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कोलेस्ट्रॉल

हेल्थ टिप्स : कोलेस्ट्रॉल कम करने के लिए
डॉ. योगेश शाह

कोलेस्ट्रॉल को कम करने के लिए कई तरह के खाद्य पदार्थों को आहार श्रृंखला में शामिल करना चाहिए। केवल कुछ चुनिंदा खाद्य पदार्थों के खाने भर से कोलेस्ट्रॉल के स्तर में कमी नहीं होती। नियमित कसरतों को भी जीवनशैली में शामिल करना होगा। आईटी उद्योगों से जुड़े कई संस्थान अपने परिसर में ही जिम्नेशियम उपलब्ध कराते हैं। कर्मचारी अपनी सुविधानुसार कसरत कर सकते हैं। ऑफिस के कैंटीनों में भी हेल्थ फूड लोकप्रिय होते जा रहे हैं। 


जो अपनी जीवनशैली परिवर्तित नहीं कर पा रहे हैं या जिनकी नौकरी इस तरह की है कि वे चाहकर भी नियमित कसरतें नहीं कर पाते हैं उन्हें अपने खानपान में थोड़ा परिवर्तन करना चाहिए। उदाहरण के तौर पर मैदे के बने ब्रेड या बन्स के बजाय मल्टी ग्रेन का विकल्प तलाशा जा सकता है। 

साबुत अनाज 
हाल ही में हुए एक अध्ययन से यह बात सामने आई है कि ‍जिन लोगों के भोजन में साबुत अनाज जैसे अंकुरित धान्य, दलिया वगैहर शामिल है उनकी कोरोटाइट आर्टरी क‍ि दीवार पतली रहती है, साथ ही इनमें मोटापन बहुत धीमी गति से आता है। कोरोटाइट आर्टरी जितनी अधिक लचीली होगी दिल और दिमाग के दौरे पड़ने की आशंका उतनी ही कम होगी। कोलेस्ट्रॉल बढ़ा हुआ रहेगा तो कोरोटाइट आर्टरी की दीवार मोटी और सख्त बन जाएगी। 


पिस्ता, अखरोट, बादाम 
अमेरिकन कॉलेज ऑफ कर्डियोलॉजी के जर्नल में एक शोध अध्ययन प्रकाशित हुआ है जिसके मुताबिक पिस्ता खाने से खराब कोलेस्ट्रॉल का स्तर घट जाता है। भारी वसायुक्त भोजन के बाद खाए गए अखरोटों से आपके दिल को संभावित खतरों से बचाया जा सकता है। पिस्ता, अखरोट और बादाम में मौजूद ओमेगा-3 फैटी एसिड और एंटीऑक्सीडेंट वसायुक्त भोजन में मौजूद सैचुरेटेड फैट्स से आर्टरीज को होने वाले नुकसान की भरपाई कर सकता है। 

अनार का रस
अनार का रख कोलेस्ट्रॉल के थक्के बनाना बंद कर देता है, नाइट्रिक ऑक्साइड का उत्पादन बढ़ा देता है। नाइट्रिक ऑक्साइड से आर्टरीज में जमे थक्के कम होने में मदद मिलती है। 

ओट्स 
इसे सामान्य भाषा में जई भी कहते हैं। इसमें बीटा ग्लूकेन नामक रसायन होता है जो खराब कोलेस्ट्रॉल (एलडीएल) को रक्त नलिकाओं से हटा देता है। इसे बनाना बहुत आसान है और प्राय: सभी बड़े स्टोर्स में मिल जाता है। 

खाद्य तेल 
किसी भी एक तरह के खाद्य तेल पर निर्भर न रहें। हमेशा उसे बदलते रहें। तिल्ली, मूंगफली, सरसों, खोपरे का तेल, सोयाबीन, बिनौले और राइसब्रान को बारी-बारी से इस्तेमाल कर सकते हैं। खाद्य तेल की मात्रा कम की जा सकती है उदाहरण के तौर पर यदि सब्जियां दो चम्मच तेल में छौंकी जा रही हैं तब उसे घटाकर एक चम्मच पर लाया जा सकता है। नॉन स्टिक कुक वेयर इसमें आपकी मदद कर सकते हैं। ऑलिव ऑइल को भी खाद्य श्रृंखला में शामिल किया जा सकता है। बाजार में ऐसा ऑलिव ऑइल भी उपलब्ध है जिसमें भारतीय भोज न शैली के अनुरूप तला भी जा सकता है।


अलसी का तेल 
इस तेल के उपयोग से उच्च रक्तचाप को नियंत्रित किया जा सकता है। अध्ययनों में पता चलता है कि जिन मध्य आयुवर्ग के पुरुषों ने आठ ग्राम अलसी के बीज नियमित रूप से खाए उनका रक्तचाप कम हुआ। 

काला सोयाबीन 
साइंस ऑप फूड एंड एग्रीकल्चर, अमेरिका के जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन के मुताबिक काले सोयाबीन का उपयोग करने से मोटापा कम होता है। एलडीएल कोलेस्ट्रॉल, साथ ह‍ी टाइप-2 डायबिटीज का जो खिम कम हो जाता है।

दही है महत्वपूर्ण 
सबसे अंत में और सबसे महत्वपूर्ण खाद्य पदार्थ है दही जो खराब कोलेस्ट्रॉल को कम करने में आपकी मदद करता है। दही में मौजूद प्रोबायोटिक्स लैक्टोबैसिलियम एसिडोफिलिस कोलेस्ट्रॉल के स्तर को घटाने में मददगार साबित होता है। खाद्य पदार्थों का सतर्कतापूर्वक चयन करने के साथ नियमित कसरत से कुल कोलेस्ट्रॉल बढ़ने के जोखिम से बचा जा सकता है। 

क्या होता है खराब कोलेस्ट्रॉल 
एलडीएल या खराब कोलेस्ट्रॉल वसा का वह थक्का होता है जो नसों की दीवार पर चिपक जाता है तथा उसे और सख्त बना देता है। थक्के की वजह से रक्त नलिकाओं का आकार सिकुड़ जाता है और उचित मात्रा में रक्त का प्रवाह होना चाहिए वह नहीं हो पाता। खराब कोलेस्ट्रॉल का स्तर कम करने के लिए औषधियों के साथ उचित आहार एवं नियमित कसरतें भी करना जरूरी है।
स्त्रोत : हिंदी वेब दुनिया डॉट कॉम
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कैसे बढता है कोलेस्‍ट्रॉल, जानिये 10 कारण

