Online Dr. P.L. Meena (डॉ. पुरुषोत्तम लाल मीणा)

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अंकुरित भोजन (Sprouts)

( अंकुरित भोजन को इसे पूर्व पचित भोजन भी कहते हैं।)

परिचय : अंकुरित भोजन शारीरिक, मानसिक एवं अध्यात्मिक संतुलन के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। अंकुरित भोजन केवल भोजन नहीं रहता, बल्कि उसमें ‘वेतासार ग्लूकोज एवं प्रोटीन एमिनों एसिड में बदलकर पचाने के साथ स्वास्थ्य एवं शक्ति बढ़ाने के गुण पैदा हो जाते हैं। इसलिए इसे पूर्व पचित भोजन भी कहते हैं।
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अंकुरित भोजन क्लोरोफिल, विटामिन (`ए´, `बी´, `सी´, `डी´ और `के´) कैल्शियम, फास्फोरस, पोटैशियम, मैगनीशियम, आयरन, जैसे खनिजों का अच्छा स्रोत होता है।

अंकुरित भोजन भूख बढ़ाने वाला, शरीर के जहरीले तत्व निकालने वाला मूत्रर्वधक होता है। अंकुरित भोजन आपको फिर से जवान बनाने वाला भोजन है, जो मनुष्य को सुन्दर स्वस्थ और रोग से छुटकारा दिलाता है। अंकुरित भोजन शरीर को ऊर्जा देने का अच्छा स्रोत है। यह जल्द और आसानी से शरीर द्वारा ग्रहण कर लिया जाता है।

लाभकारी :
  1. अंकुरित भोजन कुपोषण को दूर करता है।
  2. अंकुरित भोजन पेट में से गैस व कब्ज को दूर करता है।
  3. अंकुरित भोजन रोगों को ठीक करने वाला होता है।

जानकारी : मंहगे फल और सब्जियों की जगह अंकुरित भोजन ले सकते हैं। यह सस्ता, सरल और बनाने में आसान है। इसलिए यह सभी के बजट के अनूकूल होता है। अंकुरित भोजन व्यक्ति को नया जीवन देने वाला होता है और इसमें कोई मिलावट भी नहीं होती है।

अंकुरित किये जाने वाले खाद्य-पदार्थ : गेंहू, मूंग, मोठ, सोयाबीन, मूंगफली, मक्का, तिल, चना, अल्फाल्फा, अन्न, दालें और बीज आदि अंकुरित किये जा सकते हैं।

अंकुरित करने की विधि : सूखे अनाज व दाल आदि जिसे भी अंकुरित करना हो उसे धोकर एक पानी से भरे बर्तन में भिगो दें, फिर 12 घंटे बाद पानी से निकालकर कपडे़ आदि में ऐसे रखें कि उन्हे नमी और हवा मिलती रहे। इसके 12 से 30 घंटे के बीच अंकुर फूटनी चालू हो जाती है।

अब आपका अंकुरित भोजन तैयार हो गया है। इस स्थित में इसे धो लें और इसका प्रयोग करें।

अंकुरित भोजन को कैसे खायें :

अंकुरित भोजन को कच्चा, अधपका और बिना नमक आदि के प्रयोग करने से लाभ होता है।
एक दलीय : एक दलीय अंकुरित (गेहूं, बाजरा, ज्वार, मक्का आदि) के साथ मीठी खाद्य (खजूर, किशमिश, मुनक्का तथा शहद आदि) एवं फल लिए जा सकते हैं।
द्विदलीय : द्विदलीय अंकुरित (चना, मूंग, मोठ, मटर, मूंगफली, सोयाबीन, आदि) के साथ टमाटर, गाजर, खीरा, ककड़ी, शिमला मिर्च, हरे पत्ते (पालक, पुदीना, धनिया, बथुआ, आदि) और सलाद, नींबू मिलाकर खाना बहुत ही स्वादिष्ट और स्वास्थ्यदायक होता है।

बच्चे व बूढ़े के लिए अंकुरित भोजन के मिश्रण को पीसकर लपसी जैसा बना लें और धीरे धीरे चटायें या पिलायें।

अंकुरित भोजन को कच्चा ही खायें, क्योंकि पकाकर खाने से इसके पोषक तत्वों की मात्रा एवं गुण में कमी आ जाती है।

नाश्ते के लिये अंकुरित भोजन : अंकुरित भोजन शरीर के लिए बहुत ही लाभदायक होता है। इसे फल के साथ खाने से ज्यादा लाभ होता है। अगर फल न हो तो केवल अंकुरित भोजन ही खायें। अंकुरित भोजन केवल भिगोये हुए दाने से कहीं ज्यादा लाभदायक होता है, क्योंकि इसमें अंकुरण के समय शरीर के लिए लाभदायक तत्व पैदा हो जाते हैं। दोनों के अन्दर एन्जाइम में भी बदलाव होते हैं। ये एन्जाइम दाने के अन्दर प्रोटीन को अमीनो अम्ल में और कार्बोहाइड्रेट को साधारण शक्कर में बदल देता है। ऐसे ही वसा पदार्थ को भी छोटे-छोटे भागों में बांट दिया जाता है। इसके अलावा विटामिन आदि का निर्माण भी इसी समय होता है और खासकर विटामिन `ए´, `ई´, और `के´, की मात्रा इस समय भरपूर मात्रा में पायी जाती है।

विटामिन `के´ खून का थक्का बनाने में मदद करता है और इसके साथ यह जिगर के पूरे कार्य प्रणाली के लिये जरूरी होता है। अंकुरित होने वाले भोजन में काले चने, मटर, मसूर, मूंग, गेंहू, सोयाबीन और मूंगफली मुख्य रूप में होते हैं।

जानकारी : अंकुरित दानों का सेवन केवल सुबह नाश्ते के समय ही करते हैं। इन अंकुरित दानों को कच्चा ही खाया जाता है। इनमें 2 या 3 प्रकार के अंकुरित दाने मिला सकते हैं। यदि आपको ये अंकुरित दाने कच्चे खाने में अच्छे नहीं लगते हैं, तो आप इन्हें हल्का सा पका सकते हैं। फिर इसमें कटे हुए प्याज, कटे छोटे टमाटर के टुकड़े, बारीक कटी हुई मिर्च, बारीक कटा हुई धनियां एक साथ मिलाकर, उसमें नींबू का रस मिलाकर खाने से अच्छा स्वाद मिलता है।
स्त्रोत : जे के हेल्थ

