सिरदर्द एक आम रोग है और प्रत्येक व्यक्ति को कभी न कभी इसे मेहसूस करता ही है।इस रोग के विशेषग्य इसके कारण के मामले में एकमत न होकर अलग-अलग राय रखते हैं। सभी की राय है कि माईग्रेन के विषय में और अनुसंधान की आवश्यकता है। अभी तक माईग्रेन की तीव्रता का कोइ वैग्यानिक माप नहीं है।
माईग्रेन अक्सर हमारे सिम्पेथेटिक नर्वस सिस्टम पर हमला करता है। इस नाडीमंडल की अति सक्रियता से आंतों में व्यवधान होकर अतिसार, वमन भी शिरोवेदना के साथ होने लगते हैं। इससे आमाशय स्थित भोजन भी देरी से आंतों में पहुंचता है। माईग्रेन की मुख मार्ग से ली गई दवा भी भली प्रकार अंगीकृत नहीं हो पाती है। प्रकाश और ध्वनि के प्रति असहनशीलता पैदा हो जाती है। रक्त परिवहन धीमा पडने से चर्म पीला पड जाता है और हाथ एवं पैर ठंडे मेहसूस होते हैं।
2) बन्ड गोभी को कुचलकर एक सूती कपडे में बिछाकर मस्तक (ललात) पर बांधें। रात को सोते वक्त या दिन में भी सुविधानुसार कर सकते हैं। जब गोभी का पेस्ट सूखने लगे तो नया पेस्ट बनाककर पट्टी बांधें। मेरे अनुभव में यह माईग्रेन का सफ़ल उपाय हैं।
7) आधा चम्मच सरसों के बीज का पावडर 3 चम्मच पानी में घोलक्रर नाक में रखें । माईग्रेन का सिरदर्द कम हो जाता है।
7) सिर को कपडे से मजबूती से बांधें। इससे खोपडी में रक्त का प्रवाह कम होकर सिरदर्द से राहत मिल जाती है।
वर्तमान समय में माइग्रेन तेजी से बढ़ रहा है। यह बहुत ही कष्टदायक रोग है। इसमें सिर के एक ही भाग में ललाट पर या सिर के पिछले हिस्से में अथवा पूरे सिर में भी दर्द होता है। यह दर्द साधारण सिर दर्द से अधिक तेज और उग्र होता है। खास बात यह माइग्रेन का दर्द सूर्य उदय होते प्रारंभ होता है। जैसे-जैसे सूर्य निकलता है दर्द बढ़ता जाता है और दोपहर होते-होते तीव्र पीड़ा होती है।
आयुर्वेद के अनुसार रुखा भोजन करने, शीतल वस्तुओं का अधिक सेवन करने, मल-मूत्र के वेग को रोकने, बहुत चलने, ज्यादा कसरत करने या फिर अति सहवास करने से इस रोग की उत्पत्ति होती है। इन कारणों के साथ ही पानी कम पीने, समय पर भोजन न करने, नींद पूरी न होने से भी यह समस्या हो सकती है। वहीं महिलाओं में माहवारी की गड़बड़ी से भी यह रोग देखने को मिलता है। इन कारणों को देखते हुए एक कुशल चिकित्सक से परामर्श लेकर इस रोग की चिकित्सा करानी चाहिए।
आयुर्वेद पद्धति से माइग्रेन के रोगी बहुत आसानी से ठीक हो जाते हैं। घरेलू उपचार में-
यह रोग की अवस्था में पाकाशय (मालाशय) या अनुभावक स्नायुओं की गड़बड़ी के साथ माथे के आधे भाग में दर्द होता है। यह पुरुषों की अपेक्षा स्त्रियों को अधिक होता है। जिस वंश में यह रोग ज्यादा होता है उनके आने वाले वंशों में भी यह रोग अधिकतर होता है।
यदि रोगी का यह रोग बहुत पुराना है और इस प्रकार के लक्षण हों जैसे- सिर-दर्द के होने से रोगी को भूख लगती हो, ऐसा महसूस होता हो कि हथौड़े के लगने जैसा दर्द हो रहा है, रोगी शीत-प्रधान हो, गर्मी में भी गर्म कपड़े लपेटे रहता हो तो ऐसे रोगी के रोग को ठीक करने के लिए सोरिनम औषधि का उपयोग फायदेमंद है।
कई बीमारियों का आगाज सिरदर्द से ही होता है। माइग्रेन भी वही बीमारी है। इस मौसम में यह बीमारी अधिक सताती है, बता रहे हैं मैक्स सुपर हॉस्पिटल के न्यूरो विशेषज्ञ मनोज खंनाल
आज के बदलते परिदृश्य में हर व्यक्ति के जीवन में भागदौड़ है। इस वजह से जीवनशैली में बदलाव आना स्वाभाविक है। हर किसी को कभी न कभी, किसी न किसी दर्द से जूझना पड़ता है। इन्हीं दर्दों में से एक है माइग्रेन, जो मौसमी सिरदर्द है और इस मौसम में लोगों को ज्यादा प्रभावित कर रहा है।
माइग्रेन क्या है?
माइग्रेन एक प्रकार का मस्तिष्क विकार है, जिसमें सिरदर्द होता है। यह प्राय: शाम के समय प्रारंभ होता है। इसमें दर्द 2 से 72 घंटे तक हो सकता है। माइग्रेन के कितने प्रकार होते हैं?
माइग्रेन दो प्रकार के होते हैं :
- एपिसॉडिक माइग्रेन (प्रासंगिक माइग्रेन)
- क्रॉनिक माइग्रेन (दीर्घकालिक माइग्रेन)
कौन से अंग प्रभावित होते हैं? इस में सिर में एकतरफा दर्द होता है। इसलिए आम बोलचाल की भाषा में इसे अधकपारी भी कहा जाता है।
क्या है इसके लक्षण ?
माइग्रेन में जीभ का मिचलाना, वोमिटिंग, फोटोफोबिया (प्रकाश वृद्धि पर संवेदनशील होना), फोनोफोबिया (ध्वनि वृद्धि में संवेदनशीलता) और शारीरिक गतिविधियों का बढ़ जाना प्रमुख है। सेरेब्रल कॉर्टेक्स (मस्तिष्क की बाहरी परत है, जो कि टिशू होता है) में वृद्धि के कारण उत्तेजना और दर्द अधिक होता है।
प्रभावित करने वाले कारण
मौसम में बदलाव (खासकर मानसून में इसके मरीजों की संख्या कई गुन बढ़ जाता है), वातावरण में होने वाला शोर-शराबा, मोटर-गाड़ी की आवाज, शरीर में होने वाले हार्मोनल बदलाव, रोशनी का अधिक और कम होना, तनाव, भावात्मक तनाव, कम सोना, धूम्रपान करने से तथा अन्य कई कारकों से माइग्रेन के रोगी प्रभावित होते हैं।
किसे करता है अधिक प्रभावित
माइग्रेन किशोरावस्था से पहले लड़कियों की तुलना में लड़कों को अधिक प्रभावित करता है, लेकिन महिलाओं में पुरुषों की तुलना में माइग्रेन होने की आशंका अधिक होती है। आमतौर पर देखा गया है कि प्रसव काल के दौरान इसकी आशंका काफी कम हो जाती है।
किन-किन बातों का ध्यान रखें
यह रोग हवा और धूप के पड़ने से 30 प्रतिशत बढ़ जाता है। रोशनी और सोने की आदत माइग्रेन बढ़ने का प्रमुख कारण है। मौसमी सिरदर्द 75 प्रतिशत दूषित पर्यावरण और 46 प्रतिशत अन्य कारणों से होता है। प्रत्येक 9 डिग्री फॉरेंहाइट तापमान बढ़ने पर 7.5 प्रतिशत बीमारी बढ़ने का जोखिम रहता है। समझदारी और जानकारी इस बीमारी से बचाने में मददगार हो सकती है। इससे बचने के लिए एक डायरी बनाएं, जिसमें माइग्रेन से संबंधित सभी तथ्यों का समावेश होना चाहिए। मसलन पहली बार सिरदर्द होने पर कितनी देर तक सिरदर्द हुआ और उसके लक्षण क्या थे, सिरदर्द पहले से ज्यादा हो रहा है या कम, इस दौरान कौन सी दवाएं ली गईं आदि।
इलाज कैसे होता है?
