Online Dr. P.L. Meena (डॉ. पुरुषोत्तम लाल मीणा)

Health Care Friend and Marital Dispute Consultant

(स्वास्थ्य रक्षक सक्षा एवं दाम्पत्य विवाद सलाहकार)

-:Mob. & WhatsApp No.:-

85619-55619 (10 AM to 10 PM)

xxxxxxxxxxx

स्वास्थ्य की अनदेखी नहीं करें, तुरंत स्थानीय डॉक्टर (Local Doctor) से सम्पर्क करें। हां यदि आप स्थानीय डॉक्टर्स से इलाज करवाकर थक चुके हैं, तो आप मेरे निम्न हेल्थ वाट्सएप पर अपनी बीमारी की डिटेल और अपना नाम-पता लिखकर भेजें और घर बैठे आॅन लाइन स्वास्थ्य परामर्श प्राप्त करें।

माईग्रेन-आधासीसी-Migraine

माईग्रेन (अर्धावभेदक-आधासीसी) क्या है?

सिरदर्द एक आम रोग है और प्रत्येक व्यक्ति को कभी न कभी इसे मेहसूस करता ही है।इस रोग के विशेषग्य इसके कारण के मामले में एकमत न होकर अलग-अलग राय रखते हैं। सभी की राय है कि माईग्रेन के विषय में और अनुसंधान की आवश्यकता है। अभी तक माईग्रेन की तीव्रता का कोइ वैग्यानिक माप नहीं है।
माईग्रेन एक रक्त परिसंचरण (vascular) तंत्र की व्याधि है। मस्तिष्क की रुधिर वाहिकाओं का आकार बढ जाने से याने खून की नलिकाएं फ़ैल जाने से इस रोग का संबंध माना जाता है। इन रुधिर वाहिकाओं पर नाडियां(नर्व्ज) लिपटी हुई होती हैं। जब रक्त वाहिकाएं फ़ैलकर आकार में बढती हैं तो नाडियों पर तनाव बढता है और फ़लस्वरूप नाडियां एक प्रकार का केमिकल निकालती हैं, जिससे दर्द और सूजन पैदा होते हैं, यही माईग्रेन है।

माईग्रेन अक्सर हमारे सिम्पेथेटिक नर्वस सिस्टम पर हमला करता है। इस नाडीमंडल की अति सक्रियता से आंतों में व्यवधान होकर अतिसार, वमन भी शिरोवेदना के साथ होने लगते हैं। इससे आमाशय स्थित भोजन भी देरी से आंतों में पहुंचता है। माईग्रेन की मुख मार्ग से ली गई दवा भी भली प्रकार अंगीकृत नहीं हो पाती है। प्रकाश और ध्वनि के प्रति असहनशीलता पैदा हो जाती है। रक्त परिवहन धीमा पडने से चर्म पीला पड जाता है और हाथ एवं पैर ठंडे मेहसूस होते हैं।

माईग्रेन का सिरदर्द गर्मी, मानसिक तनाव, अपर्याप्त नींद से बढ जाता है। करीब 70 प्रतिशत माईग्रेन रोगियों का पारिवारिक इतिहास देखें तो उनके नजदीकी रिश्तेदारों में इस रोग की मौजूदगी मिलती है। पुरुषों की बनिस्बत औरतों में यह रोग ज्यादा होता है। इस रोग को आधाशीशी भी कहते हैं ।यह ज्यादातर सिर के बांये अथवा दाहिने भाग में होता है। कभी-कभी यह दर्द ललाट और आंखों पर स्थिर हो जाता है। सिर के पिछले भाग में गर्दन तक भी माईग्रेन का दर्द मेहसूस होता है। माईग्रेन का सिरदर्द 4 घंटे से लेकर 3-4 दिन की अवधि तक बना रह सकता है। बहुत से माईग्रेने रोगियों में सिर के दोनों तरफ़ दर्द पाया जाता है। माईग्रेन एक बार बांयीं तरफ़ होगा तो दूसरी बार दांये भाग में हो सकता है। माईग्रेन का दर्द सुबह उठते ही प्रारंभ हो जाता है और सूरज के चढने के साथ रोग भी बढता जाता है। दोपहर बाद दर्द में कमी हो जाती है। ऐसा देखने में आया है कि 60 साल की उम्र के बाद यह रोग हमला नहीं करता है।

इस रोग के इलाज में माडर्न दवाएं ज्यादा सफ़ल नहीं हैं। साईड ईफ़ेक्ट ज्यादा होते हैं। निम्नलिखित उपाय निरापद और कारगर हैं--

1) बादाम 10-12 नग प्रतिदिन खाएं। यह माईग्रेन का बढिया उपचार है।
2) बन्ड गोभी को कुचलकर एक सूती कपडे में बिछाकर मस्तक (ललात) पर बांधें। रात को सोते वक्त या दिन में भी सुविधानुसार कर सकते हैं। जब गोभी का पेस्ट सूखने लगे तो नया पेस्ट बनाककर पट्टी बांधें। मेरे अनुभव में यह माईग्रेन का सफ़ल उपाय हैं।
3) अंगूर का रस 200 मिलि सुबह-शाम पीयें। बेहद कारगर नुस्खा है।
4) नींबू के छिलके कूट कर पेस्ट बनालें। इसे ललाट पर बांधें । जरूर फ़ायदा होगा।
5) गाजर का रस और पालक का रस दोनों करीब 300 मिलि पीयें आधाशीशी में गुणकारी है।
6) गरम जलेबी 200 ग्राम नित्य सुबह खाने से भी कुछ रोगियों को लाभ हुआ है।
7) आधा चम्मच सरसों के बीज का पावडर 3 चम्मच पानी में घोलक्रर नाक में रखें । माईग्रेन का सिरदर्द कम हो जाता है।
7) सिर को कपडे से मजबूती से बांधें। इससे खोपडी में रक्त का प्रवाह कम होकर सिरदर्द से राहत मिल जाती है।
8) माईग्रेन रोगी देर से पचने वाला और मसालेदार भोजन न करें।
9) विटामिन बी काम्प्लेक्स का एक घटक नियासीन है। यह विटामिन आधाशीशी रोग में उपकारी है। 100 मिलि ग्राम की मात्रा में रोज लेते रहें।
10) तनाव मुक्त जीवन शैली अपनाएं।
11) हरी सब्जियों और फ़लों को अपने भोजन में प्रचुरता से शामिल करें।

माइग्रेन का घरेलू इलाज़

वर्तमान समय में माइग्रेन तेजी से बढ़ रहा है। यह बहुत ही कष्टदायक रोग है। इसमें सिर के एक ही भाग में ललाट पर या सिर के पिछले हिस्से में अथवा पूरे सिर में भी दर्द होता है। यह दर्द साधारण सिर दर्द से अधिक तेज और उग्र होता है। खास बात यह माइग्रेन का दर्द सूर्य उदय होते प्रारंभ होता है। जैसे-जैसे सूर्य निकलता है दर्द बढ़ता जाता है और दोपहर होते-होते तीव्र पीड़ा होती है।

आयुर्वेद के अनुसार रुखा भोजन करने, शीतल वस्तुओं का अधिक सेवन करने, मल-मूत्र के वेग को रोकने, बहुत चलने, ज्यादा कसरत करने या फिर अति सहवास करने से इस रोग की उत्पत्ति होती है। इन कारणों के साथ ही पानी कम पीने, समय पर भोजन न करने, नींद पूरी न होने से भी यह समस्या हो सकती है। वहीं महिलाओं में माहवारी की गड़बड़ी से भी यह रोग देखने को मिलता है। इन कारणों को देखते हुए एक कुशल चिकित्सक से परामर्श लेकर इस रोग की चिकित्सा करानी चाहिए।

आयुर्वेद पद्धति से माइग्रेन के रोगी बहुत आसानी से ठीक हो जाते हैं। घरेलू उपचार में-
  1. गाय का ताजा घी सुबह-शाम दो-चार बूंद नाक में रुई से टपकाने से इस रोग में आराम होता है।
  2. वहीं आधा गिलास अंगूर का रस सूर्य निकलने से पहले रोगी को देने से भी उसे आराम मिलेगा।
  3. खाना खाने से पहले और खाना खाने के बाद दो-दो चम्मच शहद का सेवन करें। इसके लिए तुलसी के रस में एक चम्मच शहद मिलाकर रोगी को पिलाएं। इससे माइग्रेन में काफी लाभ होता है।
  4. दो भाग तिल के साथ एक भाग वायविडंग पीसकर थोड़ा गरम कर लेप करने या चंदन को गुलाब जल में घिसकर माथे पर लगाने से रोग में आराम मिलता है।
  5. एक तोला कल्क को गर्म दूध में मिलाकर पीने से भी बहुत लाभ पहुंचता है।
(डॉ. सर्वाश मालवीय,दैनिक जागरण,इलाहाबाद,2.3.11)।


आधासीसी दर्द (Migraine or Sick-Headache)

परिचय-यह एक प्रकार का सिर दर्द होता है जिसके कारण सिर के आधे भाग में दर्द होता रहता है और इस दर्द का सम्बंध जिगर से होता है इसलिए इसका अंत प्राय: जी मिचलाने तथा उल्टी आने से होता है। दर्द का असर सिर की गुद्दी से या माथे से शुरू होता है और सिर के एक तरफ इसका असर होता है। जब यह दर्द किसी को होता है तो उसे बड़ा तेज सिर में दर्द होता है जो कभी-कभी असहनीय हो जाता है। सिर को छूने से दर्द होता है लेकिन सिर को दबाने से आराम मिलता है। इस रोग से पीड़ित रोगी रोशनी या शोर को बर्दाश्त नही कर पाता है और अंधेरे कमरे में पड़ा रहना चाहता है। इस दर्द का असर कुछ घंटे या दो एक दिन तक रहता है। आंखों के सामने अंधेरा छा जाता है। यह रोग स्त्रियों को अधिक होता है और उनकी मासिकधर्म के शुरू के समय में यह रोग उन्हें अधिक होता है। इस रोग में उल्टी भी आती है क्योंकि प्रकृति शरीर के पित्त आदि विकारों को बाहर निकाल फेंकना चाहती है। यह रोग पन्द्रह दिन में एक बार या डेढ़ महीने में एक बार या फिर तीन महीने पर एक बार हो सकता है। जब यह रोग होता है तो रोगी के सिर में थोड़ा-थोड़ा दर्द शुरू हो जाता है और वह बेचैन हो जाता है और उसकी तबीयत बहुत अधिक खराब हो जाती है।

यह रोग की अवस्था में पाकाशय (मालाशय) या अनुभावक स्नायुओं की गड़बड़ी के साथ माथे के आधे भाग में दर्द होता है। यह पुरुषों की अपेक्षा स्त्रियों को अधिक होता है। जिस वंश में यह रोग ज्यादा होता है उनके आने वाले वंशों में भी यह रोग अधिकतर होता है।

आधे सिर में दर्द होने के निम्नलिखित कारण होते हैं-
  1. अधिक तनाव युक्त कार्य करने या मानसिक परिश्रम अधिक करने से यह रोग हो सकता है।
  2. चॉकलेट, पनीर, लाल शराब आदि उत्तेजक पदार्थों का सेवन करने के कारण से भी आधे सिर का दर्द होता है।
  3. स्त्रियों में यह रोग अधिकतर मासिकधर्म में रुकावट आने के कारण होता है।
  4. अधिक उपवास या व्रत रखने के कारण से यह रोग उत्पन्न होता है।
  5. गर्मनिरोधक गोलियों को अधिक मात्रा में सेवन करने से आधे सिर में दर्द हो सकता है।
  6. अपने शक्ति से अधिक शक्ति का कार्य करने से यह होता है।
  7. ज्यादा संभोग करने से जब शरीर में अधिक कमजोरी आ जाती है तो आधे सिर का दर्द हो सकता है।
  8. ठंडा खाना प्रतिदिन सेवन करने से यह रोग होता है।
  9. आधे सिर का दर्द धूप में अधिक घूमने से उत्पन्न हो सकता है।
  10. देर रात तक जागने, अधिक देर तक पढ़ने, अनिद्रा होने आदि कारणों से आधे सिर दर्द होता है।
  11. अत्यधिक चमक तथा आंखों के चौंधियाने के कारण से आधे सिर में दर्द हो सकता है।
  12. आधे सिर में दर्द अनुवांशिक भी हो सकता है जो पीढी दर पीढ़ी चलता रहता है।
अन्य चिकित्सा :-
  1. आधे सिर में दर्द से पीड़ित रोगी को घर में बत्ती बुझाकर सोना चाहिए
  2. रोगी को पतली तरल पदार्थ वाली चीजों का सेवन करना चाहिए।
  3. रोगी के सिर के दर्द से कुछ आराम देने के लिए उसके सिर पर गर्म पानी की पट्टी लगानी चाहिए या फिर सरसों की गर्म पोल्टीस गर्दन के नीचे और पीठ पर लगानी चाहिए।
  4. आधे सिर में दर्द से पीड़ित रोगी को दर्द से राहत पाने के लिए कभी भी अफीम मिली दवाईयों या जुलाव आदि का प्रयोग नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे हानि होती है।
  5. इस रोग से बचने के लिए सबसे पहले तनाव से बचना चाहिए तथा मानसिक चिंता-फिक्र भी नहीं करना चाहिए।
  6. खाना निश्चित समय पर खाना चाहिए और श्रम से बचना चाहिए।
  7. योग-ध्यान व कुछ नियमित व्यायाम तनाव को कम करने में लाभकारी है।
  8. यदि धूप में निकलना हो तो छाता लेकर और गहरे रंग का चश्मा पहनना चाहिए। जैसे ही सिर में दर्द शुरू हो, तीन से चार गिलास ठंडा पानी पीना चाहिए और ठंडी पट्टी माथे पर लगाकर अंधेरे कमरे में शांत बैठ जाना चाहिए और आराम करना चाहिए।
  9. दर्द से राहत पाने के लिए नशा न करें।
  10. सिर दर्द को ठीक करने के लिए दर्द नाश्क गोलियों को प्रयोग नहीं करना चाहिए।
  11. नियमित व्यायाम करने से माइग्रेन के खतरे से बचा जा सकता है।
होम्योपैथिक उपचार :