अंकुरित भोजन : वर्तमान की जरूरत

(सर्दियों में अंकुरण की प्रक्रिया धीमी होती है। कई बार 24 घंटे से भी अधिक समय अंकुरण आने में लग जाता है। अतः इन दिनों भीगे हुए अनाज को गरम स्थान में रखने का विशेष तौर से ध्यान रखना चाहिए।)
अंकुरण से भोज्य पदार्थ के पोषक तत्वों में बढ़ोतरी नैसर्गिक रूप से होती है, इसलिए इनकी पाचनशीलता बढ़ाते हुए इनके सेवन से किसी हानिकारक परिणाम की कोई गुंजाइश नहीं रहती है।

अनाज में गेहूँ, ज्वार, बाजरा, साबुत दालों में मूँग, मोठ, चवला, काला चना, काबुली चना, सोयाबीन आदि को आसानी से अंकुरित कर इनसे विभिन्न स्वादिष्ट एवं पौष्टिक व्यंजन बनाए जा सकते हैं।

अंकुरण से खाद्यान्नों को अधिक पौष्टिक व सुपाच्य बनाने के अलावा और भी कई फायदे हैं, जो अच्छे पोषण की दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण हैं।

ख़ड़े अनाजों व दालों के अंकुरण से उनमें मौजूद अनेक पोषक तत्वों की मात्रा दोगुनी से भी ज्यादा हो जाती है, मसलन सूखे बीजों में विटामिन 'सी' की मात्रा लगभग नहीं के बराबर होती है। इन बीजों के अंकुरित होने पर यही मात्रा लगभग दस गुना हो जाती है।

अंकुरण की प्रक्रिया से 'विटामिन बी कॉम्प्लेक्स' खासतौर पर थायमिन यानी विटामिन बी1, राइबोप्लेविन यानी विटामिन बी2 व नायसिन की मात्रा भी दोगुनी हो जाती है। इसके अलावा शाकाहार में पाए जाने वाले 'केरोटीन' नामक पदार्थ, जो शरीर में विटामिन ए का निर्माण करता है, की भी मात्रा बढ़ जाती है।

विटामिन ए आँखों व त्वचा के स्वास्थ्य के लिए बेहद जरूरी है। इतना ही नहीं, अंकुरीकरण से अनाजों में मौजूद लौहतत्व का शरीर में अवशोषण बढ़ जाता है। लौहतत्व खून में हिमोग्लोबीन के निर्माण के लिए निहायत जरूरी है।

अंकुरीकरण की प्रक्रिया में अनाज/दालों से कार्बोहाइट्रेड व प्रोटीन और अधिक सुपाच्य हो जाते हैं। अनाज पानी सोखकर फूल जाते हैं, जिनसे उनकी ऊपरी परत फट जाती है व इनका रेशा नरम हो जाता है। परिणामस्वरूप पकाने में कम समय लगता है। इसी कारण अंकुरित अनाज बच्चों व वृद्धों की पाचन क्षमता के अनुकूल बन जाते हैं।

अच्छा अंकुरण कैसे करें?

* एकदम सही अंकुरीकरण के लिए अनाज/साबुत दालों को कम से कम आठ घंटे इतने पानी में भिगोना चाहिए कि वह सारा पानी सोख लें व दाना फूल जाए। इन फूले हुए दानों को किसी नरम, पतले सूती कपड़े में बांधकर पोटली बना लेना चाहिए। इस पोटली को ढंककर गरम स्थान में रखना चाहिए। पोटली को थोड़े-थोड़े समय बाद गीला करते रहें।

* 12 से 24 घंटे में अच्छे अंकुर निकल आते हैं। वैसे अंकुरित किए हुए मूँग, मोठ आदि बाजार में भी उपलब्ध होते हैं, किन्तु इनकी गुणवत्ता की जानकारी अवश्य होना चाहिए। यदि दूषित जल के प्रयोग से अंकुरण हुआ है तो खाद्यान्न शरीर में रोगाणुओं के वाहक भी हो सकते हैं।

* आजकल बाजार में विशेष प्रकार के जालीदार पात्र 'स्प्राउटमेकर' के नाम से मिलने लगे हैं, जिनका उपयोग खाद्यान्नों के अंकुरीकरण के लिए किया जाता है। खाद्यान्नों के अंकुरित होने का समय तापमान पर निर्भर करता है।

* सर्दियों में अंकुरण की प्रक्रिया धीमी होती है। कई बार 24 घंटे से भी अधिक समय अंकुरण आने में लग जाता है। अतः इन दिनों भीगे हुए अनाज को गरम स्थान में रखने का विशेष तौर से ध्यान रखना चाहिए। इसके ठीक विपरीत गर्मियों में अंकुर जल्दी ही निकल जाते हैं। स्वाद व गुणवत्ता की दृष्टि से एक सेंटीमीटर तक के अंकुर स्वादिष्ट होने के साथ-साथ इनके स्वाद में भी मिठास में कमी आने लगती है।

* अंकुरित खाद्यान्नों को कच्चा ही नमक, काली मिर्च, नीबू अथवा सलाद मसाला के साथ सेवन किया जा सकता है। आधे पके रूप में किसे हुए प्याज, पत्तागोभी, टमाटर, ककड़ी व गाजर के साथ पौष्टिक सलाद भी बनाया जा सकता है। अंकुरित खाद्यान्नों का सेवन परिवार के स्वास्थ्य की गारंटी है।

अंकुरित अनाज और पौष्टिक आहार खायें

Padma Srivastava द्वारा 10 अप्रैल, 2008 12:00:00 PM IST
स्त्रोत : माई वेब दुनिया हिंदी

अधिकांश लोग अपने आहार पर ध्यान नहीं देते हैं। भोजन में सिर्फ अनाज की अधिकता होती है। फल तथा अंकुरित अनाज की मात्रा नहीं के बराबर होती है। हमें स्वस्थ रहने के लिये भोजन करना, तो जरूरी है ही पर भोजन की गुणवत्ता पर ध्यान देना भी उतना ही जरूरी है।
आजकल अधिकांश लोग कुपोषण के शिकार हो जाते हैं, जिससे शरीर में खून की कमी हो जाती है। कुछ लोग सोचते हैं कि हम महंगा फल, सब्जी, मेवा नहीं खा सकते, शायद इसलिये हम बीमार होते हैं। पर इसकी जगह हम जो मोटा अनाज खा रहे हैं, उस पर ही अगर ध्यान दें कि उसे कैसे उचित तरीके से खायें। महिलायें अपने परिवार पर ज्यादा ध्यान देने के कारण खुद पर ज्यादा ध्यान नहीं दे पाती हैं, जबकि उनके लिए भी पौष्टिक आहार जरूरी है और इसके लिये ऐसा कोई स्पेशल नहीं बनाना है। महंगी चीजें नहीं लानी है। बस उसी अनाज, सब्जी को सही तरीके से खायें और परिवार में भी सबको दें। खासतौर पर गर्भावस्था में दोगुनी या अच्छे स्तर के पौष्टिक आहार लेने की जरूरत होती है तभी आप अपनी व होने वाले बच्चों की जरूरत पूरी कर सकती हैं। आजकल गांव में खून की कमी की शिकायत बढ़ती जा रही है। पोषक स्तर गिरता जा रहा है।

