind
लैंगिक
लोनिया
लौकी
लौंग की चाय
ल्युकोरिया
ल्यूकोरिया
ल्यूज योनी
वजन
वज़न
वजन कम
वजन बढाएं-Weight Increase
वन तुलसी
वन/जंगली तुलसी
वनौषधियाँ
वमन
वमन विकृति-Vomiting Distortion
वसा
वात
वात श्लैष्मिक ज्वर
वात-Rheumatism
वायरल
वायरल फीवर
वायरल बुखार-Viral Fever
वासना
विचारतंत्र
विटामिन
विधारा
वियाग्रा-Viagra
वियोग
विरह वेदना
विलायती नीम
विवाहेत्तर यौन सम्बन्ध
विवाहेत्तर सम्बंध
विश्वास
विष
विष हरनी
विषखपरा
वीर्य
वीर्य वृद्धि
वीर्यपात
वृक्कों (गुर्दों) में पथरी-Renal (Kidney) Stone
वृक्ष
वैज्ञानिक
वैधानिक
वैवाहिक जीवन
वैवाहिक जीवन-Marital
वैवाहिक रिश्ते
वैश्यावृति
व्याकुल
व्यायाम
व्रण
शंखपुष्पी
शरपुंखा
शराब
शरीफा-सीताफल-Custard apple
शर्करा
शलगम-Beets
शल्यक्रिया
शहद
शहद-Honey
शारीरिक
शारीरिक रिश्ते
शिथिलता
शीघ्र पतन
शीघ्रपतन
शीस
शुक्राणु
शुक्राणु-Sperm
शुक्राणू
शुगर
शोक
शोथ
शोध
श्योनाक
श्रेष्ठतर
श्वास
श्वांस
श्वेत प्रदर
श्वेत प्रदर-Leucorrhea
श्वेतप्रदर
षड़यंत्र
संकुचन
संकोच
संक्रमण
संक्रमित
संक्रामक
संखाहुली
सगतरा
संतरा-Orange
संतान
संतुष्टि
सत्यानाशी
सदा सुहागन
सदाफूली
सदाबहार
सदाबहार चूर्ण
सनबर्न
सफ़ेद दाग
सफेद पानी
सफेद मूसली
सब्जि
सब्जी
संभालू
संभोग
समर्पण-Dedication
सरकार को सुझाव
सरफोंका
सरहटी
सर्दी
सर्दी-जुकाम
सर्पक्षी
सर्पविष
सलाद
संवाद
संवेदना
सहदेई
सहदेवी
सहानभूति
साइटिका
साइटिका-Sciatica
साइड इफेक्ट्स
साबूदाना-Sago
सायटिका
सिगरेट
सिजेरियन
सिर दर्द
सिर वेदना
सिरका
सिरदर्द
सिरोसिस
सी-सेक्शन
सीजर डिलेवरी
सुगर
सुदर्शन
सुहागा
सूखा रोग
सूजन
सेक्स
सेक्स उत्तेजक दवा
सेक्स परामर्श-Sex Counseling
सेक्स पार्टनर
सेक्स पावर
सेक्स समस्या
सेक्स हार्मोन
सेक्स-Sex
सेंधा नमक
सेब
सेमल-Bombax Ceiba
सेल्स
सोजन-सूजन
सोंठ
सोना पाठा
सोयाबीन
सोयाबीन (Soyabean)
सोयाबीन-Soyabean
सोराइसिस
सोरियासिस-Psoriasis
सौंठ
सौंदर्य
सौंदर्य-Beauty
सौन्दर्य
सौंफ
सौंफ की चाय
सौंफ-Fennel
स्किन
स्खलन
स्तन
स्तन वृद्धि
स्तनपान
स्तम्भन
स्त्री
स्त्रीत्व
स्त्रैण
स्पर्श
स्मृति-लोप
स्वप्न दोष
स्वप्नदोष
स्वप्नदोष-Night Fall
स्वभाव
स्वभावगत
स्वरभंग
स्वर्णक्षीरी
स्वस्थ
स्वास्थ्य
स्वास्थ्य परामर्श
स्वास्थ्य रक्षक सखा
हजारदानी
हड़जोड़
हड्डी
हड्डी में दर्द
हड्डी संक्रमण
हड्डीतोड़ ज्वर
हड्डीतोड़ बुखार
हरड़
हरसिंगार
हरी दूब-CREEPING CYNODAN
हरीतकी
हर्टबर्न
हस्तमैथुन
हस्तमैथुन-Masturbation
हाई बीपी
हाथ-पैर नहीं कटवायें
हारसिंगार
हालात
हिचकी
हिचकी-Hiccup
हिमोग्लोबिन-hemoglobin
हिस्टीरिया
हिस्टीरिया-Hysteria
हींग
हीनतर
हुरहुर
हुलहुल
हृदय
हृदय-Heart
हेपेटाइटिस
हेपेटाईटिस
हेल्थ टिप्स-Health-Tips
हेल्थ बुलेटिन
हैजा
हैपीनेस-Happiness
हैल्थ
होम केयर टिप्स-Home Care Tips
होम्यापैथ
होम्योपैथ
होम्योपैथिक
होम्योपैथिक इलाज
होम्योपैथिक उपचार
होम्योपैथी
होम्योपैथी-Homeopathy
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