संस्कृत | बबूल, बर्बर, दीर्घकंटका |
हिन्दी | बबूर, बबूल, कीकर |
बंगाली | बबूल गाछ |
मराठी | माबुल बबूल |
गुजराती | बाबूल |
तेलगू | बबूर्रम, नक दुम्मा, नेला, तुम्मा |
पंजाबी | बाबला |
अरबी | उम्मूछिलान |
फारसी | खेरेमुधिलान |
तमिल | कारुबेल |
अंग्रेजी | एकेशियाट्री |
लैटिन | माइमोसा अराबिका |
मात्रा : इसकी मात्रा काढ़े के रूप में 50 ग्राम से 100 ग्राम तक, गोंद के रूप में 5 से 10 ग्राम तक तथा चूर्ण के रूप में 3 से 6 ग्राम तक लेनी चाहिए।
- बबूल की छाल, मौलश्री छाल, कचनार की छाल, पियाबांसा की जड़ तथा झरबेरी के पंचांग का काढ़ा बनाकर इसके हल्के गर्म पानी से कुल्ला करें। इससे दांत का हिलना, जीभ का फटना, गले में छाले, मुंह का सूखापन और तालु के रोग दूर हो जाते हैं।
- मुंह के सभी रोग: बबूल, जामुन और फूली हुई फिटकरी का काढ़ा बनाकर उस काढ़े से कुल्ला करने पर मुंह के सभी रोग दूर हो जाते हैं।
- बबूल की छाल को बारीक पीसकर पानी में उबालकर कुल्ला करने से मुंह के छाले दूर हो जाते हैं।
- बबूल की छाल के काढ़े से 2-3 बार गरारे करने से लाभ मिलता है। गोंद के टुकड़े चूसते रहने से भी मुंह के छाले दूर हो जाते हैं।
- बबूल की छाल को सुखाकर और पीसकर चूर्ण बना लें। मुंह के छाले पर इस चूर्ण को लगाने से कुछ दिनों में ही छाले ठीक हो जाते हैं।
- बबूल की छाल का काढ़ा बनाकर दिन में 2 से 3 बार गरारे करें। इससे मुंह के छाले ठीक होते हैं।
- बबूल की फली के छिलके और बादाम के छिलके की राख में नमक मिलाकर मंजन करने से दांत का दर्द दूर हो जाता है।
- बबूल की कोमल टहनियों की दातून करने से भी दांतों के रोग दूर होते हैं और दांत मजबूत हो जाते हैं।
- बबूल की छाल, पत्ते, फूल और फलियों को बराबर मात्रा में मिलाकर बनाये गये चूर्ण से मंजन करने से दांतों के रोग दूर हो जाते हैं।
- बबूल की छाल के काढ़े से कुल्ला करने से दांतों का सड़ना मिट जाता है।
- रोजाना सुबह नीम या बबूल की दातुन से मंजन करने से दांत साफ, मजबूत और मसूढे़ मजबूत हो जाते हैं।
- मसूढ़ों से खून आने व दांतों में कीड़े लग जाने पर बबूल की छाल का काढ़ा बनाकर रोजाना 2 से 3 बार कुल्ला करें। इससे कीड़े मर जाते हैं तथा मसूढ़ों से खून का आना बंद हो जाता है।
- बबूल की कच्ची फली सुखा लें और मिश्री मिलाकर खायें इससे वीर्य रोग में लाभ होता है।
- 10 ग्राम बबूल की मुलायम पत्तियों को 10 ग्राम मिश्री के साथ पीसकर पानी के साथ लेने से वीर्य-रोगों में लाभ होता है। अगर बबूल की हरी पत्तियां न हो तो 30 ग्राम सूखी पत्ती भी ले सकते हैं।
- कीकर (बबूल) की 100 ग्राम गोंद भून लें इसे पीसकर इसमें 50 ग्राम पिसी हुई असगंध मिला दें। इसे 5-5 ग्राम सुबह-शाम हल्के गर्म दूध से लेने से वीर्य के रोग में लाभ होता है।
- 50 ग्राम कीकर के पत्तों को छाया में सुखाकर और पीसकर तथा छानकर इसमें 100 ग्राम चीनी मिलाकर 10-10 ग्राम सुबह-शाम दूध के साथ लेने से वीर्य के रोग में लाभ मिलता है।
- बबूल की फलियों को छाया में सुखा लें और इसमें बराबर की मात्रा मे मिश्री मिलाकर पीस लेते हैं। इसे एक चम्मच की मात्रा में सुबह-शाम नियमित रूप से पानी के साथ सेवन से करने से वीर्य गाढ़ा होता है और सभी वीर्य के रोग दूर हो जाते हैं।
