चौलाई की सब्जी से करें 50 रोगों का उपचार
एक ऐसी सब्जी जो कैंसर से लेकर सफ़ेद बालो तक लगभग 50 रोगों में फायदेमंद है
★ एक ऐसी सब्जी जो कैंसर से लेकर सफ़ेद बालो तक लगभग 20 रोगों में फायदेमंद है ★
सब्जियों में चौलाई का अपना एक अलग स्थान है। दुनिया भर के लोग इसका उपयोग सब्जी और अनाज के रूप में स्वास्थ्य लाभों के रूप में करते है। यह अनेकों औषधीय गुणों से भरपूर होता है।
चौलाई दो तरह की होती है ,एक सामान्य हरे पत्तों वाली दूसरी लाल पत्तों वाली। यह कफ और पित्त का नाश करती है जिससे रक्त विकार दूर होते हैं। पेट और कब्ज के लिए चौलाई का साग बहुत उत्तम माना जाता है। चौलाई की सब्जी का नियमित सेवन करने से वात, रक्त व त्वचा विकार दूर होते हैं। सबसे बडा गुण सभी प्रकार के विषों का निवारण करना है, इसलिए इसे विषदन नाम दिया गया है। इसके डंठल और पत्तों में पौष्टिक तत्वों की प्रचुर मात्रा पाई जाती है। पेट और कब्ज के लिए चौलाई बहुत उत्तम मानी जाती है।
चौलाई में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, कैल्शियम और विटामिन-ए, मिनिरल्स और आयरन प्रचुर मात्रा में पाए जाते है। इसमें सोना धातु पाया जाता है जो किसी और साग-सब्जियों में नहीं पाया जाता। औषधि के रूप में चौलाई के पंचांग यानि पांचों अंग- जड, डंठल, पत्ते, फल, फूल काम में लाए जाते हैं। इसकी डंडियों, पत्तियों में प्रोटीन, खनिज, विटामिन ए, सी प्रचुर मात्रा में है
कहा गया है कि किसी भी तरह के चर्म रोग में इसके पत्ते पीस कर लेप कर 21 दिनों तक लगातार लेप करने से वह ठीक हो जाता है। शरीर में अगर कही भी खून बह रहा है और बंद नहीं हो रहा लाल पत्ते वाली चौलाई की जड़ को पानी में पीस कर पी लेने से ही रुक जाता है। एक बार पीने से नहीं रुक रहा तो बारह घंटे बाद दुबारा पीने को कहा गया है। चाहे गर्भाशय से खून बह रहा हो या मल द्वार से या बलगम के साथ यह सब में उपयोगी बताई गई है। मान्यता है कि गर्भवती को खून दिखाई दे जाए तो फ़ौरन पी ले, गिरता हुआ गर्भ रुक जायेगा। जिनको गर्भ गिरने की बीमारी हो उन महिलाओं के लिये मासिक धर्म के समय में रोज जड़ पीस कर चावलों के पानी के साथ पीने का उल्लेख मिलता है।

आइये जाने के स्वास्थ्य लाभों के बारे में
सूजन को कम करें :
ऐमरैन्थ यानि चौलाई के तेल और पेप्टाइड में एंटी-इफ्लेमेंटरी गुण होता है जो दर्द और सूजन को सहजता से कम करने में मदद करता है। यह पुरानी स्थितियों के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है जहां पर सूजन स्वास्थ्य को प्रभावित करता है।
फोड़े-फुंसी :
फोड़े-फुंसी पर चौलाई के पत्तों की पुल्टिस बना कर लगाने से फोड़ा जल्द पक कर फूट जाता है। सूजन होने पर उस स्थान पर इसका लेप करने से सूजन दूर होती है।
वजन करने में मददगार :
जैसा की हम जानते हैं कि प्रोटीन रक्त में इंसुलिन के स्तर को कम कर और हार्मोंन की विज्ञप्ति कर आपकी भूख को दबा देता है जिससे की आप भूख को कम महसूस करते हो। आपको यह जानकर खुशी होगी कि लगभग 15 प्रतिशत चौलाई में प्रोटीन होता है जो आपके वजन घटाने के कार्यक्रम में सहायता कर सकता हैं।
रक्तचाप कम करें :