चियोनैनथस-
  1. यह वैसे तो जिगर के रोग को ठीक करने की प्रमुख औषधि है। इस औषधि से उपचार करने के लिए इसके मूल-अर्क या पहली शक्ति की दो से चार मात्राएं कई सप्ताह तक लगातार सेवन करना चाहिए।
  2. इस रोग से पीड़ित रोगी के सिर में दर्द हल्का हो और इसका असर आंखों के ऊपर हो तथा आंखों के गोलकों में तेज दर्द हो, नाक की जड़ में भारीपन हो, झुकने से दर्द बढ़ रहा हो, हाथ-पैर चलाने से रोग के लक्षणों में वृद्धि हो रही हो और दर्द हो तो उपचार करने के लिए इस औषधि का उपयोग करना लाभदायक है।
  3. स्त्री को मासिकधर्म शुरू होने पर सिर में इस प्रकार का दर्द हो या पित्त से सम्बंधित लक्षण होने के साथ ही सिर के आधे भाग में दर्द हो रहा हो तो चियोनैनथस औषधि का उपयेग करना बहुत अधिक लाभदायक है।
सैंग्वनेरिया-
  1. यदि रोगी के सिर में दर्द दांयीं तरफ के भाग में अधिक हो रहा हो और सूर्य के गर्मी के कारण रोग के लक्षणों में वृद्धि हो रही हो तो उपचार करने के लिए सैंग्वनेरिया औषधि के मूल-अर्क की कुछ बून्दों का उपयोग करना चाहिए।
  2. रोगी के सिर के आधे भाग में एक निश्चित समय पर दर्द हो रहा हो तो उसका उपचार करने के लिए सैंग्वनेरिया औषधि के मूल-अर्क, 3 शक्ति का उपयोग कर सकते हैं।
  3. सिर की गुद्दी में दर्द शुरू हो गया हो और इसका असर ऊपर की ओर चढ़ता हुआ महसूस हो रहा हो, दांयीं आंख के ऊपर इसका दर्द आकर रुक गया हो तो इस प्रकार के लक्षण को भी ठीक करने में सैंग्वनेरिया औषधि उपयोगी है।
  4. आधे सिर के दर्द को ठीक करने के लिए सैंग्वनेरिया औषधि की 3X मात्रा या 200 शक्ति का भी प्रयोग कर सकते हैं।
  5. स्त्रियों के मासिकधर्म रुक जाने के समय के बाद सातवें दिन में आधे सिर में दर्द हो रहा हो तो सैंग्वनेरिया औषधि से उपचार करना अधिक लाभदायक होता है।
  6. सिर के गुद्दी में ऐसा दर्द हो रहा हो कि मानो सिर में बिजली की लहर दौड़ गई हो या चमक चली गई हो तो ऐसी स्थिति में दर्द को ठीक करने के लिए सैंग्वनेरिया औषधि का सेवन करना लाभकारी होता है।
जेल्सीमियम-
  1. रोगी के सिर के आधे भाग की गुद्दी में दर्द हो रहा हो और ऐसा महसूस हो रहा हो कि दर्द वाला स्थान जकड़ गया है, कनपटियों में दर्द हो रहा हो, दर्द का असर कानों तक हो, नाक तथा ठोड़ी तक जा पहुंचता हो तो चिकित्सा करने के लिए जेल्सीमियम औषधि की 3 या 30 शक्ति का उपयोग करना लाभकारी है।
  2. सिर के आधे भाग में दर्द के साथ ही गर्दन तथा कंधों की मांस-पेशियों में भी दर्द हो रहा हो और सिर दर्द शुरू होने से पहले आंखों में अंधेरा छा जाता है। ऐसे लक्षण होने पर जेल्सीमियम औषधि की मात्राओं का सेवन करने से रोग ठीक हो सकता है।
  3. आधे सिर में दर्द से पीड़ित रोगी में इस प्रकार के लक्षण हों जैसे- पेशाब ज्यादा खुलकर आ रहा हो और इसके साथ ही सिर दर्द कम हो जाता हो, सिर को दबाने से या उसे तकिये पर ऊंचा रखने से कुछ आराम मिलता है। ऐसे रोगी के रोग को ठीक करने के लिए जेल्सीमियम औषधि उपयोगी है।
कैलि बाईक्रोम-रोगी के सिर के एक भाग की तरफ दर्द होता है और सिर में छोटी-छोटी जगहों पर इस दर्द का असर रहता है। इस प्रकार का दर्द सिर में जुकाम के दब जाने के कारण होता है। माथे में तथा आंखों के ऊपर सिर दर्द का असर होता है, भोंओं के ऊपर भी दर्द होता है जिसका कारण रेशे जम जाना है। सिर दर्द होने से पहले आंखें चुंधियाती है। ऐसे रोगी के रोग की चिकित्सा करने के लिए कैलि बाईक्रोम औषधि की 3 या 30 शक्ति का प्रयोग करने से अधिक लाभ मिल सकता है।

नैट्रम म्यूर-
  1. रोगी के सिर के आधे भाग में ऐसा दर्द होता है कि सिर आधा हो जाएगा। सुबह के समय में उठने पर ऐसा सिर दर्द होता है कि मानो दिमाग पर हजारों छोटे-छोटे हथौड़ों से चोट मारी जा रही हो, स्त्री रोगी को मासिकधर्म होने के बाद सिर में ऐसा दर्द होता है, सूर्यदय से सूर्यास्त तक दर्द का असर रहता है। ऐसे रोगी के रोग का उपचार करने के लिए नैट्रम म्यूर औषधि की 12 या 30 शक्ति का सेवन करने से अधिक लाभ मिलता है।
  2. छोटी कन्याओं जो अधिक कमजोर हो तथा शरीर में खून बहुत कम हो, ऐसे बच्चें जब स्कूल से पढ़ कर आती हैं तो सिर दर्द होता है या उनका यह रोग पुराना हो, सिर के एक तरफ दर्द होता हो, इसके साथ ही जी मिचलाने लगता हो, उल्टी भी आती हो, निश्चित समय पर सिर दर्द हो रहा हो तो ऐसे रोगियों के रोग की चिकित्सा करने के लिए नैट्रम म्यूर औषधि का उपयोग करना लाभदायक है।
  3. सिर के सामने के भाग में साइनस में सूजन हो गया हो और सिर में दर्द हो तो उपचार करने के लिए नैट्रम म्यूर औषधि का सेवन करना चाहिए।
नैट्रम सल्फ-
  1. नैट्रम सल्फ औषधि जिगर के रोग को ठीक करने में बहुत लाभकारी है। यदि रोगी के आधे सिर में दर्द बरसाती मौसम में, सीलन से, पानी के आस-पास होने वाली सब्जियां खाने से, मछली खाने से हो गई हो और इस प्रकार के लक्षण हों जैसे- सिर दर्द गुद्दी में हो रहा हो और सिर के आधे भाग में दर्द हो रहा हो तो नैट्रम सल्फ औषधि की 12X मात्रा का प्रयोग करने से रोग ठीक हो सकता है।
  2. यदि आधे सिर में दर्द हर बसंत ऋतु के आने के साथ ही त्वचा के रोग हो जाने या सीलन वाली जगह पर रहने कारण से हो और तथा कनपटी में कुरेदने जैसा दर्द हो रहा हो तो रोग को ठीक करने के लिए नैट्रम सल्फ औषधि का प्रयोग करना अधिक लाभदायक है।
ओनोस्मोडियम-रोगी जब सुबह के समय में उठता है तो उसके गुद्दी तथा माथे पर दर्द होता है और दर्द खासकर सिर के बांयीं तरफ होता है, कनपटियों तथा कान के पीछे के हड्डी में दर्द होता है, आंखों पर भरीपन महसूस हो रहा हो या शरीर में कमजोरी आने के कारण सिर दर्द हो तो ओनोस्मोडियम औषधि की 30 शक्ति का सेवन करने से लाभ मिलता है। रोगी में इस प्रकार के लक्षण भी होते हैं- अधिक कमजोरी आ जाती है, स्त्रियों में संभोग करने की शक्ति नहीं रहती हैं।

सोरिनम-आधे सिर में दर्द से पीड़ित रोगी जब रात को सोते-सोते उठ बैठता है मानो किसी ने सिर पर चोट दे मारी हो तो ऐसे लक्षणों को दूर करने के लिए सोरिनम औषधि की 200 शक्ति की मात्रा का उपयोग लाभकारी है।
यदि रोगी का यह रोग बहुत पुराना है और इस प्रकार के लक्षण हों जैसे- सिर-दर्द के होने से रोगी को भूख लगती हो, ऐसा महसूस होता हो कि हथौड़े के लगने जैसा दर्द हो रहा है, रोगी शीत-प्रधान हो, गर्मी में भी गर्म कपड़े लपेटे रहता हो तो ऐसे रोगी के रोग को ठीक करने के लिए सोरिनम औषधि का उपयोग फायदेमंद है।

साइलीशिया-सिर की गुद्दी से दर्द शुरू होना, दर्द का असर सिर पर फैलना, आंखों के ऊपर दर्द का असर होना। इस प्रकार के लक्षण से पीड़ित रोगी जब सिर पर गर्म कपड़े लपेट लेता है तो उसे आराम मिलता है। ऐसे रोगी के रोग का उपचार करने के लिए साइलीशिया औषधि की 30 शक्ति का प्रयोग करना लाभकारी है। इस औषधि का प्रयोग करते समय रोगी में इस प्रकार के लक्षणों को भी ध्यान में रखना चाहिए जैसे- रोग के लक्षण समय-समय पर लौट आना, सिर दर्द होना, अकड़न होना, गला पकना, मिर्गी के दौरे पड़ना, फोड़े-फुंसी होना आदि। इस प्रकार के लक्षण रोगी में समय-समय पर ठीक होकर दूबारा से होते रहते हैं। रोगी शीत-प्रधान होता है, आग के पास बैठने का मन करता है, गर्म कपड़े लपेटने का मन करता है, हवा के झोके बर्दास्त नहीं होता है, हाथ-पैर ठण्डे रहते हैं, सर्दियों में रोग का प्रभाव बढ़ जाता है।

थूजा-आधे सिर में दर्द की चिकित्सा करने के लिए थूजा औषधि की 6 या 200 शक्ति की मात्रा का प्रयोग करना चाहिए।

सैलिसिलेट आफ सोडा-आधे सिर के दर्द से पीड़ित रोगी के रोग की चिकित्सा करने के लिए सैलिसिलेट आफ सोडा औषधि की 20 या 30 ग्रेन प्रयोग करना चाहिए।

रोबिना-
  1. रोगी के पेट में अम्ल पदार्थ ज्यादा होने से सिर में दर्द हो रहा हो और सिर दर्द के साथ अम्लीय पदार्थ की उल्टी हो रही हो, सिर के सामने के भाग में हल्का-हल्का दर्द हो, पढ़ने-लिखने से रोग के लक्षणों में वृद्धि हो, दर्द ऐसा होता है जैसे टनक मारने वाला हो। ऐसे लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग को ठीक करने के लिए रोबिना औषधि की 3 शक्ति से उपचार करना लाभकारी होता है।
  2. यदि आधे सिर में दर्द होने का कारण पेट में अम्लीय पदार्थ है तो इस औषधि से उपचार करना अति लाभदायक है, ऐसे रोगी को खट्टी डंकारे आती हैं, उम्लीय तथा चुभने वाली उल्टी आ जाती है, ऐसे लक्षण हो तो रोग को ठीक करने के लिए रोबिना औषधि का उपयोग करना चाहिए। इस औषधि का सेवन देर तक करना पड़ सकता है।
सल्फर-आधे सिर दर्द से पीड़ित रोगी के सिर में एक निश्चित समय पर दर्द हो रहा हो और बार-बार दर्द हो रहा हो, कनपटियों में भारीपन महसूस हो रही हो, ऐसा लग हो रहा हो कि सिर पर भारी बोझ रखा हुआ हो, सिर में दबाव महसूस हो रहा हो तो चिकित्सा करने के लिए सल्फर औषधि की 30 शक्ति की मात्रा का प्रयोग किया जा सकता है।

प्रुनस-स्पाइनोसा-
  1. आधे सिर के दर्द को ठीक करने के लिए प्रुनस-स्पाइनोसा औषधि की 3 या 6 शक्ति की मात्रा का सेवन करना अधिक लाभकारी होता है।
  2. आधे सिर के दर्द को ठीक करने के लिए इन औषधियों का भी उपयोग कर सकते हैं जैसे- विरेट्रम-विर औषधि की 3X मात्रा, इपिकाक औषधि की 30 शक्ति, ड्यूबोइसिन औषधि की 3X मात्रा, एट्रोपिन औषधि की 3X मात्रा या 30 शक्ति, स्ट्रिकनिया औषधि की 30 शक्ति, केनाबिस-इण्डिका औषधि की 3X मात्रा, या हायोसियामिन-हाइड्रोब्रोमेटम की 6X मात्रा चूर्ण आदि।

आपको न सताए माइग्रेन

मनोज खंनाल

कई बीमारियों का आगाज सिरदर्द से ही होता है। माइग्रेन भी वही बीमारी है। इस मौसम में यह बीमारी अधिक सताती है, बता रहे हैं मैक्स सुपर हॉस्पिटल के न्यूरो विशेषज्ञ मनोज खंनाल

आज के बदलते परिदृश्य में हर व्यक्ति के जीवन में भागदौड़ है। इस वजह से जीवनशैली में बदलाव आना स्वाभाविक है। हर किसी को कभी न कभी, किसी न किसी दर्द से जूझना पड़ता है। इन्हीं दर्दों में से एक है माइग्रेन, जो मौसमी सिरदर्द है और इस मौसम में लोगों को ज्यादा प्रभावित कर रहा है।

माइग्रेन क्या है?

माइग्रेन एक प्रकार का मस्तिष्क विकार है, जिसमें सिरदर्द होता है। यह प्राय: शाम के समय प्रारंभ होता है। इसमें दर्द 2 से 72 घंटे तक हो सकता है। माइग्रेन के कितने प्रकार होते हैं?
माइग्रेन दो प्रकार के होते हैं :
  1. एपिसॉडिक माइग्रेन (प्रासंगिक माइग्रेन)
  2. क्रॉनिक माइग्रेन (दीर्घकालिक माइग्रेन)
कौन से अंग प्रभावित होते हैं? इस में सिर में एकतरफा दर्द होता है। इसलिए आम बोलचाल की भाषा में इसे अधकपारी भी कहा जाता है।


क्या है इसके लक्षण ?


माइग्रेन में जीभ का मिचलाना, वोमिटिंग, फोटोफोबिया (प्रकाश वृद्धि पर संवेदनशील होना), फोनोफोबिया (ध्वनि वृद्धि में संवेदनशीलता) और शारीरिक गतिविधियों का बढ़ जाना प्रमुख है। सेरेब्रल कॉर्टेक्स (मस्तिष्क की बाहरी परत है, जो कि टिशू होता है) में वृद्धि के कारण उत्तेजना और दर्द अधिक होता है।

प्रभावित करने वाले कारण

मौसम में बदलाव (खासकर मानसून में इसके मरीजों की संख्या कई गुन बढ़ जाता है), वातावरण में होने वाला शोर-शराबा, मोटर-गाड़ी की आवाज, शरीर में होने वाले हार्मोनल बदलाव, रोशनी का अधिक और कम होना, तनाव, भावात्मक तनाव, कम सोना, धूम्रपान करने से तथा अन्य कई कारकों से माइग्रेन के रोगी प्रभावित होते हैं।

किसे करता है अधिक प्रभावित

माइग्रेन किशोरावस्था से पहले लड़कियों की तुलना में लड़कों को अधिक प्रभावित करता है, लेकिन महिलाओं में पुरुषों की तुलना में माइग्रेन होने की आशंका अधिक होती है। आमतौर पर देखा गया है कि प्रसव काल के दौरान इसकी आशंका काफी कम हो जाती है।


किन-किन बातों का ध्यान रखें

यह रोग हवा और धूप के पड़ने से 30 प्रतिशत बढ़ जाता है। रोशनी और सोने की आदत माइग्रेन बढ़ने का प्रमुख कारण है। मौसमी सिरदर्द 75 प्रतिशत दूषित पर्यावरण और 46 प्रतिशत अन्य कारणों से होता है। प्रत्येक 9 डिग्री फॉरेंहाइट तापमान बढ़ने पर 7.5 प्रतिशत बीमारी बढ़ने का जोखिम रहता है। समझदारी और जानकारी इस बीमारी से बचाने में मददगार हो सकती है। इससे बचने के लिए एक डायरी बनाएं, जिसमें माइग्रेन से संबंधित सभी तथ्यों का समावेश होना चाहिए। मसलन पहली बार सिरदर्द होने पर कितनी देर तक सिरदर्द हुआ और उसके लक्षण क्या थे, सिरदर्द पहले से ज्यादा हो रहा है या कम, इस दौरान कौन सी दवाएं ली गईं आदि।

इलाज कैसे होता है?

