मायोपिया (Myopia)

सबसे पहले यह समझना जरूरी है कि मायोपिया अर्थात् निकट दृष्टिदोष (मायोपिया) होता क्या है? इसे सरल भाषा में ऐसा निकट-दृष्टिदोष या समीप का दृष्टिदोष, जिसे चिकित्सीय रूप से मायोपिया कहा जाता है, जिसमें दृष्टि की ऐसी स्थिति होती है, जिसमें निकट की वस्तुएँ स्पष्ट दिखाई देती हैं, लेकिन दूर स्थित वस्तुएँ धुंधली दिखाई पड़ती हैं। रोगी के निकट-दृष्टिदोष की तीव्रता दूर स्थित वस्तुओं पर दृष्टि एकाग्र करने की क्षमता को प्रभावित करती है। यह दोष उत्पन्न होने पर प्रकाश की समानांतर किरणें आँखों द्वारा अपवर्तन (Refraction) के बाद रेटिना के पहले ही प्रतिबिम्ब बना देता हैं, इससे दूर की वस्तुओं का प्रतिबिम्ब स्पष्ट बनकर चीज़े धुंधली दिखाई देती हैं। गंभीर निकट दृष्टिदोष (हाई मायोपिया) से पीड़ित व्यक्ति केवल कुछ इंच दूरी तक की वस्तुओं को ही स्पष्टता से देख पाते हैं, जबकि मंद निकट दृष्टिदोष से पीड़ित व्यक्ति कुछ गज दूरी तक की वस्तुओं को स्पष्ट देख सकते हैं।
मायोपिया के कारण :
वैज्ञानिकों द्वारा अभी तक जो शोध और अध्ययन किये गये हैं, उनके मुताबिक बचपन में देखने की क्षमता का विकास होता है और किशोर अवस्था में आँखों की लम्बाई बढ़ती है, लेकिन निकट दृष्टि दोष की वजह से आँखों की लम्बाई कुछ ज्यादा ही बढ़ जाती है। ऐसी स्थिति में प्रकाश रेटिना पर केंद्रित नहीं हो पाता है। इसी वजह से वस्तुए धुंधली दिखाई देती हैं। इसके अलावा निकट दृष्टिदोष के निम्न कारण भी पाये गये हैं :—
- 1. विटामिंस की कमी।
- 2. आँख में चोट।
- 3. सुबह जागते ही गरम चाय पीना।
- 4. अत्यधिक टीवी/कम्प्यूटर के सामने बैठना।
- 5. बिना छिलके की दाल और बिना चोकर के आटे का सेवन।
- 6. अप्राकृतिक या असंतुलित, अम्लीय उत्तेजक, ज्यादा मसालेदार, खटाई तथा तले–भुने पदार्थों का अत्यधिक सेवन।
- 7. देर से सोना और देर से जागना।
- 8. लगातार, अत्यन्त बारीक कार्य करना।
- 9. दृष्टिदोष की अनुवांशिकता।
- 10. अन्य कारण : अत्यधिक सम्भोग, मधुमेह, उच्च रक्तचाप, अधिक तनाव तथा कब्ज।
प्रारम्भ में इस स्थिति को आसानी से चश्मे या कांटेक्ट लेंस के प्रयोग से ठीक किया जा सकता है। आधुनिक चिकित्सा में निकट दृष्टिदोष के उपचार का अन्तिम विकल्प शल्यक्रिया बताया जाता है।
होम्योपैथिक उपचार :
निकट दृष्टिदोष चाहे किसी भी प्रकार का और किसी भी स्तर का हो होम्योपैथी की दवाईयों से रोगी के सम्पूर्ण लक्षणों के अनुसार सफलतापूर्वक उपचारित किया जा सकता है। लक्षणानुसार होम्योपैथी की कुछ दवाईयों का विवरण प्रस्तुत है :-
Pysostigma :
प्रमुख लक्षण :
निकट दृष्टिदोष के साथ-साथ रोगी फोटोफोबिया (प्रकाश की असहनीयता) अनुभव करता है।
आंखों की मांसपेशियों की ऐंठन, आंखों और मंद दृष्टि से चिड़चिड़ापन का लक्षण विद्यमान हो।
Ruta Graveolens :
प्रमुख लक्षण :
गंभीर सिर दर्द के साथ निकट दृष्टि दोष।
पढ़ने, सिलाई करने और अन्य बारीक काम करने के साथ आंख के गोलकों में दर्द।
रोगी किसी एक केन्द्र पर ध्यान नहीं गड़ा सकता।
विशेष लक्षण : जरा सा जोर लगाने से गुदा द्वार/कांच बाहर निकल आना।
Viola Odorata :
प्रमुख लक्षण :
दृष्टिभ्रम।
घूमते हुए टेढे-मेढे वृत्त दिखाई देना।
आंखों का गोलक दबा हुआ महसूस होना।
ऐसा लगता है, मानों आंखों से आग की लपटें निकल रही हैं।
आंखों की पलकों का भारीपन।
आंखें रक्तरंजित होना और साथ ही जलन।
निकट दृष्टि दोष के साथ जहां यह आंखों में गंभीर दर्द रहता हो।
Oleum Animale :
प्रमुख लक्षण :
आंखों के सामने चमकती वस्तुएं दिखाई देती हैं।
अस्पष्ट दृष्टि।
भोजन के समय आंसू बहें।
Phosphorus :
प्रमुख लक्षण :
बिना आंखों का अधिक उपयोग किये ही आंखों की और दिमांग की थकान अनुभव होना।
पलकों के आसपास सोजन रहती है।
ऐसा लगता है, जैसे कोई वस्तु आंखों के ऊपर खींची जा रही है।
ऐसा लगता है, जैसे हर एक वस्तु पर्दे या कोहरे में ढकी हुई है।
आंखों के आगे काले चकत्ते या बिन्दियां उड़ती दिखती हैं।
आखों के ऊपर हाथ के पंजे की छाया करने से अच्छा दिखता है।
अत्यधिक सम्भोग करने के कारण आयी कमजोरी का कुफल।
रोगी एकदम कमजोर, शिथिल, बलहीन हो जाता है और कांपने लगता है। अंग सुन्न पड़ जाते हैं। बेहोशी आ जाती है। पक्षाघात जैसी स्थिति हो जाती है। रोगी को एकदम से पसीना आने लगता है।
उपरोक्त के अलावा भी होम्योपैथी की अनेक दवाईयां लक्षणों के अनुसार निकट दृष्टि दोष के लिये उपयोगी हैं। जिनका सही से निर्धारण किसी अनुभवी होम्योपैथ द्वारा ही किया जा सकता है। अत: होम्योपैथ चिकित्सक की सलाह के बिना किसी भी दवाई का सेवन उचित नहीं है।
लेखक :————>>>>>>>>
सेवासुत डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश'
परम्परागत एवं होम्योपैथ चिकित्सक
M/WA No. : 9875066111/01.01.2017
Web Site : http://www.healthcarefriend.in/
facebook page : https://www.facebook.com/healthcarefriendpage/
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