अध्ययन के अनुसार, ऐमरैन्थ में मौजूद फाइबर और फिटोन्यूट्रीएंट्स नामक तत्व रक्तचाप को कम करने में मदद करते है। जिससे यह कोलेस्ट्रॉल, सूजन और रक्तचाप के साथ प्रभावी ढ़ंग से लड़ता है और दिल की सेहत के लिए भी अच्छा होता है।
शरीर में रक्त की कमी दूर करें :
औषधि के रूप में चौलाई की जड़, पत्ते और बीज सभी काम में लाये जाते है। इसकी पत्तियों और बीजों में प्रोटीन, विटामिन ए और सी प्रचुर मात्रा में होता है। ऐमरैन्थ यानि चौलाई का साग एनिमिया रोग से लड़ने का सबसे कारगर उपाय है। इसके सेवन से शरीर में रक्त की कमी दूर होती है। शरीर में खून की कमी को दूर करने के लिए इसका सेवन सब्जी या सूप के रूप में करें।
कैंसर की रोकथाम :
ऐमरैन्थ में मौजूद पेप्टाइड्स श्ारीर में सूजन को दूर करने के साथ कैंसर के विकास को रोकने में भी बहुत मददगार होता है। इसमें मौजूद एंटी ऑक्सीडेंट कोशिकाओं को क्षतिग्रस्त होने से बचाता है जिससे कैंसर को रोकने में मदद मिलती है।
पचाने में आसान :
ऐमरैन्थ में मौजूद फाइबर और अमीनो एसिड के कारण यह पचाने में बहुत आसान होता है। इसमें मौजूद फाइबर कारण यह आंतों से चिपके हुए मल को निकालकर उसे बाहर धकेलने में मदद करता है जिससे पेट साफ होता है और पाचन संस्थान को शक्ति मिलती है। इसी कारण से इसे पारंपरिक रूप से बीमारी से उबर रहे मरीजों को दिया जाता है।
पेशाब में जलन :
पेशाब में होने वाली जलन को शांत करने के लिए चौलाई के रस का कुछ दिनों तक सेवन करने से मूत्रवृध्दि होती है और जलन ठीक होती है।
खूनी बवासीर :
खूनी बवासीर हो या मूत्र में खून आता हो ,चौलाई के पत्ते पीस कर मिश्री मिलाकर शरबत बनाकर ३ दिन लगातार पीजिये।
प्रतिरक्षा प्रणाली को बढावा :
ऐमरैन्थ का एक और स्वास्थ्य लाभ यह भी है कि मौजूद आवश्यक विटामिन, खनिज और शक्तिशाली एंटी-ऑक्सीडेंट हमारे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को ठीक रखने में मदद करते है। इसलिए अगर आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर है तो आपको चौलाई को लेने पर विचार करना चाहिए।
स्तनों का आकार बढ़ने के लिए :
नारियों को अपने स्तनों का आकार बढ़ाना हो तो अरहर की दाल के साथ चौलाई का साग पका कर चालीस दिनों तक लगातार खाइये,जड़ काटकर फेकना नहीं है वह भी पका देनी है।
एनर्जी बूस्टर :
कुछ सब्जियों और अनाजों में आवश्यक अमीनो एसिड की कमी होती है, लेकिन चौलाई में लाइसिन बहुत अधिक मात्रा में होने के कारण यह कैल्शियम को अवशोषित करने के लिए शरीर की मदद करता है। इस कारण से चौलाई मांसपेशियों के निर्माण और ऊर्जा के उत्पादन के लिए बहुत अच्छा होता है।
बालों को सफेद होने से रोकता है :
अगर आप बालों के असमय सफेद होने से चिंतित हैं? तो आपकी इस चिंता का समाधान चौलाई द्वारा हो सकता है। यह बालों को असमय सफेद होने से रोकने का काफी प्रभावी उपाय है। चौलाई को अपने आहार में शामिल कर आप इस समस्या से निजात पा सकते हैं।
पथरी :
पथरी में चौलाई का साग चालीस दिनों तक प्रतिदिन खाने पर पथरी गल जाती है।
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स्वाद और स्वास्थ्य
साग चौलाई का
क्या आप जानते हैं?