इस बीमारी का इलाज दो तरह से होता है। पहला एक्यूट ऑबरेटिव ट्रीटमेंट और दूसरा प्रिवेंटिव ट्रीटमेंट। इस बीमारी में उपचार का पहला उद्देश्य लक्षणों को दूर करना होता है। उसके बाद सिरदर्द को कंट्रोल करना पड़ता है। माइग्रेन में प्राथमिक उपचार का लक्ष्य आवृत्ति, तीव्रता और सिरदर्द को कम करना होता है। इस उपचार में मरीज को कम से कम तीन महीने और कुछ स्थिति में छ: महीने तक नियमित दवा लेनी चाहिए। रोगी को इस बीमारी में प्राथमिक उपचार कराना चाहिए और डॉक्टर की सलाह से दवा लेनी चाहिए। उपचार निवारक पद्धति में पहले दवा की कम खुराक दी जाती है और धीरे-धीरे खुराक को तब तक बढ़ाया जाता है, जब तक कि दर्द से निजात न मिल जाए। इस पद्धति में मरीज को दवा का साइड इफेक्ट न हो, इसका भी पूरा ख्याल रखा जाता है। भावनात्मक उपचार द्वारा प्राय: असंवेदनशील रोगियों का इलाज किया जाता है। एक्यूपंचर चिकित्सा प्रासंगिक माइग्रेन और दीर्घकालिक माइग्रेन, दोनों में कारगर है, परंतु शोध के अनुसार यह पता लगता है कि एक्यूपंचर का प्रभाव दवा की तुलना में आभासी होता है।


माइग्रेन बढ़ने के कारण

अपने देश में माइग्रेन बढ़ने की वजह लोगों की जीवनशैली में आया बदलाव है। यहां के लोगों की जीवनशैली तेजी से बदल रही है। इस कारण कॉरपोरेट कल्चर में बेहतर मांग को लेकर आम लोगों के जीवन में हमेशा तनाव रहता है। हालांकि माइग्रेन को लेकर कोई एक सर्वमान्य सिद्धांत नहीं है। यह एक मस्तिष्क विकार माना जाता है। इसका प्राथमिक सिद्धांत यह है कि अधिकतर लोग जानकारी के अभाव में दर्द निवारक दवाओं का प्रयोग करते हैं, जो स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं।

माइग्रेन में इजाफे की मुख्य वजह

माइग्रेन के मरीजों की संख्या में वृद्धि होने की मुख्य वजह हमारी बदलती जीवनशैली है। दुनियाभर के 15 प्रतिशत लोग माइग्रेन से पीडित हैं। इस वर्ष संयुक्त राज्य अमेरिका में लगभग 6 फीसदी पुरुष और 18 फीसदी महिलाएं माइग्रेन से प्रभावित हुईं, जबकि यूरोप में पिछले वर्ष माइग्रेन से 12 से 18 प्रतिशत तक आबादी प्रभावित हुई। इनमें 6 से 15 प्रतिशत पुरुष और 14 से 35 प्रतिशत महिलाएं शामिल हैं। क्रॉनिक माइग्रेन से विश्व की कुल जनसंख्या में से 1.4 से 2.2 प्रतिशत लोग प्रभावित हैं। सिरदर्द पश्चिमी देशों की तुलना में एशिया और अफ्रीका में कम है, लेकिन इसके बारे में सही आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं। इससे बचाव के हैं उपाय-

  1. अधिक से अधिक पानी पिएं।
  2. सूर्य की रोशनी से दूर रहें।
  3. नियमित समय पर खाना खाएं और सोएं।
  4. अनजान दवाओं का सेवन न करें।
  5. काले चश्मे का प्रयोग करें, जो आपको धूप से बचाए।
  6. भीड़-भाड़ वाले स्थान पर जाने से बचें।
  7. अपनी कार्य क्षमता को जानें और तनाव से मुक्त रहें।
  8. रात में अच्छी नींद लें।
  9. सोते समय कमरे की बत्ती बुझा दें।
  10. हार्मोन की नियमित जांच करवाएं।
  11. स्नान के समय वॉशरूम की लाइट ऑफ रखा करें।
  12. सिरदर्द अधिक होने पर बर्फ के गोले से सेंक करें।
  13. कॉफी का सेवन करना लाभदायक होता है, लेकिन सीमित मात्रा में।
स्त्रोत : लाइव हिंदुस्तान डॉट काम, ०७ सितम्बर, १३



माइग्रेन का दर्द ऐसे कम करें

यह कोई छोटा-मोटा दर्द नहीं है। यह आपके सारे दिन की गतिविधियों को ठप्प कर देने वाला दर्द है। इससे आपकी आंखों के आगे अंधेरा छा जाता है। यह ऐसा दर्द है जिसे भगाने के लिए कई बार मरीज को दवा लेने का होश तक नहीं रहता। इसका कोई इलाज नहीं है। लेकिन आप इस दर्द को कम ज़रूर कर सकते हैं। भीषण सरदर्द की यह बीमारी माइग्रेन है। 

नोएडा की गृहिणी आरती अनेजा पाठक बचपन में अक्सर नाश्ते से जी चुराती थी। इससे उन्हें गैस और ऐसे तेज सरदर्द की शिकायत रहने लगी, जो कई बार कई दिन तक खिंच जाता। आरती को यह जानने में कई साल लग गए कि यह माइग्रेन था। अब 35 साल की उम्र में जाकर वे इस पर काबू पा सकी हैं। इस बारे में आरती कहती हैं, ‘क्योंकि मुङो इसकी वजह का पता चल गया है। मीठा खाने की इच्छा, या खुद को संयमित न रख पाने का एहसास होते ही मैं समझ जाती हूं कि अब सिर फटने वाला है।’ 

दिल्ली में प्रैक्टिस करने वाली 32 साल के वकील मिलांक चौधुरी के लिए माइग्रेन कर मतलब है, उसी क्षण काम अपना रोक देना, चाहे वे तब कोर्ट में जिरह ही क्यों न कर रहे हों। वे कहते हैं, ‘ऐसा लगता है मेरे सिर में कोई अचानक जोर-जोर से मुक्के मार रहा है, और मिनट-दर-मिनट मुक्कों की गति तेज होती जा रही है। अगर पास में दवा न हो, तो फौरन घर पहुंचकर, पेनकिलर्स खाकर घुप्प अंधेरे कमरे में कई घंटे सो जाने के अलावा कोई चारा नहीं रहता। इस दौरान उल्टी भी आ जाती है, और कुछ भी खाने का मन नहीं करता है। बस, दर्द ही दर्द याद रहता है। दर्द भी ऐसा कि सहा न जाए।’ 

माइग्रेन के ज्यादातर रोगी जानते हैं कि इसका कोई इलाज नहीं है, लेकिन कई ऐसे भी हैं, जिन्हें यह भी पता नहीं कि इससे असरदार तरीके से निपटा जा सकता है। 

माइग्रेन की पहचान 
  1. -क्या आपको सिर के एक हिस्से में बुरी तरह धुन देने वाले मुक्कों का एहसास होता है, और लगता है कि सिर अभी फट जाएगा? 
  2. -क्या उस वक्त आपके लिए अत्यंत साधारण काम करना भी मुश्किल हो जाता है? 
  3. -क्या आपको यह एहसास होता है कि आप किसी अंधेरी कोठरी में पड़े हैं, और दर्द कम होने पर ही इस अनुभव से निजात मिलती है? 
अगर इनमें से किसी भी प्रश्न का उत्तर हां में है, तो इस बात की पूरी संभावना है कि आपको माइग्रेन हुआ है। इसलिए फौरन डॉक्टर के पास जाकर इसकी पुष्टि कर लेनी चाहिए। 

ज्यादातर लोगों को माइग्रेन का पता तब चलता है, जब वे कई साल तक इस तकलीफ को झेलने के बाद इसके लक्षणों से वाकिफ हो जाते हैं। जैसे- 
  1. -कठोरता : किसी कठोर चीज से सिर के एक हिस्से में जोर-जोर से वार करने का एहसास तब होता है, जब जैविक परिवर्तन के कारण खून की धमनियां फूलने लगती हैं, या उनमें जलन होने लगती है। जबकि अन्य प्रकार के सिरदर्द में आमतौर पर दर्द सिकुड़ी हुई धमनियों या सिर और गर्दन की मांसपेशियों के सख्त हो जाने के कारण होता है। ‘माइग्रेन का दर्द बहुत जबर्दस्त होता है। इसस आप रोजमर्रा के आम काम भी नहीं कर पाते। यहां तक कि चलना फिरना भी दूभर हो जाता है, और लगता है कि शरीर टूट चुका है।’ 
  2. -गैस की समस्या : माइग्रेन के साथ अक्सर जी मिचलाता है, और उल्टी भी हो जाती है। 
  3. -माइग्रेन का अटैक होने पर मरीज को रोशनी, आवाज या किसी तरह की गंध नहीं सुहाती। 
  4. -माइग्रेन का हमला अचानक होता है। कई बार यह शुरू में हल्का होता है, लेकिन धीरे-धीरे बहुत तेज दर्द में तब्दील हो जाता है। माइग्रेन का अटैक किसी भी उम्र में हो सकता है, लेकिन ज्यादातर इसकी शुरुआत किशोर उम्र से होती है। 
  5. -माइग्रेन के ज्यादातर मरीज वे होते हैं, जिनके परिवार में ऐसा इतिहास रहा है। इसके कुल मरीजों में 75 प्रतिशत महिलाएं होती हैं। 
  6. -स्थान : माइग्रेन का दर्द आमतौर पर सिर के एक सिरे से, या कभी-कभी बीचोंे बीच से या पीछे की तरफ से उठता है। 
  7. -माइग्रेन का दर्द 4 से 48 घंटे तक रह सकता है। कभी यह रह-रहकर कई हफ्तों या महीनों तक, या फिर सालों तक खास अंतराल में उठता है। कई बार एक ही समय में यह बार-बार हथौड़ों की बारिश का एहसास कराता है। 
  8. -माइग्रेन की अनुभूति कई बार वास्तविक दर्द से दस मिनट से लेकर आधे घंटे पहले ही शुरू हो जाती है। इस दौरन  सिर में बिजली फट पड़ने, आंखों के आगे अंधेरा छा जाने, बदबू आने, सुन्न पड़ जाने या दिमाग में झन्नाहट का एहसास होता है। किसी-किसी मरीज को अजीब-अजीब सी छायाएं नजर आती हैं। किसी को चेहरे और हाथों में सुइयां या या पिनें चुभने का एहसास होता है। लेकिन कई अध्ययनों से सामने आया है कि माइग्रेन के प्रभामंडल का एहसास केवल एक से पांच प्रतिशत मरीजों को ही होता है। इसे क्लासिकल माइग्रेन कहा जाता है, लेकिन यह महिलाओं में कम होता है। 
माइग्रेन का इलाज:
विशेषज्ञों के अनुसार माइग्रेन से निपटने में इस बात का रोल काफी अहम होता है कि आप इसके लिए कितने तैयार हैं। सभी मरीजों में माइग्रेन के पूर्व संकेत (ट्रिगर्स) एक से नहीं होते, इसलिए उनके लिए डायरी में अपनी अनुभूतियां दर्ज करना उपयोगी हो सकता है। इसके बाद आप दवा की सहायता से इन ट्रिगर्स से समय रहते बचकर, माइग्रेन को टाल भी सकते हैं। 
-हल्का या यदा-कदा अटैक होने पर: कभी-कभार माइग्रेन का हल्का-फुल्का अटैक होने पर आपका रोजमर्रा का काम प्रभावित नहीं होता। 
चेतावनी : कई बार सिरदर्द दूसरी खतरनाक और जानलेवा बीमारियों का भी संकेत होता है। इसलिए बार-बार होने वाले तेज सिरदर्द, गर्दन दर्द, अकड़न, जी मिचलाने या आंखों के आगे अंधेरा छा जाने को बिलकुल भी नजर अंदाज न करें और फौरन डॉक्टर को दिखाएं। 
स्त्रोत : डॉक्टर पाल्स
- See more at: http://drpals.com/articledetail.php?articleid=119#sthash.8gToppkY.dpuf
-------------

माइग्रेन की वजह कहीं आपकी डाइट तो नहीं?

नई दिल्ली, इंटरनेट डेस्क
क्या आप अक्सर माइग्रेन से परेशान रहते हैं? माइग्रेन की वजहें आपकी जीवनशैली से इस तरह जुड़ी हैं कि आपकी दिनचर्या से लेकर आपकी डाइट से जुड़ी कोई भी चीज माइग्रेन का ट्रिगर हो सकती है। 

इस बारे में डायटीशियन डॉ. तपस्या मुंद्रा बताती हैं, 'माइग्रेन मूल रूप से दो वजहों से होता है-तनाव और अनुवांशिक। अनुवांशिक वजहों से जिन्हें माइग्रेन की शिकायत रहती है उनके लिए डाइट में कुछ खास चीजें माइग्रेन का सबब हो सकती हैं।'

हां, हम आपको डाइट से जुड़े जिन ट्रिगर की जानकारी दे रहे हैं, जरूरी नहीं कि ये सबके लिए प्रभावी हों। यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया ने अपने अध्ययन के आधार पर माना है कि माइग्रेन के मरीजों पर अलग-अलग डाइट का अलग- अलग तरह से प्रभाव पड़ता है। जरूरी नहीं कि अगर एक रोगी को किसी डाइट से सिरदर्द अधिक होता है तो दूसरे को भी उस डाइट से यह शिकायत हो।

जानिए, ऐसी ही डाइट के बारे में जो आपके लिए माइग्रेन की वजह हो सकती है।

व्हाइट ब्रेड
व्हाइट ब्रेड भी आपके लिए माइग्रेन की एक वजह हो सकती है। प्रोसेसिंग के दौरान इसमें सोडियम का इस्तेमाल किया जाता है जो सिर दर्द की एक बड़ी वजह हो सकता है। सिर्फ ब्रेड ही नहीं, बल्कि पिज्जा के बेस के रूप में भी इनका इस्तेमाल होता है जो माइग्रेन का दर्द बढ़ा सकता है।

डिब्बाबंद डाइट
डिब्बाबंद या प्रोसेस्ड डाइट भी माइग्रेन का ट्रिगर हो सकती है। रेडी टू ईट भोजन, कप नूडल्स, जंकफूड आदि में प्रिजर्वेटिव्स, सोडियम का इस्तेमाल अधिक होता है जो माइग्रेन के दर्द को बढ़ा सकता है।

तपस्या बताती हैं कि प्रोसेस्ड भोजन में पोषक तत्व न के बराबर होते हैं। ये शरीर में जाते ही फैट्स में बदल जाते हैं या इन्सुलिन बढ़ाते हैं जिससे माइग्रेन का दर्द स्वाभाविक है।

चाइनीज फूड
चाइनीज नूडल्स जैसे कई व्यंजनों में अजीनोमोटो का इस्तेमाल होता है जिसे एमएसजी 'मोनो सैचुरेटेड ग्लूमेट' भी कहते हैं। कई बार इसके सेवन से माइग्रेन के मरीजों की दिक्कतें बढ़ जाती हैं।

