परिचय : पपीता बहुत ही स्वादिष्ट होता है। इसके पेड़ लंबे, पतले व कोमल होते हैं। पपीते के पेड़ में कोई डालियां नहीं होती हैं। इस पर लगने वाले फल को पपीता कहते हैं। पपीता कच्चे रहने पर हरा और पक जाने पर पीले रंग का हो जाता है। पपीते के अंदर काले रंग के बीज होते हैं और बीज के ऊपर एक लसलसा द्रव्य जमा रहता है। पपीते के पेड़ भारत के कई राज्यों में पाए जाते हैं और यह किसी भी मौसम में लगाया जा सकता है। कच्चे पपीते की सब्जी और अचार भी बनती है। पके पपीते की चटनी व कचूमर भी बनाई जाती है। प्रतिदिन सुबह पपीते का सेवन करने से कब्ज दूर होती है और पाचन शक्ति बढ़ती है। यह पेट की गैस को दूर करता है। पपीते में पेप्सीन एंजाइम प्रोटीन प्रचुर मात्रा में पाया जाता है जो एक प्रकार का पाचक रस है। पपीता प्रोटीन को पाचन के अलावा आंतों में सूखे मल को बाहर करके आंतों को एकदम साफ कर देता है।
हिंदी | अरण्ड खर्बूजा, (अरण्ड कांकड़ी) |
अंग्रेजी | पपेया |
संस्कृत | मधुकर्कटी या वातकुंभफल |
बंगाली | पोपैय। |
- पपीता आसानी से हजम होने वाला फल है।
- पपीता भूख व शक्ति को बढ़ाता है।
- यह प्लीहा (तिल्ली), यकृत (लीवर), पांडु (पीलिया) आदि रोग को समाप्त करता है।
- पेट के रोगों को दूर करने के लिए पपीते का सेवन करना लाभकारी होता है।
- पपीते के सेवन से पाचनतंत्र ठीक होता है।
- पपीते का रस अरूचि, अनिद्रा (नींद का न आना), सिर दर्द, कब्ज व आंवदस्त आदि रोगों को ठीक करता है।
- पपीते का रस सेवन करने से अम्लपित्त (खट्टी डकारें) बंद हो जाती है।
- पपीता पेट रोग, हृदय रोग, आंतों की कमजोरी आदि को दूर करता है।
- पके या कच्चे पपीते की सब्जी बनाकर खाना पेट के लिए लाभकारी होता है।
- पपीते के पत्तों के उपयोग से उच्च रक्तचाप में लाभ होता है और हृदय की धड़कन नियमित होती है।
- पपीता वीर्य को बढ़ाता है, पागलपन को दूर करता है एवं वात दोषों को नष्ट करता है।
- इसके सेवन से जख्म भरता है और दस्त व पेशाब की रुकावट दूर होती है।
- कच्चे पपीते का दूध त्वचा रोग के लिए बहुत लाभकारी होता है।
- पपीते के बीज कीड़े को नष्ट करने वाला और मासिक-धर्म को नियमित बनाने वाला होता है।
- पपीते का दूध दर्द को ठीक करता है, कोढ़ को समाप्त करता है और स्तनों में दूध को बढ़ाता है।
- पपीते का चूर्ण सेवन करने से आमाशय की जलन, जख्म, अर्बुद व अपच दूर होता है। यूनानी चिकित्सकों के अनुसार : पका पपीता पाचन शक्ति को बढ़ाता है, भूख को बढ़ाता, पेशाब अधिक लाता है, मूत्राशय के रोगों को नष्ट करता है, पथरी को गलाता है और मोटापे को दूर करता है। पपीता कफ के साथ आने वाले खून को रोकता है एवं खूनी बवासीर को ठीक करता है।
- वैज्ञानिकों विश्लेषणों के अनुसार : पपीते में विटामिन `ए´ `बी´ `सी´ और `डी´ होता है। यह आंखों के रोग, पेशाब की रुकावट व गुर्दे से सम्बंधित रोगों को दूर करता है। पपीते में विटामिन `सी´ अधिक होता है। यह हड्डी, दांत, उच्चरक्त चाप, पक्षाघात, गठिया व उल्टी आदि में लाभकारी होता है।
