Online Dr. P.L. Meena (डॉ. पुरुषोत्तम लाल मीणा)

Health Care Friend and Marital Dispute Consultant

(स्वास्थ्य रक्षक सक्षा एवं दाम्पत्य विवाद सलाहकार)

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अमरूद-Guava

अमरूद : शॉर्ट नोट्स

चेतावनी - अमरूद का सेवन कभी भी सुबह खाली पेट न करें।
1. अमरूद की तासीर ठंडी होती है.
2. अमरूद में विटामिन सी की पर्याप्त मात्रा होती है।
3. अमरूद की पत्त‍ियों को पीसकर उसका पेस्ट बनाकर आंखों के नीचे लगाने से काले घेरे और सूजन कम हो जाती है.
4. मुंह से दुर्गंध आती है तो अमरूद की कोमल पत्त‍ियों को चबाना आपके लिए फायदेमंद रहेगा. इसके अलावा इसे चबाने से दांतों का दर्द भी कम हो जाता है.
5. अमरूद मेटाबॉलिज्‍म को सही रखता है, जिससे शरीर में कोलेस्‍ट्रॉल का स्‍तर नियंत्रित रहता है.
6. अमरूद में फाइबर की मात्रा बहुत अधिक होती है, इसलिए यह डायबिटिज के मरीजों के लिए बहुत अच्‍छा होता है.
7. रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है।


8. अमरूद के पत्ते : 
  • (1) कच्चे अमरूद का रस या फिर अमरूद की पत्तियों का काढ़ा फेफड़ों में मौजूद कफ को बाहर निकालता है। 
  • (2) अमरूद के पत्तों की पुल्टिस (पोटली) बनाकर आंखों पर बांधने से आंखों की सूजन, आंखे लाल होना और आंखों में दर्द करना आदि रोग दूर होते हैं।
  • (3) अमरूद के पत्तों को चबाने से दांतों की पीड़ा दूर होती है। मसूढ़ों में दर्द, सूजन और आंतों में दर्द होने पर अमरूद के पत्तों को उबालकर गुनगुने पानी से कुल्ले करें।
  • (4) 2-4 अमरूद खाने से अथवा अमरूद के पत्तों का 25 ग्राम रस पीने से भांग का नशा उतर जाता है।
  • (5) अमरूद के पत्तों के रस या टिंचर को बच्चों की रीढ़ की हड्डी पर मालिश करने से उनका आक्षेप का रोग दूर हो जाता है।
  • (6) अमरूद की छाल व इसके कोमल पत्तों का 20 मिलीलीटर क्वाथ पिलाने से हैजे की प्रारिम्भक अवस्था में लाभ होता है।
  • (7) गठिया के दर्द को सही करने के लिए अमरूद की 5-6 नई पत्तियों को पीसकर उसमें जरा-सा काला नमक डालकर प्रतिदिन सेवन करने से रोगी को लाभ मिलता है।
  • (8) अमरूद की थोड़ी सी पत्तियों को लेकर पानी में उबालकर पीस लें। इस लेप को फुंसियों पर लगाने से लाभ होता है।


9. अमरूद में पाए जाने वाले तत्व :

  • (1) अमरूद में विटामिन ए, बी-3, बी-6, बी-9, सी, ई और के होते हैं।
  • (2) अमरूद में संतरे से चार गुना ज्यादा विटामिन सी होता है, जो आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता यानि इम्युनिटी पॉवर बढ़ाता है। साथ ही कॉमन इन्फैक्शन्स और बीमारियों से बचाता है।
  • (3) अमरूद में विटामिन बी-3 और बी-6 होता है, जिसके कारण ब्रेन में ब्लड सर्कुलेशन इम्प्रूव होता है। मेमोरी पावर बढ़ती है और नर्व्स रिलैक्स होती हैं।
  • (4) अमरूद विटामिन-के का भी बढ़िया सोर्स है, जिसके कारण स्किन डिस्कलरेशन, डार्क सर्किल्स, रेडनेस और एक्ने जैसी समस्याओं से निजात मिलती है।
  • (5) अमरूद में बीटा कैरोटीन, लाइकोपीन नामक फाइटो न्‍यूट्र‍िएंट्स, मिनरल्‍स, पोटैशियम और मैग्‍नीशियम। क्रोटेन और लायकोपीन जैसे एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर होता है। ये सभी स्किन को झुर्रियों और फाइन लाइन्स से बचाते हैं।

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अमरूद एक विवेचन : अमरूद की तासीर ठंडी होती है। ये पेट की बहुत सी बीमारियों का रामबाण इलाज है। अमरूद के सेवन से कब्ज की समस्या दूर हो जाती है। इसके बीजों का सेवन करना भी स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद होता है। अमरूद में विटामिन सी की पर्याप्त मात्रा होती है, जिससे अनेक बीमारियों में फायदा होता है।

पाचन क्रिया : अमरूद को काले नमक के साथ खाने से पाचन संबंधी समस्या दूर हो जाती है। पाचन क्रिया के लिए ये बेहतरीन फल है।

