- अगर रोजाना ढंग से पेट साफ नहीं होता।
- हमेशा ऐसा लगता रहे कि पेट से मल पूरी तरह से बाहर नहीं निकला है।
- बार-बार टॉइलेट जाएं, मगर फिर भी मोशन आने का अंदेशा बना रहे। इसे सीधे तौर पर कब्ज नहीं कहा जाता, मगर यह कब्ज का ही एक रूप यानी उदर विकार ( पेट साफ न होने की बीमार) है।
- नाभि का ऊपर की तरफ खिसक जाना।
- बहुत ज्यादा मानसिक तनाव में रहना।
- तला-भुना, मसालेदार गरिष्ठ भोजन करना।
- एलोपैथिक दवाओं का ज्यादा सेवन करना।
- खाने का समय नियमित न होना।
- टॉइलेट जाने की जरूरत महसूस होने पर भी तमाम वजहों से उसे टालते रहना।
- अधिक सेक्स करने की वजह से नाभि अपनी जगह से खिसक जाती है, इसकी वजह से शरीर कमजोर होने से तमाम विकार उत्पन्न हो जाते हैं। इस वजह से कब्ज भी हो जाता है।
- स्मोकिंग या तंबाकू के दूसरे तरीकों से सेवन के कारण। नशीली दवाओं के सेवन से।
- कोल्ड ड्रिंक या शराब जरूरत से ज्यादा पीने की वजह से।
- जितनी भूख लगी है, उससे कम खाना खाना।
- हिमालय ड्रग्स की हर्बोलेक्स की दो गोली, रात को गुनगुने पानी से।
- गंधर्व हरीतकी चूर्ण आधा से एक चम्मच, रात को गुनगुने पानी से।
- स्वादिष्ट विरेचन चूर्ण आधा से एक चम्मच, रात को गुनगुने पानी से।
- त्रिवृत्त चूर्ण आधा से एक चम्मच, रात को गुनगुने पानी से।
- सेज कंपनी का त्रिफला सीरप दो चम्मच पानी के साथ। शुगर के पेशंट्स के लिए इस दवा का इस्तेमाल न करें।
- सीगल कंपनी का फिगोलेक्स सीरप दो चम्मच, रात को पानी के साथ।
- सॉफ्टोवैक पाउडर एक से दो चम्मच। यह दवा ईसबगोल का ही एक रूप है। शुगर पेशंट्स के लिए यह पाउडर सॉफ्टोवैक-एसएफ या शुगर फ्री के नाम से आता है।
- त्रिफगोल एक चम्मच पाउडर, रात को पानी से।
- बिल्वादि चूर्ण एक चम्मच, गुनगुने पानी से।
- केस्टॅर ऑयल (अरंड का तेल) दो छोटे चम्मच। इसमें थोड़ा सा गुनगुना पानी या दूध मिला लें।
- आरोग्यवधिर्नी वटी दो-दो गोली सुबह-शाम पानी से।
- गुलकंद एक-एक चम्मच सुबह-शाम दूध से।
- पंचसकार चूर्ण एक चम्मच रात के समय।
- कई ऐसी बमारियां हैं, जिनकी वजह से कब्ज की बीमारी हो जाती है। मसलन रसौली ( आंत में गांठ) की बीमारी की वजह से कब्ज हो जाता है। इसी तरह किसी वजह से आंत में रुकावट आने की वजह से भी कब्ज हो जाता है। ऐसे मामलों में डॉक्टर से सलाह करें। ज्यादातर मामलों में ऑपरेशन किया जाता है।
- अगर किसी को हाल ही में कब्ज शुरू हुआ है, पेट में तेज दर्द होता हैया पेट बुरी तरह फूल जाता है। उल्टियां आ रही हैं या फिर मोशन के दौरान ब्लड आ रहा है, तो फौरन डॉक्टर से सलाह लें।
- लगातार पेनकिलर्स या नॉरकोटिस, एनलजेसिक या दर्द निवारक दवाएं खाने वाले भी कब्ज का शिकार हो जाते हैं। यदि ऐसी दवाओं को रोक दिया जाए तो कब्ज ठीक हो जाएगी।
- हॉरमोंस की प्रॉब्लम, थाइरॉयड या शुगर से भी कब्ज हो जाती है।
- पारकिन्सन्स, पैरालिसिस से ग्रस्त या बिस्तर पर लेटे रोगियों को भी कब्ज हो जाती है।
- अगर कब्ज से दूर रहना है, तो छोटी मोटी शारीरिक परेशानियों में फौरन दवा खाने की आदत से बचें। मतलब यह है कि कम से दवाइयां खाएं।
