स्त्रियों की संभोग में रुचियां
स्त्रियों में कामुकता के बहुत से केंद्र होते हैं लेकिन उन केंद्रों के बारे में जानने से पहले यह जानना जरुरी है कि उनमें काम उत्पत्ति कब होती है।
स्त्रियों की संभोग में रुचियां लड़कियों का जब मासिकधर्म शुरू होता है तो उसके बाद उनके शरीर में खास तरह के हार्मोन्स का विकास होना शुरू होता है और इसी समय से लड़कियां काम भावना की ओर भागने लगती हैं। इसी समय लड़कियों के शारीरिक अंगों का भी विकास होने लगता है। जैसे उसके स्तन और नितंबों का भारी होना, जननांगों पर बाल उगना़, आवाज का बदल जाना आदि। माना जाता है कि जिन लड़कियों का मासिकधर्म जल्दी शुरु होता है उनके अंदर संभोग करने की इच्छा भी जल्दी पैदा होती है लेकिन यह बात पूरी तरह से सही नहीं है क्योंकि संभोग करने की इच्छा का संबंध शारीरिक विकास की अपेक्षा सामाजिक या अनुवांशिक कारणों से ज्यादा होता है।
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अक्सर कुछ लड़कियां मासिकधर्म के दौरान संभोग के प्रति उत्तेजना महसूस करती हैं लेकिन संभोग करने से डरती हैं लेकिन यह बात सही नहीं है। अगर वे इस दौरान संभोग के प्रति उत्तेजना महसूस करती हैं तो उसे संभोग करने से डरना नहीं चाहिए वह अपने पति को संभोग के लिए तैयार कर सकती हैं। इस दौरान स्त्री को गर्भ ठहरने का डर भी नहीं रहता है और उसकी योनि में भी वहुत ज्यादा नमी रहती है। शुरुआत में तो स्त्रियां इस दौरान संभोग करते समय योनि में से ज्यादा खून आने की शिकायत करती हैं लेकिन धीरे-धीरे यह खून आना कम हो जाता है क्योंकि कु्छ समय में गर्भाशय का संकुचन हो जाता है। कुछ स्त्रियों में मासिकधर्म के समय दिमागी तनाव जैसे लक्षण पैदा हो जाते हैं जिसका असर उनकी सेक्स करने की इच्छा पर भी पड़ता है। उनमें चिड़चिड़ापन आ जाता है और इसी के साथ ही जी मिचलाना, कमर में दर्द आदि लक्षण प्रकट होते हैं।
बहुत सी स्त्रियां गर्भधारण करने के बाद सेक्स करने के बारे में इच्छा तो रखती है लेकिन डरती है कि कहीं इसका उनके गर्भ में पल रहे बच्चे पर बुरा असर न पड़े। ऐसी स्त्रियां गर्भावस्था के दौरान संभोगक्रिया कर सकती हैं लेकिन इसके लिए उन्हें अपने आपको शरीर और दिमाग से पूरी तरह स्वस्थ महसूस करना होता है और कुछ सावधानियां बरतने की जरूरत होती है। अगर किसी स्त्री को पहले गर्भावस्था के समय 3 महीने के दौरान कभी गर्भपात हुआ हो तो दुबारा गर्भ ठहरने के बाद शुरुआती 3 महीनों तक संभोगक्रिया से दूर रहना चाहिए।
अगर स्त्री को पहले कई बार गर्भपात हुआ हो तो गर्भावस्था के दौरान उसे संभोग से दूर रहना चाहिए क्योंकि ऐसी स्त्री के गर्भाशय का मुंह गर्भ को स्थापित रखने में कमजोर होता है। स्वस्थ स्त्री अगर शुरुआती 3 महीने के बाद सातवें महीने तक संभोग करे तो कोई परेशानी की बात नहीं है। लेकिन संभोगक्रिया के लिए ऐसे आसनों का प्रयोग करना चाहिए जिनका असर गर्भ में पल रहे बच्चे पर न पड़े। इन आसनों में संभोगक्रिया के दौरान स्त्री को पुरुष के ऊपर होकर या बगल में लेटकर संभोगक्रिया करनी चाहिए।
