Online Dr. P.L. Meena (डॉ. पुरुषोत्तम लाल मीणा)

Health Care Friend and Marital Dispute Consultant

(स्वास्थ्य रक्षक सक्षा एवं दाम्पत्य विवाद सलाहकार)

-:Mob. & WhatsApp No.:-

85619-55619 (10 AM to 10 PM)

xxxxxxxxxxx

स्वास्थ्य की अनदेखी नहीं करें, तुरंत स्थानीय डॉक्टर (Local Doctor) से सम्पर्क करें। हां यदि आप स्थानीय डॉक्टर्स से इलाज करवाकर थक चुके हैं, तो आप मेरे निम्न हेल्थ वाट्सएप पर अपनी बीमारी की डिटेल और अपना नाम-पता लिखकर भेजें और घर बैठे आॅन लाइन स्वास्थ्य परामर्श प्राप्त करें।

सुहागा-Borax

सुहागा-Borax
महत्वपूर्ण नोट: किसी भी रोगी को सुहागे का सेवन करते समय दही, केला चावल तथा ठंडे पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए।
नाम : सुहागाचौकी, रसघ्न, कनक क्षार, धातु द्रावक, सौभाग्य, टंकण आदि सुहागा के नाम है।
गुण : सुहागा पेट की जलन, बलगम, वायु तथा पित्त को नष्ट करता है और धातुओं को द्रवित करता है।
विभिन्न बीमारियों में सुहागा :

जुकाम-नजला : सुहागा की डली को लोहे के तवे पर सेंक कर पीस ले। इस में से चुटकी भर 1 घूंट गर्म पानी में घोलकर रोजाना 4 बार पीने से जुकाम ठीक हो जाता है। आधा ग्राम गर्म पानी से सुबह-शाम लेने से नजला भी ठीक हो जाता है।
पसीना : 1 चम्मच पिसा हुआ सुहागा एक बाल्टी पानी में मिलाकर नहाने से अधिक पसीना आना और शरीर से दुर्गन्ध आना बंद हो जाती है।
अजीर्ण : बच्चा सोते-सोते रोने लगे, दही की तरह जमे दूध की उल्टी करे, हरे रंग का अतिसार (दस्त) हो तो समझे कि बच्चे को खाया हुआ पचता नहीं है। बच्चे की पाचन शक्ति (भोजन पचाने की क्रिया) ठीक करने के लिए भुना सुहागा चुटकी भर दूध में घोलकर 2 बार पिलाने से लाभ होता है।
स्वरभंग : सुहागा को पीसकर चुटकी भर चूसने से बैठी हुई आवाज खुल जाती है।
पेट फूलना, दूध उलटना : तवे पर सुहागे को सेंक कर बच्चों को चटाने से पेट फूलना और दूध पीकर वापिस निकाल देने का रोग दूर हो जाता है।
फरास : 50 ग्राम सुहागे को तवे पर भूनकर पीस लें। 1 चम्मच सुहागा, 1 चम्मच नारियल का तेल और 1 चम्मच दही को मिलाकर सिर में मलने और आधे घंटे के बाद सिर को धोने से सिर की फरास समाप्त हो जाती है।
तिल्ली-Spleen : 30 ग्राम भुना हुआ सुहागा और 100 ग्राम राई को पीसकर मैदा की छलनी से छान लें। इसे आधा चम्मच रोजाना 7 सप्ताह तक 2 बार पानी से फंकी लें। तिल्ली सिकुड कर अपनी सामान्य अवस्था में आ जायेगी, भूख अच्छी लगेगी और शरीर में शक्ति का संचार होगा।
चर्मरोग : सुहागे के तेल को चमड़ी पर लगाने से चमड़ी के सारे रोग ठीक हो जाते हैं।
बाल रोग : लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग शुद्ध सुहागा शहद के साथ बच्चों को दिन में 2-3 बार देने से बच्चों की खांसी और सांस के रोग दूर होते हैं।
अंडकोष की वृद्धि : 6 ग्राम भुने सुहागे को गुड़ में मिलाकर इसकी 3 गोलियां बनाकर 1-1 गोली 3 दिन सुबह हल्के गर्म घी के साथ सेवन करने से अंडकोष की वृद्धि रुक जाती है।
कर्णरोग : लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग सुहागा कान में दिन में 2-3 बार डालने से कान के रोग ठीक हो जाते हैं।
अंडकोष की खुजली : लगभग 116 ग्राम पानी में 4 ग्राम सुहागा को घोलकर रोजाना 2-3 बार अंडकोष धोने से खुजली मिट जाती है।
आंख आना : आंख आने पर सुहागा और फिटकरी को एक साथ पानी में घोल बनाकर आंख को धोने और बीच-बीच में बूंद-बूंद (आई डरोप्स) की तरह आंखों मे डालने से बहुत जल्दी लाभ होता है।
दमा :
लगभग 75 ग्राम भुना हुआ सुहागा 100 ग्राम शहद में मिला ले इसे सोते समय 1 चम्मच की मात्रा में लेकर चाटने से श्वास रोग (दमा) में बहुत लाभ होता है।
लगभग 30 ग्राम पिसे हुए सुहागे को 60 ग्राम शहद में मिलाकर रख दें। कुछ दिनों तक 3 अंगुली भर चाटते रहने से श्वास रोग (दमा) खत्म हो जाता है।
सुहागे का फूला और मुलहठी को अलग-अलग पकाकर या पीसकर कपड़े में छानकर बारीक चूर्ण बना लें और फिर इन दोनों औषधियों को बराबर मात्रा में मिलाकर किसी शीशी में सुरक्षित रख लें। आधा ग्राम से 1 ग्राम तक इस चूर्ण को दिन में 2-3 बार शहद के साथ चाटने से या गर्म पानी के साथ लेने से दमा के रोग में लाभ मिलता है। बच्चों के लिए लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग की मात्रा या आयु के अनुसार कुछ अधिक दें। इसका सेवन करने से श्वास (दमा), खांसी तथा जुकाम नष्ट हो जाता है। इस औषधि का सेवन करते समय दही, केला चावल तथा ठंडे पदाथों का सेवन नहीं करना चाहिए।
आंखों का दर्द : भुने हुए सुहागे को पीसकर कपडे़ में छानकर सलाई से सुबह और शाम आंखों में लगाने से आराम आता है।
दांतों को साफ और मजूबत बनाने के लियें :
  1. सुहागा को फुलाकर उसमें मिश्री मिलाकर बारीक पीस कर रोजाना मंजन करने से दांत साफ और मजबूत होते हैं।
  2. लकड़ी के कोयले में सुहागा मिलाकर बारीक पाउडर बना लें तथा बांस या नीम के दांतुन पर लगाकर मंजन करें। इससे दांत साफ और मजबूत होते हैं।
काली खांसी (कुकर खांसी) :
  1. सुहागा, कलमी शोरा, फिटकरी, कालानमक और यवक्षार को पीसकर चूर्ण तैयार कर इसे तवे पर भूनकर 2-2 ग्राम की मात्रा में शहद के साथ मिलाकर बच्चों को चटाने से काली खांसी ठीक हो जाती है।
  2. तवे पर भुना हुआ सुहागा व वंशलोचन को मिलाकर शहद के साथ रोगी बच्चे को चटाने से काली खांसी दूर हो जाती है। 
बालों के रोग : 
20 ग्राम सुहागा और 10 ग्राम कपूर को 50 ग्राम उबले पानी में मिलाकर हल्के गर्म पानी के साथ धोने से बाल मुलायम तथा काले हो जाते हैं।
5 ग्राम सुहागा और 10 ग्राम कच्चे सुहागे को 250 ग्राम पानी में डालकर उबाल लें। इसके ठंडा होने पर बालों को धोने सें बाल मजबूत बनते हैं।