कॉफी या चॉकलेट मिल्क
कुछ लोग सिर दर्द दूर भगाने के लिए कॉफी पीते हैं तो कुछ को कॉपी पीने के बाद सिर दर्द शुरू हो जाता है। अक्सर माइग्रेन के मरीजों को कॉफी पीने के बाद सिर दर्द की दिक्कत अधिक होती है क्योंकि इसमें मौजूद कैफीन माइग्रेन का ट्रिगर हो सकता है। इसी तरह अल्कोहल भी माइग्रेन के रोगियों के लिए परेशानी का सबब हो सकता है।

आर्टिफिशियल शुगर
बाजार में बिकने वाले कई तरह के डेजर्ट जैसे आइसक्रीम, पेस्ट्री, केक, चॉकलेट आदि माइग्रेन के दर्द को बढ़ा सकते हैं। इनमें मौजूद आर्टिफिशियल शुगर माइग्रेन का एक बड़ा ट्रिगर है।

कैसे पहचानें ट्रिगर
यह बहुत आसान है। अक्सर डाइट में किसी विशेष भोजन के सेवन के बाद अगर आपको सिर दर्द की तकलीफ अधिक होती है तो अपने डॉक्टर को इस बारे में जरूर बताएं, हो सकता है आपको किसी विशेष भोजन से एलर्जी हो और उसी की वजह से माइग्रेन का दर्द होता हो।
--------------------
माइग्रेन के सिरदर्द के उपचार

७ अप्रेल, २०१३माइग्रेन सिरदर्द का एक गंभीर रूप है, जो एक सामान्य और स्वस्थ जीवन को काफी मुश्किल बना देता है। इस विकार के लक्षण हैं मतली आना, प्रकाश-संवेदनशीलता बढ़ जाना, धुन्धले धब्बे, रौशनी की चमक और गर्दन में दर्द। हालांकि माइग्रेन एक गंभीर बीमारी है, कुछ सरल उपायों की मदद से इसका प्रभावी ढंग से इलाज किया जा सकता है। माइग्रेन को कम करने के लिए सबसे प्रभावी तरीकों में से कुछ नीचे दिए गए हैं। माइग्रेन एक विकार है जो काफी गंभीर होता है, लेकिन इसका इलाज आसानी से घरेलू उपचार और जीवन शैली में परिवर्तन की मदद से किया जा सकता है। हालांकि, अगर यह उपाय काम नहीं करते हैं, तो तुरंत एक पेशेवर चिकित्सक से परामर्श करें।

माइग्रेन के सिरदर्द के उपचार

आइस पैक रखें : माइग्रेन का सिरदर्द कम करने के लिए एक सबसे सरल उपचार है अपने सिर पर आइस पैक रखें। आइस पैक मस्तिष्क में रक्त के प्रवाह को नियंत्रित करने में मदद करता है और दर्द को कम कर देता है। प्रभावित क्षेत्र, कनपटी और गर्दन पर प्रभावी राहत के लिए आइस पैक को धीरे-धीरे रगड़ें।
ओटीसी दवाएं : आप माइग्रेन के इलाज के लिए, बिना नुस्खे की दवाओं की एक विस्तृत श्रृंखला का उपयोग कर सकते हैं। एस्पिरिन और आईबुप्रोफेन आम दवाएं हैं, जो सिर दर्द होने पर ली जा सकती हैं। हालांकि, यह ध्‍यान रहे कि आप इन दवाओं का अत्‍याधिक इस्तेमाल न करें।
कैफीन ज्‍यादा लें : ब्लैक कॉफी, जो कैफीन का एक अच्छा स्रोत है, माइग्रेन के इलाज के लिए इस्तेमाल की जा सकती है। यह उपाय माइग्रेन के रोगियों के लिए सबसे ज्‍यादा काम करता है, लेकिन यह सिर दर्द बढ़ा भी सकता है।
एरोमाथैरेपी : माइग्रेन के अटैक के उपचार में एरोमाथैरेपी आपकी मदद करता है। विभिन्न प्रकार की खुशबू शरीर पर एक सुखदायक प्रभाव छोड़ती हैं और आपके शरीर को अराम देती हैं, जब आपको माइग्रेन का अटैक पड़ता है। बाबूना, पुदीना, नीलगिरी के कुछ आम इत्र माइग्रेन के केस में कारगर साबित हो सकते हैं। आप विभिन्न जड़ी बूटियों का प्रयोग भी कर सकते हैं और देख सकते हैं कि आपको कौन सी सूट कर रही है।
एक आरामदायक मालिश : अक्सर, आपके गर्दन और कंधे के क्षेत्र में मांसपेशियों की ऐंठन माइग्रेन को सक्रिय कर सकती है। एक अच्छी मालिश मांसपेशियों को आराम देकर आरामदायक प्रभाव शुरू कर सकती है।
मैग्नीशियम पावर : मैगनीशियम अक्सर माइग्रेन के मरीजों के लिए रामबाण माना जाता है। मैग्नीशियम प्रभावी ढंग से विभिन्न माइग्रेन सक्रियताओं का मुकाबला कर सकता है क्योंकि यह रक्त शर्करा और रक्तचाप के स्तर को नियंत्रित करता है। अपने आहार में 500 मिलीग्राम मैग्नीशियम की खुराक आपको माइग्रेन के दौरों का प्रभावी ढंग से इलाज करने में मदद कर सकती है।
योगाभ्यास करें : माइग्रेन के लिए योग सबसे अच्छे वैकल्पिक चिकित्सा उपचारों में से एक है। योग शरीर के जैव रासायनिक और हार्मोनल संतुलन को वापस लौटा सकता है। साँस लेने के व्यायाम और अन्य योग मुद्राओं की मदद से आप माइग्रेन के दौरों की आवृत्ति को काफी हद तक कम कर सकते हैं।
हाइड्रोथेरेपी : हाइड्रोथेरेपी काफी आसान है और शरीर में रक्त के प्रवाह को प्रभावी ढंग से नियंत्रित कर सकता है। क् रक्त के प्रवाह को अपने सिर से बाहर संचालित करने से दर्द को कम करने में मदद मिल सकती है। माइग्रेन से आराम के लिए आप ठंडे पानी में अपने पैर रख दें और अपने सिर के पीछे गरम पानी की बोतल रख सकते हैं।
-----------------

माइग्रेन को भगाना है, तो टेंशन लो नहीं बल्कि दो

नई दिल्ली। भयंकर सिरदर्द की समस्या इन दिनों आम हो गई है और माइग्रेन इसी का एक रूप है। इसकी सबसे बड़ी वजह तनाव और लोगों की अनियमित दिनचर्या है, जिससे सबसे अधिक महिलाएं प्रभावित हो रही हैं। एक अनुमान के मुताबिक, देश में करीब एक-तिहाई महिलाएं और पुरुषों का पांचवां हिस्सा माइग्रेन से प्रभावित है। माइग्रेन में भी हालांकि सिरदर्द ही होता है, लेकिन चिकित्सकों का कहना है कि दोनों में फर्क है, जिसे समझना आवश्यक है।

अपोलो अस्पताल में तंत्रिका तंत्र विभाग के वरिष्ठ चिकित्सक पी.एन रंजन ने से कहा, सिरदर्द सिर के हिस्से में दर्द है, जबकि माइग्रेन सिरदर्द का एक प्रकार है। माइग्रेन बीमारी नहीं, बल्कि रोग का एक लक्षण है। यह जानना चाहिए कि हर सिरदर्द माइग्रेन नहीं होता, लेकिन माइग्रेन सिरदर्द हो सकता है। माइग्रेन में अक्सर सिर में स्पंदन होता है, रोशनी की ओर देखने का मन नहीं करता और उल्टी होती है।

डॉक्टर रंजन के मुताबिक, वह रोजाना जितने मरीजों को देखते हैं, उनमें करीब 30 प्रतिशत सिरदर्द एवं माइग्रेन के होते हैं। उन्होंने कहा, महिलाओं के शरीर में होने वाले हार्मोन में बदलाव और रोजमर्रे के जीवन में तनाव के कारण उनमें सिरदर्द एवं माइग्रेन का खतरा अधिक होता है। अनियमित खानपान और पूरी नींद नहीं मिल पाना इसके अन्य कारण हैं।"

शालीमार बाग स्थित मैक्स अस्पताल में तंत्रिका तंत्र विशेषज्ञ डॉक्टर मनोज खन्नल ने बताया, माइग्रेन से पीड़ितों में 75 प्रतिशत महिलाएं हैं। हालांकि बचपन में लड़कों और लड़कियों, दोनों में माइग्रेन के संयोग बराबर होते हैं, लेकिन लड़कियों में युवावस्था के बाद यह बढ़ जाता है। माइग्रेन आम तौर पर 20 से 45 वर्ष की महिलाओं को प्रभावित करता है।

उन्होंने कहा, महिलाओं में एस्ट्रोजन तथा प्रोजेस्टेरोन जैसे हर्मोन में होने वाले बदलाव के कारण माइग्रेन का खतरा और इसकी गंभीरता कुछ महिलाओं में बढ़ जाती है। माइग्रेन से पीड़ित करीब आधी महिलाओं ने बताया कि उनका सिरदर्द उनके मासिक चक्र से संबंधित होता है। कुछ महिलाओं में गर्भावस्था के पहले तीन महीने में माइग्रेन की स्थिति बहुत गंभीर होती है, लेकिन यह आखिरी के तीन महीने में ठीक हो जाती है।

लोगों को अक्सर दर्द निवारक दवाएं नहीं लेने की सलाह देते हुए मैक्स हेल्थकेयर में तंत्रिका तंत्र विशेषज्ञ राजशेखर रेड्डी ने कहा, बहुत अधिक दर्द निवारक दवाएं लेने से भी सिरदर्द बढ़ सकता है। इसके अतिरिक्त ये किडनी तथा अन्य अंगों को भी प्रभावित कर सकते हैं। चिकित्सकों ने सिरदर्द की स्थिति में हर वक्त दवा लेने के बजाय लोगों को तनाव मुक्त जीवन जीने, खानपान में सुधार लाने तथा पूरी नींद लेने की सलाह दी है। उनका यह भी कहना है, उन परिस्थितियों पर गौर करना चाहिए, जिसके कारण सिरदर्द होता है और उनसे दूर रहने की कोशिश करनी चाहिए।
स्त्रोत : इन डॉट काम, १५ जुलाई, २०१३
------------
माइग्रेन : युवाओं में तेजी से बढ़ता रोग

माइग्रेन के युवा मरीज तेजी से बढ़ रहे हैं। एक अनुमान के अनुसार करीब 10 फीसदी आबादी किसी न किसी रूप में माइग्रेन से पीड़ित है। स्पेशलिस्ट के अनुसार इसके बढ़ने का कारण शुरुआत में ही युवा मरीजों का इस पर ज्यादा ध्यान न देना है। जब तक प्रॉब्लम बढ़ नहीं जाती माइग्रेन से पीड़ित युवा मरीज डॉक्टर के पास नहीं जाते हैं और इसे सामान्य सिरदर्द ही समझते रहते हैं। इससे उनकी प्रॉब्लम बढ़ती जाती है। 

वास्तव में मॉर्डन लाइफ स्टाइल अपना असर दिखाने लगी है। भागमभाग भरी जिंदगी, लेट नाइट स्लीपिंग, देर से उठना, असमय खाना और बढ़ते टेंशन आदि जैसे कई कारणों से माइग्रेन के युवा मरीज तेजी से बढ़ रहे हैं। सावधानी न रखने से यह गंभीर भी हो सकता है। अस्पतालों में प्रति माह 100 से अधिक युवा मरीज माइग्रेन के पहुंचते हैं। 

न्यूरोलोजिस्ट के अनुसार अस्पताल में मरीज तभी पहुंचते हैं जब स्थिति बिगड़ जाती है। माइग्रेन की शुरुआती स्थिति में ही यदि एक्सपर्ट से मिल लिया जाए तो इसे आसानी से कंट्रोल किया जा सकता है। बाद में ठीक होने में इसे थोड़ा समय लगता है।

कुछ केमिकल निकलने के कारण होता है। कुछ खास कारण इसे प्रेरित करते हैं। माइग्रेन की 4 स्टेज रहती हैं- प्रोडोम, ऑरा, हैडेक और पोस्टड्रोम। खास बात यह है कि माइग्रेन युवाओं में ज्यादा पाया जाता है। आजकल दवाओं से इसे पूरी तरह ठीक किया जा सकता है। इसकी अलग-अलग स्टेज के आधार पर ही इसे पूरी तरह ठीक होने में लगने वाला समय भी अलग-अलग होता है।

माइग्रेन के लक्षण
  1. आधे सिर में दर्द होना और धीरे-धीरे बढ़ते जाना। 
  2. सिरदर्द के साथ उल्टी की इच्छा होना या उल्टी होना। 
  3. सिरदर्द के साथ डायरिया होना। 
  4. धीरे-धीरे आंखों के सामने अंधेरा छा जाना। कुछ चीजें धुंधली दिखाई देना। 
  5. सिरदर्द के पहले भी आलस्य, नींद आना, भूख न लगना, ध्वनि का चुभना जैसे लक्षण भी देखने को मिलते हैं।
माइग्रेन से कैसे बचें
  1. प्रतिदिन सोने और जागने का समय निश्चित करें। कोशिश करें कि रात में जल्दी सोएं और सुबह जल्दी जागें।
  2. समय पर भोजन करें। लंबे समय तक उपवास न रखें। 
  3. केफीन का सेवन कम करने के लिए कॉफी और चाय का सेवन कम करें। 
  4. तेज प्रकाश से बचें। 
  5. माइग्रेन को प्रेरित करने वाली चीजों को पहचानें और उनसे बचें।
-----------------
माइग्रेन

अर्धकपारी (सूर्यावर्त,[1] आधासीसी या अंग्रेज़ी:माइग्रेन) एक सिरदर्द का रोग है। इसमें सिर के आधे भाग में भीषण दर्द होता है।[2] मान्यता अनुसार इसका कोई इलाज नहीं है, किंतु इससे असरदार तरीके से निपटा जा सकता है। इस रोग में कभी कभी सिर के एक हिस्से में[3] बुरी तरह धुन देने वाले मुक्कों का एहसास होता है, और लगता है कि सिर अभी फट जाएगा।[4] उस समय अत्यंत साधारण काम करना भी मुश्किल हो जाता है। यह एहसास होता है कि किसी अंधेरी कोठरी में पड़े हैं। चिकित्सकीय निगरानी में रहकर और जीवन-शैली में बदलाव करके इस रोग से निपटा जा सकता है। एक अध्ययन के अनुसार माइग्रेन पुरुषों की तुलना में महिलाओं को तीन गुना अधिक प्रभावित करता है।[5] अधिकांश लोगों को माइग्रेन का पता तब चलता है, जब वे कई साल तक इस तकलीफ को झेलने के बाद इसके लक्षणों से परिचित हो जाते हैं। कई बार यह दर्द साइनोसाइटिस का भी हो सकता है।[6] किसी कठोर चीज से सिर के एक हिस्से में जोर-जोर से वार करने का एहसास तब होता है, जब जैविक परिवर्तन के कारण खून की धमनियां फूलने लगती हैं, या उनमें जलन होने लगती है। जबकि अन्य प्रकार के सिरदर्द में आमतौर पर दर्द सिकुड़ी हुई धमनियों या सिर और गर्दन की मांसपेशियों के सख्त हो जाने के कारण होता है। अपोलो अस्पतालचेन्नई के न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. ए. पन्नीर के अनुसार[7], माइग्रेन का दर्द बहुत जबर्दस्त होता है। इसस रोजमर्रा के आम काम भी नहीं कर पाते। यहां तक कि चलना फिरना भी दूभर हो जाता है, और लगता है कि शरीर टूट चुका है।

