*जोड़ों के दर्द और गठिया का दुश्मन यूरिक एसिड लेबल कैसे कम करें?*
*लेखक: डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश'*
यदि अपने आसपास नजर डालते हैं तो हमें पता चलता है कि उम्र बढने के साथ-साथ अनेक लोगों के जोड़ों में दर्द होना शुरू हो जाता है। जबकि कुछ को तो युवावस्था में ही स्थानीय कारणों जैसे जलवायु, खानपान की आदतों और व्यक्तिगत परिस्थितियों के कारण जोड़ों में दर्द होना शुरू हो जाता है। सामान्यत: रक्त में यूरिक एसिड लेबल (Uric Acid Label) बढने पर, जोड़ों पर/में यूरिक एसिड जमा/एकत्रित होने लगता है। शरीर में प्यूरिन (Purine) नामक रासायनिक यौगिक के टूटने के कारण यूरिक एसिड बनता रहता है। प्यूरिन खाने-पीने की चीजों में पाया जाता है। विशेष रूप से जब मनुष्य प्यूरिन युक्त पदार्थों को खाता है तो लीवर (Liver) खाये हुए पदार्थों को पचाने के लिए प्यूरिन को तोड़ने लगता है और उसमें से कचरा अर्थात निरर्थक पदार्थ (Waste Product-अपशिष्ट पदार्थ) को मूत्र के जरिये यूरिक एसिड के रूप में किडनी के द्वारा शरीर से बाहर निकाल देता है। किसी कारण से जब यही निरर्थक पदार्थ या अपशिष्ट पदार्थ यूरिक एसिड साथ शरीर से पूरी तरह बाहर ना निकलकर, शरीर के अंदर ही एकत्रित/जमा होने लगता है और एक क्रिस्टल (Crystal) की तरह बन/जम जाता है। ऐसी स्थिति में शरीर में यूरिक एसिड का स्तर बढ जाता है। इसी यूरिक एसिड के जमा होने के कारण ही अनेक लोगों को किडनी स्टोन भी बनने लगता है। इस समस्या से ग्रस्त अधिकतर लोगों को हाथ-पैरों की उंगलियों, हथेलियों, कोहनी, कंधा, घुटने आदि छोटे-बड़े जोड़ों में दर्द होता देखा जा सकता है।
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यदि शुरूआत में ही इसका सही से इलाज नहीं किया जाये तो पीड़ित व्यक्ति के लिये चलना-फिरना, उठना-बैठना और नैतिक कार्य करना/निपटाना तक मुश्किल हो जाता है। रक्त में यूरिक एसिड का स्तर बढते जाने पर पीड़ित व्यक्ति को गठिया (Gout/Arthritis) होने का खतरा बढ जाता है। जिससे पीड़ित व्यक्ति अकसर मजबूर होकर दर्द-निवारक दवाईयों के सहारे जीवित रहते हैं। जबकि इस तकलीफ को कैमीकलयुक्त दर्द निवारक दवाओं के जरिये ठीक नहीं किया जा सकता। दर्द निवारक दवाओं के अधिक सेवन के कारण पीड़ित व्यक्ति के गुर्दे खराब होने का खतरा भी उत्पन्न हो जाता है।
अत: बढते यूरिक एसिड को शुरूआती अवस्था में ही नियंत्रित करना बहुत जरूरी होता है। जिसके लिए समय-समय पर रक्त में यूरिक एसिड लेबल (Uric Acid Label) जांच करवाते रहना चाहिए। यूरिक ऐसिड बढने के कारण होने वाले जोड़ों के दर्द से मुक्ति के लिये कुछ आसान से घरेलु उपाय बताये जा रहे हैं:-
*नोट: इन उपायों में से किसी को भी आजमाने से पहले डॉक्टर से परामर्श अवश्य किया जाना चाहिये।*
