Online Dr. P.L. Meena (डॉ. पुरुषोत्तम लाल मीणा)

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प्रोस्टेट ग्रंथि बढने का कारण, बचाव और बिना आॅपरेशन उपचार
Prostate Gland Enlargement Causes, Prevention and Treatment Without Operation


लेखक: डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश'
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इन दिनों सामान्यत: देखने में आता है कि 50 की आयु पार कर चुके पुरुषों की प्रोस्टेट ग्रंथि अर्थात पौरुष ग्रंथि का बढ़ जाना एक गंभीर समस्या बनती जा रही है। वर्तमान में 40 की आयु पार पुरुषों में भी यह समस्या देखी जा रही है।

प्रोस्टेट ग्रंथि क्या है?
What is the Prostate Gland?
असल में प्रोस्टेट ग्लेंड मेल रिप्रोडक्टिव ग्लैंड (Male Reproductive Gland-नर/पुरुष प्रजनन ग्रंथि) है, जिसका मुख्य काम शुक्राणु निर्माण और शुक्राणु वहन करना है। इसी ग्रंथि से सेक्‍सुअल क्‍लाइमेक्‍स अर्थात यौनानंद के दौरान वीर्य आगे जाता है और चर्मोत्कर्ष के समय वीर्य स्खलन होता है। इस ग्रंथि को पुरुषों का दूसरा दिल भी कहा जाता है। इस ग्रंथि का दैनिक मुख्य कार्य मूत्र बहाव को नियंत्रित करना भी होता है।




प्रोस्टेट ग्रंथि बढने के लक्षण:
Prostate Gland Enlargement Symptoms:
1. बार-बार पेशाब जाना पड़ता है।
2. पेशाब करते समय दर्द होना।
3. रात्रि को 2 या 3 बार पेशाब जाना।
4. मूत्रत्याग के समय जलन का अहसास होना।
5. मूत्रत्याग के समय सनसनाहट होना।
इत्यादि।

नोट: विशेषज्ञ डॉक्टर्स का कहना है कि 50 वर्ष पार करने के बाद अगर पेशाब करने में किसी भी तरह की तकलीफ हो तो तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिये।

प्रोस्टेट ग्रंथि बढने के कारण:
Prostate Gland Enlargement Reasons:
01. कम पानी पीने की आदत।
02. आनुवांशिकता।
03. अधिक शराब पीना।
04. आनुवांशिकता होने पर थोड़ी शराब या कम पानी पीना।
05. हार्मोंस बदलाव।
06. कैफीनयुक्त पदार्थों का सेवन करना। जिनमें चाय, कॉफी, सोफ्ट ड्रिंक, चॉकलेट, आइसक्रीम आदि प्रमुख हैं।
07. बढती आयु।
08. शारीरिक कार्य/व्यायाम नहीं करना।
09. रेडमीट का सेवन करना।
10. विटामिन सी की कमी।
11. भोजन में हरी सब्जियों एवं फलों को शामिल नहीं करना।
12. संक्रमण।
13. सक्षम होते हुए भी कम संभोग करना।
इत्यादि।

प्रोस्टेट ग्रंथि बढने के बचाव:
Prostate Gland Enlargement Prevention:
बिनाइन प्रोस्टेटिक हाइपरप्लेसिया (बीपीएच) Benign Prostatic Hyperplasia (BPH) अर्थात प्रोस्टेट ग्रंथि का अत्यधिक बढ जाने से बचाव के लिए:-
1. वसायुक्त खाद्य पदार्थों से परहेज करें और शराब पीने से बचें।
2. स्वास्थ्य शोधकर्ताओं के अनुसार, संतुलित आहार प्रोस्टेट को स्वस्‍थ बनाये रखने में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाता है।
3. सब्‍िजयां जिन में आइसोथियोसाइनेट अधिक मात्रा में होता जैसे ब्रोकली, फूलगोभी व मछली प्रोस्टेट के खतरे को कम करने में सहायक होती है।
4. सोया उत्पाद भी प्रोस्टेट को बढ़ने से रोकने में मदद करते हैं।
5. विटामिन ई भी प्रोस्टेट सूजन को कम करने में मदद करता है।
6. फेंटा हुआ मक्खन, वनस्पति तेल, गेहूं के बीज और साबुत अनाज भी प्रोस्टेट को रोकने और उसको न बढ़ने देने में काफी मददगार सिद्ध होते हैं।
7. प्रोस्टेट के रोगियों को अधिक मात्रा मे तरल पदार्थ का सेवन करना चाहिये।
8. एक और महत्वपूर्ण बात अगर आपकी अंडरवियर काफी तंग रहेगी तो आपकी जननेन्द्रिय दबी रहेगी और साथ में गरम भी हो जाएगी। अत: ढीली अंडरवियर पहनें और जननेन्द्रिय को ओवरहीटिंग से बचाएं।