सामान्यतः आहार में तीन तरह के खाद्य पदार्थ होते हैं :-
  1. - पहला है कार्बोहाइड्रेट और वसा युक्त पदार्थ जो शरीर को उर्जा प्रदान करते हैं जैसे- अनाज, कंदमूल, फल, मेवा गुड़ तेल आदि।
  2. -दूसरे हैं प्रोटीन युक्त पदार्थ जो शरीर को बनाते हैं तथा उनकी क्षतिपूर्ती करते हैं जैसे- दूध, फलीदार अनाज, दालें, गिरीवाले फल, सोयाबीन आदि। 
  3. -तीसरे हैं विटामिन एवं खनिजयुक्त पदार्थ जो शरीर की रक्षा करते हैं जैसे - हरी सब्जियां, दूध, पनीर, घी, मक्खन, गाजर, दालें फलों का रस अंकुरित अनाज आदि।
हम दो तरह से भोजन की पौष्टिकता को बढ़ा सकते हैं। पहला भोजन को मिश्रित पद्धति से और दूसरा अंकुरित पद्धति से। चोकर सहित रोटी बनायें। उसी आटे में पत्तेदार सब्जियाँ मिलाकर, आटा, घी, गुड़ मिलाकर। मूंगफल्लीदाने, गुड मिलाकर, लड्डू बनाकर। इस प्रकार हम कैल्शियम, विटामिन ए और बी के अलावा कैलोरिज़ अच्छी मात्रा में ले सकते हैं। इसी तरह तमाम सब्जियों को मिलाकर सलाद एवं फ्रूट सलाद बना सकते हैं, जो एक साथ कई फायदे देता है।

इन चीजों को आप घर के आसपास अपने बगीचे में आसानी से उगा सकते है तथा पौष्टिक आहार आसानी से प्राप्त कर सकते हैं तथा उन्हें अपने आहार में सम्मिलित कर सकते हैं। बस थोड़ी सा शिक्षित होने की जरूरत है कि इसके सेवन से रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ती है। जो लोग मोटा अनाज खाते हैं वे उन्हें अंकुरित कर खायें। ये पोषक एवं जीवंत आहार माना जाता है ये तुरंत शरीर को ताकत व उर्जा देता है। अनेक बीमारियों से हमें बचाता है।
इसमें तीन गुण पाये जाते हैं :-
(1) इससे रक्त का शुद्धिकरण होता है। 
(2) पोषक तत्वों का स्त्रोत है।
(3) प्राकृतिक पौष्टिक आहार है। 

अंकुरित भोजन के फायदे :-
  1. यह सस्ता व बनाने में आसान है।
  2. चना, मूंग, गेहूं, सोयाबीन, मेथी अंकुरित किया जा सकता है।
  3. ये आहार आसानी से हमारा शरीर ग्रहण करता है।
  4. इसमें विटामिन तथा अन्य पोषक तत्वों की क्षमता बढ़ जाती है।
  5. स्वादिष्ट बनाने के लिये अनाज को अंकुरित कर उसमें खीरा, ककडी,टमाटर, प्याज, धनिया, मिर्च, नींबू, तथा नमक मिलायें साथ ही काली मिर्च भी डालें।
  6. इन्हे खाने के बाद ये आसानी से पचाकर पुनः भूख लगने की क्षमता को बढ़ा देता है।
  7. इसे हम अपने सुबह के नाश्ते में शामिल कर सकते हैं।
अब आप सोच रहे होंगे कि हम शहर में इन कैसे उगायें, तो निराश होने की जरूरत नहीं है आप शहर में भी अपने बगीचे में टेरेस के ऊपर गमलों में हरी सब्जियाँ उगा सकते हैं। ताजी हरी सब्जियों का जूस निकाल कर तुरंत पी सकते हैं। मगर हम लोग सुबह ब्रेड, मक्खन, बाजारी जूस का नाश्ता करते हैं जो प्राकृतिक नहीं है। महंगी फल सब्जियों की तुलना में पत्तेदार हरी सब्जियों में विटामिन, लौह तत्व अधिक होते है जो शरीर को विकसित एवं स्वथ्य बनाये रखने में मदद करता है। इसके पीछे कारण यह है कि पौष्टिक तत्वों का स्त्रोत हैं, हरी पत्तेदार सब्जियों में भरपूर लौह (कैरोटीन) की मात्रा होती है, जो आखों की सुरक्षा के साथ-साथ बच्चों के शारीरिक विकास में सहायक है। गुड, चावल, चिवडा, शहद ,साबुदाना, शक्करकंद, आलू, बेल, केला खजूर, गन्ने का रस, जौ, बाजरा, गेहूं आदि में कार्बोहाइट्रेड की मात्रा अधिक पाई जाती है। पालक, हरीमेथी, चौलाई, बथुआ, सरसों का साग, चने का साग, फूलगोभी, पत्तागोभी इसमें सर्वोत्तम पौष्टिक तत्व मिलते हैं। जैसे चौलाई, बथुआ में कैलशियम, विटामिन, ए, बी.एंव लौह तत्व पाये जाते हैं। कई इलाकों में महुआ, सांवा, पाया जाता है जिसमें कैलशियम, फसफोरस, लौह, कार्बोहाइट्रेड, विटामिन सी पाया जाता है जो गर्भावस्था में महिलाओं की जरूरी है। ग्रामीण इलाकों में यह सब आसानी से मिल जाता है। इन चीजों को हम अपने दैनिक आहार में शामिल कर महिलाओं में खून की कमी को दूर कर सकते हैं। हिमोग्लोबिन की मात्रा बढ़ाई जा सकती है। अजन्मे बच्चों में शारीरिक व मानसिक दुर्बलता व अविकसितता के दूर किया जा सकता है।


अपक्वाहार
(नेचर केयर)

आयुर्वेद का कथन है “प्रकृति स्मामिक्ष स्मेरत” अर्थात प्रकृति का सदैव अनुसरण करो | मनुष्यों से दूर जंगलों में रहने वाले जीव-जन्तु कम बीमार पड़ते हैं और यदि बीमार पड़ भी जाएँ तो जल्द ही स्वस्थ्य हो जाते हैं उन्हें किसी दवा की आवश्यकता नहीं पड़ती वे कोई टानिक नहीं पीते फिर भी वे मनुष्य से अधिक शक्तिशाली होते हैं| उनकी माँ गर्भकाल में कोई कथित स्वास्थ्य संवर्धक औषधियां नहीं लेती, न ही कोई विटामिन/आयरन आदि खनिजों को गोलियों के रूप में लेतीं फिर भी वे बिना किसी सर्जरी,बिना किसी कष्ट के अपने बच्चे को जन्म देती हैं, वह भी ऐसे बच्चे को जो जन्म से ही फुदकने दौड़ने लगे | मनुष्य के कोमल सुकुमार शिशु की तरह नहीं जिसको एक फूल की भी चोट लगते ही शरीर पर खून की लाली उभर आये |

