हाथ-पैर नहीं कटवायें, होम्योपैथी में हड्डी संक्रमण का इलाज सम्भव है!
लेखक: डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश'
यह संस्मण 1990 के उन दिनों की है, जब मैं होम्योपैथी का नौसिखिया ही था। अर्थात अनुभव की पूंजी नहीं के बराबर थी। मुम्बई (जो तब बम्बई थी) में सेवारत था। मेरे सहकर्मी की साली का पैर दुर्घटना में कुचल गया था। जिसके दो आॅपरेशन किये गये। आॅर्थोपैडिक सर्जन ने आॅपरेशन के जरिये हड्डियों को ठीक से फिक्स कर दिया था। वह चलने-फिरने भी लगी थी, लेकिन 1 साल और 3 महिने बाद भी हड्डी के एक हिस्से का संक्रमण (Infection) ठीक नहीं हो पा रहा था। हैवी-हैवी एण्टीबॉयोटिक्स खाने के बाद भी आराम नहीं पड़ रहा था। उन्होंने अनेक वरिष्ठ डॉक्टर्स को दिखाया। सब ने यही राय दी कि एण्टीबॉयोटिक्स खाने और ड्रेंसिंग करवाने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। किसी एक डॉक्टर ने तो यह भी कहा बताया कि यदि हड्डी का संक्रमण (Bone Infection) लम्बे समय तक जारी रहा तो पैर काटना पड़ सकता है। इसके बाद पीड़िता के सभी स्वजनों में घबराहट और चिन्ता होना स्वाभाविक था। इसके बाद उन्होंने अपनी हैसियत के अनुसार बम्बई के अच्छे से अच्छे डॉक्टर को दिखाया, लेकिन संक्रमण ठीक नहीं हुआ।
तब एक दिन मेरे सहकर्मी ने मुझ उक्त बात बताई और पूछा कि क्या होम्योपैथी की सफेद गोलियां इसमें कुछ मदद कर सकती हैं? मैंने कहा पक्का कुछ नहीं कह सकता, लेकिन मैटेरिया मैडीका का अध्ययन करके कोशिश अवश्य कर सकता हूं। एक सप्ताह तक अध्ययन करने के बाद मैंने उन्हें कुछ दवाई दी। 15 दिन दवाई सेवन करने के बाद भी कोई फर्क नहीं पड़ा। लेकिन इस बीच मैं लगातार मैटेरिया मैडीका का अध्ययन करता रहा।
अब मैंने पीड़िता से व्यक्तिगत रूप से मिलना का तय किया। उसके निवास पर जाकर, तब तक के अपने अनुभव और समझ के अनुसार जरूरी लक्षण पूछे। आधा घंटा तक पूछताछ करने के बाद भी कोई ऐसा लक्षण हाथ नहीं लगा, जिसके आधार पर उस लड़की के पैर को बचाने हेतु किसी दवाई का सिलेक्शन किया जा सकता। तब ही आते-आते मैंने एक व्यक्तिगत सवाल पूछा, 'सिर के बालों को कंघी क्यों नहीं करती और सिर क्यों बांध रखा है?' क्योंकि उसके बाल बड़े ही बेतरतीब से बिखरे हुए थे। लड़की ने जवाब दिया, 'मुझे कंघी करने में परेशानी होती है। सिर दर्द के कारण कपड़ा बांध रखा है।' इसके बाद पूछताछ में पता चला कि उसको सिर में अत्यन्त पसीना आता था। उसे दिनभर नींद सी आती रहती थी। उसे कभी भी जरा सी चोट लगते ही पक जाती थी और ठीक होने का नाम ही नहीं लेती थी, जबकि डायबिटीज नहीं थी।
उक्त सभी लक्षणों को नोट करके ले आया। 5-7 दिन तक फिर से मैटेरिया मैडीका का अध्ययन किया। अंत में फिर से मैंने 200 शक्ति में दवाई दी। 7 दिन बाद उसके पैर से निकलने वाली मवाद कम होने लगी। मुझे अपार खुशी हुई। एक महिने में उसका संक्रमण 50 फीसदी ठीक हो गया। इसके बाद मेरा ट्रासफर मुम्बई से मध्य प्रदेश के रतलाम शहर में हो गया। आने से पहले उनको एक माह की दवाई देकर आया।
उस जमाने में मोबाईल नहीं हुआ करते थे। अत: कोई एक माह के प्रयासों के बाद वे मुझ से सम्पर्क कर पाये। बताया कि 60-70 फीसदी फायदा होने के बाद फायदा होना रुक गया। दवाई भी खतम हो गयी थी। वे मेरे से मिलने रतलाम आ गये। मैंने उन्हें रतलाम से ही दो महिने की और उच्च शक्ति की दवाई दी। दो महिने बाद वे फिर से मिलने आये। लड़की बिलकुल ठीक हो चुकी थी। उनकी खुशी का ठिकाना नहीं था। इसके बाद तो कई दर्जन दुर्घटनाग्रस्त लोगों के हाथ-पैर कटने से बचाये जा चुके हैं।
मैं अनेक आर्थोपैडिक सर्जन्स से मिला और हड्डी के संक्रमण में एलोपैथिक एण्टीबॉयोटिक्स की असफलता की चर्चा की, तो मुझे बताया कि यदि हड्डी में अंदर संक्रमण हो जाये तो सामान्यत: एलोपैथिक एण्टीबॉयोटिक्स दवाईयों से ठीक नहीं होता है। ऐसे में अनेक बार संक्रमित हिस्से को काटना पड़ सकता है।
इन दिनों भी एक ऐसे ही पेशेंट का उपचार चल रहा है, जिनके पैर में 12 संक्रमण थे। अभी एक शेष रहा है। वाकई होम्योपैथी में अनेक असम्भव और लाइलाज समझी जाने वाली पीड़ाओं से मुक्ति दिलाने की शक्ति है। यदि आपकी नजर में भी ऐसा कोई परेशान व्यक्ति हो तो कृपया तुरंत किसी अनुभवी होम्योपैथ से सम्पर्क करें।
डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश', HCF&MDC
(Health Care Friend and Marital Dispute Consultant)
स्वाथ्य रक्षक सखा एवं दाम्पत्य विवाद सलाहकार
Health WhatsApp/हेल्थ वाट्सएप: 85-619-55-619
Mobile No./मोबाईन नम्बर: 98750-66111 (10AM to 10PM)
Jaipur, Rajasthan, 17 दिसम्बर, 2017, 07.49AM
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