#पथरी के बारे में कुछ जानकारी और #उपचार
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#स्वस्थ मानव समाज के सृजन के लिए शारीरिक #स्वास्थ्य और सामाजिक स्वास्थ्य दोनों पहली जरूरत हैं! कुछ लोग शारीरिक स्वास्थ्य को ही स्वस्थतता का पर्याय मानते हैं, जो सम्पूर्ण सत्य नहीं है!
स्वास्थ्य होने का अर्थ केवल शारीरिक स्वस्थ होना मात्र ही नहीं है!
अपने शरीर, परिवार और समाज का शारीरिक, मानसिक, सांस्कृतिक, सामाजिक, आर्थिक और संवैधानिक स्वास्थ्य ठीक करना हम सब की समग्र जिम्मेदारी है!
मेरी नजर में समग्र स्वास्थ्य समग्र मानव जाति का अपरिहार्य दायित्व है, जिसका जनहित में अनिवार्य रूप से सभी को निर्वाह करना चाहिए।
मैं इस कार्य में बहुत छोटा का काम कर रहा हूँ! जिसमें सभी का सक्रिय सहयोग और सहभागिता अपेक्षित है!
इसी दिशा में पथरी के बारे में कुछ जानकारी और उपचार
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पथरी का दर्द भयंकर होता है! जिस किसी ने सहन किया होगा वही इसकी वास्तविक पीड़ा को समझ सकता है!
जो भी मित्र पथरी के दर्द को कभी नहीं झेलना चाहते उनके लिए सुझाव-
1. जर्दा, तम्बाखू, चूने, सुपारी आदि का सेवन कभी नहीं करें!
2. एक गमले में पत्थरच
ट्टा का पौधा लगा लें! इस की डाली या पत्ता ही लग जाता है और कुछ ही दिनों में पौधा बन जाता है!
3. प्रति सप्ताह हम से कम एक पत्ते का सेवन करते रहें या सब्जी में एक दो पत्ते डालें सारा परिवार सुरक्षित रहेगा! अनेकों की पथरी गल कर निकल चुकी है!
4. जिनको बार-बार पथरी होती रहती है, वे हर दूसरे दिन पत्थर चट्टा का आधा पत्ता सेवन करें, लेकिन बिंदु एक में वर्जित अस्वास्थ्यकर व्यसनों के साथ ही टमाटर के बीजों का सेवन भी नहीं करें!
5. आपकी जानकारी के लिए #पत्थरचट्टा के पौधे का चित्र भी पेश है! इसे हर एक घर में लगाया जाना चाहिए!
-डॉ. पुरुषोत्तम मीणा, 98750 66 111, 24.04.15
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पथरी के बारे में कुछ जानकारी और उपचार
किडनी की पथरी के लिए रामबाण दवा कुल्थी : स्वस्थ मानव समाज के सृजन के लिए शारीरिक स्वास्थ्य और सामाजिक स्वास्थ्य दोनों पहली जरूरत हैं! कुछ लोग शारीरिक स्वास्थ्य को ही स्वस्थतता का पर्याय मानते हैं, जो सम्पूर्ण सत्य नहीं है! गुर्दे से जुड़ी कई समस्याएं हैं, मसलन गुर्दे में दर्द, मूत्र में जलन या अधिक या कम आना आदि। इन्हीं समस्याओं में से एक समस्या, जिसके पीड़ितों की संख्या लगातार बढ़ रही है, वह है किडनी में पथरी। आयुर्वेद व घरेलू चिकित्सा में किडनी की पथरी में कुलथी को फायदेमंद माना गया है। गुणों की दृष्टि से कुल्थी पथरी एवं शर्करानाशक है। वात एवं कफ का शमन करती है और शरीर में उसका संचय रोकती है। कुल्थी में पथरी का भेदन तथा मूत्रल दोनों गुण होने से यह पथरी बनने की प्रवृत्ति और पुनरावृत्ति रोकती है। इसके अतिरिक्त यह यकृत व पलीहा के दोष में लाभदायक है। मोटापा भी दूर होता है।
स्वास्थ्य होने का अर्थ केवल शारीरिक स्वस्थ होना मात्र ही नहीं है!
