कास (खांसी) (Cough)
ऋतु परिवर्तन के समय भोजन में थोड़ी-सी लापरवाही से किसी भी छोटे-बड़े को कास अर्थात खांसी की विकृति हो सकती है। छोटे बच्चे सर्दी के प्रकोप से खांसी से अधिक पीड़ित होते है। खांसी के कारण रोगी को बहुत परेशानी होती है। रोगी रात को सो नहीं पाता। साधारण-सी दिखाई देने वाली खांसी चिकित्सा में विलम्ब और भोजन में बद परहेजी से किसी भयंकर रोग का रूप धारण कर सकती है।
उत्पत्ति :
चिकित्सा विशेषज्ञों के अनुसार खांसी की उत्पत्ति अन्य किसी रोग के कारण होती है। सर्दी के प्रकोप से खांसी का प्रारंभ होता है। शीतल खाद्य पदार्थो के सेवन कोल्ड, ड्रिंक पीने व नदी-तालाब में देर तक तैरने व स्थान करने से सर्दी लगने पर प्रतिश्यास (जुकाम) के साथ खांसी की विकृति होती है। क्षय रोग, अस्थमा (दमा), ब्रोंकाइटिस और न्यूमोनिया आदि रोगों में भी खांसी हो सकती है। खांसी शुष्क और आर्द्र (तर) दो तरह की होती है। शुष्क खांसी में रोगी को अधिक कष्ट होता है, क्योंकि उसे देर तक खांसना पड़ता है। आर्द्र खांसी में कफ (बलगम) निकल जाने के कारण खांसी का प्रकोप कम हो जाता है।
लक्षण :
सर्दी लगने पर खांसी का प्रारंभ होता है। ऐसे में रोगी धीरे-धीरे खांसता है, लेकिन सर्दी का प्रकोप बढ़ने पर खांसी का प्रकोप बढ़ जाता है। बार-बार खांसने से रोगी के पेट और कमर में दर्द होने लगता है। खांसी का प्रकोप किसी रोग के कारण हो तो रोगी रात को सो नहीं पाता। क्षय रोग व अस्थमा (दमा) रोग में कभी भी खांसी प्रारंभ हो सकती है।
काली खांसी में रोगी बच्चे देर तक खांसते है। उनका चेहरा लाल हो जाता है। श्वास अवरुद्ध हो जाता है। वमन होने पर ही खांसी का प्रकोप कुछ कम होता है, लेकिन कुछ देर के बाद फिर खांसी प्रारंभ हो जाती है। धूल-मिट्टी व धुंए के वातावरण में जाने पर बहुत खांसी होती है।
क्या खाएं?
- * चाय बनाते समय जल में तुलसी के पत्ते, दालचीनी, अदरक या काली मिर्च डालकर देर तक उबलें। फिर दूध की चाय बनाकर पिएं।
- * अदरक के रस में मधु मिलाकर चाटकर खाएं। मुलहठी का 3 ग्राम चूर्ण मधु मिलाकर चाटकर सेवन करें।
- * प्यास लगने पर हल्के उष्ण जल का सेवन करें।
- * दो ग्राम हल्दी के चूर्ण में थोड़ा-सा सेंधा नमक मिलाकर हल्के गर्म जल के साथ सेवन करें।
- * तुलसी के पत्तों के 3 ग्राम रस में मधु मिलाकर चाटकर खाएं।
- * बच्चों को खांसी होने पर उनकी छाती और कमर पर कर्पूर का तेल मलें।
- * पान के रस में मधु मिलकार चाटने से खांसी का प्रकोप कम होता है।
- * तुलसी की मंजरी, प्याज का रस और सोंठ तीनों बराबर मात्रा में लेकर पीसकर, मधु मिलाकर चाटकर खाएं।
- * तुलसी के पत्तों का रस 3 ग्राम, अडूसे के पत्तों का रस 3 ग्राम मिलाकर बच्चों को चटाने से खांसी नष्ट होती है।
- * कटेरी की जड को कूट-पीसकर चूर्ण बना लें। 1 ग्राम कटेरी के चूर्ण में 1 ग्राम पीपल का चूर्ण मिलकार मधु के साथ दिन में दो-तीन बार सेवन करें।
- * सितोपलादि चूर्ण 3 ग्राम मात्रा में मधु मिलाकर दिन में दो-तीन बार सेवन करें।
- * चित्रत की छाल का चूर्ण बनाकर कपड़े द्वारा छानकर सुबह-षाम एक-एक ग्राम चूर्ण मधु मिलकार सेवन करें।
- * लौंग को भूनकर, तुलसी के पत्तों के साथ चबाकर चूसने से खांसी नष्ट होती है।
क्या न खाएं?
- * घी, तेल और मक्खन से बने खाद्य पदार्थो का सेवन न करें।
- * मूंगफली, चिलगोजे, पिस्ते, काजू का सेवन न करें।
- * शीतल जल, शरबत व कोल्ड ड्रिंक न पिएं।
- * उष्ण मिर्च-मसालों व अम्लीय रसों से बने व्यंजन सेवन न करें।
- * चइनीज व्यंजन, फास्ट फूड, अचार का सेवन न करें।
- * शीतल वातावरण में देर तक न घूमें।
- * घर में फर्श पर नंगे पांव न घूमें।
- * उड़द की दाल, चावल, दही, तक्र (मट्ठे) का सेवन न करें।
- * अनार, संतरे, मौसमी, अनन्नास, लीची, तरबूज का सेवन न करें।
- * गाजर, मूली, खीरा न खाएं।
- * अरबी, कचालू, फूलगोभी की सब्जी न खाएं।
0 जानकारी अच्छी लगे तो कृपया एक कमेंट अवश्य करें।:
Post a Comment