*1. गुनगुना पानी:* रोगी को रोजाना दिनभर में 3 से 4 लीटर गुनगुना पानी थोड़ा-थोड़ा करके पीना चाहिए। ऐसा करने से यूरिक एसिड सहित, शरीर में जमा/पड़े हुए सभी दूषित पदार्थ आसानी से बाहर निकलने लगते हैं।
*2. आॅर्गेनिक बथुआ के पत्तों का रस:* सुबह खाली पेट शुद्ध आॅर्गेनिक बथुआ के पत्तों का रस या शुद्ध आॅर्गेनिक बथुआ पाउडर (रोगी तथा रोग की स्थिति के अनुसार मात्रा) रोगी को पिलायें। इसके दो घंटे बाद तक न कुछ खायें और न हीं कुछ पियें। बथुए की सब्जी भी लाभकारी है।
*3. अख़रोट+एलोवेरा/घृतकुमारी+आंवला:* यूरिक एसिड को कंट्रोल करने के लिए रोजाना खाली पेट अख़रोट खाना चाहिये और एलोवेरा/घृतकुमारी रस में आंवले का रस मिलाकर पीना लाभकारी है।
*4. अलसी+अजवाइन:* भोजन के बाद एक चम्मच भुने हुए शुद्ध आॅर्गेनिक अलसी के बीज और, या शुद्ध आॅर्गेनिक अजवायन भोजन के बाद खाने से यूरिक एसिड लेबल कम होता है।
*5. अश्वगंधा+शहद:* एक चम्मच शुद्ध आॅर्गेनिक अश्वगंधा+एक चम्मच शुद्ध आॅर्गेनिक शहद+एक गिलास गुनगुना दूध रोगी को पिलायें। *लेकिन गर्मियों में अश्वगंधा की मात्रा कम प्रयोग करें।* या रात को सोने से पहले अश्वगंधा चूर्ण को शहद के साथ खिलाकर हल्का गर्म दूध रोगी को पीना चाहिये।
*6. एलोवेरा ज्यूस+आंवले का रस:* शुद्ध आॅर्गेनिक एलोवेरा ज्यूस और शुद्ध आॅर्गेनिक आंवले का रस मिलाकर पीने से भी आराम मिलता है।
*7. नारियल पानी:* नारियल का पानी पीने से और, या नींबू का रस गर्म पानी में डालकर पीने से मूत्र के जरिये यूरिक एसिड बाहर निकल जाता है।
*8. सेब का सिरका:* एक गिलास गुनगुने पानी में 2-3 चम्मच सेब का सिरका मिलाकर पीने से भी आराम मिलता है और यूरिक एसिड का दर्द कम होता है।
*9. बेकिंग सोडा:* एक गिलास पानी में एक चम्मच बेकिंग सोडा मिलाकर पीने से भी क्रिस्टल टूट कर घुल जाते हैं और पेशाब के जरिये निकल जाते हैं।
10. नींबू+शहद की चाय का सेवन भी उपयोगी और लाभ दायक है।
*-डॉ. पुरुषोत्तम मीणा, आॅल लाईन स्वास्थ्य रक्षक सखा। परामर्श समय: सुबह 10 से सायं 10 बजे के बीच। वाट्सएप नम्बर: 85-619-55-619, 14.10.2017*
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NOTE: यहां पर सभी लेखों में लिखी गयी दवाईयों का विवरण जनहित में स्वास्थ्य और बीमारियों के बारे में जागरूकता के लिए लिखा गया है। पाठक कृपया स्वयं अपना इलाज करने का खतरा मोल नहीं लें। कृपया अपने चिकित्सक के परामर्श के बिना, सुझाई गयी (किसी भी प्रकार की) दवा का सेवन नहीं करें। [Please Do not take any (kind of) suggested medicine, without consulting your Doctor.] हमारे 95 फीसदी रोगियों को व्यक्तिगत रूप से हम से आकर मिलने की जरूरत नहीं पड़ती। यद्यपि रोगियों की संख्या अधिक होने के कारण, आपको इन्तजार करना पड़ सकता है। कृपया धैर्यपूर्वक सहयोग करें।
डॉ. पुरुषोत्तम मीणा
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