- खानपान का ध्यान रखें। हरी और रेशेदार सब्जियां और लिक्विड मसलन, दूध, फलों का रस, शिकंजी आदि का सेवन करें।
- रेग्युलर एक्सर्साइज करें। अगर वजन सही अनुपात में है और बॉडी फिट है, तो कब्ज की आशंका कम ही रहती है।
- कब्ज की दवाओं के सहारे पेट साफ करने की आदत सही नहीं है। लंबे समय तक इन दवाओं को खाने से अंतडि़यों में सूजन आ जाती है। इन दवाओं की आदत भी पड़ जाती है।
- दूध-दही या पानी के साथ रात के समय ईसबगोल की भूसी दो चम्मच लें।
- अगर ऊपर बताए उपाय करने पर भी कब्ज से आराम नहीं मिल रहा है, तो कुछ दिनों के लिए लेक्टोलॉज 15 एमएम की गोली ले सकते हैं।
- डॉक्टर मनोवैज्ञानिक सलाह और ट्रेनिंग के जरिए भी कब्ज के रोगियों का इलाज करते हैं।
- कपालभाति प्राणायाम धीरे-धीरे एक बार में जितना कर सकें। ऐसे तीन से चार राउंड करने की सलाह दी जाती है। इसे करते समय आंखें बंद रखें और ध्यान पेट पर लगाएं। मन में यह भाव लाएं कि आंतों की क्रियाशीलता बढ़ रही है और कब्ज दूर हो रहा है।
- अग्निसार क्रिया, उर्ध्व हस्तोत्तानासन, पवनमुक्तासन, भुजंगासन, मंडूकासन और भस्त्रिका प्राणायाम।
- धनुरासन, उत्तानपाद, पश्चिमोत्तानासन, मत्स्यासन भी कब्ज दूर करने में सहायक होते हैं।
- कोई भी आसन तीन से चार बार कर सकते हैं। मगर गोल्डन रूल यही है कि योग अपनी शक्ति और सार्मथ्य के हिसाब से ही करें, जबरन नहीं।
- दो-तीन दिन में एक बार गुनगुने पानी की एनीमा लें।
- कुछ दिनों के अंतराल पर लघु शंखप्रक्षालन करते रहें।
- क्रीम निकला हुआ यानी टोंड दूध ही पीएं।
- कोल्ड ड्रिंक के रूप में शर्बत, शिकंजी, नींबू पानी या लस्सी को प्राथमिकता दें।
- जमकर पानी पिएं।
- फल- चीकू, केला, सेब, अंगूर, शरीफा, लीची।
- सब्जियां -अरबी, भिंडी, कचालू, रतालू, बैंगन, जिमीकंद, चुकंदर।
- दालें -राजमा, सफेद छोले, साबुत उड़द, चने, सोयाबीन, लोबिया (खास तौर पर रात के वक्त इन्हें खाने से परहेज करें)
- मीट, अंडा व मछली कब्ज करती हैं। इन्हें दूसरी सब्जियों के साथ मिलाकर खाएं।
- जूस के बजाय साबुत फल खाएं।
- पनीर, मक्खन व घी से बचें। पनीर को पालक के साथ खा सकते हैं।
- मलाई वाला दूध।
- फास्ट फूड, जंक फूड यानी मैदे आदि से बनी चीजों से परहेज करें।
- सॉफ्ट ड्रिंक, शराब और सिगरेट-तंबाकू से दूर रहें।
- लाइफ स्टाइल में सुधार लाएं। दवाओं पर निर्भर न रहें।
- पपीता खाएं। कब्ज के रोगियों को इस गूदेदार फल से बहुत लाभ मिलता है।
- किशमिश या मुनक्के के बीज निकालकर 5 से 10 दाने रोजाना भिगोकर खायें। अगर भिगोकर खाने में सहूलियत नहीं, तो ऐसे ही खा लें। मुनक्का दूध के साथ भी ले सकते हैं।
- जिन्हें कब्ज की शिकायत है, वे सेब और अनार न खाएं। इन फलों से कब्ज बढ़ता है। गैस बनने की वजह से भी कब्ज की शिकायत होती है। इसलिए ऐसी चीजों से परहेज करें, जिनसे गैस बनती है।
अखबार की आदत : अखबार की आदत भी ठीक नहीं है। इससे टॉइलेट में ध्यान बंटा रहता है, जिससे पेट साफ नहीं हो पाता। शौच के समय ध्यान को पेट पर रखें और भाव रखें कि अंदर रुका हुआ मल बाहर आ रहा है। जोर न लगाएं, इससे बवासीर हो सकती है। टॉइलेट में ज्यादा वक्त तक बैठे रहने से भी पेट साफ होने का कोई संबंध नहीं है।