- बबूल के गोंद को घी में तलकर उसका पाक बनाकर खाने से पुरुषों का वीर्य बढ़ता है और प्रसूत काल स्त्रियों को खिलाने से उनकी शक्ति भी बढ़ती है।
- बबूल का पंचांग लेकर पीस लें और आधी मात्रा में मिश्री मिलाकर एक चम्मच की मात्रा में सुबह-शाम नियमित सेवन करने से कुछ ही समय में वीर्य रोग में लाभ मिलता है।
- बबूल के पत्तों को चबाकर उसके ऊपर से गाय का दूध पीने से कुछ ही दिनों में गर्मी के रोग में लाभ होता है।
- बबूल की कच्ची फलियों का रस दूध और मिश्री में मिलाकर खाने से वीर्य की कमी दूर होती है।
- 4.5 ग्राम बबूल का भूना हुआ गोंद और 4.5 ग्राम गेरू को एकसाथ पीसकर रोजाना सुबह फंकी लेने से मासिक-धर्म में अधिक खून का आना बंद हो जाता है।
- 20 ग्राम बबूल की छाल को 400 ग्राम पानी में उबालकर बचे हुए 100 ग्राम काढ़े को दिन में तीन बार पिलाने से भी मासिक-धर्म में अधिक खून का आना बंद हो जाता है।
- लगभग 250 ग्राम बबूल की छाल को पीसकर 8 गुने पानी में पकाकर काढ़ा बना लेते हैं। जब यह काढ़ा आधा किलो की मात्रा में रह जाए तो इस काढ़े की योनि में पिचकारी देने से मासिक-धर्म जारी हो जाता है और उसका दर्द भी शान्त हो जाता है।
- 100 ग्राम बबूल का गोंद कड़ाही में भूनकर चूर्ण बनाकर रख लेते हैं। इसमें से 10 ग्राम की मात्रा में गोंद, मिश्री के साथ मिलाकर सेवन करने से मासिक धर्म की पीड़ा (दर्द) दूर हो जाती है और मासिक धर्म नियमित रूप से समय से आने लगता है।
- 14 से 28 मिलीलीटर बबूल की छाल का काढ़ा दिन में दो बार पीने से प्रदर रोग में लाभ होता है।
- 40 ग्राम बबूल की छाल और नीम की छाल का काढ़ा रोजाना 2-3 बार पीने से प्रदर रोग में लाभ मिलता है।
- 2-3 ग्राम अश्वगंधा चूर्ण और 1 ग्राम वंशलोचन दोनों को मिलाकर सुबह-शाम दूध के साथ सेवन करने से प्रदर रोग मिट जाता है।
- 10 ग्राम बबूल की छाल को 400 ग्राम पानी में पकायें। जब यह 100 ग्राम की मात्रा में बचे तो इसे 2-2 चम्मच की मात्रा में सुबह-शाम पीने से और इस काढे़ में थोड़ी-सी फिटकरी मिलाकर योनि में पिचकारी देने से योनिमार्ग शुद्ध होता है और श्वेतप्रदर ठीक हो जाता है, इसके साथ ही योनि टाईट हो जाती है।
- बबूल की 1 भाग छाल को लेकर उसे 10 भाग पानी में रातभर भिगोकर उस पानी को उबाल लेते हैं। जब पानी आधा रह जाए तो उसे छानकर बोतल में भर लेते हैं। लघुशंका (शौचक्रिया) के बाद इस पानी से योनि को धोने से प्रदर एवं योनि शौथिल्य (ढीलापन) में लाभ मिलता है।
- बबूल की फलियों के चेंप (दूध) से मोटे कपड़े को भिगोकर सुखा लें। सूख जाने फिर भिगोकर सुखायें। इस क्रिया को 7 बार तक करके सुखा लेते हैं। स्त्री-प्रसंग (संभोग) से पहले इस कपड़े के टुकड़ों को दूध या पानी में भिगोकर, दूध और पानी को पी लें तो इससे स्तम्भन (वीर्य का देर से निकलना) होता है। यदि इस कपड़े के टुकड़े को स्त्री अपनी योनि में रख ले तो भी योनि तंग हो जाती है।
- बबूल, बेर, कचनार, अनार, नीलश्री को बराबर मात्रा में लेकर पानी में उबाल लें उसी समय उसमें कपड़ा डालकर भिगो लेते हैं। फिर उसमें पानी के छींटे दें और कपड़े को योनि में रखें इससे योनि सिकुड़ जाती है।
- बबूल के पत्तों के रस में मिश्री और शहद मिलाकर पीने से अतिसार में लाभ मिलता है।
- बबूल के 3-6 ग्राम कोमल पत्तों का चूर्ण दिन में दो बार लेने से अतिसार का रोग ठीक हो जाता है।
