लेखक: डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश'
20.10.2017, M & WA-85619-55619
यहाँ यह समझने वाली बात है कि शरीर में लीवर एक महत्वपूर्ण अंग होता है। यह (लीवर) स्वस्थ अवस्था में हमारे शरीर में तकरीबन ढाई सौ से अधिक प्रकार से फंक्शन करता रहता है। लीवर का आकार बढ जाने अर्थात फैटी लीवर हो जाने से लीवर की कार्यकुशलता अर्थात कार्य/फंक्शन करने की गति कम हो जाती है। परिणामस्वरूप फैटी लीवर/Fatty Liver से अनेक प्रकार की परेशानियां उत्पन्न हो जाती हैं।
फैटी लीवर/Fatty Liver के लक्षण:
सबसे दु:खदायी स्थिति यह होती है कि सामान्यत: शुरूआत में फैटी लीवर का पता नहीं चल पाता है। इस कारण रोगी की स्थिति अधिक बिगड़ सकती है। यद्यपि जैसे-जैसे लीवर बढना शुरू होता है, वैसे-वैसे इसके लक्षण प्रकट होने लगते हैं। जिन लोगों का फैटी लीवर/Fatty Liver होता है, उनमें आमतौर पर निम्न असामान्य लक्षण प्रकट होते देखे जा सकते हैं:-
1. भूख की कमी।2. पेट दर्द और उबकायी।3. थकान एवं वजन में कमी।4. भ्रमावस्था/कंन्फ्यूजन।5. अन्य अनेक कारण।
आमतौर पर स्वास्थ्य के प्रति जागरूक नहीं रहने वाले लोगों को 40 की आयु पार करने पर फैटी लीवर का पता चलता है। लेकिन तब तक स्थिति नियंत्रण से बाहर जा चुकी होती है या स्थिति अधिक पीड़ादायक हो चुकी होती है। लीवर को अधिक क्षति हो चुकी होती है।
अनेक लोगों को लीवर सिरोसिस/Cirrhosis, पीलिया/Jaundice, हेपैइाईटिस/Hepatitis आदि से पीड़ित होते देखा जा सकता है।
1. शराब का अधिक सेवन करना।2. लम्बे समय तक अपच और कब्ज।3. आधुनिक दवाईयों के सेवन का दुष्प्रभाव।4. रोड-छाप बाजारू तला-भुना-गरिष्ठ भोजन।5. जंक फूड और डिब्बाबंद भोजन का सेवन।6. आठ घंटे से अधिक सोने की आदत।7. अधिक मात्रा में आईरन का सेवन।8. उच्च कोलेस्ट्रोल तथा डायबिटीज से पीड़ित लोगों को फैटी लीवर का खतरा बढ जाता है।9. मोटापा: मोटापे के कारण लीवर के फैटी होने का खतरा बढ जाता है।10. फैट प्रोटीन का उच्च स्तर: शरीर में फैट प्रोटीन का उच्च स्तर भी फैटी लीवर का जनक हो सकता है।11. अनुवांशिक कारण: जिनके माता-पिता में से किसी एक या दोनों का फैटी लीवर होता है, उनको फैटी लीवर होने का खतरा बढ जाता है। स्वास्थ्य के प्रति जागरूक लोग विवाह करते समय इस बात का ध्यान रखते हैं।12. रोटी, आलू और कार्बोहाईड्रेट्स की उच्च मात्रा से युक्त भोजन की आदत।13. लीवर में रक्त की मात्रा अधिक हो जाना।14. हृदय या फेफड़ों के रोगों से ग्रस्त होना।15. अन्य विविध कारणों से भी यकृत/लीवर बढ़ जाता है।
1. स्वस्थ, सुपाच्य और ताजा भोजन का सेवन करें।2. अधिक समय तक भूखे नहीं रहें।3. संतुलित भोजन करें।4. भोजन में विटामिन-डी एवं ई तथा ओमेगा 3 फैडी एसिड जैसे पोषक तत्वों को शामिल करें।5. चीनी का सेवन बहुत जरूरी होने पर ही करें।
1. भूई आंवला।*2. मकोय।*3. शरपुंखा।*4. पुनर्नवा।*5. हरसिंगार।*6. गिलोय।*7. अपामार्ग।8. श्योनाक।*9. बथुआ।*10. कालमेघ।11. द्रोणपुष्पी।*इत्यादि।
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