खांसी :
5-5 ग्राम भूना हुआ सुहागा और कालीमिर्च को पीसकर कंवार गंदल के रस में मिलाकर कालीमिर्च के बराबर की गोलियां बनाकर छाया में सुखा लें। 1 या आधी गोली को मां के दूध के साथ बच्चों को देने से खांसी के रोग मे आराम आता है।
  1. बलगम वाली खांसी और बुखार वाली खांसी में लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग से लगभग 1 ग्राम सुहागे की खील (लावा) को सुबह-शाम शहद के साथ देने से लाभ मिलता है।
  2. सुहागे को तवे पर गर्म करके फुलायें फिर उसका चूर्ण बनाकर पीसे। इसमें से 1 चुटकी चूर्ण लेकर शहद के साथ चाटने से खांसी बंद हो जाती है।
दांत निकलना :
  1. भुना हुआ सुहागा और शहद को मिलाकर बच्चे के मसूढ़ों पर धीरे-धीरे मलें। इससे दांत आसानी से निकल आते हैं तथा मसूड़ों का दर्द कम होता है।
  2. सुहागा को शहद के साथ पीसकर बच्चों के मसूढ़ो पर मलें। इससे बच्चों के नये दांत आसानी से निकल आते हैं और दर्द में आराम मिलता है।
  3. लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग भुनी सुहागा को शहद में मिलाकर बच्चों के मसूडें पर मलने से दांत आसानी से निकल आते हैं।
  4. 10 ग्राम भुना सुहागा और 10 ग्राम पिसी हुई मुलहठी लेकर चूर्ण बना लें। इसमें से लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग चूर्ण में शहद मिलाकर मसूड़ों पर मलें। इससे बच्चों के दांत निकलते समय दर्द नहीं होता तथा बार-बार दस्त आना बंद हो जाता है।
पायरिया :
  1. सुहागा एवं बोल (हीराबोल) को मिलाकर रोजाना 2 से 3 बार मसूढ़ों पर धीरे-धीरे मलें। इससे दांतों व मसूढ़ों के सभी रोग ठीक होकर पायरिया रोग दूर होता है।
  2. 5-5 ग्राम भूना सुहागा, समुन्दर झाग 8-8 ग्राम त्रिफला पिसा, सेंधा नमक, 0.12 ग्राम सतपोदीना, सतअजवायन को पीसकर और छानकर 50 ग्राम पिसी खड़िया मिलाकर कपडे में छानकर सुबह-शाम मंजन करने से पायरिया ठीक हो जाता है।
निमोनिया : 
  1. 3 ग्राम सुहागा भुना और नीला थोथा भुना हुआ पीसकर अदरक के रस में बाजरे के बराबर आकार की गोलियां बनाकर छाया में सुखा लेते हैं। इसमें से 1-1 गोली मां के दूध के साथ सेवन करने से निमोनिया रोग ठीक हो जाता है।
  2. 1 चुटकी फूला सुहागा, 1 चुटकी फूली फिटकरी, 1 चम्मच तुलसी का रस, 1 चम्मच अदरक का रस, आधा चम्मच पान के पत्तों के रस को एक साथ मिलाकर शहद के साथ सुबह-शाम सेवन करने से निमोनिया के रोग मे लाभ होता है।
बालों का झड़ना (गंजेपन का रोग) : 20 ग्राम सुहागा और 20 ग्राम कपूर को बारीक पीसकर पानी में घोलकर बाल धोने से बालों का गिरना कम हो जाता है।
जुओं का पड़ना : 20 ग्राम सुहागा और 20 ग्राम फिटकरी को 250 ग्राम पानी में मिलाकर सिर पर मालिश करने से सिर की जूएं मर जाती है।
जीभ की प्रदाह और सूजन : सुहागा की टिकीया चूसते रहने से जीभ की जलन और सूजन का रोग ठीक होता है।
मसूढ़ों का फोंड़ा : मसूढ़ों के फोड़े में सुहागा एवं हीरा बोल को मिलाकर मसूढ़ों पर मलें। इससे मसूढ़ों का दर्द व फोड़ों से पीप का निकलना बंद होता है।
मसूढ़ों की सूजन : हीरा बोल और सुहागा को मिलाकर मसूढ़ों पर पर धीरे-धीरे मलने से मसूढ़ों की सूजन मिट जाती है।
मुंह के छाले : 
  1. सुहागा के टुकड़े को शहद के साथ मिलाकर रोजाना 3 से 4 बार मुंह में लगायें। इससे मुंह की जलन, मुंह के दाने तथा मुंह के छाले आदि रोग खत्म होते हैं। इसका प्रयोग छोटे बच्चों के मुंह में होने वाले छालों में भी कर सकते हैं।
  2. शहद में सुहागा मिला कर घोल तैयार करें। इसके घोल में साफ रूई को भिगोकर मुंह के छाले पर लगाने से तथा मुंह से निकलने वाले लार को नीचे टपकाने से मुंह की गंदगी खत्म होकर छाले दूर होते हैं।
  3. 2 ग्राम भुना सुहागा के बारीक चूर्ण को 15 ग्राम ग्लिीसरीन में मिलाकर रखें। इस मिश्रण को दिन में 2 से 4 बार मुंह के छालों पर लगाने से आराम मिलता है।
  4. भुना हुआ सुहागा 1 चुटकी बारीक पीसकर ग्लिसरीन या देशी घी में मिलाकर मुंह के छालों पर लगाने से छाले ठीक हो जाते हैं।
मुंह का रोग : 
  1. 3 ग्राम भुना सुहागा आधा ग्राम कपूर चूरा को शहद में मिलाकर मुंह में लगाने से मुंह के सभी रोग खत्म होते हैं।
  2. 10 ग्राम भुना सुहागा और 10 ग्राम बड़ी इलायची के दाने तथा 10 ग्राम तबासीर को मिलाकर चूर्ण बना लें। रोजाना सुबह-शाम भोजन करने के बाद 4-4 ग्राम चूर्ण पानी के साथ खायें और इसके चूर्ण को जीभ पर छिरकने से जीभ व मुंह के छाले खत्म होते हैं।
  3. 3 ग्राम भुना सुहागा को पीसकर शहद या ग्लिसरीन 25 ग्राम में मिला लें। रोजाना सुबह-शाम इस मिश्रण को साफ रूई से मुंह के सफेद घाव पर लगाने से मुंह के जख्म ठीक हो जाते हैं।
  4. 3 ग्राम भुना सुहागा को पीसकर 25 ग्राम शहद या ग्लिसरीन में मिला लें। रोजाना सुबह-शाम इस मिश्रण को साफ रूई से मुंह के घाव पर लगाने से मुंह के जख्म ठीक हो जाते हैं।
  5. फूला सुहागा शहद में मिलाकर जीभ पर लगाने से जीभ साफ होती है तथा दाने खत्म होते हैं।
  6. सुहागा का लावा तैयार कर शहद में मिलाकर दिन में 3 से 4 बार छाले में लगाने से छाले ठीक हो जाते हैं।
नपुंसकता : सुहागा, कूट और मैनसिल को बराबर मिलाकर चूर्ण बनाकर चमेली के रस और तिल के तेल में पका कर लिंग पर मलने से लिंग का टेढ़ापन दूर होता है।
दस्त के लिए : लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग से लेकर लगभग 1 ग्राम सुहागे की खील (लावा) को रोजाना सुबह और शाम देने से बच्चों के आने वाले दस्त बंद हो जाते हैं।
मुंह की दुर्गंध : 
  1. 116 ग्राम पानी में 4 ग्राम सुहागा घोलकर कुल्ला करने व गरारे करने से मुंह की दुर्गंध मिटती है तथा मुंह के अन्य रोग भी खत्म होते हैं।
  2. सुहागा की खील (लावा) लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग से लगभग 1 ग्राम में शहद मिलाकर दिन में 2 से 3 बार खाने से मुंह की दुर्गंध चली जाती है।
मूत्र के साथ खून आना : 0.24 से 0.96 ग्राम सुहागे की खील को शहद मिले हुए पानी में घोंटकर सुबह-शाम पीने से पेशाब के साथ खून आना बंद हो जाता है।
थूक अधिक आना : 
  1. 500 मिलीलीटर पानी में 125 ग्राम सुहागा मिलाकर गरारे करने और बीच-बीच में कुल्ला करने से लार का मुंह में अधिक आना (लार श्राव) बंद हो जाता है।
  2. सुहागा को शहद में मिलाकर रखें। इसे जीभ और मुंह के अन्दर के छाले पर दिन में 3 से 4 बार लगायें। इससे जीभ या मुंह में हुए छाले के कारण लार का गिरना और कब्ज (पेट मे गैस) खत्म होता है।
हकलाना, तुतलाना : 
हकलाने वाले व्यक्ति को फूला हुआ सुहागा शहद में मिलाकर जीभ पर रगड़े। इसको रगड़ने से जीभ के कारण होने वाला तोतलापन दूर होता है।
भूना सुहागा 1 चुटकी जीभ पर रखकर हल्का-हल्का मलने से जीभ साफ होती है तथा बोली साफ निकलती है।
मासिक धर्म की अनियमितता : 
10 ग्राम सुहागा, 10 ग्राम हीरा कसीस, 10 ग्राम मुसब्बर तथा 10 ग्राम हींग को पानी के साथ पीसकर लगभग 0.24 ग्राम की गोली बनाकर 1 गोली सुबह और शाम अजवायन के साथ सेवन करना चाहिए। इसे कुछ दिनों तक लगातार सेवन करने से मासिक धर्म ठीक समय पर आने लगता है।
बवासीर (अर्श) : 1 चम्मच सुहागा, 1 चम्मच हल्दी, 1 चम्मच चीता (चित्रक) की जड़, थोड़े-से इमली के पत्ते तथा 10 ग्राम गुड़ को पीसकर मलहम बना लें। इसके मलहम को बवासीर के मस्सों पर लगाने से मस्से जल्द सूख कर गिर जाते हैं। 
कान के कीड़े : सुहागे को सिरके में मिलाकर गर्म करके कान में डालने से कान के कीड़े खत्म हो जाते है।
गुर्दे के रोग : 1-1 ग्राम सुहागा भुना, नौसादर, कलमी शोरा को पीसकर गुर्दे मे दर्द के समय आधा ग्राम की मात्रा में नींबू के रस के साथ 2-3 चम्मच लेने से आराम आता है।
कान की पुरानी सूजन : ढाई प्रतिशत सुहागे के घोल को कान में बूंद-बूंद करके हर 2-3 घंटे के बाद डालने से कान की पुरानी सूजन दूर होती है।
भगन्दर : 4 ग्राम सुहागा को 58 ग्राम पानी मे घोल कर पीने से गुदकण्डु (खुजली) नष्ट होती है और नासूर में लाभ होता है।
घाव : सुहागे को पानी में घोलकर उसमें कपड़ा भिगोकर घाव पर बांधने से खून रुक जाता है।
10 ग्राम सुहागे को 200 ग्राम पानी में मिलाकर घाव को धोने से घाव ठीक हो जाता है।
अग्निमांद्यता (अपच) के लिए : लगभग आधा ग्राम से लगभग 1 ग्राम सुहागे का चूर्ण खाना खाने के एक घंटे बाद खाने से अपच (भोजन का ना पचना) रोग में लाभ होता है।
पथरी : 5-5 ग्राम सुहागा, जौंखार तथा कलमी शोरा को मिलाकर पीसकर चूर्ण बना लें। इस 1-1 ग्राम चूर्ण को रोजाना सुबह-शाम मूली के रस या कुल्थी के जुसांदे में मिलाकर पीने से गुर्दे व मूत्राशय की पथरी घुलकर निकल जाती है।
प्रदर रोग : 2.5 प्रतिशत सुहागे के घोल की पिचकारी जननेन्द्रिय में देने से सफेद प्रदर दूर हो जाता है।
गिल्टी (ट्यूमर) : सुहागे की खील को गिल्टी (ट्यूमर) में लगाने से लाभ होता है।
धनुष्टंकार (टिटनेस) : लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग से लगभग 1 ग्राम सुहागा सुबह-शाम शहद के साथ चाटने से धनुष्टंकार(टिटनेस) का रोगी जल्दी ठीक हो जाता है।
नाक के रोग : 3 ग्राम सुहागे को पानी के साथ पीसकर नाक के नथुनों (छेदों) में लगाने से नकसीर (नाक से खून बहना) आना रूक जाता है।
स्त्रियों को द्रवित (संतुष्ट) करना : 
  1. भूने हुऐ सुहागे को 5 ग्राम की मात्रा में लेकर शहद या नींबू के रस में मिलाकर पुरुष अपने शिश्न (लिंग) पर सुपारी (आगे के भाग) पर लगाकर सूखने के बाद ही सहवास (संभोग) करें। इससे स्त्रियां बहुत जल्द संतुष्ट हो जाती है।
  2. सुहागा चौकिया, समुद्र झाग, आधा ग्राम दूध, चाय या सब्जी के साथ स्त्री को खिलाने से स्त्रियां बहुत जल्द संतुष्ट हो जाती है।
चेहरे की झाई होने पर : 25 ग्राम चमेली के तेल या बादाम रोगन में 1 ग्राम पिसा हुआ भुना सुहागा मिलाकर चेहरे पर लगाने से चेहरे की झाई दूर हो जाती है।
फोड़ा (सिर का फोड़ा) : सुहागे के पानी से फोड़े और फुंसियों को धोने से फोड़े और फुंसी समाप्त हो जाते हैं।
खाज-खुजली : सुहागे को तवे पर भूनकर उसका पानी शरीर पर मलने से खाज-खुजली दूर हो जाती है।
त्वचा के लिए : सतातू के ताजे पत्ते, सुहागे का चूर्ण और नील को मिलाकर बहुत बारीक पीसकर त्वचा पर लगाने से बहुत भयानक चमड़ी का रोग, एक्जिमा, बदबू वाला कोढ़ और दूसरे प्रकार के चमड़ी के रोग समाप्त हो जाते हैं।
खुजली के लिए : सुहागा को फुलाकर नारियल के तेल में मिलाकर शरीर पर मालिश करनी से खुजली दूर होती है।
दाद के लिए :
  1. सुहागा, गन्धक और मिश्री को बराबर मात्रा में लेकर पीस लें। यह मिश्रण 40 ग्राम की मात्रा में लेकर 5 गुने पानी में डालकर घोल तैयार करके 24 घंटे तक रख दें। 24 घंटे के बाद इसे एक दिन में 2 बार दाद पर मलने से 2 से 3 दिन में ही दाद मिट जाता है।
  2. सुहागा, आमलासार गन्धक और राल को बराबर मात्रा में लेकर बारीक पीस लें तथा इन तीनों के बराबर इसमें घी डालकर हल्की आग पर पका लें। जब यह पकते हुयें ठीक प्रकार से मिल कर एक हो जायें तो इसे उतार कर एक बर्तन में डालकर उस बर्तन में पानी डाल दें जिससें की पानी उस बर्तन में ऊपर ही रहें। ठंडा होने के बाद पानी ऊपर आ जायेगा और जो मिश्रण इसमें डाला था वो जम जायेगा। अब उस पानी को फैंक दें ओर मिश्रण को दाद, खाज और फोड़े-फुंसियों पर लगाने सें लाभ होता है।
  3. सुहागा को पीसकर नींबू के रस के साथ मिलाकर लगाने से दाद ठीक हो जाता है।
नहरूआ : सुहागे को गिलोय के रस में मिलाकर पीने से नहरूआ का रोग नष्ट होता है।
नाखून का रोग : नाखूनों की खुजली व सड़न में सुहागा, भुनी हुई फिटकरी, अमला सार, गन्धक तथा चीनी बराबर मात्रा में लेकर सभी को अच्छी तरह से पीसकर सफेद वेसलीन में मिलाकर मलहम तैयार कर लें। यह मलहम रोजाना 2 से 3 बार नाखूनों मे लगाने से लाभ मिलता है।
पीलिया का रोग : 10-10 ग्राम सुहागा भुना, फिटकरी भुनी, शोराकलमी और नौसादर को पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को रोजाना 1-1 ग्राम की मात्रा में भोजन करने के बाद सुबह और शाम पानी से लेने से पीलिया रोग समाप्त हो जाता है।
मिर्गी (अपस्मार):
  1. सुहागे की लावा (खील) 0.24 ग्राम से 0.96 ग्राम शहद के साथ सुबह और शाम को खाने से मिर्गी रोग दूर हो जाता है।
  2. 10 प्रतिशत सुहागे की खील के घोल को शुद्ध पानी में मिलाकर किसी नली के द्वारा 2 से 5 मिलीलीटर हफ्ते में 1 बार देने से मिर्गी रोग में बहुत लाभ मिलता है।
दाद के रोग में : 
  1. सुहागे को भूनकर लोहे के बर्तन में डालकर इसमें देसी घी मिला कर दाद पर लगाने से दाद पूरी तरह से ठीक हो जाता है।
  2. राल, गन्धक और सुहागा को बराबर मात्रा में मिलाकर नींबू के रस के साथ पीसकर लगाने से 7 दिन में ही दाद जड़ से खत्म हो जाता है।
गट्ठे (गांठे) होने पर : 2 ग्राम सुहागे की खील या लावा को शहद के साथ सुबह और शाम खाने से गुल्म या गट्ठे समाप्त हो जाते हैं।
बालरोग :
  1. लगभग 0.12 ग्राम भुना हुआ सुहागा मां के दूध में मिलाकर सुबह बच्चे को पिलाने से फूला हुआ पेट ठीक हो जाता है।
  2. 0.12 ग्राम भुना हुआ सोहागा और 0.6 ग्राम उसारा रेवन्द को दूध के साथ बच्चों को पिलाने से दस्त बंद हो जाते हैं।
  3. सुहागें का लावा पीसकर शहद में मिलाकर बच्चों के मसूड़ो पर लगाने से भी दांत निकलने में फायदा होता है।
डब्बा  रोग  :
  1. 10-10 ग्राम अपामार्ग, क्षार, नागरमोथा, अतीस, सुहागा और बड़ी हरड़ को थोड़े पानी में मिलाकर बच्चों को चटाने से डब्बा रोग (पसली चलना) समाप्त हो जाता है।
  2. 3 ग्राम भुना हुआ हीरा-कसीस और 3 ग्राम आधा भुना हुआ सुहागा लेकर बकरी के दूध में पीसकर बाजरे के बराबर छोटी-छोटी गोलियां बना लें। इस 1-2 गोली को मां के दूध के साथ बच्चे को देने से पसली चलना रुक जाती है।
जलने पर : 1 ग्राम सफेद सुहागें को 20 ग्राम पानी में मिला लें। इस पानी से शरीर के जले हुए भागों को धोने से घाव बिल्कुल ठीक हो जाता है।
लिंगोद्रेक (चोरदी) : लिंग की उत्तेजना दूर करने के लिए लगभग 240 से 960 मिलीग्राम सुहागे की खीर रोजाना सुबह-शाम खाने से लाभ मिलता है।
गला बैठना : 
  1. 5 से 10 ग्राम ऊंटकटोर का मूल स्वरस (जड़ का रस) अकेले या सुहागे की खील (लावा) के साथ मिलाकर सुबह और शाम सेवन कराने से स्वरभंग (बैठा हुआ गला) ठीक हो जाता है।
  2. स्वरभंग (गला बैठने पर) होने पर सुहागे की टिकिया चूसते रहने से बैठे हुए गले में जल्दी आराम आता है।
  3. भुना हुआ चौकिया सुहागा और लौंग बराबर मात्रा में लेकर पीस लें और फिर तुलसी के पत्तों के रस में मिलाकर चने के बराबर की गोलियां बनाकर सुबह और शाम 2-2 गोलियां ताजे पानी के साथ खाने से बैठा हुआ गला खुल जाता है।
  4. यदि ज्यादा तेज बोलने के कारण गला बैठ गया हो तो थोड़ा सा कच्चा सुहागा मुंह में रखकर चूसने से आराम आता है।
  5. जिन लोगों का गला ज्यादा जोर से बोलने के कारण बैठ गया हो उन्हे आधा ग्राम कच्चा सुहागा मुंह में रखने और चूसते रहने से स्वरभंग (बैठा हुआ गला) 2 से 3 घंटो में ही खुल जाता है।
स्त्रोत : जे के हेल्थ वर्ल्ड
========


