मेथी (FENUGREEK)
परिचय: मेथी की खेती लगभग सभी प्रदेशों में की जाती है। मेथी के पत्तों से सब्जी बनायी जाती है। इसके बीजों का उपयोग आहार के लिए विभिन्न व्यंजनों में तथा औषधि के रूप में बहुत अधिक किया जाता है। मेथी के फूल एवं फल जनवरी से मार्च के महीनों में लगते हैं। मेथी के पौधे एक फुट ऊंचे होते हैं। इसके पत्ते छोटे और गोल-गोल होते हैं। मेथी के दाने को मेथी दाना कहते हैं। यह जगंलों में भी पाई जाती है। जंगलों में पायी जाने
वाली मेथी कम गुण वाली होती है। राजस्थान में मेथी के दानों की सब्जी बनाई जाती है, सब्जी के अलावा मेथी के पत्तों से ढोकले, मुठिए और गोटे भी बनाये जाते हैं। कुछ लोग मूंग और मेथी के दानों का मिश्रित साग बनाते हैं। इसके अलावा कच्चे आम के टुकड़े करके उसमें पिसी हुई मेथी और अन्य मसाले मिलाकर अचार बनाये जाते हैं। यह अचार स्वादिष्ट और गुणकारी होता है। सर्दी के मौसम में मेथी ज्यादातर सभी घरों में सेवन की जाती है।
[दाम्पत्य सुख को समझने और भोगने के इच्छुक हर एक स्त्री और पुरुष को पढने योग्य अति महत्वपूर्ण और उपयोगी जानकारी प्रदान करने वाला एक पढने योग्य आलेख!-"अतृप्त दाम्पत्य कारण एवं निवारण!" ]
विभिन्न भाषाओं में नाम:
संस्कृत | मेथिका, मेथिनी, पीतबीजा |
हिन्दी | मेथी |
मराठी | मेथी |
गुजराती | मेथी |
बंगाली | मेथी |
पंजाबी | मेथी |
अंग्रेजी | फेनुग्रीक |
लैटिन | ट्राइगोनेला फीनुम ग्रीकम |
तेलगू | मेन्तुलु |
कन्नड़ | मेथयक, मेन्तिया |
तमिल | वेंडयम |
मलयालम | वेन्तियम |
फारसी | शमलिह |
रंग: मेथी लाली लिए हुए हल्के पीले रंग की होती है।
स्वाद: मेथी का स्वाद खाने में कड़वा और तीखा होता है।
स्वरूप: मेथी का पौधा 30 से 60 सेमी तक ऊंचा होता है। इन पौधों पर छोटे-छोटे पतों वाली मेथी पैदा होती है। इसके पौधों की कलियों में छोटे-छोटे दाने होते हैं। मेथी को किसी भी मौसम में घर के बाहर लॉन या आंगन में आसानी से उगाया जा सकता है। इसके पत्ते संयुक्त पत्तों के साथ 1.5 सेमी से 4.5 सेमी लंबे होते हैं तथा फूल सफेद या हल्के पीले रंग के होते हैं। मेथी की फलियां 7.5 से 10 सेमी लंबी होती हैं, इसकी फलियों में 10 से 20 पीले रंग के बीज होते हैं। मेथी के फूल एवं फल जनवरी से मार्च के महीनों में लगते हैं।
स्वभाव: मेथी खाने में गर्म होती है।
हानिकारक: जिनकी प्रकृति गर्म हो और शरीर के किसी भी अंग से खून गिरता हो, जैसे- खूनी बवासीर, नाक से खून का गिरना (नकसीर), पेशाब में खून आना, मासिक-धर्म में अधिक खून आना और कई दिनों तक आते रहना आदि रोग हो, उन्हें तेज गर्मी के मौसम में मेथी का प्रयोग कम और सावधानी से करना चाहिए। मेथी का प्रभाव गर्म होता है। अत: इसे सर्दी के मौसम में सेवन करना अधिक लाभदायक है। मेथी अधिक मात्रा में खाने से पित्त बढ़ती है, इसलिए इसका सेवन मात्रा के अनुसार ही करना चाहिए।