तत्व | मात्रा | तत्व | मात्रा |
प्रोटीन | 0.5 प्रतिशत | कैल्शियम | 0.01 प्रतिशत |
वसा | 0.1 प्रतिशत | फास्फोरस | 0.01 प्रतिशत |
कार्बोहाइड्रेट | 9.5 प्रतिशत | लौह | लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग /100 ग्राम |
पानी | 89.6 प्रतिशत | विटामिन-बी | लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग/100 ग्राम |
विटामिन- ए | 2020 आई0यु0/100 ग्राम |
औषधीय उपयोग :
स्तनों में दूध बढ़ाने के लिए : पका पपीता खाने से या कच्चे पपीते की सब्जी बनाकर खाने से स्तनों में दूध बढ़ता है।
- कच्चा पपीता या पका पपीता खाने से कब्ज की शिकायत दूर होती है।
- कब्ज से पीड़ित रोगी को प्रतिदिन सुबह पपीते का दूध पीना चाहिए। इससे कब्ज दूर होकर पेट साफ होता है।
- खाना खाने के बाद पपीता खाने से कब्ज की शिकायत दूर होती है।
- पपीते के दूध व अदरक के रस में 50 ग्राम अजवाइन मिलाकर छाया में सूखा लें। सूख जाने पर यह आधा चम्मच की मात्रा में भोजन के तुंरत बाद पानी से लें। इससे कब्ज दूर होती है। यह गैस बनना, गले व छाती की जलन, भूख का न लगना, गुदा की खुजली आदि को भी ठीक करता है।
- पपीते के पत्तों का काढ़ा बनाकर प्रतिदिन पीने से हृदय का रोग ठीक होता है। इसके सेवन से घबराहट दूर होती है।
- बुखार में हृदय की कमजोर व नाड़ी का अधिक तेज चलने के रोग में पपीते के पत्तों का काढ़ा बनाकर सेवन करना चाहिए।
- पपीते के पत्ते को पानी में उबालकर उसके पानी को छानकर पीने से हृदय रोग में लाभदायक है।
- पके पपीते को छीलकर पीस लें और इसे चेहरे पर लगाएं। इसे लगाने के 15-20 मिनट के बाद जब यह सूख जाए तो चेहरे को पानी से धो लें और मोटे तौलिए से चेहरे को अच्छी तरह साफ करें। इसके बाद चेहरे पर तिल या नारियल का तेल लगाएं। इस तरह इसका उपयोग करने से 1 से 2 सप्ताह में ही चेहरे के दाग, धब्बे व मुंहासे ठीक हो जाते हैं और चेहरा सुन्दर बनता है। इससे चेहरे की झुर्रियां व काला घेरा आदि भी दूर होता है।
- युवतियों को अपनी कमर को सुन्दर व सुडौल बनाने के लिए प्रतिदिन कुछ महीने तक पपीता खाना चाहिए। इससे कमर पतली व सुडौल बनती है।
- 10 ग्राम पपीते का गूदा, 10 बूंद नींबू का रस, आधा चम्मच गुलाब जल एवं 10 ग्राम टमाटर का रस मिलाकर चेहरे व शरीर के दूसरे अंगों पर लेप करें। लेप करने के 15 से 20 मिनट बाद हल्के गर्म पानी से साफ चेहरे को साफ कर लें। इस तरह कुछ दिनों तक इसका प्रयोग करने से त्वचा कोमल, चिकनी व मुलायम बनती है।
- खून की कमी होने पर रोगी को प्रतिदिन पपीता खाना चाहिए। इससे पाचन क्रिया ठीक होता है और खून बनता है।
- यदि प्रसव के बाद स्त्री के स्तनों में दूध न बनता हो तो उसे प्रतिदिन पपीते का सेवन करना चाहिए। इससे स्तनों में दूध बढ़ता है।
