शीघ्रपतन के कारण मामला तलाक तक जा पहुंचा, लेकिन.....?
मेरा जन्म एक छोटे गांव के गरीब, परम्परावादी परिवार में हुआ। जैसे-तैसे पढाई पूर्ण करने के बाद मुझे बैंक में जॉब मिली। 23 वर्ष की आयु में विवाह होने तक नेचुरल इच्छा और भावनाओं को कुचलते हुए मैंने अपने कौमार्य को सुरक्षित रखा। मैं अपने होने बाले पति के प्रति वफादार रहने के लिये 100 परसेंट कमिटेड थी।
प्रथम श्रेणी सरकारी अफसर के साथ बड़ी धूमधाम से मेरी शादी हुई। सुहागरात को ही सारे अरमान चकनाचूर हो गये। मेरे पति कुछ नहीं कर सके। जैसे ही उन्होंने सेक्स शुरू किया, उनका वीर्य बाहर ही निकल गया। दूसरी बार कोशिश की (लेकिन मुझे बाद में बताया कि) उत्तेजित ही नहीं हो सके। मैंने धैर्य बनाये रखा। 5 दिन पति के साथ रही, लेकिन वे मेरी योनि में अपने लिंग को प्रवेश नहीं करा पाये। लौटने से पहले मुझ से उन्होंने माफी मांगी और रिक्वेस्ट की, कि कुछ टाईम दीजिये, इलाज करवा लूंगा। मैं सहमत हो गयी।
मैंने अपने पीहर में किसी को कुछ नहीं बताया। अलग-अलग जिलों में पोस्टिंग के कारण अगले 3 महिने तक हम मिल नहीं सके। इस बीच उन्होंने अपना इलाज करवाया था। 3 महिने बाद उन्होंने कोशिश की और लिंग प्रवेश करवा दिया, लेकिन कुछ ही क्षणों में डिस्चार्ज हो गये। यह सिलसिला महिनों चला। फिर ऐसी दवाई ली कि 20-30 मिनट में डिस्चार्ज होने लगे। जिससे मेरी योनि छिल जाती। भयंकर दर्द होता। मेरे लिये सेक्स एक दु:खद और पीड़ादायक अनुभव बन गया। भयंकर टेंशन रहने लगा। मुझे सेक्स से नफरत सी हो गयी। इधर उन्होंने शराब पीना शुरू कर दिया। टेंशन के चलते मुझे माईग्रेन हो गया। रोज पैन-किलर ब्रूफेन टेबलेट लेना शुरू कर दिया। अन्त में उन्होंने साफ कह दिया कि अब कुछ नहीं हो सकता, तुम चाहो तो तलाक लेकर दुबारा मैरिज कर सकती हो। मेरे लिये यह भयंकर अपमानकारी और घुटनभरी स्थिति बन गयी। रोती रहती। 1 साल बिलकुल अलग रहे। हालांकि मोबाईल पर बातचीत होती रहती।
जब इनकी शराब अधिक हो गयी तो मैंने 6 महिने की छुट्टी ली और अन्तिम प्रयास करने का तय किया। कुछ ही दिनों में शराब कंट्रोल हो गयी। हम डॉक्टर से मिले और सेक्सुअल प्रोब्लम बतायी। ऐलोपैथी, आयुर्वेद, होम्योपैथी, यूनानी, एक्यूपेशर सारी दवाईयां करवा ली, लेकिन इनकी शीघ्रपतन की समस्या का कोई समाधान नहीं हुआ। थक हारकर मैंने भी तलाक का मन बना लिया।
इसी दौरान मेरी सहेली ने बताया कि उनके पति को शीघ्रपतन और कम उत्तेजना की दिक्कत थी तो डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश' जी के आॅन लाईन ट्रीटमेंट से बिलकुल सही हो गये। मैंने खुद डॉ. 'निरंकुश' जी से बात की, उन्होंने कहा कि आपके पति से बात करने को कहो। ये इतने निराश हो गये कि बात ही नहीं करना चाहते थे। जैसे-तैसे तैयार हुए। सारी जानकारी डॉ. साहब को दी। इलाज शुरू हुआ। तीन महिने तक कोई फर्क नहीं पड़ा।
एक दिन डॉ. साहब का काल आया और मुझ से पूछा, "आप यह बतायें कि आपके पति को सबसे अधिक क्या खाना पसंद है?" मैंने कहा "मिठाई! दिनभर मीठा खाते रहते हैं।" बस इतना कहते ही डॉ. साहब बोले "चिन्ता मत करो अब सब ठीक हो जायेगा।" चौथे महिने जो दवाई भेजी, तो चमत्कार हो गया। डॉ. 'निरंकुश' जी बोले "मैं शुरू से खानपान के बारे में पूछ रहा था, लेकिन कोई स्पष्ट जवाब ही नहीं मिल रहा था।" कुल 6 महिने दवाई लेने के बाद अब मेरे पति पूर्ण पुरुष हैं। हमारी जिन्दगी में बहार आ गयी। शीघ्रपतन के कारण मामला तलाक लेने तक जा पहुंचा, लेकिन डॉ. 'निरंकुश' जी ने बचा लिया।
लता शर्मा (बदला हुआ नाम) जोधपुर, राजस्थान।
डॉक्टर टिप्पणी: होम्योपैथी में लक्षणों के आधार पर इलाज होता है। इस बात को प्रमाणित करने वाला यह मजबूत केस है। लता के पति से मैंने अनेक बार पूछा कि उसे मीठे और नमकीन में अधिक क्या खाना पसंद है? उनका जवाब होता कुछ भी नहीं। जब लता ने उनकी अत्यधिक मीठा खाने की आदत बतायी तो श्रीमान जी ने सफाई दी कि उनको मीठा खाने की बच्चों जैसी आदत थी, जिसे बताने में ही शर्म आती थी। यदि लता ने मुझे मीठा खाने की आदत के बारे में नहीं बताया होता, तो शायद वह कभी भी स्वस्थ नहीं हो पाता। होम्योपैथी में खाने-पीने की आदत, मानसिक लक्षणों आदि का बहुत ज्यादा महत्व होता है। अत: डॉक्टर के पूछने पर सब कुछ बेहिचक सच-सच बताना चाहिये।

डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश' आॅन लाईन स्वास्थ्य रक्षक सखा
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