दोषों को दूर करने वाला: घी, मेथी के गुणों को सुरक्षित रखकर उसके दोषों को दूर करती है।
तुलना: मेथी की तुलना अलसी के साथ की जा सकती है।
मात्रा: मेथी के दानों का चूर्ण 3 से 6 ग्राम तक ले सकते हैं।
गुण:
- मेथी की सब्जी को खाने से खून में शुद्धता आती है|
- वात रोग में मेथी का आटा छाछ में मिलाकर पीने से लाभ मिलता है|
- इसके सेवन से वायु (गैस), कफ (बलगम) और ज्वर (बुखार) दूर होता है।
- यह पेट के कीड़े, दर्द, जोड़ों के दर्द (सन्धिवात), पेट में वायु की गांठ, कमर का दर्द और शारीरिक पीड़ा को दूर करती है।
- दिल के लिए यह काफी लाभदायक होती है।
- मेथी में पाचनशक्ति और कामवासना बढ़ाने की शक्ति होती है।
- इससे स्त्रियों की कमजोरी दूर होती है, शक्ति आती है और भूख बढ़ती है।
- बच्चे के जन्म (प्रसूति) होने के बाद गर्भाशय में कोई कमी रह गई हो, गर्भाशय ठीक से संकुचित न हुआ हो तो मेथी को पकाकर खाने से लाभ होता है।
- दस्त, बदहजमी (भोजन का न पचना), अरुचि (भोजन का मन न करना) और सन्धिवात (जोड़ों का दर्द) में मेथी के लड्डूओं को सेवन किया जाता है।
- घरेलू औषधि के रूप में मेथी बहुत उपयोगी है।
- मेथी वात (गैस), कफ (बलगम) और ज्वर (बुखार) का नाश करती है|
- रक्तपित्त और अरुचि को मिटाती है, भूख को बढ़ाती है तथा मल को रोकती है।
- मेथी हृदय के लिए लाभकारी तथा बलवर्द्धक है।
- यह खांसी, सूजन, बादी बवासीर, कृमि (कीड़े) और वीर्य का नाश करती है, पेशाब लाती है|
- बंद हुए मासिक-धर्म को फिर से जारी करती है, स्वभाव को कोमल करती है, सर्दी से होने वाली बीमारी, मिर्गी, लकवा और फालिज इत्यादि में हितकर है।
- मेथी का काढ़ा कान के दर्द को मिटाता है।
- मेथी गर्भाशय संकोचक, स्तन एवं प्रसव पीड़ा को नष्ट करती है।
- मेथी भूख को बढ़ाती है तथा नपुंसकता, कमजोरी, गठिया(जोड़ों का दर्द), मधुमेह, बाल रोग, कब्ज, अनिद्रा (नींद का कम आना), मोटापा, रक्तातिसार तथा जलन आदि रोगों के लिए यह काफी हितकारी होती है।
गुण: मेथी चिकनी और भारी होती है। वैज्ञानिक मतानुसार मेथी की रासायनिक संरचना का विश्लेषण करने पर ज्ञात होता है कि मेथी की पत्तियों में पानी 81.8 प्रतिशत, रेशे 1.01 प्रतिशत, वसा 0.9 प्रतिशत, लोहा 16.19 मिलीग्राम प्रति 100 ग्राम में तथा अल्प मात्रा में कैल्शियम फास्फोरस और विटामिन ए, बी, सी भी पाए जाते हैं। मेथी दानों में 25 प्रतिशत फास्फोरिक एसिड, कोलाइन और ट्राइगोनेलिन एल्केलाइड्स, गोंद, लेसीथिन, स्थिर तेल, एलब्युमिन प्रोटीन, पीले रंग के रंजक पदार्थ पाए जाते हैं।
