सुहागा Borax
सुहागा के नाम : कनक क्षार, सुहागाचौकी, रसघ्न, धातु द्रावक, सौभाग्य, टंकण आदि सुहागा के नाम है। सुहागा पेट की जलन, बलगम, वायु तथा पित्त को नष्ट करता है, और धातुओं को द्रवित करता है।
दुर्गन्ध : एक चम्मच पिसा हुआ सुहागा एक बाल्टी पानी में मिलाकर नहाने से ज्यादा पसीना आना और शरीर से दुर्गन्ध आना बंद हो जाती है।
स्वरभंग : सुहागे को पीसकर चुटकी भर चूसने से बैठी हुई आवाज खुल जाती है।
जुकाम और नज़ला : तवे पर सुहागा को सेंककर पीस ले। इसे चुटकी भर एक घूंट गर्म पानी में घोलकर रोजाना चार बार पीने से जुकाम और नज़ला ठीक हो जाता है।
पाचनशक्ति : छोटा बच्चा रात को सोते हुए रोने लगे, दही की तरह जमे दूध की उल्टी करे, हरे रंग का अतिसार (दस्त) हो तो समझे कि बच्चे को खाया हुआ पचता नहीं है। बच्चे की पाचनशक्ति (Digestion Power/Digestibility) ठीक करने के लिए भुना सुहागा चुटकी भर दूध में घोलकर दो बार पिलाने से लाभ हो जाता है।
फरास/रूसी/(Dundruff) : 50 ग्राम सुहागे को तवे पर भूनकर पीस लें। एक चम्मच सुहागा, एक चम्मच नारियल का तेल और एक चम्मच दही को मिलाकर सिर में लगाकर अच्छे से मलिए और आधे घंटे के बाद सिर को धोने से सिर की फरास (सिकरी) समाप्त हो जाते हैं।
तिल्ली/Spleen : 30 ग्राम भुना हुआ सुहागा और 100 ग्राम राई को पीसकर मैदा की छलनी से छान लें। इसे आधा चम्मच रोजाना डेढ़ महीना तक पानी से फंकी लें। तिल्ली सिकुड कर अपनी सामान्य अवस्था में आ जायेगी, पाचन प्रणाली/Digestive System अच्छी होगी और शरीर में शक्ति का संचार होगा।
चर्म रोग : सुहागे के तेल को चमड़ी पर लगाने से चमड़ी के सारे रोग ठीक हो जाते हैं।
खांसी और सांस : लगभग एक ग्राम का चौथा भाग शुद्ध सुहागा शहद के साथ बच्चों को दिन में दो तीन बार देने से बच्चों की खांसी और सांस के रोग दूर होते हैं।
कान के रोग : लगभग एक ग्राम का चौथा भाग सुहागा कान में दिन में दो बार डालने से कान के रोग ठीक हो जाते हैं।
आंख आने पर : आंख आने पर सुहागा और फिटकरी को एक साथ पानी में घोल बनाकर आंख को धोने और बीच-बीच में आई डरोप्स की तरह आंखों मे डालने से बहुत जल्दी लाभ होता है।
श्वास रोग : लगभग 75 ग्राम भुना हुआ सुहागा 100 ग्राम शहद में मिला ले इसे सोते समय एक चम्मच की मात्रा में लेकर चाटने से श्वास रोग में बहुत लाभ होता है।
आंख : भुने हुए सुहागे को पीसकर कपडे़ में छानकर सलाई से सुबह और शाम आंखों में लगाने से आराम आता है।
मंजन : सुहागा को फुलाकर उसमें मिश्री मिलाकर बारीक पीस कर रोजाना मंजन करने से दांत साफ और मजबूत होते हैं। लकड़ी के कोयले में सुहागा मिलाकर बारीक पाउडर बना लें तथा बांस या नीम के दांतुन पर लगाकर मंजन करें। इससे दांत साफ और मजबूत होते हैं।
खांसी : सुहागा, कलमी शोरा, फिटकरी, कालानमक और यवक्षार को पीसकर चूर्ण तैयार कर इसे तवे पर भूनकर दो दो ग्राम की मात्रा में शहद के साथ मिलाकर बच्चों को चटाने से कालीखांसी ठीक हो जाती है। भुना हुआ सुहागा और वंशलोचन को मिलाकर शहद के साथ रोगी बच्चे को चटाने से काली खांसी दूर हो जाती है।
