प्रसव सुरक्षा चक्र (Pregnancy Safeguard) प्राप्त करें और बिना सिजेरियन/आॅपरेशन मां बनें-डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश'
भारत में 40 फीसदी तक प्रसव सिजेरियन अर्थात आॅपरेशन के जरिये हो रहे हैं। जिसके कारण प्रसूता का जीवन और नवजात के पिता का बजट दोनों ही गड़बडा रहे हैं। अनेक ऐजेंसियों की ओर से किये गये सर्वे प्रमाणित करते हैं कि सामान्य और स्वाभाविक प्रसवों को भी जानबूझकर सिजेरियन/आॅपरेशन में बदला जा रहा है। जिसका मूल कारण है-धन की कभी न मिटने वाली लालसा। जबकि 90 फीसदी गर्भवती माताओं का प्रसव सामान्य हो सकता है। जिसके लिये अज्ञानता और भय सबसे बड़ी समस्या हैं। जबकि दूसरी ओर ऐसे वाकये भी सामने आते रहते हैं, जबकि डॉक्टर्स के द्वारा सिजेरियन/आॅपरेशन के लिये दबाव बनाया जाता है। कारण जो भी हों, लेकिन इस कारण नवप्रसूताओं और उनके परिवारों को तरह-तरह की तात्कालिक और स्थायी तकलीफें झेलनी पड़ती हैं। जैसे:-
1. 90 फीसदी गैर-जरूरी: सिजेरियन/आॅपरेशन के जरिये जितने प्रसव होते हैं, उनमें से करीब 90 फीसदी गैर-जरूरी होते हैं। जिन्हें सामान्य प्रसव करवाया जा सकता है।
2. असहनीय पीड़ा: सिजेरियन/आॅपरेशन के कारण प्रसूता को असहनीय पीड़ा सहनी पड़ती है।
3. स्त्री का सौन्दर्य हमेशा को नष्ट हो जाता है: सिजेरियन/आॅपरेशन के जरिये प्रसव होने पर नवप्रसूता युवा स्त्री का शारीरिक सौन्दर्य हमेशा को नष्ट हो जाता है। जिसकी भरपाई कभी नहीं की जा सकती।
4. शारीरिक और मानसिक तकलीफें: सिजेरियन/आॅपरेशन के जरिये प्रसव कराने पर महिलाओं को शारीरिक समस्याओं के साथ-साथ अनेक प्रकार की मानसिक तकलीफें उत्पन्न होने के मामले भी सामने आ रहे हैं। जिनके भयंकर दुष्परिणाम सामने आ रहे हैं।
5. दूसरा प्रसव भी सिजेरियन/आॅपरेशन: पहला प्रसव सिजेरियन/आॅपरेशन से होने के बाद डॉक्टर्स द्वारा यही बताया जाता है कि दूसरा प्रसव भी सिजेरियन/आॅपरेशन के जरिये ही होगा। इस कारण औरतें मानसिक रूप से दूसरे प्रसव को भी सिजेरियन/आॅपरेशन मानकर ही गर्भधारण करती हैं और परिणाम भी सिजेरियन/आॅपरेशन ही होता है। जिसके पीछे लॉ-आॅफ-अट्रेक्शन का सिद्धान्त काम करता है।जबकि पूरी तैयारी और बिना पूर्वाग्रह के दूसरा गर्भ धारण किया जाये और किसी अनुभवी होम्योपैथ की सेवाएं ली जायें तो दूसरा प्रसव सामान्य भी हो सकता है। मेरी देखरेख में ऐसे अनेक मामलों में सफलता मिली है।
6. जीवनभर के लिये लाचार और अक्षम: सिजेरियन/आॅपरेशन के जरिये शिशु को जन्म देने वाली प्रसूता अनेक प्रकार के घरेलु शारीरिक कार्य करने में जीवनभर के लिये लाचार और अक्षम हो जाती हैं।
7. गैर-जरूरी खर्चा: सिजेरियन/आॅपरेशन के जरिये प्रसव कराने पर प्रसूता के परिवार हमेशा को गैर-जरूरी खर्चा वहन करना पड़ता है। जिसके चलते अनेक गरीब परिवार हमेशा को कर्ज में डूब जाते हैं, जो कालान्तर में पति-पत्नी के बीच गृह-कलह का कारण बनते हैं। इस कारण नवजात शिशु की उचित देखभाल और पोष्टिक पोषण में दिक्कतें आती हैं।
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उपरोक्त हालातों में गर्भवती स्त्रियों को उक्त तकलीफों से बचाने में होम्योपैथी और आयुर्वेद की औषधियां मजबूत "प्रसव सुरक्षा चक्र" का काम करती है। मेरा व्यक्तिगत अनुभव है कि गर्भवती स्त्रियों द्वारा शुरू से ही (अन्यथा तीसरे महिने के बाद से) होम्योपैथिक तथा आयुर्वेदिक दवाईयों का नियमित रूप से सेवन करने से अकल्पनीय और अद्भुत परिणाम सामने आते हैं। हमारी ओर से यह "प्रसव सुरक्षा चक्र" पिछले दो दशक से अधिक समय से गर्भवती माताओं को उपलब्ध करवाया जा रहा है। जिससे 90 फीसदी से अधिक मामलों में गर्भवती स्त्रियों को निम्न फायदे होते हैं:-