- लगभग 300 ग्राम पपीता प्रतिदिन खाने से मोटापा दूर होता है।
- चेहरे की त्वचा खुश्क व झुर्रिदार होने पर बचाव के लिए प्रतिदिन पपीता खाना चाहिए।
- चेहरे का रंग निखारने के लिए एक कप पपीते का रस व एक कप अमरूद का रस मिलाकर दिन में 2 बार पीना चाहिए। इससे कुछ ही दिनों मे चेहरे पर चमक आ जाती है।
- सभी त्वचा रोग में पपीते का रस, गाजर का रस और आधी मात्रा में पालक का रस मिलाकर दिन में 2 बार पीने से त्वचा रोग ठीक होता है।
- चेहरे के मुहांसे, कील, झाईयां आदि को दूर करने के लिए पके पपीते व आलू का रस मिलाकर दिन में 2-3 बार चेहरे पर लगाएं। इससे चेहरे के मुहांसे, कील व झाईयां दूर होती हैं।
- पपीते से मिलने वाला रासायनिक तत्त्व चेहरे पर जमी हुई तेलीय परत को हटाने में बहुत लाभकारी रहता है। एक पूरी तरह से पके हुए पपीते के अंदर का गूदा लेकर अच्छी तरह उसका लेप बना लें, 15 मिनट तक पपीते के गूदे का लेप चेहरे पर रगड़ कर कुछ देर बाद गुनगुने पानी से धो लें। अगर त्वचा रूखी हो तो पपीते के गूदे में गुलाब जल, चन्दन का बुरादा और हल्दी को मिलाकर उबटन बना कर लगा लें। और बाद में ठण्डे पानी से धो लें।
- बवासीर के मस्सों पर करीब एक महीने तक लगातार पपीते का दूध लगाने से मस्से सूखकर झड़ जाते हैं।
- खूनी या बादी बवासीर में आधा किलो पपीता दिन में 2 बार खाने चाहिए। इससे दोनों प्रकार की बवासीर ठीक होता है।
- तिल्ली या प्लीहा बढ़ने पर पपीते का रस एक कप की मात्रा में दिन में 3 बार रोगी को देने से तिल्ली का बढ़ना ठीक होता है। मलेरिया ज्वर में भी पपीते का रस या पपीता खाने से ज्वर (बुखार) के कारण होने वाली उल्टी आदि तुरंत बंद हो जाती है।
- पपीता का नियमित रूप से सेवन करने से तिल्ली का बढ़ना ठीक होता है।
- कच्चे पपीते को बीच से इस तरह काटे कि उसमें 200 या 250 ग्राम सेंधा नमक भरा जा सके। इस तरह नमक भरे हुए पपीते को उसी टुकड़े से ढक दें और ऊपर से कपड़े की मिट्टी करें और फिर पपीते पर गोबरएक अंगुल मोटा लेप कर दें। इसके बाद इसे उपलों के आग के बीच रखकर पकाएं। जब उपले जल जाए तो पपीते को निकालकर पपीते के ऊपर से मिट्टी, गोबर हटाकर उसमें से नमक निकालकर महीने पीसकर रख लें। इस नमक को 5-6 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम 3 सप्ताह तक सेवन कराएं। इससे तिल्ली का बढ़ना ठीक होता है।
- पपीते का रस 1 कप, गाजर, संतरे आधा-आधा कप और तुलसी व लहसुन का रस 2-2 चम्मच। इन सभी को मिलाकर कुछ दिनों तक दिन में 2 बार सेवन करने से उच्च रक्तचाप सामान्य बनता है।
- उच्च रक्तचाप से पीड़ित रोगियों को प्रतिदिन पपीता सेवन करना चाहिए।
- एक पक्के हुए पपीते को काटकर उसमें कालीमिर्च का चूर्ण मिलाकर प्रतिदिन खाने से पाचनशक्ति की कमजोरी दूर होती है।