सभ्य मनुष्य ने मानसिक तौर पर विकास भले ही कर लिया हो परन्तु शारीरिक दृष्टि से उसका निरंतर क्षय होता जा रहा है | इसका सीधा सा कारण है मनुष्य का प्रकृति से लगातार दूर होना | आज व्यक्ति के प्रत्येक कार्य में कृतिमता आती जा रही है चाहे वह उसका रहन-सहन हो, चाहे भोजन हो या फिर चाहे उसकी मनोदशा हो | आज के अधिकांश व्यक्ति हँसते भी हैं तो लगता है अभिनय कर रहे | उन्मुक्त हंसी, जिसका एक पल भी हमारे पूरे शरीर पर अपना स्वास्थ्यमय प्रभाव छोड़ जाता है, कभी-कभी ही देखने को मिलती है |
व्यक्ति के स्वस्थ्य रहने या रोगमुक्त होने में भोजन की बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका है | हम भोजन के अधिकांश भाग को आग में पकाकर प्रयोग करते हैं | आदिकाल में मनुष्य ने पत्थरों को रगड़कर अग्नि को उत्पन्न किया तभी से अग्नि मनुष्य की सभ्यता की कसौटी बन मानव सभ्यता के विकास की साक्षी बनी | वास्तव में अग्नि तत्व प्रकृति एवं प्राकृतिक चिकित्सा का एक महत्वपूर्ण तत्व है | अग्नि का स्वभाव है जलाना,तपाना परन्तु क्या अग्नि में तपकर प्रत्येक वस्तु कुंदन ही बनती है ? …. यह एक विचारणीय प्रश्न है |

एक फल या अन्न का पेड़ पर प्राकृतिक रूप से पकने का अर्थ है-उसके अन्दर के बीज का पूर्णता को प्राप्त हो जाना एवं बोने के बाद अपनी वंश परंपरा को आगे बढ़ाने की योग्यता आ जाना , परन्तु उसे अग्नि पर पकाने के पश्चात् क्या उस बीज में यह योग्यता शेष रह पाती है ? आज हमारे भोजन में अपक्वाहार ( आग से न पकाया गया भोजन ) की मात्रा पचास से सौ ग्राम सलाद या फिर दिन भर में दो सौ पचास ग्राम से पांच सौ ग्राम फल के रूप में सिमट कर रह गयी है इसमें भी देश की आबादी के बहुत बड़े प्रतिशत को फलों का सेवन एक स्वप्न मात्र ही है | हम भोजन को सुस्वादु या फिर कहें स्वाद परिवर्तन के चक्कर में पकाकर उनमें तेल,घी,मिर्च-मसाले आदि डालकर प्रयोग करते हैं इन परिशोधित, निष्प्राण व्यंजनों के कारण ही हमारा शारीर दिन- प्रतिदिन रोगी एवं शक्तिहीन होता जा रहा है | यह एक आश्चर्य का विषय है कि आज जिस स्तर पर नयी-नयी दवाएं इजाद हो रही हैं, जिस अनुपात में चिकित्सकों की संख्या में वृद्धि हो रही है उससे कहीं बड़े अनुपात में रोग और रोगियों की संख्या में वृद्धि हो रही है इसको देखते हुए आज के परिप्रेक्ष्य में यह बहुत आवश्यक हो गया है कि हम प्रकृति का मार्गदर्शन प्राप्त करें एवं प्रकृति के नियमों को अपनी जीवन शैली में सम्मिलित करें | इसकी शुरुआत हम अपनी रसोई से कर सकते हैं | इस सन्दर्भ में प्रकृति के एक नियम – ” प्रकृति प्रदत्त प्रत्येक वस्तु का उपयोग उसका स्वरूप नष्ट किये बिना किया जाय |” का अनुपालन अत्यंत आवश्यक है | भोजन के सन्दर्भ में यह आवश्यक है कि कच्चा भोजन जो स्वास्थ्य की दृष्टि से हितकर हो, को रुचिकर बनाने की कला का विकास किया जाय | अपक्वाहार या प्राकृतिक आहार को समर्थन का यह आशय कदापि नहीं कि हम जानवरों की भांति घास-पात, फल-फूल पर निर्भर हों बल्कि इसका अर्थ यह है कि हम अधिकांश खाद्यों को स्वास्थ्य की दृष्टि से हितकर विधि से सेवन करें इस सन्दर्भ में अंकुरित आहार की बहुत बड़ी उपयोगिता सिद्ध हो सकती है |

अंकुरित आहार को अमृताहर कहा गया है अंकुरित आहार भोजन की सप्राण खाद्यों की श्रेणी में आता है | यह पोषक तत्वों का श्रोत मन गया है | अंकुरित आहार न सिर्फ हमें उन्नत रोग प्रतिरोधी व उर्जावान बनाता है बल्कि शरीर का आंतरिक शुद्धिकरण कर रोग मुक्त भी करता है | अंकुरित आहार अनाज या दालों के वे बीज होते जिनमें अंकुर निकल आता हैं इन बीजों की अंकुरण की प्रक्रिया से इनमें रोग मुक्ति एवं नव जीवन प्रदान करने के गुण प्राकृतिक रूप से आ जाते हैं |

अंकुरित आहार के रूप मेंप्रयोग किये जाने वाले बीज मुंग, मेथी, चना, गेहूं, लोबिया,सूर्यमुखी,मूंगफली आदि के बीजों को आवश्यकतानुसार अंकुरित कर उपयोग कर सकते हैं |

अंकुरण की विधि

  1. सर्वप्रथम अंकुरित करने वाले बीजों को कई बार अच्छी तरह पानी से धोकर एक शीशे के जार में भर लें शीशे के जार में बीजों की सतह से लगभग चार गुना पानी भरकर भीगने दें अगले दिन प्रातःकाल बीजों को जार से निकाल कर एक बार पुनः धोकर साफ सूती कपडे में बांधकर उपयुक्त स्थान पर रखें |
  2. गर्मियों में कपडे के ऊपर दिन में कई बार ताजा पानी छिडकें ताकि इसमें नमी बनी रहे |
  3. गर्मियों में सामान्यतः 24 घंटे में बीज अंकुरित हो उठते हैं सर्दियों में अंकुरित होने में कुछ अधिक समय लग सकता है | अंकुरित बीजों को खाने से पूर्व एक बार अच्छी तरह से धो लें तत्पश्चात इसमें स्वादानुसार हरी धनियाँ, हरी मिर्च, टमाटर, खीरा, ककड़ी काटकर मिला सकते हैं | यथासंभव इसमें नमक न मिलाना ही हितकर है |
ध्यान दें -