अपने शरीर, परिवार और समाज का शारीरिक, मानसिक, सांस्कृतिक, सामाजिक, आर्थिक और संवैधानिक स्वास्थ्य ठीक करना हम सब की समग्र जिम्मेदारी है!
मेरी नजर में समग्र स्वास्थ्य समग्र मानव जाति का अपरिहार्य दायित्व है, जिसका जनहित में अनिवार्य रूप से सभी को निर्वाह करना चाहिए।
मैं इस कार्य में बहुत छोटा का काम कर रहा हूँ! जिसमें सभी का सक्रिय सहयोग और सहभागिता अपेक्षित है!
इसी दिशा में पथरी के बारे में कुछ जानकारी और उपचार
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पथरी का दर्द भयंकर होता है! जिस किसी ने सहन किया होगा वही इसकी वास्तविक पीड़ा को समझ सकता है!
जो भी मित्र पथरी के दर्द को कभी नहीं झेलना चाहते उनके लिए सुझाव-
1. जर्दा, तम्बाखू, चूने, सुपारी आदि का सेवन कभी नहीं करें!
2. एक गमले में पत्थरच
ट्टा का पौधा लगा लें! इस की डाली या पत्ता ही लग जाता है और कुछ ही दिनों में पौधा बन जाता है!
3. प्रति सप्ताह हम से कम एक पत्ते का सेवन करते रहें या सब्जी में एक दो पत्ते डालें सारा परिवार सुरक्षित रहेगा! अनेकों की पथरी गल कर निकल चुकी है!
4. जिनको बार-बार पथरी होती रहती है, वे हर दूसरे दिन पत्थर चट्टा का आधा पत्ता सेवन करें, लेकिन बिंदु एक में वर्जित अस्वास्थ्यकर व्यसनों के साथ ही टमाटर के बीजों का सेवन भी नहीं करें!
5. आपकी जानकारी के लिए पत्थरचट्टा के पौधे का चित्र भी पेश है! इसे हर एक घर में लगाया जाना चाहिए!
पथरी के लिए रामबाण दवा कुल्थी
यूं करें इस्तेमाल : 250 ग्राम कुल्थी कंकड़-पत्थर निकाल कर साफ कर लें। रात में तीन लिटर पानी में भिगो दें। सवेरे भीगी हुई कुल्थी उसी पानी सहित धीमी आग पर चार घंटे पकाएं। जब एक लिटर पानी रह जाए (जो काले चनों के सूप की तरह होता है) तब नीचे उतार लें। फिर तीस ग्राम से पचास ग्राम (पाचन शक्ति के अनुसार) देशी घी का उसमें छोंक लगाएं। छोंक में थोड़ा-सा सेंधा नमक, काली मिर्च, जीरा, हल्दी डाल सकते हैं। पथरीनाशक औषधि तैयार है।
प्रयोग विधि: दिन में कम-से-कम एक बार दोपहर के भोजन के स्थान पर यह सारा सूप पी जाएं। 250 ग्राम पानी अवश्य पिएं। एक-दो सप्ताह में गुर्दे तथा मूत्राशय की पथरी गल कर बिना ऑपरेशन के बाहर आ जाती है, लगातार सेवन करते रहना राहत देता है।
(1) यदि भोजन के बिना कोई व्यक्ति रह न सके तो सूप के साथ एकाध रोटी लेने में कोई हानि नहीं है।
(2) गुर्दे में सूजन की स्थिति में जितना पानी पी सकें, पीने से दस दिन में गुर्दे का प्रदाह ठीक होता है।
(3) यह कमर-दर्द की भी रामबाण दवा है। कुल्थी की दाल साधारण दालों की तरह पका कर रोटी के साथ प्रतिदिन खाने से भी पथरी पेशाब के रास्ते टुकड़े-टुकड़े होकर निकल जाती है। यह दाल मज्जा (हड्डियों के अंदर की चिकनाई) बढ़ाने वाली है।
