नोट: इसका अधिक मात्रा में प्रयोग करना फेंफड़ों के लिये हानिकारक हो सकता है।
आयुर्वेदिक गुण-
- रक्तज अर्श मे बहुत ही उपयोगी, एलुआ और इस द्रव्य को मिलाकर चने के आकार की गोलियाँ बना कर रक्तज अर्श मे प्रयोग.
- जले हुए व्रणों मे कल्क का उपयोग बहुत ही अच्छा व्रणरोपण और एंटीसेप्टिक होता है.
- बच्चॊ के कृमि (उदर कृमियों मे) एक चमच स्वरस को गर्म करके पिला दे.
- नाक मे हुई फ़ुन्सियों मे इसकी जड़ को श्वेत कपड़े मे बांध कर गले मे डालने से तुरंत फ़ायदा होता है ।
कुकरौंधा, कुकरौन्दा कुकुरमुत्ता और कुकुंदर भी कहते हैं।
Blumea Lacera Uses
कुकरोंधा समस्त भारत में नमी प्रधान प्रदेशो में मिल जाता है. कुकरौंधा को कुकुरमुत्ता या कुकुंदर भी कहते हैं बंगाल में कुकुरशोंका या कुकसीमा कहते हैं. मराठी में कुकुरबंदा कहते हैं. इसके पौधे गलीज स्थानों और पुराने खंडहरों में अधिक होते हैं. इसका पौधा दो तीन हाथ लम्बा होता है. पत्ते तम्बाकू के समान लम्बे और गहरे रंग के होते हैं. शुरू शुरू में पत्ते मूली के पत्तों के समान होते हैं. पत्तों को मलने में बहुत बुरी बदबू निकलती है. पौधे पर लाल रंग की एक चोटी सी होती है. यह कड़वा, तीखा, पचने में मधुर, शीतल, ज्वर नाशक है. पारे के विकार और खून के दोष में दो तोले रस पीने और शरीर पर मलने से बड़ा उपकार होता है. इसके फूल तथा फल नवम्ब
- 1. कुकरोंधा के पत्तों को पीसकर अर्श के मस्सों में लगाने से अर्श में लाभ होता है.
- 2. दो ग्राम कुकरोंधा के पत्तों में समभाग काली मरीच तथा गेंदा के पत्ते मिलाकर पीसकर पानी में घोलकर पिलाने से अर्श में लाभ होता है.
- 3. खूनी बवासीर में कुकरोंधा के पत्तों का स्वरस 5 मिली में काली मरीच का चूर्ण 500 मि. ग्राम. (आधा ग्राम) मिलाकर सेवन करने से खूनी बवासीर में लाभ होता है.
- 4. 5-10 मिली कुकरोंधा के पत्तों का स्वरस मिश्री में मिलाकर पिलाने से रक्तार्श में लाभ होता है.
- 5. कुकरोंधा बवासीर के बड़ी दवा है। इसके पौधे को कुचलकर रस निकाल कर उसमें रसौत भिगो दें। रसौत के घुल जाने पर इसे धीमी आंच पर पकाएं और गोलियां बनाकर रख लें। ये गोलियां बवासीर में लाभकारी हैं।
त्वचा रोगों में कुकरोंधा के प्रयोग
- 1. त्वचा पर किसी प्रकार का संक्रमण होने पर इसके नए पत्तों से प्राप्त स्वरस में बराबर मात्रा में शहद मिलाकर संक्रमित स्थान पर लगाने से फायदा होता है.
- 2. ज़ख्म होने पर कुकरोंधा के पत्तों का स्वरस लगाने से ज़ख्म जल्दी भर जाता है. इसके पत्तों को पीसकर घावों पर लगाने से रक्त आना रुक जाता है और घाव जल्दी भरता है.
- 3. नाडी व्रण पर इसके पत्तों का रस लगाने से नाडी व्रण जल्दी ठीक हो जाता है.
- 4. फोड़े फुंसी होने पर कुकरोंधा के पत्तों का रस में श्वेत खदिर को पीसकर लगाने से फोड़े तथा फुंसियों का शमन होता है.
- 5. कुष्ठ रोगों में कुकरोंधा के पत्तों को बराबर मात्रा में मूली के बीज में मिलाकर पीसकर लगाने से कुष्ठ रोग में लाभ होता है.
बवासीर में कुकरोंधा के प्रयोग: 1 तोले रस में 6 माशे मिश्री मिला कर पीने से खूनी बवासीर जाती रहती है.
सूजाक में कुकरोंधा के प्रयोग: दो तोले कुकरोंधे के रस में ज़रा सी मिश्री मिला कर पीने से सूजाक नष्ट हो जाता है.
पलित रोग में कुकरोंधा: कुकरोंधा के एक भाग पत्तों का स्वरस में 4 भाग पानी मिलाकर क्वाथ बनाकर सर को धोने से पालित रोग (समय से पहले आलों के सफेद होने को पालित या पलित रोग कहते हैं।) में लाभ होता है.
नेत्र रोगों में कुकरोंधा: कुकरोंधा के पत्तों के स्वरस में फिटकरी को घिसकर अंजन करने से नेत्र जाला, नेत्रफूली, आदि रोगों में लाभ होता है.
विसूचिका (हैजा) रोग में कुकरोंधा: 1-2 ग्राम कुकरोंधा मूल चूर्ण में काली मिर्च चूर्ण मिलाकर सेवन करने से विसूचिका में लाभ होता है.
अतिसार में कुकरोंधा: 5-10 मिली कुकरोंधा के पत्तों का स्वरस में 1 ग्राम काली मिर्च का चूर्ण मिलाकर खाने से अतिसार में लाभ होता है.
गृहणी में कुकरोंधा: गृहणी (पेचिश का प्रकार) होने पर सुबह शाम इसके पत्तों का चूर्ण 2 ग्राम छाछ तक्र (छाछ) के साथ सेवन करने से फायदा होता है.
ज्वर में कुकरोंधा: कुकरोंधा के पत्तों के स्वरस की 2-2 बूंदो को कान में डालने से ठण्ड देकर आने वाला ज्वर सही होता है.
Online Dr. P.L. Meena (डॉ. पुरुषोत्तम लाल मीणा)
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