- बबूल के 8 से 10 पत्तों का रस रोगी को पिलाने से अतिसार का रोग मिट जाता है।
- बबूल की फलियों और कायफल के बीज का काढ़ा बनाकर पीना चाहिए। इस काढ़े को पीने के बाद आप जितनी बार भी पान खाएंगे उतने बार ही दस्त होंगे। बबूल की 8-10 मुलायम पत्तियों को थोडे़ से जीरे और अनार की कलियों के साथ 100 ग्राम पानी में पीस लें, फिर उस पानी में एक गर्म ईंट के टुकड़े को बुझाकर उस पानी को 2 चम्मच दिन में 2-3 बार रोगी को पिलाने से भयंकर अतिसार का रोग भी मिट जाता है।
- 50 ग्राम गोंद बबूल का, 100 ग्राम हरड़, 50 ग्राम पोस्ते की डोडी को पीसकर देशी घी में भूनकर रख लें, फिर इसमें 250 ग्राम मिश्री को मिलाकर 10 ग्राम की मात्रा में सुबह और शाम पीने से आंव का आना बंद हो जाता है। ध्यान रहें कि छाछ, दूध और चावल का सेवन करें।
- बबूल की पत्तियों के रस को छाछ में मिलाकर रोगी को पिलाने से हर प्रकार के अतिसार में लाभ मिलता है।
- बबूल के पेड़ के कोमल पत्तों को 5 ग्राम मात्रा में लेकर अच्छी तरह से पीसकर 150 ग्राम पानी में मिलाकर एक दिन में 2 से 3 बार सेवन करने से अतिसार (दस्त) में लाभ मिलता है।
- बबूल की गोंद को 3 ग्राम से लेकर 6 की मात्रा में दिन में सुबह और शाम पीने से अतिसार में लाभ होता है।
- बबूल के 2 ग्राम पत्तों को पीसकर चीनी के साथ पीने से आंव (एक प्रकार का सफेद चिकना पदार्थ जो मल के द्वारा बाहर निकलता है) का आना बंद हो जाता है। बबूल के पत्तों को पीसकर पीने से अतिसार यानी दस्त में लाभ होता है।
- बड़े बबूल के पत्तों का रस का सेवन करने से सभी प्रकार के अतिसार खत्म हो जाते हैं।
- बबूल की दो फलियां खाकर ऊपर से छाछ (मट्ठा) पीने से अतिसार में लाभ मिलता है।
- बबूल के नर्म पत्तों को पीसकर, रस निकालकर 1-2 बून्द आंख में टपकाने से अथवा स्त्री के दूध के साथ आंख पर बांधने से आंखों की पीड़ा और सूजन मिट जाती है।
- बबूल के पत्तों को बारीक पीसकर उसकी टिकिया बनाकर रात को सोते समय आंख पर बांधने से आंखों का दर्द और जलन के रोग में लाभ मिलता है।
- बबूल की पत्तियों को पीसकर टिकिया बनाकर रात को सोते समय आंखों पर बांध लें और सुबह खोल उठने पर खोल दें। इससे आंखों का लाल होना और आंखों का दर्द आदि रोग दूर हो जाते हैं।
- बबूल के पत्ते और छाल एवं बड़ की छाल सभी को बराबर मात्रा में मिलाकर 1 गिलास पानी में भिगो देते हैं। इस प्रकार तैयार हिम से कुल्ले करने से गले के रोग मिट जाते हैं।
- बबूल के रस में कली का चूना मिलाकर चने के बराबर गोली बनाकर चूसने से सर्दी के कारण बैठा हुआ गला ठीक हो जाता है।
- बबूल की छाल को पानी में डालकर उबालकर इस पानी से गरारे करने से गले की सूजन दूर हो जाती है।
- 6 ग्राम बबूल की जड़ के चूर्ण को शहद और बकरी के दूध में मिलाकर पीने से तीन दिन में ही टूटी हुई हड्डी जुड़ जाती है।
- 6 ग्राम बबूल के पंचाग का चूर्ण शहद और बकरी के दूध में मिलाकर पीने से तीन दिन में ही टूटी हुई हड्डी जुड़ जाती है।
- बबूल के बीजों को पीसकर तीन दिन तक शहद के साथ लेने से अस्थि भंग दूर हो जाता है और हडि्डयां वज्र के समान मजबूत हो जाती हैं।
- बबूल की फलियों का चूर्ण एक चम्मच की मात्रा में सुबह-शाम नियमित रूप से सेवन करने से टूटी हड्डी जल्द ही जुड़ जाती है।
- बबूल के फूलों को रात को ठंडे पानी में भिगो दें। सुबह इसे मसलकर छान लें और पी लें। इससे उपदंश का रोग मिट जाता है।