  1. अंकुरित करने से पूर्व बीजों से मिटटी, कंकड़ पुराने रोगग्रस्त बीज निकलकर साफ कर लें | प्रातः नाश्ते के रूप में अंकुरित अन्न का प्रयोग करें | प्रारंभ में कम मात्रा में लेकर धीरे-धीरे इनकी मात्रा बढ़ाएं |
  2. अंकुरित अन्न अच्छी तरह चबाकर खाएं |
  3. नियमित रूप से इसका प्रयोग करें |
  4. वृद्धजन, जो चबाने में असमर्थ हैं वे अंकुरित बीजों को पीसकर इसका पेस्ट बनाकर खा सकते हैं | ध्यान रहे पेस्ट को भी मुख में कुछ देर रखकर चबाएं ताकि इसमें लार अच्छी तरह से मिल जाय |
लाभ-
  1. अंकुरित आहार शरीर को नवजीवन देने वाला अमृतमयी आहार है |
  2. अंकुरित अन्न विटामिन तथा खनिज पदार्थों को प्राप्त करने का एक उत्कृष्ट स्रोत है |
  3. अंकुरित आहार सप्राण होने के कारण शरीर आसानी से आत्मसात कर लेता है जिस से शरीर उर्जावान बनता है |
  4. बीजों के अंकुरित होने के पश्चात् इनमें पाया जाने वाला स्टार्च- ग्लूकोज, फ्रक्टोज एवं माल्टोज में बदल जाता है जिससे न सिर्फ इनके स्वाद में वृद्धि होती है बल्कि इनके पाचक एवं पोषक गुणों में भी वृद्धि हो जाती है |

1 comment:

  1. MAIN YEH JAANNA CHAHTA HUN..KI KAUN KAUN SE BEEJ EK SATH ANKURIT KARKE KHA SAKTE HAI..
    AGAR JAISE SOYABEEN CHANA GEHUN MONGFALI KE DANE EK SATH BHIGOKAR KHA SAKTE HAI...ISSE KOI SAMASYA TO NAHI HOGI ....

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--->--->श्रीमती जानकी पुरुषोत्तम मीणा जिनका 08 अप्रेल, 2012 को असमय निधन हो गया!

--->--->श्रीमती जानकी पुरुषोत्तम मीणा जिनका 08 अप्रेल, 2012 को असमय निधन हो गया!
सभी के स्वस्थ एवं सुदीर्घ जीवन की कामना के साथ-मेरे प्यारे और दुलारे तीन बच्चों की ममतामयी अद्वितीय माँ (मम्मी) जो दुखियों, जरूतमंदों और मूक जानवरों तक पर निश्छल प्यार लुटाने वाली एवं अति सामान्य जीवन जीने की आदी महिला थी! वह पाक कला में निपुण, उदार हृदया मितव्ययी गृहणी थी! मेरी ऐसी स्वर्गीय पत्नी "जानकी मीणा" की कभी न भुलाई जा सकने वाली असंख्य हृदयस्पर्शी यादों को चिरस्थायी बनाये रखते हुए इस ब्लॉग को आज दि. 08.08.12 को फिर से पाठकों के समक्ष समर्पित कर रहा हूँ!-डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश'