सुहागा 70 बिमारियों को ठीक कर देता है क्या आप जानते हैं?

सुहागा क्या है? ( Boracic/Borax /Suhaga )

सुहागा, सोडियम टेट्राबोरेट, या डाईसोडियम टेट्राबोरेट है। यह एक खनिज है और बोरिक एसिड का लवण है। सुहागा पेट की जलन, बलगम, वायु तथा पित्त को नष्ट करता है, और धातुओं को द्रवित करता है।
केमिकल नाम Chemical name: Sodium Tetraborate, Na2B4O7.10H2O (Contains not less than 99.0% and not more than the equivalent of 103.0 % , Na2B4O7.10H2O)
विवरण Description: Transparent, colorless crystals, or a white, crystalline powder, odorless, taste saline and alkaline. Effloresces in dry air, and on ignition, loses all its water of crystallization.
घुलनशीलता Solubility: Soluble in water, practically insoluble in alcohol
कठोरता Hardness : 2 to 2।5
स्पेसिफिक ग्रेविटी Sp. Gr.: 1।65 to 1।7
स्वाद Taste: Sweetish alkaline
सुहागा का स्थानीय नाम

Sanskrit: Tankana, Tunkana, Rasashodhan
Hindi: Suhagaa, Tinkal, Tincal
English: Tincal, Borax, Sodium biborate, Biborate of Soda Borax, Biborate of Sodium
Bengali: Sohaga
Gujarati: Tankana Khara, Khadiyo Khara
Kannada: Biligāra, Belgar
Malayalam: Pongaaram
Marathi: Tankana Khara
Punjabi: Sohaga
Tamil: Venkaram
Telugu: Veligaram
Urdu: Tankar, Suhaga
Arabic: Buraekes-saghah
Persian: Tinkar-tankar
सुहागा की खील (Suhage Ki Kheel) Tankar biryani

सुहागे को पीस कर उसका चूर्ण बनाया जाता है। इसको एक साफ़ कढ़ाही में डाल कर चम्मच से चलाया जाता है। जब सुहागे का जलीय भाग dehydrated borax नष्ट हो जाता है तब यह खील की तरह फूल जाता है। यही सुहागे की खील या शुद्ध टंकण है। Pieces of borax are to be heated on frying pan on low flame to get white fluffy masses। इसे पीस लेते हैं और छन्नी से छान कर रख लेते हैं।

