
मदार (वानस्पतिक नाम: Calotropis gigantea) एक औषधीय पादप है. इसको मंदार, आक, अर्क और अकौआ भी कहते हैं. इसका वृक्ष छोटा और छत्तादार होता है. पत्ते बरगद के पत्तों समान मोटे होते हैं. हरे सफेदी लिये पत्ते पकने पर पीले रंग के हो जाते हैं. इसका फूल सफेद छोटा छत्तादार होता है. फूल पर रंगीन चित्तियाँ होती हैं. फल आम के तुल्य होते हैं जिनमें रूई होती है. आक की शाखाओं में दूध निकलता है. वह दूध विष का काम देता है. आक गर्मी के दिनों में रेतिली भूमि पर होता है. चौमासे में पानी बरसने पर सूख जाता है.

: http://www.palpalindia.com/2015/02/17/haryali-Figures-plant-Calotropis-gigantea-Medicinal-Plants-news-in-hindi-india-85686.html
- आक का हर अंग दवा है, हर भाग उपयोगी है. यह सूर्य के समान तीक्ष्ण तेजस्वी और पारे के समान उत्तम तथा दिव्य रसायनधर्मा हैं. कहीं-कहीं इसे वानस्पतिक पारद भी कहा गया है.
- आक के पीले पत्ते पर घी चुपड कर सेंक कर अर्क निचोड कर कान में डालने से आधा शिर दर्द जाता रहता है. बहरापन दूर होता है. दाँतों और कान की पीडा शाँत हो जाती है.
- आक के कोमल पत्ते मीठे तेल में जला कर अण्डकोश की सूजन पर बाँधने से सूजन दूर हो जाती है. तथा कडुवे तेल में पत्तों को जला कर गरमी के घाव पर लगाने से घाव अच्छा हो जाता है. एवं पत्तों पर कत्था चूना लगा कर पान समान खाने से दमा रोग दूर हो जाता है. तथा हरा पत्ता पीस कर लेप करने से सूजन पचक जाती है.
- कोमल पत्तों के धूँआ से बवासीर शाँत होती है. कोमल पत्ते खाय तो ताप तिजारी रोग दूर हो जाता है.
- आक के पत्तों को गरम करके बाँधने से चोट अच्छी हो जाती है. सूजन दूर हो जाती है. आक के फूल को जीरा, काली मिर्च के साथ बालक को देने से बालक की खाँसी दूर हो जाती है.
- दूध पीते बालक को माता अपनी दूध में देवे तथा मदार के फल की रूई रूधिर बहने के स्थान पर रखने से रूधिर बहना बन्द हो जाता है. आक का दूध लेकर उसमें काली मिर्च पीस कर भिगोवे फिर उसको प्रतिदिन प्रातः समय मासे भर खाय 9 दिन में कुत्ते का विष शाँत हो जाता है. परंतु कुत्ता काटने के दिन से ही खावे. आक का दूध पाँव के अँगूठे पर लगाने से दुखती हुई आँख अच्छी हो जाती है. बवासीर के मस्सों पर लगाने से मस्से जाते रहते हैं. बर्रे काटे में लगाने से दर्द नहीं होता. चोट पर लगाने से चोट शाँत हो जाती है. जहाँ के बाल उड गये हों वहाँ पर आक का दूध लगाने से बाल उग आते हैं. तलुओं पर लगाने से महिने भर में मृगी रोग दूर हो जाता है. आक के दूध का फाहा लगाने से मुँह का लक्वा सीधा हो जाता है. आक की छाल को पीस कर घी में भूने फिर चोट पर बाँधे तो चोट की सूजन दूर हो जाती है. तथा आक की जड को दूध में औटा कर घी निकाले वह घी खाने से नहरूआँ रोग जाता रहता है.
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- _ इसे हम शिवजी को चढाते है ; अर्थात ये ज़हरीला होता है . इसलिए इसे निश्चित मात्रा में वैद्य की देख रेख में लेना चाहिए .पर कुछ आसान प्रयोग आप कर सकते है -
- अगर किसी को चलती गाडी में उलटी आती हो ( motion sickness ) तो यात्रा पर निकलतेसमय जो स्वर चल रहा हो अर्थात जिस तरफ की श्वास ज़्यादा चल रही हो उस पैर के नीचे आक के पत्ते रखे . यात्रा के दौरान कोई तकलीफ नहीं होगी .
- आक के पीले पड़े पत्तों को घी में गर्म कर उसका रस कान में डालने से कान का दर्द ठीक होता है .
- आक का दूध कभी भी सीधे आँखों पर नहीं लगाना चाहिए . अगर दाई आँख दुःख रही हो तो बाए पैर के नाख़ून और बाई आँख दुःख रही हो तो दाए पैर के नाखूनों को आक के दूध से तर कर दे .
- रुई को आक के दूध औरथोड़े से घी में भिगोकर दांत में रखने से दांतों का दर्द ठीक हो जाता है .
