वमन विकृति (Spew Distortion-Vomiting Distortion)
वमन विकृति कोई रोग नहीं, लेकिन रोग-विकारों के कारण भीषण रूप धारण कर लेता है। वमन विकृति में बार-बार (उल्टी) होने से रोगी परेशान हो जाता है। वमन विकृति की स्थिति में घर से बाहर निकलते हुए भी स्त्री-पुरूषों को भय लगने लगता है कि कहीं रास्ते में वमन न होने लगे।
उत्पत्ति :
विभिन्न रोगों के कारण वमन की विकृति होती है। अधिकतर उदर रोगों में वमन विकृति देखी जाती है। पीलिया, अम्लपित्त, अजीर्ण, आमाशय की विकृति के कारण स्त्री-पुरुषों को वमन होने लगती है। उदर में बड़े-बड़े कीड़े-केंचुए होने पर भी रोगी का जी मिचलाता है और बार-बार वमन होती है। कोष्ठबद्धता (कब्ज) की अधिकता भी वमन विकृति से पीड़ित कर सकती है। यकृत में शोध होने पर भी रोगी को वमन होने लगती है। पेप्टिक अल्सर होने पर भी रोगी को वमन हो सकती है।
स्त्रियों को गर्भावस्था में अधिक वमन होती है। गर्भ के विकास के कारण पाचन क्रिया में बहुत अवरोध होता है और वमन होने लगती है। कुछ खाते-पीते ही वमन होती है। आंत्रपुच्छ शोथ (अपेंडिसाइटिस) रोग में भी रोगी को वमन होती हैं काली खांसी रोग में हर बार खांसी का दौरा उठने के साथ अंत में वमन होती है। वमन के कारण रोगी शारीरिक रूप से बहुत कमजोर हो जाता है।
कुछ स्त्री-पुरूषों व बच्चों को बस, कार व वायुयान में यात्रा करते समय वमन होने लगती हैं दूषित वातावरण में दुर्गंधित वायु के कारण भी वमन हो सकती है। हैजा रोग में बहुत तेजी से वमन होती है।
लक्षणः
वमन विकृति में पहले रोगी का जी मिचलाता है और फिर वमन होने लगती है। वमन के साथ सब खाया-पिया बाहर निकल जाता है। वमन की अधिकता के कारण रोगी घबरा जाता है। कई बार जोरों से खांसी होने के बाद वमन होती है। सड़क चलते, रास्ते में घृणित चज देख लेने पर जी मिचलाने के साथ वमन हो जाती है।
- * पोदीनहरा को जल में मिलाकर पीने से वमन विकृति बंद हाती है।
- * गर्भावस्था में अधिक वमन होने पर प्रातः नीबू के रस को जल में मिलाकर, मिससी या चीनी घोलकर पीने से वमन बंद होती है।
- * नारंगी के छिलकों को छाया में सुखाकर, कूट-पीसकर चूर्ण बना लें। 3 ग्राम चूर्ण मधु के * साथ चाटकर सेवन करने से वमन बंद हो जाती हैं
- * 100 ग्राम जल में 10 ग्राम मधु मिलाकर सेवन करने से वमन नष्ट हो जाती है।
- * अनार के रस में मिसरी पीसकर मिलाकर पीने से वमन बंद हाती है।
- * लौंग को भूनकर चूसकर सेवन करने से वमन का प्रकोप नष्ट होता है। बस व कार में यात्रा करते समय वमन होन पर लौंग चूसने से लाभ होता है।
- * नीबू को काटरक आधे भाग में मिसरी और सेंधा नमनक डालकर चूसने से वमन का निवारण होता है।
- * तुलसी के 5 ग्राम रस में मधु मिलाकर चाटकर खाने से वमन नहीं होती है।
- * हरे धनिये, पोदीने व अनार के दानों की चटनी बनाकर खाने से वमन का प्रकोप नष्ट होता है।
- * 100 ग्राम जल में अमृत धारा की दो बूंदे डालकर धीरे-धीरे पिलाने से वमन बंद होती है।
- * अदरक, प्याज का रस 5-5 ग्राम लेकर, उसमे थोड़ा-सा सेंधा नमक मिलाकर सेवन करने से वमन नहीं होती।
क्या नही खाएं?
- * उष्ण मिर्च-मसाले व अम्लीय रसों से बने खाद्य पदार्थो का सेवन न करे।
- * धूप में बाहर जाने की कोशिश न करें। घर में पंखा चलाकर या एयर कूलर के आगे बैठें।
- * शीत ऋतु में ठंडी वायु के संपर्क से बचकर रहे।
- * मांस, मछली, अंडे व घी-तेल से बने खाद्य पदार्थ सेवन न करें।
- * शीतल वातावरण में बाहर नहीं निकलें। नंगे पांव नहीं रहे।
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