एल्यूमीनियम (Aluminum) के बर्तनों में खाना-पकाना घातक!
—डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश'
एल्यूमीनियम के बर्तनों में खाना पकाने और खाने से स्वास्थ्य को गंभीर हानि हो सकती हैं! अत: कुकर सहित जितने भी एल्यूमीनियम के बर्तन हैं, आज ही से उनका उपयोग करना बंद कर दें। यदि आपके घर में एल्यूमीनियम के बर्तनों में खाना पकाया जाता है, तो आपके परिवार के लोगों को अनेकों प्रकार की मानसिक और शारीरिक बीमारियां हो सकती हैं। जैसे-
1—जागते ही उदासी: रोगी प्रात:काल सोकर उठने के बाद उदास होता है, रोता है। वैसे वह रोता-धोता ही रहता है। अपनी परिस्थिति से दूर भाग जाना चाहता है, भयभीत रहता है, समझता है कि जिन परिस्थितियों से घिरा है उनसे हटने पर उसका दु:ख दूर होगा। साधारणतया भयभीतपना उसमें भरा रहता है। जब अपनी मानसिक-दशा को सोचने लगता है, तब डरता है कि कहीं पागल न हो जाय। जब वह सोचता है कि वह अपना नाम तक भूल जाता है, मन गड़बड़ाया रहता है, तब वह सोचने लगता है कि अब वह सचमुच पागल हो गया है। प्रात:काल सोकर उठने के बाद उसमें ऐसे विचार आते-जाते रहते हैं, परन्तु चित-वृति बदलती रहती है। कभी निराशा की मनोवृति से निकल कर वह आशाभरी, शांत मनोवृति में आ जाता है, इसके बाद फिर उसी निराशा के गर्त में जा गिरता है।
2—मूत्राशय की शिथिलता: स्त्री या पुरुष को देर तक पेशाब के लिये बैठे रहना पड़ता है, पेशाब उतरता ही नहीं, देर में उतरता है, धीरे-धीरे निकलता है, रोगी कहता है कि पेशाब जल्दी नहीं उतरता। कभी-कभी धार की जगह बूंद-बूद टपकता है।
3—मलाशय की शिथिलता: मलाशय इतना शिथिल हो जाता है कि भरा रहने पर भी मल नहीं निकलता, मल कठोर न होकर तरल भी क्यों न हो, वह निकलता ही नहीं। जब गुदा-द्वार में इस प्रकार की जड़ता, शिथिलता हो कि दस्त भी न निकले, ऐसी कब्ज हो, तब यह जांच लेना चाहिये कि आपकी रसाई में एल्यूमीनियम के बर्तनों का उपयोग तो नहीं हो रहा?
4—ल्यूकोरिया: स्त्रियों में पानी की तरह टांगों तक बह जाने वाला प्रदर हो जाता है। रोगिणी के जननांग इतने शिथिल हो जाते हैं कि प्रदर का पानी बहता हुआ टांगों के नीचे तक पहुंच जाता है। यह पानी तीखा, पीला या अंडे की सफेदी जैसा और त्वचा को काटने/छीलने वाला हो सेता ह। अनेक बाद प्रदर के तार या धागे जैसे बन जाते हैं। प्रदर के साथ रोगिणी के जननांगों में निम्न-लक्षण प्रकट होते हैं:-
- (1) जरायु को मुख पर जख्म।
- (2) सब जननांगों में शिथिलता।
- (3) जननांगों की शिथिलता के कारण नीचे को बोझ की अनुभूति।
- (4) सब मांसपेशियों में कमजोरी, ढिलाई और शिथिलता।
- (5) यौन-सम्बन्धों के समय जलन और दर्द की अनुभूति। इत्यादि।
5—रोगी का चरित्र-चित्रण: उपरोक्त के अलावा एल्यूमीनियम के बर्तनों में खाना पकाने और खाने वाले व्यक्ति का चित्रण इस प्रकार से किया जा सकता है। रोगी के रुधिर की गति इतनी शिथिल होती है कि सर्दी में उसके हाथ-पांव ठंडे हो जाते हैं। वे खुश्की के कारण फट जाते हैं। पैरों में बड़ी-बड़ी बिवाइयां पड़ जाती हैं, जिनसे खून निकला करता है। ठंड से उसकी सभी तकलीफें बढ़ जाती हैं। नम मौसम में रोगी अच्छा अनुभव करता है। रोगी की त्वचा का अत्यन्त खुश्क हो जाती है। रोगी अपने को कपड़ों से ढक कर रखना चाहता है। शरीर को गर्म कपड़ों से ढके रहता है, परन्तु फिर भी खुली हवा चाहता है। मौसम की जरा भी तब्दीली से उसे ठंड लग जाती है, जुकाम हो जाता है। कभी-कभी बिस्तर में लेटते हुए इतनी ठंड अनुभव करता है कि दांत किटकिटाते हैं, परन्तु कुछ देर बाद बिस्तर में उसे इतनी खुजली उठती है और गर्मी लगती है कि तन पर कपड़ा रखना ही नहीं चाहता। ये दोनों विरोधी बातें रोगी की प्रकृति में पायी जाती हैं।
यदि उपरोक्त लक्षणों में से आपके शरीर में कोई एक या एकाधिक लक्षण मौजूद (Existing) हैं और यदि आप उपरोक्त में से किन्हीं तकलीफों से पीड़ित हैं तो आपके दीर्घ-स्वस्थ जीवन के हित में यह उचित होगा कि आप तुरंत अपने नजदीक के किसी भी अनुभवी डॉक्टर से सम्पर्क करें। *यदि आप सब जगह इलाज करवाकर थक चुके हैं तो सुबह 10 बजे से रात्रि 10 बजे के बीच मोबाईल नम्बर 98750 66111 पर और, या Health Advice WhatsApp No.: 85619 55619 पर आप सीधे मुझ से भी सम्पर्क कर सकते हैं।*
Online Dr. PL Meena: Health Care Friend and Marital Dispute Consultant, Health Advice WhatsApp No.: 85619-55619, Mobile No.: 9875066111 (10AM to 10 PM)
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