इस बीमारी का इलाज दो तरह से होता है। पहला एक्यूट ऑबरेटिव ट्रीटमेंट और दूसरा प्रिवेंटिव ट्रीटमेंट। इस बीमारी में उपचार का पहला उद्देश्य लक्षणों को दूर करना होता है। उसके बाद सिरदर्द को कंट्रोल करना पड़ता है। माइग्रेन में प्राथमिक उपचार का लक्ष्य आवृत्ति, तीव्रता और सिरदर्द को कम करना होता है। इस उपचार में मरीज को कम से कम तीन महीने और कुछ स्थिति में छ: महीने तक नियमित दवा लेनी चाहिए। रोगी को इस बीमारी में प्राथमिक उपचार कराना चाहिए और डॉक्टर की सलाह से दवा लेनी चाहिए। उपचार निवारक पद्धति में पहले दवा की कम खुराक दी जाती है और धीरे-धीरे खुराक को तब तक बढ़ाया जाता है, जब तक कि दर्द से निजात न मिल जाए। इस पद्धति में मरीज को दवा का साइड इफेक्ट न हो, इसका भी पूरा ख्याल रखा जाता है। भावनात्मक उपचार द्वारा प्राय: असंवेदनशील रोगियों का इलाज किया जाता है। एक्यूपंचर चिकित्सा प्रासंगिक माइग्रेन और दीर्घकालिक माइग्रेन, दोनों में कारगर है, परंतु शोध के अनुसार यह पता लगता है कि एक्यूपंचर का प्रभाव दवा की तुलना में आभासी होता है।
माइग्रेन बढ़ने के कारण
अपने देश में माइग्रेन बढ़ने की वजह लोगों की जीवनशैली में आया बदलाव है। यहां के लोगों की जीवनशैली तेजी से बदल रही है। इस कारण कॉरपोरेट कल्चर में बेहतर मांग को लेकर आम लोगों के जीवन में हमेशा तनाव रहता है। हालांकि माइग्रेन को लेकर कोई एक सर्वमान्य सिद्धांत नहीं है। यह एक मस्तिष्क विकार माना जाता है। इसका प्राथमिक सिद्धांत यह है कि अधिकतर लोग जानकारी के अभाव में दर्द निवारक दवाओं का प्रयोग करते हैं, जो स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं।
माइग्रेन में इजाफे की मुख्य वजह
माइग्रेन के मरीजों की संख्या में वृद्धि होने की मुख्य वजह हमारी बदलती जीवनशैली है। दुनियाभर के 15 प्रतिशत लोग माइग्रेन से पीडित हैं। इस वर्ष संयुक्त राज्य अमेरिका में लगभग 6 फीसदी पुरुष और 18 फीसदी महिलाएं माइग्रेन से प्रभावित हुईं, जबकि यूरोप में पिछले वर्ष माइग्रेन से 12 से 18 प्रतिशत तक आबादी प्रभावित हुई। इनमें 6 से 15 प्रतिशत पुरुष और 14 से 35 प्रतिशत महिलाएं शामिल हैं। क्रॉनिक माइग्रेन से विश्व की कुल जनसंख्या में से 1.4 से 2.2 प्रतिशत लोग प्रभावित हैं। सिरदर्द पश्चिमी देशों की तुलना में एशिया और अफ्रीका में कम है, लेकिन इसके बारे में सही आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं। इससे बचाव के हैं उपाय-
- अधिक से अधिक पानी पिएं।
- सूर्य की रोशनी से दूर रहें।
- नियमित समय पर खाना खाएं और सोएं।
- अनजान दवाओं का सेवन न करें।
- काले चश्मे का प्रयोग करें, जो आपको धूप से बचाए।
- भीड़-भाड़ वाले स्थान पर जाने से बचें।
- अपनी कार्य क्षमता को जानें और तनाव से मुक्त रहें।
- रात में अच्छी नींद लें।
- सोते समय कमरे की बत्ती बुझा दें।
- हार्मोन की नियमित जांच करवाएं।
- स्नान के समय वॉशरूम की लाइट ऑफ रखा करें।
- सिरदर्द अधिक होने पर बर्फ के गोले से सेंक करें।
- कॉफी का सेवन करना लाभदायक होता है, लेकिन सीमित मात्रा में।
माइग्रेन का दर्द ऐसे कम करें
यह कोई छोटा-मोटा दर्द नहीं है। यह आपके सारे दिन की गतिविधियों को ठप्प कर देने वाला दर्द है। इससे आपकी आंखों के आगे अंधेरा छा जाता है। यह ऐसा दर्द है जिसे भगाने के लिए कई बार मरीज को दवा लेने का होश तक नहीं रहता। इसका कोई इलाज नहीं है। लेकिन आप इस दर्द को कम ज़रूर कर सकते हैं। भीषण सरदर्द की यह बीमारी माइग्रेन है।
नोएडा की गृहिणी आरती अनेजा पाठक बचपन में अक्सर नाश्ते से जी चुराती थी। इससे उन्हें गैस और ऐसे तेज सरदर्द की शिकायत रहने लगी, जो कई बार कई दिन तक खिंच जाता। आरती को यह जानने में कई साल लग गए कि यह माइग्रेन था। अब 35 साल की उम्र में जाकर वे इस पर काबू पा सकी हैं। इस बारे में आरती कहती हैं, ‘क्योंकि मुङो इसकी वजह का पता चल गया है। मीठा खाने की इच्छा, या खुद को संयमित न रख पाने का एहसास होते ही मैं समझ जाती हूं कि अब सिर फटने वाला है।’
दिल्ली में प्रैक्टिस करने वाली 32 साल के वकील मिलांक चौधुरी के लिए माइग्रेन कर मतलब है, उसी क्षण काम अपना रोक देना, चाहे वे तब कोर्ट में जिरह ही क्यों न कर रहे हों। वे कहते हैं, ‘ऐसा लगता है मेरे सिर में कोई अचानक जोर-जोर से मुक्के मार रहा है, और मिनट-दर-मिनट मुक्कों की गति तेज होती जा रही है। अगर पास में दवा न हो, तो फौरन घर पहुंचकर, पेनकिलर्स खाकर घुप्प अंधेरे कमरे में कई घंटे सो जाने के अलावा कोई चारा नहीं रहता। इस दौरान उल्टी भी आ जाती है, और कुछ भी खाने का मन नहीं करता है। बस, दर्द ही दर्द याद रहता है। दर्द भी ऐसा कि सहा न जाए।’
माइग्रेन के ज्यादातर रोगी जानते हैं कि इसका कोई इलाज नहीं है, लेकिन कई ऐसे भी हैं, जिन्हें यह भी पता नहीं कि इससे असरदार तरीके से निपटा जा सकता है।
- -क्या आपको सिर के एक हिस्से में बुरी तरह धुन देने वाले मुक्कों का एहसास होता है, और लगता है कि सिर अभी फट जाएगा?
- -क्या उस वक्त आपके लिए अत्यंत साधारण काम करना भी मुश्किल हो जाता है?
- -क्या आपको यह एहसास होता है कि आप किसी अंधेरी कोठरी में पड़े हैं, और दर्द कम होने पर ही इस अनुभव से निजात मिलती है?
अगर इनमें से किसी भी प्रश्न का उत्तर हां में है, तो इस बात की पूरी संभावना है कि आपको माइग्रेन हुआ है। इसलिए फौरन डॉक्टर के पास जाकर इसकी पुष्टि कर लेनी चाहिए।
ज्यादातर लोगों को माइग्रेन का पता तब चलता है, जब वे कई साल तक इस तकलीफ को झेलने के बाद इसके लक्षणों से वाकिफ हो जाते हैं। जैसे-
- -कठोरता : किसी कठोर चीज से सिर के एक हिस्से में जोर-जोर से वार करने का एहसास तब होता है, जब जैविक परिवर्तन के कारण खून की धमनियां फूलने लगती हैं, या उनमें जलन होने लगती है। जबकि अन्य प्रकार के सिरदर्द में आमतौर पर दर्द सिकुड़ी हुई धमनियों या सिर और गर्दन की मांसपेशियों के सख्त हो जाने के कारण होता है। ‘माइग्रेन का दर्द बहुत जबर्दस्त होता है। इसस आप रोजमर्रा के आम काम भी नहीं कर पाते। यहां तक कि चलना फिरना भी दूभर हो जाता है, और लगता है कि शरीर टूट चुका है।’
- -गैस की समस्या : माइग्रेन के साथ अक्सर जी मिचलाता है, और उल्टी भी हो जाती है।
- -माइग्रेन का अटैक होने पर मरीज को रोशनी, आवाज या किसी तरह की गंध नहीं सुहाती।
- -माइग्रेन का हमला अचानक होता है। कई बार यह शुरू में हल्का होता है, लेकिन धीरे-धीरे बहुत तेज दर्द में तब्दील हो जाता है। माइग्रेन का अटैक किसी भी उम्र में हो सकता है, लेकिन ज्यादातर इसकी शुरुआत किशोर उम्र से होती है।
- -माइग्रेन के ज्यादातर मरीज वे होते हैं, जिनके परिवार में ऐसा इतिहास रहा है। इसके कुल मरीजों में 75 प्रतिशत महिलाएं होती हैं।
- -स्थान : माइग्रेन का दर्द आमतौर पर सिर के एक सिरे से, या कभी-कभी बीचोंे बीच से या पीछे की तरफ से उठता है।
- -माइग्रेन का दर्द 4 से 48 घंटे तक रह सकता है। कभी यह रह-रहकर कई हफ्तों या महीनों तक, या फिर सालों तक खास अंतराल में उठता है। कई बार एक ही समय में यह बार-बार हथौड़ों की बारिश का एहसास कराता है।
- -माइग्रेन की अनुभूति कई बार वास्तविक दर्द से दस मिनट से लेकर आधे घंटे पहले ही शुरू हो जाती है। इस दौरन सिर में बिजली फट पड़ने, आंखों के आगे अंधेरा छा जाने, बदबू आने, सुन्न पड़ जाने या दिमाग में झन्नाहट का एहसास होता है। किसी-किसी मरीज को अजीब-अजीब सी छायाएं नजर आती हैं। किसी को चेहरे और हाथों में सुइयां या या पिनें चुभने का एहसास होता है। लेकिन कई अध्ययनों से सामने आया है कि माइग्रेन के प्रभामंडल का एहसास केवल एक से पांच प्रतिशत मरीजों को ही होता है। इसे क्लासिकल माइग्रेन कहा जाता है, लेकिन यह महिलाओं में कम होता है।
विशेषज्ञों के अनुसार माइग्रेन से निपटने में इस बात का रोल काफी अहम होता है कि आप इसके लिए कितने तैयार हैं। सभी मरीजों में माइग्रेन के पूर्व संकेत (ट्रिगर्स) एक से नहीं होते, इसलिए उनके लिए डायरी में अपनी अनुभूतियां दर्ज करना उपयोगी हो सकता है। इसके बाद आप दवा की सहायता से इन ट्रिगर्स से समय रहते बचकर, माइग्रेन को टाल भी सकते हैं।
-हल्का या यदा-कदा अटैक होने पर: कभी-कभार माइग्रेन का हल्का-फुल्का अटैक होने पर आपका रोजमर्रा का काम प्रभावित नहीं होता।
चेतावनी : कई बार सिरदर्द दूसरी खतरनाक और जानलेवा बीमारियों का भी संकेत होता है। इसलिए बार-बार होने वाले तेज सिरदर्द, गर्दन दर्द, अकड़न, जी मिचलाने या आंखों के आगे अंधेरा छा जाने को बिलकुल भी नजर अंदाज न करें और फौरन डॉक्टर को दिखाएं।
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माइग्रेन की वजह कहीं आपकी डाइट तो नहीं?