पथरी में ये खाएं : कुल्थी के अलावा खीरा, तरबूज के बीज, खरबूजे के बीज, चौलाई का साग, मूली, आंवला, अनन्नास, बथुआ, जौ, मूंग की दाल, गोखरु आदि खाएं। कुल्थी के सेवन के साथ दिन में 6 से 8 गिलास सादा पानी पीना, खासकर गुर्दे की बीमारियों में बहुत हितकारी सिद्ध होता है।
पथरी में ये न खाएं : पालक, टमाटर, बैंगन, चावल, उड़द, लेसदार पदार्थ, सूखे मेवे, चॉकलेट, चाय, मद्यपान, मांसाहार आदि। मूत्र को रोकना नहीं चाहिए। लगातार एक घंटे से अधिक एक आसन पर न बैठें।
कुल्थी का पानी भी लाभदायक : कुल्थी का पानी विधिवत लेने से गुर्दे और मूत्रशय की पथरी निकल जाती है और नयी पथरी बनना भी रुक जाता है। किसी साफ सूखे, मुलायम कपड़े से कुल्थी के दानों को साफ कर लें। किसी पॉलीथिन की थैली में डाल कर किसी टिन में या कांच के मर्तबान में सुरक्षित रख लें।
कुल्थी का पानी बनाने की विधि: किसी कांच के गिलास में 250 ग्राम पानी में 20 ग्राम कुल्थी डाल कर ढक कर रात भर भीगने दें। प्रात: इस पानी को अच्छी तरह मिला कर खाली पेट पी लें। फिर उतना ही नया पानी उसी कुल्थी के गिलास में और डाल दें, जिसे दोपहर में पी लें। दोपहर में कुल्थी का पानी पीने के बाद पुन: उतना ही नया पानी शाम को पीने के लिए डाल दें।
इस प्रकार रात में भिगोई गई कुल्थी का पानी अगले दिन तीन बार सुबह, दोपहर, शाम पीने के बाद उन कुल्थी के दानों को फेंक दें और अगले दिन यही प्रक्रिया अपनाएं। महीने भर इस तरह पानी पीने से गुर्दे और मूत्राशय की पथरी धीरे-धीरे गल कर निकल जाती है।
सहायक उपचार : कुल्थी के पानी के साथ हिमालय ड्रग कंपनी की सिस्टोन की दो गोलियां दिन में 2-3 बार प्रतिदिन लेने से शीघ्र लाभ होता है। कुछ समय तक नियमित सेवन करने से पथरी टूट-टूट कर बाहर निकल जाती है। यह मूत्रमार्ग में पथरी, मूत्र में क्रिस्टल आना, मूत्र में जलन आदि में दी जाती है।
250 ग्राम कुल्थी कंकड पत्थर निकालकर साफ कर लें और पहले इसे रात में तीन मिलों पानी में भिगो दें। फिर सवेरे भीगी हुई कुल्थी सहित उसी पानी को धीमी-धीमी आग पर लगभग चार घंटे पकाएं और जब एक किलो पानी रह जाय जो काले चनों के सूप की तरह होता है तब नीचे उतार लें। फिर तीस ग्राम से पचास ग्राम पाचन शक्ति के अनुसार देशी घ्ज्ञी का उसमें छोंक लगाये। छोंक में थोडा सा सैंधा नमक, काली मिर्च जीरा हल्दी डाल सक है। बस, भोजन का भोजन और स्वादिष्ट सूप के साथ पथरी नाशक औषधि तैयार होती है।
प्रयोग विधि : दिन में एक बार दोपहर के भोजन के स्थान पर बारह बजे यह सारा सूप पी जाये। कम से कम 250 ग्राम अवश्य पीएं। एक दो सप्ताह में इससे गुर्दे तथा मूत्राशय की पथरी गलकर बिना आपरेशन के बाहर आ जाती है।
विशेष :
