Published on 4 Nov 2016
मंजिष्ठा को आयुर्वेद में बहुत अधिक महत्व दिया गया है आयुर्वेद के अनुसार यह एक रामबाण ओषधि है बहुत सारे रोगों को दूर करने में यह दाद, खाज, खुजली ,गुर्दे व् पित्त की पथरी, चेहरे के दाग धब्बे, हड्डियों को मजबूत बनाती है, चूहे के काटने पर, दस्त, सुजन, स्त्री रोग, नाख़ून के रोग जेसे अनेक रोगों पर रामबाण की तरह काम करता है मंजीठ For More Visit http://www.onlyinayurveda.com
मंजीठ परवतीय क्षेत्रो में पाया जाता है। इसके पत्ते झाड़ीनुमा होते हैं। इसकी जड़ें जमीन से दूर तक फेली हुई होती हैं। इसकी टहनियां काफी लम्भी, खुर्द व कठोर होती है, अगर हम इसकी टहनियों को तोड़ कर देखते हैं तो यह जड़ की तरह ही अंदर से लाल निकलती है।
- मंजीठ का स्वाद : इसका रस मधुर, तीखा और कषेला होता है।
- मंजीठ का रंग : इसके फल का रंग काला व फूलों का रंग सफेद होता है।
- मंजीठ का स्वभाव : स्वभाव में यह गर्म तासीर का होता है।
- सेवन की मात्रा : इसकी जड़ का चूर्ण 1 से 3 ग्राम और इसकी जड़ का काढ़ा 30 से 50 मिलीलीटर।
- तो आइये अब जानते है मंजीठ के अनेक रोगों पर प्रयोग
- चूहे के काटने पर मंजीठ : चन्दन और मंजीठ की जड़ को लेकर इन्हें घी में घिसकर लेप बना लें। इस लेप को जहां पर चूहा काटा है, उस स्थान पर लगाने से जहर का असर कम हो जाता है।
- सुजन के लिए मंजीठ : मुलेठी और मंजीठ की जड़ को समान मात्र में लेकर पानी के साथ पीसकर लेप बना ले इस लेप को सूजन वाले स्थान पर लगाने से बहुत अधिक लाभ होता है।
- पथरी के लिए मंजीठ : मंजीठ की जड़ का चूर्ण 2 ग्राम पानी के साथ दिन में 2 से 3 बार सेवन करने से कुछ ही दिनों में पथरी गल कर बाहर निकल जाती है।
- चेहरे के दाग धब्बो को दूर करने के लिए मंजीठ : 4 चम्मच की मात्रा में मंजीठ की जड़ का काढ़ा कुछ दिन नियमित रूप से पीने से से धाग—धब्बे दूर हो जाते हैं। मंजीठ की जड़ को शहद के साथ घिसकर दाग धब्बो पर लगाने से चहरे पर निखार आता है और धाग धब्बे गायब हो जाते है।
- जले हुए घाव के लिए : चन्दन और मंजीठ की जड़ को लेकर इन्हे घी में घिसकर लेप बना ले इस लेप को जहा पर जला हुआ घाव है उस पर लगाने से जलन कम होती है और घाव जल्दी भर जाता है।
- त्वचा के रोगों के लिए मंजीठ : मंजीठ की जड़ को शहद के साथ घिसकर पेस्ट बना लें। इस पेस्ट को लगाने से त्वचा रोगों में बहुत अधिक लाभ होता है।
- मासिक धर्म की गड़बड़ी के लिए मंजीठ : आधा चम्मच की मात्रा में मंजीठ की जड़ का चूर्ण सुबह शाम सेवन करने से मासिक धर्म की सभी प्रकार की गड़बड़ दूर हो जाती है।
- हड्डी टूटने पर मंजीठ : महुए की छाल, मंजीठ की जड़ और इमली के पत्तों को बराबर मात्रा में लेकर इन्हें पीस लें और गुनगुना करके टूटी हुई हड्डी पर बांधने से लाभ होता है।
- गर्भधारण के लिए मंजीठ : मंजीठ, मुलहठी, त्रिफला, खांड, कुठ, मेधा, महामेधा दूधी, खरेटी, असगंध की जड़, काकोली, हल्दी, अजमोद, लाल चन्दन, दारुहल्दी सभी को बराबर 10–10 ग्राम की मात्रा में लेकर पानी में उबालें। इसके बाद गाय का दूध 8 किलो, घी 2 किलो, शतावरी रस 8 किलो मिलाकर गर्म कर लें। फिर इसे 20 से 30 ग्राम की मात्रा में लेकर सेवन करें। इसके सेवन से से बाँझ स्त्री को भी पुत्र रत्न की प्राप्ति होगी।
- अमाशय के जख्म के लिए मंजीठ : मंजीठ के चूर्ण को 1 से 3 ग्राम की मात्रा में लेकर रोजाना दिन में तीन बार सेवन करने से लाभ होता हिया।
- नाख़ून के रोगों के लिए मंजीठ : मंजीठ का काढ़ा 20 से 40 मिलीलीटर की मात्रा में सेवन करने से नाख़ून की खुजली का रोग दूर होता है।
- दाद के लिए मंजीठ : मंजीठ को पीसकर शहद के साथ मिलाकर लगाने से सभी तरह के डैड दूर होते हैं।
- दस्त के लिए मंजीठ : मंजीठ का चूर्ण 1 से 3 ग्राम की मात्रा में लेकर हर रोज दिन में 3 बार सेवन करने से पुराने से पुराना दर्द भी दूर हो जाता है।
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