मैथी के सूखे पंचांग में तो प्रोटीन की मात्रा 16 प्रतिशत तक पाई जाती है। इसमें खून और पेशाब में ग्लूकोज की मात्रा कम करने का विशेष गुण होने के कारण डायबिटीज में ये बहुत गुणकारी होते हैं। मेथी के बीजों में मुख्य तौर से वाष्पशील व स्थिर तेल, प्रोटीन, सेल्यूलोज, स्टार्च, शर्करा, म्यूसिलेज, खनिज पदार्थ, एल्कोलायड व विटामिन पाये जाते हैं। बीजों का गन्धयुक्त कड़वा स्वाद इसमें पाये जाने वाले `ऑलिबोरेजिन´ के कारण होता है। एक रिचर्स के अनुसार इसके दानों में पानी 7.0 से 11.0 प्रतिशत, क्रूड प्रोटीन 27.7 से 38.6 प्रतिशत, खनिज पदार्थ 3.4 से 6.8 प्रतिशत, पेट्रोलियम ईथर 5.2 से 8.2 प्रतिशत, एल्कोहल 16.6 से 24.8 प्रतिशत व अम्ल अघुलनशील राख 0.2 से 2.3 प्रतिशत पाया जाता है। मेथी के दानों में विटामिन `ए`, `सी´ और नियासीन´ अधिक मात्रा में होता है।
मेथी में पाए जाने वाले तत्त्व:
तत्त्व | मात्रा(ग्राम में) | तत्त्व | मात्रा (ग्राम में) |
प्रोटीन | 4.9 प्रतिशत | अन्य खनिज पदार्थ | 1.6 प्रतिशत |
वसा | 0.9 प्रतिशत | कैल्शियम | 0.47 प्रतिशत |
कार्बोहाइड्ट | 9.8 प्रतिशत | फॉस्फोरस | 0.05 प्रतिशत |
पानी | 81.8 प्रतिशत | लौह | 16.9 मिलीग्राम /100 ग्राम |
विटामिन-ए | 3900 आई.यू /100 ग्राम | विटामिन-बी | 70 आई.यू /100 ग्राम |
मैथी के दानों में स्वास्थ्य का राज आप भी इस्तेमाल करे
मैथी महत्वपूर्ण औषधियों में से एक है इसमें विटामिन के साथ धात्विक पदार्थ और प्रोटीन प्रचुर मात्रा में पाए जाते है अधिकांश लोग मैथी की कडवाहट के कारण इसे पसंद नहीं करते पर यही कडवाहट खाने का स्वाद बढ़ाता है साथ ही यह भूख बढ़ाने में सहायक होता है मैथी में कडवापन उसमे उपस्थित पदार्थ 'ग्लाइकोसाइड ' के कारण होता है मैथी में फास्फेट , लेसिथिन, विटामिन डी और लौह अयस्क होता है जो आपकी स्वास्थ्य जरूरतों को पूरा करते है ।
मैथी दाने न सिर्फ शरीर को आंतरिक रूप से मजबूत करते है बल्कि शरीर को बाहरी सुन्दरता देने में भी सहायक हो सकते है मैथी के दानों को पीसकर यदि त्वचा पर लगाया जाए तो यह सुन्दर और मुलायम बनती है इसका प्रयोग घाव और जलने के इलाज में भी किया जाता है पुराने समय में बच्चे के जन्म को आसान बनाने के लिए गर्भवती स्त्री को मैथी खिलाई जाती थी मैथी में ऐसे पाचक एंजाइम होते है जो आग्नाशय को अधिक क्रिया शील बना देते है इससे पाचन क्रिया भी सरल हो जाती है यह गैस्ट्रिक अल्सर के उपचार में भी उपयोगी है मैथी के स्टेराइड युक्त सैपोनिन और लस दार रेशे रक्त में शर्करा को कम कर देते है इसलिए मैथी का सेवन मधुमेह रोगियों के लिए भी लाभदायक होता है मैथी को यदि कुछ मात्रा में रोज लिया जाए ओ इससे मानसिक सक्रियता बढ़ती है साथ ही यह शरीर के कोलेस्ट्रोल का स्तर भी घटता है ।-स्त्रोत :
आर्गनिक भाग्योदय, बुधवार, 9 जून 2010
एक चम्मच मेथी दाना में चुटकी भर पिसी हुई हींग मिलाकर पानी के साथ फांखने से पेटदर्द में आराम मिलता है। मेथी डायबिटीज में भी लाभदायक होती है। मैथी के लड्डू खाने से जोडों के दर्द में लाभ मिलता है। स्त्रोत :
पीपुल्स समाचार डोट को डोट इन
अनेक रोगों की दवा है मैथी दाना: डॉ. जैन
भोगांव (मैनपुरी) (
जागरण) एक नवीन शोध में डाबिटीज एवं हृदय रोग में मैथी दाना बहुत ही कारगर साबित हुआ है। इसके नियमित सेवन से रक्त में कॉलेस्ट्राल की मात्रा नियमित करने में सहायता मिलती है। तथा रक्त में सुगर की मात्रा उत्तरोतर कम होती जाती है।