- 1. प्रसव न तो समय से पहले (Premature) और न निर्धारित समय के बाद (Undue Delay)।
- 2. गर्भस्त्राव या गर्भपात (Miscarriage or Abortion) का खतरा नहीं के बराबर।
- 3. पांचवें महिने से ही गर्भस्थ शिशु की देखरेख। जिससे गर्भ में स्वस्थ शिशु का विकास एवं जन्म हो और दांत निकलने में होने वाली तकलीफों में कमी लायी जा सके।
- 4. गर्भिणी को प्रसव से कुछ दिनों पहले होने वाले झूठे दर्द/फॉल्स लेबर पैन (False Labor Pain) नहीं होते और निर्धारित समय पर प्रसव से कुछ घण्टे पूर्व ही प्रसव पीड़ा शुरू होकर सामान्य प्रसव होता है । अनेक मामलों में घर पर ही आसान, सुरक्षित और सामान्य प्रसव (Easy, Safe and Natural Delivery) होते देखे गये हैं।
- 5. निर्धारित समय पर (280 दिन में) बिना सिजेरियन/आॅपरेशन सामान्य, सुरक्षित और आसान प्रसव।
- 6. माताओं को होने वाली प्रसव पीड़ा (Labor Pain) में 40 से 50 फीसदी तक कमी।
- 7. प्रसव के बाद स्त्री जननांगों में ढीलापन नहीं। (There is no laxity in female genitals after delivery.) प्रसव के 3 माह बाद स्त्री की योनि लगभग पूर्ववत स्थिति में सिकुड़ जाती है। (The female's vagina almost shrinks in the previous condition.) जिससे सम्भोग के दौरान यौनानंद में कोई कमी नहीं आती। योनि ढीलेपन की समस्या नहीं होती। जिससे दाम्पत्य जीवन की सफलता के लिये सुखद शारीरिक अनुभूति का अहसास भी हमेशा को कायम रहता है।
प्रसव सुरक्षा चक्र कहां से प्राप्त करें?
अपने पास के किसी भी अनुभवी होम्योपैथ तथा आयुर्वेद डॉक्टर से सम्पर्क करें और उनसे प्रसव सुरक्षा चक्र प्राप्त करें या हेल्थ वाट्सएप नम्बर: 85619 55619 पर मुझ से सीधे सम्पर्क किया जा सकता है।
किनके लिये अधिक उपयोगी: जो बेटियां विवाह बंधन में बंधकर पहली बार गर्भधारण कर चुकी हैं या गर्भधारण करने जा रही हैं, उनके स्वास्थ्य की सुरक्षा, गर्भस्थ शिशु के पोषण, दर्दरहित सामान्य एवं आसान प्रसव, प्रसव के बाद पूर्ववत यौनसुख के साथ-साथ सुखद दाम्पत्य जीवन के लिये प्रसव सुरक्षा चक्र वरदान सिद्ध हो रहा है।
खर्चा कितना?
वैसे तो प्रसूता की स्थिति को जानने के बाद ही वास्तविक खर्चा बताया जा सकता है। क्योंकि भारत में अधिकतर मामलों में बिना तैयारी के ही औरतें गर्भवती हो जाती हैं। जिनमें से बहुत सारी ऐनेमिक (Anemic) अर्थात रक्ताल्पता की शिकार होती हैं। अत: यदि किसी विशेष पौष्टिक सप्लीमेंट की जरूरत नहीं हो तो "प्रसव सुरक्षा चक्र" सामान्यत: पैकिंग और पोस्टेज सहित न्यूनतम 900 रुपये और अधिकतम 1500 रुपये प्रतिमाह के बीच का खर्चा पड़ता है। इस खर्चे को और कम करने के लिये हम लगातार शोध और अध्ययन कर रहे हैं।
क्या व्यक्तिगत रूप से मिलना पड़ता है?
नहीं, गर्भवती स्त्री को हमसे व्यक्तिगत रूप से आकर मिलने की जरूरत नहीं होती है। फोन, मोबाईल और वाट्सएप के जरिये सारी जानकारी बतायी और पूछी जा सकती हैं। लेकिन समय-समय पर किसी योग्य प्रसूता विशेषज्ञ को दिखाते रहने की सलाह अवश्य दी जाती है।
परामर्श: सम्भव हो तो गर्भधारण से पहले अन्यथा गर्भधारण के तत्काल बाद अपने लोकल चिकित्सक से परामर्थ करें तथा प्रसव सुरक्षा चक्र हेतु मेरे हेल्थ वाट्सएप नम्बर: 85619 55619 पर भी सम्पर्क किया जा सकता है। 95 फीसदी से अधिक मामलों में गर्भिणी को हम से व्यक्तिगत रूप से आकर मिलने की जरूरत नहीं पड़ती है।
-डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश' On Line-Health Care Friend (होम्योपैथ एवं परम्परागत चिकित्सक) and Marital Dispute Consultant-Dr. PL Meena, Health WhatsApp No. 8561955619
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