पेट दर्द में :
  • -अमरूद के पेड़ की पत्तियों को बारीक पीसकर काले नमक के साथ चाटने से लाभ होता है।
  • -अमरूद के फल की फुगनी (अमरूद के फल के नीचे वाले छोटे पत्ते) में थोड़ा-सी मात्रा में सेंधानमक को मिलाकर गुनगुने पानी के साथ पीने से पेट में दर्द समाप्त होता है।
  • -अमरूद के पेड़ के कोमल 50 ग्राम पत्तों को पीसकर पानी में मिलाकर छानकर पीने से लाभ होगा।
  • -नमक के साथ पके अमरूद खाने से आराम मिलता है।
  • -यदि पेट दर्द की शिकायत हो तो अमरूद की कोमल पित्तयों को पीसकर पानी में मिलाकर पीने से आराम होता है। 
कब्‍ज : 
  • -100 ग्राम अमरूद में विटामिन-सी लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग से लगभग आधा ग्राम तक होता है। यह हृदय को बल देता है। अमरूद खाने से आंतों में तरावट आती है। कब्ज से ग्रस्त रोगियों को नाश्ते में अमरूद लेना चाहिए। पुरानी कब्ज के रोगियों को सुबह-शाम अमरूद खाना चाहिए। इससे दस्त साफ आएगा, अजीर्ण और गैस दूर होगी। अमरूद को सेंधा नमक के साथ खाने से पाचन शक्ति बढ़ती है। 
  • -अपच, अग्निमान्द्य और अफारा के लिए अमरूद बहुत ही उत्तम औषधि है। इन रोगों से पीड़ित व्यक्तियों को 250 ग्राम अमरूद भोजन करने के बाद खाना चाहिए। जिन लोगों को कब्ज न हो तो उन्हें खाना खाने से पहले खाना चाहिए।
  • -4 सप्ताह तक नित्य प्रति दोपहर में 250 ग्राम अमरूद खाएं। इससे पेट साफ होगा, बढ़ी हुई गर्मी दूर होगी, रक्त साफ होगा और फोड़े-फुन्सी, खाज-खुजली ठीक हो जाएगी। 
  • -अमरूद खाने से या अमरूद के साथ किशमिश के खाने से कब्ज़ की शिकायत नहीं रहती है।
  • -250 ग्राम अमरूद खाकर ऊपर से गर्म दूध पीने से कब्ज दूर होती है। 
  • -अमरूद को कुछ दिनों तक नियमित सेवन करने से 3-4 दिन में ही मलशुद्धि होने लग जाती है। कोष्ठबद्धता मिटती है एवं कब्जियत के कारण होने वाला आंखों की जलन और सिर दर्द भी दूर होता है। 
  • -अमरूद का नियमित सेवन करने से कब्‍ज की समस्‍या में राहत मिलती है. अगर आपको कब्ज की समस्या है तो सुबह खाली पेट पका हुआ अमरूद खाना फायदेमंद रहता है।
  • -अमरूद दूसरे फलों की तुलना में डायटरी फाइबर का एक बढ़िया सोर्स है। ये आपकी डेली फाइबर नीड्स का 12 फीसदी पूरा करता है। यही कारण है कि आपके डायजेशन के लिए ये किसी रामबाण दवा से कम नहीं है। अमरूद के बीज बढ़िया जुलाब का काम करते हैं और इनसे आंतों की सफाई हो जाती है।
  • -अमरूद के कोमल पत्तों के 10 ग्राम रस में थोड़ी शक्कर मिलाकर प्रतिदिन केवल एक बार सुबह सेवन करने से 7 दिन में अजीर्ण (पुरानी कब्ज) में लाभ होता है। 
  • -अमरूद को नाश्ते के समय कालीमिर्च, कालानमक, अदरक के साथ खाने से अजीर्ण, गैस, अफारा (पेट फूलना) की तकलीफ दूर होकर भूख बढ़ जाएगी। नाश्ते में अमरूद का सेवन करें। सख्त कब्ज में सुबह-शाम अमरूद खाएं।
  • -अमरूद खाने से आंतों में तरावट आती है और कब्ज दूर हो जाता है। इसे खाना खाने से पहले ही खाना चाहिए, क्योंकि खाना खाने के बाद खाने से कब्ज करता है। कब्ज वालों को सुबह के समय नाश्ते में अमरूद लेना चाहिए। पुरानी कब्ज के रोगियों को सुबह और शाम अमरूद खाना चाहिए। इससे पेट साफ हो जाता है। 
पेट के कीड़े :
  • -अगर आपके बच्चों के पेट में कीड़े पड़ गए हैं तो अमरूद का सेवन करना उनके लिए फायदेमंद होगा।
पोषक एवं बलवर्धक :
  • -शक्ति (ताकत) और वीर्य की वृद्धि के लिए : अच्छी तरह पके नरम, मीठे अमरूदों को मसलकर दूध में फेंट लें और फिर छानकर इनके बीज निकाल लें। आवश्यकतानुसार शक्कर मिलाकर सुबह नियमित रूप से 21 दिन सेवन करना धातुवर्द्धक होता है।
  • -डीएनए को सुधारे : अमरूद में पाया जाने वाला विटामिन बी-9 शरीर की कोशिकाओं और डीएनए को सुधारने का काम करता है।
  • -हाई एनर्जी फ्रूट : अमरूद हाई एनर्जी फ्रूट है जिसमें भरपूर मात्रा में विटामिन और मिनरल्‍स पाए जाते हैं. ये तत्व हमारे शरीर के लिए बहुत जरूरी होते हैं.
  • -एंटी एजिंग प्रापर्टीज -अमरूद विटामिन ए और विटामिन सी के अलावा क्रोटेन और लायकोपीन जैसे एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर होता है। ये सभी स्किन को झुर्रियों और फाइन लाइन्स से बचाते हैं।
  • -विटामिन ए और ई : अमरूद में पाया जाने वाला विटामिन ए और ई आंखों, बालों और त्‍वचा को पोषण देता है.
  • -विटामिन सी : कच्‍चे अमरूद में पके अमरूद की अपेक्षा विटामिन सी अधिक पाया जाता है. इसलिए कच्‍चा अमरूद खाना ज्‍यादा फायदेमंद होता है.
  • -इम्युनिटी बूस्टर-अमरूद विटामिन सी का सबसे अच्छा सोर्स है। अमरूद में संतरे से चार गुना ज्यादा विटामिन सी होता है, जो आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता यानि इम्युनिटी पॉवर बढ़ाता है। साथ ही कॉमन इन्फैक्शन्स और बीमारियों से बचाता है। 
  • -मजबूत करे इम्‍यूनिटी : अगर आप अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाना चाहते हैं तो अमरूद का सेवन करना बहुत फायदेमंद होगा.
  • -ब्रेन के लिए फायदेमंद -अमरूद में विटामिन बी-3 और बी-6 होता है, जिसके कारण ब्रेन में ब्लड सर्कुलेशन इम्प्रूव होता है। मेमोरी पावर बढ़ती है और नर्व्स रिलैक्स होती हैं।
आंखरोग :
  • -अमरूद के पत्तों की पुल्टिस (पोटली) बनाकर आंखों पर बांधने से आंखों की सूजन, आंखे लाल होना और आंखों में दर्द करना आदि रोग दूर होते हैं।
  • -काले घेरे : अमरूद की पत्त‍ियों को पीसकर उसका पेस्ट बनाकर आंखों के नीचे लगाने से काले घेरे और सूजन कम हो जाती है.
  • -रोशनी बढ़ाता है-अमरूद में विटामिन ए होता है, जिसके कारण ये आंखों की रोशनी के लिए बूस्टर का काम करता है। अमरूद खाने से न केवल आईसाइट बेहतर होती है,बल्कि ये आंखों में होने वाली मोतियाबिंद और मस्कुलर डिकंजेशन जैसी बीमारियों से भी बचाता है।
  • -अमरूद के पत्तों की पोटली बनाकर रात को सोते समय आंख पर बांधने से आंखों का दर्द ठीक हो जाता है। आंखों की लालिमा, आंख की सूजन और वेदना तुरंत मिट जाती है।
चर्म रोग :
  • -स्किन केयर : अमरूद में बीटा कैरोटीन होता है जो शरीर को त्‍वचा संबंधी बीमारियों से बचाता है। 
  • -पित्त : अगर किसी को पित्त की समस्या हो जाए तो उसके लिए भी अमरूद का सेवन करना फायदेमंद होता है। 
  • -4 सप्ताह तक नित्य प्रति दोपहर में 250 ग्राम अमरूद खाएं। इससे पेट साफ होगा, बढ़ी हुई गर्मी दूर होगी, रक्त साफ होगा और फोड़े-फुन्सी, खाज-खुजली ठीक हो जाएगी। 
  • -फोड़े-फुंसियों के लिए :- अमरूद की थोड़ी सी पत्तियों को लेकर पानी में उबालकर पीस लें। इस लेप को फुंसियों पर लगाने से लाभ होता है।
मुंह के रोग :
  • -छाले : फल के साथ ही अमरूद की पत्तियों का सेवन मुंह के छालों को दूर करने में कारगर होता है.
  • -रोजाना भोजन करने के बाद अमरूद का सेवन करने से छाले में आराम मिलता है। 
  • -अमरूद के पत्तों में कत्था मिलाकर पान की तरह चबाने से मुंह के छाले ठीक हो जाते हैं।"
  • -दुर्गंध : अगर आपके मुंह से दुर्गंध आती है तो अमरूद की कोमल पत्त‍ियों को चबाना आपके लिए फायदेमंद रहेगा. इसके अलावा इसे चबाने से दांतों का दर्द भी कम हो जाता है.
फेंफड़ों के रोग :
सर्दी-जुकाम : 
  • -अमरूद के नियमित सेवन से सर्दी जुकाम जैसी समस्‍याओं के होने का खतरा कम हो जाता है। 
  • -सिर्फ 3 दिन तक लगातार अमरूद खाने से पुरानी सर्दी और जुकाम दूर हो जाती है। लंबे समय से रुके हुए जुकाम में रोगी को एक अच्छा बड़ा अमरूद के अंदर से बीजों को निकालकर रोगी को खिला दें और ऊपर से ताजा पानी नाक बंद करके पीने को दें। 2-3 दिन में ही रुका हुआ जुकाम बहार साफ हो जायेगा।
  • -2-3 दिन बाद अगर नाक का बहना रोकना हो तो 50 ग्राम गुड़ रात में बिना पानी पीयें खा लें।
  • -3 दिनों तक केवल अमरूद खाकर रहने से बहुत पुरानी सर्दी की शिकायत दूर हो जाती है। 
सूखी खांसी :
  • गर्म रेत में अमरूद को भूनकर खाने से सूखी, कफयुक्त और काली खांसी में आराम मिलता है। यह प्रयोग दिन में तीन बार करें। 
  • एक बड़ा अमरूद लेकर उसके गूदे को निकालकर अमरूद के अंदर थोड़ी-सी जगह बनाकर अमरूद में पिसी हुई अजवायन तथा पिसा हुआ कालानमक 6-6 ग्राम की मात्रा में भर देते हैं। इसके बाद अमरूद में कपड़ा भरकर ऊपर से मिट्टी चढ़ाकर तेज गर्म उपले की राख में भूने, अमरूद के भुन जाने पर मिट्टी और कपड़ा हटाकर अमरूद पीसकर छान लेते हैं। इसे आधा-आधा ग्राम शहद में मिलाकर सुबह-शाम मिलाकर चाटने से सूखी खांसी में लाभ होता है।
कुकर खांसी, काली खांसी (हूपिंग कफ) : 
  • -एक अमरूद को गर्म बालू या राख में सेंककर सुबह-शाम 2 बार खाने से काली खांसी ठीक हो जाती है।
  • -छोटे बच्चों को अमरूद पीसकर अथवा पानी में घोलकर पिलाना चाहिए।
  • -अमरूद पर नमक और कालीमिर्च लगाकर खाने से कफ निकल जाती है।
  • -एक कच्चे अमरूद को लेकर चाकू से कुरेदकर उसका थोड़ा-सा गूदा निकाल लेते हैं। फिर इस अमरूद में पिसी हुई अजवायन तथा पिसा हुआ कालानमक 6-6 ग्राम की मात्रा में लेकर भर देते हैं। इसके बाद अमरूद पर कपड़ा लपेटकर उसमें गीली मिट्टी का लेप चढ़ाकर आग में भून लेते हैं। पकने के बाद इसके ऊपर से मिट्टी और कपड़ा हटाकर अमरूद को पीस लेते हैं। इसे आधा-आधा ग्राम की मात्रा में शहद के साथ मिलाकर सुबह-शाम रोगी को चटाने से काली खांसी में लाभ होता है।
खांसी और कफ विकार :
  • -यदि सूखी खांसी हो और कफ न निकलता हो तो, सुबह ही सुबह ताजे एक अमरूद को तोड़कर, चाकू की सहायता के बिना चबा-चबाकर खाने से खांसी 2-3 दिन में ही दम तोड़ देती है। 
  • -अमरूद का रस भवक यन्त्र द्वारा निकालकर उसमें शहद मिलाकर पीने से भी सूखी खांसी में लाभ होता है। 
  • -यदि बलगम खूब पड़ता हो और खांसी अधिक हो, दस्त साफ न हो हल्का बुखार भी हो तो अच्छे ताजे मीठे अमरूदों को अपनी इच्छानुसार खायें। 
  • -यदि जुकाम की साधारण खांसी हो तो अधपके अमरूद को आग में भूनकर उसमें नमक लगाकर खाने से लाभ होता है। 