उक्त विचार राष्ट्रीय शाकाहार शोध संस्थान नई दिल्ली के शाकाहार विशेषज्ञ डॉ. मनोज कुमार जैन ने व्यक्त करते हुए कहा है मैथी दाना के नियमित सेवन से मूत्र के साथ निकलने वाली सुगर की मात्रा 65 प्रतिशत तक कम हो जाती है। जिसका दस दिन में ही असर दिखाई देने लगता है।
उन्होने कहा है शोध के अनुसार मैथी दाना पाउडर को कांच के गिलास में शुद्ध जल को भरकर भिगो दे तथा प्रात: मंजन करने के बाद खाली पेट उस जल को पी लें। उन्होने मैथी के गुणों की उपयोगिता का बखान करते हुए कहा शाकाहार चिकित्सा में सफेद बालों की समस्या में आधा कप मैथी दाना को रात्रि में भिगोकर प्रात: उसका पेस्ट बनाकर बालो में लगायें। तथा आधा घंटा के पश्चात नीम के पानी से बालो को धो दें। एक माह तक ऐसा करने से बाल काले होने शुरू हो जाते हैं ।
डॉ. जैन ने कहा है दस्त आने पर मैथी के 15 दाने भुने तथा 15 दाने कच्चे पीसकर दिन में तीन बार सेवन करने से दस्त बंद हो जाते हैं। तथा मैथी दाना की चाय पीने से पेट की ऐंठन, गैस में तत्काल लाभ मिलता है।
कान दर्द में मैथी दाने को पीसकर दूध में मिलाकर गर्म करके कान में कुछ बूंद टपकाने पर कान दर्द और मवाद आना बंद हो जाता है।
उन्होने शाकाहार को अमृत बताते हुए कहा है शाकाहारी भोजन प्रोटीन मिनरल, कैलोरीज ,कार्बोहाइड्रेट आयरन जैसे ताकतवर एवं पौष्टिक पदार्थो का खजाना है।
मैथी खाएं, कामेच्छा बढ़ाएं
(
हिंदी वेब दुनिया)
लंदन, मंगलवार, 21 जून २०११ ( 16:53 IST ) भारतीय और अन्य एशियाई देशों में अपनी यौन क्रियाओं को बढ़ाने की इच्छा रखने वाले लोगों को पश्चिम के उत्पादों की तरफ देखने की जरूरत नहीं है, क्योंकि घर-घर में मिलने वाली मैथी भी इसमें सक्षम है।
ब्रिसबेन स्थित एकीकृत नैदानिक और आणविक चिकित्सा केंद्र के अनुसंधानकर्ताओं का कहना है कि भारत में सबसे अधिक मात्रा में पाई जाने वाली मैथी पुरुषों की कामेच्छाओं को काफी अच्छे स्तर तक बढ़ाने में सक्षम है।
अनुसंधानकर्ताओं के अनुसार मैथी के बीज में पाया जाने वाला सैपोनीन पुरुषों में पाए जाने वाले टेस्टोस्टेरॉन हॉरमोन में उत्तेजना पैदा करता है।
गौरतलब है कि भारत में कढ़ी और सब्जियों में इस्तेमाल की जाने वाली मैथी मुख्य तौर पर राजस्थान, गुजरात, उत्तरप्रदेश, उत्तराखंड, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, हरियाणा और पंजाब में उगाई जाती है। (भाषा)
कब्ज भगाए मैथीदाना
22 दिसंबर, 2008 8:54:00 AM IST
मैथी दाना कब्ज का कब्जा छुड़ाने में बेहद असरकारक है। अगर रोज एक-एक चम्मच मैथी दाना खड़ा अर्थात साबुत पानी के साथ सुबह शाम निगला जाए तो कब्ज दूर होता है। यह पेट में जा कर फूलता है और आँतों मे चिपके मल को बाहर धकेलने में मदद करता है।