शरीर को ठीक ढंग से काम करने के लिए एक निश्चित कोलेस्ट्रॉल के लेवल की जरुरत होती है। जब कोलेस्ट्रॉल का लेवल बढ़ता है तो यह आर्टरी ब्लॉकेज, स्टोक्स और अन्य हृदय की समस्याओं का कारण बनता है। कोलेस्ट्रॉल मोम जैसा एक पदार्थ होता है, जो लीवर से उत्पन्न होता है। यह सभी पशुओं और मनुष्यों के कोशिका झिल्ली समेत शरीर के हर भाग में पाया जाता है। कोलेस्ट्रॉल कोशिका झिल्ली का एक महत्वपूर्ण भाग है, जहां उचित मात्रा में पारगम्यता और तरलता स्थापित करने में इसकी आवश्यकता होती है।


मानव शरीर को कोलेस्ट्रॉल की आवश्यकता मुख्यतः कोशिकाओं के निर्माण के लिए, हारमोन के निर्माण के लिए और बाइल जूस के निर्माण के लिए होती है। इन दिनों बहुत से युवा हाई कोलेस्ट्रॉल की समस्या से जूंझ रहें हैं, इसके कई कारण हैं। उच्च कोलेस्ट्रॉल के लेवल के ये प्रमुख कारण हैं।

अन-हेल्थी डाइट : शरीर में संतृप्त वसा का पूरा इस्तेमाल शरीर में होने पर भी हाई कोलेस्ट्रॉल पैदा हो सकता है। संतृप्त वसा भोजन ऐसे भोजन में पाई जाती है, जिनमें कोलेस्ट्रॉल और फैट ज्यादा होता है। जैसे लाल फैटी मांस, मक्खन, पनीर, केक, घी आदि ऐसे ही खाद्य पदार्थ हैं। इनको ज्यादा खाने से बचें और इस प्रकार के ज्यादा वसा वाले पदार्थों का सेवन कम करें।

वंशानुगत कारण : यदि आपके परिवार में किसी को हाई कोलेस्ट्रॉल रहा है तो यह आपके लिए भी चिंता का कारण है। यह आनुवंशिक हाई कोलेस्ट्रॉल भी समय पूर्व ब्लॉकेज और स्ट्रोक का कारण बनता है।

ज्यादा मोटापा : मोटापा या थोडा ज्यादा ओवरवेट होना भी हाई कोलेस्ट्रॉल का कारण है। इसके अतिरिक्त यह आपकी सोशल लाइफ को ख़त्म करते हुए यह ट्राइग्लिसराइड्स को भी बढ़ा देता है जो की आगे जाकर ब्लॉकेज का कारण बनता है। इसलिए, हाई कोलेस्ट्रॉल के खतरे को कम करने के लिए अपने वजन को नियमित रखना जरूरी है।

स्मोकिंग : सिगरेट स्मोकिंग कोलेस्ट्रॉल के लेवल को बढ़ाने का मुख्य कारण है। यह अच्छे कोलेस्ट्रॉल की मात्र को कम करते हुए आपकी उम्र को कम करती है।

आयु और लिंग : 20 की उम्र के बाद कोलेस्ट्रॉल का लेवल बढ़ना शुरू हो जाता है। यह कोलेस्ट्रॉल का लेवल 60 - 65 की उम्र तक महिलाओं और पुरुषों में समान रूप से बढ़ता है। मासिक धर्म शुरू होने से पहले महिलाओं में कोलेस्ट्रॉल का लेवल कम रहता है, लेकिन मासिक धर्म के बाद पुरुषों के अपेक्षा महिलाओं में कोलेस्ट्रॉल का लेवल अधिक रहता है। इसलिए, आप उम्र के अनुसार आहार पर ध्यान देते हुए एक स्वस्थ जीवन शैली बनाए रखें।

आलसीपन : जो लोग पूरा दिन बैठने में और लेटने में बिताते हैं, उनमें हाई कोलेस्ट्रॉल का खतरा ज्यादा होता है। एक एक्टिव लाइफ ट्राइग्लिसराइड्स को कम कर आपको अपना वजन नियमित रखने में मदद करती है।

दवाइयां : कुछ दवाइयां ट्राइग्लिसराइड्स के स्तर को बढ़ा देती हैं, इसलिए, कोई भी गोली लेने से पहले अपने चिकित्सक से सलाह जरूर लें।

शराब का सेवन : ज्यादा शराब का सेवन लीवर और हार्ट की मांसपेशियों को नुकसान पहुंचा सकता है जो कि हाई ब्लड प्रेशर का कारण बनता है और शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्र को बढाता है।

तनाव : जब लोग तनाव में होते हैं तो अपने आपको तसल्ली देने के लिए स्मोकिंग, शराब का सेवन और फैटी खाने का सेवन करते हैं। इसलिए लम्बे समय तक तनाव ब्लड कोलेस्ट्रॉल के बढ़ने का कारण बनता है।

बीमारी : कुछ बीमारियाँ जैसे शुगर और हाइपोथायरायडिज्म आदि भी शरीर में कोलेस्ट्रॉल के लेवल को बढाती हैं। इस कारण, कोलेस्ट्रॉल के लेवल को कण्ट्रोल में बनाये रखने के लिए नियमित रूप से मेडिकल जांच करातें रहें।

स्त्रोत : हिंदी बोल्ड स्काई, ०५-०८-१३
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कोलेस्ट्रॉल जानें, समझें और बचें

कोलेस्ट्रॉल एक वसा है, जो लिवर द्वारा उत्पन्न होती है। यह शरीर के सुचारु रूप से कार्य करने के लिए जरूरी है। हमारे शरीर की प्रत्येक कोशिका को जीवित रहने के लिए कोलेस्ट्रॉल की आवश्यकता होती है। कोलेस्ट्रॉल मोम जैसा चिकना पदार्थ है, जो ब्लड प्लाज्मा द्वारा शरीर के विभिन्न हिस्सों में पहुंचता है।

कोलेस्ट्रॉल दो तरह का होता है, एलडीएल (लो डेन्सिटी लिपोप्रोटीन) और एचडीएल (हाई डेन्सिटी लिपोप्रोटीन)। एलडीएल को लोग अक्सर बुरा कोलेस्ट्रॉल कहते हैं। एलडीएल कोलेस्ट्रॉल को लिवर से कोशिकाओं में ले जाता है। अगर इसकी मात्रा ज्यादा होगी तो यह कोशिकाओं में हानिकारक रूप में इकट्ठा होने लगेगा। समय बीतने के साथ एलडीएल धमनियों को संकरा कर देता है, जिससे रक्त का प्रवाह सुचारु रूप से नहीं हो पाता। मानव रक्त में एलडीएल की मात्र औसतन 70 प्रतिशत होती है। यह कोरोनरी हार्ट डिसीजेज और स्ट्रोक का सबसे बड़ा कारण है। एचडीएल को अच्छा कोलेस्ट्रॉल माना जाता है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह कोरोनरी हार्ट डिसीज और स्ट्रोक को रोकता है। एचडीएल, कोलेस्ट्रॉल को कोशिकाओं से दूर वापस लिवर में ले जाता है। लिवर में या तो यह टूट जाता है या व्यर्थ पदार्थों के साथ शरीर के बाहर निकाल दिया जाता है।

कोलेस्ट्रॉल का सामान्य स्तर क्या है?