नोट: प्रोस्टेट ग्रंथि के बढने के कारणों के निवारण पर ध्यान दिया जाये तो प्रोस्टेट ग्रंथि को बढने से रोका जा सकता है। इसके अलावा नियमित जांच करवाते रहें और डॉक्टर की सलाह का पालन करें, लेकिन ऐलोपैथिक चिकित्सकों द्वारा लिखी गयी मूत्रल/मूत्रवर्धक दवाईयों (Diuretic Medicines) का अत्यावश्यक होने पर ही सेवन करें। अन्यथा उनके घातक दुष्प्रभाव (Side Effects) सहने होंगे।


प्रोस्टेट ग्रंथि बढ़ने के दुष्परिणाम:
Adverse Side Effects of the Prostate Gland Enlargement:
प्रोस्टेट ग्रंथि बढने के पुरुषों में सामान्‍य तौर पर दो प्रकार की तकलीफें होती देखी जाती हैं।
1. बिनाइन प्रोस्टेटिक हाइपरप्लेसिया (बीपीएच) Benign Prostatic Hyperplasia (BPH) अर्थात प्रोस्टेट ग्रंथि का अत्यधिक बढ जाना: इसमें प्रोस्टेट ग्रंथि का आकार सामान्‍य से बड़ा हो जाता है, जिस कारण मूत्रमार्ग छोटा/संकरा हो जाता है। जिसकी वजह से पेशाब करने में परेशानी और दर्द हो सकता है। इसमें पेशाब करने में दिक्कत होती है। पेशाब करने के फौरन बाद फिर से पेशाब करने की इच्छा होती है। पेशाब करने पर जलन होती है। कई बार पेशाब के साथ रक्त भी निकलता है। अचानक पेशाब बंद होने पर पेट के नीचे दर्द होने लगता है। मूत्र थैली में पेशाब जमने से यूरिन इन्फेक्शन भी हो सकता है। मूत्र थैली में स्टोन होने की संभावना हो सकती है। हाइड्रोनेफ्रोसिस (मूत्र पथ में मूत्र प्रवाह में बाधा के कारण गुर्दे की सूजन) नामक समस्या भी हो सकती है। किडनी का कार्य भी बाधित हो सकता है। पीड़ित पुरुषों को ऑपरेशन का डर सताने लगता है। जिसके कारण उनकी यौन इच्छा/क्षमता समाप्त होती देखी जा सकती हैं। पर याद रखने की जरूरत है कि यह रोग केवल दवाईयों द्वारा भी नियंत्रित किया जा सकता है। अत: डरना कोई समाधान नहीं, बल्कि अनेक दूसरी समस्याओं को निमंत्रित करना है। डॉक्टर के निर्देश के अनुसार दवा लेने से इस रोग का इलाज संभव है। पर रोगियों पर दवा असर नहीं करती है, केवल उन्हें ही सर्जरी करवानी पड़ती है।
2. प्रोस्‍टेट कैंसर (Prostate Cancer): दूसरा प्रोस्‍टेट ग्रंथि कैंसरग्रस्‍त हो सकती है और अगर सही समय पर इसका इलाज न किया जाए, तो यह आसपास के अंगों को भी अपनी चपेट में ले लेती है। यह जीवन के लिये भी खतरा पैदा कर सकती है।

प्रोस्टेट ग्रंथि का प्राकृतिक उपचार:
Prostate Gland Natural Treatment:
शोधकर्ताओं का मानना है कि प्रोस्टेट ग्रंथि बढने का प्राकृतिक इलाज आसान नहीं होता, लेकिन फिर भी इसे प्राकृतिक तरीके से ठीक करने का एकमात्र उपाय जीवनसाथी के साथ नियमित, लेकिन संयमित संभोग करते रहना है। जिससे पौरुष ग्रंथि मजबूत होती है और प्रोस्टेट का खतरा कम होता है। यद्यपि बढती उम्र के पुरुषों या कम उम्र में ही किन्हीं कारणों से यौन अक्षम हो चुके पुरुषों के लिये यह उपाय कारगर नहीं है।

