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एक अध्ययन में सामने आये तथ्यों के अनुसार वर्तमान में एक—चौथाई गर्भवती महिलाओं के प्रसव सिजेरियन/आॅपरेशन के जरिये हो रहे हैं। जिसके कारण—
1. प्रसूता को असहनीय पीड़ा सहनी पड़ती है।
2. अधिकतर स्त्रियों का दूसरा प्रसव भी सिजेरियन/आॅपरेशन के जरिये ही होता है।
3. प्रसूता का शारीरिक सौन्दर्य नष्ट हो जाता है।
4. प्रसूता अनेक प्रकार के घरेलु शारीरिक कार्य करने में अक्षम हो जाती हैं।
5. प्रसव सिजेरियन/आॅपरेशन के जरिये कराने पर प्रसूता के परिवार को गैर—जरूरी खर्चा वहन करना पड़ता है।
6. सिजेरियन/आॅपरेशन के जरिये प्रसव कराने पर अनेक प्रकार की मानसिक तकलीफें होने के मामले भी सामने आये हैं।
7. सिजेरियन/आॅपरेशन के जरिये जितने प्रसव होते हैं, उनमें से करीब एक—तिहाई गैर—जरूरी होते हैं।

इन हालातों में गर्भवती स्त्रियों को उक्त तकलीफों से बचाने में होम्योपैथी—सुरक्षा चक्र—का काम करती है। मेरा व्यक्तिगत अनुभव है कि गर्भवती स्त्रियों द्वारा तीसरे महिने के बाद से होम्योपैथिक दवाईयों का नियमित सेवन करने से अकल्पनीय और अद्भुत परिणाम सामने आते हैं। 90 फीसदी से अधिक मामलों में गर्भवती स्त्रियों को निम्न फायदे होते हैं:—

1. निर्धारित समय पर प्रसव। न समय पूर्व और लेट।
2. गर्भस्त्राव या गर्भपात का खतरा नहीं के बराबर।
3. प्रसव पूर्व होने वाले झूठे दर्द नहीं और प्रसव से कुछ घण्टे पूर्व ही प्रसव पीड़ा।
4. प्रसव पीड़ा में 40 फीसदी तक कमी।
5. पांचवे माह से ही गर्भस्थ शिशु का उपचार।
6. बिना सिजेरियन/आॅपरेशन सामान्य और सुरक्षित प्रसव।
7. प्रसव के बाद स्त्री जननांगों में ढीलापन नहीं।
नोट : किसी भी प्रकार की अधिक जानकारी के लिये तुरंत सम्पर्क करें।

डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश'
मो./वाट्स एप नं. : 09875066111
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