लक्षण :

माइग्रेन के साथ अक्सर जी मिचलाता है, और उल्टी भी हो जाती है। माइग्रेन का अटैक होने पर मरीज को रोशनी, आवाज या किसी तरह की गंध नहीं सुहाती। दिल्ली के गंगाराम अस्पताल के न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. ईश आनंद के अनुसार माइग्रेन का हमला अचानक होता है। कई बार यह शुरू में हल्का होता है, लेकिन धीरे-धीरे बहुत तेज दर्द में बदल जाता है।[2] अधिकतर यह सिरदर्द के साथ शुरू होता है और कनपटी में बहुत तीव्रता से टीस उठती है या ऐसा लगता है कि कोई कनपटी पर प्रहार कर रहा है। प्रायः यह दर्द आधे सिर में होता है, लेकिन एक तिहाई मामलों में दर्द सिर के दोनों ओर भी होता पाया गया है। एक तरफ होने वाला दर्द अपनी जगह बदलता है और यह ४ से ७२ घंटों तक रह सकता है। इस समय उबकाई आना, उल्टी, फोनोफोबिया और प्रकाश से भय आदि समस्याएं भी पैदा हो सकती है।[5] माइग्रेन का हमला किसी भी आयु में हो सकता है, लेकिन ज्यादातर इसकी शुरुआत किशोर उम्र से होती है। माइग्रेन के ज्यादातर रोगी वे होते हैं, जिनके परिवार में ऐसा इतिहास रहा है। इसके कुल रोगियों में ७५ प्रतिशत महिलाएं होती हैं। माइग्रेन का दर्द प्रायः पर सिर के एक सिरे से, या कभी-कभी बीचों-बीच से या पीछे की तरफ से उठता है।[4] माइग्रेन का दर्द ४ से ४८ घंटे तक रह सकता है। कभी यह रह-रहकर कई हफ्तों या महीनों तक, या फिर सालों तक खास अंतराल में उठता है। कई बार एक ही समय में यह बार-बार हथौड़ों की बारिश का एहसास कराता है। इसकी अनुभूति कई बार वास्तविक दर्द से दस मिनट से लेकर आधे घंटे पहले ही शुरू हो जाती है। इस दौरान सिर में बिजली फट पड़ने, आंखों के आगे अंधेरा छा जाने, बदबू आने, सुन्न पड़ जाने या दिमाग में झन्नाहट का एहसास होता है। किसी-किसी मरीज को अजीब-अजीब सी छायाएं नजर आती हैं। किसी को चेहरे और हाथों में सुइयां या या पिनें चुभने का एहसास होता है। लेकिन कई अध्ययनों से सामने आया है कि माइग्रेन के प्रभामंडल का एहसास केवल एक से पांच प्रतिशत रोगियों को ही होता है। इसे परंपरागत या क्लासिकल माइग्रेन कहा जाता है, लेकिन यह महिलाओं में कम होता है।

माइग्रेन के तीन प्रकार के बताये जाते हैं:
सामान्य माइग्रेन: यह माइग्रेन फोनोफोबिया और फोटोफोबिया के साथ होता है।
क्लासिक माइग्रेन: इस प्रकार के माइग्रेन में विभिन्न वस्तुएं चमकीली दिखायी पड़ती हैं। जिगजैग पैटर्न यानी टेढ़े-मेढ़े स्वरूप में चटख रंगीन चमचमाती रोशनियां दिखाई पड़ती है या दृष्टि क्षेत्र में एक छिद्र दिखाई पड़ता है, जिसे ब्लाइंड स्पॉट कहते है।

जटिल माइग्रेन मोटा पाठ: ऐसे माइग्रेन में मस्तिष्क के ठीक से काम न करने की वजह से सिरदर्द होता है।[5]
कारण

अर्धकपारी के प्रमुख कारणों में तनाव होना, लगातार कई दिनों तक नींद पूरी न होना, हार्मोनल परिवर्तन, शारीरिक थकान, चमचमाती रोशनियां,कब्ज़,[1] नशीली दवाओं व शराब का सेवन आते हैं।[4] कई मामलों में ऋतु परिवर्तन, कॉफी का अत्यधिक सेवन(चार कप से अधिक), किसी प्रकार की गंध और सिगरेट का धुआं आदि कारण भी माइग्रेन की समस्या का कारण देखे गये हैं। आजकल डिब्बाबंद पदार्थों और जंक फूड का काफी चलन है। इनमें मैदे का बड़ी मात्रा में प्रयोग होता है, यदि आपको माइग्रेन की शिकायत है तो आप इन पदार्थों का सेवन कतई न करें।पनीर, चाकलेट, चीज, नूडल्स, पके केले और कुछ प्रकार के नट्स में ऐसे रासायनिक तत्व पाए जाते हैं जो माइग्रेन को बढ़ा सकते हैं।[8]

२० से ५५ वर्ष की आयु के ऐसे लोग जिनकी कमर के क्षेत्र में अत्यधिक चर्बी है उन्हें माइग्रेन होने का खतरा औरों की तुलना में अधिक होता है।[9] अमेरिकन अकादमी ऑफ न्यूरोलॉजी (एएएन) में फिलाडेल्फिया के ड्रेक्सेल विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं द्वारा २२,२११ लोगों किये गये शोध के निष्कर्ष के अनुसार कमर पर अधिक चर्बी वाली ३७ प्रतिशत महिलाओं को माइग्रेन की शिकायत थी जबकि बिना अतिरिक्त चर्बी वाली मात्र २० प्रतिशत महिलाओं को ऐसी समस्या थी।[10] २० से ५५ वर्ष की आयुवर्ग के २० प्रतिशत ऐसे पुरुषों को माइग्रेन की शिकायत थी जिनकी कमर सामान्य से अधिक थी जबकि मात्र १६ प्रतिशत ऐसे लोगों को माइग्रेन था जिनकी कमर ज्यादा नहीं थी।[11][12] अत्यधिक मोटे या तोंद वाले लोगों को भी माइग्रेन की संभावना अन्य लोगों की अपेक्षा अधिक होती है।[13] फ्रांस के रैंग्वेल अस्पताल में हुई शोध के दौरान कुछ शोधार्थियों ने साधारण माइग्रेन से पीड़ित सात रोगियों पर मस्तिष्क की प्रक्रियाओं में अंतर बताने वाली ‘पोज़ीट्रॉन इमिशन टोमोग्राफ़ी’ (पीईटी) तकनीक का इस्तेमाल किया। इस शोध में प्रमुख भूमिका निभानेवाली डॉक्टर मारी डेनुएल ने कहा कि जब दौरे को अप्राकृतिक रूप से करवाया जाता है तो रोगी हाइपोथेलेमस प्रतिक्रियाओं को खो देते हैं। इस प्रकार माइग्रेन के दौरे में हाइपोथेलेमस की भूमिका महत्वपूर्ण हो सकती है।[14][15] उच्च रक्तचाप के रोगियों में माइग्रेन की संभावना ५० प्रतिशत से भी कम होती है। नॉर्वे में २० वर्ष से अधिक आयु वाले ५१,३५३ लोगों पर हुए शोध के परिणाम न्यूरोलॉजी नामक एक जर्नल में प्रकाशित हुए थे। उसी के संदर्भ से ये संभावना निकली है।[16]

उपचार :

सभी रोगियों में माइग्रेन के पूर्व संकेत (ट्रिगर्स) एक से नहीं होते, इसलिए उनके लिए डायरी में अपनी अनुभूतियां दर्ज करना उपयोगी हो सकता है। इसके बाद दवा की सहायता से इन ट्रिगर्स से समय रहते बचकर, माइग्रेन को टाल भी सकते हैं।[7]

कभी-कभार माइग्रेन का हल्का-फुल्का दर्द होने पर दैनिक काम प्रभावित नहीं होता। विशेषज्ञों के अनुसार ऐसे रोगी बिना किसी डाक्टरी राय के सीधे दवाई विक्रेता से मिलने वाले आम दर्दमारक दवाइयां ले सकते हैं, जैसे कि क्रोसीन या गैर-स्टैरॉयड जलन मिटाने वाली गोलियां डिस्प्रिन, ब्रूफेन और नैप्रा।

भीषण दर्द होने पर दो प्रकार की दवाएं काफी प्रभावशाली होती हैं, जिन्हें इन रोगियों को सदा अपने साथ रखना चाहिए। पहली- जलन मिटाने वाली कैफीन रहित गोलियां नैप्रा-डी, नैक्सडॉम और मेफ्टल फोर्ट। और दूसरी ट्रिप्टान दवाएं- जैसे कि सुमिनेट टैब्लेट, नैसाल स्प्रे या इंजेक्शन, राइज़ैक्ट या फिर ज़ोमिग। पहले ट्रिप्टान दवाएं तब दी जाती थीं, जब माइग्रेन पर आम पेन किलर्स का कोई असर नहीं होता था। इसके बाद नए शोध से पता चला कि भीषण दर्द में सीधे ही ट्रिप्टान दवाओं का सहारा लेना अधिक कारगर होता है। ट्रिप्टान दवाएं दर्द शुरू होने से पहले, या मामूली दर्द शुरू हो जाने पर भी ली जा सकती हैं। इससे इनका असर बढ़ जाता है। ऐसा करके माइग्रेन के ८० प्रतिशत हमलों को दो घंटे में खत्म किया जा सकता है। इससे दवा का दुष्प्रभाव (साइड-इफैक्ट) भी कम हो जाता है, और अगले २४ घंटों में माइग्रेन दर्द की संभावना भी नहीं रहती।

कुछ दवाएं ऐसी हैं, जिन्हें डॉक्टर की सलाह और मार्गदर्शन से ही लिया जा सकता है।[7] इन्हें एर्गोटैमिन्स कहा जाता है। इस श्रेणी में एर्गोमार, वाइग्रेन, कैफरगोट, माइग्रेनल और डीएचई-45 आती हैं। ट्रिप्टान दवाओं की तरह ये भी अन्य धमनियों को तो खोलती हैं, लेकिन हृदय की धमनियों को कुछ ज्यादा ही खोल देती हैं, इसलिए कम सुरक्षित मानी जाती हैं। यहां खास ध्यान योग्य बात है कि कई बार सिरदर्द दूसरी खतरनाक और जानलेवा बीमारियों का भी संकेत होता है। इसलिए बार-बार होने वाले तेज सिरदर्द, गर्दन दर्द, अकड़न, जी मिचलाने या आंखों के आगे अंधेरा छा जाने को बिलकुल भी नजर अंदाज न करें और फौरन डॉक्टर को दिखाना चाहिये। माइग्रेन की दवाई अब प्रसिद्ध भारतीय औषदि कंपनी रैन्बैक्सी भी निकाल रही है।[17]माइग्रेन में हाइपरबेरिक ऑक्सीजन थेरेपी भी लाभदायक होती है। [18]

शल्य क्रिया द्वारा :

वैज्ञानिकोअंनुसार जो लोग माइग्रेन के दर्द से पीड़ित होते हैं उन्हें छोटी-सी सर्जरी से फ़ायदा हो सकता है।[19][20] अमरीकी डॉक्टरों का कहना है कि यदि माथे और गर्दन की कुछ माँसपेशियाँ हटा दी जाएँ तो इससे माइग्रेन से छुटकारा दिलाया पाया जा सकता है। इन डॉक्टरों ने एक साल में माइग्रेन से पीड़ित सौ लोगों की सर्जरी की और पाया कि उनमें से ९० लोगों को या तो माइग्रेन से छुटकारा मिल गया था या फिर उसमें भारी कमी आई थी।[21]

योग द्वारा

मुख्य लेख : माइग्रेन और योग

माइग्रेन का निवारण योगासन द्वाआ सुलभ है।[22] इसके लिए रात्रि को बिना तकिए के शवासन में सोएं। सुबह-शाम योगाभ्यास में ब्रह्म मुद्रा, कंध संचालन, मार्जरासन, शशकासन के पश्चात प्राणायाम करें। इसमें पीठ के बल लेटकर पैर मिलाकर रखें। श्वास धीरे-धीरे अंदर भरें, तब तक दोनों हाथ बिना मोड़े सिर की तरफ जमीन पर ले जाकर रखें और श्वास बाहर निकालते वक्त धीरे-धीरे दोनों हाथ बिना कोहनियों के मोड़ें व वापस यथास्थिति में रखें। ऐसा प्रतिदिन दस बार करें। अंत में कुछ देर शवासन करके नाड़िशोधन प्राणायाम दस-दस बार एक-एक स्वर में करें। [23]


होम्योपैथी में भी इसका उपचार दिया गया है। [24] इसके लिए 
बैलाडोना - 30 या
ब्रायोनिया -30 या
ग्लोनाइन -30 या
आइरिस - वी -30 या
जेलसीमियम -30

नामक दवाइयों की की चार-चार बूंदें दिन में चार बार लेने से आराम मिलता है।

घरेलू उपचार

इस बीमारी के लिए कई घरेलू उपचार भी किए जा सकते हैं।[25]
सिर की मालिश

इस दर्द में यदि सिर, गर्दन और कंधों की मालिश की जाए तो यह इस दर्द से आराम दिलाने बहुत सहायक सिद्ध हो सकता है। इसके लिए हल्की खुश्बू वाले अरोमा तेल का प्रयोग किया जा सकता है।
धीमी गति से साँस लें

रोगी साँस की गति को थोड़ा धीमा करके, लंबी साँसे लेने की कोशिश करें। यह तरीका दर्द के साथ होने वाली बेचैनी से राहत दिलाने में सहायता करेगा।[25]
ठंडे या गर्म पानी की हल्की मालिश

एक तौलिये को गर्म पानी में डुबाकर,उस गर्म तौलिये से दर्द वाले हिस्सों की मालिश करें। कुछ लोगों को ठंडे पानी से की गई इसी तरह की मालिश से भी आराम मिलता है। इसके लिए बर्फ के टुकड़ों का उपयोग भी कर सकते हैं।[25]

अरोमा थेरेपी

अरोमा थेरेपी माइग्रेन के दर्द से काफ़ी आर४आम पहुंचाता है। इस तरीके में हर्बल तेलों के एक तकनीक के माध्यम से हवा में फैला दिया जाता है या फिर इसको भाप के द्वारा चेहरे पर डाला जाता है। इसके साथ हल्का संगीतक भी चलाया जाता है जो दिमाग को आराम पहुँचाता है।[25]
स्त्रोत : विकिपीदिय
----------------------
क्या आपको माइग्रेन है? 


