अल्सर (Ulcers)
आधुनकि परिवेश में समय पर भोजन नहीं करने और होटल, रेस्तारां में उष्ण मिर्च-मसालों व अम्लीय रसों से बने खाद्य पदार्थो के अधिक सेवन करने से अम्लता की अधिक मात्रा होने से आमाशय या आंत्रों के प्रारंभिक भाग अर्थात ग्रहणी में व्रण बन जाते है। इन व्रणों के कारण रोगी को तीव्र जलन व पीड़ा होती है। इस विकृति को ‘अल्सर’ के नाम से संबोधित करते हैं।
उत्पत्तिः
आमाशय व ग्रहणी में अनके कारणों से व्रण अर्थात अल्सर की उत्पत्ति होती है। अनियमित और दूषित घी, तेल व मिर्च-मसाले से बना भोजन जल्दी अल्सर की उत्पत्ति करता है। आधुनिक परिवेश में होटल, रेस्तरां व दूसरी पार्टियों में स्त्री-पुरूष शराब का अधिक सेवन करते है। शराब की अधिकता आमाशय व ग्रहणी में व्रण बना देती है।
मानसिक तनाव की अधिकता, धूम्रपान, चाय-कॉफी व फास्ट फूड के अधिक सेवन से उदर में अम्लता का समावेश होने से व्रण विकृति अधिक होती है। चिकित्सा विशेषज्ञों के अनुसार कुछ स्त्री-पुरुष शरीर के किसी अंग में शूल होन पर जब एलोपैथी औषधियों का सेवन बिना कुछ खाए-पिए करते हैं तो आमाशय व ग्रहणी में व्रण बनने की अधिक संभावना रहती है। प्रकृति विरुद्ध व दूषित भोजन भी व्रण उत्पत्ति में बहुत सहायता करता है।
लक्षणः
आमाशय या ग्रहणी में अल्सर होने पर जब देर तक रोगी कुछ नहीं खाता और खाली पेट रहता है, तो तीव्र जलन व पीड़ा होती है। जलन से रोगी बेचैन हो उठता है। नाभि के ऊपर व वक्षस्थल में भी पीड़ा होती है, लेकिन कुछ खा-पी लेने पर जलन व पीड़ा शात हो जाती है। अल्सर के रोगी को वमन की बहुत शिकायत होती है और कई बार वमन होने पर उसमें रक्त भी निकल आता है। रात्रि में बिस्तर पर सोते हुए रोगी को तीव्र जलन व पीड़ा होती है। रोगी शौच के साथ भी रक्त निकलता है।
क्या खाएं?
- * अल्सर के रोगी को उबालकर ठंडा किया दूध पीने से बहत लाभ होता है।
- * अल्सर के रोगी को कोष्ठबद्धता से अधिक हानि होती है। कोष्ठबद्धता को नष्ट करने के लिए रात्रि को दूध में एरंड का तेल मिलाकर पिएं।
- * धीया, तुरई, टिंडे आदि की सब्जी का सेवन करें। सब्जियों में घी का छौंक न लगाएं। मिर्च-मसालें भी सब्जियों में न डालें।
- * गजर के रस का सेवन करें।
- * नारिलय जल पीने से अल्सर की जलन नष्ट होती है।
- * मैनसिल को कांजी के साथ पीसकर, हल्का-सा गर्म करके नाभि के आस-पास लेप करें।
- * जीरा भूनकर, पीसकर तक्रा(मट्ठे) के साथ इस्तेमाल करें।
- * बेलगिरी को छाया में सुखाकर चूर्ण बना लें। 5 ग्राम चूर्ण के साथ सेवन करें।
क्या न खाएं?
- * उष्ण मिर्च-मसाले व अम्लीय रसों से बने खाद्य पदार्थों का सेवन न करें।
- * चाय, कॉफी का सेवन न करें।
- * शराब से अल्सर रोगी को सबसे अधिक हानि होती है।
- * बजार में बिकने वाले खट्टे, चटपटे, चाट-पकौड़े, गोल-गप्पे, दही-भल्ले, समोसे, कचौड़ी, छोले-भठूरे न खाएं।
- * अचार व सिरके से बनी चीजें का सेवन न करें।
- * उष्ण खाद्य पदार्थो का सेवन न करें।
- * अधिक शारीरिक श्रम, अधिक दूर तक पैदल न चलें।
- * भोजन अधिक मात्रा में न करें। थोड़ी-थोड़ी मात्रा में कई बार भोजन करें।
- * आलू, कचालू, अरबी आदि का सेवन न करें।
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