क्या आप अक्सर माइग्रेन से परेशान रहते हैं? माइग्रेन की वजहें आपकी जीवनशैली से इस तरह जुड़ी हैं कि आपकी दिनचर्या से लेकर आपकी डाइट से जुड़ी कोई भी चीज माइग्रेन का ट्रिगर हो सकती है।
इस बारे में डायटीशियन डॉ. तपस्या मुंद्रा बताती हैं, 'माइग्रेन मूल रूप से दो वजहों से होता है-तनाव और अनुवांशिक। अनुवांशिक वजहों से जिन्हें माइग्रेन की शिकायत रहती है उनके लिए डाइट में कुछ खास चीजें माइग्रेन का सबब हो सकती हैं।'
हां, हम आपको डाइट से जुड़े जिन ट्रिगर की जानकारी दे रहे हैं, जरूरी नहीं कि ये सबके लिए प्रभावी हों। यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया ने अपने अध्ययन के आधार पर माना है कि माइग्रेन के मरीजों पर अलग-अलग डाइट का अलग- अलग तरह से प्रभाव पड़ता है। जरूरी नहीं कि अगर एक रोगी को किसी डाइट से सिरदर्द अधिक होता है तो दूसरे को भी उस डाइट से यह शिकायत हो।
जानिए, ऐसी ही डाइट के बारे में जो आपके लिए माइग्रेन की वजह हो सकती है।
व्हाइट ब्रेड भी आपके लिए माइग्रेन की एक वजह हो सकती है। प्रोसेसिंग के दौरान इसमें सोडियम का इस्तेमाल किया जाता है जो सिर दर्द की एक बड़ी वजह हो सकता है। सिर्फ ब्रेड ही नहीं, बल्कि पिज्जा के बेस के रूप में भी इनका इस्तेमाल होता है जो माइग्रेन का दर्द बढ़ा सकता है।
डिब्बाबंद या प्रोसेस्ड डाइट भी माइग्रेन का ट्रिगर हो सकती है। रेडी टू ईट भोजन, कप नूडल्स, जंकफूड आदि में प्रिजर्वेटिव्स, सोडियम का इस्तेमाल अधिक होता है जो माइग्रेन के दर्द को बढ़ा सकता है।
तपस्या बताती हैं कि प्रोसेस्ड भोजन में पोषक तत्व न के बराबर होते हैं। ये शरीर में जाते ही फैट्स में बदल जाते हैं या इन्सुलिन बढ़ाते हैं जिससे माइग्रेन का दर्द स्वाभाविक है।
चाइनीज नूडल्स जैसे कई व्यंजनों में अजीनोमोटो का इस्तेमाल होता है जिसे एमएसजी 'मोनो सैचुरेटेड ग्लूमेट' भी कहते हैं। कई बार इसके सेवन से माइग्रेन के मरीजों की दिक्कतें बढ़ जाती हैं।
कुछ लोग सिर दर्द दूर भगाने के लिए कॉफी पीते हैं तो कुछ को कॉपी पीने के बाद सिर दर्द शुरू हो जाता है। अक्सर माइग्रेन के मरीजों को कॉफी पीने के बाद सिर दर्द की दिक्कत अधिक होती है क्योंकि इसमें मौजूद कैफीन माइग्रेन का ट्रिगर हो सकता है। इसी तरह अल्कोहल भी माइग्रेन के रोगियों के लिए परेशानी का सबब हो सकता है।
बाजार में बिकने वाले कई तरह के डेजर्ट जैसे आइसक्रीम, पेस्ट्री, केक, चॉकलेट आदि माइग्रेन के दर्द को बढ़ा सकते हैं। इनमें मौजूद आर्टिफिशियल शुगर माइग्रेन का एक बड़ा ट्रिगर है।
यह बहुत आसान है। अक्सर डाइट में किसी विशेष भोजन के सेवन के बाद अगर आपको सिर दर्द की तकलीफ अधिक होती है तो अपने डॉक्टर को इस बारे में जरूर बताएं, हो सकता है आपको किसी विशेष भोजन से एलर्जी हो और उसी की वजह से माइग्रेन का दर्द होता हो।
माइग्रेन के सिरदर्द के उपचार
७ अप्रेल, २०१३माइग्रेन सिरदर्द का एक गंभीर रूप है, जो एक सामान्य और स्वस्थ जीवन को काफी मुश्किल बना देता है। इस विकार के लक्षण हैं मतली आना, प्रकाश-संवेदनशीलता बढ़ जाना, धुन्धले धब्बे, रौशनी की चमक और गर्दन में दर्द। हालांकि माइग्रेन एक गंभीर बीमारी है, कुछ सरल उपायों की मदद से इसका प्रभावी ढंग से इलाज किया जा सकता है। माइग्रेन को कम करने के लिए सबसे प्रभावी तरीकों में से कुछ नीचे दिए गए हैं। माइग्रेन एक विकार है जो काफी गंभीर होता है, लेकिन इसका इलाज आसानी से घरेलू उपचार और जीवन शैली में परिवर्तन की मदद से किया जा सकता है। हालांकि, अगर यह उपाय काम नहीं करते हैं, तो तुरंत एक पेशेवर चिकित्सक से परामर्श करें।
माइग्रेन के सिरदर्द के उपचार
आइस पैक रखें : माइग्रेन का सिरदर्द कम करने के लिए एक सबसे सरल उपचार है अपने सिर पर आइस पैक रखें। आइस पैक मस्तिष्क में रक्त के प्रवाह को नियंत्रित करने में मदद करता है और दर्द को कम कर देता है। प्रभावित क्षेत्र, कनपटी और गर्दन पर प्रभावी राहत के लिए आइस पैक को धीरे-धीरे रगड़ें।
ओटीसी दवाएं : आप माइग्रेन के इलाज के लिए, बिना नुस्खे की दवाओं की एक विस्तृत श्रृंखला का उपयोग कर सकते हैं। एस्पिरिन और आईबुप्रोफेन आम दवाएं हैं, जो सिर दर्द होने पर ली जा सकती हैं। हालांकि, यह ध्यान रहे कि आप इन दवाओं का अत्याधिक इस्तेमाल न करें।
कैफीन ज्यादा लें : ब्लैक कॉफी, जो कैफीन का एक अच्छा स्रोत है, माइग्रेन के इलाज के लिए इस्तेमाल की जा सकती है। यह उपाय माइग्रेन के रोगियों के लिए सबसे ज्यादा काम करता है, लेकिन यह सिर दर्द बढ़ा भी सकता है।
एरोमाथैरेपी : माइग्रेन के अटैक के उपचार में एरोमाथैरेपी आपकी मदद करता है। विभिन्न प्रकार की खुशबू शरीर पर एक सुखदायक प्रभाव छोड़ती हैं और आपके शरीर को अराम देती हैं, जब आपको माइग्रेन का अटैक पड़ता है। बाबूना, पुदीना, नीलगिरी के कुछ आम इत्र माइग्रेन के केस में कारगर साबित हो सकते हैं। आप विभिन्न जड़ी बूटियों का प्रयोग भी कर सकते हैं और देख सकते हैं कि आपको कौन सी सूट कर रही है।
एक आरामदायक मालिश : अक्सर, आपके गर्दन और कंधे के क्षेत्र में मांसपेशियों की ऐंठन माइग्रेन को सक्रिय कर सकती है। एक अच्छी मालिश मांसपेशियों को आराम देकर आरामदायक प्रभाव शुरू कर सकती है।
मैग्नीशियम पावर : मैगनीशियम अक्सर माइग्रेन के मरीजों के लिए रामबाण माना जाता है। मैग्नीशियम प्रभावी ढंग से विभिन्न माइग्रेन सक्रियताओं का मुकाबला कर सकता है क्योंकि यह रक्त शर्करा और रक्तचाप के स्तर को नियंत्रित करता है। अपने आहार में 500 मिलीग्राम मैग्नीशियम की खुराक आपको माइग्रेन के दौरों का प्रभावी ढंग से इलाज करने में मदद कर सकती है।
योगाभ्यास करें : माइग्रेन के लिए योग सबसे अच्छे वैकल्पिक चिकित्सा उपचारों में से एक है। योग शरीर के जैव रासायनिक और हार्मोनल संतुलन को वापस लौटा सकता है। साँस लेने के व्यायाम और अन्य योग मुद्राओं की मदद से आप माइग्रेन के दौरों की आवृत्ति को काफी हद तक कम कर सकते हैं।
हाइड्रोथेरेपी : हाइड्रोथेरेपी काफी आसान है और शरीर में रक्त के प्रवाह को प्रभावी ढंग से नियंत्रित कर सकता है। क् रक्त के प्रवाह को अपने सिर से बाहर संचालित करने से दर्द को कम करने में मदद मिल सकती है। माइग्रेन से आराम के लिए आप ठंडे पानी में अपने पैर रख दें और अपने सिर के पीछे गरम पानी की बोतल रख सकते हैं।
माइग्रेन को भगाना है, तो टेंशन लो नहीं बल्कि दो