मानव रक्त में कोलेस्ट्रॉल का स्तर 3.6 मिलिमोल्स प्रति लिटर से 7.8 मिलिमोल्स प्रति लिटर के बीच होता है। 6 मिलिमोल्स प्रति लिटर कोलेस्ट्रॉल को उच्च माना जाता है और ऐसी स्थिति में धमनियों से जुड़ी बीमारियों का खतरा बहुत बढ़ जाता है। 7.8 मिलिमोल्स प्रति लीटर से ज्यादा कोलेस्ट्रॉल को अत्यधिक उच्च कोलेस्ट्रॉल का स्तर कहेंगे। इसका उच्च स्तर हार्ट अटैक और स्ट्रोक की आशंका कई गुना बढ़ा देता है।

कोलेस्ट्रॉल स्क्रीनिंग टैस्ट 

कोलेस्ट्रॉल स्क्रीनिंग टैस्ट में रक्त में एचडीएल और एलडीएल दोनों के स्तर की जांच होती है। 20 साल की उम्र में पहली बार कोलेस्ट्रॉल स्क्रीनिंग टैस्ट करवा लेना चाहिए। इसके बाद हर पांच साल में एक बार यह टैस्ट करवाएं। पर अगर जांच में यह बात सामने आती है कि रक्त में कोलेस्ट्रॉल का स्तर सामान्य से अधिक है या आपके परिवार में दिल की बीमारियों का पारिवारिक इतिहास रहा है तो डॉक्टर हर 2 या 6 माह में जांच कराने की सलाह दे सकते हैं।

केवल बुरा ही नहीं होता कोलेस्ट्रॉल

कोलेस्ट्रॉल हमारे रक्त का एक महत्वपूर्ण घटक है, क्योंकि यह कई लाभकारी हार्मोन्स के स्राव में सहायता करता है। यहां तक कि जिन लोगों में कोलेस्ट्रॉल का स्तर कम होता है, उन्हें इम्यून सिस्टम से संबंधित कई समस्याएं होती हैं और उनमें संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। कोलेस्ट्रॉल बैक्टीरिया द्वारा उत्पन्न किए विषैले पदार्थों को सोखने के लिए स्पंज का कार्य करता है। मस्तिष्क की कार्यप्रणाली के लिए भी कोलेस्ट्रॉल बहुत जरूरी है। जो लोग अल्जाइमर्स से पीड़ित होते हैं, उनके मस्तिष्क में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा अधिक पाई जाती है।

कोलेस्ट्रॉल के कार्य
  1. कोलेस्ट्रॉल कोशिकाओं की बाहरी परत का निर्माण करता है और उनका रखरखाव करता है।- यह एड्रिनल ग्रंथि द्वारा स्नवित हार्मोनों कार्टिसोल, एल्डोस्टेरन आदि के स्राव के लिए जरूरी है।
  2. यह सूरज की किरणों को विटामिन डी में बदलने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  3. वसा में घुलनशील विटामिनों (विटामिन ए, डी, ई और के) के मेटाबॉलिज्म के लिए भी यह कोलेस्ट्रॉल जरूरी है।

इन्हें खाएं, कोलेस्ट्रॉल रहेगा नियंत्रित?
  1. चाय: चाय में पाया जाने वाला कैटेचिन कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करता है। पारंपरिक काली चाय की तुलना में ग्रीन टी में इसकी मात्रा अधिक होती है।
  2. ओट्स: छह सप्ताह तक नाश्ते में रोजाना ओट्स खाने से कोलेस्ट्रॉल का स्तर 5.3 प्रतिशत कम हो जाता है।
  3. नाशपाती: ताजी नाशपाती में पेक्टिन की मात्रा बहुत अधिक होती है। यह कोलेस्ट्रॉल को बांधता है और उसे शरीर से बाहर निकाल देता है। इसके अलावा केला, संतरा और सेब में भी पेक्टिन पाया जाता है।
कोलेस्ट्रॉल से जुड़े कुछ मिथक

मिथ 1: कोलेस्ट्रॉल एक बुरा पदार्थ है

तथ्य: हम कोलेस्ट्रॉल के बिना जीवित नहीं रह सकते। यह हमारे शरीर में कई महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाता है। इसलिए यह कहना सही नहीं है कि कोलेस्ट्रॉल शरीर के लिए एक बुरा पदार्थ है। कोलेस्ट्रॉल हमारे शरीर में विटामिन डी के निर्माण में सहायता करता है और बाइल एसिड के निर्माण में भी सहायता करता है, जो हमारे शरीर में वसा के पाचन के लिये आवश्यक है। यह सेक्स हार्मोन जैसे एस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्रन आदि के निर्माण के लिए भी आवश्यक है।


मिथ 2: कोलेस्ट्रॉल का निम्न स्तर अच्छे स्वास्थ्य की निशानी है

तथ्य: वैसे एलडीएल का निम्न स्तर हमेशा अच्छे स्वास्थ्य की निशानी माना जाता है, लेकिन एक नये अध्ययन में यह बात सामने आई है कि जिन लोगों को कैंसर होता है, उनके शरीर में कुछ वर्ष पहले से ही कोलेस्ट्रॉल का स्तर सामान्य से कम होने लगता है। 

मिथ 3: उच्च एलडीएल का अर्थ है कि आप हार्ट अटैक की ओर बढ़ रहे हैं

तथ्य: हार्ट अटैक के कारणों में एलडीएल का उच्च स्तर ही नहीं, एचडीएल का निम्न स्तर भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। आधुनिक जीवनशैली और मोटापा के कारण लोगों में एचडीएल का स्तर कम और एलडीएल का स्तर बढ़ रहा है। हृदय रोगों से पीड़ित केवल 2% लोगों में एलडीएल और एचडीएल का आदर्श स्तर पाया जाता है।

