मैं पिछले 10-12 साल से कब्ज, डकार और गैस से बहुत परेशान थी। पेट फूला-फूला सा रहता था। भूख नहीं लगती थी। अनेक बार उल्टी करने का मन करता था। अनेक अंग्रेजी डॉक्टरों को दिखाया। दो आयुर्वेद वाले वैद्यजी को दिखाया। चूर्ण, काढे और ईसबगोल की भुस्सी बताई। जब तक दवाई लेती ठीक रहती। उसके बाद वही की वही परेशानी। इस दौरान मुझे सफेद पानी की बीमारी भी हो गयी। बहुत कमजोर हो गयी। शरीर में जान ही नहीं रही। सिर दर्द भी रहने लगा। जीवन में कोई उत्साह ही नहीं रह गया था। हमारा दाम्पत्य जीवन भी नीरस हो गया था।
थक-हारकर एक दिन मैंने गूगल पर सर्च किया। अनेक डॉक्टरों से बात की, लेकिन सन्तुष्टी नहीं मिली। सर्च करते-करते एक दिन डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश' जी से मोबाईल नम्बर 9875066111 पर बात हुई। मैंने उनको अपनी तकलीफें और सारी बात बताई तो, डॉक्टर निरंकुश ने मुझे कहा कि मैं किसी भी रोग या रोगी को ठीक करने की कोई गारण्टी नहीं देता, लेकिन ठीक करने की सौ परशेंट कोशिश करता हूं। मुझे उनकी यह बात अच्छी लगी।
मैंने खर्चा पूछा तो बोले कि पहले मैं आपकी सम्पूर्ण जानकारी लूंगा। उसके बाद खर्चा बताऊंगा। इसके बाद बाद उन्होंने मेरी सम्पूर्ण डिटेल्स पूछ ली। इससे मुझे शुरू में लगा कि इतनी सारी जानकारी का क्या करेंगे? मुझ से अनेक बार आगे से बात की और मेरा सम्पूर्ण शारीरिक तथा मानसिक लक्षणों विवरण पूछ लिया। फिर मुझे इलाज का खर्चा बताया। इस बात से मुझे बहुत खुशी हुई।
डॉक्टर साहब ने बताया कि कम से कम तीन महिना और अधिक से अधिक 6 से 8 महिने नियमित रूप से दवाई लेनी होगी। पहले 15 दिन तो पुरानी दवाईयों का असर खतम करने के लिये दवाई दी गयी। खर्चा पूछा तो मात्र 1300 से 1800 रुपये प्रति महिने के करीब बताया। मुझे मन ही मन बहुत खुशी हुई, क्योंकि मैं तो पहले कम से कम 30-35 हजार रुपये खर्च कर चुकी थी और कोई फायदा भी नहीं हुआ।
मैंने डॉक्टर साहब के निर्देशों के अनुसार रेग्यूलर दवाई ली और देखते ही देखते मैं अच्छी होने लगी। सफेद-पानी तो 2-3 महिने में ही पूरी तरह से ठीक हो गयी। कुल 5 महिने में, मैं पूरी तरह ठीक हो गयी। इसके बाद भी मुझे एक महिना और दवाई दी। दवाई छोड़े मुझे अब 6 महिने हो गये हैं। अब कोई दवाई नहीं लेती हूं और पूरी तरह से स्वस्थ हूं। कुल मिलाकर डाक खर्च सहित मात्र साढे 9 हजार रुपये खर्च हुए और मैं स्वस्थ हो गयी। डॉ. निरंकुश जी का धन्यवाद।-दीपिका सेन, उज्जैन, मध्य प्रदेश।
डॉक्टर टिप्पणी:
~~~~~~~~मैडम दीपिका जी ने जब मुझे पहली बार काल किया था तो बहुत निराश और मायूस लग रही थी। जीवन के प्रति उत्साह और डॉक्टरों के प्रति दीपिका जी का विश्वास ही कमजोर पड़ गया था। ऐसी मनोशारीरिक स्थिति में रोगी का उपचार करना डॉक्टर के लिए बहुत बड़ी चुनौती की तरह होता है। क्योंकि निराश और हताश रोगी के शरीर में औषधियां आसानी से परिणाम नहीं दिखा पाती हैं। इसलिए मुझे दीपिका जी से अनेक बार बात करनी पड़ी और उनमें जीवन तथा चिकित्सा के प्रति विश्वास जगाना पड़ा। इसके बाद क्या हुआ, वो सब तो खुद दीपिका जी ऊपर लिख ही चुकी हैं। अतः समझने वाली बात यह है कि इलाज के लिए रोगी का जीवन, डॉक्टर और दवाइयों के प्रति आशावान होना बहुत जरूरी होता है। अन्यथा दवाइयां इच्छित परिणाम नहीं दे पाती हैं।-डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश'-85-619-55-619
परामर्श समय : 10 AM से 10 PM के बीच।
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