नई दिल्ली। भयंकर सिरदर्द की समस्या इन दिनों आम हो गई है और माइग्रेन इसी का एक रूप है। इसकी सबसे बड़ी वजह तनाव और लोगों की अनियमित दिनचर्या है, जिससे सबसे अधिक महिलाएं प्रभावित हो रही हैं। एक अनुमान के मुताबिक, देश में करीब एक-तिहाई महिलाएं और पुरुषों का पांचवां हिस्सा माइग्रेन से प्रभावित है। माइग्रेन में भी हालांकि सिरदर्द ही होता है, लेकिन चिकित्सकों का कहना है कि दोनों में फर्क है, जिसे समझना आवश्यक है।
अपोलो अस्पताल में तंत्रिका तंत्र विभाग के वरिष्ठ चिकित्सक पी.एन रंजन ने से कहा, सिरदर्द सिर के हिस्से में दर्द है, जबकि माइग्रेन सिरदर्द का एक प्रकार है। माइग्रेन बीमारी नहीं, बल्कि रोग का एक लक्षण है। यह जानना चाहिए कि हर सिरदर्द माइग्रेन नहीं होता, लेकिन माइग्रेन सिरदर्द हो सकता है। माइग्रेन में अक्सर सिर में स्पंदन होता है, रोशनी की ओर देखने का मन नहीं करता और उल्टी होती है।
डॉक्टर रंजन के मुताबिक, वह रोजाना जितने मरीजों को देखते हैं, उनमें करीब 30 प्रतिशत सिरदर्द एवं माइग्रेन के होते हैं। उन्होंने कहा, महिलाओं के शरीर में होने वाले हार्मोन में बदलाव और रोजमर्रे के जीवन में तनाव के कारण उनमें सिरदर्द एवं माइग्रेन का खतरा अधिक होता है। अनियमित खानपान और पूरी नींद नहीं मिल पाना इसके अन्य कारण हैं।"
शालीमार बाग स्थित मैक्स अस्पताल में तंत्रिका तंत्र विशेषज्ञ डॉक्टर मनोज खन्नल ने बताया, माइग्रेन से पीड़ितों में 75 प्रतिशत महिलाएं हैं। हालांकि बचपन में लड़कों और लड़कियों, दोनों में माइग्रेन के संयोग बराबर होते हैं, लेकिन लड़कियों में युवावस्था के बाद यह बढ़ जाता है। माइग्रेन आम तौर पर 20 से 45 वर्ष की महिलाओं को प्रभावित करता है।
उन्होंने कहा, महिलाओं में एस्ट्रोजन तथा प्रोजेस्टेरोन जैसे हर्मोन में होने वाले बदलाव के कारण माइग्रेन का खतरा और इसकी गंभीरता कुछ महिलाओं में बढ़ जाती है। माइग्रेन से पीड़ित करीब आधी महिलाओं ने बताया कि उनका सिरदर्द उनके मासिक चक्र से संबंधित होता है। कुछ महिलाओं में गर्भावस्था के पहले तीन महीने में माइग्रेन की स्थिति बहुत गंभीर होती है, लेकिन यह आखिरी के तीन महीने में ठीक हो जाती है।
लोगों को अक्सर दर्द निवारक दवाएं नहीं लेने की सलाह देते हुए मैक्स हेल्थकेयर में तंत्रिका तंत्र विशेषज्ञ राजशेखर रेड्डी ने कहा, बहुत अधिक दर्द निवारक दवाएं लेने से भी सिरदर्द बढ़ सकता है। इसके अतिरिक्त ये किडनी तथा अन्य अंगों को भी प्रभावित कर सकते हैं। चिकित्सकों ने सिरदर्द की स्थिति में हर वक्त दवा लेने के बजाय लोगों को तनाव मुक्त जीवन जीने, खानपान में सुधार लाने तथा पूरी नींद लेने की सलाह दी है। उनका यह भी कहना है, उन परिस्थितियों पर गौर करना चाहिए, जिसके कारण सिरदर्द होता है और उनसे दूर रहने की कोशिश करनी चाहिए।
माइग्रेन : युवाओं में तेजी से बढ़ता रोग
माइग्रेन के युवा मरीज तेजी से बढ़ रहे हैं। एक अनुमान के अनुसार करीब 10 फीसदी आबादी किसी न किसी रूप में माइग्रेन से पीड़ित है। स्पेशलिस्ट के अनुसार इसके बढ़ने का कारण शुरुआत में ही युवा मरीजों का इस पर ज्यादा ध्यान न देना है। जब तक प्रॉब्लम बढ़ नहीं जाती माइग्रेन से पीड़ित युवा मरीज डॉक्टर के पास नहीं जाते हैं और इसे सामान्य सिरदर्द ही समझते रहते हैं। इससे उनकी प्रॉब्लम बढ़ती जाती है।
वास्तव में मॉर्डन लाइफ स्टाइल अपना असर दिखाने लगी है। भागमभाग भरी जिंदगी, लेट नाइट स्लीपिंग, देर से उठना, असमय खाना और बढ़ते टेंशन आदि जैसे कई कारणों से माइग्रेन के युवा मरीज तेजी से बढ़ रहे हैं। सावधानी न रखने से यह गंभीर भी हो सकता है। अस्पतालों में प्रति माह 100 से अधिक युवा मरीज माइग्रेन के पहुंचते हैं।
न्यूरोलोजिस्ट के अनुसार अस्पताल में मरीज तभी पहुंचते हैं जब स्थिति बिगड़ जाती है। माइग्रेन की शुरुआती स्थिति में ही यदि एक्सपर्ट से मिल लिया जाए तो इसे आसानी से कंट्रोल किया जा सकता है। बाद में ठीक होने में इसे थोड़ा समय लगता है।
कुछ केमिकल निकलने के कारण होता है। कुछ खास कारण इसे प्रेरित करते हैं। माइग्रेन की 4 स्टेज रहती हैं- प्रोडोम, ऑरा, हैडेक और पोस्टड्रोम। खास बात यह है कि माइग्रेन युवाओं में ज्यादा पाया जाता है। आजकल दवाओं से इसे पूरी तरह ठीक किया जा सकता है। इसकी अलग-अलग स्टेज के आधार पर ही इसे पूरी तरह ठीक होने में लगने वाला समय भी अलग-अलग होता है।
- आधे सिर में दर्द होना और धीरे-धीरे बढ़ते जाना।
- सिरदर्द के साथ उल्टी की इच्छा होना या उल्टी होना।
- सिरदर्द के साथ डायरिया होना।
- धीरे-धीरे आंखों के सामने अंधेरा छा जाना। कुछ चीजें धुंधली दिखाई देना।
- सिरदर्द के पहले भी आलस्य, नींद आना, भूख न लगना, ध्वनि का चुभना जैसे लक्षण भी देखने को मिलते हैं।
- प्रतिदिन सोने और जागने का समय निश्चित करें। कोशिश करें कि रात में जल्दी सोएं और सुबह जल्दी जागें।
- समय पर भोजन करें। लंबे समय तक उपवास न रखें।
- केफीन का सेवन कम करने के लिए कॉफी और चाय का सेवन कम करें।
- तेज प्रकाश से बचें।
- माइग्रेन को प्रेरित करने वाली चीजों को पहचानें और उनसे बचें।
अर्धकपारी (सूर्यावर्त,
[1] आधासीसी या
अंग्रेज़ी:माइग्रेन) एक सिरदर्द का रोग है। इसमें सिर के आधे भाग में भीषण दर्द होता है।
[2] मान्यता अनुसार इसका कोई इलाज नहीं है, किंतु इससे असरदार तरीके से निपटा जा सकता है। इस रोग में कभी कभी सिर के एक हिस्से में
[3] बुरी तरह धुन देने वाले मुक्कों का एहसास होता है, और लगता है कि सिर अभी फट जाएगा।
[4] उस समय अत्यंत साधारण काम करना भी मुश्किल हो जाता है। यह एहसास होता है कि किसी अंधेरी कोठरी में पड़े हैं। चिकित्सकीय निगरानी में रहकर और जीवन-शैली में बदलाव करके इस रोग से निपटा जा सकता है। एक अध्ययन के अनुसार माइग्रेन पुरुषों की तुलना में महिलाओं को तीन गुना अधिक प्रभावित करता है।
[5] अधिकांश लोगों को माइग्रेन का पता तब चलता है, जब वे कई साल तक इस तकलीफ को झेलने के बाद इसके लक्षणों से परिचित हो जाते हैं। कई बार यह दर्द साइनोसाइटिस का भी हो सकता है।
[6] किसी कठोर चीज से सिर के एक हिस्से में जोर-जोर से वार करने का एहसास तब होता है, जब जैविक परिवर्तन के कारण खून की धमनियां फूलने लगती हैं, या उनमें जलन होने लगती है। जबकि अन्य प्रकार के सिरदर्द में आमतौर पर दर्द सिकुड़ी हुई धमनियों या सिर और गर्दन की मांसपेशियों के सख्त हो जाने के कारण होता है।
अपोलो अस्पताल,