• मैथी दाना सेवन के अन्य लाभ भी हैं जैसे जोड़ों के दर्द को यह दूर करता है। घुटनों के दर्द में भी राहत देता है। मधुमेह नाशक है। रक्त में कोलेस्ट्रोल की मात्रा घटा कर खून को पतला करता है। वात नाशक तो यह है ही। गैस नहीं बनने देता। वात और पित्त के संतुलन को कायम रखता है।
• जिनकी आँखों के नीचे काली झाई पड़ जाती है, उन्हे मैथी दाना पहले भीगा कर फिर उसे पीस कर आँखों के नीचे उसका लेप लगाना चाहिए। ऐसा कुछ दिन करने से झाइयाँ मिट जाती हैं।
नहीं होगा कोई रोग, मैथी का ये अचूक प्रयोग ठंड में बना देगा आपकी सेहत
ठंड में आने वाली सारी हरे पत्तेदार सब्जियों को स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभकारी माना गया है। अगर बात मेथी की हो तो मेथी तो वो सब्जी है जो खाने के स्वाद को और ज्यादा बड़ा देती है। मसालों, सब्जियों के बघार में,अचार में, पत्तियों की सब्जी और मेथी के पराठे बहुत चाव से खाए जाते हैं। मेथी का दवाई के रूप में उपयोग हजारों सालों से किया जाता रहा है। कमर दर्द, गठिया दर्द, प्रसव के बाद, डाइबिटीज के साथ ही जोड़ों के दर्द, आंखों की कमजोरी, शारीरिक दुर्बलता, मूत्र संबंधी विकार ये सब दूर होते हैं। इसका सेवन हर साल करते रहना चाहिए।
स्त्रियां भी इसका सेवन करके सदैव स्वस्थ रह सकती हैं एवं चिरयौवन प्राप्त कर सकती हैं। हर साल सर्दियों के मौसम में इसे लाग के रूप में खाया जाता है। माना जाता है ठंड में इसका सेवन करने से शरीर स्वस्थ व निरोगी रहता है।
सामग्री- मेथीदाने- 500 ग्राम, सोंठ का बारीक पाउडर 250 ग्राम, दूध चार लीटर, घी 500 ग्राम, चीनी 1.5 किलो, सोंठ, छोटी पीपलामूल, अजवाइन, जीरा, कलौंजी, सौंफ, धनिया, तेजपत्ता, कचूर, दालचीनी, जायफल और नागरमोथा ये सब 10-10 ग्राम।
बनाने की विधि- उक्त सभी कूट पीसकर बारीक चूर्ण बना लें। अब दूध को एक साफ कड़ाई में डालकर आग पर चढ़ाएं। औटाने पर जब दूध आधा रह जाए, तब इसमें मेथी का पिसा चूर्ण तथा सोंठ का पिसा हुआ चूर्ण डाल दें। हिलाते रहें और मावा बना दें। अब घी डालकर इसकी सिकाई करें। गुलाबी रंग का होने तक सेकें । अब इसमें मावा और बाकी की सब पिसी हुई दवाईयां मिलाकर चलाएं। जब कुछ गाढ़ा सा हो जाए, तब नीचे उतार लें तथा या तो जमाकर बर्फी जैसी चक्की काट लें अथवा लगभग 10-10 ग्राम वजन के लड्डू बांध दें।
सेवन कैसे करें- इस लड्डू को सुबह के समय 200 ग्राम की मात्रा में खाकर ऊपर से दूध पीएं। इससे सभी तरह के वायु विकार समाप्त होते हैं। शरीर हष्ट-पुष्ट होता है। प्रसव के बाद स्त्रियां इस पाक का सेवन करें। उनका शरीर कांतिमान हो जाता है। जिन व्यक्तियों के जोड़ों में सूजन, दर्द, घुटनों में दर्द, थकान सी महसूस होना, पैरों के तलवों में अत्याधिक पसीना आना, बायंटे आना व गैस संबंधित सभी बीमारियों में फायदा होता है।
PJan 29, 2012
मैथी दाना
मैथी के प्रयोग :-
- सब्जी से ज्यादा लाभकारी हे औषधि के रूप में मेथी का उपयोग …