मिथ 4: अंडे का सेवन धमनियों को अवरुद्घ कर देता है

तथ्य: यह सही है कि अंडे में डाएट्री कोलेस्ट्रॉल की मात्रा काफी होती है, विशेषकर पीले भाग में। हालांकि एक सप्ताह में छह अंडे खाना सामान्य बात है, लेकिन प्रतिदिन 3 या उससे अधिक अंडे खाने से रक्त में अच्छे और बुरे कोलेस्ट्रॉल दोनों का स्तर बढ़ जाता है। 

मिथ 5: खाद्य तेल शरीर में कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बढ़ाते हैं

तथ्य: वनस्पति तेल हृदय को स्वस्थ रखते हैं और रक्त वाहिनियों में रक्त के प्रवाह को आसान बनाते हैं। ये रक्त में एलडीएल का स्तर नहीं बढ़ाते। इनमें सैचुरेटेड वसा और अनसैचुरेटेड वसा दोनों होती हैं। सीमित मात्रा में तेल का सेवन हानिकारक नहीं, बल्कि आवश्यक है। 

(विशेषज्ञ: डॉ. के के अग्रवाल, अध्यक्ष, हार्ट फाउंडेशन ऑफ इंडिया, डॉ. वी. एस. गंभीर, वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ, कैलाश हॉस्पिटल)

किसे है ज्यादा खतरा
  1. आपके परिवार में या निकट संबंधियों में से कोई कोरोनरी हार्ट डिसीज या स्ट्रोक से पीड़ित रहा हो तो आपको उच्च कोलेस्ट्रॉल होने की आशंका ज्यादा होगी। 
  2. डायबिटीज, हाइपरटेंशन, किडनी डिसीज, लिवर डिसीज और हाइपर थाइरॉयडिज्म से पीड़ित लोगों में भी कोलेस्ट्रॉल का स्तर अधिक पाया जाता है।
  3. पुरुषों में महिलाओं के मुकाबले कोलेस्ट्रॉल का उच्च स्तर होने की आशंका ज्यादा होती है।
  4. उम्र बढ़ने के साथ शरीर में कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ने का खतरा बढ़ता जाता है।
  5. जिन महिलाओं को मेनोपॉज जल्दी होता है, उनमें कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ने की आशंका दूसरी महिलाओं के मुकाबले अधिक होती है।
ताकि कोलेस्ट्रॉल हमेशा रहे नियंत्रित
  1. फल, सब्जियां, साबुत अनाज अधिक मात्रा में खाएं।
  2. सैचुरेटेड फैट वाले खाद्य पदार्थों का सेवन न करें।
  3. भरपूर सोएं।
  4. अपना वजन सामान्य रखें।
  5. धूम्रपान और शराब से बचें।
  6. ज्यादा से ज्यादा फाइबरयुक्त भोजन का सेवन करें।
स्त्रोत : लाइव हिंदुस्तान डॉट कॉम, २५-०७-२०१३
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6 चीजें जो घटाती हैं कोलेस्ट्रॉल

कोलेस्ट्रॉल बढने की समस्या के बारे में बातें करने से पहले यह जानना जरूरी है कि आखिर यह है क्या?

क्या है कोलेस्ट्रॉल?

कोलेस्ट्रॉल एक तरह का वसायुक्त तत्व है, जिसका उत्पादन लिवर करता है। यह कोशिकाओं की दीवारों, नर्वस सिस्टम के सुरक्षा कवच और हॉर्मोस के निर्माण में अहम भूमिका निभाता है। यह प्रोटीन के साथ मिलकर लिपोप्रोटीन बनाता है, जो फैट को खून में घुलने से रोकता है। हमारे शरीर में दो तरह के कोलेस्ट्रॉल होते हैं-एचडीएल (हाई डेंसिटी लिपोप्रोटीन, अच्छा कोलेस्ट्रॉल) और एलडीएल (लो डेंसिटी लिपोप्रोटीन, बुरा कोलेस्ट्रॉल)। एचडीएल यानी अच्छा कोलेस्ट्रॉल काफी हलका होता है और यह ब्लड वेसेल्स में जमे फैट को अपने साथ बहा ले जाता है। बुरा कोलेस्ट्रॉल यानी एलडीएल ज्यादा चिपचिपा और गाढा होता है। अगर इसकी मात्रा अधिक हो तो यह ब्लड वेसेल्स और आर्टरी में की दीवारों पर जम जाता है, जिससे खून के बहाव में रुकावट आती है। इसके बढने से हार्ट अटैक, हाई ब्लडप्रेशर और ओबेसिटी जैसी समस्याएं हो सकती हैं। कोलेस्ट्रॉल की जांच के लिए लिपिड प्रोफाइल नामक ब्लड टेस्ट कराया जाता है। किसी स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में कुल कोलेस्ट्रॉल की मात्रा 200 मिग्रा./डीएल से कम, एचडीएल 60 मिग्रा./डीएल से अधिक और एलडीएल 100 मिग्रा./डीएल से कम होना चाहिए। अगर सचेत तरीके से खानपान में कुछ चीजों को शामिल किया जाए तो बढते कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित किया जा सकता है :

1. ड्राई फ्रूट्स : बादाम, अखरोट और पिस्ते में पाया जाने वाला फाइबर, ओमेगा-3 फैटी एसिड और विटमिंस बुरे कोलेस्ट्रॉल को घटाने और अच्छे कोलेस्ट्रॉल को बढाने में सहायक होते हैं। इनमें मौजूद फाइबर देर तक पेट भरे होने का एहसास दिलाता है। इससे व्यक्ति नुकसानदेह फैटयुक्त स्नैक्स के सेवन से बचा रहता है।

कितना खाएं : प्रतिदिन 5 से 10 दाने।

ध्यान रखें: घी-तेल में भुने और नमकीन मेवों का सेवन न करें। इससे हाई ब्लडप्रेशर की समस्या हो सकती है। बादाम-अखरोट को पानी में भिगोकर और पिस्ते को वैसे ही छील कर खाना ज्यादा फायदेमंद साबित होता है। पानी में भिगोने से बादाम-अखरोट में मौजूद फैट कम हो जाता है और इनमें विटमिन ई की मात्रा बढ जाती है। अगर अखरोट से एलर्जी हो तो इसके सेवन से बचें। शारीरिक श्रम न करने वाले लोग अधिक मात्रा में बादाम न खाएं। इससे मोटापा बढ सकता है।