चेन्नई के न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. ए. पन्नीर के अनुसार
[7], माइग्रेन का दर्द बहुत जबर्दस्त होता है। इसस रोजमर्रा के आम काम भी नहीं कर पाते। यहां तक कि चलना फिरना भी दूभर हो जाता है, और लगता है कि शरीर टूट चुका है।
माइग्रेन के साथ अक्सर जी मिचलाता है, और उल्टी भी हो जाती है। माइग्रेन का अटैक होने पर मरीज को रोशनी, आवाज या किसी तरह की गंध नहीं सुहाती।
दिल्ली के
गंगाराम अस्पताल के न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. ईश आनंद के अनुसार माइग्रेन का हमला अचानक होता है। कई बार यह शुरू में हल्का होता है, लेकिन धीरे-धीरे बहुत तेज दर्द में बदल जाता है।
[2] अधिकतर यह सिरदर्द के साथ शुरू होता है और कनपटी में बहुत तीव्रता से टीस उठती है या ऐसा लगता है कि कोई कनपटी पर प्रहार कर रहा है। प्रायः यह दर्द आधे सिर में होता है, लेकिन एक तिहाई मामलों में दर्द सिर के दोनों ओर भी होता पाया गया है। एक तरफ होने वाला दर्द अपनी जगह बदलता है और यह ४ से ७२ घंटों तक रह सकता है। इस समय उबकाई आना, उल्टी, फोनोफोबिया और प्रकाश से भय आदि समस्याएं भी पैदा हो सकती है।
[5] माइग्रेन का हमला किसी भी आयु में हो सकता है, लेकिन ज्यादातर इसकी शुरुआत किशोर उम्र से होती है। माइग्रेन के ज्यादातर रोगी वे होते हैं, जिनके परिवार में ऐसा इतिहास रहा है। इसके कुल रोगियों में ७५ प्रतिशत महिलाएं होती हैं। माइग्रेन का दर्द प्रायः पर सिर के एक सिरे से, या कभी-कभी बीचों-बीच से या पीछे की तरफ से उठता है।
[4] माइग्रेन का दर्द ४ से ४८ घंटे तक रह सकता है। कभी यह रह-रहकर कई हफ्तों या महीनों तक, या फिर सालों तक खास अंतराल में उठता है। कई बार एक ही समय में यह बार-बार हथौड़ों की बारिश का एहसास कराता है। इसकी अनुभूति कई बार वास्तविक दर्द से दस मिनट से लेकर आधे घंटे पहले ही शुरू हो जाती है। इस दौरान सिर में बिजली फट पड़ने, आंखों के आगे अंधेरा छा जाने, बदबू आने, सुन्न पड़ जाने या दिमाग में झन्नाहट का एहसास होता है। किसी-किसी मरीज को अजीब-अजीब सी छायाएं नजर आती हैं। किसी को चेहरे और हाथों में सुइयां या या पिनें चुभने का एहसास होता है। लेकिन कई अध्ययनों से सामने आया है कि माइग्रेन के प्रभामंडल का एहसास केवल एक से पांच प्रतिशत रोगियों को ही होता है। इसे परंपरागत या क्लासिकल माइग्रेन कहा जाता है, लेकिन यह महिलाओं में कम होता है।
माइग्रेन के तीन प्रकार के बताये जाते हैं:
सामान्य माइग्रेन: यह माइग्रेन फोनोफोबिया और फोटोफोबिया के साथ होता है।
क्लासिक माइग्रेन: इस प्रकार के माइग्रेन में विभिन्न वस्तुएं चमकीली दिखायी पड़ती हैं। जिगजैग पैटर्न यानी टेढ़े-मेढ़े स्वरूप में चटख रंगीन चमचमाती रोशनियां दिखाई पड़ती है या दृष्टि क्षेत्र में एक छिद्र दिखाई पड़ता है, जिसे ब्लाइंड स्पॉट कहते है।
जटिल माइग्रेन मोटा पाठ: ऐसे माइग्रेन में मस्तिष्क के ठीक से काम न करने की वजह से सिरदर्द होता है।
[5]
अर्धकपारी के प्रमुख कारणों में तनाव होना, लगातार कई दिनों तक नींद पूरी न होना, हार्मोनल परिवर्तन, शारीरिक थकान, चमचमाती रोशनियां,कब्ज़,
[1] नशीली दवाओं व शराब का सेवन आते हैं।
[4] कई मामलों में ऋतु परिवर्तन, कॉफी का अत्यधिक सेवन(चार कप से अधिक), किसी प्रकार की गंध और सिगरेट का धुआं आदि कारण भी माइग्रेन की समस्या का कारण देखे गये हैं। आजकल डिब्बाबंद पदार्थों और जंक फूड का काफी चलन है। इनमें मैदे का बड़ी मात्रा में प्रयोग होता है, यदि आपको माइग्रेन की शिकायत है तो आप इन पदार्थों का सेवन कतई न करें।पनीर, चाकलेट, चीज, नूडल्स, पके केले और कुछ प्रकार के नट्स में ऐसे रासायनिक तत्व पाए जाते हैं जो माइग्रेन को बढ़ा सकते हैं।
[8]
२० से ५५ वर्ष की आयु के ऐसे लोग जिनकी कमर के क्षेत्र में अत्यधिक चर्बी है उन्हें माइग्रेन होने का खतरा औरों की तुलना में अधिक होता है।
[9] अमेरिकन अकादमी ऑफ न्यूरोलॉजी (एएएन) में
फिलाडेल्फिया के
ड्रेक्सेल विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं द्वारा २२,२११ लोगों किये गये शोध के निष्कर्ष के अनुसार कमर पर अधिक चर्बी वाली ३७ प्रतिशत महिलाओं को माइग्रेन की शिकायत थी जबकि बिना अतिरिक्त चर्बी वाली मात्र २० प्रतिशत महिलाओं को ऐसी समस्या थी।
[10] २० से ५५ वर्ष की आयुवर्ग के २० प्रतिशत ऐसे पुरुषों को माइग्रेन की शिकायत थी जिनकी कमर सामान्य से अधिक थी जबकि मात्र १६ प्रतिशत ऐसे लोगों को माइग्रेन था जिनकी कमर ज्यादा नहीं थी।
[11][12] अत्यधिक मोटे या तोंद वाले लोगों को भी माइग्रेन की संभावना अन्य लोगों की अपेक्षा अधिक होती है।
[13] फ्रांस के रैंग्वेल अस्पताल में हुई शोध के दौरान कुछ शोधार्थियों ने साधारण माइग्रेन से पीड़ित सात रोगियों पर मस्तिष्क की प्रक्रियाओं में अंतर बताने वाली ‘पोज़ीट्रॉन इमिशन टोमोग्राफ़ी’ (पीईटी) तकनीक का इस्तेमाल किया। इस शोध में प्रमुख भूमिका निभानेवाली डॉक्टर मारी डेनुएल ने कहा कि जब दौरे को अप्राकृतिक रूप से करवाया जाता है तो रोगी हाइपोथेलेमस प्रतिक्रियाओं को खो देते हैं। इस प्रकार माइग्रेन के दौरे में हाइपोथेलेमस की भूमिका महत्वपूर्ण हो सकती है।
[14][15] उच्च रक्तचाप के रोगियों में माइग्रेन की संभावना ५० प्रतिशत से भी कम होती है।
नॉर्वे में २० वर्ष से अधिक आयु वाले ५१,३५३ लोगों पर हुए शोध के परिणाम न्यूरोलॉजी नामक एक जर्नल में प्रकाशित हुए थे। उसी के संदर्भ से ये संभावना निकली है।
[16]
सभी रोगियों में माइग्रेन के पूर्व संकेत (ट्रिगर्स) एक से नहीं होते, इसलिए उनके लिए डायरी में अपनी अनुभूतियां दर्ज करना उपयोगी हो सकता है। इसके बाद दवा की सहायता से इन ट्रिगर्स से समय रहते बचकर, माइग्रेन को टाल भी सकते हैं।
[7]
कभी-कभार माइग्रेन का हल्का-फुल्का दर्द होने पर दैनिक काम प्रभावित नहीं होता। विशेषज्ञों के अनुसार ऐसे रोगी बिना किसी डाक्टरी राय के सीधे दवाई विक्रेता से मिलने वाले आम दर्दमारक दवाइयां ले सकते हैं, जैसे कि क्रोसीन या गैर-स्टैरॉयड जलन मिटाने वाली गोलियां डिस्प्रिन, ब्रूफेन और नैप्रा।