दांत के रोग :
  • -दांत दर्द दूर करती हैं अमरूद की पत्तियां-अमरूद की पत्तियों में एंटी इन्फ्लेमेटरी और एंटी बैक्टीरियल क्वालिटी होती है, जो दांतों का इन्फेक्शन दूर करने और कीड़े मारने में काफी हेल्पफुल हैं।
  • -अमरूद के पत्तों को दांतों से चबाने से आराम मिलेगा। 
  • -अमरूद के पत्तों को चबाने से दांतों की पीड़ा दूर होती है। मसूढ़ों में दर्द, सूजन और आंतों में दर्द होने पर अमरूद के पत्तों को उबालकर गुनगुने पानी से कुल्ले करें।
  • -अमरूद की पत्तियां दांत दर्द के इलाज की बढ़िया घरेलू दवा हैं। इसकी पत्तियों के रस से दांत और दाढ़ की मालिश करने से काफी फायदा होता है।
  • -अमरूद की कोमल पत्तियों को चबाने से दांतों की पीड़ा (दर्द) नष्ट हो जाती है। 
  • -अमरूद के पत्तों को जल में उबाल लें। इसे जल में फिटकरी घोलकर कुल्ले करने से दांतों की पीड़ा (दर्द) नष्ट हो जाती है।