2. लहसुन : लहसुन में कई ऐसे एंजाइम्स पाए जाते हैं, जो एलडीएल कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मददगार साबित होते हैं। वैज्ञानिकों द्वारा किए गए शोध के अनुसार लहसुन के नियमित सेवन से एलडीएल कोलेस्ट्रॉल का स्तर 9 से 15 प्रतिशत तक घट सकता है। इसके अलावा यह हाई ब्लडप्रेशर को भी नियंत्रित करता है।

कितना खाएं : प्रतिदिन लहसुन की दो कलियां छीलकर खाना सेहत के लिए फायदेमंद होता है।

ध्यान रखें : अगर लहसुन के गुणकारी तत्वों का फायदा लेना हो तो बाजार में बिकने वाले गार्लिक सप्लीमेंट्स के बजाय सुबह खाली पेट कच्चा लहसुन खाना ज्यादा अच्छा रहता है। कुछ लोगों को इससे एलर्जी होती है। अगर ऐसी समस्या हो तो लहसुन न खाएं।

3 ओट्स : ओट्स में मौजूद बीटा ग्लूकॉन नामक गाढा चिपचिपा तत्व हमारी आंतों की सफाई करते हुए कब्ज की समस्या दूर करता है। इसकी वजह से शरीर में बुरे कोलेस्ट्रॉल का अवशोषण नहीं हो पाता। वैज्ञानिकों द्वारा किए गए अध्ययनों से यह साबित हो चुका है कि अगर तीन महीने तक नियमित रूप से ओट्स का सेवन किया जाए तो इससे कोलेस्ट्रॉल के स्तर में 5 प्रतिशत तक कमी लाई जा सकती है।

कितना खाएं: एक स्वस्थ व्यक्ति को प्रतिदिन लगभग 3 ग्राम बीटा ग्लूकॉन की जरूरत होती है। अगर रोजाना एक कटोरी ओट्स या 2 स्लाइस ओट्स ब्रेड का सेवन किया जाए तो हमारे शरीर को पर्याप्त मात्रा में बीटा ग्लूकॉन मिल जाता है।

ध्यान रखें : ओट्स में मौजूद फाइबर और बीटा ग्लूकॉन पेट में जाकर फूलता है। इससे कुछ लोगों को गैस की समस्या हो सकती है। इसलिए जिन लोगों की पाचन शक्ति कमजोर हो, उन्हें इससे बचना चाहिए। लैक्टोज इंटॉलरेंस (दूध की एलर्जी) वाले लोगों को नमकीन ओट्स का सेवन करना चाहिए।

4. सोयाबीन और दालें : सोयाबीन, दालें और अंकुरित अनाज खून में मौजूद एलडीएल कोलेस्ट्रॉल को बाहर निकालने में लिवर की मदद करते हैं। ये चीजें अच्छे कोलेस्ट्रॉल को बढाने में भी सहायक होती हैं।

कितना खाएं : एक स्वस्थ व्यक्ति को प्रतिदिन 18 ग्राम फाइबर की जरूरत होती है। इसके लिए एक कटोरी दाल और एक कटोरी रेशेदार सब्जियों (बींस, भिंडी और पालक) के साथ वैकल्पिक रूप से स्प्राउट्स का सेवन पर्याप्त होता है। विशेषज्ञों के अनुसार प्रतिदिन सोयाबीन से बनी दो चीजों का सेवन जरूर करना चाहिए। इससे बैड कोलेस्ट्रॉल के स्तर में 5 प्रतिशत तक कटौती की जा सकती है। इसके लिए एक कटोरी उबला हुआ सोयाबीन, सोया मिल्क, दही या टोफू का सेवन किया जा सकता है।

ध्यान रखें: यूरिक एसिड की समस्या से ग्रस्त लोगों के लिए दालों और सोयाबीन में मौजूद प्रोटीन नुकसानदेह साबित होता है। अगर आपको ऐसी समस्या हो तो इन चीजों का सेवन सीमित मात्रा में करना चाहिए।

5. नीबू : नीबू सहित सभी खट्टे फलों में कुछ ऐसे घुलनशील फाइबर पाए जाते हैं, जो स्टमक (खाने की थैली) में ही बैड कोलेस्ट्रॉल को रक्त प्रवाह में जाने से रोक देते हैं। ऐसे फलों में मौजूद विटमिन सी रक्तवाहिका नलियों की सफाई करता है। इस तरह बैड कोलेस्ट्रॉल पाचन तंत्र के जरिये शरीर से बाहर निकल जाता है। खट्टे फलों में ऐसे एंजाइम्स पाए जाते हैं, जो मेटाबॉलिज्म की प्रक्रिया तेज करके कोलेस्ट्रॉल घटाने में सहायक होते हैं।

कितना खाएं : गुनगुने पानी के साथ सुबह खाली पेट एक नीबू के रस का सेवन करें।

ध्यान रखें : चकोतरा बुरे कोलेस्ट्रॉल को घटाने में बहुत मददगार होता है। इसलिए कुछ लोग इसे भी अपनी डाइट में शामिल करते हैं, लेकिन अगर आप पहले से कुछ दवाओं का सेवन कर रहे हैं तो इसे अपनी डाइट में शामिल करने से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर लें, क्योंकि कुछ दवाओं के साथ इसका बहुत तेजी से केमिकल रिएक्शन होता है, जिसकी वजह से हार्ट अटैक और स्ट्रोक जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं।

6. ऑलिव ऑयल : इसमें मौजूद मोनो अनसैचुरेटेड फैट कोलेस्ट्रॉल के स्तर को स्थिर रखने में सहायक होता है। यह ऑर्टरी की दीवारों को मजबूत बनाता है। इससे हृदय रोग की आशंका कम हो जाती है। यह हाई ब्लडप्रेशर और शुगर लेवल को भी नियंत्रित रखता है। रिसर्च से यह प्रमाणित हो चुका है कि अगर छह सप्ताह तक लगातार ऑलिव ऑयल में बना खाना खाया जाए तो इससे कोलेस्ट्रॉल के स्तर में 8 प्रतिशत तक कमी आ सकती है।