- बबूल की छाल के शर्बत या काढ़े से कुल्ला करने से उपदंश के कारण उत्पन्न मुंह के छाले दूर हो जाते हैं।
- बबूल के बारीक चूर्ण को घाव पर छिड़कने से लाभ होता है।
- बबूल के पत्तों को बारीक पीसकर उसका लेप घावों पर लगाने से लाभ मिलता है।
- बबूल और बेर की जड़ का शर्बत, फांट या काढ़ा में से किसी भी एक चीज से कुल्ला करने से उपदंश द्वारा होने वाले मुंह के छाले दूर होते हैं।
- बबूल की हरी कोमल पत्तियों के एक चम्मच रस में शहद मिलाकर 2-3 बार रोगी को पिलाने से खूनी दस्त बंद हो जाते हैं।
- 10 ग्राम बबूल के गोंद को 50 ग्राम पानी में भिगोकर मसलकर छानकर पिलाने से अतिसार और रक्तातिसार मिट जाता है।
- बबूल के फूलों को मिश्री के साथ मिलाकर बारीक पीसकर चूर्ण तैयार कर लें। फिर इस चूर्ण की 10 ग्राम की फंकी रोजाना दिन में देने से ही पीलिया रोग मिट जाता है।
- बबूल के फूलों के चूर्ण में बराबर मात्रा में मिश्री मिलाकर 10 ग्राम रोजाना खाने से पीलिया रोग मिट जाता है।
- बबूल की 10-20 मुलायम पत्तियों को 1 गिलास पानी में भिगोकर आसमान के नीचे रखें और सुबह उस पानी को छानकर पीयें। इससे सुजाक रोग और पेशाब की जलन में आराम मिलता है।
- 30 ग्राम बबूल की मुलायम पत्तियों को रातभर पानी में भिगोकर सुबह मसलकर और छानकर उसमें गर्म घी मिलाकर रोगी को पिलायें, दूसरे दिन भी ऐसा ही करें, तीसरे दिन घी मिलाना छोड़ दें, और 4-5 दिन इसका हिम रोगी को पिलाने से सुजाक रोग में लाभ मिलता है।
- बबूल के 10 ग्राम गोंद को 1 गिलास पानी में डालकर उसकी पिचकारी देने से मूत्राशय की सूजन, सुजाक की जलन दूर हो जाती है।
- बबूल के 5-10 पत्तों को एक चम्मच शक्कर और चम्मच कालीमिर्च के साथ अथवा 5-6 अनार के पत्तों के साथ पीसकर छानकर पिलाने से सुजाक रोग मिट जाता है।
- बबूल की छाल, फली और गोंद बराबर मिलाकर पीस लें, एक चम्मच की मात्रा में दिन में 3 बार सेवन करने से कमर दर्द में आराम मिलता है।
- बबूल के फूल और सज्जी बराबर मात्रा में मिलाकर सुबह सूरज उगते समय 1 ग्राम की मात्रा में खाने से कमर दर्द में आराम होता है।
- बबूल का गोंद मुंह में रखकर चूसने से खांसी ठीक हो जाती है।
- बबूल की छाल को पानी के साथ काढ़ा बनाकर पीने से खांसी दूर हो जाती है।
- 500 ग्राम पानी में बबूल के कांटे को पकायें। जब 3 हिस्सा पानी जल जायें, तब इसे छानकर रोगी को पिलायें इससे हिचकी में लाभ होता है।
- बबूल के सूखे या गीले कांटों को आधा किलो पानी में डालकर उबाल लें। 250 ग्राम पानी शेष रह जाने पर उसमें शहद मिलाकर पीने से हिचकी दूर हो जाती है।
- बबूल की कोमल पत्तियों को सिलपर पानी के साथ पीस लें, साथ ही उसमें 4-5 कालीमिर्च भी डाल दें और छानकर सुबह-शाम पियें। इससे मधुमेह के रोग में लाभ होता है।
- 3 ग्राम बबूल के गोंद का चूर्ण पानी के साथ या गाय के दूध के साथ दिन में 3 बार रोजाना सेवन करने से मधुमेह रोग में लाभ पहुंचता है।
Online Dr. P.L. Meena (डॉ. पुरुषोत्तम लाल मीणा)
बहुत बहुत धन्यवाद इस अद्भुत जानकारी के लिए
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद इस अद्भुत जानकारी के लिए
ReplyDeleteघुटने दर्द के लिए बबुल बीज का चूर्ण खाणेका सलाह दीया है। कोई जानकारी है?
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