आंतरिक प्रयोग के लिए इस तरह से भुने/फुलाए/निर्जलीय/डीहाइड्रेटेड सुहागे का प्रयोग होता है।

सुहागा के आयुर्वेदिक और औषधीय गुण 

स्वरभंग : सुहागा को पीसकर चुटकी भर चूसने से बैठी हुई आवाज खुल जाती है।
जुकाम : तवे पर सुहागा को सेंककर पीस ले। इसे चुटकी भर 1 घूंट गर्म पानी में घोलकर रोजाना 4 बार पीने से जुकाम ठीक हो जाता है।
नजला : भूना सुहागा आधा ग्राम गर्म पानी से सुबह-शाम लेने से नजला ठीक हो जाता है।
पसीना : 1 चम्मच पिसा हुआ सुहागा एक बाल्टी पानी में मिलाकर नहाने से अधिक पसीना आना और शरीर से दुर्गन्ध आना बंद हो जाती है।
अजीर्ण : बच्चा सोते-सोते रोने लगे, दही की तरह जमे दूध की उल्टी करे, हरे रंग का अतिसार (दस्त) हो तो समझे कि बच्चे को खाया हुआ पचता नहीं है। बच्चे की पाचनशक्ति (भोजन पचाने की क्रिया) ठीक करने के लिए भुना सुहागा चुटकी भर दूध में घोलकर 2 बार पिलाने से लाभ होता है।
पेट फूलना, दूध उलटना : तवे पर सुहागे को सेंक कर बच्चों को चटाने से पेट फूलना और दूध पीकर वापिस निकाल देने का रोग दूर हो जाता है।
तिल्ली : 30 ग्राम भुना हुआ सुहागा और 100 ग्राम राई को पीसकर मैदा की छलनी से छान लें। इसे आधा चम्मच रोजाना 7 सप्ताह तक 2 बार पानी से फंकी लें। तिल्ली सिकुड कर अपनी सामान्य अवस्था में आ जायेगी, भूख अच्छी लगेगी और शरीर में शक्ति का संचार होगा।
चर्मरोग : सुहागे के तेल को चमड़ी पर लगाने से चमड़ी के सारे रोग ठीक हो जाते हैं।
बाल रोग : लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग शुद्ध सुहागा शहद के साथ बच्चों को दिन में 2-3 बार देने से बच्चों की खांसी और सांस के रोग दूर होते हैं।
अंडकोष की वृद्धि : 6 ग्राम भुने सुहागे को गुड़ में मिलाकर इसकी 3 गोलियां बनाकर 1-1 गोली 3 दिन सुबह हल्के गर्म घी के साथ सेवन करने से अंडकोष की वृद्धि रुक जाती है।
कर्णरोग : लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग सुहागा कान में दिन में 2-3 बार डालने से कान के रोग ठीक हो जाते हैं।
अंडकोष की खुजली : लगभग 116 ग्राम पानी में 4 ग्राम सुहागा को घोलकर रोजाना 2-3 बार अंडकोष धोने से खुजली मिट जाती है।
आंख आना : आंख आने पर सुहागा और फिटकरी को एक साथ पानी में घोल बनाकर आंख को धोने और बीच-बीच में बूंद-बूंद (आई डरोप्स) की तरह आंखों मे डालने से बहुत जल्दी लाभ होता है।
दमा : लगभग 75 ग्राम भुना हुआ सुहागा 100 ग्राम शहद में मिला ले इसे सोते समय 1 चम्मच की मात्रा में लेकर चाटने से श्वास रोग (दमा) में बहुत लाभ होता है।
लगभग 30 ग्राम पिसे हुए सुहागे को 60 ग्राम शहद में मिलाकर रख दें। कुछ दिनों तक 3 अंगुली भर चाटते रहने से श्वास रोग (दमा) खत्म हो जाता है।
आंखों का दर्द : भुने हुए सुहागे को पीसकर कपडे़ में छानकर सलाई से सुबह और शाम आंखों में लगाने से आराम आता है।
दांतों को साफ और मजूबत बनाने के लियें : सुहागा को फुलाकर उसमें मिश्री मिलाकर बारीक पीस कर रोजाना मंजन करने से दांत साफ और मजबूत होते हैं। लकड़ी के कोयले में सुहागा मिलाकर बारीक पाउडर बना लें तथा बांस या नीम के दांतुन पर लगाकर मंजन करें। इससे दांत साफ और मजबूत होते हैं।
काली खांसी (कुकर खांसी) : सुहागा, कलमी शोरा, फिटकरी, कालानमक और यवक्षार को पीसकर चूर्ण तैयार कर इसे तवे पर भूनकर 2-2 ग्राम की मात्रा में शहद के साथ मिलाकर बच्चों को चटाने से कालीखांसी ठीक हो जाती है। तवे पर भुना हुआ सुहागा व वंशलोचन को मिलाकर शहद के साथ रोगी बच्चे को चटाने से काली खांसी दूर हो जाती है। 
बालों के रोग : 20 ग्राम सुहागा और 10 ग्राम कपूर को 50 ग्राम उबले पानी में मिलाकर हल्के गर्म पानी के साथ धोने से बाल मुलायम तथा काले हो जाते हैं। 5 ग्राम सुहागा और 10 ग्राम कच्चे सुहागे को 250 ग्राम पानी में डालकर उबाल लें। इसके ठंडा होने पर बालों को धोने सें बाल मजबूत बनते हैं।
खांसी : 5-5 ग्राम भूना हुआ सुहागा और कालीमिर्च को पीसकर कंवार गंदल के रस में मिलाकर कालीमिर्च के बराबर की गोलियां बनाकर छाया में सुखा लें। 1 या आधी गोली को मां के दूध के साथ बच्चों को देने से खांसी के रोग मे आराम आता है। बलगम वाली खांसी और बुखार वाली खांसी में लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग से लगभग 1 ग्राम सुहागे की खील (लावा) को सुबह-शाम शहद के साथ देने से लाभ मिलता है। सुहागे को तवे पर गर्म करके फुलायें फिर उसका चूर्ण बनाकर पीसे। इसमें से 1 चुटकी चूर्ण लेकर शहद के साथ चाटने से खांसी बंद हो जाती है।
दांत निकलना : भुना हुआ सुहागा और शहद को मिलाकर बच्चे के मसूढ़ों पर धीरे-धीरे मलें। इससे दांत आसानी से निकल आते हैं तथा मसूड़ों का दर्द कम होता है। सुहागा को शहद के साथ पीसकर बच्चों के मसूढ़ो पर मलें। इससे बच्चों के नये दांत आसानी से निकल आते हैं और दर्द में आराम मिलता है। लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग भुनी सुहागा को शहद में मिलाकर बच्चों के मसूडें पर मलने से दांत आसानी से निकल आते हैं। 10 ग्राम भुना सुहागा और 10 ग्राम पिसी हुई मुलहठी लेकर चूर्ण बना लें। इसमें से लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग चूर्ण में शहद मिलाकर मसूड़ों पर मलें। इससे बच्चों के दांत निकलते समय दर्द नहीं होता तथा बार-बार दस्त आना बंद हो जाता है।
पायरिया : सुहागा एवं बोल (हीराबोल) को मिलाकर रोजाना 2 से 3 बार मसूढ़ों पर धीरे-धीरे मलें। इससे दांतों व मसूढ़ों के सभी रोग ठीक होकर पायरिया रोग दूर होता है।
5-5 ग्राम भूना सुहागा, समुन्दर झाग 8-8 ग्राम त्रिफला पिसा, सेंधा नमक, 0.12 ग्राम सतपोदीना, सतअजवायन को पीसकर और छानकर 50 ग्राम पिसी खड़िया मिलाकर कपडे में छानकर सुबह-शाम मंजन करने से पायरिया ठीक हो जाता है।
निमोनिया : 3 ग्राम सुहागा भुना और नीला थोथा भुना हुआ पीसकर अदरक के रस में बाजरे के बराबर आकार की गोलियां बनाकर छाया में सुखा लेते हैं। इसमें से 1-1 गोली मां के दूध के साथ सेवन करने से निमोनिया रोग ठीक हो जाता है। 1 चुटकी फूला सुहागा, 1 चुटकी फूली फिटकरी, 1 चम्मच तुलसी का रस, 1 चम्मच अदरक का रस, आधा चम्मच पान के पत्तों के रस को एक साथ मिलाकर शहद के साथ सुबह-शाम सेवन करने से निमोनिया के रोग मे लाभ होता है।
बालों का झड़ना (गंजेपन का रोग) : 20 ग्राम सुहागा और 20 ग्राम कपूर को बारीक पीसकर पानी में घोलकर बाल धोने से बालों का गिरना कम हो जाता है।
जुओं का पड़ना : 20 ग्राम सुहागा और 20 ग्राम फिटकरी को 250 ग्राम पानी में मिलाकर सिर पर मालिश करने से सिर की जूएं मर जाती है।
जीभ की प्रदाह और सूजन : सुहागा की टिकीया चूसते रहने से जीभ की जलन और सूजन का रोग ठीक होता है।
मसूढ़ों का फोंड़ा : मसूढ़ों के फोड़े में सुहागा एवं हीरा बोल को मिलाकर मसूढ़ों पर मलें। इससे मसूढ़ों का दर्द व फोड़ों से पीप का निकलना बंद होता है। (Read More :- अलसी (Flax) से पायें सभी रोगों से छुटकारा)
मसूढ़ों की सूजन : हीरा बोल और सुहागा को मिलाकर मसूढ़ों पर पर धीरे-धीरे मलने से मसूढ़ों की सूजन मिट जाती है।
मुंह के छाले : सुहागा के टुकड़े को शहद के साथ मिलाकर रोजाना 3 से 4 बार मुंह में लगायें। इससे मुंह की जलन, मुंह के दाने तथा मुंह के छाले आदि रोग खत्म होते हैं। इसका प्रयोग छोटे बच्चों के मुंह में होने वाले छालों में भी कर सकते हैं। शहद में सुहागा मिला कर घोल तैयार करें। इसके घोल में साफ रूई को भिगोकर मुंह के छाले पर लगाने से तथा मुंह से निकलने वाले लार को नीचे टपकाने से मुंह की गंदगी खत्म होकर छाले दूर होते हैं।2 ग्राम भुना सुहागा के बारीक चूर्ण को 15 ग्राम ग्लिीसरीन में मिलाकर रखें। इस मिश्रण को दिन में 2 से 4 बार मुंह के छालों पर लगाने से आराम मिलता है।भुना हुआ सुहागा 1 चुटकी बारीक पीसकर ग्लिसरीन या देशी घी में मिलाकर मुंह के छालों पर लगाने से छाले ठीक हो जाते हैं।