ध्यान रखें : कुकिंग के लिए वर्जिन ऑलिव ऑयल और सैलेड ड्रेसिंग के लिए एक्सट्रा वर्जिन ऑलिव ऑयल का इस्तेमाल करना चाहिए। कुछ लोगों को इससे एलर्जी भी होती है, अगर ऐसी समस्या हो तो इसके बजाय फलेक्स सीड या राइस ब्रैन ऑयल का सेवन किया जा सकता है। ऑलिव ऑयल हाई ब्लडप्रेशर और शुगर को नियंत्रित रखता है, लेकिन इसकी अधिक मात्रा दोनों चीजों का लेवल बहुत कम कर देती है।

(रॉकलैंड हॉस्पिटल दिल्ली की सीनियर डाइटीशियन सुनीता रॉय चौधरी से बातचीत पर आधारित)

स्त्रोत : लेखिका : विनीता, जागरण, ०१-०५-२०१३
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कोलेस्ट्रॉल नहीं, सिर्फ बैड कोलेस्ट्रॉल है खतरनाक

नई दिल्ली, शनिवार, 24 नवंबर २०१२, इंटरनेट डेस्क

कोलेस्ट्रॉल बढ़ने का नाम सुनते ही हमारे दिमाग में हार्ट अटैक, ब्लड प्रेशर, आट्री ब्लॉकेज, स्ट्रोक आदि समस्याओं का डर छा जाता है। लेकिन क्या आपको पता है कि इन बीमारियों की जड़ कोलेस्ट्रॉल नहीं बल्कि बैड कोलेस्ट्रॉल है।

दरअसल, कोलेस्ट्रॉल दो प्रकार के होते हैं जिन्हें बोलचाल की भाषा में गुड कोलेस्ट्रॉल और बैड कोलेस्ट्रॉल कहते हैं। आमतौर पर हम कोलेस्ट्रॉल के बढ़ने से होने वाली जिन बीमारियों की बात करते हैं वे बैड कोलेस्ट्रॉल के बढ़ने से होती हैं न कि गुड कोलेस्ट्रॉल के बढ़ने से। 

कोलेस्ट्रॉल के फायदे : कोलेस्ट्रॉल के फायदों को समझने के लिए यह जानना जरूरी है कि इसका काम क्या है। यह शरीर की कोशिकाओं की वॉल्स को बनाने में सहायक है। इसके अलावा अलग-अलग तापमान के हिसाब से कोशिकाओं को एडजस्ट करने में भी इसकी अहम भूमिका है। यह लिवर में बाइल नामक फ्लूएड को बनाने में मदद करता है। इसके अलावा शरीर धूप में कोलेस्ट्रॉल को विटामिन डी में भी बदल लेता है। 

बैड कोलेस्ट्रॉल : अगर कोलेस्ट्रॉल से शरीर को इतने फायदे हैं तो फिर इसका बढ़ना नुकसानदायक क्यों है? इसकी वजह है बैड कोलेस्ट्रॉल। बैड कोलेस्ट्रॉल लो डेन्सिटी लिपोप्रोटीन (एलडीएल) जिसमें प्रोटीन की मात्रा कम होती है और फैट्स की अधिक होती है। 

जब यह रक्त में बढ़ जाता है तो हृदय और मस्तिष्क की धमनियों को ब्लॉक कर देता है। ऐसे में दिल का दौरा, धमनियों का ब्लॉकेज या स्ट्रोक जैसी समस्याएं हो सकती है। ऐसे में इसको नियंत्रित करना बेहद जरूरी है। 

गुड कोलेस्ट्रॉल : रक्त में पाया जाने वाले कोलेस्ट्रॉल का एक चौथाई से एक तिहाई हिस्सा गुड कोलेस्ट्रॉल यानी हाइ डेन्सिटी कोलेस्ट्रॉल (एचडीएल) का होता है। इसमें प्रोटीन अधिक मात्रा में होता है। 

एचडीएल को गुड कोलेस्ट्रॉल इसलिए कहते हैं क्योंकि इसकी अधिकता दिल के दौरे से बचाव करती है। चिकित्सकों का मानना है कि यह धमनियों से बैड कोलेस्ट्रॉल को बहाने में मदद करता है जिससे वे ब्लॉक न हों।
स्त्रोत : अमर उजाला, ०१-११-१२
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Understanding Cholesterol Numbers


Cholesterol levels should be measured at least once every five years in everyone over the age of 20. The screening test that is usually performed is a blood test called a lipid profile. Experts recommend that men aged 35 and older and women aged 45 and older be more frequently screened for lipid disorders. The lipoprotein profile includes:-

LDL (low-density lipoprotein cholesterol, also called "bad" cholesterol) 
HDL (high-density lipoprotein cholesterol, also called "good" cholesterol) 
Triglycerides (fats carried in the blood from the food we eat. Excess calories, alcohol, or sugar in the body are converted into triglycerides and stored in fat cells throughout the body.)Results of your blood test will come in the forms of numbers. Here is how to interpret your cholesterol numbers:

LDL CholesterolLDL cholesterol can build up on the walls of your arteries and increase your chances of getting heart disease. That is why LDL cholesterol is referred to as "bad" cholesterol. The lower your LDL cholesterol number, the lower your risk. The table below explains what the numbers mean.


LDL Cholesterol 



LDL-Cholesterol=Category 

  1. Less than 100=Optimal 
  2. 100 - 129= Near optimal/above optimal 
  3. 130 - 159=Borderline high 
  4. 160 - 189=High 
  5. 190 and above Very high 
If you have heart disease or blood vessel disease, some experts recommend that you should try to get your LDL cholesterol below 70. For people with diabetes or other multiple risk factors for heart disease, the treatment goal is to reach an LDL of less than 100, although some physicians will be more aggressive.

HDL Cholesterol

When it comes to HDL cholesterol -- "good" cholesterol -- the higher the number, the lower your risk. This is because HDL cholesterol protects against heart disease by taking the "bad" cholesterol out of your blood and keeping it from building up in your arteries. The table below explains what the numbers mean.


HDL Cholesterol 



HDL-Cholesterol=Category 


60 and above=High; Optimal; associated with lower risk 
Less than 40 in men and less than 50 in women 
Low; considered a risk factor for heart disease 


Triglycerides

Triglycerides are the chemical form in which most fat exists in food and the body. A high triglyceride level has been linked to higher risk of coronary artery disease. Here's the breakdown.