प्रोस्टेट ग्रंथि का घरेलु उपचार:
Prostate Gland Home Remedies:
1. प्रत्येक 3 घंटों में मूत्रत्याग करने का प्रयास करें।
2. एक बार में मूत्रत्याग ठीक से नहीं होने पर दो बार मूत्रत्याग, सहायक हो सकता है-मूत्रत्याग पश्चात थोड़ी देर प्रतीक्षा करें और फिर से मूत्रत्याग का प्रयास करें।
3. शरीर गर्म रहना चाहिये, जिसके लिये व्यायाम सहायक होता है।
4. सायंकाल पेय पदार्थ सीमित लें। अपने रात्रि भोजन के बाद तरल पदार्थ न लें।
5. सक्रिय रहें, क्योंकि ठंडा मौसम और निष्क्रियता मूत्र के अटकने के खतरे को बढ़ाते हैं।
6. सोयाबीन: किसी भी रूप में सोयाबीन का सेवन करने से टेटोस्टरोन हार्मोन के स्तर में कमी आती है। (टेस्टोस्टेरोन मुख्य पुरुष यौन हार्मोन है जो प्रजनन क्षमता, मांसपेशी द्रव्यमान, वसा वितरण और लाल रक्त कोशिका उत्पादन को नियंत्रित करता है।)
7. टमाटर, नींबू आदि का खूब इस्तेमाल करें: टमाटर, नींबू आदि में विटामिन सी की प्रचुरता होती है। प्रोस्टेट डिसऑर्डर अर्थात प्रोस्टेट ग्रंथि की वृद्धि के दौरान विटामिन सी की पर्याप्त मात्रा लेनी चाहिए। इसलिए इस दौरान विटामिन सी की प्रचुरता वाले खाद्य पादार्थों का सेवन करना चाहिए।

प्रोस्टेट ग्रंथि का आयुर्वेदिक उपचार:
Prostate Gland Ayurvedic treatment:
1. अलसी के बीज: अलसी के बीज को मिक्सी में पीसकर पाउडर बनायें। फिर प्रतिदिन इसे 10 से 20 ग्राम पानी के साथ सेवन करें। याद रहे एक बार में पांच दिन से अधिक की अलसी नहीं पीसें और अलसी की तासीर गर्म होती है, इसीलिए गर्मियों में इसके सेवन के साथ पानी की मात्रा बढ़ा दे। मेरे द्वारा अपने पेशेंट्स को जड़ी-बूटियों के अर्कों से परिष्कृत आॅर्गेनिक अलसी बीज (Organic Flax Seeds Sophisticated in Herbs Extracts) उपलब्ध करवाये जाते हैं। जिससे प्रोस्टेट ग्रंथि सहित अनेक शारीरिक तकलीफों के समाधान में आश्चर्यजनक परिणाम मिल रहे हैं।
2. भुना सुहागा: 6 ग्राम विधिवत भुने हुए सुहागे को गुड़ में मिलाकर इसकी 3 गोलियां बनाकर 1-1 गोली 3 दिन सुबह हल्के गर्म घी के साथ सेवन करने से अंडकोष की वृद्धि रुक जाती है। यह अनुभवसिद्ध है। लेकिन याद रहे कि इसका सेवन करते समय दही, केला चावल तथा ठंडे पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए।
3. गोखरू: मूत्र सम्बंधित रोगो में आॅर्गेनिक कांटा गोखरू बहुत लाभकारी हैं, इसको 5 ग्राम की मात्रा में अर्थात एक छोटा चम्मच गुनगुने पानी के साथ लेना चाहिये। मगर ध्यान रहे कि गोखरू का सेवन करने के एक घंटे पहले और एक घंटे बाद कुछ ना खायें। मैंने रोगी के लक्षणों के अनुसार अन्य औषधियों के साथ और सिंगल अनेक पेशेंट को दिया है और अच्छे परिणाम रहे हैं।
4. जिंक: प्रोस्टेट ग्लेंड के उपचार में ज़िंक अहम भूमिका निभाता है| कद्दू में ज़िंक भरपूर मात्रा में पाया जाता है। कद्दू के बीजो की गिरी को तवे पर हल्का सुनहरा होने तक भून लें। इसके बाद भुनी हुई गिरियों को मिक्सी में डालकर बारीक पाउडर तैयार कर लें। 15 से 20 ग्राम पाउडर पानी के साथ रोजाना सेवन करने से प्रोस्टेट ग्लेंड सिकुड़ने लगेगा और मूत्रमार्ग में होने वाला अवरोध दूर हो जायेगा।
5. कुलथी-पालक: कुलथी और पालक को बराबर मात्रा में लेकर पानी में अच्छी तरह उबालकर काढ़ा तैयार कर लें। रोजाना सुबह-शाम इस काढ़े के सेवन से प्रोस्टेट ग्लेंड की तकलीफ धीरे-धीरे अपने आप ठीक हो जायेगी।
6. नींबू-नारियल-धनिया पानी: प्रोस्टेट ग्लेंड के अधिक बढ़ जाने पर सादे पानी के स्थान पर नींबू पानी, नारियल पानी और धनिये के पानी का सेवन करें।
7. अंजीर: रोजाना शाम को पानी में दो अंजीर भिगों दें, उन्हें सुबह और सुबह दो अंजीर भिगों दें, उन्हें शाम अच्छे से चबा-चबाकर खायें। खाने के बाद ऊपर से पानी पी जायें। प्रोस्टेअ ग्रंथि के अधिक बढ़ने पर इससे अच्छे परिणाम मिलते हैं।
8. फूल हरड़: रात को सोने से पहले एक फूल हरड़ को साफ़ पानी में भिगोकर रख दें। अगले दिन सुबह इसके बीज निकालकर इसे चबा-चबाकर खायें और इसके बाद इसके पानी को आराम से घूंट-घूंट करके पी जायें।