सिर दर्द :
आधाशीशी (आधे सिर का दर्द) :

  • आधे सिर के दर्द में कच्चे अमरूद को सुबह पीसकर लेप बनाएं और उसे मस्तक पर लगाएं। 
  • सूर्योदय के पूर्व ही सवेरे हरे कच्चे अमरूद को पत्थर पर घिसकर जहां दर्द होता है, वहां खूब अच्छी तरह लेप कर देने से सिर दर्द नहीं उठने पाता, अगर दर्द शुरू हो गया हो तो शांत हो जाता है। यह प्रयोग दिन में 3-4 बार करना चाहिए।
बूखार-ज्वर-वायरल :

  • मलेरिया : मलेरिया बुखार में अमरूद का सेवन लाभकारी है। नियमित सेवन से तिजारा और चौथिया ज्वर में भी आराम मिलता है।
  • बुखार : अमरूद और सेब का रस पीने से बुखार उतर जाता है। 
  • वायरल : वायरल काे दूर करता है -दूसरे फलों की तुलना में अमरूद में काफी मात्रा में विटामिन सी और आयरन होता है। ये दोनों वायरल इन्फेक्शन से बचाते हैं। कच्चे अमरूद का रस या फिर अमरूद की पत्तियों का काढ़ा फेफड़ों में मौजूद कफ को बाहर निकालता है।
भांग का नशा :