Triglycerides 


Triglyceride=Category 


  1. Less than 150=Normal 
  2. 150 - 199=Mildly High 
  3. 200 - 499=High 
  4. 500 or higher=Very high 
Total Cholesterol

Your total blood cholesterol is a measure of LDL cholesterol, HDL cholesterol, and other lipid components. Doctors recommend total cholesterol levels below 200


Total Cholesterol = Category
  1. Less than 200=Desirable 
  2. 200 - 239=Mildly High 
  3. 240 and above=High 

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--->--->श्रीमती जानकी पुरुषोत्तम मीणा जिनका 08 अप्रेल, 2012 को असमय निधन हो गया!

--->--->श्रीमती जानकी पुरुषोत्तम मीणा जिनका 08 अप्रेल, 2012 को असमय निधन हो गया!
सभी के स्वस्थ एवं सुदीर्घ जीवन की कामना के साथ-मेरे प्यारे और दुलारे तीन बच्चों की ममतामयी अद्वितीय माँ (मम्मी) जो दुखियों, जरूतमंदों और मूक जानवरों तक पर निश्छल प्यार लुटाने वाली एवं अति सामान्य जीवन जीने की आदी महिला थी! वह पाक कला में निपुण, उदार हृदया मितव्ययी गृहणी थी! मेरी ऐसी स्वर्गीय पत्नी "जानकी मीणा" की कभी न भुलाई जा सकने वाली असंख्य हृदयस्पर्शी यादों को चिरस्थायी बनाये रखते हुए इस ब्लॉग को आज दि. 08.08.12 को फिर से पाठकों के समक्ष समर्पित कर रहा हूँ!-डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश'