मुंह का रोग : 3 ग्राम भुना सुहागा आधा ग्राम कपूर चूरा को शहद में मिलाकर मुंह में लगाने से मुंह के सभी रोग खत्म होते हैं। 10 ग्राम भुना सुहागा और 10 ग्राम बड़ी इलायची के दाने तथा 10 ग्राम तबासीर को मिलाकर चूर्ण बना लें। रोजाना सुबह-शाम भोजन करने के बाद 4-4 ग्राम चूर्ण पानी के साथ खायें और इसके चूर्ण को जीभ पर छिरकने से जीभ व मुंह के छाले खत्म होते हैं। 3 ग्राम भुना सुहागा को पीसकर शहद या ग्लिसरीन 25 ग्राम में मिला लें। रोजाना सुबह-शाम इस मिश्रण को साफ रूई से मुंह के सफेद घाव पर लगाने से मुंह के जख्म ठीक हो जाते हैं।
नपुंसकता : सुहागा, कूट और मैनसिल को बराबर मिलाकर चूर्ण बनाकर चमेली के रस और तिल के तेल में पका कर लिंग पर मलने से लिंग का टेढ़ापन दूर होता है।
दस्त के लिए : लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग से लेकर लगभग 1 ग्राम सुहागे की खील (लावा) को रोजाना सुबह और शाम देने से बच्चों के आने वाले दस्त बंद हो जाते हैं।
मुंह की दुर्गंध : 116 ग्राम पानी में 4 ग्राम सुहागा घोलकर कुल्ला करने व गरारे करने से मुंह की दुर्गंध मिटती है तथा मुंह के अन्य रोग भी खत्म होते हैं।
मूत्र के साथ खून आना : 0.24 से 0.96 ग्राम सुहागे की खील को शहद मिले हुए पानी में घोंटकर सुबह-शाम पीने से पेशाब के साथ खून आना बंद हो जाता है।
थूक अधिक आना : 500 मिलीलीटर पानी में 125 ग्राम सुहागा मिलाकर गरारे करने और बीच-बीच में कुल्ला करने से लार का मुंह में अधिक आना (लार श्राव) बंद हो जाता है।
हकलाना, तुतलाना : हकलाने वाले व्यक्ति को फूला हुआ सुहागा शहद में मिलाकर जीभ पर रगड़े। इसको रगड़ने से जीभ के कारण होने वाला तोतलापन दूर होता है।
मासिक धर्म की अनियमितता : 10 ग्राम सुहागा, 10 ग्राम हीरा कसीस, 10 ग्राम मुसब्बर तथा 10 ग्राम हींग को पानी के साथ पीसकर लगभग 0.24 ग्राम की गोली बनाकर 1 गोली सुबह और शाम अजवायन के साथ सेवन करना चाहिए। इसे कुछ दिनों तक लगातार सेवन करने से मासिक धर्म ठीक समय पर आने लगता है।
बवासीर (अर्श) : 1 चम्मच सुहागा, 1 चम्मच हल्दी, 1 चम्मच चीता (चित्रक) की जड़, थोड़े-से इमली के पत्ते तथा 10 ग्राम गुड़ को पीसकर मलहम बना लें। इसके मलहम को बवासीर के मस्सों पर लगाने से मस्से जल्द सूख कर गिर जाते हैं।
कान के कीड़े : सुहागे को सिरके में मिलाकर गर्म करके कान में डालने से कान के कीड़े खत्म हो जाते है।
गुर्दे के रोग : 1-1 ग्राम सुहागा भुना, नौसादर, कलमी शोरा को पीसकर गुर्दे मे दर्द के समय आधा ग्राम की मात्रा में नींबू के रस के साथ 2-3 चम्मच लेने से आराम आता है।
कान की पुरानी सूजन : ढाई प्रतिशत सुहागे के घोल को कान में बूंद-बूंद करके हर 2-3 घंटे के बाद डालने से कान की पुरानी सूजन दूर होती है।
भगन्दर : 4 ग्राम सुहागा को 58 ग्राम पानी मे घोल कर पीने से गुदकण्डु (खुजली) नष्ट होती है और नासूर में लाभ होता है।
घाव : सुहागे को पानी में घोलकर उसमें कपड़ा भिगोकर घाव पर बांधने से खून रुक जाता है।
अग्निमांद्यता (अपच) के लिए : लगभग आधा ग्राम से लगभग 1 ग्राम सुहागे का चूर्ण खाना खाने के एक घंटे बाद खाने से अपच (भोजन का ना पचना) रोग में लाभ होता है।
पथरी : 5-5 ग्राम सुहागा, जौंखार तथा कलमी शोरा को मिलाकर पीसकर चूर्ण बना लें। इस 1-1 ग्राम चूर्ण को रोजाना सुबह-शाम मूली के रस या कुल्थी के जुसांदे में मिलाकर पीने से गुर्दे व मूत्राशय की पथरी घुलकर निकल जाती है।
प्रदर रोग : 2.5 प्रतिशत सुहागे के घोल की पिचकारी जननेन्द्रिय में देने से सफेद प्रदर दूर हो जाता है।
गिल्टी (ट्यूमर) : सुहागे की खील को गिल्टी (ट्यूमर) में लगाने से लाभ होता है।
धनुष्टंकार (टिटनेस) : लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग से लगभग 1 ग्राम सुहागा सुबह-शाम शहद के साथ चाटने से धनुष्टंकार(टिटनेस) का रोगी जल्दी ठीक हो जाता है।
नाक के रोग : 3 ग्राम सुहागे को पानी के साथ पीसकर नाक के नथुनों (छेदों) में लगाने से नकसीर (नाक से खून बहना) आना रूक जाता है।
स्त्रियों को द्रवित (संतुष्ट) करना : भूने हुऐ सुहागे को 5 ग्राम की मात्रा में लेकर शहद या नींबू के रस में मिलाकर पुरुष अपने शिश्न (लिंग) पर सुपारी (आगे के भाग) पर लगाकर सूखने के बाद ही सहवास (संभोग) करें। इससे स्त्रियां बहुत जल्द संतुष्ट हो जाती है।
चेहरे की झाई होने पर : 25 ग्राम चमेली के तेल या बादाम रोगन में 1 ग्राम पिसा हुआ भुना सुहागा मिलाकर चेहरे पर लगाने से चेहरे की झाई दूर हो जाती है।
फोड़ा (सिर का फोड़ा) : सुहागे के पानी से फोड़े और फुंसियों को धोने से फोड़े और फुंसी समाप्त हो जाते हैं।
खाज-खुजली : सुहागे को तवे पर भूनकर उसका पानी शरीर पर मलने से खाज-खुजली दूर हो जाती है।
त्वचा के लिए : सतातू के ताजे पत्ते, सुहागे का चूर्ण और नील को मिलाकर बहुत बारीक पीसकर त्वचा पर लगाने से बहुत भयानक चमड़ी का रोग, एक्जिमा, बदबू वाला कोढ़ और दूसरे प्रकार के चमड़ी के रोग समाप्त हो जाते हैं।
खुजली के लिए : सुहागा को फुलाकर नारियल के तेल में मिलाकर शरीर पर मालिश करनी से खुजली दूर होती है।
दाद के लिए : सुहागा, गन्धक और मिश्री को बराबर मात्रा में लेकर पीस लें। यह मिश्रण 40 ग्राम की मात्रा में लेकर 5 गुने पानी में डालकर घोल तैयार करके 24 घंटे तक रख दें। 24 घंटे के बाद इसे एक दिन में 2 बार दाद पर मलने से 2 से 3 दिन में ही दाद मिट जाता है।
नहरूआ : सुहागे को गिलोय के रस में मिलाकर पीने से नहरूआ का रोग नष्ट होता है।
नाखून का रोग : नाखूनों की खुजली व सड़न में सुहागा, भुनी हुई फिटकरी, अमला सार, गन्धक तथा चीनी बराबर मात्रा में लेकर सभी को अच्छी तरह से पीसकर सफेद वेसलीन में मिलाकर मलहम तैयार कर लें। यह मलहम रोजाना 2 से 3 बार नाखूनों मे लगाने से लाभ मिलता है।
पीलिया का रोग : 10-10 ग्राम सुहागा भुना, फिटकरी भुनी, शोराकलमी और नौसादर को पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को रोजाना 1-1 ग्राम की मात्रा में भोजन करने के बाद सुबह और शाम पानी से लेने से पीलिया रोग समाप्त हो जाता है।
मिर्गी (अपस्मार) : सुहागे की लावा (खील) 0.24 ग्राम से 0.96 ग्राम शहद के साथ सुबह और शाम को खाने से मिर्गी रोग दूर हो जाता है। 10 प्रतिशत सुहागे की खील के घोल को शुद्ध पानी में मिलाकर किसी नली के द्वारा 2 से 5 मिलीलीटर हफ्ते में 1 बार देने से मिर्गी रोग में बहुत लाभ मिलता है।
जलने पर : 1 ग्राम सफेद सुहागें को 20 ग्राम पानी में मिला लें। इस पानी से शरीर के जले हुए भागों को धोने से घाव बिल्कुल ठीक हो जाता है।
लिंगोद्रेक (चोरदी) : लिंग की उत्तेजना दूर करने के लिए लगभग 240 से 960 मिलीग्राम सुहागे की खीर रोजाना सुबह-शाम खाने से लाभ मिलता है।
गला बैठना :
  1. 5 से 10 ग्राम ऊंटकटोर का मूल स्वरस (जड़ का रस) अकेले या सुहागे की खील (लावा) के साथ मिलाकर सुबह और शाम सेवन कराने से स्वरभंग (बैठा हुआ गला) ठीक हो जाता है।
  2. स्वरभंग (गला बैठने पर) होने पर सुहागे की टिकिया चूसते रहने से बैठे हुए गले में जल्दी आराम आता है।
  3. भुना हुआ चौकिया सुहागा और लौंग बराबर मात्रा में लेकर पीस लें और फिर तुलसी के पत्तों के रस में मिलाकर चने के बराबर की गोलियां बनाकर सुबह और शाम 2-2 गोलियां ताजे पानी के साथ खाने से बैठा हुआ गला खुल जाता है।
  4. यदि ज्यादा तेज बोलने के कारण गला बैठ गया हो तो थोड़ा सा कच्चा सुहागा मुंह में रखकर चूसने से आराम आता है।
  5. जिन लोगों का गला ज्यादा जोर से बोलने के कारण बैठ गया हो उन्हे आधा ग्राम कच्चा सुहागा मुंह में रखने और चूसते रहने से स्वरभंग (बैठा हुआ गला) 2 से 3 घंटो में ही खुल जाता है।
दाद, खाज और फोड़े-फुंसियाँ : सुहागा, आमलासार गन्धक और राल को बराबर मात्रा में लेकर बारीक पीस लें तथा इन तीनों के बराबर इसमें घी डालकर हल्की आग पर पका लें। जब यह पकते हुयें ठीक प्रकार से मिल कर एक हो जायें तो इसे उतार कर एक बर्तन में डालकर उस बर्तन में पानी डाल दें जिससें की पानी उस बर्तन में ऊपर ही रहें। ठंडा होने के बाद पानी ऊपर आ जायेगा और जो मिश्रण इसमें डाला था वो जम जायेगा। अब उस पानी को फैंक दें ओर मिश्रण को दाद, खाज और फोड़े-फुंसियों पर लगाने सें लाभ होता है।