  • 2-4 अमरूद खाने से अथवा अमरूद के पत्तों का 25 ग्राम रस पीने से भांग का नशा उतर जाता है। 
  • मानसिक उन्माद (पागलपन) :-
  • सुबह खाली पेट पके अमरूद चबा-चबाकर खाने से मानसिक चिंताओं का भार कम होकर धीरे-धीरे पागलपन के लक्षण दूर हो जाते हैं और शरीर की गर्मी निकल जाती है। 
  • 250 ग्राम इलाहाबादी मीठे अमरूद को रोजाना सुबह और शाम को 5 बजे नींबू, कालीमिर्च और नमक स्वाद के अनुसार अमरूद पर डालकर खा सकते हैं। इस तरह खाने से दिमाग की मांस-पेशियों को शक्ति मिलती है, गर्मी निकल जाती है, और पागलपन दूर हो जाता है। दिमागी चिंताएं अमरूद खाने से खत्म हो जाती हैं। 
गुदा रोग :
गुदाभ्रंश (गुदा से कांच का निकलना) :
  • -बच्चों के गुदभ्रंश रोग पर इसकी जड़ की छाल का काढ़ा गाढ़ा-गाढ़ा लेप करने से लाभ होता है। 
  • -तीव्र अतिसार में गुदाभ्रंश होने पर अमरूद के पत्तों की पोटली बनाकर बांधने से सूजन कम हो जाती है और गुदा अंदर बैठ जाता है। 
  • -अमरूद के पेड़ की छाल 50 ग्राम, अमरूद की जड़ 50 ग्राम और अमरूद के पत्ते 50 ग्राम को मिलाकर कूटकर 400 ग्राम पानी में मिलाकर उबाल लें। आधा पानी शेष रहने पर छानकर गुदा को धोऐं। इससे गुदाभ्रंश (कांच निकलना) ठीक होता है।
  • -अमरूद के पत्तों को पसकर इसके लुगदी (पेस्ट) गुदा को अंदर कर मलद्वार पर बांधने से गुदा बाहर नहीं निकलता है।
  • -आंतरिक प्रयोग के लिए अमरूद और नागकेशर दोनों को महीन पीसकर उड़द के समान गोलियां बनाकर देनी चाहिए। 
  • -अमरूद के पेड़ की छाल, जड़ और पत्ते, बराबर-बराबर 250 ग्राम लेकर पीसकर रख लें तथा 1 किलो पानी में उबालें, जब आधा पानी शेष रह जायें, तब इस काढ़े से गुदा को बार-बार धोना चाहिए और उसे अंदर धकेलें। इससे गुदा अंदर चली जायेगी। 
बवासीर (पाइल्स) :

  • कुछ दिनों तक रोजाना सुबह खाली पेट 250 ग्राम अमरूद खाने से बवासीर ठीक हो जाती है। बवासीर को दूर करने के लिए सुबह खाली पेट अमरूद खाना उत्तम है।
  • मल-त्याग करते समय बांयें पैर पर जोर देकर बैठें। इस प्रयोग से बवासीर नहीं होती है और मल साफ आता है।
  • सुबह खाली पेट 200-300 ग्राम अमरूद नियमित रूप से सेवन करने से बवासीर में लाभ मिलता है।
  • पके अमरुद खाने से पेट का कब्ज खत्म होता है, जिससे बवासीर रोग दूर हो जाता है।
हृदय रोग :
  • दिल का साथी : अमरूद में मौजूद पोटैशियम और मैग्‍नीशियम दिल और मांसपेशियों को दुरुस्‍त रखकर उन्‍हें कई बीमारियों से बचाता है.
  • कोलेस्‍ट्रॉल : अमरूद मेटाबॉलिज्‍म को सही रखता है जिससे शरीर में कोलेस्‍ट्रॉल का स्‍तर नियंत्रित रहता है.
  • अमरूद के फलों के बीज निकालकर बारीक-बारीक काटकर शक्कर के साथ धीमी आंच पर बनाई हुई चटनी हृदय के लिए अत्यंत हितकारी होती है तथा कब्ज को भी दूर करती है। 
  • अमरूद को कुचलकर उसका आधा कप रस निकाल लें। उसमें थोड़ा-सा नींबू का रस डालकर पी जाए। 
  • अमरूद में विटामिन-सी होता है। यह हृदय में नई शक्ति देकर शरीर में स्फूर्ति पैदा करता है। इसे दमा व खांसी वाले न खायें।
विविध उपयोग :
कोलेस्‍ट्रॉल : अमरूद मेटाबॉलिज्‍म को सही रखता है जिससे शरीर में कोलेस्‍ट्रॉल का स्‍तर नियंत्रित रहता है.
थायरॉइड : नॉर्मल थायरॉइड में भी डॉक्‍टर अमरूद खाने की सलाह देते हैं.
कैंसर से बचाव : अमरूद में मौजूद लाइकोपीन नामक फाइटो न्‍यूट्र‍िएंट्स शरीर को कैंसर और ट्यूमर के खतरे से बचाने में सहायक होते हैं.
वजन कम करने में मददगार-अमरूद प्रोटीन, विटामिन और फाइबर इनटेक से समझौता किए बगैर आपका मेटाबॉलिज्म बढ़ाता है और वजन घटाने में मदद करता है। अमरूद खाने के बाद पेट भी भर जाता है और कैलोरी इनटेक भी कम होता है। कच्चे अमरूद में केला, एप्पल, ऑरेंज और ग्रेप जैसे दूसरे फलों के मुकाबले काफी कम शुगर होती है।
डायबिटिज : अमरूद में फाइबर की मात्रा बहुत अधिक होती है, इसलिए यह डायबिटिज के मरीजों के लिए बहुत अच्‍छा होता है।
डायबिटीज से बचाता है : अमरूद में रिच फाइबर कंटेंट और लो ग्लायसेमिक इंडेक्स होने के कारण ये डायबिटीज से बचाता है। लो ग्लायसेमिक इंडेक्स अचानक शुगर लेवल बढ़ने से रोकता है, वहीं फाइबर्स के कारण शुगर अच्छे से रेगुलेट होती रहती है।
मधुमेह के रोग : पके अमरूद को आग में डालकर उसे निकाल लें, और उसका भरता बना लें, उसमें अवश्कतानुसार नमक, कालीमिर्च, जीरा, मिलाकर सेवन करें। इससे मधुमेह रोग से लाभ होता है।
रंग निखारता है -अमरूद आपकी त्वचा की खोई हुई रंगत और ताजगी वापस लाने में मदद करता है। पके हुए अमरूद के गूदे को चेहरे पर लगाने से वो त्वचा के लिए नेचुरल स्क्रब का काम करता है, डेड स्किन को निकालता है और आपका रंग साफ करता है। अमरूद विटामिन-के का भी बढ़िया सोर्स है जिसके कारण स्किन डिस्कलरेशन, डार्क सर्किल्स, रेडनेस और एक्ने जैसी समस्याओं से निजात मिलती है।
अतिसार (दस्त) :
बच्चे का पुराना अतिसार मिटाने के लिए इसकी 15 ग्राम जड़ को 150 ग्राम पानी में ओटाकर, जब आधा पानी शेष रह जाये तो 6-6 ग्राम तक दिन में 2-3 बार पिलाना चाहिए। 
कच्चे अमरूद के फल उबालकर खिलाने से भी अतिसार मिटता है। 