प्रोस्टेट ग्रंथि का होम्योपैथिक उपचार:
Prostate Gland Homeopathic treatment:
प्रोस्टेट ग्रंथि की तकलीफों में सही से लक्षणों का मिलान करके उचित होम्योपैथिक दवाई दी जाये तो बहुत अच्छे परिणाम मिलते हैं। लेकिन याद रहे बिना लक्षणों को मिलाये होम्योपैथिक दवाईयों से स्वस्थ होने की उम्मीद नहीं करें। इसी कारण होम्योपैथिक चिकित्सा को लाक्षणिक चिकित्सा भी कहा जाता है। कुछ दवाईयों का विवरण लक्षणानुसार प्रस्तुत है:-

1.0 सैबाल सैरूलेटा Q: रोगी के निम्न लक्षणों पर यह दवा अधिक उपयोगी है:-
1.1 प्रोस्टेट ग्रंथि बढ़ गयी हो।
1.2 पेशाब करते समय जलन, अत्यंत दर्दनाक तकलीफ के साथ ऐसा लगे मानो पेशाब नली में मानो कुछ अड़ा या अटका हुआ हो।
1.3 रात्रि को अनेक बार पेशाब को जाना पड़े और पेशाब बून्द-बून्द आने जैसे लक्षण हों।
1.4 बहुत ज्यादा डकारें आती हों, पेट में गैस बनती हो, बार-बार दूध पीने का मन करे और रोगी बार-बोर दूध पीता भी रहे।
1.5 रोगी को अपनी जननेन्द्रिय ठण्डी अनुभव होती है, रोगी को लगता है कि उसका वीर्य समाप्त हो गया है, इस कारण वह सफलतापूर्वक संभोग नहीं कर पता हो।
1.6 उक्त लक्षणों के साथ में रोगी को मानसिक तथा शारीरिक कमजोरी के लक्षण मौजूद हों।
1.7 खुराक एवं मात्रा: रोगी के रोग की स्थिति को ध्यान में रखते हुए उक्त दवा की 10 से 30 बूंद, दिन में 3 बार, ठीक होने तक सेवन करवाना चाहिये।

2.0 स्टैफिसैग्रिया 30: रोगी के निम्न लक्षणों पर यह दवा अधिक उपयोगी है:-
2.1 पेशाब नली पर दबाव सा अनुभव हो और पेशाब करने जाने पर पेशाब आये ही नहीं।
2.2 पेशाब करते समय बूंद-बूंद आये और पेशाब नली में जलन महसूस होती हो।
2.3 पेशाब करने के बाद भी ऐसा महसूस हो मानो थोड़ा सा पेशाब शेष रह गया।
2.4 पेशाब करने के बाद तेज दर्द होता हो।
2.5 अत्यधिक कामुकता। हर समय यौन विचारों में खोये रहना। अत्यंत कमजोरी का अनुभव होना। बिना किसी सांस रोग के संभोग करने के बाद सांस लेने में परेशानी होना।
2.6 रोगी को आमाशय बिलकुल खाली महसूस होता है, चाहे कितना भी खा ले, लेकिन भूख सी लगी ही रहती है।
2.7 रोगी अकेला रहना चाहता है। उसको तेज गुस्सा आता है, लेकिन गुस्से और गुस्से के अपमान को पी जाता। गुस्से की स्थिति में रोगी बार-बार थूक को निगलता रहता है।
2.8 खुराक एवं मात्रा: रोगी के रोग की स्थिति को ध्यान में रखते हुए उक्त दवा की 30 नम्बर की 6-7 पिल्स/गोली, दिन में 3 बार, ठीक होने तक सेवन करवाना चाहिये।

3.0 सैलिडेगो विर्गौरिया Q: रोगी के निम्न लक्षणों पर यह दवा अधिक उपयोगी है:-
3.1 पेशाब कम मात्रा में लाल या बादामी रंग का आना।
3.2 पेशाब में तलछट आना।
3.3 पेशाब करते समय जलन होना।
3.4 पेशाब में बदबू आना।
3.5 जननेन्द्रिय में इतनी खुजली होना कि खुजाने से निशान पड़ जाते हैं। चेचक के जैसे दाने निकल आते हैं।
3.6 रात्रि को सोते समय मुंह का स्वाद बिगड़ जाना।
3.7 जीभ पर मोटी सी परत जमी रहती है।
3.8 सांस और बलगम के लक्षण भी हो सकते हैं।
3.9 खुराक एवं मात्रा: रोगी के रोग की स्थिति को ध्यान में रखते हुए उक्त दवा की Q अर्थात मदर टिंचर 2 से 5 बूंद तक पानी में मिलाकर दिन में 3 बार, ठीक होने तक सेवन करवाना चाहिये।

