अधिक समय तक किसी गहरी चिंता या भय से पीड़ि़त रहने पर उन्माद की उत्पत्ति हो सकती है। अचानक लगे सदमे के कारण भी उन्माद रोग होता है। लड़कियां अपने प्रेमी द्वारा छोड़कर चले जोन व विश्वासघात के कारण उन्माद से पीड़ित हो सकती है।
सिर पर लगी चोट भी किसी स्त्री-पुरुष को उन्माद से पीड़ित कर सकती हैं। प्रकृति विरुद्ध और दूषित आहार के सेवन से उन्माद की विकृति हो सकती है। चिकित्सा विशेषज्ञों के अनुसार वात, पित्त और कफ के प्रकुपित होने पर मस्तिष्क को प्रभावित करने पर उन्माद रोग हो सकता है। अधिक समय तक शोकग्रस्त रहने पर उन्माद की विकृति हो सकती है।
लक्षण :
उन्माद रोग के प्रारंभ में रोगी पागलपन ही हरकतें करता है। उसे किसी बात का स्मरण नहीं रहता। सब काम उलटे करने लगता है। रोग की अधिकता में रोगी जोर से हंसता या चीखने-चिल्लाने लगता है। कभी जोर से रोने लगा है।
उन्माद की अग्रावस्था में रोगी कपड़े उतारकर फेंकने लगता है। और तोड़-फोड़ करने लगता है। रोगी के मुंह से लार गिरती है, लेकिन रोगी को कुछ ध्यान नहीं रहता। रोगी कपड़े फाड़ने लगता है।
क्या खाएं?
- * उन्माद के रोगी को दलिया, खिचड़ी, सूप, खीर, दालें व सब्जियों का सेवन कराएं। यदि रोगी चबाकर रोटी खा सके तो उसे रोटी खिलासकते है।
- * बादाम की 7-8 गिरी रात को जल में डालकर रखें। प्रातः उनके छिलके उतारकर, उसी के साथ पीसकर, दूध में मिलाकर पिलाएं।
- * उन्माद के रोगी को कोष्ठबद्धता होने पर दूध में एरंड का तेल मिलाकर पिलाएं।
- * सर्पगंधा को कूट-पीसकर चूर्ण बनाकर, 3 ग्राम चूर्ण गुलाब के जल के साथ सेवन करने से उन्माद रोग में बहुत लाभ होता है।
- * सफेद चंदन का चूरा 3 ग्राम मात्रा में लेकर 60 ग्राम गुलाब जल में डालकर रखें। प्रातः उठकर उसको उबालकर छानकर, मिसरी मिलाकर पीने से उन्माद रोग कम होता है।
- * 20 ग्राम इमली को जल के साथ पीसकर, 100 ग्राम जल में मिलकर, छानकर पीने से उन्माद रोग का प्रकोप नष्ट होता है।
- * अनार के पत्ते और गुलाब के फूल दोनों 10-10 ग्राम लेकर जल में उबालकर क्वाथ बनाएं। 100 ग्राम जल शेष रह जाने पर 10 ग्राम शुद्ध घी मिलाकर रोगी को सुबह-शाम पिलाएं।
क्या न खाएं?
- * उन्माद के रोगी को चाय, कॉफी व दूसरे उष्ण खाद्य पदार्थो का सेवन न कराएं।
- * घी, तेल से बने पकवानों का सेवन न कराएं।
- * दूषित वायु, धूल-मिट्टी व धुएं के वातावरण में रोगी को न जाने दें।
- * सुबह-शाम रोगी को किसी पार्क में भ्रमण के लिए ले जाएं।
- * उन्माद के रोगी को धूप में न चलने-फिरने दें।
- * रोगी को शारीरिक श्रम का काम न करने दें।
- * उन्माद के रोगी को उष्ण जल से स्नान न कराएं। उसके सिर पर उष्ण जल न डालें।
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