बाल मजबूत : 20 ग्राम सुहागा और 10 ग्राम कपूर को 50 ग्राम उबले पानी में मिलाकर हल्के गर्म पानी के साथ धोने से बाल मुलायम तथा काले हो जाते हैं। 5 ग्राम सुहागा और 10 ग्राम कच्चे सुहागे को 250 ग्राम पानी में डालकर उबाल लें। इसके ठंडा होने पर बालों को धोने सें बाल मजबूत बनते हैं।
मसूड़ों का दर्द : भुना हुआ सुहागा और शहद को मिलाकर बच्चे के मसूढ़ों पर धीरे-धीरे मलें। इससे दांत आसानी से निकल आते हैं तथा मसूड़ों का दर्द कम होता है।
बच्चों की दांत निकलने की तकलीफें : 10 ग्राम भुना सुहागा और 10 ग्राम पिसी हुई मुलहठी लेकर चूर्ण बना लें। इसमें से लगभग एक ग्राम का चौथा भाग चूर्ण में शहद मिलाकर मसूड़ों पर मलें। इससे बच्चों के दांत निकलते समय दर्द नहीं होता तथा बार-बार दस्त आना बंद हो जाता है।
पायरिया : सुहागा और हीराबोल को मिलाकर रोजाना दो से तीन बार मसूढ़ों पर धीरे-धीरे मलें। इससे दांतों व मसूढ़ों के सभी रोग ठीक होकर पायरिया रोग दूर होता है।
निमोनिया : तीन ग्राम सुहागा भुना और नीलाथोथा भुना हुआ पीसकर अदरक के रस में बाजरे के बराबर आकार की गोलियां बनाकर छाया में सुखा लेते हैं। एक एक गोली मां के दूध के साथ सेवन करने से निमोनिया रोग ठीक हो जाता है।
निमोनिया : एक चुटकी फूला सुहागा, एक चुटकी फूली फिटकरी, एक चम्मच तुलसी का रस, एक चम्मच अदरक का रस, आधा चम्मच पान के पत्तों के रस को एक साथ मिलाकर शहद के साथ सुबह-शाम सेवन करने से निमोनिया के रोग मे लाभ होता है।
बाल : 20 ग्राम सुहागा और 20 ग्राम कपूर को बारीक पीसकर पानी में घोलकर बाल धोने से बालों का गिरना कम हो जाता है।
जूएं : 20 ग्राम सुहागा और 20 ग्राम फिटकरी को 250 ग्राम पानी में मिलाकर सिर पर मालिश करने से सिर की जूएं मर जाती है।
सुहागा : असरकारक औषधि
सोने पर सुहागा
- 1 मुँह में छाले होने पर सुहागा के पानी से कुल्ला करना चाहिए। तुरंत असर होगा।
- 2 मुँह और गले की सूजन में इसे पानी में औटाकर गरारे करने चाहिए तत्काल फायदा होता है।
- 3 मसूढ़े के घाव में काली मिर्च के साथ पीसकर लगाने से घाव शीघ्र भर जाते हैं।
- 4 भूख ना लगने पर 1/2 माशा फूला सुहागा 1 कप गुनगुने जल में दिन में दो या तीन बार देना फायदेमंद होता है।
- 5 त्वचा की खुजली पर सुहागे का पानी लगाना चाहिए।
- 6 नींबू के रस में मिलाकर सुहागा लगाने से एग्जिमा समाप्त होता है।
- 7 लगभग तीन तोला फूला सुहागा चार तोले शहद में मिलाकर प्रतिदिन लेने से दमा रोग मिटता है।
दमा, फुफ्फुस(फेफड़ो), पेट, कंठ, नाक, के कई प्रकार के साधारण और जटिल रोगो के लिए ये औषिधि किसी चमत्कार से कम नहीं हैं। अनेक लोगो ने इस से बहुत फायदा उठाया हैं।
आइये जाने इस विशेष प्रयोग के बारे में।
सुहागे का फुला और मुलहठी: सुहागे का फुला और मुलहठी को अलग-अलग खरल या कूटपीसकर कपड़छान कर, मैदे की तरह बारीक़ चूर्ण बना ले। फिर इन दोनों औषधियों को बराबर वजन कर मिलाकर किसी शीशी में सुरक्षित रख ले। बस, स्वास, खांसी, जुकाम की सफल दवा तैयार है।
रात्रि सोते समय साधारण से दुगनी मात्रा लेने से स्वास रोगी के रात्रि कष्ट में काफी कमी हो सकती है।
