आपने दिल को आह्लादित करनेवाले गृहवाटीकाओं में लगे सुन्दर सुगन्धित छायादार वृक्ष को अवश्य ही देखा होगा ..इसके वृक्ष के पुष्प इतने सुगन्धित होते हैं क़ि इसक़ी खुशबू फूलों के सूख जाने के बाद भी बनी रहती है ..नाम जानना चाहेंगे आप,इसे मौलसिरी या बकुल के नाम से जाना जाता है I जिसे संस्कृत में चिरपुष्प और अंग्रेजी में बुलेटवूडट्री के नाम से भी जाना जाता है I इसकी पत्तियाँ सघन और जामुन क़ी पत्तियों के सदृश होती हैं I फूल एकाकी या मंजरियों में लगते हैं ...आइये आज हम आपको इसके औषधीय गुणों सहित पहचान एक विडीयो के माध्यम से करा रहे हैं I
- इसकी छाल को पच्चीस से पचास ग्राम की मात्रा में आधा लीटर पानी में उबालकर चतुर्थांश शेष रहने पर प्राप्त काढ़े से कुल्ला करने पर हिलते दांत स्थिर हो जाते हैं I
- इसके फलों को नियमित रूप से चबाने मात्र से दांतों को मजबूती प्राप्त होती है I
-छाल को बारीक पीसकर चूर्ण बनाकर मंजन करने से दांत बज्र के समान मजबूत होते हैं I
-इसकी छाल को पचास से एक सौ ग्राम की मात्रा में ढाई ग्राम पीपल एवं दो चम्मच शहद के साथ समान मात्रा में देशी घी मिलाकर मुख में रखकर चलाने से दाँतों के दर्द में बड़ा आराम मिलता है I
-सूखे फूलों को महीन पाउडर बनाकर इसका नस्य लेने से भी शिरोवेदना शांत हो जाती हैI
- मौलसिरी को आंवले एवंम कपीत्थ (कत्थे ) की छाल के काढ़े से दिन में दस से अधिक बार कुल्ला करने से मुख रोगों में लाभ मिलता हैI
-बच्चों में यदि खांसी परेशान कर रही हो तो इसके फूलों को दस से बीस ग्राम की मात्रा में लगभग आधा लीटर पानी में भिंगोकर रखें और सुबह-शाम पांच से दस ग्राम की मात्रा में बच्चे को तीन से पांच दिन तक इसके पानी को पिलायें ..खांसी में निश्चित लाभ मिलेगा I
-यदि बच्चा कब्ज से परेशान हो तो आप सिर्फ इसके बीजों के अन्दर की मींगनी को पुराने घी के साथ बत्ती बना लें ..अब इस बत्ती को बच्चे के गुदा मार्ग में रखें ..बच्चे में मल के साथ कठोर गाँठ भी बाहर आ जायेगी I
-इसके बीजों को पांच से दस की संख्या में लेकर ठन्डे पानी में पीसकर पिलाने मात्र से अतिसार ठीक हो जाता है I
-मौलिसरी की छाल को पांच से दस ग्राम की मात्रा में लेकर क्वाथ बनाने की विधि से प्रातः सायं खाली पेट पीने से मूत्र से रक्त आना बंद हो जाता है I
-यदि महिलाओं में योनिस्राव जैसी स्थिति हो तो इसकी छाल के चूर्ण को दो से पांच ग्राम की मात्रा में शहद के साथ दिन में दो से तीन बार चिकित्सक के परामर्श से सेवन करने से योनिस्राव ठीक जाता है ...और इसके सेवन से पुरुषों में शुक्रमेह और कटिशूल में भी लाभ मिलता है I
-मौलसिरी के फूलों का अर्क बनाकर पांच से दस बूँद सेवन करने से दिल के धड़कन (पाल्पिटेशन ) में बड़ा लाभ मिलता है I
-जिन स्त्रियों में गर्भ नहीं ठहरता हो ..तो ऐसी स्थिति में इसकी छाल के चूर्ण को पांच से दस ग्राम की मात्रा में लेकर काढा बनाकर दस से पंद्रह मिली खाली पेट सेवन करने से गर्भाशय की शुद्धि होती है और स्त्री गर्भधारण योग्य हो जाती हैं I
-बकुल की छाल को पांच से दस ग्राम की मात्रा में बराबर मात्रा में शक्कर मिलाकर स्त्री को खिलाने से गर्भाशय से निकलने वाला स्राव बंद हो जाता है I
-इसकी छाल को उत्तम व्रण शोधक एवं रोपक के रूप में भी प्रयोग किया जा सकता हैI
तो आपने इस सदाहरित और सुगन्धित फूलों के लिए जाने जानेवाले वृक्ष के औषधीय गुणों को जाना ..आगे हम आपको फिर किसी और वनस्पति को औषधीय गुणों से साक्षात परिचय करायेंगे ..!!