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(Tribulus Terrestris) 14 फरवरी Abutilon Indicum Aerva Lanat Allergy Aloevera Juice Alternanthera Sessilis Alum Aluminum Amaranthus spinosus Ammonium chloride Appetite Argemone Mexicana Ash-coloured Fleabane Bael Ban Tulasi Bauhinia purpurea Bernini’s Cinema Bitter Gourd Black night shade Blumea Lacera Bone Infection Borax BPH Calories Calories Chart Cancer Care Carrots Castor beans Chanca Piedra Cheese Chemotherapy Chenopodium Album Chikungunya Cholesterol Cleome viscosa Clerodendrum Phlomidis Clitoria Ternatea Colocynth Colpoptosis Constipation Convolvulus Pluricaulis Corn Creak Crotalaria Bburhia Croton Bonplandianum Croton Sparsiflorus Cumin Date Palm Dengue Depression Diabetes digestion Disorders Divorce Dog Mustard Dronapushpi Dysentery Early Ejaculation Emblic Myrobalan Extramarital Relation Extremely Intolerance Fatty liver Femininity FENUGREEK Fenugreek Seeds Ferrum Phosphoricum Fever Fissure Fistula Folic Acid Gallbladder Gardenia Gummifera Garlic Ginger Gooseberry Gourd Groundnut-peanut Guava Hainampfer Hair Falling Headaches Health Health Care Friend Health Consultation Health Links Health Tips Heliotropium Eeuropaeum Hemorrhoids Hepatitis Hibiscus Homeopathic Homeopathy Homoeopath Honey How to get pregnant? Immunity Impotence IMPOTENCY Incurable indigestion Jaundice Juice Juice of Berries LAND CALTROPS Lemon Leucas Aspera Leucas Cephalotes Leucorrhea Lever Liver Liver Cirrhosis Liver fibrosis Low Blood Pressure Marital Dispute Consultant Masturbation Mental Mexican Daisy Mexican Poppy Migraine Migraines Myopia Neurons Night Jasmine Nutgrass Nutmeg Nutsedge Obesity Omega 3 Oroxylum indicum Painkillers Periquito Sessil Phyllanthus Niruri Piles Portulaca Oleracea Post Effect Pregnancy Safe-Guard Pregnancy Safeguard Pregnancy-Safe-Guard Premature Ejaculation Prostate Gland Protein Purple Nutsedge Raan Tulas Radish Rectal Collapse Rectal Prolapse rectum collapse Saffron Senna occidentalis Separation Sex Sexual Power Sickness Side Effects side effects less Side-Effects Spermatorrhoea Sperms Spiny Amaranth Stone Stone Breaker Sword fruit tree TECOMA STANS Thermometer Tickweed Tips Treatment of Incurable Tribulus Terrestris Tridax Procumbens Umbrella Sedge Unquenchable Conjugal Uterine Prolapse vaginal Creaks Vaginal Prolapse Viral Vitamins Vitex Negundo Wart Wheatgrass White Discharge Yellow Spider Flower अंकुरित अनाज अंकुरित गेहूं-Wheat germ अंकुरित भोजन-Sprouts अखरोट अंगूर-Grapes अचूक चमत्कारिक चूर्ण अजवाइन अजवायन अजीर्ण-Indigestion अंडकोष अडूसा (वासा)-Adhatoda Vasika-Malabar nut अण्डी अतिबला अतिसार अतिसार-Diarrhea अतृप्त अतृप्त दाम्पत्य अत्यंत असहिष्णुता अदरक अदरख अंधश्रृद्धा अध्ययन अनिद्रा अपच अपराजिता अपराधबोध अफरा अफीम अमरूद अमृता अम्लपित्त-Pyrosis अरंडी अरणी अरण्ड अरण्डी अरलू अरुचि अरुचि-Anorexia-Distaste अर्जुन अर्थराइटिस अर्द्धसिरशूल अर्श अर्श रोग-बवासीर-Hemorrhoids-Piles अलसी अल्टरनेथेरा सेसिलिस अल्सर अल्सर-Ulcers अवसाद अवसाद-Depression अश्मःभेदः अश्वगंधा अश्वगंधा-Winter Cherry असंतुष्ट असफल असर नहीं असली अस्थमा अस्थमा-दमा-Asthma आइरन आक आकड़ा आघात आत्महत्या आंत्र कृमि आंत्रकृमि-Helminth आंत्रिक ज्वर-टायफाइड-Typhoid fever आदिवासी आधाशीशी आधासीसी आंधीझाड़ा-ओंगा-अपामार्ग-Prickly Chalf flower आमला आमवात आमाशय आयुर्वेद आयुर्वेदिक आयुर्वेदिक उपचार आयुर्वेदिक औषधियां आयुर्वेदिक सीरप-Ayurvedic Syrup आयुर्वेदिक-Ayurvedic आरोग्य आँव आंव आंवला आंवला जूस आंवला रस आशावादी-Optimistic आसन आसान प्रसव-Easy Delivery आहार चार्ट आहार-Food आॅपरेशन आॅर्गेनिक आॅर्गेनिक कौंच इच्छा-शक्ति इन्द्रायण इन्फ्लुएंजा इमर्जेंसी में होम्योपैथी इमली-Tamarind Tree इम्युनिटी इलाज इलाज का कुल कितना खर्चा इलायची उच्च रक्तचाप उच्च रक्तचाप-High Blood Pressure-Hypertension उत्तेजक उत्तेजना उदर शूल-Abdominal Haul उदासी उन्माद-Mania उपवास उम्र उल्टी ऊर्जा एक्जिमा एक्यूप्रेशर एग्जिमा एजिंग-Aging एंटी ऑक्सीडेंट्स एंटी-ओक्सिडेंट एंटीऑक्सीडेंट एण्टी-आॅक्सीडेंट एनजाइना एनीमिया एमिनो एसिड एरंड एलर्जी एलर्जी-Allergy एलोवेरा एलोवेरा जूस एल्यूमीनियम ऐंठन ऐलोपैथ ऐसीडिटी ऑर्गेनिक ओमेगा 3 के स्रोत ओमेगा-3 ओर्गेनिक औषध-Drug औषधि सूची-Drug List औषधियों के नुकसान-Loss of drugs कचनार कचनार-Bauhinia Purpurea कटुपर्णी कड़वाहट कंडोम कद्दू कनेर कपास-COTTON कपिकच्छू कपूरीजड़ी कफ कब्ज कब्ज़ कब्ज-कोष्ठबद्धता-Constipation कब्ज. Cucumber कब्जी कमजोरी कमर कमर दर्द कमेड़ा करेला कर्ण वेदना कर्णरोग कष्टार्तव-Dysmenorrhea कांच निकलना काजू कान कानून सम्मत