- सबसे पहले शुगर को कंट्रोल में करें।
- खाने में फाइबर यानी रेशेदार चीजों की मात्रा बढ़ाएं।
- आटे में चोकर मिलाकर रोटियां बनवाएं।
- ईसबगोल की भूसी शाम को छह बजे के आसपास पानी से लें लें। ईसबगोल का असर होने में 10-12 घंटे लग जाते हैं, इसलिए शाम को छह बजे के करीब लेंगे तो सुबह समय से मोशन हो सकेगा। जब कब्ज ठीक हो जाए, तो यह प्रयोग बंद कर दें। ईसबगोली की भूसी का दूध के साथ सेवन न करें।
- सुबह उठकर गुनगुना पानी पिएं।
- रोजाना टहलने जरूर जाएं। खास तौर पर सुबह के समय।
- रोजाना दो सौ ग्राम कोई भी रेशेदार फल मसलन, पपीता जरूर खाएं।
- शुगर के रोगी चीकू, केले, नारियल, आम व भुट्टा न खाएं।
- सब्जियों में पत्ते वाली सब्जियां, फलियां व सलाद लें। हरी सब्जियां ज्यादा खाएं।
- दलिया खाएं।
- दूध में ओटमील या जई का आटा मिलाकर खाएं।
- त्रिफला व ईसबगोल की भूसी दो चम्मच मिलाकर शाम को लें।
- बच्चों में कब्ज के लिए बड़ी हरड़ को पानी में घिसकर दो चम्मच पिलाएं। इसमें चीनी भी मिला सकते हैं।
- बच्चों की गुदा में थोड़ा सा सरसों या नारियल का तेल लगाने से उनकी कब्ज खुल जाती है।
- बड़ों को सनाय के पत्ते, सौंफ, छोटी हरड़, काला नमक व पिपली बराबर मात्रा में मिलाकर एक चम्मच के बराबर फंकी रात में गुनगुने पानी से लें।
- छोटी हरड़ का चूर्ण तीन से पांच ग्राम तक रात को पानी से लें। बहुत ज्यादा कब्ज हो तो एक बार दिन में भी ले सकते हैं।
- रात को सोते वक्त एक चम्मच आंवला चूर्ण गुनगुने पानी से लें।
- रात को सोते वक्त एक चम्मच त्रिफला (हरड़, बहेड़ा व आंवला का मिक्स)चूर्ण गुनगुने पानी से लें।
- सुबह उठकर खाली पेट गुनगुना पानी पीएं।
- खाना खाने के बाद एक कप गरम पानी पीएं।
- रात को सोते समय गरम दूध लें। सदिर्यों में इसमें बादाम रोग डाल लें।
- दूध में दो-चार मुनक्के के दाने उबालकर रात को लें।
- ईसबगोल की भूसी दूध के साथ फंकी लें।
- पूरी नींद लें।
- डॉ. भीम भट्ट, सीनियर आयुर्वेदिक चिकित्सक व एचओडी, आयुर्वेद विभाग, होली फैमिली हॉस्पिटल
- आचार्य विक्रमादित्य, मुद्रा, योग व आयुवेर्दिक विशेषज्ञ
- डॉ. सुशील वत्स, हॉम्योपैथी
- समीना तारिक, डाइटीशियन
- डॉ. ए. के. झींगन, चेअरमन दिल्ली डायबिटिक रिसर्च सेंटर
- डॉ. अजय कुमार, सीनियर कन्सल्टेंट गेस्ट्रोएंट्रॉलजी विभाग-अपोलो हॉस्पिटल
- गंगा दादू, एक्यूप्रेशर व एक्यूपंक्चर विशेषज्ञ
- योग गुरु, डॉक्टर सुरक्षित गोस्वामी
नवभारत टाइम्स| 9 अगस्त, 2009, विचार मंच-फोकस
बहुत अच्छी जानकारी
ReplyDeleteVery nice sir
ReplyDeleteSahi Sujhav Dhanyawad
ReplyDeleteConstipation is a major problem among people.It can be cured with natural remedies like hashmi kino churna.
ReplyDeleteThanks for sharing tips for constipation. Overcome constipation troubles by using herbal supplement. For more info visit http://www.hashmidawakhana.org/constipation-chronic-constipation-herbal-churna.html
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