- 1. जब तक पथरी बाहर न निकले यह पानी रोजाना एक बार पीते रहे। अधिक दिनों तक लेते रहने से
- कोई हानी नहीं है। एक सप्ताह से पांच सप्ताह तक लें।
- 2. इसके लगातार कुछ दिनों के सेवन से पथरी के तीव्र हमले रुक जाते हैं। पथरी के रोग में यह अमृत तुल्य है।
- 3. यदि भोजन के बिना कोई व्यक्ति रह न सके तो सूप के साथ एकाध रोटी लेने में कोई हानि नहीं है।
- 4. गुर्दो के प्रदाह और सूजन में ऐसा पानी रोगी जितना पी सके, पीने से दस दिन में गुर्दे का प्रदाह ठीक होता है।
- 5. कुल्थी का इस्तेमाल दाल, लोबिया और चनों के सूप के रूप में, कमर दर्द की भी रामबाण दवा है। कुल्थ की दाल साधारण दालों की तरह पकाकररोटी के साथ प्रतिदिन खाने से भी पथरी पेशाब के रास्ते टुकडे टुकडे होकर निकल जाती है। यह दाल मज्जा बढाने वाली है।
- 6. पथरी में पथ्य–कुल्थी के अलावा, खीरा, तरबूज के बीज, खरबूजा के बीज, चैलाई का सोग, मूली, आंवला, अन्नानास, बथुआ, जौ, मूंग की दाल, गोखरु आदि। कुल्थी के सेवन के साथ दिन में छः से आठ गिलास सादा पानी पीना, खासकर गुर्दे की बीमारियों में, बहुत हितकारी सिद्ध होता है।
- 7. गुणों की दृष्टि से कुल्थी पथरी एवं शर्करानाशक है। वात एवंकफ का शमन करने वाली होती है और शरीर में उनका संचन रोकने वाली होती है। कुल्थी में पथरी का भेदन तथा मूत्रल दोनों गुण होने से यह पथरी बनने की प्रवृति और पुनरावृति रोकती है।
- 8. इसके अतिरिक्त यह यकृत व प्लीहा के दोष में लाभदायक है। और निरन्तर प्रयोग करने से मोटापा भी दूर होता है।
प्रस्तुतकर्ता
RAJESH MISHRA पर
14.5.15
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Tuesday, 6 January 2015
गुर्दे से जुड़ी कई समस्याएं हैं, मसलन गुर्दे में दर्द, मूत्र में जलन या मूत्र का अधिक या कम आना आदि। इन्हीं समस्याओं में से एक समस्या, जिसके पीडि़तों की संख्या लगातार बढ़ रही है, वह है किडनी में पथरी।
आयुर्वेद व घरेलू चिकित्सा में किडनी की पथरी में कुलथी को फायदेमंद माना गया है। गुणों की दृष्टि से कुल्थी पथरी एवं शर्करानाशक है। वात एवं कफ का शमन करती है और शरीर में उसका संचय रोकती है। कुल्थी में पथरी का भेदन तथा मूत्रल दोनों गुण होने से यह पथरी बनने की प्रवृत्ति और पुनरावृत्ति रोकती है। इसके अतिरिक्त यह यकृत व पलीहा के दोष में लाभदायक है। मोटापा भी दूर होता है।
यूं करें इस्तेमाल
250 ग्राम कुल्थी कंकड़-पत्थर निकाल कर साफ कर लें। रात में तीन लिटर पानी में भिगो दें। सवेरे भीगी हुई कुल्थी उसी पानी सहित धीमी आग पर चार घंटे पकाएं। जब एक लिटर पानी रह जाए (जो काले चनों के सूप की तरह होता है) तब नीचे उतार लें। फिर तीस ग्राम से पचास ग्राम (पाचन शक्ति के अनुसार) देशी घी का उसमें छोंक लगाएं। छोंक में थोड़ा-सा सेंधा नमक, काली मिर्च, जीरा, हल्दी डाल सकते हैं। पथरीनाशक औषधि तैयार है।