दमा : सुहागे का फूला और मुलहठी को अलग-अलग पकाकर या पीसकर कपड़े में छानकर बारीक चूर्ण बना लें और फिर इन दोनों औषधियों को बराबर मात्रा में मिलाकर किसी शीशी में सुरक्षित रख लें। आधा ग्राम से 1 ग्राम तक इस चूर्ण को दिन में 2-3 बार शहद के साथ चाटने से या गर्म पानी के साथ लेने से दमा के रोग में लाभ मिलता है। बच्चों के लिए लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग की मात्रा या आयु के अनुसार कुछ अधिक दें। इसका सेवन करने से श्वास (दमा), खांसी तथा जुकाम नष्ट हो जाता है। इस औषधि का सेवन करते समय दही, केला चावल तथा ठंडे पदाथों का सेवन नहीं करना चाहिए।
परामर्श समय : 10 AM से 10 PM के बीच। Mob & Whats App No. : 9875066111
सभी लेखों में लिखी गयी दवाईयों का विवरण जनहित में स्वास्थ्य और बीमारियों के बारे में जागरूकता के लिए लिखा गया है। पाठक कृपया स्वयं अपना इलाज करने का खतरा मोल नहीं लें। 
कृपया अपने चिकित्सक के परामर्श के बिना, सुझाई गयी (किसी भी प्रकार की) दवा का सेवन नहीं करें।
Please Do not take any (kind of) suggested medicine, without consulting your doctor. 
हमारे 95 फीसदी रोगियों को व्यक्तिगत रूप से हम से आकर मिलने की जरूरत नहीं पड़ती। यद्यपि रोगियों की संख्या अधिक होने के कारण, आपको इन्तजार करना पड़ सकता है। कृपया धैर्यपूर्वक सहयोग करें। (Due to the high number of patients, you may have to wait. Please patiently collaborate.)
डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश' आॅन लाईन होम्योपैथ एवं परम्परागत चिकित्सक, 9875066111
परामर्श समय : 10 AM से 10 PM के बीच। Mob & Whats App No. : 9875066111

10 comments:

  1. Thanks A Lot Sir ji.
    Shailendra saxena.
    Ganj Basoda. M.P.
    09827249964

    ReplyDelete
  2. Najla Jukam ke liye khali pet lena hai ya khane ke bad ?

    ReplyDelete
    Replies
    1. श्री मदन जी शुक्रिया। बेहतर होगा कि खाने के बाद लें।

      Delete
  3. आपको सामग्री उपयोगी लग रही है। आपका आभार!

    ReplyDelete
  4. Sir 1 mhine k bache ko suhaga de skte h?

    ReplyDelete
    Replies
    1. Hello sir, namaste
      sir mujhe indigetion ki sikayat hai 2 saal se jyada... ho gya
      bahot ilaaj iya ayurvedic aur helopathik dono de theek nhi ho rha hai..
      ab aap bataye kya kare ..

      please sir kuch bataiye
      ..

      Delete
  5. M & WA No. 9875066111 पर कॉन्टेक्ट करें।

    ReplyDelete
  6. सूहागा कहा कहा मिलता हैं आनलयन मिल सकता हैं

    ReplyDelete

--->--->श्रीमती जानकी पुरुषोत्तम मीणा जिनका 08 अप्रेल, 2012 को असमय निधन हो गया!

--->--->श्रीमती जानकी पुरुषोत्तम मीणा जिनका 08 अप्रेल, 2012 को असमय निधन हो गया!
सभी के स्वस्थ एवं सुदीर्घ जीवन की कामना के साथ-मेरे प्यारे और दुलारे तीन बच्चों की ममतामयी अद्वितीय माँ (मम्मी) जो दुखियों, जरूतमंदों और मूक जानवरों तक पर निश्छल प्यार लुटाने वाली एवं अति सामान्य जीवन जीने की आदी महिला थी! वह पाक कला में निपुण, उदार हृदया मितव्ययी गृहणी थी! मेरी ऐसी स्वर्गीय पत्नी "जानकी मीणा" की कभी न भुलाई जा सकने वाली असंख्य हृदयस्पर्शी यादों को चिरस्थायी बनाये रखते हुए इस ब्लॉग को आज दि. 08.08.12 को फिर से पाठकों के समक्ष समर्पित कर रहा हूँ!-डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश'