4.0 कोनियम 30 या 200: रोगी के निम्न लक्षणों पर यह दवा अधिक उपयोगी है:-
4.1 पेशाब करने में परेशानी, पेशाब रुक-रुक कर आना।
4.2 पेशाब का अपने आप ही बूंद-बूंद हर समय टपकते रहना।
4.3 तीव्र यौनेच्छा होने पर भी जननांगों की शिथिलता के कारण संभोग नहीं कर पाता।
4.4 प्रोस्टेट ग्रंथि का सख्त हो जाना और बढ जाना।
4.5 याददाश्त कमजोर हो जाना। किसी भी चीज को रखकर भूल जाना।
4.6 सिर को आगे-पीछे घुमाने से नहीं, लेकिन दांये-बांये घुमाने से चक्कर आ जाना।
4.7 विचित्र लक्षण रोगी को आंख बंद करते ही अर्थात सोते ही पसीना शुरू हो जाता है।
4.8 खुराक एवं मात्रा: रोगी के रोग की स्थिति को ध्यान में रखते हुए उक्त दवा की 30 नम्बर की 6-7 पिल्स/गोली, दिन में 3 बार, ठीक होने तक सेवन करवाना चाहिये।

नोट: होम्योपैथी की उपरोक्त दवाईयों के अलावा रोगी के लक्षणों के अनुसार कल्केरिया-फ्लोर, चिमाफिला अम्बेलाटा, बैराइटा-कार्ब, हाइड्रैन्जिया, पिकरिक-एसिड, कैनाबिस-इण्डिका आदि दवाइयां उचित शक्ति एवं मात्रा में सेवन करवाई जा सकती हैं।


*नोट: यह लेख मेरे (डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश') द्वारा दिनांक: 24.11.2018, विशेष रूप से मेरे द्वारा संचालित वाट्सएप ग्रुप Health Care Friend-स्वास्थ्य रक्षक सखा के सदस्यों के लिये लिखा गया है। जिसका लिंक: https://chat.whatsapp.com/HHcJSKjEpKsAFzk2sZAg53 यह लिंक कुछ दिनों बाद बंद कर किया जा सकता है।*

*नोट:* किसी भी पुरानी या लाइलाज मानी जाने वाली बीमारी से पीड़ित लोगों को, अपनी बीमारी को अपनी नियति मानकर निराश या हताश (Frustrated or Depressed) होने की जरूरत नहीं है। देशी जड़ी बूटियों और होम्योपैथी में इलाज संभव है। अपने आपपास के किसी अनुभवी डॉक्टर से सम्पर्क किया जा सकता है। देशभर में अनेकानेक अनुभवी तथा योग्य होम्योपैथ/आयुर्वेद के डॉक्टर उपलब्ध हैं। 


*Online Doctor:* Only Online Health Care Friend and Marital Dispute Consultant (स्वास्थ्य रक्षक सखा एवं दाम्पत्य विवाद सलाहकार) Dr. P. L. Meena (डॉ. पुरुषोत्तम लाल मीणा) Mobile & WhatsApp No.: 8561955619, *Fix Time to Call: Between 10 AM to 10 PM*

--->--->श्रीमती जानकी पुरुषोत्तम मीणा जिनका 08 अप्रेल, 2012 को असमय निधन हो गया!

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सभी के स्वस्थ एवं सुदीर्घ जीवन की कामना के साथ-मेरे प्यारे और दुलारे तीन बच्चों की ममतामयी अद्वितीय माँ (मम्मी) जो दुखियों, जरूतमंदों और मूक जानवरों तक पर निश्छल प्यार लुटाने वाली एवं अति सामान्य जीवन जीने की आदी महिला थी! वह पाक कला में निपुण, उदार हृदया मितव्ययी गृहणी थी! मेरी ऐसी स्वर्गीय पत्नी "जानकी मीणा" की कभी न भुलाई जा सकने वाली असंख्य हृदयस्पर्शी यादों को चिरस्थायी बनाये रखते हुए इस ब्लॉग को आज दि. 08.08.12 को फिर से पाठकों के समक्ष समर्पित कर रहा हूँ!-डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश'

