- अगर शौच बार बार आ रहा हो या colitis की समस्या हो तो दूधी चबाएं या फिर इसका सूखा पावडर एक एक चम्मच सवेरे शाम लें.
- पेचिश हो तो ताज़ी दूधी पीसकर जरा सी फिटकरी मिलाकर लें.
- नकसीर आती हो तो सूखी दूधी पीसकर मिश्री मिलाकर लें.
- बच्चों के पेट में कीड़े हों तो इसका रस एक दो चम्मच दें. इससे पेट के कीड़े तो मरेंगे ही शक्ति में भी वृद्धि होगी. आदिवासी ग्रामीणों का तो यहाँ तक मानना है कि दूधी को कान पर लटकाने भर से ही पेट के कीड़े समाप्त हो जाते हैं.
- हरे पीले दस्त भी इसके रस से ठीक हो जाते हैं.
- मधुमेह की बीमारी हो या कमजोरी अधिक हो तो इसका एक-एक चम्मच रस सवेरे शाम लें.
- बाल झड़ते हों तो दूधी के रस के साथ कनेर के पत्तों का रस मलकर बालों की जड़ में लगायें. अकेला दूधी का रस भी लगा सकते हैं.
- लिकोरिया की समस्या हो या गर्भधारण में समस्या आ रही हो तो इसका पावडर नियमित रूप से लें या इसका काढ़ा बनाकर लें.
- खांसी होने पर दूधी +काली मिर्च +तुलसी लें.
- इसके पंचांग (फूल, पत्तियाँ, बीज, छाल और जड़) को छाया में सुखाकर इसके चूर्ण में सम-मात्रा मिश्री मिलाकर 9 ग्राम की मात्रा में दूध के साथ लेने से शुक्र प्रमेह में लाभ होता है.
- इसके पंचांग का चूर्ण, बड़े गोखरू का चूर्ण और श्वेत जीरे का चूर्ण को समभाग मिलाकर उसमे चीनी मिलाकर दिन में तीन बार दूध के साथ लेने से वीर्य में गाढ़ापन आता है.
- पंचांग के कल्क (इसके काढे को औटाकर बनाई गई टिकिया) की 50 ग्राम की टिकिया बनाकर 50 मी.ली तिल के तेल में जलाकर उस तेल से गठियावात में लाभ मिलता है.
- रजोवरोध में इसकी जड़ का चूर्ण 1 ग्राम की मात्रा में देने से लाभ होता है.
RISHI GYAN
26 December 2012 ·
दूधी (Dudhee) Milk Hedge परिचय :
छोटी पहाड़ियों तथा मैदानी भागों में दूधी के अपने आप उत्पन्न हुए क्षुप (झाड़ीनुमा पौधे) पाये जाते हैं। दूधी का एक प्रकार और होता है जिसे सफेद दूधी कहते हैं। रंगों की दृष्टि से छोटी दूधी भी सफेद तथा लाल दो प्रकार की होती है। दूधी की कोमल शाखाओं को तोड़ने से सफेद दूध जैसा पदार्थ निकलता है।
बाहय स्वरूप : छोटी दूधी का क्षुप जमीन पर छत्ते की तरह फैला रहता है। इसकी जड़ से अनेक पतली शाखाएं निकलकर चारों तरफ फैल जाती हैं। लाल दूधी की शाखाएं लाल रंग की तथा सफेद दूधी की शाखाएं सफेद रंग की होती हैं। इसके फूल हरे या गुलाबी गुच्छों में लगते हैं तथा फल और बीज दोनों ही बहुत छोटे होते हैं। बड़ी दूधी का क्षुप 1-2 फुट ऊंचा होता है।
विभिन्न भाषाओं में नाम :
हिन्दी- दूधी, दूधिया घास
अंग्रेजी- मिल्क एडज
संस्कृत- दुग्धिका, नागार्जुनी
हिन्दी- दूधी, दूधिया घास
गुजराती- दुधेली, नानी
पंजाबी- दुधी, दोधक
अरबी- फाशरा
फारसी- शीरेगियाह, शीरक
मराठी- लाहन, नायटी