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गर्भावस्था गर्भावस्था की विकृतियां-Disorders of Pregnancy गर्भावस्था के दौरान संभोग-Sex During Pregnancy गर्भाशय गर्भाशय भ्रंश गर्भाशय-उच्छेदन के साइड इफेक्ट्स-Side Effects of Hysterectomy गर्म पानी गर्मी गर्मी-Heat गलगण्ड गाजर गाजवां गांठ गाँठ-Knot गारंटी गारण्टेड इलाज गाल ब्लैडर गिलोय गिल्टी गुड़हल गुंदा गुदाद्वार गुदाभ्रंश गुम्मा गुर्दे गुलज़ाफ़री गुस्सा गृध्रसी गृह-स्वामिनी गेदुआ की छाछ गैस गैस्ट्रिक गैहूं का जवारा गोक्षुरादि चूर्ण गोखरू गोखरू (LAND CALTROPS) गोंद कतीरा-Hog-Gum गोंदी गोभी-Cabbage गोरख मुंडी गोरखगांजा गोरखबूटी गोरखमुंडी ग्रीन-टी घमोरी घरेलु ​नुस्खे घाघरा घाव चकवड़ चक्कर चपाती चमत्कारिक सब्जियां चरित्र चर्बी चर्म चर्म रोग चर्मरोग चाय चाय-Tea चालीस के पार-Forty Across चिकनगुनिया चिकित्सकीय चिटकन चिंतित चिरायता-Absinth चिरोटा चुंबन चोक चौलाई छपाकी छरहरी काया छाछ छाजन बूटी छाले छींक छीकें छुअ छुआरा छुहारा छोटा गोखरू छोटा धतूरा छोटी हरड़ जंक फूड जकवड़ जख्म जंगली तिल्ली जंगली तुलसी जंगली पेड़ जंगली मिर्ची जंगली-कटीली चौलाई जटामांसी-Spikenard जलजमनी जलन जलोदर रोग-Ascites Disease जवारा जवारे जवासा-Alhag जहर जामुन का जूस जायफल जिगर जीरा जीवन रक्षक जीवनी शक्ति जुएं जुकाम जुदाई जुलाब जूएं जूस जोड़ों के दर्द जोड़ों में दर्द जौ ज्यूस ज्योति ज्वर ज्वर-Fiver झाइयाँ झांईं झाड़-फूंक झुर्रियाँ झुर्रियां झुर्री झूठे दर्द टमाटर का रस टमाटर-Tomatoes टाइफाइड टाटबडंगा टायफायड टूटी हड्डी टॉन्सिल टोटला ट्यूमर ठंड ठंडापन ठेकेदार डॉक्टर डकार डकारें डायबिटीज डायरिया डिग्री फ़ारेनहाइट डिग्री सेल्सियस डिजिसेक्सुअल डिटॉक्सीफाई डिटॉक्सीफिकेशन डिनर डिप्रेशन डिब्बाबंद भोजन डिलेवरी डीकामाली डीगामाली डेंगू डेंगू-Dengue डॉ. निरंकुश डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश' डॉ. मीणा ढकार ढीलापन ढीली योनि तकलीफ का सही इलाज तंत्र-मंत्र तम्बाकू तरबूज-Watermelon तलाक ताकत तिल तिल्ली तुंबा तुंबी तुम्बा तुलसी तेल त्रिदोषनाशक त्रिफला त्वचा त्वचा रोग थकान थाईरायड थायरायड-Thyroid थायरॉइड दण्डनीय अपराध दंत वेदना दन्तकृमि दन्तरोग दमा दर वेदना दरार दर्द दर्द निवारक दर्द निवारक दवा दर्दनाक दस्त दही दाग-धब्बे-Stains-Spots दाढ़ दांत दांतो में कैविटी-Teeth Cavity दाद दाम्पत्य दाम्पत्य विवाद सलाहकार दाम्पत्य-Conjugal दाल दालचीनी दालें दिमांग दिल दीर्घायु दु:खी दुर्गंध दुर्बलता दुष्प्रभाव दुष्प्रभावरहित दूध दूध वृद्धि दूधी दूधी-Milk Hedge दृष्टिदोष दो मन द्रोणपुष्पी द्रोणपुष्पी-Leucas Cephalotes धड़कन धनिया बीज धनिया-Coriander धमासा धात धातु धातु पतन धार्मिक धूम्रपान छोड़ना चाहते हैं? धैर्यहीन नज़ला नपुंसक नपुंसकता नाइट्रिक एसिड नाक नाखून नागबला नागरमोथा नाडी हिंगु नाड़ी हिंगु (डिकामाली) नामर्दी नारकीय पीड़ा नारियल नाश्ता निमोनिया निम्न रक्तचाप निम्बू नियासिन निराश निरोगधाम निर्गुण्डी निर्गुन्डी निष्कपट स्नेह निष्ठा निसोरा नींद नींबू नींबू-Lemon नीम-azadirachta indica नुस्खे नुस्खे-Tips नेगड़ नेत्र रोग नेुचरल नैतिक नॉर्मल डिलेवरी नोनिया नौसादर न्युमोनिया-Pneumonia न्यूरॉन्स पक्षघात पंचकर्म पढ़ने में मन लगेगा पंतजलि पत्तागोभी-CABBAGE पत्थर फोड़ी पत्थरचट्टा पत्नी पथरी पदार्थ पनीर पपीता पपीता-CARICA PAPPYA पमाड परदेशी लांगड़ी परम्परागत चिकित्सा परहेज पराठा परामर्श परिस्थिति पवाड़ पवाँर पाइल्स पाक-कला पाचक पाचन पाचनतंत्र पाचनशक्ति पाठक संख्या 16 लाख पार पाठक संख्या पंद्रह लाख पायरिया पारदर्शिता पारिजात पालक पालक-Spinach पित्त पित्ताशय पित्ती पिंपल-मुंहासे-Pimples-Acne पिरामिड पीलिया पीलिया-Jaundice पीलिया-कामला-Jaundice पुआड़ पुदीना पुनर्नवा-साटी-सौंटी-Punarnava पुरुष पुंसत्व पेचिश पेट के कीड़े पेट दर्द पेट में गैस पेट रोग पेड़ पेद दर्द पेरिकिटो सेसिल पेशाब पेशाब में रुकावट पेंसिल थेरेपी-Pencil Therapy पोष्टिक लड्डू पौधे पौरुष पौरुष ग्रंथि पौष्टिक रागी रोटी प्याज-Onion प्यास प्रजनन प्रतिरक्षा प्रतिरक्षा प्रणाली प्रतिरोधक प्रतिरोधक-Resistance प्रदर प्रमेह प्रवाहिका (पेचिश)-Dysentery प्रसव प्रसव सुरक्षा चक्र प्रसव-पीड़ा प्रसूति प्राणायाम प्रेग्नेंसी-Pregnancy प्रेम प्रेमरस प्रेमिका प्रेमी प्रोटीन प्रोटीन का कार्य प्रोटीन के स्रोत प्रोस्टेट प्रोस्‍टेट कैंसर प्रोस्टेट ग्रंथि प्रोस्टेट ग्रन्थि प्लीहा प्लूरिसी-Pleurisy प्लेटलेट्स फंगल फटन फफूंद-Fungi फरास फल फाइबर फिटकरी फुंसी-Pimples फूलगोभी-CAULIFLOWER फेंफड़े फेरम फॉस फैट फैटी लीवर फोटोफोबिया फोड़ा फोड़े-Boils फोरप्ले फोलिक एसिड फ्लू फ्लू-Flu फ्लेक्स सीड्स बकायन बकुल बड़ी हरड़ बथुआ बथुआ पाउडर बथुआ-White Goose Foot 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Medicines रुक्षांश रूढिवादी रूसी रूसी मोटापा रेचक रेठु रोग प्रतिरोधक रोबोट सेक्स रोमांस लकवा लक्षण लक्ष्मी लंच लसोड़ा लस्सी लहसुन लहसुन-Garlic लाइलाज लाइलाज का इलाज लाक्षणिक इलाज लाक्षणिक जानकारी लाभ लिंग लिंग प्रवेश लिसोड़ा लीकोरिया लीवर लीवर सिरोसिस लीवर-Liver लू-hot wind लैंगिक लोनिया लौकी लौंग की चाय ल्युकोरिया ल्यूकोरिया ल्यूज योनी वजन वज़न वजन कम वजन बढाएं-Weight Increase वन तुलसी वन/जंगली तुलसी वनौषधियाँ वमन वमन विकृति-Vomiting Distortion वसा वात वात श्लैष्मिक ज्वर वात-Rheumatism वायरल वायरल फीवर वायरल बुखार-Viral Fever वासना विचारतंत्र विटामिन विधारा वियाग्रा-Viagra वियोग विरह वेदना विलायती नीम विवाहेत्तर यौन सम्बन्ध विवाहेत्तर सम्बंध विश्वास विष विष हरनी विषखपरा वीर्य वीर्य वृद्धि वीर्यपात वृक्कों (गुर्दों) में पथरी-Renal (Kidney) Stone वृक्ष वैज्ञानिक वैधानिक वैवाहिक जीवन वैवाहिक जीवन-Marital वैवाहिक रिश्ते वैश्यावृति व्याकुल व्यायाम व्रण शंखपुष्पी शरपुंखा शराब शरीफा-सीताफल-Custard apple शर्करा शलगम-Beets शल्यक्रिया शहद शहद-Honey शारीरिक शारीरिक रिश्ते शिथिलता शीघ्र पतन शीघ्रपतन शीस शुक्राणु शुक्राणु-Sperm शुक्राणू शुगर शोक शोथ शोध श्योनाक श्रेष्ठतर श्वास श्वांस श्वेत प्रदर श्वेत प्रदर-Leucorrhea श्वेतप्रदर षड़यंत्र संकुचन संकोच संक्रमण संक्रमित संक्रामक संखाहुली सगतरा संतरा-Orange संतान संतुष्टि सत्यानाशी सदा सुहागन सदाफूली सदाबहार सदाबहार चूर्ण सनबर्न सफ़ेद दाग सफेद पानी सफेद मूसली सब्जि सब्जी संभालू संभोग समर्पण-Dedication सरकार को सुझाव सरफोंका सरहटी सर्दी सर्दी-जुकाम सर्पक्षी सर्पविष सलाद संवाद संवेदना सहदेई सहदेवी सहानभूति साइटिका साइटिका-Sciatica साइड इफेक्ट्स साबूदाना-Sago सायटिका सिगरेट सिजेरियन सिर दर्द सिर वेदना सिरका सिरदर्द सिरोसिस सी-सेक्शन सीजर डिलेवरी सुगर सुदर्शन सुहागा सूखा रोग सूजन सेक्स सेक्स उत्तेजक दवा सेक्स परामर्श-Sex Counseling सेक्स पार्टनर सेक्स पावर सेक्स समस्या सेक्स हार्मोन सेक्‍स-Sex सेंधा नमक सेब सेमल-Bombax Ceiba सेल्स सोजन-सूजन सोंठ सोना पाठा सोयाबीन सोयाबीन (Soyabean) सोयाबीन-Soyabean सोराइसिस सोरियासिस-Psoriasis सौंठ सौंदर्य सौंदर्य-Beauty सौन्दर्य सौंफ सौंफ की चाय सौंफ-Fennel स्किन स्खलन स्तन स्तन वृद्धि स्तनपान 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