: http://readerblogs.navbharattimes.indiatimes.com/MEREE-BHEE-SUNO/entry/%E0%A4%AE-%E0%A4%B2%E0%A4%B8-%E0%A4%B0-%E0%A4%A6-%E0%A4%A4-%E0%A4%95-%E0%A4%89%E0%A4%A4-%E0%A4%A4%E0%A4%AE-%E0%A4%94%E0%A4%B7%E0%A4%A7-%E0%A4%AF-%E0%A4%B5%E0%A4%A8%E0%A4%B8-%E0%A4%AA%E0%A4%A4
======
अक&29, 2012
मौलसिरीमौलसिरी को बकुल भी कहते है .इस वृक्ष के पत्तें चमकीले हरे और निम्बू की सी सुगंध लिए होते है .पर सबसे सुन्दर इसके फूल होतें है जो सितारों से दिखतें है और ज़मीन पे बिखर जाते है . इन्हें चुनने में बड़ा आनंद आता है . इनकी खुशबु बहुत सुन्
दर होती है . ये फूल सूख कर भी खुशबु देते रहतें है . हमें हरियाली और लैंड स्केपिंग के नाम पर कोई भी वृक्ष ना लगा के आयुर्वेदिक महत्त्व के या सुन्दर फूल या स्वादिष्ट फल देने वाले वृक्ष ही लगाने चाहिए .आइये मौलसिरी के महत्त्व के बारे जाने --
- - इसकी छाल के काढ़े से कुल्ला करने पर हिलते हुए दांत भी मज़बूत हो जाते है .
- - इसकी छाल के चूर्ण से मंजन करने पर दांत वज्र की तरह मज़बूत हो जाते है .
- - इसकी शाखाओं के अग्रिम कोमल भाग का काढा दूध या पानी के साथ लेने से वृद्धावस्था में भी दांत मज़बूत हो जाते है .
- - इसके सूखे फूलों के महीन चूर्ण को नस्य की तरह सूंघने से सिरदर्द उसी वक़्त शांत हो जाता है .
- - इसके फूलों के अर्क के ५-१० बूँद के सेवन से दिल की तेज़ और बेचैन करने वाली धड़कन सामान्य हो जाती है और मस्तिष्क को बल मिलता है .
- - इसके २० २५ ग्राम फूलों को रात भर आधा किलो पानी में भिगोकर रखें और सुबह उसे १०-२० ग्राम की मात्रा में सुबह शाम बच्चों को पिलाने से खांसी मिट जाती है .
- - इसकी छाल के काढ़े से घावों को धोने से खराब हो चुके और गहरे घाव जल्द अच्छे हो जाते हैं .
- - इसकी छाल के काढ़े का सेवन करने से गर्भाशय शुद्ध हो कर जल्द गर्भधारण होता है .
- - इसकी छाल के चूर्ण के शहद के साथ सेवन करने से कटिशूल नष्ट होता है और धातु क्षीणता दूर होती है.
: http://naturethehealth.blogspot.in/2012/10/blog-post_9513.html
============
0 जानकारी अच्छी लगे तो कृपया एक कमेंट अवश्य करें।:
Post a Comment