अस्थमा (दमा) Asthma
श्वास रोग अस्थमा अत्यंत कष्टदायक रोग होता है। जनसाधारण में इस रोग को दमा के नाम से संबोधित किया जाता है। अस्थमा लम्बे समय तक रोगी का पीछा नहीं छोडता, इसलिए अस्थमा के बारे में कहा जाता है कि दमा दम लेकर ही पीछा छोड़ता है। औषधियों के सेवन और आहार-विहार में परिवर्तन करके अस्थाा को नियंत्रयण में रखकर अधिक पीडादायक परिस्थिति से सुरक्षित रहा जा सकता है।
उत्पत्ति :
अस्थमा किसी भी आयु वर्ग के स्त्री-पुरुष व बच्चों को हो सकता है। कुछ किशोरों में वंशानुगत भी अस्थमा रोग होता है। आधुनिक परिवेश में तीव्र गति से फैलते प्रदूषण के कारण अल्प आयु में अस्थमा रोग अधिक हो रहा है। सड़कों पर वाहनों का धुआं, घरों के आस-पास कल-कारखानों का विषैला धुआं, गैसें अस्थमा रोग की उत्पत्ति करती है।
दूषित खाद्य पदार्थो के सेवन व दूषित जल पीने से भी अस्थमा की उत्पत्ति होती है। गंदी बस्तयों में रहने वरले अस्थमा से अधिक पीड़ित होेते है। अधिक मादक द्रव (शराब) पीने वाले भी अस्थमा के शिकार होते हैं। चिकित्सकों के अनुसार वृक्क (गुर्दों) की विकृति से भी अस्थमा हो सकता है।
लक्षण:
शीत ऋतु में अस्थमा का अधिक प्रकोप होता है। एलर्जी के कारण उत्पन्न अस्थमा में रोगी को अधिक पीड़ा होती है। अस्थमा का दौरा पड़ने पर रोगी पूरा श्वास नहीं ले पाता। रोगी को श्वास रुकता अनुभव होता है। रोगी मृत्यु के भय से घबरा जाता है। उसका शरीर पसीने से भीग जाता है। रोगी को जोरों से खांसी उठती है। जब तक कफ (बलगम) नहीं निकल जाता रोगी को आराम नहीं मिलता। रात्रि के समय अस्थमा के कारण रोगी की नींद खुल जाती है और फिर रोगी सुबह तक सो नहीं पाता। अधिक उष्ण वातावरण में रोगी को बहुत कष्ट होता हैं। वर्षा ऋतु में मृदल छा जाने और वातावरण में आर्द्रता बढ़ जाने से रोगी को श्वास लेने में बहुत कठनाई होती है।
अस्थमा का रोगी स्वच्छ वायु के वातावरण में रहना पसंद करता है। बस व रेल में यात्रा करते समय खिड़की के पास बैठना पंसद करता है। घरों में भी कमरे की सभी खिड़कियां व दरवाजे खोलकर रखता है। अस्थमा रोग में कोष्ठबद्धता होने से रोगी को अधिक पीड़ा होती है।
क्या खाएं?
- * अनार के दानों को कूट-पीसकर चूर्ण बनाकर, 3 ग्राम चूर्ण मधु के साथ दिन में दो बार सेवन करें।
- * खजूर की गुठली निकालकर, सोंठ के चूर्ण के साथ पान में रखकर खांए।
- * अंजीर के चार दाने रात्रि को जल में डालकर रखें। प्रातः उठकर अंजीर को मसलकर, छानकर जल पिएं। अस्थमा में बहुत लाभ होता है।
- * अस्थमा में श्वास अवरोध होने पर कॉफी पिएं।
- * कोष्ठबद्धता के कारण रोगी को बहुत परेशानी होती है। कोष्ठबद्धता को नष्ट करने के लिए * रात्रि को एरंड का तेल 5 ग्राम मात्रा में दूध या हल्के गर्म जल के साथ सेवन करें।
- * दूध में दो पीपल उबालकर, छानकर सेवन करें।
- * सैंधावादि तेल की छाती पर मालिश करने से अस्थमा रोग में बहुत आराम मिलता है।
- * मेथी के 10 ग्राम दानों को जल में उबालकर छानकर पिएं।
- * चौलाई की सब्जी बनाकर खाने से अस्थमा रोगी को बहुत लाभ होता है।
- * लहसुन का 7-8 ग्राम रस हल्के उष्ण जल के साथ सेवन करने से अस्थमा में बहुत लाभ होता है।
- * तीन-चार लौंग जल में उबालकर, छानकर, थोड़ी-थोड़ी मात्रा में पीने से अस्थमा का प्रकोप नष्ट होता है।
- * नीबू का रस, अदरक का रस और मधु मिलाकर सेवन करने से श्वास प्रकोप की पीड़ा कम होती है।
क्या न खाएं?
- * अस्थमा के रोगी को शीतल खाद्य पदार्थो और शीतल पेयों का सेवन नहीं करना चाहिए।
- * उष्ण मिर्च-मसाले व अम्लीय रस से बने खाद्य पदार्थो का सेवन न करें।
- * भोजन में अरबी, कचालू, रतालू, फूलगोभी आदि का सेवन न करें।
- * अस्थमा के रोगी को केले नहीं खाने चाहिए।
- * उड़द की दाल से बने खाद्य पदार्थो का सेवन नहीं करना चाहिए।
- * अस्थमा के रोगी को दही और चावल का सेवन नहीं करना चाहिए।
- * एलर्जिक वस्तुाओं, पशु-पक्षियों और फूलों को स्पर्श नहीं करें।
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