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बहुत सी स्त्रियों में यौन उत्तेजना इतनी तेज होती है कि उन्हें संभोग करने से पहले प्राकक्रीड़ा द्वारा उत्तेजित करने की जरूरत नहीं पड़ती। ऐसी स्त्रियां पुरुष के द्वारा छूते ही उत्तेजित हो जाती हैं और संभोगक्रिया के लिए तैयार हो जाती हैं। पर दूसरी किस्म की स्त्रियों को कलात्मक प्राकक्रीड़ा द्वारा उत्तेजित करना जरूरी हो जाता है।
जब तक ऐसी स्त्रियों के जननांगों में यौन लहरे तरंगित नहीं होती तब तक उनका पति उनके साथ सफल सेक्स नहीं कर सकता। जब तक स्त्री में यौन उत्तेजना नहीं होगी तब तक उसकी योनि द्रवित नहीं हो पाएगी और उसमें लिंग भी आसानी से प्रवेश कर पाएगा। अगर किसी तरह से लिंग योनि में प्रवेश कर भी जाता है तो उससे तेजी से घर्षण नहीं किया जाएगा। इसलिए हर पति को अपनी पत्नी के काम केंद्रों की जानकारी होनी चाहिए।
वैसे तो स्त्री का पूरा शरीर ही यौन उत्तेजना के मामले में संवेदनशील होता है लेकिन उसके होंठ, जीभ, स्तन, नाभि का हिस्सा, नितंब, जांघ के अंदर का हिस्सा, योनि और भगनासा बहुत उत्तेजक अंग होते हैं। अगर स्त्री के इन अंगों को सहलाया जाए तो स्त्री उत्तेजित होकर तुरंत संभोग के लिए तैयार हो जाती है।
होंठ और जीभ-होंठ और जीभ बहुत ही कामोत्तेजक होते हैं। पति जब अपनी पत्नी का चुंबन लेते समय उसके नीचे वाले होंठ को अपने होंठों के बीच में लेकर चूसता है, उसकी जीभ को अपनी जीभ से रगड़ता है, मुंह में मुंह लेकर चूसता है तो स्त्री के होंठ कामोत्तेजना से गुलाबी हो जाते हैं और उसकी आंखों में भी नशा छाने लगता है। अक्सर पत्नी अपने पति के द्वारा होंठों को चूमने या चूसने से तुरंत ही कामोत्तेजित हो जाती है।
स्तन-स्त्री के स्तन भी बहुत कामोत्तेजक होते हैं। अक्सर पुरुष स्त्री के स्तनों को देखकर ही उत्तेजित हो जाता है लेकिन जब पुरुष भारी और आकर्षक स्तनों को धीरे-धीरे सहलाता और मसलता है, उसके स्तनों के निप्पलों को उंगलियों से धीरे-धीरे दबाता है तो स्त्री उसी समय कामोत्तेजित हो जाती है बेकाबू हो जाती है। अगर पुरुष स्तनों के निप्पलों में से एक को चूसते हुए दूसरे को सहलाता है तो स्त्री कामोत्तेजित होकर सिसकियां लेनी लगती हैं। लेकिन इस सबको अगर एक हद तक ही किया जाए तो ठीक है वरना पुरुष को अपने आपको संभालना मुश्किल हो जाता है और वह तुरंत ही स्खलित हो जाता है। बहुत से पुरुष होते हैं जो स्त्री के स्तनों के साथ खेलते-खेलते ही स्खलित हो जाते हैं।