- हिलते हुए दांत पर आक का दूध लगाकर आसानी से निकाला जा सकता है.
- पीले पड़े आक के पत्तों के रस का नस्य लेने से आधा शीशी में लाभ होता है.
- आक की कोपल को सुबह खाली पेट पान के पत्ते में रख चबा कर खाने से 3 से 5 दिनों में पीलिया ठीक हो जाता है .
- सफ़ेद आक की छाया में सुखी जड़ को पीस कर 1-2 ग्राम की मात्रा गाय के दूध के साथ लेने से बाँझपन ठीक होता है. बंद ट्यूब और नाड़ियाँ खुल जाती है ; मासिक धर्म गर्भाशय की गांठों में लाभ होता है.
- पैरों के छाले इसकादूध लगाने से ठीक हो जाते है .
- गठिया में आक के पत्तों को घी लगा कर तवे पर गर्म कर सेकें .
- आक की रुई को वस्त्रों में भर, रजाई तकिये में इस्तेमाल करने से वात रोगों में लाभ मिलता है.
- कोई घाव अगर भर ना रहा हो तो आक की रुई उसमे भर दे और रोज़ बदल दे .
- _ आक के दूध में सामान मात्रा में शहद मिला कर लगाने से दाद में लाभ होता है .आक की जड़ के चूर्ण को दही में मिलाकर लगाना भी दादमें लाभकारी होता है.
- _ आक के पुष्प तोड़ने पर जो दूध निकलता है उसे नारियल तेल में मिलाकर लगाने से खाजदूर होती है .इसके दूध को कडवे तेल में मिलाकर लगाने से भी लाभ होता है .
- _ इसके पत्तों को सुखाकर उसकी पावडर जख्मों पर बुरकने से दूषित मांस दूर हो कर स्वस्थ मांस पैदाहोता है .
- _ आक की मिटटी की टिकिया कीड़े पड़े हुए जख्मों पर बाँधने से कीड़े टिकिया पर आ कर मर जाते है और जख्म धीरे धीरे ठीक हो जाता है .
- _ आक के दूध के शहद के साथ सेवन करने से कुष्ठ रोग थी होता है .आक के पुष्पों का चूर्ण भी इसमें लाभकारी है .
- _ पेट में दर्द होने पर आक के पत्तों पर घी लगा कर गर्म कर सेके .
- _ स्थावर विष पर २-३ ग्राम आक की जड़ को घिस कर दिन में ३-४ बार पिलाए . आक की लकड़ी का 6 ग्राम कोयला मिश्री के साथ लेने से शरीर में जमा पारा भी पेशाब के रास्ते निकल जाताहै .
- _ आक और भी कई रोगों का इलाज करता है पर ये योग वैद्य की सलाह से ही लेने चाहिए .
- _ इसके अर्क प्रयोग से होने वाले हानिकारक प्रभाव को कम करने के लिए दूध और घी का प्रयोग करें.
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आक : भारत की प्रसिद्ध जड़ी बूटी ग्रन्थमाला-1
(http://www.jatland.com/home/Aak)
अस्थमा, ब्लड शुगर और बवासीर में लाभप्रद है मदार का फूल, ऐसे करें प्रयोग
By Atul Modi , ओन्ली माई हैल्थ सम्पादकीय विभाग Aug 11, 2018
अस्थमा: मदार के फूलों को सुखा कर रोजाना इसका चूर्ण खाने से अस्थमा, फेफडों के रोग और शरीर की कमजोरी दूर हो जाती है।
ब्लड शुगर: रोजाना सुबह इस पौधे की पत्तियों को पैर के नीचे रख कर जुराबें डाल लें। रात को सोने से पहले इस पत्ते को निकाल दें। इसका इस्तेमाल शुगर कंट्रोल करने में मदद करता है।
बवासीर: आक का पत्ता और डण्ठल को पानी में भिगो दें। इसे पीने से बवासीर की समस्या हमेशा के लिए दूर हो जाएगी।
लेप्रोसी: लेप्रोसी यानी कुष्ठ रोग में मदार की पत्तियों को पीस कर सरसों के तेल में मिक्स करें। इसे कुष्ठ रोग के घाव पर लगाएं। इसे नियमित रूप से लगाने पर घाव जल्दी भर जाएंगे।
चोट लगना: शरीर के किसी भी हिस्से में चोट लगने पर आक के पत्तों को गर्म करके बांध लें। इससे चोट से खून बहना बंद होने के साथ-साथ दर्द और सूजन भी दूर हो जाएगी।
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एलर्जी: स्किन में एलर्जी या रूखेपन के कारण खुजली की समस्या हो जाती है। इससे छुटकारा पाने के लिए इसकी जड़ को जला लें। इसकी राख को कड़वे तेल में मिलाकर खुजली वाली जगहें पर लगाएं। खुजली की परेशानी दूर हो जाएगी।
https://www.onlymyhealth.com/calotropis-gigantea-plant-benefits-in-hindi-1533907137
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