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Cucumber कब्जी कमजोरी कमर कमर दर्द कमेड़ा करेला कर्ण वेदना कर्णरोग कष्टार्तव-Dysmenorrhea कांच निकलना काजू कान कानून सम्मत काम काम शक्ति कामवाण पाउडर कामशक्ति कामशक्ति-Sexual power कामेच्छा कामोत्तेजना कायाकल्प कार्बोहाइड्रेट कार्बोहाइड्रेट-Carbohydrates काला जीरा काला नमक काली जीरी काली तुलसी काली मिर्च काले निशान कास-खांसी-Cough किडनी किडनी संक्रमण किडनी स्‍टोन कीड़े कीमोथेरेपी कुकरौंधा कुकुंदर कुटकी-Black Hellebore कुबडापन कुमेड़ा कुल्थी कुल्ला कुष्ट कुष्ठ कृमि केला केसर कैफीन-Caffeine कैलोरी कैलोरी चार्ट कैलोरी-Calories कैवांच कैविटी कैंसर कॉफी कॉफ़ी कॉलेस्ट्रॉल कोंडी घास कोढ़ कोबरा कोलेस्ट्रॉल कोलेस्ट्रॉल-Cholesterol कोलेस्ट्रोल कौंच कौमार्य क्रियाशीलता क्रोध क्षय रोग-Tuberculosis क्षारीय तत्व क्षुधानाश खजूर खजूर की चटनी खनिज खरबूजा-Musk melon खरेंटी खरैंटी शिलाजीत खाज खांसी खिरेंटी खिरैटी खीप खीरा खुजली खुशी-Joy खुश्की खुश्बू खोया गंजापन-Baldness गठिया गठिया-Arthritis गठिया-Gout गड़तुम्बा गंडा-ताबीज गंध गन्ने का रस गरमा गरम गर्भ निरोधक गर्भधारण गर्भपात गर्भवती गर्भवती कैसे हों? गर्भावस्था गर्भावस्था की विकृतियां-Disorders of Pregnancy गर्भावस्था के दौरान संभोग-Sex During Pregnancy गर्भाशय गर्भाशय भ्रंश गर्भाशय-उच्छेदन के साइड इफेक्ट्स-Side Effects of Hysterectomy गर्म पानी गर्मी गर्मी-Heat गलगण्ड गाजर गाजवां गांठ गाँठ-Knot गारंटी गारण्टेड इलाज गाल ब्लैडर गिलोय गिल्टी गुड़हल गुंदा गुदाद्वार गुदाभ्रंश गुम्मा गुर्दे गुलज़ाफ़री गुस्सा गृध्रसी गृह-स्वामिनी गेदुआ की छाछ गैस गैस्ट्रिक गैहूं का जवारा गोक्षुरादि चूर्ण गोखरू गोखरू (LAND CALTROPS) गोंद कतीरा-Hog-Gum गोंदी गोभी-Cabbage गोरख मुंडी गोरखगांजा गोरखबूटी गोरखमुंडी ग्रीन-टी घमोरी घरेलु ​नुस्खे घाघरा घाव चकवड़ चक्कर चपाती चमत्कारिक सब्जियां चरित्र चर्बी चर्म चर्म रोग चर्मरोग चाय चाय-Tea चालीस के पार-Forty Across चिकनगुनिया चिकित्सकीय चिटकन चिंतित चिरायता-Absinth चिरोटा चुंबन चोक चौलाई छपाकी छरहरी काया छाछ छाजन बूटी छाले छींक छीकें छुअ छुआरा छुहारा छोटा गोखरू छोटा धतूरा छोटी हरड़ जंक फूड जकवड़ जख्म जंगली तिल्ली जंगली तुलसी जंगली पेड़ जंगली मिर्ची जंगली-कटीली चौलाई जटामांसी-Spikenard जलजमनी जलन जलोदर रोग-Ascites Disease जवारा जवारे जवासा-Alhag जहर जामुन का जूस जायफल जिगर जीरा जीवन रक्षक जीवनी शक्ति जुएं जुकाम जुदाई जुलाब जूएं जूस जोड़ों के दर्द जोड़ों में दर्द जौ ज्यूस ज्योति ज्वर ज्वर-Fiver झाइयाँ झांईं झाड़-फूंक झुर्रियाँ झुर्रियां झुर्री झूठे दर्द टमाटर का रस टमाटर-Tomatoes टाइफाइड टाटबडंगा टायफायड टूटी हड्डी टॉन्सिल टोटला ट्यूमर ठंड ठंडापन ठेकेदार डॉक्टर डकार डकारें डायबिटीज डायरिया डिग्री फ़ारेनहाइट डिग्री सेल्सियस डिजिसेक्सुअल डिटॉक्सीफाई डिटॉक्सीफिकेशन डिनर डिप्रेशन डिब्बाबंद भोजन डिलेवरी डीकामाली डीगामाली डेंगू डेंगू-Dengue डॉ. निरंकुश डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश' डॉ. मीणा ढकार ढीलापन ढीली योनि तकलीफ का सही इलाज तंत्र-मंत्र तम्बाकू तरबूज-Watermelon तलाक ताकत तिल तिल्ली तुंबा तुंबी तुम्बा तुलसी तेल त्रिदोषनाशक त्रिफला त्वचा त्वचा रोग थकान थाईरायड थायरायड-Thyroid थायरॉइड दण्डनीय अपराध दंत वेदना दन्तकृमि दन्तरोग दमा दर वेदना दरार दर्द दर्द निवारक दर्द निवारक दवा दर्दनाक दस्त दही दाग-धब्बे-Stains-Spots दाढ़ दांत दांतो में कैविटी-Teeth Cavity दाद दाम्पत्य दाम्पत्य विवाद सलाहकार दाम्पत्य-Conjugal दाल दालचीनी दालें दिमांग दिल दीर्घायु दु:खी दुर्गंध दुर्बलता दुष्प्रभाव दुष्प्रभावरहित दूध दूध वृद्धि दूधी दूधी-Milk Hedge दृष्टिदोष दो मन द्रोणपुष्पी द्रोणपुष्पी-Leucas Cephalotes धड़कन धनिया बीज धनिया-Coriander धमासा धात धातु धातु पतन धार्मिक धूम्रपान छोड़ना चाहते हैं? धैर्यहीन नज़ला नपुंसक नपुंसकता नाइट्रिक एसिड नाक नाखून नागबला नागरमोथा नाडी हिंगु नाड़ी हिंगु (डिकामाली) नामर्दी नारकीय पीड़ा नारियल नाश्ता निमोनिया निम्न रक्तचाप निम्बू नियासिन निराश निरोगधाम निर्गुण्डी निर्गुन्डी निष्कपट स्नेह निष्ठा निसोरा नींद नींबू नींबू-Lemon नीम-azadirachta indica नुस्खे नुस्खे-Tips नेगड़ नेत्र रोग नेुचरल नैतिक नॉर्मल डिलेवरी नोनिया नौसादर न्युमोनिया-Pneumonia न्यूरॉन्स पक्षघात पंचकर्म पढ़ने में मन लगेगा पंतजलि पत्तागोभी-CABBAGE पत्थर फोड़ी पत्थरचट्टा पत्नी पथरी पदार्थ पनीर पपीता पपीता-CARICA PAPPYA पमाड परदेशी लांगड़ी परम्परागत चिकित्सा परहेज पराठा परामर्श परिस्थिति पवाड़ पवाँर पाइल्स पाक-कला पाचक पाचन पाचनतंत्र पाचनशक्ति पाठक संख्या 16 लाख पार पाठक संख्या पंद्रह लाख पायरिया पारदर्शिता पारिजात पालक पालक-Spinach पित्त पित्ताशय पित्ती पिंपल-मुंहासे-Pimples-Acne पिरामिड पीलिया पीलिया-Jaundice पीलिया-कामला-Jaundice पुआड़ पुदीना पुनर्नवा-साटी-सौंटी-Punarnava पुरुष पुंसत्व पेचिश पेट के कीड़े पेट दर्द पेट में गैस पेट रोग पेड़ पेद दर्द पेरिकिटो सेसिल पेशाब पेशाब में रुकावट पेंसिल थेरेपी-Pencil Therapy पोष्टिक लड्डू पौधे पौरुष पौरुष ग्रंथि पौष्टिक रागी रोटी प्याज-Onion प्यास प्रजनन प्रतिरक्षा प्रतिरक्षा प्रणाली प्रतिरोधक प्रतिरोधक-Resistance प्रदर प्रमेह प्रवाहिका (पेचिश)-Dysentery प्रसव प्रसव सुरक्षा चक्र प्रसव-पीड़ा प्रसूति प्राणायाम प्रेग्नेंसी-Pregnancy प्रेम प्रेमरस प्रेमिका प्रेमी प्रोटीन प्रोटीन का कार्य प्रोटीन के स्रोत प्रोस्टेट प्रोस्‍टेट कैंसर प्रोस्टेट ग्रंथि प्रोस्टेट ग्रन्थि प्लीहा प्लूरिसी-Pleurisy प्लेटलेट्स फंगल फटन फफूंद-Fungi फरास फल फाइबर फिटकरी फुंसी-Pimples फूलगोभी-CAULIFLOWER फेंफड़े फेरम फॉस फैट फैटी लीवर फोटोफोबिया फोड़ा फोड़े-Boils फोरप्ले फोलिक एसिड फ्लू फ्लू-Flu फ्लेक्स सीड्स बकायन बकुल बड़ी हरड़ बथुआ बथुआ पाउडर बथुआ-White Goose Foot बदबू बंध्यापन बबूल-ACACIA बरसाती बीमारियाँ बरसाती बीमारियां बलगम बलवृद्धि बला बलात्कार बवासीर बहरापन बहुनिया बहुमूत्रता- बांझपन बादाम-Almonds बादाम. बाल बाल झड़ना