अमरूद की छाल व इसके कोमल पत्तों का 20 मिलीलीटर क्वाथ पिलाने से हैजे की प्रारिम्भक अवस्था में लाभ होता है।
दस्त : अमरूद के पेड़ की कोमल नई पत्तियों को पानी में उबालकर, छानकर थोड़ी-थोड़ी-सी मात्रा में पकाकर पीने से अतिसार का आना रुक जाता है। 
अमरूद में मिश्री डालकर या अमरूद और मिश्री का सेवन करने से दस्त का आना बंद हो जाता हैं। 


अमरूद के पेड़ की 10 पत्तियां, नींबू की 2 पत्तियां, तुलसी की 3 पत्तियों को बराबर मात्रा में लेकर एक कप पानी में डालकर काढ़ा बनाकर पीने से राहत मिलती है।
प्रवाहिका : अमरूद का मुरब्बा प्रवाहिका एवं अतिसार में लाभदायक है।
पुराने दस्त : अमरूद की कोमल पित्तयां उबालकर पीने से पुराने दस्तों का रोग ठीक हो जाता है। दस्तों में आंव आती रहे, आंतों में सूजन आ जाए, घाव हो जाए तो 2-3 महीने लगातार 250 ग्राम अमरूद रोजाना खाते रहने से दस्तों में लाभ होता है। अमरूद में-टैनिक एसिड होता है, जिसका प्रधान काम घाव भरना है। इससे आंतों के घाव भरकर आंते स्वस्थ हो जाती हैं। 
मस्तिष्क विकार : अमरूद के पत्तों का फांट मस्तिष्क विकार, वृक्क प्रवाह और शारीरिक एवं मानसिक विकारों में प्रयोग किया जाता है।
आक्षेपरोग : अमरूद के पत्तों के रस या टिंचर को बच्चों की रीढ़ की हड्डी पर मालिश करने से उनका आक्षेप का रोग दूर हो जाता है। 
वमन (उल्टी) : अमरूद के पत्तों के 10 ग्राम काढ़े को पिलाने से वमन या उल्टी बंद हो जाती है। 
तृष्ण (अधिक प्यास लगना) : अमरूद के छोटे-छोटे टुकड़े काटकर पानी में डाल दें। कुछ देर बाद इस पानी को पीने से मधुमेह (शूगर) या बहुमूत्र रोग के कारण तृष्ण में उत्तम लाभ होता है। 
घुटनों के दर्द में : अमरूद के कोमल पत्तों को पीसकर गठिया के वेदना युक्त स्थानों पर लेप करने से लाभ होता है।
विदाह (पित्त की जलन) में : अमरूद के बीज निकालकर पीसकर गुलाब जल और मिसरी मिला कर पीने से अत्यंत बढ़े हुए पित्त और विदाह की शांति होती है।
भांग या धतूरे का नशा : अमरूद के पत्तों के स्वरस को भरपेट पिलाने से या अमरूद खाने से भांग, धतूरा आदि का नशा दूर हो जाता है।
पेट की गैस बनना : अदरक का रस एक चम्मच, नींबू का रस का आधा चम्मच और शहद को डालकर खाने से पेट की गैस में धीरे-धीरे लाभ होता हैं।
मुंह का रोग : मुंह के रोग में जौ, अमरूद के पत्ते एवं बबूल के पत्ते। इस सबको जलाकर इसके धुंए को मुंह में भरने से गला ठीक होता है तथा मुंह के दाने नष्ट होते हैं।
अग्निमान्द्यता (अपच) के लिए : अमरूद के पेड़ की 2 पत्तियों को चबाकर पानी के साथ सेवन करने से आराम होता हैं।
प्यास अधिक लगना : अमरूद, लीची, शहतूत व खीरा खाने से प्यास का अधिक लगना बंद हो जाता है।
योनि की जलन और खुजली : अमरूद के पेड़ की जड़ को पीसकर 25 ग्राम की मात्रा में लेकर 300 ग्राम पानी में डालकर पका लें, फिर इसी पानी को साफ कपड़े की मदद से योनि को साफ करने से योनि में होने वाली खुजली समाप्त हो जाती है।
गठिया रोग : गठिया के दर्द को सही करने के लिए अमरूद की 5-6 नई पत्तियों को पीसकर उसमें जरा-सा काला नमक डालकर प्रतिदिन सेवन करने से रोगी को लाभ मिलता है।