काम काम शक्ति कामवाण पाउडर कामशक्ति कामशक्ति-Sexual power कामेच्छा कामोत्तेजना कायाकल्प कार्बोहाइड्रेट कार्बोहाइड्रेट-Carbohydrates काला जीरा काला नमक काली जीरी काली तुलसी काली मिर्च काले निशान कास-खांसी-Cough किडनी किडनी संक्रमण किडनी स्‍टोन कीड़े कीमोथेरेपी कुकरौंधा कुकुंदर कुटकी-Black Hellebore कुबडापन कुमेड़ा कुल्थी कुल्ला कुष्ट कुष्ठ कृमि केला केसर कैफीन-Caffeine कैलोरी कैलोरी चार्ट कैलोरी-Calories कैवांच कैविटी कैंसर कॉफी कॉफ़ी कॉलेस्ट्रॉल कोंडी घास कोढ़ कोबरा कोलेस्ट्रॉल कोलेस्ट्रॉल-Cholesterol कोलेस्ट्रोल कौंच कौमार्य क्रियाशीलता क्रोध क्षय रोग-Tuberculosis क्षारीय तत्व क्षुधानाश खजूर खजूर की चटनी खनिज खरबूजा-Musk melon खरेंटी खरैंटी शिलाजीत खाज खांसी खिरेंटी खिरैटी खीप खीरा खुजली खुशी-Joy खुश्की खुश्बू खोया गंजापन-Baldness गठिया गठिया-Arthritis गठिया-Gout गड़तुम्बा गंडा-ताबीज गंध गन्ने का रस गरमा गरम गर्भ निरोधक गर्भधारण गर्भपात गर्भवती गर्भवती कैसे हों? गर्भावस्था गर्भावस्था की विकृतियां-Disorders of Pregnancy गर्भावस्था के दौरान संभोग-Sex During Pregnancy गर्भाशय गर्भाशय भ्रंश गर्भाशय-उच्छेदन के साइड इफेक्ट्स-Side Effects of Hysterectomy गर्म पानी गर्मी गर्मी-Heat गलगण्ड गाजर गाजवां गांठ गाँठ-Knot गारंटी गारण्टेड इलाज गाल ब्लैडर गिलोय गिल्टी गुड़हल गुंदा गुदाद्वार गुदाभ्रंश गुम्मा गुर्दे गुलज़ाफ़री गुस्सा गृध्रसी गृह-स्वामिनी गेदुआ की छाछ गैस गैस्ट्रिक गैहूं का जवारा गोक्षुरादि चूर्ण गोखरू गोखरू (LAND CALTROPS) गोंद कतीरा-Hog-Gum गोंदी गोभी-Cabbage गोरख मुंडी गोरखगांजा गोरखबूटी गोरखमुंडी ग्रीन-टी घमोरी घरेलु ​नुस्खे घाघरा घाव चकवड़ चक्कर चपाती चमत्कारिक सब्जियां चरित्र चर्बी चर्म चर्म रोग चर्मरोग चाय चाय-Tea चालीस के पार-Forty Across चिकनगुनिया चिकित्सकीय चिटकन चिंतित चिरायता-Absinth चिरोटा चुंबन चोक चौलाई छपाकी छरहरी काया छाछ छाजन बूटी छाले छींक छीकें छुअ छुआरा छुहारा छोटा गोखरू छोटा धतूरा छोटी हरड़ जंक फूड जकवड़ जख्म जंगली तिल्ली जंगली तुलसी जंगली पेड़ जंगली मिर्ची जंगली-कटीली चौलाई जटामांसी-Spikenard जलजमनी जलन जलोदर रोग-Ascites Disease जवारा जवारे जवासा-Alhag जहर जामुन का जूस जायफल जिगर जीरा जीवन रक्षक जीवनी शक्ति जुएं जुकाम जुदाई जुलाब जूएं जूस जोड़ों के दर्द जोड़ों में दर्द जौ ज्यूस ज्योति ज्वर ज्वर-Fiver झाइयाँ झांईं झाड़-फूंक झुर्रियाँ झुर्रियां झुर्री झूठे दर्द टमाटर का रस टमाटर-Tomatoes टाइफाइड टाटबडंगा टायफायड टूटी हड्डी टॉन्सिल टोटला ट्यूमर ठंड ठंडापन ठेकेदार डॉक्टर डकार डकारें डायबिटीज डायरिया डिग्री फ़ारेनहाइट डिग्री सेल्सियस डिजिसेक्सुअल डिटॉक्सीफाई डिटॉक्सीफिकेशन डिनर डिप्रेशन डिब्बाबंद भोजन डिलेवरी डीकामाली डीगामाली डेंगू डेंगू-Dengue डॉ. निरंकुश डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश' डॉ. मीणा ढकार ढीलापन ढीली योनि तकलीफ का सही इलाज तंत्र-मंत्र तम्बाकू तरबूज-Watermelon तलाक ताकत तिल तिल्ली तुंबा तुंबी तुम्बा तुलसी तेल त्रिदोषनाशक त्रिफला त्वचा त्वचा रोग थकान थाईरायड थायरायड-Thyroid थायरॉइड दण्डनीय अपराध दंत वेदना दन्तकृमि दन्तरोग दमा दर वेदना दरार दर्द दर्द निवारक दर्द निवारक दवा दर्दनाक दस्त दही दाग-धब्बे-Stains-Spots दाढ़ दांत दांतो में कैविटी-Teeth Cavity दाद दाम्पत्य दाम्पत्य विवाद सलाहकार दाम्पत्य-Conjugal दाल दालचीनी दालें दिमांग दिल दीर्घायु दु:खी दुर्गंध दुर्बलता दुष्प्रभाव दुष्प्रभावरहित दूध दूध वृद्धि दूधी दूधी-Milk Hedge दृष्टिदोष दो मन द्रोणपुष्पी द्रोणपुष्पी-Leucas Cephalotes धड़कन धनिया बीज धनिया-Coriander धमासा धात धातु धातु पतन धार्मिक धूम्रपान छोड़ना चाहते हैं? धैर्यहीन नज़ला नपुंसक नपुंसकता नाइट्रिक एसिड नाक नाखून नागबला नागरमोथा नाडी हिंगु नाड़ी हिंगु (डिकामाली) नामर्दी नारकीय पीड़ा नारियल नाश्ता निमोनिया निम्न रक्तचाप निम्बू नियासिन निराश निरोगधाम निर्गुण्डी निर्गुन्डी निष्कपट स्नेह निष्ठा निसोरा नींद नींबू नींबू-Lemon नीम-azadirachta indica नुस्खे नुस्खे-Tips नेगड़ नेत्र रोग नेुचरल नैतिक नॉर्मल डिलेवरी नोनिया नौसादर न्युमोनिया-Pneumonia न्यूरॉन्स पक्षघात पंचकर्म पढ़ने में मन लगेगा पंतजलि पत्तागोभी-CABBAGE पत्थर फोड़ी पत्थरचट्टा पत्नी पथरी पदार्थ पनीर पपीता पपीता-CARICA PAPPYA पमाड परदेशी लांगड़ी परम्परागत चिकित्सा परहेज पराठा परामर्श परिस्थिति पवाड़ पवाँर पाइल्स पाक-कला पाचक पाचन पाचनतंत्र पाचनशक्ति पाठक संख्या 16 लाख पार पाठक संख्या पंद्रह लाख पायरिया पारदर्शिता पारिजात पालक पालक-Spinach पित्त पित्ताशय पित्ती पिंपल-मुंहासे-Pimples-Acne पिरामिड पीलिया पीलिया-Jaundice पीलिया-कामला-Jaundice पुआड़ पुदीना पुनर्नवा-साटी-सौंटी-Punarnava पुरुष पुंसत्व पेचिश पेट के कीड़े पेट दर्द पेट में गैस पेट रोग पेड़ पेद दर्द पेरिकिटो सेसिल पेशाब पेशाब में रुकावट पेंसिल थेरेपी-Pencil Therapy पोष्टिक लड्डू पौधे पौरुष पौरुष ग्रंथि पौष्टिक रागी रोटी प्याज-Onion प्यास प्रजनन प्रतिरक्षा प्रतिरक्षा प्रणाली प्रतिरोधक