- कच्चे पपीते की सब्जी बनाकर खाने से पाचनशक्ति मजबूत होती है।
- पपीते के बीजों को सुखाकर बारीक चूर्ण बना लें और यह चूर्ण 3 ग्राम की मात्रा में आधा नींबू का रस मिलाकर दिन में 2 बार सेवन करें। इससे यकृत की बीमारी दूर होती है।
- कच्चे पपीते का रस 2 चम्मच लेकर चीनी मिलाकर देने से यकृत और प्लीहा रोग में आराम मिलता है।
- 10 ग्राम कच्चे पपीते के दूध में चीनी मिलाकर दिन में 3 बार सेवन करने से यकृत का बढना रोग ठीक होता है।
- पपीता, कत्था, खैर व सुपारी का काढ़ा बनाकर पीने से मधुमेह रोग में लाभ मिलता है।
- 20 गाम पपीता, 5 ग्राम कत्था व सुपारी को मिलाकर कूट लें और फिर काढा बनाकर सेवन करें। इससे मधुमेह का रोग ठीक होता है।
- पपीते के 5 से लेकर 7 बीजों को ताजे पानी के साथ 5 दिनों तक सेवन करने से पेट में कीड़ों के कारण होने वाला दर्द कीड़ों के मरने के साथ ठीक होता है।
- 10 से 15 पपीते के बीज को पानी में पीसकर 7 दिनों तक खाने से लाभ होता है।
- पपीता के बीज को पीसकर चूर्ण बनाकर 2 चुटकी को खुराक के रूप में दिन में 3 बार पानी के साथ पीने से लाभ होता हैं।
- कच्चा पपीता का रस शहद के साथ मिलाकर 250 ग्राम से लेकर 125 ग्राम की मात्रा में गर्म पानी मिला दें, फिर ठंडा होने पर नींबू का रस डालकर सेवन करने से लाभ होता हैं।
- पपीते के 10 बीजों को अच्छी तरह पीसकर 58 ग्राम से लेकर लगभग 90 ग्राम तक 15 दिनों तक पीने से पेट के कीड़े समाप्त हो जाते है।
- पपीता में काली मिर्च, नींबू का रस और सेंधा नमक डालकर खाने से कब्ज (गैस) के कारण होने वाले उदर (पेट) के दर्द में लाभ होता है।
- नींबू का रस और चीनी मिलाकर पीने से पेट का दर्द दूर होता है।
- प्रतिदिन 400 ग्राम पपीता खाने से उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर) में बहुत लाभ होता है।
- भोजन के बाद पके हुए पपीते का सेवन करने से उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर) में बहुत लाभ होता है।
- खाली पेट प्रतिदिन पका हुआ पपीता खाने से उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर) ठीक होता है।
- पका पपीता खाने या कच्चे पपीते की सब्जी बनाकर खाने से पीलिया रोग में लाभ होता है।
- छिलके सहित कच्चा पपीता 75 ग्राम चटनी की तरह बारीक पीस कर 250 ग्राम पानी में घोल लें। स्वाद के अनुसार चीनी या ग्लूकोज मिलाकर पीलिया के रोगी को 3 बार प्रतिदिन पिलाने से कुछ ही दिनों में पीलिया ठीक हो जाता है। इसे और स्वादिष्ट बनाने के लिए स्वादानुसार नीबू, कालीमिर्च मिला सकते है। बच्चों के लिए मात्रा कम लें।
- जिन बच्चों को पीलिया हो, हाथ-पैर पतले हो या यकृत बढ़ गया हो उसे आधा गिलास पपीते का रस, एक कप अंगूर का रस, संतरा व मौसमी का रस मिलाकर दिन में 2 बार कुछ दिन तक पिलाना चाहिए। इससे
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