अमरूद का मुरब्बा : अच्छी किस्म के तरोताजा बड़े-बड़े अमरूद लेकर उसके छिलकों को निकालकर टुकड़े कर लें और धीमी आग पर पानी में उबालें। जब अमरूद आधे पककर नरम हो जाएं, तब नीचे उतारकर कपड़े में डालकर पानी निकाल लें। उसके बाद उससे 3 गुना शक्कर लेकर उसकी चासनी बनायें और अमरूद के टुकड़े उसमें डाल दें। फिर उसमें इलायची के दानों का चूर्ण और केसर इच्छानुसार डालकर मुरब्बा बनायें। ठंडा होने पर इस मुरब्बे को चीनी-मिट्टी के बर्तन में भरकर, उसका मुंह बंद करके थोड़े दिन तक रख छोड़े। यह मुरब्बा 20-25 ग्राम की मात्रा में रोजाना खाने से कोष्ठबद्धता (कब्जियत) दूर होती है।
अमरूद की पत्तियां :
अमरूद की पत्तियां भी अनेक रोगों में बेहद लाभदायक होती हैं। पत्तियों के सेवन से ही कई बीमारियों से निजात मिल सकती है। जैसे :-

  • 1. कोमल पत्ते 15-20 नग लेकर पीसकर छानकर पानी के साथ पिलाने से ज्वर एवं उसके उपद्रव दूर होते हैं। 
  • 2. आधे सिर में दर्द होने पर सूर्योदय के पूर्व ही कच्चे हरे ताजे अमरूद के पत्ते लेकर पत्थर पर घिसकर/पीसकर लेप बनाएं और माथे पर लगाएं। कुछ दिनों तक नित्य प्रयोग करने से पूर्ण लाभ होता है। 
  • 3. अमरूद के पत्तों के स्वरस को भरपेट पिलाने से या अमरूद खाने से भांग, धतूरा और कई अन्य प्रकार के नशे जल्दी उतर जाते हैं।
  • 4. अमरूद के पत्तों पर कत्था लगाकर चबाएं। केवल अमरूद के पत्ते चबाने से भी छाले ठीक हो जाते हैं।
  • 5. दांतों के दर्द एवं मसूड़ों की सूजन में, अमरूद के 15-20 मुलायम पत्ते तोड़कर मसलकर पानी में तब तक उबालें जब आधा पानी शेष रह जाए। इसे ठंडा करके सेंधा नमक और फिटकरी डालकर बार-बार कुल्ला करने से दंतविकारों का शमन होता है। पीड़ा एवं सूजन से छुटकारा मिलता है। 
  • 6. अमरूद के कोमल पत्तों को पीसकर गठिया के वेदना युक्त स्थानों पर लेप करने से लाभ होता है। 
  • 7. आंख आने पर आंखों में पीड़ा, लालिमा तथा सूजन हो जाती है। अमरूद के नरम पत्तों को पीसकर पुल्टिस बनाकर पलकों पर बांधने से लाभ होता है।
  • 8. अमरूद के पत्तों का मस्तिष्क विकार, वृक्क प्रवाह और शारीरिक एवं मानसिक विकारों में प्रयोग किया जाता है। इसका तुरंत लाभ मिलता है। 
  • 9. अमरूद के पत्तों के 10 ग्राम काढ़े को पिलाने से वमन या उल्टी बंद हो जाती है और जी भी सही रहता है। 
  • अमरूद की थोड़ी सी पत्तियों को लेकर पानी में उबालकर पीस लें। इस लेप को फुंसियों पर लगाने से लाभ होता है।
चेतावनी : अमरूद का सेवन कभी भी सुबह खाली पेट न करें।
प्राचीन समय में ही अमरूद के बारे में काफी शोध हो चुका था। इसलिए आपके लिए अमरूद के फायदों को जानना जरूरी है। अमरूद का सेवन शीत ऋतु में जरूर करें ताकि आप और आपका परिवार दोनों स्वस्थ रहें।

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--->--->श्रीमती जानकी पुरुषोत्तम मीणा जिनका 08 अप्रेल, 2012 को असमय निधन हो गया!

--->--->श्रीमती जानकी पुरुषोत्तम मीणा जिनका 08 अप्रेल, 2012 को असमय निधन हो गया!
सभी के स्वस्थ एवं सुदीर्घ जीवन की कामना के साथ-मेरे प्यारे और दुलारे तीन बच्चों की ममतामयी अद्वितीय माँ (मम्मी) जो दुखियों, जरूतमंदों और मूक जानवरों तक पर निश्छल प्यार लुटाने वाली एवं अति सामान्य जीवन जीने की आदी महिला थी! वह पाक कला में निपुण, उदार हृदया मितव्ययी गृहणी थी! मेरी ऐसी स्वर्गीय पत्नी "जानकी मीणा" की कभी न भुलाई जा सकने वाली असंख्य हृदयस्पर्शी यादों को चिरस्थायी बनाये रखते हुए इस ब्लॉग को आज दि. 08.08.12 को फिर से पाठकों के समक्ष समर्पित कर रहा हूँ!-डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश'