चौलाई दो तरह की होती है, एक सामान्य हरे पत्तों वाली दूसरी लाल पत्तों वाली जिसे लाल साग भी कहते हैं।
कटेली चौलाई तिनछठ के व्रत में खोजी जाती है। भादों की कृष्ण पक्ष की षष्ठी को यह व्रत होता है।
चौलाई की कुछ प्रजातियाँ बहुरंगी आकर्षक होती हैं इनका प्रयोग सजावटी पौधों के रूप में किया जाता है।
हरी पत्तेदार सब्जी में चौलाई का मुख्य स्थान है। चौलाई दो तरह की होती है ,एक सामान्य हरे पत्तों वाली दूसरी लाल पत्तों वाली। यह कफ और पित्त का नाश करती है जिससे रक्त विकार दूर होते हैं। पेट और कब्ज के लिए चौलाई का साग बहुत उत्तम माना जाता है। चौलाई की सब्जी का नियमित सेवन करने से वात, रक्त व त्वचा विकार दूर होते हैं। सबसे बडा गुण सभी प्रकार के विषों का निवारण करना है, इसलिए इसे विषदन नाम दिया गया है। इसके डंठल और पत्तों में पौष्टिक तत्वों की प्रचुर मात्रा पाई जाती है। पेट और कब्ज के लिए चौलाई बहुत उत्तम मानी जाती है। कुल मिलाकर चौलाई एक स्वादिष्ट सब्जी भी है और महत्वपूर्ण दवा भी।
विविध भाषाओं में-इसे तन्दुलीय भी कहते हैं। संस्कृत में मेघनाथ भी कहते है। मराठी, गुजराती में तान्दल्जा, बंगाली में चप्तनिया, तमिल में कपिकिरी, तेलगू में मोलाकुरा, फारसी में सुपेजमर्ज, अंग्रेजी में प्रिकली ऐमरेन्थस,और वैज्ञानिक भाषा में एमरेन्थस स्पिनोसस (Amaranthus spinosus) कहते हैं।
आयुर्वेद में-माना गया है कि किसी भी तरह के चर्म रोग में इसके पत्ते पीस कर लेप कर २१ दिनों तक लगातार लेप करने से वह ठीक हो जाता है। शरीर में अगर कही भी खून बह रहा है और बंद नहीं हो रहा लाल पत्ते वाली चौलाई की जड़ को पानी में पीस कर पी लेने से ही रुक जाता है। एक बार पीने से नहीं रुक रहा तो बारह घंटे बाद दुबारा पीने को कहा गया है। चाहे गर्भाशय से खून बह रहा हो या मल द्वार से या बलगम के साथ यह सबमें उपयोगी बताई गई है। मान्यता है कि गर्भवती को खून दिखाई दे जाए तो फ़ौरन पी ले, गिरता हुआ गर्भ रुक जायेगा। जिनको गर्भ गिरने की बीमारी हो उन महिलाओं के लिये मासिक धर्म के समय में रोज जड़ पीस कर चावलों के पानी के साथ पीने का उल्लेख मिलता है।
रासायनिक तत्व-चौलाई में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, कैल्शियम और विटामिन-ए, मिनिरल्स और आयरन प्रचुर मात्रा में पाए जाते है। इसमें सोना धातु पाया जाता है जो किसी और साग-सब्जियों में नहीं पाया जाता। औषधि के रूप में चौलाई के पंचांग यानि पांचों अंग- जड, डंठल, पत्ते, फल, फूल काम में लाए जाते हैं। इसकी डंडियों, पत्तियों में प्रोटीन, खनिज, विटामिन ए, सी प्रचुर मात्रा में है।
घरेलू उपयोग-पेट या आमाशय में कोई रोग हो तो रोज चौलाई का साग खाने से लाभ मिलता है।