प्रयोग विधि: दिन में कम-से-कम एक बार दोपहर के भोजन के स्थान पर यह सारा सूप पी जाएं। 250 ग्राम पानी अवश्य पिएं। एक-दो सप्ताह में गुर्दे तथा मूत्राशय की पथरी गल कर बिना ऑपरेशन के बाहर आ जाती है, लगातार सेवन करते रहना राहत देता है।
यदि भोजन के बिना कोई व्यक्ति रह न सके तो सूप के साथ एकाध रोटी लेने में कोई हानि नहीं है।
गुर्दे में सूजन की स्थिति में जितना पानी पी सकें, पीने से दस दिन में गुर्दे का प्रदाह ठीक होता है।
यह कमर-दर्द की भी रामबाण दवा है। कुल्थी की दाल साधारण दालों की तरह पका कर रोटी के साथ प्रतिदिन खाने से भी पथरी पेशाब के रास्ते टुकड़े-टुकड़े होकर निकल जाती है। यह दाल मज्जा (हड्डियों के अंदर की चिकनाई) बढ़ाने वाली है।
पथरी में ये खाएं
कुल्थी के अलावा खीरा, तरबूज के बीज, खरबूजे के बीज, चौलाई का साग, मूली, आंवला, अनन्नास, बथुआ, जौ, मूंग की दाल, गोखरु आदि खाएं। कुल्थी के सेवन के साथ दिन में 6 से 8 गिलास सादा पानी पीना, खासकर गुर्दे की बीमारियों में बहुत हितकारी सिद्ध होता है।
ये न खाएं
पालक, टमाटर, बैंगन, चावल, उड़द, लेसदार पदार्थ, सूखे मेवे, चॉकलेट, चाय, मद्यपान, मांसाहार आदि। मूत्र को रोकना नहीं चाहिए। लगातार एक घंटे से अधिक एक आसन पर न बैठें।
कुल्थी का पानी भी लाभदायक
कुल्थी का पानी विधिवत लेने से गुर्दे और मूत्रशय की पथरी निकल जाती है और नयी पथरी बनना भी रुक जाता है। किसी साफ सूखे, मुलायम कपड़े से कुल्थी के दानों को साफ कर लें। किसी पॉलीथिन की थैली में डाल कर किसी टिन में या कांच के मर्तबान में सुरक्षित रख लें।
कुल्थी का पानी बनाने की विधि: किसी कांच के गिलास में 250 ग्राम पानी में 20 ग्राम कुल्थी डाल कर ढक कर रात भर भीगने दें। प्रात: इस पानी को अच्छी तरह मिला कर खाली पेट पी लें। फिर उतना ही नया पानी उसी कुल्थी के गिलास में और डाल दें, जिसे दोपहर में पी लें। दोपहर में कुल्थी का पानी पीने के बाद पुन: उतना ही नया पानी शाम को पीने के लिए डाल दें।
इस प्रकार रात में भिगोई गई कुल्थी का पानी अगले दिन तीन बार सुबह, दोपहर, शाम पीने के बाद उन कुल्थी के दानों को फेंक दें और अगले दिन यही प्रक्रिया अपनाएं। महीने भर इस तरह पानी पीने से गुर्दे और मूत्राशय की पथरी धीरे-धीरे गल कर निकल जाती है।
सहायक उपचार
कुल्थी के पानी के साथ हिमालय ड्रग कंपनी की सिस्टोन की दो गोलियां दिन में 2-3 बार प्रतिदिन लेने से शीघ्र लाभ होता है। कुछ समय तक नियमित सेवन करने से पथरी टूट-टूट कर बाहर निकल जाती है। यह मूत्रमार्ग में पथरी, मूत्र में क्रिस्टल आना, मूत्र में जलन आदि में दी जाती है।
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