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दाम्पत्य-Conjugal दाल दालचीनी दालें दिमांग दिल दीर्घायु दु:खी दुर्गंध दुर्बलता दुष्प्रभाव दुष्प्रभावरहित दूध दूध वृद्धि दूधी दूधी-Milk Hedge दृष्टिदोष दो मन द्रोणपुष्पी द्रोणपुष्पी-Leucas Cephalotes धड़कन धनिया बीज धनिया-Coriander धमासा धात धातु धातु पतन धार्मिक धूम्रपान छोड़ना चाहते हैं? धैर्यहीन नज़ला नपुंसक नपुंसकता नाइट्रिक एसिड नाक नाखून नागबला नागरमोथा नाडी हिंगु नाड़ी हिंगु (डिकामाली) नामर्दी नारकीय पीड़ा नारियल नाश्ता निमोनिया निम्न रक्तचाप निम्बू नियासिन निराश निरोगधाम निर्गुण्डी निर्गुन्डी निष्कपट स्नेह निष्ठा निसोरा नींद नींबू नींबू-Lemon नीम-azadirachta indica नुस्खे नुस्खे-Tips नेगड़ नेत्र रोग नेुचरल नैतिक नॉर्मल डिलेवरी नोनिया नौसादर न्युमोनिया-Pneumonia न्यूरॉन्स पक्षघात पंचकर्म पढ़ने में मन लगेगा पंतजलि पत्तागोभी-CABBAGE पत्थर फोड़ी पत्थरचट्टा पत्नी पथरी पदार्थ पनीर पपीता पपीता-CARICA PAPPYA पमाड परदेशी लांगड़ी परम्परागत चिकित्सा परहेज पराठा परामर्श परिस्थिति पवाड़ पवाँर पाइल्स पाक-कला पाचक पाचन पाचनतंत्र पाचनशक्ति पाठक संख्या 16 लाख पार पाठक संख्या पंद्रह लाख पायरिया पारदर्शिता पारिजात पालक पालक-Spinach पित्त पित्ताशय पित्ती पिंपल-मुंहासे-Pimples-Acne पिरामिड पीलिया पीलिया-Jaundice पीलिया-कामला-Jaundice पुआड़ पुदीना पुनर्नवा-साटी-सौंटी-Punarnava पुरुष पुंसत्व पेचिश पेट के कीड़े पेट दर्द पेट में गैस पेट रोग पेड़ पेद दर्द पेरिकिटो सेसिल पेशाब पेशाब में रुकावट पेंसिल थेरेपी-Pencil Therapy पोष्टिक लड्डू पौधे पौरुष पौरुष ग्रंथि पौष्टिक रागी रोटी प्याज-Onion प्यास प्रजनन प्रतिरक्षा प्रतिरक्षा प्रणाली प्रतिरोधक प्रतिरोधक-Resistance प्रदर प्रमेह प्रवाहिका (पेचिश)-Dysentery प्रसव प्रसव सुरक्षा चक्र प्रसव-पीड़ा प्रसूति प्राणायाम प्रेग्नेंसी-Pregnancy प्रेम प्रेमरस प्रेमिका प्रेमी प्रोटीन प्रोटीन का कार्य प्रोटीन के स्रोत प्रोस्टेट प्रोस्‍टेट कैंसर प्रोस्टेट ग्रंथि प्रोस्टेट ग्रन्थि प्लीहा प्लूरिसी-Pleurisy प्लेटलेट्स फंगल फटन फफूंद-Fungi फरास फल फाइबर फिटकरी फुंसी-Pimples फूलगोभी-CAULIFLOWER फेंफड़े फेरम फॉस फैट फैटी लीवर फोटोफोबिया फोड़ा फोड़े-Boils फोरप्ले फोलिक एसिड फ्लू फ्लू-Flu फ्लेक्स सीड्स बकायन बकुल बड़ी हरड़ बथुआ बथुआ पाउडर बथुआ-White Goose Foot बदबू बंध्यापन बबूल-ACACIA बरसाती बीमारियाँ बरसाती बीमारियां बलगम बलवृद्धि बला बलात्कार बवासीर बहरापन बहुनिया बहुमूत्रता- बांझपन बादाम-Almonds बादाम. बाल बाल झड़ना बाल झडऩा-Hair Falling बिना सिजेरियन मां बनें बिवाई बीजबंद बीड़ी बीमारियों के अनुसार औषधियां बीमारी बील बुखार बूंद-बूंद पेशाब बेल बेली बैक्टीरिया बॉयोकैमी ब्र​ह्मदण्डी ब्रेस्ट ग्रोथ ब्लड प्रेशर ब्लैक मेलिंग ब्लॉकेज भगंदर भगंदर-Fistula-in-ano भगनासा भगन्दर भगोष्ठ भड़भांड़ भय भविष्य भस्मक रोग भावनात्मक भुई आंवला-Phyllanthus Niruri भूई आमला भूई आंवला भूख भूख बढ़ाने भूत-प्रेत भूमि भूमि आंवला भोजनलीवर मकोय मकोय-Soleanum nigrum मक्का मक्का के भुट्टे मंजीठ मटर-PEA मंद दृष्टि मंदाग्नि मदार मधुमेह मधुमेह-Diabetes मन्दाग्नि-Dyspepsia मरुआ मरोड़ मर्द मर्दाना मलाशय मलेरिया मलेरिया (Malaria) मवाद मसाले मस्तिष्क मस्से मस्से-WARTS महंगा इलाज महत्वपूर्ण लेख महाबला माइग्रेन माईग्रेन माईंड सैट माजूफल मानवव्यवहार मानसिक मानसिक लक्षण मानसिक-Mental मानिसक तनाव-Mental Stress मायोपिया मासिक मासिक-धर्म मासिकधर्म मासिकस्राव माहवारी मिनरल मिर्गी 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