सभी जानते हैं कि माइग्रेन में होने वाला सिरदर्द कितना तकलीफदायक होता है। यह दर्द अचानक ही शुरू होता है और अपने आप ही ठीक भी हो जाता है। हाथों के स्पर्श से मिलने वाला आराम और प्यार किसी भी दवा से ज़्यादा असर करता है। इस दर्द में अगर सिर, गर्दन और कंधों की मालिश की जाए तो यह इस दर्द से राहत दिलाने बहुत मददगार साबित हो सकता है।


इसके लिए हल्की खुश्बू वाले अरोमा तेल का प्रयोग किया जा सकता है। एक तौलिये को गर्म पानी में डुबाकर,उस गर्म तौलिये से दर्द वाले हिस्सों की मालिश करें। कुछ लोगों को ठंडे पानी से की गई इसी तरह की मालिश से भी आराम मिलता है। इसके लिए आप बर्फ के टुकड़ों का उपयोग भी कर सकते हैं। कपूर को घी में मिलाकर सिर पर हल्के हाथों से मालिश करें। मक्खन में मिश्री मिलाकर सेवन करें।
-----------------

माइग्रेन :कारण और निवारण

सिर जो तेरा चकराए...जी हां आजकल यह आम समस्या बन गयी है।आज के भागदौड़,प्रतियोगिता के युग में शायद ही कोई होगा जो कई तरह के भारी तनावों से न जूझ रहा हो। महिलाएं अब सिर्फ ग्रहणी नहीं रहीं, बल्कि घर से बाहर तमाम तरह की अहम जिम्मेदारियां संभालने में वे भी सिरदर्द और माइग्रेन जैसी कई परेशानियों से जूझ रही हैं।माइग्रेन को आम बोलचाल की भाषा में अधकपारी भी कहते हैं। यह नाम इसे इसलिए मिला क्योंकि आम तौर पर इसका शिकार होने पर सिर के आधे हिस्से में दर्द रहता है, जबकि आधा दर्द से मुक्त होता है। वैसे फ्रेंच शब्द माइग्रेन का अर्थ भी यही है। जिस हिस्से में दर्द होता है, उसकी भयावह चुभन भरी पीडा से आदमी ऐसा त्रस्त होता है कि सिर क्या बाकी शरीर का होना भी भूल जाता है। यह कोई छोटा-मोटा दर्द नहीं है। यह आपके सारे दिन की गतिविधियों को ठप्प कर देने वाला दर्द है। माइग्रेन मूल रूप से तो न्यूरोलॉजिकल समस्या है। इसमें रह-रह कर सिर में एक तरफ बहुत ही चुभन भरा दर्द होता है। यह कुछ घंटों से लेकर तीन दिन तक बना रहता है। इसमें सिरदर्द के साथ-साथ जी मिचलाने, उल्टी जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं। इसके अलावा फोटोफोबिया यानी प्रकाश से परेशानी और फोनोफोबिया यानी शोर से मुश्किल भी आम बात है। माइग्रेन से परेशान एक तिहाई लोगों को इसकी जद में आने का एहसास पहले से ही हो जाता है।

माइग्रेन की पहचान:-
  1. • क्या आपको सिर के एक हिस्से में बुरी तरह धुन देने वाले मुक्कों का एहसास होता है, और लगता है कि सिर अभी फट जाएगा?
  2. • क्या उस वक्त आपके लिए अत्यंत साधारण काम करना भी मुश्किल हो जाता है?
  3. • क्या आपको यह एहसास होता है कि आप किसी अंधेरी कोठरी में पड़े हैं, और दर्द कम होने पर ही इस अनुभव से निजात मिलती है?
अगर इनमें से किसी भी प्रश्न का उत्तर हां में है, तो इस बात की पूरी संभावना है कि आपको माइग्रेन हुआ है। इसलिए फौरन डॉक्टर के पास जाकर इसकी पुष्टि कर लेनी चाहिए।
ज्यादातर लोगों को माइग्रेन का पता तब चलता है, जब वे कई साल तक इस तकलीफ को ङोलने के बाद इसके लक्षणों से वाकिफ हो जाते हैं।

माइग्रेन के कारण:-
माइग्रेन होने के कई कारण हो सकते हैं। काम की थकान, तनाव, समय पर भोजन न करना, धूम्रपान, तेज गंध वाले परफ्यूम से, बहुत ज्यादा या कम नींद लेना इसका कारण हो सकते हैं। इसके अलावा मौसम का बदलाव, हार्मोनल परिवर्तन, सिर पर चोट लगना, आंखों पर स्ट्रेस पड़ना या तेज रोशनी, एक्सरसाइज न करने से भी माइग्रेन की परेशानी उत्पन्न हो सकती है। कई लोगों को तेज धूप, गर्मी या ठंड से भी परेशानी होती है। जिन लोगों को हाई या लो ब्लड प्रेशर, ब्लड शुगर और तनाव जैसी समस्याएं होती हैं उनके माइग्रेन से ग्रस्त होने की आशंका बढ जाती है। कई बार तो केवल इन्हीं कारणों से माइग्रेन हो जाता है।

माइग्रेन का इलाज:-
कभी-कभार माइग्रेन का हल्का-फुल्का दर्द होने पर दैनिक काम प्रभावित नहीं होता। विशेषज्ञों के अनुसार ऐसे रोगी बिना किसी डाक्टरी राय के सीधे दवाई विक्रेता से मिलने वाले आम दर्दमारक दवाइयां ले सकते हैं, जैसे कि क्रोसीन या गैर-स्टैरॉयड जलन मिटाने वाली गोलियां डिस्प्रिन, ब्रूफेन और नैप्रा।

भीषण दर्द होने पर दो प्रकार की दवाएं काफी प्रभावशाली होती हैं, जिन्हें इन रोगियों को सदा अपने साथ रखना चाहिए। पहली- जलन मिटाने वाली कैफीन रहित गोलियां नैप्रा-डी, नैक्सडॉम और मेफ्टल फोर्ट। और दूसरी ट्रिप्टान दवाएं- जैसे कि सुमिनेट टैब्लेट, नैसाल स्प्रे या इंजेक्शन, राइज़ैक्ट या फिर ज़ोमिग। पहले ट्रिप्टान दवाएं तब दी जाती थीं, जब माइग्रेन पर आम पेन किलर्स का कोई असर नहीं होता था। इसके बाद नए शोध से पता चला कि भीषण दर्द में सीधे ही ट्रिप्टान दवाओं का सहारा लेना अधिक कारगर होता है। ट्रिप्टान दवाएं दर्द शुरू होने से पहले, या मामूली दर्द शुरू हो जाने पर भी ली जा सकती हैं। इससे इनका असर बढ़ जाता है। ऐसा करके माइग्रेन के ८० प्रतिशत हमलों को दो घंटे में खत्म किया जा सकता है। इससे दवा का दुष्प्रभाव (साइड-इफैक्ट) भी कम हो जाता है, और अगले २४ घंटों में माइग्रेन दर्द की संभावना भी नहीं रहती।

वैज्ञानिको के अंनुसार जो लोग माइग्रेन के दर्द से पीड़ित होते हैं उन्हें छोटी-सी सर्जरीसे फ़ायदा हो सकता है।अमरीकी डॉक्टरों का कहना है कि यदि माथे और गर्दन की कुछ माँसपेशियाँ हटा दी जाएँ तो इससे माइग्रेन से छुटकारा दिलाया पाया जा सकता है। इन डॉक्टरों ने एक साल में माइग्रेन से पीड़ित सौ लोगों की सर्जरी की और पाया कि उनमें से ९० लोगों को या तो माइग्रेन से छुटकारा मिल गया था या फिर उसमें भारी कमी आई थी।

माइग्रेन का निवारण योगासन द्वारा सुलभ है। इसके लिए रात्रि को बिना तकिए केशवासन में सोएं। सुबह-शाम योगाभ्यास में ब्रह्म मुद्रा, कंध संचालन, मार्जरासन, शशकासन के पश्चात प्राणायाम करें। इसमें पीठ के बल लेटकर पैर मिलाकर रखें। श्वास धीरे-धीरे अंदर भरें, तब तक दोनों हाथ बिना मोड़े सिर की तरफ जमीन पर ले जाकर रखें और श्वास बाहर निकालते वक्त धीरे-धीरे दोनों हाथ बिना कोहनियों के मोड़ें व वापस यथास्थिति में रखें। ऐसा प्रतिदिन दस बार करें। अंत में कुछ देर शवासन करके नाड़िशोधन प्राणायाम दस-दस बार एक-एक स्वर में करें।

रात्रि भोजन के बाद एक चम्मच पंचसकार चूर्ण गुनगुने पानी में चोल कर पी लीजिए ।

सुबह उठकर नित्यकर्मों से निपट कर जिस ओर दर्द हो रहा है उस ओर के नथुने में इस घोल की दो बूंदे डाल लें । एक कप पानी में एक चम्मच सैंधव (सेंधा) नमक मिला कर घोल बना लें । सेंधा नमक वह नमक है जो लोग उपवास में खाया करते हैं ।

किसी अच्छी कम्पनी का बना हुआ नारायण तेल लेकर सुबह माथे पर जहां कनपटी का क्षेत्र है वहां उंगली से हलके से ५-१० मिनट मालिश करें ।

आपको आश्चर्य होगा कि आपको जीवन भर कैसा भी सिरदर्द होगा पर आधाशीशी (माइग्रेन) नहीं होगा 
अरोमा थेरेपी माइग्रेन के दर्द से राहत पाने के लिए आजकल खूब पसंद की जा रही है। इस तरीके में हर्बल तेलों के एक तकनीक के माध्यम से हवा में फैला दिया जाता है या फिर इसको भाप के ज़रिए चेहरे पर डाला जाता है।
इसके साथ हल्का म्यूज़िक भी चलाया जाता है जो दिमाग को सुकून पहुँचाता है।

माइग्रेन का सिरदर्द कम करने के लिए एक सबसे सरल उपचार है अपने सिर पर आइस पैक रखें। आइस पैक मस्तिष्क में रक्त के प्रवाह को नियंत्रित करने में मदद करता है और दर्द को कम कर देता है। प्रभावित क्षेत्र, कनपटी और गर्दन पर प्रभावी राहत के लिए आइस पैक को धीरे-धीरे रगड़ें।

मैगनीशियम अक्सर माइग्रेन के मरीजों के लिए रामबाण माना जाता है। मैग्नीशियम प्रभावी ढंग से विभिन्न माइग्रेन सक्रियताओं का मुकाबला कर सकता है क्योंकि यह रक्त शर्करा और रक्तचाप के स्तर को नियंत्रित करता है। अपने आहार में 500 मिलीग्राम मैग्नीशियम की खुराक आपको माइग्रेन के दौरों का प्रभावी ढंग से इलाज करने में मदद कर सकती है।

संतुलित आहार लें:-
माइग्रेन में चिकित्सीय इलाज के अलावा संतुलित आहार बहुत जरूरी है। अगर शारीरिक कारणों से माइग्रेन हो तो पहले तो यह समझना चाहिए कि किन तत्वों की कमी या अधिकता के कारण ऐसा हो रहा है। उसके ही अनुसार अपने आहार को संतुलित कर लेना चाहिए। अगर किसी को खाद्य पदार्थो से एलर्जी के कारण माइग्रेन हो तो उसे उन फलों-सब्जियों और अनाज से बचना चाहिए, जिनसे एलर्जी हो सकती है। ऐसा पौष्टिक आहार लें जिससे रोग प्रतिरोधक क्षमता बढाई जा सके। 
स्त्रोत : स्वस्थ जीवन ब्लोग, राजेंद्र कुमार,  मंगलवार, 9 अप्रैल 2013
----------
"माइग्रेन : होमियोपैथिक चिकित्सा"

होमियोपैथी में सिरदर्द और माइग्रेन का लाजवाब इलाज है, जरूरत बस, जरा से लक्षणों पर ध्यान देने की है। यहां हम ऐसे ही तमाम लक्षणों और होमियोपैथिक उपचार की चर्चा कर रहे हैं-सिर की पीड़ा को एक साधारण बीमारी माना जाता है तथा कोई भी ‘पेन-किलर गोली’ खाकर इससे छुटकारा पाने का प्रयास किया जाता है, किन्तु क्या हमने कभी सोचा है कि सिर दर्द स्वयं कोई बीमारी नहीं, बल्कि शरीर की किसी बीमारी का एक लक्षण मात्र है।

लक्षणों के अनुसार ‘माइग्रेन’ का उपचार:-

१. अगर सिर-दर्द अचानक ही उग्र रूप धारण कर लें, लगता हो कि दर्द से सर फट जायेगा। मानो सर पर कई हथौड़ों से वार किया जा रहा हो। रोशनी एवं बातचीत न सुहाती हो। लेटने से सिर दर्द बढ़ जाये एवं बैठने से कम हो। सर के दाहिने हिस्से में पीड़ा हो, तो बेलाडोना 200की एक बूंद जीभ पर डालते ही मानो जादू हो जायेगा।

२. यदि आधी-शीशी का दर्द सिर के पिछले भाग या गुद्दी से शुरू होकर बांई आंख के ऊपर आकर टिक जाये अथवा सिर के बायें हिस्से में रहे तथा प्रातः काल शुरू होकर दोपहर तक बढ़ जाता हो तो इसे स्पाइजेलिया-30 दिन में 3 बार लेने पर अवश्य ठीक कर देगा।

३. अगर लू लगने से, रसोई में काम करते समय चूल्हे की गर्मी से अथवा बिजली के तेज प्रकाश में कार्य करने से सिर दर्द हो जाये या तकिये पर सिर रखने से दर्द बढ़ जाये। सारे सिर में तथा शरीर में तपकन, हड़कल (पल्सेशन) हो तो ग्लोनॉयन की 30वीं शक्ति का प्रयोग इस रोगी को आश्चर्यचकित रूप से स्वस्थ कर देगा।

४. सिर की गुद्दी में बिजली की लहर (करंट) के समान दर्द हो तथा सिर के दाहिने हिस्से को पकड़ता हो। सिरदर्द रोजाना निश्चित समय पर आता हो। सूर्य की गर्मी के साथ दर्द बढ़ता हो। लेटने अथवा नींद आने से आराम मिलता हो। किसी-किसी रोगी में दर्द दाहिनी आंख पर आकर टिक जाता है- इन लक्षणों पर सेंग्विनेरिया मूल अर्क की पांच-पांच बूंदे चौथाई कप पानी में डालकर दिन में 3 बार लेने पर आधा-शीशी जड़ से चली जाती है।

५. यदि गर्दन या कंधों की मांसपेशियों में ‘अकड़न’ हो तथा कनपटियों में भयंकर दर्द हो जो नाक अथवा ठोढ़ी तक चला जाता हो। सिर दर्द घट जाता हो तो यह जेल्सेसियम का निश्चित क्षेत्र है। इसकी कुछ ही मात्राएं इस प्रकार के ‘माइग्रेन’ को मिटा डालने में समर्थ है।

६. अगर जुकाम दबकर सिर के छोटे-छोटे स्थानों में दर्द ठहर गया हो, आंखों की भौओं को दबाने पर आराम मिलता हो। सिर के एक तरफ ही दर्द हो। दर्द का पूर्वाभास, आंखों के चुंधियाने के रूप में हो तो काली बाईक्रोम-30 दिन में 3 बार एक सप्ताह तक लेना चाहिए। इससे न केवल सिर-दर्द , बल्कि पुराना जुकाम अथवा साइनस का दर्द भी सदा के लिए विदा हो जायेगा।

७. ऐसा ‘सरदर्द’ मानो रोगी अंधा हो जायेगा। प्रातः उठने के साथ ही मानो सिर पर हजारों हथौड़े पर रहे हों। सूर्योदय से दर्द शुरू हो और सूर्य के साथ-साथ बढ़कर सूर्यास्त के समय मिट जाये अथवा घट जाये। रोगी अत्यन्त भावुक एवं संवेदनशीलता प्रकृति का हो अर्थात् जल्दी गुस्सा हो जाता हो अथवा रो पड़ता हो, नमकीन चीजों का प्रेमी हो। सूर्य की गर्मी से डरता हो। सिर दर्द के साथ ही जी मितलाता हो तथा बढ़ने पर उल्टी करता हो तो नेट्रमम्यूर-30 अथवा200 शक्ति इसकी निश्चित दवा है। कमजोर शरीर वाले स्कूली छात्र-छात्राओं के सिर दर्द की भी यह अचूक औषधि है।


