:हारसिंगार शॉर्ट नोट्स:
- 01. हारसिंगार के फूल, पत्ते और छाल का उपयोग औषधि के रूप में किया जाता है।
- 02. हारसिंगार के पत्तों का सबसे अच्छा उपयोग सायटिका रोग को दूर करने में किया जाता है।
- 03. हारसिंगार की चाय से पेट का जमा हुआ मल भी निकल जाएगा।
- 04. साल में कभी-कभी हारसिंगार का रस ले लें तो पेट में कीड़े होंगे ही नहीं।
- 05. साइटिका का तो इलाज ही हारसिंगार का पेड़ है। इसके दो तीन बड़े पत्तों का काढ़ा सवेरे शाम खाली पेट पीयें।
- 06. बवासीर के लिए हारसिंगार के बीज रामबाण औषधि की तरह काम करते हैं।
- 07. बिना दूध की हारसिंगार चाय स्फूर्तिदायक होती है।
- 08. हारसिंगार के 7-8 पत्तों का रस, अदरक का रस और शहद को मिलाकर सुबह और शाम सेवन करने से पुराने से पुराना मलेरिया बुखार समाप्त हो जाता है।
- 09. जिसको भी बीस तीस चालीस साल पुराना आर्थराइटिस हो या जोड़ों का दर्द हो। यह उन सबके लिए अमृत की तरह काम करेगा। इसको तीन महिना लगातार पत्तों का क्वाथ देना है। अगर पूरी तरह ठीक नहीं हुआ तो फिर 10-15 दिन का गैप देके फिर से तीन महीने देना है।
- 10. आप कभी भी Knee Joints को और Hip joints को replace मत कराइए। चाहे कितना भी अच्छा डॉक्टर हो और कितना भी बड़ी गारंटी दे, पर कभी भी आॅपरेशन मत कराइये। प्रकृति की जो बनाई हुई शारीरिक संरचना को कोई भी दोबारा नहीं दे बना सकता। ठीक होना होगा हारसिंगार से ठीक हो जायेगा।
- 11. इस वृक्ष के पत्ते और छाल विशेष रूप से उपयोगी होते हैं। इसके पत्तों का सबसे अच्छा उपयोग गृध्रसी (सायटिका) रोग को दूर करने में किया जाता है।
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हारसिंगार
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विभिन्न भाषाओं में नाम:
संस्कृत-पारिजात, शेफालिका।
हिन्दी-हरसिंगार, परजा, पारिजात।
मराठी-पारिजातक।
गुजराती-हरशणगार।
बंगाली-शेफालिका, शिउली।
तेलुगू-पारिजातमु, पगडमल्लै।
तमिल-पवलमल्लिकै, मज्जपु।
मलयालम-पारिजातकोय, पविझमल्लि।
कन्नड़-पारिजात।
उर्दू- गुलजाफरी।
इंग्लिश-नाइट जेस्मिन। Night Jasmine
लैटिन-निक्टेन्थिस आर्बोर्ट्रिस्टिस। (Nyctanthes arbor-tristis)
परिचय:
हारसिंगार के पेड़ बहुत बड़े नहीं होते हैं। इसके पत्ते कड़क और खुरदुरे से होते हैं। बीज गोल आते हैं। फूल अत्यन्त सुन्दर और सुगन्धित होते हैं। पेड़ को हिलाते ही फूल नीचे गिर पड़ते हैं। वायु के साथ जब दूर से इन फूलों की सुगन्ध आती है, तब मन बहुत ही प्रसन्न, प्रफुल्लित और आनंदित (Happy, Cheerful and Blissful) होता है। इसके फूलों की डण्डियों को सुखाकर पानी में डालने से बढ़िया पीला रंग तैयार हो जाता है। हारसिंगार के पत्तों को चबाकर खाने से जीभ पीली हो जाती है। किसी औषधि भस्म का पीला रंग करने के लिए इन डण्डियों के रंग का उपयोग किया जाता है।
स्वाद: इसका स्वाद फीका होता है।
रंग: हारसिंगार के पत्ते हरे, फूल का ऊपरी भाग सफेद तथा इसकी डण्डी पीली होती है।
स्वरूप: हारसिंगार के पेड़ जंगलों तथा बाग-बगीचों में अधिक पाये जाते हैं। इसके फूल सुन्दर व मनमोहक होते हैं तथा उनकी डण्डी केसरिया होती हैं। हारसिंगार की डण्डियों को पीसकर कपड़ों को रंगा जाता है। इसके फल छोटे व चपटे होते है। पत्ते खुरदुरे होते हैं।
स्वभाव: हारसिंहार ठण्डा और रूखा होता है। मगर कोई-कोई गरम होता है।