- इसके पत्तों कों सब्जी के रूप में उपयोग किया जाता हे
- बीजों कों सब्जी के अलावा अचार, मसाले और औषधि तीनों रूप में उपयोग में लाया जाता हें |
- आयुर्वेद के अनुसार मेथी वात्त, पित्त, कफ, ज्वर तथा दाहनाशक होती है।
- मेथी के दानों में फास्फोरिक एसिड, लेसीथिन, प्रोटीन, कोलाइन और ट्राइगोनेलिन एल्केनाइड्स पाया जाता है।
- मेथी में कैल्शियम, पोटेशियम, सोडियम, एवं विटामिन सी भी होता है।
- जितना प्रोटीन हमें दाल से मिलता हे उतना मैथी की सूखी पत्तियों में पाया जाता है। इसके अलावा इसमें कई गुण होते हैं जो भूख को बढ़ाते हैं। यह अपचन, सूजन, मुंह के छाले आदि के लिए लाभकारी है।
- मेथी के पत्ते भीनी कड़वी सुगंध युक्त, स्वाद में कड़वे, वातनाशक, कब्ज, उदावर्त, अजीर्ण, पेट की गैस मिटाने वाले, जोड़ों के दर्द में लाभदायक, प्रमेह व मधुमेह में पथ्य का काम करते हैं।
- इसके प्रयोग से मूत्राशय की शिथिलता दूर होती है।
मेथी के अन्य उपयोग :-
- सर्दियों में इसके लड्डू शरीर की ऊर्जा का संरक्षण और वृद्धि करते हैं। देशी घी में मेथी के आटे को भून लें। आटे से चौगुनी मात्रा में गुड़ कूट कर मिला लें। इस मिश्रण के पचास-पचास ग्राम के लड्डू बना लें और रोज प्रात: नाश्ते के रूप में प्रयोग करें। इसके प्रयोग से हड्डीयों, जोड़ों, मांस पेशियों का दर्द तथा गठिया और गृघ्रसी में लाभ मिलता है।
- साबुत दाने मुंह में रखकर चबाकर खाने या मुंह में रख कर चूसते रहने पर वृद्धावस्था में अपानवायु के कारण होने वाले रोगों जोड़ों व घुटनों के दर्द, गृघ्रसी, बार-बार मूत्र त्याग, हाथ-पांव सूने पड़ने, मांसपेशियों में खिंचाव, भूख न लगने, कब्ज, चक्कर आने आदि लक्षणों में आराम मिलता है।
- मेथी दाना , आंवला, रीठा के छिलके, काली मिट्टी, शीकाकाई व भांगरे के मिश्रण के लेपन तथा दो तीन घंटे बाद धोने से बाल स्वच्छ, फंगस रहित, मुलायम चिकने व काले होते हैं।
गुणभरी है मेथी :-
- रक्त में लाल कणों की वृद्धि के लिये भी लाभकारी है।
- मेथी के दानों का चूर्ण एक चम्मच सुबह-शाम नियमित रूप से लेने से घुटने, जोड़ों, आमवाल, लकवा व गठिया रोगों में भी आराम मिलता है।
- महिलाओं के प्रदर रोग में इसका सेवन लाभकारी है।
- भूख न लगने, बहुमूत्र, साइटिका, दमा, पेट व मांसपेशिया के दर्द निवारण हेतु मेथी के दानों की एक चम्मच मात्रा पानी के सेवन के साथ लेने से लाभ मिलता है।
- मेथी के दानों का लेप बालों में लगाने से बाल मजबूत होते हैं और उनका झड़ना दूर होता है।
- मेथी के पानी को दांतों पर रगड़ने से दांत मजबूत होते हैं।
- मेथी का एक अन्य गुण यह भी है कि इसकी चाय पीने से श्वास नली में सूजन, नजला जुकाम दूर होते हैं।
- गले की खराश मिटाने के लिए भी मेथी के बीज से बने काढ़े से कुल्ला करने पर राहत मिलती है।
- इसके अलावा प्याज के साथ मेथी की सब्जी मधुमेह और ह्रदय रोग के लिए उपयोगी है।
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