८. रात को सोते-सोते रोगी अचानक सिरदर्द के कारण उठ बैठे तथा भूख से भी तिलमिला उठता हो। नींद खुलने का कारण है-मानो अचानक किसी ने माथे पर चोट दे मारी हो। रोगी को गर्मी के मौसम में भारी सर्दी महसूस होती हो तथा शरीर पर अनावश्यक कपड़े लेपेटे रखता हो। बदन से एक अजीब तरह की दुर्गन्ध आती हो तो सोरिनम-200 की एक या दो मात्राएं दर्द को मिटाकर रोगी का नक्शा ही बदल डालती है।

९. सिर से पिछले हिस्से से उठने वाला दर्द जो पूरे सिर पर फैल जाता हो। सिर पर कपड़ा लपेटने से आराम मिलता हो। ठंडी हवा से सरदर्द बढ़ जाता हो। रोगी को फोड़े-फुंसी, गला पकना आदि बीमारियां समय-समय पर परेशान करती रहती हैं। हाथ-पैर ठंडे रहते हैं। इस ‘ठंडी प्रकृति’ के रोगी को साइलीशिया-30 की 4-4 गोलियां सुबह-शाम अपार शांति प्रदान करने में समर्थ हैं।

१० अगर युवावस्था में सिर में फुंसियां निकली हों जिन्हें दवाइयों से दबा दिया गया हो। इस कारण से भयंकर सिर दर्द होता हो। दर्द में लगता हो जैसे सिर पर हथौड़े चल रहे हों। रक्त संचय के कारण होने वाले सरदर्द में कैलकेरिया कार्ब-30 बेहतरीन औषधि है।

११. खासकर ऐसी महिलाओं में जिन्हें मासिक में रक्तस्राव अधिक होता हो तथा दो मासिक के बीच सिर दर्द की शिकायत हो तो कैलकेरिया कार्ब-30 की एक-एक मात्रा हर तीसरे दिन कुछ दिनों तक देना चाहिए।

१२. एक निश्चित अन्तराल के बाद होने वाला सिरदर्द, जो बांई आंख के ऊपर काटता-सा, शाम को शुरू होकर रात में अपनी तीव्रता के शिखर पर पहुंचता हो, के लिए सल्फर-30 की 4-5 गोली प्रत्येक दो घंटे में जीभ पर रखकर चूसें।

१३. पेट की गड़बड़ी या पुराने कब्ज के कारण भी, जब रक्त का प्रवाह मस्तिष्क की ओर हो जाता है, तब तेज सिरदर्द होने लगता है। इस सिरदर्द में हरकत से रोग बढ़ता है। सिर आगे की ओर झुकाने से लगता है कि सिर फट पड़ेगा। ऐसे में ब्रायोनिया-30 उपयोगी है।

१४. क्रोधी, चिड़चिड़े स्वभाव के ऐसे व्यक्ति जिन्हें वात व्याधि रहती हो, जोड़ों में दर्द होता हो। उनमें सिरदर्द दाहिनी कनपटी में या माथे के एक तरफ से शुरू होता है। कभी-कभी क्रोध करने पर यह दर्द गर्दन और बाजू तक आ पहुंचता है। इसमें ब्रायोनिया-30 मूल अर्क की दो-दो बूंदे निश्चित अंतराल से लेने से लाभ होता है।

१५. इसके अतिरिक्त भी नक्स वोमिका, पल्सटिल्ला, एकोनाइट, नेट्रमसल्फ आदि दवाइयां विभिन्न शक्तियों में चिकित्सक के परामर्शनुसार लेने पर इस रोग को जड़ मूल से मिटाया जा सकता है।

फिर भी मैं यह कहना चाहूंगा कि हमें ‘सिरदर्द’ को एक साधारण रोग समझ कर इसकी उपेक्षा नहीं करनी चाहिए। बल्कि इसका कारण जानकर जल्दी से जल्दी इसकी चिकित्सा करानी चाहिए। कहीं ऐसा न हो कि साधारण-सा ‘सरदर्द’ हमारे लिए ‘मेनिन्जाइटिस’, ‘सिस्टीसरकोसिस’ अथवा ‘ब्रेनट्यूमर’ का रूप धारण कर ले और अत्यन्त गम्भीर अथवा जानलेवा सिध्द हो।

स्त्रोत : स्वस्थ जीवन ब्लोग, राजेंद्र कुमार,  मंगलवार, १२ अप्रैल 2013

6 comments:

  1. आपकी लेख सराहनीय है, मैंने भी कुछ गर्दन मे दर्द का घरेलू इलाज के बारे में लिखा है आशा करता हूँ अवश्य लाभ मिलेगा

    ReplyDelete
  2. Thanks for sharing very useful post. Try some herbal supplement to treat migraine headache.It is both safe and effective.visit http://www.hashmidawakhana.org/natural-remedies-for-migraine-headaches.html

    ReplyDelete
  3. I had migraine issues. I could not study properly. I used to forget my home work. Migrokill capsule has brought a new lease in my life. I bounced back with my concentration.

    ReplyDelete
  4. Thanks for sharing very useful post. Get over migraine issues safely and effectively.

    ReplyDelete
  5. Herbal migraine treatment helps to alleviate the pain associated with this condition and also work towards in reducing the frequency of occurrence of these headaches.

    ReplyDelete
  6. Get instant relief from the severity of migraine with the help of migrokill capsule.

    ReplyDelete

--->--->श्रीमती जानकी पुरुषोत्तम मीणा जिनका 08 अप्रेल, 2012 को असमय निधन हो गया!

--->--->श्रीमती जानकी पुरुषोत्तम मीणा जिनका 08 अप्रेल, 2012 को असमय निधन हो गया!
सभी के स्वस्थ एवं सुदीर्घ जीवन की कामना के साथ-मेरे प्यारे और दुलारे तीन बच्चों की ममतामयी अद्वितीय माँ (मम्मी) जो दुखियों, जरूतमंदों और मूक जानवरों तक पर निश्छल प्यार लुटाने वाली एवं अति सामान्य जीवन जीने की आदी महिला थी! वह पाक कला में निपुण, उदार हृदया मितव्ययी गृहणी थी! मेरी ऐसी स्वर्गीय पत्नी "जानकी मीणा" की कभी न भुलाई जा सकने वाली असंख्य हृदयस्पर्शी यादों को चिरस्थायी बनाये रखते हुए इस ब्लॉग को आज दि. 08.08.12 को फिर से पाठकों के समक्ष समर्पित कर रहा हूँ!-डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश'