हारसिंगार के दोषों को दूर करने के लिए: हारसिंगार के दोषों को दूर करने के लिए कुटकी का उपयोग किया जाता है।
मात्रा: 3 ग्राम।
गुण:
(1) हारसिंगार बुखार को खत्म करता है।
(2) यह कड़ुवा होता है।
(3) शरीर में वीर्य की मात्रा को बढ़ाता है।
(4) इसकी छाल को अगर पान के साथ खाये तो खांसी दूर हो जाती है।
(5) इसके पत्ते दाद, झांई और छीप को खत्म करते हैं।
(6) इसके फूल ठण्डे दिमांग वालों को शक्ति देता है और गर्मी को कम करता है।
(7) हारसिंगार की जड़ व गोंद भी वीर्य को बढ़ाती है।
औषधीय उपयोग: इस वृक्ष के पत्ते और छाल विशेष रूप से उपयोगी होते हैं। इसके पत्तों का सबसे अच्छा उपयोग गृध्रसी (साइटिका, सायटिका) (Sciatica) रोग को दूर करने में किया जाता है।
01-गृध्रसी (साइटिका, सायटिका, Sciatica): हरसिंगार के ढाई सौ ग्राम पत्ते साफ करके एक लीटर पानी में उबालें। जब पानी लगभग 700 मिली बचे तब उतारकर ठण्डा करके छान लें, पत्ते फेंक दें और 1-2 रत्ती केसर घोंटकर इस पानी में घोल दें। इस पानी को दो बड़ी बोतलों में भरकर रोज सुबह-शाम एक कप मात्रा में इसे खाली पेट पियें। ऐसी चार बोतलें पीने तक सायटिका रोग जड़ से चला जाता है। किसी-किसी को जल्दी फायदा होता है फिर भी पूरी तरह चार बोतल पी लेना अच्छा होता है। इस प्रयोग में एक बात का खयाल रखें कि वसन्त ऋतु (अंग्रेज़ी कलेंडर के अनुसार फरवरी, मार्च और अप्रैल माह में वसंत ऋतु रहती है।) में ये पत्ते गुणहीन रहते हैं। अतः यह प्रयोग वसन्त ऋतु में लाभ नहीं करता।
या
इसके दो तीन बड़े पत्तों का काढ़ा सवेरे शाम खाली पेट पीयें। (Sciatica/सायटिका साइटिका का तो इलाज ही हारसिंगार का यह पेड़ है।)
02-बवासीर (अर्श) (Hemorrhoids):
(1) हारसिंगार के बीज बवासीर में रामबाण औषधि की तरह काम करते हैं। इसके एक बीज का सेवन प्रतिदिन करने से बवासीर ठीक हो जाता है।
(2) हारसिंगार का (बिना छिलके का) बीज 10 ग्राम तथा कालीमिर्च 3 ग्राम को मिलाकर पीस लें और चने के बराबर आकार की गोलियां बनाकर रख लें। रोजाना 1-1 गोली गुनगुने जल के साथ सुबह-शाम खाने से बवासीर ठीक होती है। यदि गुदा द्वार में सूजन या मस्से की समस्या है तो हरसिंगार के बीजों का लेप बनाकर गुदा पर लगाने से लाभ मिलता है।
(3) हारसिगांर के 2 ग्राम फूलों को 30 मिलीलीटर पानी में रात को भिगोकर रखें। सुबह फूलों को पानी में मसलकर छान लें और 1 चम्मच चीनी मिलाकर खाली पेट खायें। इसे नियमित 1 सप्ताह तक खाने से बवासीर मिट जाती है।
(4) हारसिंगार के बीजों को छील लें। 10 ग्राम बीज में 3 ग्राम कालीमिर्च मिलाकर पीसकर गुदा पर लगाने से बादी बवासीर ठीक होती है।
03-गलगण्ड (Thyroid): हारसिंगार के पत्ते, बांस के पत्ते और फल्गुन के पत्ते इकट्ठे पीसकर सात दिन तक लेप करें।
04-श्वास या दमा का रोग:
(1) हारसिंगार की छाल का चूर्ण 1 से 2 रत्ती पान में रखकर प्रतिदिन 3-4 बार खाने से कफ का चिपचिपापन कम होकर श्वास रोग (दमा) में लाभकारी होता है।
(2) हारसिंगार के पौधे की छाल का 2 चुटकी चूर्ण पान में रखकर सेवन करना चाहिए।
05-खांसी हेतु पेट में जमा मल निकासी हेतु हरसिंगार की चाय: हारसिंगार की दो पत्तियां+एक फूल+तुलसी के पत्ते! ये सब लेकर इसको एक गिलास पानी में उबालें और चाय की तरह पी लें। इससे (हारसिंगार की चाय से) पेट का जमा हुआ मल भी निकल जाएगा। चीन और ताईवान जैसे देशों में तो इसके फूल पत्तों की हर्बल चाय पीते हैं। इसके दो पत्ते और चार फूल लेकर पांच कप चाय बना सकते हैं। बिना दूध की यह चाय स्फूर्तिदायक होती है।