सेवन विधि : साधारण मात्रा आधा ग्राम से एक ग्राम तक दवा दिन में दो-तीन बार शहद के साथ चाटे या गर्म जल के साथ ले। बच्चो के लिए 1/8 ग्राम (एक रत्ती) की मात्रा या आयु के अनुसार कुछ अधिक दे।
परहेज : दही, केला, चावल, ठंडे पदार्थो का सेवन न करे।
विशेष
1. फुफ्फुस (फेफड़ो), पेट, कंठ, नाक, के कई प्रकार के साधारण और जटिल रोगो का चमत्कारिक रूप से नाश करने वाला यह योग नई दिल्ली की कविराज श्री देशराज की अदभुत खोज है। इस एक ही प्रयोग से कई औषधालयों में खांसी, जुकाम, श्वांस, कफ, कुक्कर खांसी कई प्रकार के संक्रमण के रोगियों की कई वर्षों से सफल चिकित्सा की जा रही है जो की सस्ता, आसानी से सर्वत्र उपलब्ध होने वाला, बनाने में सरल, हानिरहित और शीघ्र प्रभावकारी है।
2. ताजा जुखाम में तो चुटकी भर दवा एक घूंट गर्म पानी में घोलकर दिन में तीन बार पिलाने से एक-दो दिन में ही समाप्त हो जाता है। इस योग का मुख्य घटक अकेला सुहागा (फुला हुआ) के बारीक़ चूर्ण का प्रयोग भी सर्दी-जुकाम में चमत्कारिक फल देने वाला है।
(सुहागा का फूला बनाने की विधि)
अ. सुहागे को फूलने या खील (शुद्ध) बनाने के लिए बारीक़ कूटकर लोहे की स्वच्छ कड़ाही में या तवे पर डालें और तेज आंच में इतना पकाएं कि पिघलने के पश्चात सूख जाये। अब यह धीरे-धीरे फूलने लगेगा। फूलने के बीच थोड़े-थोड़े समय बाद लोहे की छुरी से इसे उल्ट-पुलट करते रहे। इस प्रकार सारा सुहागा फूल जायेगा। पर इसे बारीक़ पीसकर किसी शीशी में भरकर रख ले।
ब. कठिन खांसी, क्रुप, काली खांसी, जीर्ण खांसी और खांसी की सबी अवस्थाओं में यह सुहागा और मुलहठी का चूर्ण शहद के साथ लेना उत्तम ओषधि सिद्ध हुई हैं।
क. कास की खास औषिधि होने के साथ यह उन श्वांस–रोगियों के लिए अत्यन्त लाभदायक है, जिन्हे गाढ़ा-गाढ़ा बलगम बनने की शिकायत है और इतना खासना पड़ता है कि जब तक बलगम बाहर नही निकलता, चैन नही पड़ता। उहने यह दवा शहद या मिश्री की चासनी या केवल गला कत्था लगाये पान के साथ लेनी चाहिए। रात्रि सोते समय साधारण से दुगनी मात्रा लेने से स्वास रोगी के रात्रि कष्ट में काफी कमी हो सकती है। आवश्यकता अनुसार तीन-चार सफ्तह लेने से साधारण दमा दूर हो जाता है। यह बलगम को पखाने के जरिए भी निकाल देती है।
ख. यदि बलगम कच्चा थूक की तरह निकलता हो तो इस दवा की एक चुटकी मुंह में डालकर धीरे-धीरे चूसे। कफ विकार ठीक होगा। जरूरत समझो तो बाद में एक कप सादा या गुनगुना पानी घूँट घूँट कर पिया जा सकता है।
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सभी लेखों में लिखी गयी दवाईयों का विवरण जनहित में स्वास्थ्य और बीमारियों के बारे में जागरूकता के लिए लिखा गया है। पाठक कृपया स्वयं अपना इलाज करने का खतरा मोल नहीं लें।
कृपया अपने चिकित्सक के परामर्श के बिना, सुझाई गयी (किसी भी प्रकार की) दवा का सेवन नहीं करें।
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डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश' आॅन लाईन होम्योपैथ एवं परम्परागत चिकित्सक, 9875066111
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