भीषण दर्द होने पर दो प्रकार की दवाएं काफी प्रभावशाली होती हैं, जिन्हें इन रोगियों को सदा अपने साथ रखना चाहिए। पहली- जलन मिटाने वाली कैफीन रहित गोलियां नैप्रा-डी, नैक्सडॉम और मेफ्टल फोर्ट। और दूसरी ट्रिप्टान दवाएं- जैसे कि सुमिनेट टैब्लेट, नैसाल स्प्रे या इंजेक्शन, राइज़ैक्ट या फिर ज़ोमिग। पहले ट्रिप्टान दवाएं तब दी जाती थीं, जब माइग्रेन पर आम पेन किलर्स का कोई असर नहीं होता था। इसके बाद नए शोध से पता चला कि भीषण दर्द में सीधे ही ट्रिप्टान दवाओं का सहारा लेना अधिक कारगर होता है। ट्रिप्टान दवाएं दर्द शुरू होने से पहले, या मामूली दर्द शुरू हो जाने पर भी ली जा सकती हैं। इससे इनका असर बढ़ जाता है। ऐसा करके माइग्रेन के ८० प्रतिशत हमलों को दो घंटे में खत्म किया जा सकता है। इससे दवा का दुष्प्रभाव (साइड-इफैक्ट) भी कम हो जाता है, और अगले २४ घंटों में माइग्रेन दर्द की संभावना भी नहीं रहती।
कुछ दवाएं ऐसी हैं, जिन्हें डॉक्टर की सलाह और मार्गदर्शन से ही लिया जा सकता है।
[7] इन्हें एर्गोटैमिन्स कहा जाता है। इस श्रेणी में एर्गोमार, वाइग्रेन, कैफरगोट, माइग्रेनल और डीएचई-45 आती हैं। ट्रिप्टान दवाओं की तरह ये भी अन्य धमनियों को तो खोलती हैं, लेकिन हृदय की धमनियों को कुछ ज्यादा ही खोल देती हैं, इसलिए कम सुरक्षित मानी जाती हैं। यहां खास ध्यान योग्य बात है कि कई बार सिरदर्द दूसरी खतरनाक और जानलेवा बीमारियों का भी संकेत होता है। इसलिए बार-बार होने वाले तेज सिरदर्द, गर्दन दर्द, अकड़न, जी मिचलाने या आंखों के आगे अंधेरा छा जाने को बिलकुल भी नजर अंदाज न करें और फौरन डॉक्टर को दिखाना चाहिये। माइग्रेन की दवाई अब प्रसिद्ध भारतीय औषदि कंपनी रैन्बैक्सी भी निकाल रही है।
[17]माइग्रेन में हाइपरबेरिक ऑक्सीजन थेरेपी भी लाभदायक होती है।
[18]
वैज्ञानिकोअंनुसार जो लोग माइग्रेन के दर्द से पीड़ित होते हैं उन्हें छोटी-सी सर्जरी से फ़ायदा हो सकता है।
[19][20] अमरीकी डॉक्टरों का कहना है कि यदि माथे और गर्दन की कुछ माँसपेशियाँ हटा दी जाएँ तो इससे माइग्रेन से छुटकारा दिलाया पाया जा सकता है। इन डॉक्टरों ने एक साल में माइग्रेन से पीड़ित सौ लोगों की सर्जरी की और पाया कि उनमें से ९० लोगों को या तो माइग्रेन से छुटकारा मिल गया था या फिर उसमें भारी कमी आई थी।
[21]
माइग्रेन का निवारण
योगासन द्वाआ सुलभ है।
[22] इसके लिए रात्रि को बिना तकिए के शवासन में सोएं। सुबह-शाम योगाभ्यास में ब्रह्म मुद्रा, कंध संचालन, मार्जरासन, शशकासन के पश्चात प्राणायाम करें। इसमें पीठ के बल लेटकर पैर मिलाकर रखें। श्वास धीरे-धीरे अंदर भरें, तब तक दोनों हाथ बिना मोड़े सिर की तरफ जमीन पर ले जाकर रखें और श्वास बाहर निकालते वक्त धीरे-धीरे दोनों हाथ बिना कोहनियों के मोड़ें व वापस यथास्थिति में रखें। ऐसा प्रतिदिन दस बार करें। अंत में कुछ देर शवासन करके नाड़िशोधन प्राणायाम दस-दस बार एक-एक स्वर में करें।
[23]
होम्योपैथी में भी इसका उपचार दिया गया है।
[24] इसके लिए
नामक दवाइयों की की चार-चार बूंदें दिन में चार बार लेने से आराम मिलता है।
इस बीमारी के लिए कई घरेलू उपचार भी किए जा सकते हैं।
[25]
इस दर्द में यदि सिर, गर्दन और कंधों की मालिश की जाए तो यह इस दर्द से आराम दिलाने बहुत सहायक सिद्ध हो सकता है। इसके लिए हल्की खुश्बू वाले अरोमा तेल का प्रयोग किया जा सकता है।
रोगी साँस की गति को थोड़ा धीमा करके, लंबी साँसे लेने की कोशिश करें। यह तरीका दर्द के साथ होने वाली बेचैनी से राहत दिलाने में सहायता करेगा।
[25]
ठंडे या गर्म पानी की हल्की मालिश
एक तौलिये को गर्म पानी में डुबाकर,उस गर्म तौलिये से दर्द वाले हिस्सों की मालिश करें। कुछ लोगों को ठंडे पानी से की गई इसी तरह की मालिश से भी आराम मिलता है। इसके लिए बर्फ के टुकड़ों का उपयोग भी कर सकते हैं।
[25]
अरोमा थेरेपी माइग्रेन के दर्द से काफ़ी आर४आम पहुंचाता है। इस तरीके में हर्बल तेलों के एक तकनीक के माध्यम से हवा में फैला दिया जाता है या फिर इसको भाप के द्वारा चेहरे पर डाला जाता है। इसके साथ हल्का संगीतक भी चलाया जाता है जो दिमाग को आराम पहुँचाता है।
[25]
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क्या आपको माइग्रेन है?
सभी जानते हैं कि माइग्रेन में होने वाला सिरदर्द कितना तकलीफदायक होता है। यह दर्द अचानक ही शुरू होता है और अपने आप ही ठीक भी हो जाता है। हाथों के स्पर्श से मिलने वाला आराम और प्यार किसी भी दवा से ज़्यादा असर करता है। इस दर्द में अगर सिर, गर्दन और कंधों की मालिश की जाए तो यह इस दर्द से राहत दिलाने बहुत मददगार साबित हो सकता है।
इसके लिए हल्की खुश्बू वाले अरोमा तेल का प्रयोग किया जा सकता है। एक तौलिये को गर्म पानी में डुबाकर,उस गर्म तौलिये से दर्द वाले हिस्सों की मालिश करें। कुछ लोगों को ठंडे पानी से की गई इसी तरह की मालिश से भी आराम मिलता है। इसके लिए आप बर्फ के टुकड़ों का उपयोग भी कर सकते हैं। कपूर को घी में मिलाकर सिर पर हल्के हाथों से मालिश करें। मक्खन में मिश्री मिलाकर सेवन करें।
माइग्रेन :कारण और निवारण
सिर जो तेरा चकराए...जी हां आजकल यह आम समस्या बन गयी है।आज के भागदौड़,प्रतियोगिता के युग में शायद ही कोई होगा जो कई तरह के भारी तनावों से न जूझ रहा हो। महिलाएं अब सिर्फ ग्रहणी नहीं रहीं, बल्कि घर से बाहर तमाम तरह की अहम जिम्मेदारियां संभालने में वे भी सिरदर्द और माइग्रेन जैसी कई परेशानियों से जूझ रही हैं।माइग्रेन को आम बोलचाल की भाषा में अधकपारी भी कहते हैं। यह नाम इसे इसलिए मिला क्योंकि आम तौर पर इसका शिकार होने पर सिर के आधे हिस्से में दर्द रहता है, जबकि आधा दर्द से मुक्त होता है। वैसे फ्रेंच शब्द माइग्रेन का अर्थ भी यही है। जिस हिस्से में दर्द होता है, उसकी भयावह चुभन भरी पीडा से आदमी ऐसा त्रस्त होता है कि सिर क्या बाकी शरीर का होना भी भूल जाता है। यह कोई छोटा-मोटा दर्द नहीं है। यह आपके सारे दिन की गतिविधियों को ठप्प कर देने वाला दर्द है। माइग्रेन मूल रूप से तो न्यूरोलॉजिकल समस्या है। इसमें रह-रह कर सिर में एक तरफ बहुत ही चुभन भरा दर्द होता है। यह कुछ घंटों से लेकर तीन दिन तक बना रहता है। इसमें सिरदर्द के साथ-साथ जी मिचलाने, उल्टी जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं। इसके अलावा फोटोफोबिया यानी प्रकाश से परेशानी और फोनोफोबिया यानी शोर से मुश्किल भी आम बात है। माइग्रेन से परेशान एक तिहाई लोगों को इसकी जद में आने का एहसास पहले से ही हो जाता है।
माइग्रेन की पहचान:-
- • क्या आपको सिर के एक हिस्से में बुरी तरह धुन देने वाले मुक्कों का एहसास होता है, और लगता है कि सिर अभी फट जाएगा?