शरीर में जलन हो रही हो चौलाई का काढा लाभदायक होता है। सांप, बिच्छू या किसी जहरीले कीड़े के काट लेने पर चौलाई की जड़ के साथ पंद्रह दाने काली मिर्च एक साथ पीस कर चावलों के धोवन में घोल कर पिलाने से लाभ मिलता है। पथरी में चौलाई का साग चालीस दिनों तक प्रतिदिन खाने पर पथरी गल जाती है। चौलाई जलाकर राख बना लें, उस राख को पानी में मिलाकर लेप बनाएँ, इस लेप को मुंह में लगाकर सूर्य की किरणों में बैठने से कील मुंहासे और झाइयों में लाभ होता है। चौलाई का सेवन गठिया, ब्लडप्रेशर और हृदय रोगियों के लिए लाभदायक है। खूनी बवासीर हो या मूत्र में खून आता हो, चौलाई के पत्ते पीस कर मिश्री मिलाकर शरबत बनाकर 3 दिन लगातार पियें।
अन्य औषधीय गुण-
छोटे बच्चों को कब्ज होने पर उन्हें औषधि के रूप में २-३ चम्मच चौलाई का रस पिलाने से लाभ होता है।
पेट के विभिन्न रोगों से छुटकारा पाने के लिए सुबह शाम चौलाई का रस पीने से लाभ मिलता है।
बालों के टूटने की परेशानी को दूर करने के लिए मौसम में चौलाई का रस १५ मि.ली. (एक बड़ा चम्मच) नियमित लें।
प्रसव के बाद अगर प्रसूता महिला को चौलाई का साग नियमित दिया जाए तो दूध की कमी नहीं रहती।
पेशाब में होने वाली जलन को शांत करने के लिए चौलाई के रस का कुछ दिनों तक सेवन करने से मूत्रवृध्दि होती है और जलन ठीक होती है।
खून की कमी में चौलाई का लाल साग सब्जी के रूप में या सूप के रूप में लेने से लाभ मिलता है। हाथ-पैर, शरीर की जलन में एक कप चौलाई के रस में थोड़ी शक्कर मिलाकर पीने से लाभ मिलता है।
फोड़े-फुंसी पर चौलाई के पत्तों की पुल्टिस बना कर लगाने से फोड़ा जल्द पक कर फूट जाता है। सूजन होने पर उस स्थान पर इसका लेप करने से सूजन दूर होती है।
धार्मिक उपयोग-

भारतीय संस्कृति में आमतौर पर यह देखा गया है कि स्वास्थ्य के लिये उपयोगी वस्तुओं को उस मौसम के धर्मिक उत्सवों या परंपराओं से जोड़ा गया है। इसी क्रम में भादों की कृष्ण पक्ष की षष्ठी को मनाए जाने वाले तिनछठ व्रत में कटेली चौलाई का बहुत महत्व है।
सजावटी उपयोग-चौलाई की अनेक प्रजातियों की पत्तियाँ बहुत सुंदर रंगों वाली होती हैं जिनका प्रयोग बगीचे में सजावटी पौधों के रूप में किया जाता है। गौरैया जैसे बहुत से पक्षी इनके रंगों से आकर्षित होते हैं और इन्हें चाव से खाते हैं इसलिये इनके छोटे पौधों को चिड़ियों से बचाकर रखने की आवश्यकता होती है।
१६ फरवरी २०१५
Source : http://www.abhivyakti-hindi.org/ss/2015/chaulai.htm
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TUESDAY, FEBRUARY 9, 2016
हरे पत्ते की सब्जी स्वास्थ्य के लिये बहुत ही लाभ कारी होती हैं। चौलाई को मालवा मे खाटी भाजी के नाम से जानते हैं| इन हरे पत्ते की सब्जियों को यदि रोजाना के खाने के साथ प्रयोग किया जाय तो शरीर में होने वाले विटामिन्स की कमी को काफी हद तक पूरा किया जा सकता है।
चौलाई दो तरह की होती है- एक सामान्य पत्तों वाली तथा दूसरी लाल पत्तों वाली। कटेली चौलाई तिनछठ के व्रत में खोजी जाती है। भादौ की कृष्ण पक्ष की षष्ठी को यह व्रत होता है। चौलाई को खाने से आंतरिक रक्तस्राव बंद हो जाता है। यह सब्जी खूनी बवासीर, चर्मरोग, गर्भ गिरना, पथरी रोग और पेशाब में जलन जैसे रोग में बहुत ही लाभदायक सिद्ध हुई है।
