मूर्च्छा (Unconsciousness)
मूर्च्छा की विकृति किसी भी स्त्री-पुरुष, बच्चे व प्रौढ के लिए बहुत कष्टदायक हो सकती है। विभिन्न रोगों को स्वयं पर नियंत्रण नहीं रहता। रोगी कही पर भी गिरकर मूर्च्छित हो सकता है। हिस्टीरिया व मिर्गी के कारण भी मूर्च्छा होती है।
उत्पत्तिः
विभिन्न रोग विकारों के कारण अत्यधिक शारीरिक निर्बलता के कारण मूर्च्छा की विकृति होती है। किसी दुर्घटना का शिकार होने पर सिर पर आघात लगने से मूर्च्छा होती है। रक्ताल्पता के कारण भी स्त्री-पुरुष मूर्च्छा के शिकार होते है। नवयुवतियां घर में काम करते हुए रसोईघर या बाथरूम में फिसल कर गिरने पर मूर्च्छित हो जाती है।
तीव्र ज्वर की विकृति भी किसी को मूर्च्छा का शिकार बना सकती है। मधुमेह रोग में रक्त में शर्करा की अत्यधिक कमी हो जाने पर अचानक मूर्च्छा की स्थिति बन जाती है।
लक्षण:
सीढियों से फिसलकर गिरने पर जब सिर के आस-पास चोट लगती है तो मूर्च्छा होती है। रोगी बेहोश हो जाता हैं हिस्टीरिया रोग में बातें करती हुई लड़की अचानक जोरों से हंसती या चीखती है और फिर गिरकर बेहोश हो जाीत है। मिर्गी रोग में बेहोशी का दौरा पड़ता है। रोगी के मुंह से झाग निकलते हैं, लेकिन रोगी को बिल्कुल होश नहीं रहता ।
मधुमेह रोग में रक्त में शर्करा की कमी होने पर उत्पन्न मूर्च्छा में भी चलते-चलते व्यक्ति लड़खडा कर गिरकर बेहोश हो जाता है। ऐसे व्यक्ति को जल में ग्लूकोज मिलाकर पिलानेे पर होश आ जाता है। तेज धूप से अधिक चलने-फिरने के कारण व अंशुघात (लू के प्रकोप) से भी मूर्च्छा की विकृति होती है।
क्या खाएं?
- * 10 ग्राम अदरक के रस में 10 ग्राम मिसरी मिलाकर,शीतल जल में शरबत की तरह पिलाने से मूर्च्छा से सुरक्षा होती हैं
- * अधिक धूप में चलने-फिरने या अंशुघात लू के प्रकोप से मूर्च्छा होने पर रोगी के सिर पर देर तक शीतल जल डालें। मूर्च्छा जल्दी नष्ट होती है।
- * तुलसी के पत्तों को कूटकर, किसी कपड़े में बांधकर रस निकालें। तुलसाी के रस की एक-एक बूंद नाक मंे टपकाने से मूर्च्छा नष्ट होती है।
- * अधिक उष्णता के कारण मूर्च्छा होने पर रोगी के चेहरे पर शीतल जल के छींटे मारने पर जल्दी मूर्च्छा नष्ट होती है।
- * छोटी पीपल का बारीक चूर्ण 3 ग्राम की मात्रा में मधु मिलाकर चटाने से मूर्च्छा में लाभ होता है।
- * श्वेत प्याज को कूटकर रोगी को सुंघाने से हिस्टीरिया रोग की मुर्च्छा नष्ट होती है।
- * आंवले के 10 ग्राम रस में 5 ग्राम घी मिलाकर थोड़ा-थोड़ा पिलान से मूर्च्छा नष्ट होती है।
- * 10 ग्राम मुनक्का घी में भूनकर उसमें हल्का-सा सेंधा नमक मिलाकर रोगी को खिलाने से मूर्च्छा से सुरक्षा होती है।
- * आंत्रकृमियों के कारण छोटे बच्चों के मूर्च्छित होने पर उन्हें दूध में केसर मिलाकर पिलाएं।
- * राई को जल के साथ पीसकर रोगी को सुंघाने से मूर्च्छा नष्ट होती है।
- * आंवले 10 ग्राम, मुनक्के के 8 दाने और सोंठ का 2 ग्राम चूर्ण मिलाकर पीसकर मधु मिलाकर रोगी को चटाने से मूर्च्छा का निवारण होते है।
- * लहसुन को पीसकर रोगी को सुंघाने से बेहोशी दूर हाती है।
क्या न खाएं?
- * हिस्टीरिया से पीड़ित नवयुवतियों को उष्ण मिर्च-मसाले व अम्लीय रसों से बने खाद्य पदार्थो का सेवन नहीं करना चाहिए।
- * उष्ण खाद्य पदार्थो व चाय, कॉफी का सेवन न करें।
- * कोष्ठबद्धता हाने पर शीघ्र ही उसे नष्ट करें।
- * मधुमेह रोग में रक्त में शर्करा का अभाव होने पर ग्लूकोज साथ लेकर घर से बाहर निललें।
- * घी, तेल, मांस मछली आदि के सेवन से बचे।
- * बाजार में चपटे व्यंजनों व खाद्य पदार्थों का सेवन न करें।
- * मूर्च्छा से पीड़ित रोगी अधिक परिश्रम व अधिक दूरी वाला सफर न तय करें।
0 जानकारी अच्छी लगे तो कृपया एक कमेंट अवश्य करें।:
Post a Comment