प्रतिरोधक-Resistance प्रदर प्रमेह प्रवाहिका (पेचिश)-Dysentery प्रसव प्रसव सुरक्षा चक्र प्रसव-पीड़ा प्रसूति प्राणायाम प्रेग्नेंसी-Pregnancy प्रेम प्रेमरस प्रेमिका प्रेमी प्रोटीन प्रोटीन का कार्य प्रोटीन के स्रोत प्रोस्टेट प्रोस्‍टेट कैंसर प्रोस्टेट ग्रंथि प्रोस्टेट ग्रन्थि प्लीहा प्लूरिसी-Pleurisy प्लेटलेट्स फंगल फटन फफूंद-Fungi फरास फल फाइबर फिटकरी फुंसी-Pimples फूलगोभी-CAULIFLOWER फेंफड़े फेरम फॉस फैट फैटी लीवर फोटोफोबिया फोड़ा फोड़े-Boils फोरप्ले फोलिक एसिड फ्लू फ्लू-Flu फ्लेक्स सीड्स बकायन बकुल बड़ी हरड़ बथुआ बथुआ पाउडर बथुआ-White Goose Foot बदबू बंध्यापन बबूल-ACACIA बरसाती बीमारियाँ बरसाती बीमारियां बलगम बलवृद्धि बला बलात्कार बवासीर बहरापन बहुनिया बहुमूत्रता- बांझपन बादाम-Almonds बादाम. बाल बाल झड़ना बाल झडऩा-Hair Falling बिना सिजेरियन मां बनें बिवाई बीजबंद बीड़ी बीमारियों के अनुसार औषधियां बीमारी बील बुखार बूंद-बूंद पेशाब बेल बेली बैक्टीरिया बॉयोकैमी ब्र​ह्मदण्डी ब्रेस्ट ग्रोथ ब्लड प्रेशर ब्लैक मेलिंग ब्लॉकेज भगंदर भगंदर-Fistula-in-ano भगनासा भगन्दर भगोष्ठ भड़भांड़ भय भविष्य भस्मक रोग भावनात्मक भुई आंवला-Phyllanthus Niruri भूई आमला भूई आंवला भूख भूख बढ़ाने भूत-प्रेत भूमि भूमि आंवला भोजनलीवर मकोय मकोय-Soleanum nigrum मक्का मक्का के भुट्टे मंजीठ मटर-PEA मंद दृष्टि मंदाग्नि मदार मधुमेह मधुमेह-Diabetes मन्दाग्नि-Dyspepsia मरुआ मरोड़ मर्द मर्दाना मलाशय मलेरिया मलेरिया (Malaria) मवाद मसाले मस्तिष्क मस्से मस्से-WARTS महंगा इलाज महत्वपूर्ण लेख महाबला माइग्रेन माईग्रेन माईंड सैट माजूफल मानवव्यवहार मानसिक मानसिक लक्षण मानसिक-Mental मानिसक तनाव-Mental Stress मायोपिया मासिक मासिक-धर्म मासिकधर्म मासिकस्राव माहवारी मिनरल मिर्गी मिर्च-Chili मीठा खाने की आदत मुख मैथुन-ओरल सेक्स-Oral Sex मुख्य लक्षण मुधमेह मुलहठी मुलेठी मुहाँसे मूँगफली मूड डिस्ऑर्डर-Mood Disorders मूत्र मूत्र असंयमितता मूत्र में जलन-Burning in Urine मूत्ररोग मूत्राशय मूत्रेन्द्रिय मूर्च्छा (Unconsciousness) मूली मूली कर रस मृत्यु मृत्युदण्ड मेथी मेथी दाना मेंहदी मैथुन मोगरा (Mogra) मोटापा मोटापा-Obesity मोतियाबिंद मौत मौलसिरी मौसमी बीमारियां यकृत यकृत प्लीहा यकृत वृद्धि-Liver Growth यकृत-लीवर-जिगर-Lever यूपेटोरियम परफोलियेटम यूरिक एसिड लेबल योग विज्ञापन योन योन संतुष्टि योनि योनि ढीली योनि शिथिल योनि शूल-Vaginal Colic योनि संकोचन योनिद्वारा योनिभ्रंश योनी योनी संकोचन यौन यौन आनंद यौन उत्तेजक पिल्स (sexual stimulant pills) यौन क्षमता यौन दौर्बल्य यौन शक्तिवर्धक यौन शिक्षा यौन समस्याएं यौनतृप्ति यौनशक्ति यौनशिक्षा यौनसुख यौनानंद यौनि रक्त प्रदर (Blood Pradar) रक्त रोहिड़ा-TECOMELLA UNDULATA रक्तचाप रक्तपित्त रक्तशोधक रक्ताल्पता रक्ताल्पता (एनीमिया)-Anemia रस-juices रातरानी Night Blooming Jasmine/Cestrum nocturnum रामबाण रामबाण औषधियाँ-Panacea 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शीघ्रपतन शीस शुक्राणु शुक्राणु-Sperm शुक्राणू शुगर शोक शोथ शोध श्योनाक श्रेष्ठतर श्वास श्वांस श्वेत प्रदर श्वेत प्रदर-Leucorrhea श्वेतप्रदर षड़यंत्र संकुचन संकोच संक्रमण संक्रमित संक्रामक संखाहुली सगतरा संतरा-Orange संतान संतुष्टि सत्यानाशी सदा सुहागन सदाफूली सदाबहार सदाबहार चूर्ण सनबर्न सफ़ेद दाग सफेद पानी सफेद मूसली सब्जि सब्जी संभालू संभोग समर्पण-Dedication सरकार को सुझाव सरफोंका सरहटी सर्दी सर्दी-जुकाम सर्पक्षी सर्पविष सलाद संवाद संवेदना सहदेई सहदेवी सहानभूति साइटिका साइटिका-Sciatica साइड इफेक्ट्स साबूदाना-Sago सायटिका सिगरेट सिजेरियन सिर दर्द सिर वेदना सिरका सिरदर्द सिरोसिस सी-सेक्शन सीजर डिलेवरी सुगर सुदर्शन सुहागा सूखा रोग सूजन सेक्स सेक्स उत्तेजक दवा सेक्स परामर्श-Sex Counseling सेक्स पार्टनर सेक्स पावर सेक्स समस्या सेक्स हार्मोन सेक्‍स-Sex सेंधा नमक सेब सेमल-Bombax Ceiba सेल्स सोजन-सूजन सोंठ सोना पाठा सोयाबीन सोयाबीन (Soyabean) सोयाबीन-Soyabean सोराइसिस सोरियासिस-Psoriasis सौंठ सौंदर्य सौंदर्य-Beauty सौन्दर्य सौंफ सौंफ की चाय सौंफ-Fennel स्किन स्खलन स्तन स्तन वृद्धि स्तनपान स्तम्भन स्त्री स्त्रीत्व स्त्रैण स्पर्श स्मृति-लोप स्वप्न दोष स्वप्नदोष स्वप्नदोष-Night Fall स्वभाव स्वभावगत स्वरभंग स्वर्णक्षीरी स्वस्थ स्वास्थ्य स्वास्थ्य परामर्श स्वास्थ्य रक्षक सखा हजारदानी हड़जोड़ हड्डी हड्डी में दर्द हड्डी संक्रमण हड्डीतोड़ ज्वर हड्डीतोड़ बुखार हरड़ हरसिंगार हरी दूब-CREEPING CYNODAN हरीतकी हर्टबर्न हस्तमैथुन हस्तमैथुन-Masturbation हाई बीपी हाथ-पैर नहीं कटवायें हारसिंगार हालात हिचकी हिचकी-Hiccup हिमोग्लोबिन-hemoglobin हिस्टीरिया हिस्टीरिया-Hysteria हींग हीनतर हुरहुर हुलहुल हृदय हृदय-Heart हेपेटाइटिस हेपेटाईटिस हेल्थ टिप्स-Health-Tips हेल्थ बुलेटिन हैजा हैपीनेस-Happiness हैल्थ होम केयर टिप्स-Home Care Tips होम्यापैथ होम्योपैथ होम्योपैथिक होम्योपैथिक इलाज होम्योपैथिक उपचार होम्योपैथी होम्योपैथी-Homeopathy