बाल झडऩा-Hair Falling बिना सिजेरियन मां बनें बिवाई बीजबंद बीड़ी बीमारियों के अनुसार औषधियां बीमारी बील बुखार बूंद-बूंद पेशाब बेल बेली बैक्टीरिया बॉयोकैमी ब्र​ह्मदण्डी ब्रेस्ट ग्रोथ ब्लड प्रेशर ब्लैक मेलिंग ब्लॉकेज भगंदर भगंदर-Fistula-in-ano भगनासा भगन्दर भगोष्ठ भड़भांड़ भय भविष्य भस्मक रोग भावनात्मक भुई आंवला-Phyllanthus Niruri भूई आमला भूई आंवला भूख भूख बढ़ाने भूत-प्रेत भूमि भूमि आंवला भोजनलीवर मकोय मकोय-Soleanum nigrum मक्का मक्का के भुट्टे मंजीठ मटर-PEA मंद दृष्टि मंदाग्नि मदार मधुमेह मधुमेह-Diabetes मन्दाग्नि-Dyspepsia मरुआ मरोड़ मर्द मर्दाना मलाशय मलेरिया मलेरिया (Malaria) मवाद मसाले मस्तिष्क मस्से मस्से-WARTS महंगा इलाज महत्वपूर्ण लेख महाबला माइग्रेन माईग्रेन माईंड सैट माजूफल मानवव्यवहार मानसिक मानसिक लक्षण मानसिक-Mental मानिसक तनाव-Mental Stress मायोपिया मासिक मासिक-धर्म मासिकधर्म मासिकस्राव माहवारी मिनरल मिर्गी मिर्च-Chili मीठा खाने की आदत मुख मैथुन-ओरल सेक्स-Oral Sex मुख्य लक्षण मुधमेह मुलहठी मुलेठी मुहाँसे मूँगफली मूड डिस्ऑर्डर-Mood Disorders मूत्र मूत्र असंयमितता मूत्र में जलन-Burning in Urine मूत्ररोग मूत्राशय मूत्रेन्द्रिय मूर्च्छा (Unconsciousness) मूली मूली कर रस मृत्यु मृत्युदण्ड मेथी मेथी दाना मेंहदी मैथुन मोगरा (Mogra) मोटापा मोटापा-Obesity मोतियाबिंद मौत मौलसिरी मौसमी बीमारियां यकृत यकृत प्लीहा यकृत वृद्धि-Liver Growth यकृत-लीवर-जिगर-Lever यूपेटोरियम परफोलियेटम यूरिक एसिड लेबल योग विज्ञापन योन योन संतुष्टि योनि योनि ढीली योनि शिथिल योनि शूल-Vaginal Colic योनि संकोचन योनिद्वारा योनिभ्रंश योनी योनी संकोचन यौन यौन आनंद यौन उत्तेजक पिल्स (sexual stimulant pills) यौन क्षमता यौन दौर्बल्य यौन शक्तिवर्धक यौन शिक्षा यौन समस्याएं यौनतृप्ति यौनशक्ति यौनशिक्षा यौनसुख यौनानंद यौनि रक्त प्रदर (Blood Pradar) रक्त रोहिड़ा-TECOMELLA UNDULATA रक्तचाप रक्तपित्त रक्तशोधक रक्ताल्पता रक्ताल्पता (एनीमिया)-Anemia रस-juices रातरानी Night Blooming Jasmine/Cestrum nocturnum रामबाण रामबाण औषधियाँ-Panacea 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स्तम्भन स्त्री स्त्रीत्व स्त्रैण स्पर्श स्मृति-लोप स्वप्न दोष स्वप्नदोष स्वप्नदोष-Night Fall स्वभाव स्वभावगत स्वरभंग स्वर्णक्षीरी स्वस्थ स्वास्थ्य स्वास्थ्य परामर्श स्वास्थ्य रक्षक सखा हजारदानी हड़जोड़ हड्डी हड्डी में दर्द हड्डी संक्रमण हड्डीतोड़ ज्वर हड्डीतोड़ बुखार हरड़ हरसिंगार हरी दूब-CREEPING CYNODAN हरीतकी हर्टबर्न हस्तमैथुन हस्तमैथुन-Masturbation हाई बीपी हाथ-पैर नहीं कटवायें हारसिंगार हालात हिचकी हिचकी-Hiccup हिमोग्लोबिन-hemoglobin हिस्टीरिया हिस्टीरिया-Hysteria हींग हीनतर हुरहुर हुलहुल हृदय हृदय-Heart हेपेटाइटिस हेपेटाईटिस हेल्थ टिप्स-Health-Tips हेल्थ बुलेटिन हैजा हैपीनेस-Happiness हैल्थ होम केयर टिप्स-Home Care Tips होम्यापैथ होम्योपैथ होम्योपैथिक होम्योपैथिक इलाज होम्योपैथिक उपचार होम्योपैथी होम्योपैथी-Homeopathy