- • क्या उस वक्त आपके लिए अत्यंत साधारण काम करना भी मुश्किल हो जाता है?
- • क्या आपको यह एहसास होता है कि आप किसी अंधेरी कोठरी में पड़े हैं, और दर्द कम होने पर ही इस अनुभव से निजात मिलती है?
अगर इनमें से किसी भी प्रश्न का उत्तर हां में है, तो इस बात की पूरी संभावना है कि आपको माइग्रेन हुआ है। इसलिए फौरन डॉक्टर के पास जाकर इसकी पुष्टि कर लेनी चाहिए।
ज्यादातर लोगों को माइग्रेन का पता तब चलता है, जब वे कई साल तक इस तकलीफ को ङोलने के बाद इसके लक्षणों से वाकिफ हो जाते हैं।
माइग्रेन के कारण:-
माइग्रेन होने के कई कारण हो सकते हैं। काम की थकान, तनाव, समय पर भोजन न करना, धूम्रपान, तेज गंध वाले परफ्यूम से, बहुत ज्यादा या कम नींद लेना इसका कारण हो सकते हैं। इसके अलावा मौसम का बदलाव, हार्मोनल परिवर्तन, सिर पर चोट लगना, आंखों पर स्ट्रेस पड़ना या तेज रोशनी, एक्सरसाइज न करने से भी माइग्रेन की परेशानी उत्पन्न हो सकती है। कई लोगों को तेज धूप, गर्मी या ठंड से भी परेशानी होती है। जिन लोगों को हाई या लो ब्लड प्रेशर, ब्लड शुगर और तनाव जैसी समस्याएं होती हैं उनके माइग्रेन से ग्रस्त होने की आशंका बढ जाती है। कई बार तो केवल इन्हीं कारणों से माइग्रेन हो जाता है।
माइग्रेन का इलाज:-
कभी-कभार माइग्रेन का हल्का-फुल्का दर्द होने पर दैनिक काम प्रभावित नहीं होता। विशेषज्ञों के अनुसार ऐसे रोगी बिना किसी डाक्टरी राय के सीधे दवाई विक्रेता से मिलने वाले आम दर्दमारक दवाइयां ले सकते हैं, जैसे कि क्रोसीन या गैर-स्टैरॉयड जलन मिटाने वाली गोलियां डिस्प्रिन, ब्रूफेन और नैप्रा।
भीषण दर्द होने पर दो प्रकार की दवाएं काफी प्रभावशाली होती हैं, जिन्हें इन रोगियों को सदा अपने साथ रखना चाहिए। पहली- जलन मिटाने वाली कैफीन रहित गोलियां नैप्रा-डी, नैक्सडॉम और मेफ्टल फोर्ट। और दूसरी ट्रिप्टान दवाएं- जैसे कि सुमिनेट टैब्लेट, नैसाल स्प्रे या इंजेक्शन, राइज़ैक्ट या फिर ज़ोमिग। पहले ट्रिप्टान दवाएं तब दी जाती थीं, जब माइग्रेन पर आम पेन किलर्स का कोई असर नहीं होता था। इसके बाद नए शोध से पता चला कि भीषण दर्द में सीधे ही ट्रिप्टान दवाओं का सहारा लेना अधिक कारगर होता है। ट्रिप्टान दवाएं दर्द शुरू होने से पहले, या मामूली दर्द शुरू हो जाने पर भी ली जा सकती हैं। इससे इनका असर बढ़ जाता है। ऐसा करके माइग्रेन के ८० प्रतिशत हमलों को दो घंटे में खत्म किया जा सकता है। इससे दवा का दुष्प्रभाव (साइड-इफैक्ट) भी कम हो जाता है, और अगले २४ घंटों में माइग्रेन दर्द की संभावना भी नहीं रहती।
वैज्ञानिको के अंनुसार जो लोग माइग्रेन के दर्द से पीड़ित होते हैं उन्हें छोटी-सी सर्जरीसे फ़ायदा हो सकता है।अमरीकी डॉक्टरों का कहना है कि यदि माथे और गर्दन की कुछ माँसपेशियाँ हटा दी जाएँ तो इससे माइग्रेन से छुटकारा दिलाया पाया जा सकता है। इन डॉक्टरों ने एक साल में माइग्रेन से पीड़ित सौ लोगों की सर्जरी की और पाया कि उनमें से ९० लोगों को या तो माइग्रेन से छुटकारा मिल गया था या फिर उसमें भारी कमी आई थी।
माइग्रेन का निवारण
योगासन द्वारा सुलभ है। इसके लिए रात्रि को बिना तकिए केशवासन में सोएं। सुबह-शाम योगाभ्यास में ब्रह्म मुद्रा, कंध संचालन, मार्जरासन, शशकासन के पश्चात प्राणायाम करें। इसमें पीठ के बल लेटकर पैर मिलाकर रखें। श्वास धीरे-धीरे अंदर भरें, तब तक दोनों हाथ बिना मोड़े सिर की तरफ जमीन पर ले जाकर रखें और श्वास बाहर निकालते वक्त धीरे-धीरे दोनों हाथ बिना कोहनियों के मोड़ें व वापस यथास्थिति में रखें। ऐसा प्रतिदिन दस बार करें। अंत में कुछ देर शवासन करके नाड़िशोधन प्राणायाम दस-दस बार एक-एक स्वर में करें।
रात्रि भोजन के बाद एक चम्मच पंचसकार चूर्ण गुनगुने पानी में चोल कर पी लीजिए ।
सुबह उठकर नित्यकर्मों से निपट कर जिस ओर दर्द हो रहा है उस ओर के नथुने में इस घोल की दो बूंदे डाल लें । एक कप पानी में एक चम्मच सैंधव (सेंधा) नमक मिला कर घोल बना लें । सेंधा नमक वह नमक है जो लोग उपवास में खाया करते हैं ।
किसी अच्छी कम्पनी का बना हुआ नारायण तेल लेकर सुबह माथे पर जहां कनपटी का क्षेत्र है वहां उंगली से हलके से ५-१० मिनट मालिश करें ।
आपको आश्चर्य होगा कि आपको जीवन भर कैसा भी सिरदर्द होगा पर आधाशीशी (माइग्रेन) नहीं होगा
अरोमा थेरेपी माइग्रेन के दर्द से राहत पाने के लिए आजकल खूब पसंद की जा रही है। इस तरीके में हर्बल तेलों के एक तकनीक के माध्यम से हवा में फैला दिया जाता है या फिर इसको भाप के ज़रिए चेहरे पर डाला जाता है।
इसके साथ हल्का म्यूज़िक भी चलाया जाता है जो दिमाग को सुकून पहुँचाता है।
माइग्रेन का सिरदर्द कम करने के लिए एक सबसे सरल उपचार है अपने सिर पर आइस पैक रखें। आइस पैक मस्तिष्क में रक्त के प्रवाह को नियंत्रित करने में मदद करता है और दर्द को कम कर देता है। प्रभावित क्षेत्र, कनपटी और गर्दन पर प्रभावी राहत के लिए आइस पैक को धीरे-धीरे रगड़ें।
मैगनीशियम अक्सर माइग्रेन के मरीजों के लिए रामबाण माना जाता है। मैग्नीशियम प्रभावी ढंग से विभिन्न माइग्रेन सक्रियताओं का मुकाबला कर सकता है क्योंकि यह रक्त शर्करा और रक्तचाप के स्तर को नियंत्रित करता है। अपने आहार में 500 मिलीग्राम मैग्नीशियम की खुराक आपको माइग्रेन के दौरों का प्रभावी ढंग से इलाज करने में मदद कर सकती है।
संतुलित आहार लें:-
माइग्रेन में चिकित्सीय इलाज के अलावा संतुलित आहार बहुत जरूरी है। अगर शारीरिक कारणों से माइग्रेन हो तो पहले तो यह समझना चाहिए कि किन तत्वों की कमी या अधिकता के कारण ऐसा हो रहा है। उसके ही अनुसार अपने आहार को संतुलित कर लेना चाहिए। अगर किसी को खाद्य पदार्थो से एलर्जी के कारण माइग्रेन हो तो उसे उन फलों-सब्जियों और अनाज से बचना चाहिए, जिनसे एलर्जी हो सकती है। ऐसा पौष्टिक आहार लें जिससे रोग प्रतिरोधक क्षमता बढाई जा सके।
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"माइग्रेन : होमियोपैथिक चिकित्सा"