Label Cloud

(Tribulus Terrestris) 14 फरवरी Abutilon Indicum Aerva Lanat Allergy Aloevera Juice Alternanthera Sessilis Alum Aluminum Amaranthus spinosus Ammonium chloride Appetite Argemone Mexicana Ash-coloured Fleabane Bael Ban Tulasi Bauhinia purpurea Bernini’s Cinema Bitter Gourd Black night shade Blumea Lacera Bone Infection Borax BPH Calories Calories Chart Cancer Care Carrots Castor beans Chanca Piedra Cheese Chemotherapy Chenopodium Album Chikungunya Cholesterol Cleome viscosa Clerodendrum Phlomidis Clitoria Ternatea Colocynth Colpoptosis Constipation Convolvulus Pluricaulis Corn Creak Crotalaria Bburhia Croton Bonplandianum Croton Sparsiflorus Cumin Date Palm Dengue Depression Diabetes digestion Disorders Divorce Dog Mustard Dronapushpi Dysentery Early Ejaculation Emblic Myrobalan Extramarital Relation Extremely Intolerance Fatty liver Femininity FENUGREEK Fenugreek Seeds Ferrum Phosphoricum Fever Fissure Fistula Folic Acid Gallbladder Gardenia Gummifera Garlic Ginger Gooseberry Gourd Groundnut-peanut Guava Hainampfer Hair Falling Headaches Health Health Care Friend Health Consultation Health Links Health Tips Heliotropium Eeuropaeum Hemorrhoids Hepatitis Hibiscus Homeopathic Homeopathy Homoeopath Honey How to get pregnant? Immunity Impotence IMPOTENCY Incurable indigestion Jaundice Juice Juice of Berries LAND CALTROPS Lemon Leucas Aspera Leucas Cephalotes Leucorrhea Lever Liver Liver Cirrhosis Liver fibrosis Low Blood Pressure Marital Dispute Consultant Masturbation Mental Mexican Daisy Mexican Poppy Migraine Migraines Myopia Neurons Night Jasmine Nutgrass Nutmeg Nutsedge Obesity Omega 3 Oroxylum indicum Painkillers Periquito Sessil Phyllanthus Niruri Piles Portulaca Oleracea Post Effect Pregnancy Safe-Guard Pregnancy Safeguard Pregnancy-Safe-Guard Premature Ejaculation Prostate Gland Protein Purple Nutsedge Raan Tulas Radish Rectal Collapse Rectal Prolapse rectum collapse Saffron Senna occidentalis Separation Sex Sexual Power Sickness Side Effects side effects less Side-Effects Spermatorrhoea Sperms Spiny Amaranth Stone Stone Breaker Sword fruit tree TECOMA STANS Thermometer Tickweed Tips Treatment of Incurable Tribulus Terrestris Tridax Procumbens Umbrella Sedge Unquenchable Conjugal Uterine Prolapse vaginal Creaks Vaginal Prolapse Viral Vitamins Vitex Negundo Wart Wheatgrass White Discharge Yellow Spider Flower अंकुरित अनाज अंकुरित गेहूं-Wheat germ अंकुरित भोजन-Sprouts अखरोट अंगूर-Grapes अचूक चमत्कारिक चूर्ण अजवाइन अजवायन अजीर्ण-Indigestion अंडकोष अडूसा (वासा)-Adhatoda Vasika-Malabar nut अण्डी अतिबला अतिसार अतिसार-Diarrhea अतृप्त अतृप्त दाम्पत्य अत्यंत असहिष्णुता अदरक अदरख अंधश्रृद्धा अध्ययन अनिद्रा अपच अपराजिता अपराधबोध अफरा अफीम अमरूद अमृता अम्लपित्त-Pyrosis अरंडी अरणी अरण्ड अरण्डी अरलू अरुचि अरुचि-Anorexia-Distaste अर्जुन अर्थराइटिस अर्द्धसिरशूल अर्श अर्श रोग-बवासीर-Hemorrhoids-Piles अलसी अल्टरनेथेरा सेसिलिस अल्सर अल्सर-Ulcers अवसाद अवसाद-Depression अश्मःभेदः अश्वगंधा अश्वगंधा-Winter Cherry असंतुष्ट असफल असर नहीं असली अस्थमा अस्थमा-दमा-Asthma आइरन आक आकड़ा आघात आत्महत्या आंत्र कृमि आंत्रकृमि-Helminth आंत्रिक ज्वर-टायफाइड-Typhoid fever आदिवासी आधाशीशी आधासीसी आंधीझाड़ा-ओंगा-अपामार्ग-Prickly Chalf flower आमला आमवात आमाशय आयुर्वेद आयुर्वेदिक आयुर्वेदिक उपचार आयुर्वेदिक औषधियां आयुर्वेदिक सीरप-Ayurvedic Syrup आयुर्वेदिक-Ayurvedic आरोग्य आँव आंव आंवला आंवला जूस आंवला रस आशावादी-Optimistic आसन आसान प्रसव-Easy Delivery आहार चार्ट आहार-Food आॅपरेशन आॅर्गेनिक आॅर्गेनिक कौंच इच्छा-शक्ति इन्द्रायण इन्फ्लुएंजा इमर्जेंसी में होम्योपैथी इमली-Tamarind Tree इम्युनिटी इलाज इलाज का कुल कितना खर्चा इलायची उच्च रक्तचाप उच्च रक्तचाप-High Blood Pressure-Hypertension उत्तेजक उत्तेजना उदर शूल-Abdominal Haul उदासी उन्माद-Mania उपवास उम्र उल्टी ऊर्जा एक्जिमा एक्यूप्रेशर एग्जिमा एजिंग-Aging एंटी ऑक्सीडेंट्स एंटी-ओक्सिडेंट एंटीऑक्सीडेंट एण्टी-आॅक्सीडेंट एनजाइना एनीमिया एमिनो एसिड एरंड एलर्जी एलर्जी-Allergy एलोवेरा एलोवेरा जूस एल्यूमीनियम ऐंठन ऐलोपैथ ऐसीडिटी ऑर्गेनिक ओमेगा 3 के स्रोत ओमेगा-3 ओर्गेनिक औषध-Drug औषधि सूची-Drug List औषधियों के नुकसान-Loss of drugs कचनार कचनार-Bauhinia Purpurea कटुपर्णी कड़वाहट कंडोम कद्दू कनेर कपास-COTTON कपिकच्छू कपूरीजड़ी कफ कब्ज कब्ज़ कब्ज-कोष्ठबद्धता-Constipation कब्ज. Cucumber कब्जी कमजोरी कमर कमर दर्द कमेड़ा करेला कर्ण वेदना कर्णरोग कष्टार्तव-Dysmenorrhea कांच निकलना काजू कान कानून सम्मत काम काम शक्ति कामवाण पाउडर कामशक्ति कामशक्ति-Sexual power कामेच्छा कामोत्तेजना कायाकल्प कार्बोहाइड्रेट कार्बोहाइड्रेट-Carbohydrates काला जीरा काला नमक काली जीरी काली तुलसी काली मिर्च काले निशान कास-खांसी-Cough किडनी किडनी संक्रमण किडनी स्‍टोन कीड़े कीमोथेरेपी कुकरौंधा कुकुंदर कुटकी-Black Hellebore कुबडापन कुमेड़ा कुल्थी कुल्ला कुष्ट कुष्ठ कृमि केला केसर कैफीन-Caffeine कैलोरी कैलोरी चार्ट कैलोरी-Calories कैवांच कैविटी कैंसर कॉफी कॉफ़ी कॉलेस्ट्रॉल कोंडी घास कोढ़ कोबरा कोलेस्ट्रॉल कोलेस्ट्रॉल-Cholesterol कोलेस्ट्रोल कौंच कौमार्य क्रियाशीलता क्रोध क्षय रोग-Tuberculosis क्षारीय तत्व क्षुधानाश खजूर खजूर की चटनी खनिज खरबूजा-Musk melon खरेंटी खरैंटी शिलाजीत खाज खांसी खिरेंटी खिरैटी खीप खीरा खुजली खुशी-Joy खुश्की खुश्बू खोया गंजापन-Baldness गठिया गठिया-Arthritis गठिया-Gout गड़तुम्बा गंडा-ताबीज गंध गन्ने का रस गरमा गरम गर्भ निरोधक गर्भधारण गर्भपात गर्भवती गर्भवती कैसे हों? गर्भावस्था गर्भावस्था की विकृतियां-Disorders of Pregnancy गर्भावस्था के दौरान संभोग-Sex During Pregnancy गर्भाशय गर्भाशय भ्रंश गर्भाशय-उच्छेदन के साइड इफेक्ट्स-Side Effects of Hysterectomy गर्म पानी गर्मी गर्मी-Heat गलगण्ड गाजर गाजवां गांठ गाँठ-Knot गारंटी गारण्टेड इलाज गाल ब्लैडर गिलोय गिल्टी गुड़हल गुंदा गुदाद्वार गुदाभ्रंश गुम्मा गुर्दे गुलज़ाफ़री गुस्सा गृध्रसी गृह-स्वामिनी गेदुआ की छाछ गैस गैस्ट्रिक गैहूं का जवारा गोक्षुरादि चूर्ण गोखरू गोखरू (LAND CALTROPS) गोंद कतीरा-Hog-Gum गोंदी गोभी-Cabbage गोरख मुंडी गोरखगांजा गोरखबूटी गोरखमुंडी ग्रीन-टी घमोरी घरेलु ​नुस्खे घाघरा घाव चकवड़ चक्कर चपाती चमत्कारिक सब्जियां चरित्र चर्बी चर्म चर्म रोग चर्मरोग चाय चाय-Tea चालीस के पार-Forty Across चिकनगुनिया चिकित्सकीय चिटकन चिंतित चिरायता-Absinth चिरोटा चुंबन चोक चौलाई छपाकी छरहरी काया छाछ छाजन बूटी छाले छींक छीकें छुअ छुआरा छुहारा छोटा गोखरू छोटा धतूरा छोटी हरड़ जंक फूड जकवड़ जख्म जंगली तिल्ली जंगली तुलसी जंगली पेड़ जंगली मिर्ची जंगली-कटीली चौलाई जटामांसी-Spikenard जलजमनी जलन जलोदर रोग-Ascites Disease जवारा जवारे जवासा-Alhag जहर जामुन का जूस जायफल जिगर जीरा जीवन रक्षक जीवनी शक्ति जुएं जुकाम जुदाई जुलाब जूएं जूस जोड़ों के दर्द जोड़ों में दर्द जौ ज्यूस ज्योति ज्वर ज्वर-Fiver झाइयाँ झांईं झाड़-फूंक झुर्रियाँ झुर्रियां झुर्री झूठे दर्द टमाटर का रस टमाटर-Tomatoes टाइफाइड टाटबडंगा टायफायड टूटी हड्डी टॉन्सिल टोटला ट्यूमर ठंड ठंडापन ठेकेदार डॉक्टर डकार डकारें डायबिटीज डायरिया डिग्री फ़ारेनहाइट डिग्री सेल्सियस डिजिसेक्सुअल डिटॉक्सीफाई डिटॉक्सीफिकेशन डिनर डिप्रेशन डिब्बाबंद भोजन डिलेवरी डीकामाली डीगामाली डेंगू डेंगू-Dengue डॉ. निरंकुश डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश' डॉ. मीणा ढकार ढीलापन ढीली योनि तकलीफ का सही इलाज तंत्र-मंत्र तम्बाकू तरबूज-Watermelon तलाक ताकत तिल तिल्ली तुंबा तुंबी तुम्बा तुलसी तेल त्रिदोषनाशक त्रिफला त्वचा त्वचा रोग थकान थाईरायड