यह कफ और पित्त का नाश करती है जिससे रक्त विकार दूर होते हैं। पेट और कब्ज के लिए चौलाई का साग बहुत उत्तम माना जाता है। चौलाई की सब्जी का नियमित सेवन करने से वात, रक्त व त्वचा विकार दूर होते हैं। सबसे बडा गुण सभी प्रकार के विषों का निवारण करना है, इसलिए इसे विषघ्न भी कहा गया है| इसके डंठल और पत्तों में पौष्टिक तत्वों की प्रचुर मात्रा पाई जाती है। पेट और कब्ज के लिए चौलाई बहुत उत्तम मानी जाती है
इसे हम अनेकों प्रकार से बनाते हैं जैसे चौलाई के पत्तों में दाल मिला कर साग बनाते हैं, चौलाई को आलू के साथ मिला कर चौलाई आलू भुजिया बनाते हैं, चौलाई को बैंगन में मिला कर चौलाई बैंगन भाजी बनाते हैं ।
आप अपने स्वाद के हिसाब से इसे अन्य मनचाही सब्जियों में मिलाकर बना सकते हैं. चौलाई के पत्ते को मूंग के दाल के साथ मिला कर बहुत ही स्वादिष्ट सब्जी बनायी जाती है। कुछ घरों में मूंग दाल की जगह तुअर अथवा उड़द दाल को मिलाकर भी बनाते हैं।
कुल मिलाकर चौलाई एक स्वादिष्ट सब्जी भी है और महत्वपूर्ण दवा भी।
चौलाई की औषधीय उपयोगिता-
1) औषधि के रूप में चौलाई के पंचाग यानि पांचों अंग जड़, डंठल, पत्ते, फल और फूल काम में लाये जाते हैं। इसकी डंडियों और पत्तियों में प्रोटीन, खनिज, विटामिन ए, सी प्रचुर मात्रा में है। इसका सेवन सब्जी या सूप के रूप में होता है। चौलाई पेट के रोगों के लिए गुणकारी है। इसमें रेशे, क्षार द्रव्य होते हैं, जो आंतों में चिपके हुए मल को निकालकर उसे बाहर धकेलने में मदद करते हैं। इससे पेट साफ होता है और कब्ज दूर होता है। पाचन संस्थान को ताकत मिलती है। छोटे बच्चों को यदि इसका दो-तीन चम्मच रस दिया जाय, तो कब्ज दूर करता है।
2) दूध पिलाने वाली माताओं के लिए यह उपयोगी है अगर उन्हें दूध कम उतरता है, तो चौलाई के साग का सेवन करें।
3) चौलाई की जड़ को पीसकर चावल के माड (पसावन) में डालकर, शहद मिलाकर पीने से प्रदर रोग ठीक होता है। जिन स्त्रियों को बार-बार गर्भपात होता है। उनके लिए चौलाई साग का सेवन लाभकारी है।
4) चूहे, बिच्छू, संखिया किसी का भी विष चढ़ गया हो, तो चौलाई का रस या जड़ का क्वाथ में काली मिर्च डालकर पीने से विष दूर हो जाता है।
5) ये सिद्ध हो चुका है कि धूम्रपान, शराब सेवन करने वाली महिलाएं मंदबुद्धि तथा कम वजन वाले बच्चे को जन्म देती हैं। ऐसी महिलाओं को चौलाई साग का लगातार सेवन करना चाहिये। शराब सेवन व धूम्रपान छूट जायेगा।
6) चौलाई का साग भूख बढ़ाता है। इस साग में लोह तत्व पाया जाता है, जो हमारे शरीर को भरपूर आयरन देता है।
7) अगर कोई एनीमिक होताहै तो इसकी सब्जी व पत्तों एवं डंठल छीलकर उसका सूप कुछ दिनों तक पियें जल्द फायदा करेगा।
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