फुप्फुसावरण शोथ (प्लूरिसी) Effusion Inflammation (Pleurisy)
फुप्फुसावरण शोथ अर्थात प्लूरिसी में फुप्फसों के आवरण में शोथ की उत्पत्ति होती हैं। शोथ की विकृति के कारण एक या दोनों पाश्वों में जलीय अंश का संचय होता है। जन साधारण में इस रोग को फेफड़ों में पानी भरना भी कहते है।
उत्पत्ति:
अधिक शीतल वातावरण में रहने पर शीतल वायु के प्रकोप से फुप्फुसावरण शोथ की उत्पत्ति होती है। अधिक शीतल जल से स्नान कर, नदी, तालाबों में देर तक तैरने से भी इस रोग की उत्पत्ति हो सकती है। ब्रोंकाइटिस, न्यूमोनिया आदि रोगों के कारण भी इस रोग की उत्पत्ति होती है।
ऋतु परिवर्तन के समय इस रोग की अधिक उत्पत्ति होती है। कई बार जीवाणुओं के संक्रमण से भी यह रोगी होते है। छाती में चोट लगने, रोमांतिका खसरा, जुकाम, रियुमेटिक ज्वर के कारण भी इस रोग की उत्पत्ति होती है।
लक्षण:
फुप्फुसावरण में शोथ होने पर रोगी को प्रारंभ में बहुत ज्यादा सर्दी लगती है। फिर रोगी को ज्वर हो जाता है। पसलियों में तीव्र शूल होता है। तीव्र शूल के कारण रोगी को श्वास लेने में बहुत कठिनाई होती है। रोगी को खांसी होती है। खांसने पर पसलियों में बहुत पीड़ा होती है। रोगी को 100 से 106 फॉरेनहाइट तक ज्वर हो जाता है। कई बार रोगी को शुष्क खांसी होती है। शुष्क खांसी में रोगी को बहुत पीड़ा होती है।
क्या खाए?
- * रोगी को चाय, कॉफी का सेवन कराएं।
- * रोगी को चिकित्सक के परामर्श पर सुपाच्य व तरल खाद्य पदार्थ खाने के लिए दें।
- * अलसी को किसी कपड़े में बांधकर छोटी-सी पोटली बनाकर, उस पोटली को तवे पर गर्म करके पसलियों पर सेंके। पीड़ा कम होती है।
- * बालू (रेत) की पोटली बनाकर, तवे परगर्म करके सेंके।
- * तुलसी के पत्तों का 5 ग्राूम रस निकालकर, हल्का सा गर्म करके सेवन करें।
- * फुप्फुसावरण शोथ में पसलियों में अधिक पीड़ा होने परलहसुन का रस मलने से शूल नष्ट होता है।
- * अधिक कफ विकृति पर 5 काली मिर्च के दाने, 5 मुनक्के के दाने 200 ग्राम जल में देर तक उबालें। 100 ग्राम जल शेष रह जाने पर, छानकर पिएं। कफ सरलता से निकल जाता है।
- * पुनर्नवा की जड़ को थोड़ी सी सोंठ के साथ पीसकर छाती पर लेप करने से शोथ व पीड़ा कम होती है।
क्या न खाएं?
- * शीतल जल व खाद्य पदार्थो का सेवन न करें।
- * रोगी को शीतल वायु के प्रकोप से सुरक्षित रखें।
- * घी, तेल, से बने खाद्य पदार्थों का सेवन न करें।
- * संतरा, अनार, चकोतरा, नीबू, गाजर, मूली, अनन्नास या गन्ने के रस का सेवन न करें।
- * रोगी को अरबी, गोभी, कचालू आदि की सब्जियों का सेवन न कराएं।
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