नाभि-स्त्री के नाभि वाले भाग को अगर हल्के-हल्के से सहलाया या गुदगुदाया जाए तो स्त्री की कामोत्तेजना बढ़ने लगती है। अगर पुरुष स्त्री की नाभि को अपनी जीभ से चूमता या सहलाता है तो स्त्री में कामोत्तेजना चरम पर पहुंचने लगती है। लेकिन स्त्री का नाभि वाला भाग उसके होंठों, जीभ और स्तनों से कम ही उत्तेजक होता है।
नितंब-बहुत सी स्त्रियों के नितंब काफी आकर्षक और कामोत्तेजक होते हैं। बाहर के देशों में उन स्त्रियों को बहुत सुंदर और मादक माना जाता है जिसका सीना और नितंब एक ही साइज के होते हैं जैसे अगर किसी स्त्री का सीना 34 है तो उसके नितंबों के उभारों का नाप भी 34 ही होना चाहिए। सौंदर्य प्रतियोगिताओं में अक्सर वही स्त्री जीतती है जिसके सीने, कमर और नितंब का नाप 34-24-36 होता है। उभरे हुए नितंब पुरुष के लिए स्तनों के समान ही कामोत्तेजक होते हैं। नितंबों को सहलाने और मसलने से पुरुष की नस-नस में कामोत्तेजना पैदा होने लगती है और स्त्री भी कामोत्तेजित होकर पति से लिपटने लगती है।
जांघ-स्त्री के जांघों के भीतरी भाग को धीरे-धीरे सहलाने से भी स्त्री कामोत्तेजित हो जाती है। इन अंगों का मादक स्पर्श पुरुष को भी कामोत्तेजित कर देता है। अक्सर स्त्रियां इन अंगों को सहलाए जाने से प्रसन्न और गदगद हो जाती हैं और संभोगक्रिया के लिए तैयार हो जाती हैं।
भगनासा-स्त्री के शरीर का सबसे कामोत्तेजक अंग उसका भगनासा होता है। यह छोटे भगोष्ठों के बीच उस स्थान पर स्थित होता है जहां से छोटे भगोष्ठों का उभार शुरू होता है। इसके थोड़ा सा नीचे मूत्रद्वार होता है जिससे स्त्री मूत्र त्याग करती है। भगनासा छोटे दाने के आकार में उभरी हुई होती है लेकिन असल में ये बहुत ज्यादा बारीक कामोत्तेजक तंत्रिकाओं का समूह होती है। यह लिंग का ही बहुत छोटा प्रतिरूप होता है। इसमें भी मुंड होता है जो साधारण रूप में मुंडचर्म से ढका रहता है लेकिन उत्तेजित होने पर मुंड अनावृत होकर तन जाता है। इसका आकार भी सामान्य से दुगना हो जाता है। पुरुष जब इस भगनासा को हल्के से सहलाता है या कलात्मक ढंग से छेड़ता है तो स्त्री के शरीर में काम उत्तेजना बहुत ही तेज हो जाती है। अगर यह क्रिया हद से बाहर हो जाती है तो तेज काम उत्तेजना के कारण पुरुष और स्त्री दोनों ही स्खलित हो जाते हैं और संभोगक्रिया के असली आनंद से वंचित रह जाते हैं। इसलिए पुरुष को इस मामले में बहुत ही सावधान रहने की जरूरत होती है। थोड़ी सी सावधानी बरतने से ही पुरुष स्त्री को इतना उत्तेजित कर देता है कि स्त्री की योनि में पुरुष के लिंग के प्रवेश करने तथा हल्के से घर्षण से ही स्त्री तेज स्खलन को महसूस करके बहुत ज्यादा आनंद और गुदगुदी से कुछ पलों के लिए आनंद के सागर में खो जाती है।
