न्युमोनिया (Pneumonia)
शीत ऋतु में शीतल खाद्य पदार्थो के अधिक सेवन और शीतल वायु के प्रकोप से किशोर आयु के बच्चे न्यूमोनिया से अधिक पीड़ित होते है। फेफड़ों में शोध के कारण पसली चलने की विकृति होती है।
उत्पत्ति :
छोटे बच्चों में रोग निरोधक क्षमता कम होती हैं बारिश में देर तक भीगने, नदी-तालाब में देर तक स्नान करने और अधिक शीतल खाद्य पदार्थों का सेवन करने से फेफडों में शोध अर्थात न्यूमोनिया हो जाता है। न्यूमोनिया की चिकित्सा में विलम्ब नहीं करना चाहिए। रोगी को सर्दी से सुरक्षित रखना भी आवश्यक होता है। अन्यथा प्राणघातक स्थिति बन जाती है।
एलोपैथी चिकित्सकों के अनुसार न्यूमोनिया की उत्पत्ति स्टेªप्टोकोकस जीवाणुओं के कारण होती है। जीवाणुओं का संक्रमण शीत ऋतु में अधिक होता है। दूसरे संक्रामक रोग आंत्रिक ज्वर (टायफायड), ब्रोंकाइटिस, अधिक सर्दी-जुकाम से पीड़ित होने पर न्यूमोनिया के जीवाणु सीधे संक्रमण करके रोग की उत्पत्ति करते है।
लक्षण :
न्यूमोनिया में किसी रोगी के एक और किसी के दोनों फेफड़ों में शोध की उत्पत्ति होती है। रोगी को तीव्र ज्वर होता है और सप्ताह में दस-बारह दिन तक ज्वर बना रहता है। रोगी को जुकाम के साथ खांसी भी हो जाती है। जोर-जोर से खांसने पर पसलियों में बहुत पीड़ा होती है। खांसने पर बलगम भी निकलता है। पसलियां चलने के कारण रोगी को तीव्र शूल होता है। ब्रांको न्यूमोनिया की विकृति छोटे बच्चों को अधिक होती है।
चिकित्सा में विलम्ब होने पर न्यूमोनिया उग्र रूप धारण कर लेता है। ऐसे में रोगी की पीड़ा बढ़ जाती है और खांसी के कारण कफ निकलने पर रक्त भी निकल सकता है। न्यूमोनिया रोगी शारीरिक रूप से बहुत निर्बल हो जाता हैं फेफड़ों में शोथ हो जाने से रोगी को बहुत पीड़ा होती है। रोगी को सिरदर्द भी होता है।
क्या खाएं?
- * न्यूमोनिया के रोगी को जल उबालकर हल्का गर्म-गर्म पिलाएं।
- * बलू (रेत) को गर्म करके, कपड़े में बांधकर उस पोटली से छाती पर सेंके।
- * अलसी की पोटली बनाकर सेंकने से शूल नष्ट होता है।
- * लौंग को भूनकर, पीसकर 1 ग्राम चूर्ण में मधु मिलाकर रोगी को चटाने से बहुत लाभ होता है।
- * 5 काली मिर्च और 5 मुनक्के के दानों को 200 ग्राम जल में उबालकर, आधा शेष रह जोन पर छानकर हल्का गर्म-गर्म पिलाएं।
- * सितोपलादि चूर्ण 3 ग्राम मात्रा में मधु मिलाकर दिन में दो-तीन बार चाटकर खाने से न्यूमोनिया में खांसी का प्रकोप नष्ट होता है।
- * न्यूमोनिया रोग में पसली चलने पर अधिक पीड़ा होने पर रोगी के वक्षस्थल छाती पर यूकेलिप्टस ऑयल गर्म करके मालिश करें।
- * लहसुनको तेल में जलाकर, छानकर रोगी बच्चे की छाती पर मालिश करें।
- * लहसून के रस की 5 बूंदे 10 ग्राम जल में मिलाकर पिलाएं।
- * तुलसी के 10 पत्ते और काली मिर्च पीसकर गर्म जल के साथ सेवन कराएं।
- * गर्म जल में मधु मिलाकर रोगी को दिन में दो-तीन बार पिलाने से लाभ हाता है।
- * रोगी को चाय, कॉफी व गर्म दूध का सेवन कराएं।
- * चिकित्सक परामर्श पर दलिया, खिचड़ी, साबूदाना आदि दे सकते है।
क्या न खाएं ?
- * न्यूमोनिया के रोगी को कोई शीतल खाद्य पदार्थो सेवन न कराएं।
- * शीतल जल पीने को न दें।
- * रोगी को शीतल वायु से सुरक्षित रखें।
- * रोगी को अनाज से बने खाद्य पदार्थो का सेवन न कराएं।
- * रोगी बच्चे को चाय, कॉफी व दूध का सेवन न कराएं।
- * घी, तेल से बने पकवान न खिलाएं।
स्त्रोत :
जियो जिन्दगी, 25 फरवरी, 2011
सार्थक प्रयास है आपका हमारी ओर से धन्यवाद
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