06-पेट में कीड़ों का प्रतिरोधक: हारसिंगार के पत्तों का रस लें। छोटा बच्चा है तो एक चम्मच और बड़ा व्यक्ति है तो दो चम्मच। सुबह खाली पेट थोडा पानी और चीनी मिलाकर लें। साल में कभी-कभी यह रस ले लें, तो पेट में कीड़े होंगे ही नहीं।
07-शारीरिक शक्ति का विकास: इसके फूलों को छाया में सुखाकर पाउडर बना लीजिये। समान मात्रा में मिश्री मिलाकर खाली पेट लीजिये। इसके सेवन से शारीरिक शक्ति का विकास होगा।
08-सूजन: शरीर के किसी भी हिस्से में सूजन है तो इसकी पत्तियाँ पानी में उबालकर उससे झराई करें। सूजन पर इसके पत्तों को बांधें।
09-मलेरिया: हारसिंगार के 7-8 पत्तों का रस, अदरक का रस और शहद को मिलाकर सुबह और शाम सेवन करने से पुराने से पुराना मलेरिया बुखार समाप्त हो जाता है।
10-पुराना बुखार: पुराने से पुराना बुखार हो या बुखार के कारण या किसी अन्य कारण से शरीर की टूटन हो तो, हारसिंगार की तीन ग्राम छाल+दो पत्तियां+3-4 तुलसी की पत्तियां पानी में उबालकर सुबह शाम लें।
11-जोड़ों का दर्द: जोड़ों में दर्द होने पर हारसिंगार के पंचांग का काढ़ा पीजिए। 5 ग्राम पंचांग+400 ग्राम पानी लेकर धीमी आंच पर पकाएं। जब एक तिहाई रह जाए तो खाली पेट पियें।
या
बुखार के दर्द का उपचार: डेंगू जैसे बुखार में शरीर मे बहुत दर्द होता है। बुखार चला जाता है, पर कई बार दर्द नहीं जाता। ऐसी स्थिति में हरसिंगार की पत्तों काड़ा इस्तेमाल करे, 10-15 दिन में दर्द ठीक हो जायेगा।
12-खुजली: हारसिंगार के पत्ते दही में सोनागेरू घिसकर पिलाने या हरसिंगार के पत्ते दूध में पीसकर लेप करने से लाभ मिलता है।
13-बालों का झड़ना/गंज (Hair Loss): हारसिंगार के बीज को पानी के साथ पीसकर सिर के गंजेपन की जगह लगाने से सिर में नये बाल आना शुरू हो जाते हैं।
14-खांसी: खांसी में 12-24 मिलीग्राम हारसिंगार की छाल का चूर्ण लेकर पान में रखकर दिन में 3-4 बार खाने से बलगम का चिपचिपापन दूर हो जाता है और खांसी में बहुत लाभ मिलता है।
15-यकृत और तिल्ली का बढ़ना: 7-8 हारसिंगार के पत्तों के रस को अदरक के रस और शहद के सुबह-शाम सेवन करने से यकृत और प्लीहा (तिल्ली) की वृद्धि ठीक हो जाती है।
16-दाद: हारसिंगार की पत्तियों को पीसकर लगाने से `दाद´ ठीक हो जाता है।
17-नाखूनों की खुजली: नाखूनों की खुजली में रोगी का नाखून खुजलाकर हारसिंगार का रस लगाने से रोग दूर होता है।
तालु रोग: तालु रोग दूर करने के लिए हारसिंगार की जड़ को चबाने से रोगी को लाभ मिलता है।
18-मानसिक उन्माद (पागलपन): गर्मी की घबराहट को दूर करने के लिए हारसिंगार के सफेद फूलों के गुलकन्द का सेवन करना चाहिए।
19-पालतू जानवरों को कोदो का विष चढ़ने पर: हारसिंगार के पत्तों का रस निकालकर जानवरों को पिला देना चाहिए।
20-आर्थराइटिस का उपचार:
(1) ऐसे आर्थराइटिस के मरीज जो पूरी तरह बिस्तर पकड़ जुके हैं, चालीस साल से तकलीफ है या तीस साल से तकलीफ है, कोई कहेगा बीस साल से तकलीफ है, और ऐसी हालत हो सकती है के वे दो कदम भी न चल सके, हाथ भी नहीं हिला सकते हैं, बिस्तर पर ही लेटे रहते हैं, करवट भी नहीं बदल सकते ऐसी अवस्था हो गयी है। ऐसे रोगियों के लिए हारसिंगार बहुत अच्छी औषधि है जो इसी के लिए काम आती है। हारसिंगार के 6-7 (छह सात) पत्ते तोड़ के पत्थर पर पीसकर चटनी बनाइये और एक ग्लास पानी मिलाकर इसे इतना गरम करो के पानी आधा हो जाये फिर इसको ठंडा करके रोज सुबह खाली पेट पिलाना है। जिसको भी बीस तीस चालीस साल पुराना आर्थराइटिस हो या जोड़ो का दर्द हो। यह उन सबके लिए अमृत की तरह काम करेगा। इसको तीन महिना लगातार देना है। अगर पूरी तरह ठीक नही हुआ तो फिर 10-15 दिन का गैप देके फिर से तीन महीने देना है। अधिकतम रोगी एक से डेढ़ महीने में ठीक हो जाते हैं। इसको हर रोज नया/ताजा बनाके पीना है। यह औषधि विशिष्ट (Exclusive) है और बहुत strong औषधि है। इसलिए अकेली ही देना चाहिये, इसके साथ कोई भी दूसरी दवा न दे नहीं तो तकलीफ होगी। ध्यान रहे पानी पीने के समय हमेशा उकड़ून बैठ के पीना चाहिए नहीं तो ठीक होने मे समय लगेगा।
(2) दोनों तरह के आर्थराइटिस (Osteoarthritis और Rheumatoid arthritis) मे आप एक दवा का प्रयोग करे जिसका नाम है चूना, वो ही चूना जो आप पान मे खाते हो। गेहूं के दाने के बराबर चूना रोज सुबह खाली पेट एक कप दही मे मिलाके खाना चाहिए, नही तो दाल मे मिलाके, नहीं तो पानी मे मिलाके पीना लगातार तीन महीने तक, तो आर्थराइटिस ठीक हो जाती है। ध्यान रहे पानी पीने के समय हमेशा उकड़ून बैठ कर पीना चाहिए, नहीं तो ठीक होने में समय लगेगा। अगर आपके हाथ या पैरों की हड्डी मे खट-खट आवाज आती हो तो वो भी चूने से ठीक हो जायेगा।
(3) दोनों तरह के आर्थराइटिस के लिए और एक अच्छी दवा है-मेथी का दाना। एक छोटा चम्मच मेथी का दाना एक काच की गिलास मे गरम पानी लेके उसमे डालना, फिर उसको रात भर भिगोके रखना। सबेरे उठके पानी सिप-सिप करके पीना और मेथी का दाना चबाके खाना। तीन महीने तक लेने से आर्थराइटिस ठीक हो जाती है। ध्यान रहे पानी पीने के समय हमेशा उकड़ून बैठ के पीना चाहिए, नहीं तो ठीक होने में समय लगेगा।
घुटने मत बदलिये हारसिंगार का काड़ा पीजिये: RA Factor जिनका प्रोब्लेमाटिक है और डॉक्टर कहता है के इसके ठीक होने का कोई चांस नही है। कई बार कार्टिलेज पूरी तरह से खत्म हो जाती है और डॉक्टर कहते है के अब कोई चांस नही है Knee Joints आपको replace करने ही पड़ेंगे, Hip joints आपको replace करने ही पड़ेंगे। तो जिनके घुटने निकाल के नया लगाने की नौबत आ गयी हो, Hip joints निकालके नया लगाना पड़ रहा हो उन सबके लिए यह औषधि है जिसका नाम है, हारसिंगार का काड़ा।
राजीव दीक्षित का कहना है के आप कभी भी Knee Joints को और Hip Joints को Replace मत कराइये। चाहे कितना भी अच्छा डॉक्टर हो और कितना भी गारंटी दे पर कभी भी मत करिये। प्रकृति की बनाई हुई शारीरिक संरचना को को कोई भी दोबारा बनाके नहीं दे सकता। आपके पास जो है उसीको repair करके काम चलाइए। हमारे देश के प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयीजी ने यह प्रयास किया था, Knee Joints का replace हुआ। अमेरिका के एक बहुत बड़े डॉक्टर ने आॅपरेशन किया। मगर आॅपरेशन के उनकी तकलीफ पहले से ज्यादा हो गयी। पहले तो थोड़ा बहुत चल भी लेते थे। आॅपरेशन के बाद तो चलना बंध सा ही हो गया है। उनको कुर्सी पर ले जाना पड़ता है। अत: विचारणीय सवाल यह है कि जब प्रधानमंत्री के साथ ऐसा हो सकता है, तो आम इंसान के साथ क्या कुछ नहीं हो सकता?