योनि-भगनासा के अलावा स्त्रियों का योनि मार्ग भी काफी संवेदनशील कामोत्तेजक अंग होता है। योनि के मुख्य द्वार पर छोटे भगोष्ठ स्थित होते हैं जो बहुत ज्यादा संवेदनशील होते हैं। छोटे भगोष्ठों से सलंग्न योनि छल्ला होता है जो भगनासा की तरह ही सूक्ष्म तंत्रिकाओं से घिरा होता है। यह अंग स्वैच्छिक पेशियों से जुड़ा रहता है और स्त्री अपनी इच्छा के अनुसार इसमें संकोच उत्पन्न कर सकती है। संभोगक्रिया के समय जब लिंग तेजी से घर्षण करता है तो उस समय योनि मुख के कलात्मक ढंग से फैलने और सिकुड़ने से पुरुष बहुत ज्यादा आनंद महसूस करता है। उत्तेजना उसे और मदहोश कर देती है और लिंग के द्वारा योनि में घर्षण और तेज होता जाता है। बहुत सी कामुक स्त्रियों में योनि मुख का आंकुचन (योनि मुख का अपने आप सिकुड़ना और फैलना) कामोत्तेजना के समय खुद ही होने लगता है और स्त्री आसानी से उसके सिकुड़ने और फैलने की गति को नियंत्रित नहीं कर सकती है। इस प्रकार की योनि से पुरुष को जो यौन सुख मिलता है, उसको बताया नहीं जा सकता है। स्त्री के इस अंग को उंगली से धीरे-धीरे सहलाने से या जीभ के द्वारा चाटने से स्त्री बहुत ज्यादा उत्तेजित होकर सिसकियां भरने लगती है। ऐसी स्थिति पैदा होने पर अगर पुरुष अपने लिंग को स्त्री की योनि में प्रवेश कराके घर्षण शुरू कर दें तो कुछ ही समय में स्त्री स्खलित होकर संतुष्ट हो जाती है। स्त्री जब बहुत ज्यादा उत्तेजित हो जाती है तब उसके भगोष्ठ फूलकर गुलाबी रंग के हो जाते हैं।
किसी भी स्त्री को उत्तेजित करने में लगभग 15 से 30 मिनट का समय लग जाता है लेकिन पति में अगर सब्र या कामकला की कमी हो तो वह पत्नी को उत्तेजित किये बिना ही एकतरफा संभोगक्रिया में लग जाता है और तुरंत ही स्खलित होकर एक तरफ हो जाता है। इस सब में उसे इस बात की कोई चिंता नहीं रह जाती कि जिस पत्नी ने उसे अलौकिक आनंद प्रदान किया है उसे खुद भी पूरी तरह संतुष्टि मिली है या नहीं।
कई स्त्रियां होती हैं जो संभोगक्रिया के समय चुंबन से ऩफरत करती हैं और पुरुष के द्वारा अपने शरीर पर नाखून गाड़ने से या दांतों से काटने से भी बुरा मानती हैं। ब्रह्मलोक और अवंती की स्त्रियां भी इन्हें पसंद नहीं करती लेकिन संभोगक्रिया के अलग-अलग आसनों में ज्यादा रुचि लेती हैं। इनको युक्तसंगम या बैठकर संभोग करने में आनंद मिलता है। यह 4 प्रकार से किया जाता है- जानूपू्र्वक, हरिविक्रम, द्वितल और अवलंबित।
आमीर प्रदेश और मालवा की स्त्रियों को मजबूत आलिंगन, चुंबन और पीड़ाक जैसी संभोगक्रिया सबसे प्रिय होती है। इन्हें पुरुष के द्वारा अपने शरीर पर नाखून गड़ाना और दांतों से काटना नापसंद होता है। संभोगक्रिया में इन्हें जितना ज्यादा दर्द होता है उतनी ही अधिक इनकी यौन उत्तेजना बढ़ती है।
ईरावती, सिंधु, शतद्रु, चंद्रभागा, विपात और वितस्ता नदियों के पास रहने वाली स्त्रियों के शरीर की उत्तेजना बढ़ाने वाले अंगों पर पुरुष द्वारा सहलाने से काम उत्तेजना तेज होती है।
गुर्जरी स्त्रियों के सिर के बाल घने, दुबला-पतला शरीर, स्तन भरे हुए और आंखे नशीली होती हैं। यह स्त्रियां सरल संभोग करना पसंद करती हैं।
