मलेरिया (Malaria) :
वर्षो के बाद जब घरों के आसपास बने गड्ढों में पानी सड़ने लगता है तो मच्छर उस पानी में अंडे देते है। उन मच्छरों में एनाफिलीज मादा मच्छर के काटने से मलेरिया रोग होता है। मलेरिया रोग कभी-कभी संक्रामक रूप में भी फेलता है।
उत्पत्ति :
मादा मच्छर एनाफिलीज रक्त पीने के लिए किसी स्त्री-पुरुष, बच्चों व प्रौढ़ को काटता है तो उसका रक्त पतला करने के लिए अपने मुंह से विषैला द्रव छोड़ता है। उस द्रव में मलेरिया को उत्पन्न करने वाले जीवाणु होते है। उन जीवाणुओं के विषक्रमण से मलेरिया ज्वर की उत्पत्ति होती है। मलेरिया के मच्छर दिन के समय घरों में मेज, कुर्सी व सोफे के नीचे अंधेरे में छिपे रहते है। रात के अंधेरे में निकलकर रक्त चूसते हैं।
लक्षण :
मलेरिया रोग के प्रारंभ में रोगी को बहुत जोरों से सर्दी लगती है। सर्दी का प्रकोप इनता अधिक होता है कि कई-कई रजाई कम्बल डालने पर भी सर्दी कम नहीं होती। रोगी का शरीर सर्दी के प्रकोप से कंपकंपाता है। दांत बजने लगते हैं। इसके साथ ही रोगी को तीव्र ज्वर हो जाता है। ज्वर के कारण रोगी को खूब पसीना आता है। ज्वर कम हो जाता है। अगले दिन रोगी अपने को निरोग अनुभव करता है, लेकिन एक दिन के अंतराल से फिर सर्दी लगने से तीव्र ज्वर हो जाता है।
मलेरिया रोग के कारण रोगी शारीरिक रूप से बहुत निर्बल हो जाता है। मलेरिया रोग में सिरदर्द और वमन की भी विकृति होती है। ज्वर के समय मांसपेशिया में भी शूल की उत्पत्ति होती है।
क्या खाएं?
- * चाय, कॉफी व दूध का सेवन करें। चाया में तूलसी के पत्तें काली मिर्च, दालचीनी या अदरक डाल कर सेवन करें।
- * मलेरिया के रोगी को सेब खिलाएं।
- * पीपल का चूर्ण बनाकर मधु मिलाकर सेवन करने से मलेरिया ज्वर में लाभ होता है।
- * दाल-चावल की खिचड़ी, दलिया, साबूदाना का सेवन करें।
- * नीबू को काटकर उस पर काली मिर्च का चूर्ण व सेंधा नमक डालकर चूसकर सेवन करें।
- * मलेरिया ज्वर में अमरूद खाने से रोगी को लाभ होता है।
- * तुलसी के पत्ते व काली मिर्च जल में उबालकर, छानकर पिएं।
- *नीम के हरे पत्ते 50 ग्राम और काली मिर्च मिलाकर जल में उबालकर, छानकर पीने से ज्वर नष्ट हाता है।
- * मलेरिया ज्वर में रोगी को सेब खाना चाहिए।
क्या न खाएं?
- * शीतल जल का सेवन ना करें। शीतल जल से स्नान न करें।
- * रोगी को आम, अनार, लीची, अनन्नास, संतरा आदि नहीं खाने चाहिए।
- * रोगी को नंगे पांव, नंगे सिर न घूमने दें।
- * शीतल खाद्य पदार्थों का सेवन न कराएं।
- * शीतल वातावरण में नही जाएं।
- * दही, कांजी, गाजर, मूली आदि का सेवन न करें।
- * उष्ण मिर्च-मसालें व अम्ल रस से बने खाद्य पदार्थों का सेवन न करें।
स्त्रोत : जियो जिन्दगी, 28 फरवरी, 2011
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