होमियोपैथी में सिरदर्द और माइग्रेन का लाजवाब इलाज है, जरूरत बस, जरा से लक्षणों पर ध्यान देने की है। यहां हम ऐसे ही तमाम लक्षणों और होमियोपैथिक उपचार की चर्चा कर रहे हैं-सिर की पीड़ा को एक साधारण बीमारी माना जाता है तथा कोई भी ‘पेन-किलर गोली’ खाकर इससे छुटकारा पाने का प्रयास किया जाता है, किन्तु क्या हमने कभी सोचा है कि सिर दर्द स्वयं कोई बीमारी नहीं, बल्कि शरीर की किसी बीमारी का एक लक्षण मात्र है।
लक्षणों के अनुसार ‘माइग्रेन’ का उपचार:-
१. अगर सिर-दर्द अचानक ही उग्र रूप धारण कर लें, लगता हो कि दर्द से सर फट जायेगा। मानो सर पर कई हथौड़ों से वार किया जा रहा हो। रोशनी एवं बातचीत न सुहाती हो। लेटने से सिर दर्द बढ़ जाये एवं बैठने से कम हो। सर के दाहिने हिस्से में पीड़ा हो, तो बेलाडोना 200की एक बूंद जीभ पर डालते ही मानो जादू हो जायेगा।
२. यदि आधी-शीशी का दर्द सिर के पिछले भाग या गुद्दी से शुरू होकर बांई आंख के ऊपर आकर टिक जाये अथवा सिर के बायें हिस्से में रहे तथा प्रातः काल शुरू होकर दोपहर तक बढ़ जाता हो तो इसे स्पाइजेलिया-30 दिन में 3 बार लेने पर अवश्य ठीक कर देगा।
३. अगर लू लगने से, रसोई में काम करते समय चूल्हे की गर्मी से अथवा बिजली के तेज प्रकाश में कार्य करने से सिर दर्द हो जाये या तकिये पर सिर रखने से दर्द बढ़ जाये। सारे सिर में तथा शरीर में तपकन, हड़कल (पल्सेशन) हो तो ग्लोनॉयन की 30वीं शक्ति का प्रयोग इस रोगी को आश्चर्यचकित रूप से स्वस्थ कर देगा।
४. सिर की गुद्दी में बिजली की लहर (करंट) के समान दर्द हो तथा सिर के दाहिने हिस्से को पकड़ता हो। सिरदर्द रोजाना निश्चित समय पर आता हो। सूर्य की गर्मी के साथ दर्द बढ़ता हो। लेटने अथवा नींद आने से आराम मिलता हो। किसी-किसी रोगी में दर्द दाहिनी आंख पर आकर टिक जाता है- इन लक्षणों पर सेंग्विनेरिया मूल अर्क की पांच-पांच बूंदे चौथाई कप पानी में डालकर दिन में 3 बार लेने पर आधा-शीशी जड़ से चली जाती है।
५. यदि गर्दन या कंधों की मांसपेशियों में ‘अकड़न’ हो तथा कनपटियों में भयंकर दर्द हो जो नाक अथवा ठोढ़ी तक चला जाता हो। सिर दर्द घट जाता हो तो यह जेल्सेसियम का निश्चित क्षेत्र है। इसकी कुछ ही मात्राएं इस प्रकार के ‘माइग्रेन’ को मिटा डालने में समर्थ है।
६. अगर जुकाम दबकर सिर के छोटे-छोटे स्थानों में दर्द ठहर गया हो, आंखों की भौओं को दबाने पर आराम मिलता हो। सिर के एक तरफ ही दर्द हो। दर्द का पूर्वाभास, आंखों के चुंधियाने के रूप में हो तो काली बाईक्रोम-30 दिन में 3 बार एक सप्ताह तक लेना चाहिए। इससे न केवल सिर-दर्द , बल्कि पुराना जुकाम अथवा साइनस का दर्द भी सदा के लिए विदा हो जायेगा।
७. ऐसा ‘सरदर्द’ मानो रोगी अंधा हो जायेगा। प्रातः उठने के साथ ही मानो सिर पर हजारों हथौड़े पर रहे हों। सूर्योदय से दर्द शुरू हो और सूर्य के साथ-साथ बढ़कर सूर्यास्त के समय मिट जाये अथवा घट जाये। रोगी अत्यन्त भावुक एवं संवेदनशीलता प्रकृति का हो अर्थात् जल्दी गुस्सा हो जाता हो अथवा रो पड़ता हो, नमकीन चीजों का प्रेमी हो। सूर्य की गर्मी से डरता हो। सिर दर्द के साथ ही जी मितलाता हो तथा बढ़ने पर उल्टी करता हो तो नेट्रमम्यूर-30 अथवा200 शक्ति इसकी निश्चित दवा है। कमजोर शरीर वाले स्कूली छात्र-छात्राओं के सिर दर्द की भी यह अचूक औषधि है।
८. रात को सोते-सोते रोगी अचानक सिरदर्द के कारण उठ बैठे तथा भूख से भी तिलमिला उठता हो। नींद खुलने का कारण है-मानो अचानक किसी ने माथे पर चोट दे मारी हो। रोगी को गर्मी के मौसम में भारी सर्दी महसूस होती हो तथा शरीर पर अनावश्यक कपड़े लेपेटे रखता हो। बदन से एक अजीब तरह की दुर्गन्ध आती हो तो सोरिनम-200 की एक या दो मात्राएं दर्द को मिटाकर रोगी का नक्शा ही बदल डालती है।
९. सिर से पिछले हिस्से से उठने वाला दर्द जो पूरे सिर पर फैल जाता हो। सिर पर कपड़ा लपेटने से आराम मिलता हो। ठंडी हवा से सरदर्द बढ़ जाता हो। रोगी को फोड़े-फुंसी, गला पकना आदि बीमारियां समय-समय पर परेशान करती रहती हैं। हाथ-पैर ठंडे रहते हैं। इस ‘ठंडी प्रकृति’ के रोगी को साइलीशिया-30 की 4-4 गोलियां सुबह-शाम अपार शांति प्रदान करने में समर्थ हैं।
१० अगर युवावस्था में सिर में फुंसियां निकली हों जिन्हें दवाइयों से दबा दिया गया हो। इस कारण से भयंकर सिर दर्द होता हो। दर्द में लगता हो जैसे सिर पर हथौड़े चल रहे हों। रक्त संचय के कारण होने वाले सरदर्द में कैलकेरिया कार्ब-30 बेहतरीन औषधि है।
११. खासकर ऐसी महिलाओं में जिन्हें मासिक में रक्तस्राव अधिक होता हो तथा दो मासिक के बीच सिर दर्द की शिकायत हो तो कैलकेरिया कार्ब-30 की एक-एक मात्रा हर तीसरे दिन कुछ दिनों तक देना चाहिए।
१२. एक निश्चित अन्तराल के बाद होने वाला सिरदर्द, जो बांई आंख के ऊपर काटता-सा, शाम को शुरू होकर रात में अपनी तीव्रता के शिखर पर पहुंचता हो, के लिए सल्फर-30 की 4-5 गोली प्रत्येक दो घंटे में जीभ पर रखकर चूसें।
१३. पेट की गड़बड़ी या पुराने कब्ज के कारण भी, जब रक्त का प्रवाह मस्तिष्क की ओर हो जाता है, तब तेज सिरदर्द होने लगता है। इस सिरदर्द में हरकत से रोग बढ़ता है। सिर आगे की ओर झुकाने से लगता है कि सिर फट पड़ेगा। ऐसे में ब्रायोनिया-30 उपयोगी है।
१४. क्रोधी, चिड़चिड़े स्वभाव के ऐसे व्यक्ति जिन्हें वात व्याधि रहती हो, जोड़ों में दर्द होता हो। उनमें सिरदर्द दाहिनी कनपटी में या माथे के एक तरफ से शुरू होता है। कभी-कभी क्रोध करने पर यह दर्द गर्दन और बाजू तक आ पहुंचता है। इसमें ब्रायोनिया-30 मूल अर्क की दो-दो बूंदे निश्चित अंतराल से लेने से लाभ होता है।
१५. इसके अतिरिक्त भी नक्स वोमिका, पल्सटिल्ला, एकोनाइट, नेट्रमसल्फ आदि दवाइयां विभिन्न शक्तियों में चिकित्सक के परामर्शनुसार लेने पर इस रोग को जड़ मूल से मिटाया जा सकता है।
फिर भी मैं यह कहना चाहूंगा कि हमें ‘सिरदर्द’ को एक साधारण रोग समझ कर इसकी उपेक्षा नहीं करनी चाहिए। बल्कि इसका कारण जानकर जल्दी से जल्दी इसकी चिकित्सा करानी चाहिए। कहीं ऐसा न हो कि साधारण-सा ‘सरदर्द’ हमारे लिए ‘मेनिन्जाइटिस’, ‘सिस्टीसरकोसिस’ अथवा ‘ब्रेनट्यूमर’ का रूप धारण कर ले और अत्यन्त गम्भीर अथवा जानलेवा सिध्द हो।
आपकी लेख सराहनीय है, मैंने भी कुछ गर्दन मे दर्द का घरेलू इलाज के बारे में लिखा है आशा करता हूँ अवश्य लाभ मिलेगा
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