Label Cloud

(Tribulus Terrestris) 14 फरवरी Abutilon Indicum Aerva Lanat Allergy Aloevera Juice Alternanthera Sessilis Alum Aluminum Amaranthus spinosus Ammonium chloride Appetite Argemone Mexicana Ash-coloured Fleabane Bael Ban Tulasi Bauhinia purpurea Bernini’s Cinema Bitter Gourd Black night shade Blumea Lacera Bone Infection Borax BPH Calories Calories Chart Cancer Care Carrots Castor beans Chanca Piedra Cheese Chemotherapy Chenopodium Album Chikungunya Cholesterol Cleome viscosa Clerodendrum Phlomidis Clitoria Ternatea Colocynth Colpoptosis Constipation Convolvulus Pluricaulis Corn Creak Crotalaria Bburhia Croton Bonplandianum Croton Sparsiflorus Cumin Date Palm Dengue Depression Diabetes digestion Disorders Divorce Dog Mustard Dronapushpi Dysentery Early Ejaculation Emblic Myrobalan Extramarital Relation Extremely Intolerance Fatty liver Femininity FENUGREEK Fenugreek Seeds Ferrum Phosphoricum Fever Fissure Fistula Folic Acid Gallbladder Gardenia Gummifera Garlic Ginger Gooseberry Gourd Groundnut-peanut Guava Hainampfer Hair Falling Headaches Health Health Care Friend Health Consultation Health Links Health Tips Heliotropium Eeuropaeum Hemorrhoids Hepatitis Hibiscus Homeopathic Homeopathy Homoeopath Honey How to get pregnant? Immunity Impotence IMPOTENCY Incurable indigestion Jaundice Juice Juice of Berries LAND CALTROPS Lemon Leucas Aspera Leucas Cephalotes Leucorrhea Lever Liver Liver Cirrhosis Liver fibrosis Low Blood Pressure Marital Dispute Consultant Masturbation Mental Mexican Daisy Mexican Poppy Migraine Migraines Myopia Neurons Night Jasmine Nutgrass Nutmeg Nutsedge Obesity Omega 3 Oroxylum indicum Painkillers Periquito Sessil Phyllanthus Niruri Piles Portulaca Oleracea Post Effect Pregnancy Safe-Guard Pregnancy Safeguard Pregnancy-Safe-Guard Premature Ejaculation Prostate Gland Protein Purple Nutsedge Raan Tulas Radish Rectal Collapse Rectal Prolapse rectum collapse Saffron Senna occidentalis Separation Sex Sexual Power Sickness Side Effects side effects less Side-Effects Spermatorrhoea Sperms Spiny Amaranth Stone Stone Breaker Sword fruit tree TECOMA STANS Thermometer Tickweed Tips Treatment of Incurable Tribulus Terrestris Tridax Procumbens Umbrella Sedge Unquenchable Conjugal Uterine Prolapse vaginal Creaks Vaginal Prolapse Viral Vitamins Vitex Negundo Wart Wheatgrass White Discharge Yellow Spider Flower अंकुरित अनाज अंकुरित गेहूं-Wheat germ अंकुरित भोजन-Sprouts अखरोट अंगूर-Grapes अचूक चमत्कारिक चूर्ण अजवाइन अजवायन अजीर्ण-Indigestion अंडकोष अडूसा (वासा)-Adhatoda Vasika-Malabar nut अण्डी अतिबला अतिसार अतिसार-Diarrhea अतृप्त अतृप्त दाम्पत्य अत्यंत असहिष्णुता अदरक अदरख अंधश्रृद्धा अध्ययन अनिद्रा अपच अपराजिता अपराधबोध अफरा अफीम अमरूद अमृता अम्लपित्त-Pyrosis अरंडी अरणी अरण्ड अरण्डी अरलू अरुचि अरुचि-Anorexia-Distaste अर्जुन अर्थराइटिस अर्द्धसिरशूल अर्श अर्श रोग-बवासीर-Hemorrhoids-Piles अलसी अल्टरनेथेरा सेसिलिस अल्सर अल्सर-Ulcers अवसाद अवसाद-Depression अश्मःभेदः अश्वगंधा अश्वगंधा-Winter Cherry असंतुष्ट असफल असर नहीं असली अस्थमा अस्थमा-दमा-Asthma आइरन आक आकड़ा आघात आत्महत्या आंत्र कृमि आंत्रकृमि-Helminth आंत्रिक ज्वर-टायफाइड-Typhoid fever आदिवासी आधाशीशी आधासीसी आंधीझाड़ा-ओंगा-अपामार्ग-Prickly Chalf flower आमला आमवात आमाशय आयुर्वेद आयुर्वेदिक आयुर्वेदिक उपचार आयुर्वेदिक औषधियां आयुर्वेदिक सीरप-Ayurvedic Syrup आयुर्वेदिक-Ayurvedic आरोग्य आँव आंव आंवला आंवला जूस आंवला रस आशावादी-Optimistic आसन आसान प्रसव-Easy Delivery आहार चार्ट आहार-Food आॅपरेशन आॅर्गेनिक आॅर्गेनिक कौंच इच्छा-शक्ति इन्द्रायण इन्फ्लुएंजा इमर्जेंसी में होम्योपैथी इमली-Tamarind Tree इम्युनिटी इलाज इलाज का कुल कितना खर्चा इलायची उच्च रक्तचाप उच्च रक्तचाप-High Blood Pressure-Hypertension उत्तेजक उत्तेजना उदर शूल-Abdominal Haul उदासी उन्माद-Mania उपवास उम्र उल्टी ऊर्जा एक्जिमा एक्यूप्रेशर एग्जिमा एजिंग-Aging एंटी ऑक्सीडेंट्स एंटी-ओक्सिडेंट एंटीऑक्सीडेंट एण्टी-आॅक्सीडेंट एनजाइना एनीमिया एमिनो एसिड एरंड एलर्जी एलर्जी-Allergy एलोवेरा एलोवेरा जूस एल्यूमीनियम ऐंठन ऐलोपैथ ऐसीडिटी ऑर्गेनिक ओमेगा 3 के स्रोत ओमेगा-3 ओर्गेनिक औषध-Drug औषधि सूची-Drug List औषधियों के नुकसान-Loss of drugs कचनार कचनार-Bauhinia Purpurea कटुपर्णी कड़वाहट कंडोम कद्दू कनेर कपास-COTTON कपिकच्छू कपूरीजड़ी कफ कब्ज कब्ज़ कब्ज-कोष्ठबद्धता-Constipation कब्ज. Cucumber कब्जी कमजोरी कमर कमर दर्द कमेड़ा करेला कर्ण वेदना कर्णरोग कष्टार्तव-Dysmenorrhea कांच निकलना काजू कान कानून सम्मत काम काम शक्ति कामवाण पाउडर कामशक्ति कामशक्ति-Sexual power कामेच्छा कामोत्तेजना कायाकल्प कार्बोहाइड्रेट कार्बोहाइड्रेट-Carbohydrates काला जीरा काला नमक काली जीरी काली तुलसी काली मिर्च काले निशान कास-खांसी-Cough किडनी किडनी संक्रमण किडनी स्‍टोन कीड़े कीमोथेरेपी कुकरौंधा कुकुंदर कुटकी-Black Hellebore कुबडापन कुमेड़ा कुल्थी कुल्ला कुष्ट कुष्ठ कृमि केला केसर कैफीन-Caffeine कैलोरी कैलोरी चार्ट कैलोरी-Calories कैवांच कैविटी कैंसर कॉफी कॉफ़ी कॉलेस्ट्रॉल कोंडी घास कोढ़ कोबरा कोलेस्ट्रॉल कोलेस्ट्रॉल-Cholesterol कोलेस्ट्रोल कौंच कौमार्य क्रियाशीलता क्रोध क्षय रोग-Tuberculosis क्षारीय तत्व क्षुधानाश खजूर खजूर की चटनी खनिज खरबूजा-Musk melon खरेंटी खरैंटी शिलाजीत खाज खांसी खिरेंटी खिरैटी खीप खीरा खुजली खुशी-Joy खुश्की खुश्बू खोया गंजापन-Baldness गठिया गठिया-Arthritis गठिया-Gout गड़तुम्बा गंडा-ताबीज गंध गन्ने का रस गरमा गरम गर्भ निरोधक गर्भधारण गर्भपात गर्भवती गर्भवती कैसे हों? गर्भावस्था गर्भावस्था की विकृतियां-Disorders of Pregnancy गर्भावस्था के दौरान संभोग-Sex During Pregnancy गर्भाशय गर्भाशय भ्रंश गर्भाशय-उच्छेदन के साइड इफेक्ट्स-Side Effects of Hysterectomy गर्म पानी गर्मी गर्मी-Heat गलगण्ड गाजर गाजवां गांठ गाँठ-Knot गारंटी गारण्टेड इलाज गाल ब्लैडर गिलोय गिल्टी गुड़हल गुंदा गुदाद्वार गुदाभ्रंश गुम्मा गुर्दे गुलज़ाफ़री गुस्सा गृध्रसी गृह-स्वामिनी गेदुआ की छाछ गैस गैस्ट्रिक गैहूं का जवारा गोक्षुरादि चूर्ण गोखरू गोखरू (LAND CALTROPS) गोंद कतीरा-Hog-Gum गोंदी गोभी-Cabbage गोरख मुंडी गोरखगांजा गोरखबूटी गोरखमुंडी ग्रीन-टी घमोरी घरेलु ​नुस्खे घाघरा घाव चकवड़ चक्कर चपाती चमत्कारिक सब्जियां चरित्र चर्बी चर्म चर्म रोग चर्मरोग चाय चाय-Tea चालीस के पार-Forty Across चिकनगुनिया चिकित्सकीय चिटकन चिंतित चिरायता-Absinth चिरोटा चुंबन चोक चौलाई छपाकी छरहरी काया छाछ छाजन बूटी छाले छींक छीकें छुअ छुआरा छुहारा छोटा गोखरू छोटा धतूरा छोटी हरड़ जंक फूड जकवड़ जख्म जंगली तिल्ली जंगली तुलसी जंगली पेड़ जंगली मिर्ची जंगली-कटीली चौलाई जटामांसी-Spikenard जलजमनी जलन जलोदर रोग-Ascites Disease जवारा जवारे जवासा-Alhag जहर जामुन का जूस जायफल जिगर जीरा जीवन रक्षक जीवनी शक्ति जुएं जुकाम जुदाई जुलाब जूएं जूस जोड़ों के दर्द जोड़ों में दर्द जौ ज्यूस ज्योति ज्वर ज्वर-Fiver झाइयाँ झांईं झाड़-फूंक झुर्रियाँ झुर्रियां झुर्री झूठे दर्द टमाटर का रस टमाटर-Tomatoes टाइफाइड टाटबडंगा टायफायड टूटी हड्डी टॉन्सिल टोटला ट्यूमर ठंड ठंडापन ठेकेदार डॉक्टर डकार डकारें डायबिटीज डायरिया डिग्री फ़ारेनहाइट डिग्री सेल्सियस डिजिसेक्सुअल डिटॉक्सीफाई डिटॉक्सीफिकेशन डिनर डिप्रेशन डिब्बाबंद भोजन डिलेवरी डीकामाली डीगामाली डेंगू डेंगू-Dengue डॉ. निरंकुश डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश' डॉ. मीणा ढकार ढीलापन ढीली योनि तकलीफ का सही इलाज तंत्र-मंत्र तम्बाकू तरबूज-Watermelon तलाक ताकत तिल तिल्ली तुंबा तुंबी तुम्बा तुलसी तेल त्रिदोषनाशक त्रिफला त्वचा त्वचा रोग थकान थाईरायड थायरायड-Thyroid थायरॉइड दण्डनीय अपराध दंत वेदना दन्तकृमि दन्तरोग दमा दर वेदना दरार दर्द दर्द निवारक दर्द निवारक दवा दर्दनाक दस्त दही दाग-धब्बे-Stains-Spots दाढ़ दांत दांतो में कैविटी-Teeth Cavity दाद दाम्पत्य दाम्पत्य विवाद सलाहकार दाम्पत्य-Conjugal दाल दालचीनी दालें दिमांग दिल दीर्घायु दु:खी दुर्गंध दुर्बलता दुष्प्रभाव दुष्प्रभावरहित दूध दूध वृद्धि दूधी दूधी-Milk Hedge दृष्टिदोष दो मन द्रोणपुष्पी द्रोणपुष्पी-Leucas Cephalotes धड़कन धनिया बीज धनिया-Coriander धमासा धात धातु धातु पतन धार्मिक धूम्रपान छोड़ना चाहते हैं? धैर्यहीन नज़ला नपुंसक नपुंसकता नाइट्रिक एसिड नाक नाखून नागबला नागरमोथा नाडी हिंगु नाड़ी हिंगु (डिकामाली) नामर्दी नारकीय पीड़ा नारियल नाश्ता निमोनिया निम्न रक्तचाप निम्बू नियासिन निराश निरोगधाम निर्गुण्डी निर्गुन्डी निष्कपट स्नेह निष्ठा निसोरा नींद नींबू नींबू-Lemon नीम-azadirachta indica नुस्खे नुस्खे-Tips नेगड़ नेत्र रोग नेुचरल नैतिक नॉर्मल डिलेवरी नोनिया नौसादर न्युमोनिया-Pneumonia न्यूरॉन्स पक्षघात पंचकर्म पढ़ने में मन लगेगा पंतजलि पत्तागोभी-CABBAGE पत्थर फोड़ी पत्थरचट्टा पत्नी पथरी पदार्थ पनीर पपीता पपीता-CARICA PAPPYA पमाड परदेशी लांगड़ी परम्परागत चिकित्सा परहेज पराठा परामर्श परिस्थिति पवाड़ पवाँर पाइल्स पाक-कला पाचक पाचन पाचनतंत्र पाचनशक्ति पाठक संख्या 16 लाख पार पाठक संख्या पंद्रह लाख पायरिया पारदर्शिता पारिजात पालक पालक-Spinach पित्त पित्ताशय पित्ती पिंपल-मुंहासे-Pimples-Acne पिरामिड पीलिया पीलिया-Jaundice पीलिया-कामला-Jaundice पुआड़ पुदीना पुनर्नवा-साटी-सौंटी-Punarnava पुरुष पुंसत्व पेचिश पेट के कीड़े पेट दर्द पेट में गैस पेट रोग पेड़ पेद दर्द पेरिकिटो सेसिल पेशाब पेशाब में रुकावट पेंसिल थेरेपी-Pencil Therapy पोष्टिक लड्डू पौधे पौरुष पौरुष ग्रंथि पौष्टिक रागी रोटी प्याज-Onion प्यास प्रजनन प्रतिरक्षा प्रतिरक्षा प्रणाली प्रतिरोधक प्रतिरोधक-Resistance प्रदर प्रमेह प्रवाहिका (पेचिश)-Dysentery प्रसव प्रसव सुरक्षा चक्र प्रसव-पीड़ा प्रसूति प्राणायाम प्रेग्नेंसी-Pregnancy प्रेम प्रेमरस प्रेमिका प्रेमी प्रोटीन प्रोटीन का कार्य प्रोटीन के स्रोत प्रोस्टेट प्रोस्‍टेट कैंसर प्रोस्टेट ग्रंथि प्रोस्टेट ग्रन्थि प्लीहा प्लूरिसी-Pleurisy प्लेटलेट्स फंगल फटन फफूंद-Fungi फरास फल फाइबर फिटकरी फुंसी-Pimples फूलगोभी-CAULIFLOWER फेंफड़े फेरम फॉस फैट फैटी लीवर फोटोफोबिया फोड़ा फोड़े-Boils फोरप्ले फोलिक एसिड फ्लू फ्लू-Flu फ्लेक्स सीड्स बकायन बकुल बड़ी हरड़ बथुआ बथुआ पाउडर बथुआ-White Goose Foot बदबू बंध्यापन बबूल-ACACIA बरसाती बीमारियाँ बरसाती बीमारियां बलगम बलवृद्धि बला बलात्कार बवासीर बहरापन बहुनिया बहुमूत्रता- बांझपन बादाम-Almonds बादाम. बाल बाल झड़ना बाल झडऩा-Hair Falling बिना सिजेरियन मां बनें बिवाई बीजबंद बीड़ी बीमारियों के अनुसार औषधियां बीमारी बील बुखार बूंद-बूंद पेशाब बेल बेली बैक्टीरिया बॉयोकैमी ब्र​ह्मदण्डी ब्रेस्ट ग्रोथ ब्लड प्रेशर ब्लैक मेलिंग ब्लॉकेज भगंदर भगंदर-Fistula-in-ano भगनासा भगन्दर भगोष्ठ भड़भांड़ भय भविष्य भस्मक रोग भावनात्मक भुई आंवला-Phyllanthus Niruri भूई आमला भूई आंवला भूख भूख बढ़ाने भूत-प्रेत भूमि भूमि आंवला भोजनलीवर मकोय मकोय-Soleanum nigrum मक्का मक्का के भुट्टे मंजीठ मटर-PEA मंद दृष्टि मंदाग्नि मदार मधुमेह मधुमेह-Diabetes मन्दाग्नि-Dyspepsia मरुआ मरोड़ मर्द मर्दाना मलाशय मलेरिया मलेरिया (Malaria) मवाद मसाले मस्तिष्क मस्से मस्से-WARTS महंगा इलाज महत्वपूर्ण लेख महाबला माइग्रेन माईग्रेन माईंड सैट माजूफल मानवव्यवहार मानसिक मानसिक लक्षण मानसिक-Mental मानिसक तनाव-Mental Stress मायोपिया मासिक मासिक-धर्म मासिकधर्म मासिकस्राव माहवारी मिनरल मिर्गी मिर्च-Chili मीठा खाने की आदत मुख मैथुन-ओरल सेक्स-Oral Sex मुख्य लक्षण मुधमेह मुलहठी मुलेठी मुहाँसे मूँगफली मूड डिस्ऑर्डर-Mood Disorders मूत्र मूत्र असंयमितता मूत्र में जलन-Burning in Urine मूत्ररोग मूत्राशय मूत्रेन्द्रिय मूर्च्छा (Unconsciousness) मूली मूली कर रस मृत्यु मृत्युदण्ड मेथी मेथी दाना मेंहदी मैथुन मोगरा (Mogra) मोटापा मोटापा-Obesity मोतियाबिंद मौत मौलसिरी मौसमी बीमारियां यकृत यकृत प्लीहा यकृत वृद्धि-Liver Growth यकृत-लीवर-जिगर-Lever यूपेटोरियम परफोलियेटम यूरिक एसिड लेबल योग विज्ञापन योन योन संतुष्टि योनि योनि ढीली योनि शिथिल योनि शूल-Vaginal Colic योनि संकोचन योनिद्वारा योनिभ्रंश योनी योनी संकोचन यौन यौन आनंद यौन उत्तेजक पिल्स (sexual stimulant pills) यौन क्षमता यौन दौर्बल्य यौन शक्तिवर्धक यौन शिक्षा यौन समस्याएं यौनतृप्ति यौनशक्ति यौनशिक्षा यौनसुख यौनानंद यौनि रक्त प्रदर (Blood Pradar) रक्त रोहिड़ा-TECOMELLA UNDULATA रक्तचाप रक्तपित्त रक्तशोधक रक्ताल्पता रक्ताल्पता (एनीमिया)-Anemia रस-juices रातरानी Night Blooming Jasmine/Cestrum nocturnum रामबाण रामबाण औषधियाँ-Panacea Medicines रुक्षांश रूढिवादी रूसी रूसी मोटापा रेचक रेठु रोग प्रतिरोधक रोबोट सेक्स रोमांस लकवा लक्षण लक्ष्मी लंच लसोड़ा लस्सी लहसुन लहसुन-Garlic लाइलाज लाइलाज का इलाज लाक्षणिक इलाज लाक्षणिक जानकारी लाभ लिंग लिंग प्रवेश लिसोड़ा लीकोरिया लीवर लीवर सिरोसिस लीवर-Liver लू-hot wind लैंगिक लोनिया लौकी लौंग की चाय ल्युकोरिया ल्यूकोरिया ल्यूज योनी वजन वज़न वजन कम वजन बढाएं-Weight Increase वन तुलसी वन/जंगली तुलसी वनौषधियाँ वमन वमन विकृति-Vomiting Distortion वसा वात वात श्लैष्मिक ज्वर वात-Rheumatism वायरल वायरल फीवर वायरल बुखार-Viral Fever वासना विचारतंत्र विटामिन विधारा वियाग्रा-Viagra वियोग विरह वेदना विलायती नीम विवाहेत्तर यौन सम्बन्ध विवाहेत्तर सम्बंध विश्वास विष विष हरनी विषखपरा वीर्य वीर्य वृद्धि वीर्यपात वृक्कों (गुर्दों) में पथरी-Renal (Kidney) Stone वृक्ष वैज्ञानिक वैधानिक वैवाहिक जीवन वैवाहिक जीवन-Marital वैवाहिक रिश्ते वैश्यावृति व्याकुल व्यायाम व्रण शंखपुष्पी शरपुंखा शराब शरीफा-सीताफल-Custard apple शर्करा शलगम-Beets शल्यक्रिया शहद शहद-Honey शारीरिक शारीरिक रिश्ते शिथिलता शीघ्र पतन शीघ्रपतन शीस शुक्राणु शुक्राणु-Sperm शुक्राणू शुगर शोक शोथ शोध श्योनाक श्रेष्ठतर श्वास श्वांस श्वेत प्रदर श्वेत प्रदर-Leucorrhea श्वेतप्रदर षड़यंत्र संकुचन संकोच संक्रमण संक्रमित संक्रामक संखाहुली सगतरा संतरा-Orange संतान संतुष्टि सत्यानाशी सदा सुहागन सदाफूली सदाबहार सदाबहार चूर्ण सनबर्न सफ़ेद दाग सफेद पानी सफेद मूसली सब्जि सब्जी संभालू संभोग समर्पण-Dedication सरकार को सुझाव सरफोंका सरहटी सर्दी सर्दी-जुकाम सर्पक्षी सर्पविष सलाद संवाद संवेदना सहदेई सहदेवी सहानभूति साइटिका साइटिका-Sciatica साइड इफेक्ट्स साबूदाना-Sago सायटिका सिगरेट सिजेरियन सिर दर्द सिर वेदना सिरका सिरदर्द सिरोसिस सी-सेक्शन सीजर डिलेवरी सुगर सुदर्शन सुहागा सूखा रोग सूजन सेक्स सेक्स उत्तेजक दवा सेक्स परामर्श-Sex Counseling सेक्स पार्टनर सेक्स पावर सेक्स समस्या सेक्स हार्मोन सेक्‍स-Sex सेंधा नमक सेब सेमल-Bombax Ceiba सेल्स सोजन-सूजन सोंठ सोना पाठा सोयाबीन सोयाबीन (Soyabean) सोयाबीन-Soyabean सोराइसिस सोरियासिस-Psoriasis सौंठ सौंदर्य सौंदर्य-Beauty सौन्दर्य सौंफ सौंफ की चाय सौंफ-Fennel स्किन स्खलन स्तन स्तन वृद्धि स्तनपान स्तम्भन स्त्री स्त्रीत्व स्त्रैण स्पर्श स्मृति-लोप स्वप्न दोष स्वप्नदोष स्वप्नदोष-Night Fall स्वभाव स्वभावगत स्वरभंग स्वर्णक्षीरी स्वस्थ स्वास्थ्य स्वास्थ्य परामर्श स्वास्थ्य रक्षक सखा हजारदानी हड़जोड़ हड्डी हड्डी में दर्द हड्डी संक्रमण हड्डीतोड़ ज्वर हड्डीतोड़ बुखार हरड़ हरसिंगार हरी दूब-CREEPING CYNODAN हरीतकी हर्टबर्न हस्तमैथुन हस्तमैथुन-Masturbation हाई बीपी हाथ-पैर नहीं कटवायें हारसिंगार हालात हिचकी हिचकी-Hiccup हिमोग्लोबिन-hemoglobin हिस्टीरिया हिस्टीरिया-Hysteria हींग हीनतर हुरहुर हुलहुल हृदय हृदय-Heart हेपेटाइटिस हेपेटाईटिस हेल्थ टिप्स-Health-Tips हेल्थ बुलेटिन हैजा हैपीनेस-Happiness हैल्थ होम केयर टिप्स-Home Care Tips होम्यापैथ होम्योपैथ होम्योपैथिक होम्योपैथिक इलाज होम्योपैथिक उपचार होम्योपैथी होम्योपैथी-Homeopathy