सेहत के साथी हैं गेहूं के अंकुरित दाने
रजनी कुमावत
अंकुरित अनाज सेहत के लिए काफी फायदेमंद होते हैं। अब गेहूं को ही ले लीजिए। गेहूं के आटे से बनी चपाती तो सबसे सहज और पौष्टिक खाद्य है ही। अंकुरित गेहूं भी आपको ढेर सारे विटामिन्स तथा पौष्टिक तत्व दे सकते हैं। गुणों से भरपूर होने के साथ ही ये आपके बजट में भी आसानी से समा सकता है। अंकुरित गेहूं शरीर के लिए शक्तिवर्धक टॉनिक की तरह ही है।
अंकुर उगे हुए गेहूं में विटामिन-ई भरपूर मात्रा में होता है। शरीर की उर्वरक क्षमता बढ़ाने के लिए विटामिन-ई एक आवश्यक पोषक तत्व है। यही नहीं, इस तरह के गेहूं के सेवन से त्वचा और बाल भी चमकदार बने रहते हैं। किडनी, ग्रंथियों, तंत्रिका तंत्र की मजबूत तथा नई रक्त कोशिकाओं के निर्माण में भी इससे मदद मिलती है। अंकुरित गेहुं में मौजूद तत्व शरीर से अतिरिक्त वसा का भी शोषण कर लेते हैं।
इतना ही नहीं, अंकुरित गेहूं खाने से शरीर का मेटाबॉलिज्म रेट बढ़ता है। यह शरीर में बनने वाले विषैले तत्वों को भी निष्प्रभावी कर, रक्त को शुद्घ करता है। अंकुरित गेहूं के दानों को चबाकर खाने से शरीर की कोशिकाएं शुद्घ होती हैं और इससे नई कोशिकाओं के निर्माण में भी मदद मिलती है। अंकुरित गेहूं में उपस्थित फाइबर के कारण इसके नियमित सेवन से पाचन क्रिया भी सुचारु रहती है। अतः जिन लोगों को पाचन संबंधी समस्याएं हो उनके लिए भी अंकुरित गेहूं का सेवन फायदेमंद है।
कैसे करें अंकुरित
गेहूं अंकुरित करने के लिए अच्छी गुणवत्ता का गेहूं लें। गेहूं को साफ करके 6-12 घंटे के लिए पानी में भिगो दें। इन गेहूं को दिन में तीन बार पानी से धोएं। अब गेहूं को स्प्राउट मेकर में या कपड़े में बांधकर रख दें। अंकुरित होने पर मनचाहे तरीके से इनका प्रयोग करें। बच्चों के लिए भी आप इनसे पराठे, स्टफ्ड पूरी, सैंडविच जैसी चीजें बना सकती हैं। वहीं डाइट कांशस लोग इसे सिंपल तरीके से नीबू तथा हल्के मसाले के साथ खा सकते हैं।
अंकुरित गेहूं
(
जे के हेल्थ )
389 कैलोरी 5 व्यक्त्तियों के लिए।
सामग्री
अंकुरित गेहूं | 100 ग्राम |
पार्सले | 50 ग्राम कटा हुआ |
नींबू और नमक | स्वाद अनुसार |
नारियल कद्दूकस किया हुआ | 1 बड़ा चम्मच |
विधि- दूसरे अंकुरित सलादों की तरह।
गेहूं का ज्वारा
जब गेहूं के बीज को अच्छी उपजाऊ जमीन में बोया जाता है, तो कुछ ही दिनों में वह अंकुरित होकर बढ़ने लगता है और उसमें पत्तियां निकलने लगती है। जब यह अंकुरण पांच-छह पत्तों का हो जाता है तो अंकुरित बीज का यह भाग गेहूं का ज्वारा कहलाता है। औषधीय विज्ञान में गेहूं का यह ज्वारा काफी उपयोगी सिद्ध हुआ है। गेहूं के ज्वारे का रस कैंसर जैसे कई रोगों से लड़ने की क्षमता रखता है।
उगाने का तरीका : गेहूं के ज्वारे के रस का सेवन करने के लिए इसे अपने ही हाथों उगाया जाना चाहिए। इसके लिए तस्तरीनुमा दस पात्र की व्यवस्था करें। पात्र में बीज उगने लायक नम दोमट मिट्टी भरें। एक पात्र में पहले दिन स्वस्थ गेहूं का बीज बो दें। उसे उगने तक उसकी देखभाल करें। पानी, धूप आदि की व्यवस्था करते रहें। दूसरे दिन दूसरे पात्र में, तीसरे दिन तीसरे पात्र में....इसी तरह दसवें दिन दसवें पात्र में बीज बोएं। दसवें दिन पहले पात्र में पांच-छह पत्तियों का ज्वारा निकल आएगा। इस ज्वारे को जड़ सहित उखाड़ लें। जड़ की मिट्टी धोकर साफ कर लें। फिर इसमें पांच पत्ती तुलसी, पांच पत्ती पुदीना, पांच दाना काली मिर्च डालकर पीस लें और कपड़े से छानकर रस निकालें। यह रस....हलाता है। इस हरित रक्त को सीधे पी जाएं। पहले दिन पहला पात्र खाली हुआ, उस में नया बीज बो दें. इसी तरह इसका कम से कम इक्कीस दिन उपयोग करें तो लाभ दिखेगा। गेहूं के ज्वारे के रस की तुलनात्मक प्रकृति गेहूं के ज्वार के रस की आण्विक संरचना रक्त के हिमोग्लोबीन से मिलती-जुलती है। दोनों की संचरना में मात्र इतना फर्क है कि रक्त के केंद्र में लौह तत्व यानि एफई रहता है, जबकि गेहूं के ज्वारे के रस के अणु में मैंगनीज यानि एमजी। उपयोग यह हरित रक्त शरीर में रक्त की कमी को पूरा करता है। कई चिकित्सा विशेषज्ञों ने पाया है कि यह ल्यूकेमिया जैसे रोग को नष्ट करने की क्षमता रखता रखता है। कैंसर जैसे घातक रोगों पर विजय पाने में इस रस ने काफी मदद की है। साथ ही यह शरीर के रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाकर शारीरिक क्षमता को बढ़ाता है।
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