गुण : दूधी तीखी, मलरोधक, गर्म, भारी, रूक्ष, वातकारक, स्वादिष्ट, वीर्यवर्द्धक, मल व कीड़ों को खत्म करने वाली है।
वर्णन : दूधी का फूल एक हाथ ऊंचा और लंबा होता है। इनके 3 प्रकार हैं। लेकिन छोटी व बड़ी कहकर इससे दो भागों में बांटा गया है। बड़ी लाल रंग की चौड़े पत्ते वाली होती है और इनके पत्ते तोड़ने पर दूध निकलता है। यह जमीन से डेढ़ हाथ तक ऊंचा होता है। इनके पत्ते का रंग हरा होता है। छोटी दूधी के पत्ते छोटे होते हैं। परन्तु जमीन पर छत्ते की तरह फैल जाते हैं। एक अन्य दुधी नुकीले पत्तों वाली होती है।
[1] छोटी दूधी में सलाई को भिगोकर रतौंधी (रात में न दिखाई देना) के रोगी के आंखों में सलाई को अच्छी प्रकार से फिरा देते हैं। कुछ देर बाद आंखों में बहुत तेज दर्द होगा जो 4 घंटे के बाद समाप्त हो जाएगा। ऐसा करने से एक बार में ही रतौंधी का रोग जड़ से चला जाएगा।
[2] दूधी के पंचांग के रस तथा कनेर के पत्तों के रस को मिलाकर सिर के गंजे स्थान पर लगाने से बाल सफेद होना बंद हो जाते हैं तथा गंजापन दूर हो जाता है।
[3] 2 ग्राम दूधी की जड़ को पान में रखकर चूसने से हकलेपन के रोग में लाभ मिलता है।
[4] छाया में सुखाई हुई दूधी में बराबर मात्रा में सेंगरी मिश्री मिलाकर खूब बारीक चूर्ण कर लेते हैं। इसे रोजाना सुबह और शाम 1 चम्मच दूध के साथ लेने से नकसीर तथा गर्मी दूर हो जाती है।
[5] चेहरे के कील-मुंहासे और दाद पर दूधी का दूध लगाने से लाभ होता है।
[6] जब किसी औरत के स्तनों में दूध आना बंद हो जाए तो इसका दूध आधा ग्राम से 1 ग्राम की मात्रा में 10-20 दिन सुबह-शाम पिलाने से स्त्री के स्तनों में दूध की वृद्धि होती है।दूधी के पंचांग (फल, फूल, जड़, तना और पत्ते) का रस निकालकर 10 से 20 बूंदों को लेकर या पंचांग के बारीक चूर्ण को लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग से लेकर लगभग आधा ग्राम की मात्रा में पीने से स्त्री के स्तनों में दूध की वृद्धि होती हैं।
[7] 5 से 10 ग्राम दूधी के पंचांग के काढ़े या रस में 1 चम्मच शहद मिलाकर पीने से दमा का रोग ठीक हो जाता है।
[8] 2 ग्राम दूधी के पत्तों का चूर्ण या बीजों की फंकी देने से बच्चों के अतिसार (दस्त) में लाभ होता है तथा पेट के कीड़े भी मर जाते हैं।
[9] जड सहित 11 पौधे दुध्धी और 11 काली मिर्च पीस कर प्रातः निहार मुख पिलाने से खूनी पेचिस में तुरन्त लाभ होता है ।
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Krishna Malakar very nice.
Good information for dudhi
ReplyDeleteथैंक सर्
ReplyDeleteधन्यवाद श्रीमान जी, इतनी अच्छी जानकारी के लिए।
ReplyDeleteसर दूधी खाली पेट में ले या फिर खाने के बाद
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