लाट प्रदेश की स्त्रियां बहुत उत्तेजक होती हैं। इनके शरीर के अंग कोमल और नाजुक होते हैं। ऐसी स्त्रियों को लगातार चलने वाली संभोगक्रिया पसंद होती है। अपने पुरुष साथी से
लिपटना इन्हें बहुत पसंद होता है। ये तेज कटिसंचालन करती हैं और काफी देर तक योनिमंथन करने से इन्हें आनंद मिलता है। यह स्त्रियां पुरुष द्वारा अपने शरीर पर नाखून गड़ाना और दांतों से काटना भी पसंद करती हैं।
आंध्रप्रदेश की स्त्रियां कोमल अंगों वाली होती हैं और इनके अंदर यौन उत्तेजना बहुत ज्यादा होती है। यह स्त्रियां संभोग के लिए पुरुष को खुद ही उत्तेजित करती हैं और बड़वा आसन में संभोग करना पसंद करती हैं।
उत्कल और कलिंग प्रदेश की स्त्रियों को काम उत्तेजना के बारे में कुछ भी ज्ञान नहीं होता। यह स्त्रियां पुरुष द्वारा अपने शरीर पर नाखून गड़ाना और दांतों से काटना पसंद करती हैं। उत्कल स्त्रियां बिल्कुल शर्म न करने वाली, हमेशा प्यार करने वाली और लंबे समय तक संभोग की इच्छा रखने वाली होती हैं।
बंगाल और गौड़ प्रदेशों की स्त्रियां कोमल अंगों वाली होती हैं। इन्हें हर समय आलिंगन और चुंबन में रुचि होती है। ऐसी स्त्रियों की काम उत्तेजना को जगाने में बहुत देर लगती है लेकिन एक बार जब इनकी काम उत्तेजना जगती है तो ये अपने आपको पूरी तरह से पुरुष के हवाले कर देती हैं। इनके नितंब भारी होते हैं इसलिए इन्हें नितंबनी भी कहा जाता है।
कामरूप की स्त्रियां मीठी बोली वाली होती हैं। इनके शरीर के अंग कोमल और आकर्षक होते हैं। पुरुष द्वारा सिर्फ इनका आलिंगन करने से ही इन्हें पूरी तरह संभोग संतुष्टि मिल जाती है। एकबार अगर यह स्त्रियां उत्तेजित हो जाती हैं तो उसके बाद यह पूरी तरह से संभोगक्रिया में डूबी रहती हैं।
आदिवासी स्त्रियां अपने शरीर के विकारों को दूसरों से छुपाती हैं लेकिन दूसरों में अगर कोई दोष इन्हें दिखाई देता है तो यह उन्हें ताना मारने से नहीं चूकती हैं। इन्हें संभोग की सभी क्रीड़ाएं पसंद होती हैं और यह सामान्य संभोग में ही यह संतुष्ट हो जाती हैं।
महाराष्ट्र की स्त्रियां 64 कलाओं की ज्ञाता होती हैं। संभोगक्रिया के समय वह किसी प्रकार का संकोच नहीं करती और अश्लील बातें बोलती हैं।
पटना की स्त्रियां भी अश्लील बातें करती हैं लेकिन सिर्फ घर के अंदर, बाहर नहीं।
कर्नाटक की लड़कियों की योनि से पानी ज्यादा मात्रा में निकलता है। यह स्त्रियां आलिंगन. चुंबन और स्तनों को दबवाने के साथ ही योनि में उंगलियों से घर्षण करने से उत्तेजित होती है। संभोगक्रिया के समय यह स्त्रियां जल्दी संतुष्ट हो जाती हैं।
लड़कियों का जब मासिकधर्म शुरू होता है तो उसके बाद उनके शरीर में खास तरह के हार्मोन्स का विकास होना शुरू होता है और इसी समय से लड़कियां काम भावना की ओर भागने लगती हैं।
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