थायरायड-Thyroid थायरॉइड दण्डनीय अपराध दंत वेदना दन्तकृमि दन्तरोग दमा दर वेदना दरार दर्द दर्द निवारक दर्द निवारक दवा दर्दनाक दस्त दही दाग-धब्बे-Stains-Spots दाढ़ दांत दांतो में कैविटी-Teeth Cavity दाद दाम्पत्य दाम्पत्य विवाद सलाहकार दाम्पत्य-Conjugal दाल दालचीनी दालें दिमांग दिल दीर्घायु दु:खी दुर्गंध दुर्बलता दुष्प्रभाव दुष्प्रभावरहित दूध दूध वृद्धि दूधी दूधी-Milk Hedge दृष्टिदोष दो मन द्रोणपुष्पी द्रोणपुष्पी-Leucas Cephalotes धड़कन धनिया बीज धनिया-Coriander धमासा धात धातु धातु पतन धार्मिक धूम्रपान छोड़ना चाहते हैं? धैर्यहीन नज़ला नपुंसक नपुंसकता नाइट्रिक एसिड नाक नाखून नागबला नागरमोथा नाडी हिंगु नाड़ी हिंगु (डिकामाली) नामर्दी नारकीय पीड़ा नारियल नाश्ता निमोनिया निम्न रक्तचाप निम्बू नियासिन निराश निरोगधाम निर्गुण्डी निर्गुन्डी निष्कपट स्नेह निष्ठा निसोरा नींद नींबू नींबू-Lemon नीम-azadirachta indica नुस्खे नुस्खे-Tips नेगड़ नेत्र रोग नेुचरल नैतिक नॉर्मल डिलेवरी नोनिया नौसादर न्युमोनिया-Pneumonia न्यूरॉन्स पक्षघात पंचकर्म पढ़ने में मन लगेगा पंतजलि पत्तागोभी-CABBAGE पत्थर फोड़ी पत्थरचट्टा पत्नी पथरी पदार्थ पनीर पपीता पपीता-CARICA PAPPYA पमाड परदेशी लांगड़ी परम्परागत चिकित्सा परहेज पराठा परामर्श परिस्थिति पवाड़ पवाँर पाइल्स पाक-कला पाचक पाचन पाचनतंत्र पाचनशक्ति पाठक संख्या 16 लाख पार पाठक संख्या पंद्रह लाख पायरिया पारदर्शिता पारिजात पालक पालक-Spinach पित्त पित्ताशय पित्ती पिंपल-मुंहासे-Pimples-Acne पिरामिड पीलिया पीलिया-Jaundice पीलिया-कामला-Jaundice पुआड़ पुदीना पुनर्नवा-साटी-सौंटी-Punarnava पुरुष पुंसत्व पेचिश पेट के कीड़े पेट दर्द पेट में गैस पेट रोग पेड़ पेद दर्द पेरिकिटो सेसिल पेशाब पेशाब में रुकावट पेंसिल थेरेपी-Pencil Therapy पोष्टिक लड्डू पौधे पौरुष पौरुष ग्रंथि पौष्टिक रागी रोटी प्याज-Onion प्यास प्रजनन प्रतिरक्षा प्रतिरक्षा प्रणाली प्रतिरोधक प्रतिरोधक-Resistance प्रदर प्रमेह प्रवाहिका (पेचिश)-Dysentery प्रसव प्रसव सुरक्षा चक्र प्रसव-पीड़ा प्रसूति प्राणायाम प्रेग्नेंसी-Pregnancy प्रेम प्रेमरस प्रेमिका प्रेमी प्रोटीन प्रोटीन का कार्य प्रोटीन के स्रोत प्रोस्टेट प्रोस्‍टेट कैंसर प्रोस्टेट ग्रंथि प्रोस्टेट ग्रन्थि प्लीहा प्लूरिसी-Pleurisy प्लेटलेट्स फंगल फटन फफूंद-Fungi फरास फल फाइबर फिटकरी फुंसी-Pimples फूलगोभी-CAULIFLOWER फेंफड़े फेरम फॉस फैट फैटी लीवर फोटोफोबिया फोड़ा फोड़े-Boils फोरप्ले फोलिक एसिड फ्लू फ्लू-Flu फ्लेक्स सीड्स बकायन बकुल बड़ी हरड़ बथुआ बथुआ पाउडर बथुआ-White Goose Foot बदबू बंध्यापन बबूल-ACACIA बरसाती बीमारियाँ बरसाती बीमारियां बलगम बलवृद्धि बला बलात्कार बवासीर बहरापन बहुनिया बहुमूत्रता- बांझपन बादाम-Almonds बादाम. बाल बाल झड़ना बाल झडऩा-Hair Falling बिना सिजेरियन मां बनें बिवाई बीजबंद बीड़ी बीमारियों के अनुसार औषधियां बीमारी बील बुखार बूंद-बूंद पेशाब बेल बेली बैक्टीरिया बॉयोकैमी ब्र​ह्मदण्डी ब्रेस्ट ग्रोथ ब्लड प्रेशर ब्लैक मेलिंग ब्लॉकेज भगंदर भगंदर-Fistula-in-ano भगनासा भगन्दर भगोष्ठ भड़भांड़ भय भविष्य भस्मक रोग भावनात्मक भुई आंवला-Phyllanthus Niruri भूई आमला भूई आंवला भूख भूख बढ़ाने भूत-प्रेत भूमि भूमि आंवला भोजनलीवर मकोय मकोय-Soleanum nigrum मक्का मक्का के भुट्टे मंजीठ मटर-PEA मंद दृष्टि मंदाग्नि मदार मधुमेह मधुमेह-Diabetes मन्दाग्नि-Dyspepsia मरुआ मरोड़ मर्द मर्दाना मलाशय मलेरिया मलेरिया (Malaria) मवाद मसाले मस्तिष्क मस्से मस्से-WARTS महंगा इलाज महत्वपूर्ण लेख महाबला माइग्रेन माईग्रेन माईंड सैट माजूफल मानवव्यवहार मानसिक मानसिक लक्षण मानसिक-Mental मानिसक तनाव-Mental Stress मायोपिया मासिक मासिक-धर्म मासिकधर्म मासिकस्राव माहवारी मिनरल मिर्गी मिर्च-Chili मीठा खाने की आदत मुख मैथुन-ओरल सेक्स-Oral Sex मुख्य लक्षण मुधमेह मुलहठी मुलेठी मुहाँसे मूँगफली मूड डिस्ऑर्डर-Mood Disorders मूत्र मूत्र असंयमितता मूत्र में जलन-Burning in Urine मूत्ररोग मूत्राशय मूत्रेन्द्रिय मूर्च्छा (Unconsciousness) मूली मूली कर रस मृत्यु मृत्युदण्ड मेथी मेथी दाना मेंहदी मैथुन मोगरा (Mogra) मोटापा मोटापा-Obesity मोतियाबिंद मौत मौलसिरी मौसमी बीमारियां यकृत यकृत प्लीहा यकृत वृद्धि-Liver Growth यकृत-लीवर-जिगर-Lever यूपेटोरियम परफोलियेटम यूरिक एसिड लेबल योग विज्ञापन योन योन संतुष्टि योनि योनि ढीली योनि शिथिल योनि शूल-Vaginal Colic योनि संकोचन योनिद्वारा योनिभ्रंश योनी योनी संकोचन यौन यौन आनंद यौन उत्तेजक पिल्स (sexual stimulant pills) यौन क्षमता यौन दौर्बल्य यौन शक्तिवर्धक यौन शिक्षा यौन समस्याएं यौनतृप्ति यौनशक्ति यौनशिक्षा यौनसुख यौनानंद यौनि रक्त प्रदर (Blood Pradar) रक्त रोहिड़ा-TECOMELLA UNDULATA रक्तचाप रक्तपित्त रक्तशोधक रक्ताल्पता रक्ताल्पता (एनीमिया)-Anemia रस-juices रातरानी Night Blooming Jasmine/Cestrum nocturnum रामबाण रामबाण औषधियाँ-Panacea Medicines रुक्षांश रूढिवादी रूसी रूसी मोटापा रेचक रेठु रोग प्रतिरोधक रोबोट सेक्स रोमांस लकवा लक्षण लक्ष्मी लंच लसोड़ा लस्सी लहसुन लहसुन-Garlic लाइलाज लाइलाज का इलाज लाक्षणिक इलाज लाक्षणिक जानकारी लाभ लिंग लिंग प्रवेश लिसोड़ा लीकोरिया लीवर लीवर सिरोसिस लीवर-Liver लू-hot wind लैंगिक लोनिया लौकी लौंग की चाय ल्युकोरिया ल्यूकोरिया ल्यूज योनी वजन वज़न वजन कम वजन बढाएं-Weight Increase वन तुलसी वन/जंगली तुलसी वनौषधियाँ वमन वमन विकृति-Vomiting Distortion वसा वात वात श्लैष्मिक ज्वर वात-Rheumatism वायरल वायरल फीवर वायरल बुखार-Viral Fever वासना विचारतंत्र विटामिन विधारा वियाग्रा-Viagra वियोग विरह वेदना विलायती नीम विवाहेत्तर यौन सम्बन्ध विवाहेत्तर सम्बंध विश्वास विष विष हरनी विषखपरा वीर्य वीर्य वृद्धि वीर्यपात वृक्कों (गुर्दों) में पथरी-Renal (Kidney) Stone वृक्ष वैज्ञानिक वैधानिक वैवाहिक जीवन वैवाहिक जीवन-Marital वैवाहिक रिश्ते वैश्यावृति व्याकुल व्यायाम व्रण शंखपुष्पी शरपुंखा शराब शरीफा-सीताफल-Custard apple शर्करा शलगम-Beets शल्यक्रिया शहद शहद-Honey शारीरिक शारीरिक रिश्ते शिथिलता शीघ्र पतन शीघ्रपतन शीस शुक्राणु शुक्राणु-Sperm शुक्राणू शुगर शोक शोथ शोध श्योनाक श्रेष्ठतर श्वास श्वांस श्वेत प्रदर श्वेत प्रदर-Leucorrhea श्वेतप्रदर षड़यंत्र संकुचन संकोच संक्रमण संक्रमित संक्रामक संखाहुली सगतरा संतरा-Orange संतान संतुष्टि सत्यानाशी सदा सुहागन सदाफूली सदाबहार सदाबहार चूर्ण सनबर्न सफ़ेद दाग सफेद पानी सफेद मूसली सब्जि सब्जी संभालू संभोग समर्पण-Dedication सरकार को सुझाव सरफोंका सरहटी सर्दी सर्दी-जुकाम सर्पक्षी सर्पविष सलाद संवाद संवेदना सहदेई सहदेवी सहानभूति साइटिका साइटिका-Sciatica साइड इफेक्ट्स साबूदाना-Sago सायटिका सिगरेट सिजेरियन सिर दर्द सिर वेदना सिरका सिरदर्द सिरोसिस सी-सेक्शन सीजर डिलेवरी सुगर सुदर्शन सुहागा सूखा रोग सूजन सेक्स सेक्स उत्तेजक दवा सेक्स परामर्श-Sex Counseling सेक्स पार्टनर सेक्स पावर सेक्स समस्या सेक्स हार्मोन सेक्‍स-Sex सेंधा नमक सेब सेमल-Bombax Ceiba सेल्स सोजन-सूजन सोंठ सोना पाठा सोयाबीन सोयाबीन (Soyabean) सोयाबीन-Soyabean सोराइसिस सोरियासिस-Psoriasis सौंठ सौंदर्य सौंदर्य-Beauty सौन्दर्य सौंफ सौंफ की चाय सौंफ-Fennel स्किन स्खलन स्तन स्तन वृद्धि स्तनपान स्तम्भन स्त्री स्त्रीत्व स्त्रैण स्पर्श स्मृति-लोप स्वप्न दोष स्वप्नदोष स्वप्नदोष-Night Fall स्वभाव स्वभावगत स्वरभंग स्वर्णक्षीरी स्वस्थ स्वास्थ्य स्वास्थ्य परामर्श स्वास्थ्य रक्षक सखा हजारदानी हड़जोड़ हड्डी हड्डी में दर्द हड्डी संक्रमण हड्डीतोड़ ज्वर हड्डीतोड़ बुखार हरड़ हरसिंगार हरी दूब-CREEPING CYNODAN हरीतकी हर्टबर्न हस्तमैथुन हस्तमैथुन-Masturbation हाई बीपी हाथ-पैर नहीं कटवायें हारसिंगार हालात हिचकी हिचकी-Hiccup हिमोग्लोबिन-hemoglobin हिस्टीरिया हिस्टीरिया-Hysteria हींग हीनतर हुरहुर हुलहुल हृदय हृदय-Heart हेपेटाइटिस हेपेटाईटिस हेल्थ टिप्स-Health-Tips हेल्थ बुलेटिन हैजा हैपीनेस-Happiness हैल्थ होम केयर टिप्स-Home Care Tips होम्यापैथ होम्योपैथ होम्योपैथिक होम्योपैथिक इलाज होम्योपैथिक उपचार होम्योपैथी होम्योपैथी-Homeopathy